ब्लाजगत मे राष्ट्रिय आपदा की तरह राहु केतुओं का आतंक छाया हुआ है. अब आप पूछेंगे कि ये राहु केतु कौन? तो भाई ये हैं अनाम कुमार और अनामिका कुमारी.
पीछले कुछ दिनों से आपने देखा होगा कि इन्होने सबको थर्र्रा रखा है. और सही है नंगे के नौ ग्रह बलवान. उडनतश्तरी जी तो इतने भयभीत हो गये कि "बाबा समीरानंद आश्रम में" इनके नाम की सुबह शाम आरती ही शुरु होगई है. आप भी पहुंचिये वहां जाकर आरती मे शामिल हो कर प्रसाद लिजिये.
महाबाबाश्री समीरानंद महाराज
ॐ जय बिन नामी देवा, स्वामी जय बे नामी देवा
तुमको पकड़ न पाये, गुगल की सेवा.
ॐ जय बिन नामी देवा....
यह आरती भी चेचक के टीके की तरह असरकारक हो सकती है. तो जल्दी किजिये वर्ना फ़िर कहेंगे कि आपको खबर ही नही थी और आप भी कहीं आजावो लपेटे मे.
आप सोच ही सकते हैं कि कितना परेशान सब हो रहे हैं. जैसे बारिश के लिये सभी बाबा लोग यज्ञ हवन पूजन शुरु कर देते हैं उसी तरह सभी आश्रमों मे अनाम / अनामिकाओं के इलाज के लिये उपाय शुरु हो गये हैं. राज भाटिया जी ने तो पूरा वैज्ञानिक खोजतंत्र ही शुरु कर दिया. अब शाश्त्री जी का फ़ोन आया ताऊ के पास. और ताऊ से जब राय मांगी गई तो ताऊ बला - इन अनाम अनामिकाओं को पकडने का काम हमारे लिये तो बांये हाथ का खेल है.
शाश्त्री जी बोले - यार ताऊ तुम तो वाकई कोरे हरयाणवी लठ्ठ ही हो? अरे क्या जब हमारी बारात निकल जायेगी तब पकडोगे?
ताऊ बोला - बात ऐसी है कि इसके लिये शमशान साधना करनी पडेगी. अब तक राज भाटिया भी आ चुके थे. वो बोले ताऊ करो जरुर करो.
ताऊ बोला - श्मशान साधना अकेले से नही होगी. साथ मे तुम दोनों को भी चलना पडेगा नहा धोकर और बाबाजी बनकर एक तांत्रिक अनुष्ठान करवाना पडेगा. तब देखना - अनुष्ठान पुर्ण होते होते वो अनाम कुमार या अनामिका कुमारी वहां खुद चल कर आजायेगे. और माफ़ी मांगेंगे..पर हम उसे बोतल मे बंद करके दरिया में डाल देंगे.
अब राज भाटिया जी और शाश्त्री जी इन दकियानुसी बातों मे विश्वास नही करते थे. पर क्या करें? डर के मारे दोनो ने आपस मे विचार विमर्श किया और यह समझा कि लगता है ताऊ इस बहाने हमसे कुछ रुपया पैसा वसूल करेगा. बाकी इन तांत्रिक अनुष्ठानों से कुछ होने वाला नही है. दोनों ने आकर ताऊ से पूछा - इस अनुष्ठान मे खर्च कितना आयेगा?
ताऊ बोला - अरे यारों , आपने मुझे हमेशा के लिये ही ऊठाईगिरा समझ लिया क्या? अरे ठीक है मैं कभी कभी चोरी बेईमानी डकैती कर लेता हूं पर ब्लाग जगत से ऐसा नही कर सकता . खर्चा सब मेरे जिम्मे. बस अगर आप लोगों का काम हो जाये तो आश्रम मे सब लोग मिलकर जितना चाहो लगा देना. पर काम होने के बाद.
तो अब तीनों तैयार होकर यानि बाबा बनकर दुसरे दिन अमावस को श्मशान मे आधी रात को पहुंच गये. गीदडों की हुआं..हुआं की डरावनी आवाज....के बीच तीनों महातपस्वी बाबा पहुंच गये शमशान साधना के लिये. महाबाबाश्री ताऊ आनंद के आचार्यत्व मे अनुष्ठान करवाने के लिये. और क्या करें? आखिर ब्लाग जगत को तबाही से बचाने का भारी बीडा जो ऊठा लिया था.
श्मशान साधना करते हुये तीनों बाबा
बाबा श्री ताऊ आनंद ने हवन मे नमक मिर्च लोबान की पहली ही आहुति डाली तो भाटिया जी और शाश्जीत्री को खांसी छुट गई पर बाबाश्री ने बीच मे बोलने को मना किया हुआ था. और ताऊ बाबा ने उनको सब विधी समझा कर अनुष्ठान चालु कर दिया.
ताऊ बाबा - खट स्वाहा: स्वाहा ..स्वाहा..खट खटाखट आहा.
बाबा भाटिया - ला पकड ला अनाम और अनामिका फ़ट फ़टाफ़ट स्वाहा...
बाबा शाश्त्री - पी जहर का घूंट गट गटागट स्वाहा..
तीनों बाबाओं का सम्मिलित स्वर : हाजिर कर..अनाम/अनामिका को... टपा टप.. शमशान भवानी...डाकिनी..काकिनी..जय श्मशान माई...जल्दी कर..बुला..बुला..फ़ट स्वाहा..स्वाहा..स्वाहा..आहा...
बाबा ताऊ : जल्दी प्रकट होजा...वर्ना मारुंगा चांटा..चट चटाचट स्वाहा..
बाबा भाटिया : मार ही दे ताऊ पट पटापट स्वाहा..
बाबा शाश्त्री : कुछ आवाज आई ठक ठकाठक स्वाहा..
तीनों बाबाओं का सम्मिलित स्वर : हाजिर कर..अनाम/अनामिका को... टपा टप.. शमशान भवानी...डाकिनी..काकिनी..जय श्मशान माई...जल्दी कर..बुला..बुला..फ़ट स्वाहा..स्वाहा..स्वाहा..आहा...
तीनों बाबाओं का सम्मिलित स्वर : हाजिर कर..अनाम/अनामिका को... टपा टप.. शमशान भवानी...डाकिनी..काकिनी..जय श्मशान माई...जल्दी कर..बुला..बुला..फ़ट स्वाहा..स्वाहा..स्वाहा..आहा...
और इस तरह तीनों विभुतियों ने अपने प्राणों कि बाजी लगाकर तांत्रिक अनुष्ठान शुरु कर दिया..तीनों के सम्मिलित स्वर मे गजब का तांत्रिक अनुष्ठान चल रहा था. फ़ट फ़टाफ़ट स्वाहा ....गट गटागट स्वाहा.... चट चटाचट स्वाहा.. ओम गटागट आहा...स्वाहा...
....... फ़ट फ़टाफ़ट स्वाहा ....गट गटागट स्वाहा.... चट चटाचट स्वाहा......... फ़ट फ़टाफ़ट स्वाहा ....गट गटागट स्वाहा.... चट चटाचट स्वाहा.
....... फ़ट फ़टाफ़ट स्वाहा ....गट गटागट स्वाहा.... चट चटाचट स्वाहा. ....... फ़ट फ़टाफ़ट स्वाहा ....गट गटागट स्वाहा.... चट चटाचट स्वाहा.
अब भाटिया जी अचानक चिल्लाये..ताऊ बाबा देखो जरा कोई कट कटाकट स्वाहा..करता हुआ आरहा है. अब ताऊ बाबा आनंद बोले - अरे भाटिया जी..आपने अनुष्ठान के बीच मे बोल कर सारा अनुष्टान ही खराब कर दिया.. बीच मे नही बोलना चाहिये था. अब अगली अमावस पर फ़िर से आकर करना पडॆगा.
शाश्त्री जी बोले - तो ताऊ अगली अमावस तो एक महिना बाद आयेगी?
ताऊ - तो क्या हुआ ? जब तक अनाम कुमार और अनामिका कुमारी को मजे लेने दो. तब तक हम साधना करके अपनी शक्ती बढायेंगे.
भाटिया जी - मुझे मालुंम था ताऊ. तुम ऐसा ही कोई दोष मेरे मत्थे लगाओगे और उनको पकडने नही दोगे.
ठीक है ताऊ अब तुम करते रहना अपना अनुष्ठान..मैं तो अरविंद मिश्रा जी के पास बनारस जारहा हूं वहीं वैज्ञानिक विधि से खोज बीन करुंगा.
अब किसी को अगली बुधवारी अमावश को अनुष्ठान मे शामिल होना हो तो सूचना देवे. हमको विश्वस्त भक्तों की नितांत आवश्यकता है.
और चलते चलते पुछल्ला यह है कि पुरुषों को अब चुगलखोरी के रस का पान करने की आदत डाल लेनी चाहिये. भाईयों उठो जागो और इस पर महिलाओं का एकाधिकार तोड दो. आज यही आपकी सबसे बडी जरुरत है. इस रस के पान से बडी अनन्य तृप्ति प्राप्त होती है यह सु. शेफ़ाली पांडे तो आज कह रही हैं किंतु हरीशंकर जी परसाई वर्षों पहले कह गये हैं. अगर फ़ुरसतिया जी अमेरिका से भारत आये हुये हों तो वो भी इस बात का समर्थन करेंगे.
और अब देखिये यह प्रसिद्ध हरयाणवी लोक गीत, जिसे परफ़ोर्म कर रही हैं प्रसिद्ध रशियन कत्थक नृत्यांगना सुश्री स्वेतलाना निगम. और फ़िर इस गीत को सुन देख कर ताजा दम होकर अनाम /अनामिकाओं की आत्मा की शांति के लिये प्रार्थना किजिये. क्युंकि अगली अमावस को तो बाबाश्री उसको पकड ही लेंगे और बोतल मे बंद करके दरिया मे बहा देंगे.
पीछले कुछ दिनों से आपने देखा होगा कि इन्होने सबको थर्र्रा रखा है. और सही है नंगे के नौ ग्रह बलवान. उडनतश्तरी जी तो इतने भयभीत हो गये कि "बाबा समीरानंद आश्रम में" इनके नाम की सुबह शाम आरती ही शुरु होगई है. आप भी पहुंचिये वहां जाकर आरती मे शामिल हो कर प्रसाद लिजिये.
ॐ जय बिन नामी देवा, स्वामी जय बे नामी देवा
तुमको पकड़ न पाये, गुगल की सेवा.
ॐ जय बिन नामी देवा....
यह आरती भी चेचक के टीके की तरह असरकारक हो सकती है. तो जल्दी किजिये वर्ना फ़िर कहेंगे कि आपको खबर ही नही थी और आप भी कहीं आजावो लपेटे मे.
आप सोच ही सकते हैं कि कितना परेशान सब हो रहे हैं. जैसे बारिश के लिये सभी बाबा लोग यज्ञ हवन पूजन शुरु कर देते हैं उसी तरह सभी आश्रमों मे अनाम / अनामिकाओं के इलाज के लिये उपाय शुरु हो गये हैं. राज भाटिया जी ने तो पूरा वैज्ञानिक खोजतंत्र ही शुरु कर दिया. अब शाश्त्री जी का फ़ोन आया ताऊ के पास. और ताऊ से जब राय मांगी गई तो ताऊ बला - इन अनाम अनामिकाओं को पकडने का काम हमारे लिये तो बांये हाथ का खेल है.
शाश्त्री जी बोले - यार ताऊ तुम तो वाकई कोरे हरयाणवी लठ्ठ ही हो? अरे क्या जब हमारी बारात निकल जायेगी तब पकडोगे?
ताऊ बोला - बात ऐसी है कि इसके लिये शमशान साधना करनी पडेगी. अब तक राज भाटिया भी आ चुके थे. वो बोले ताऊ करो जरुर करो.
ताऊ बोला - श्मशान साधना अकेले से नही होगी. साथ मे तुम दोनों को भी चलना पडेगा नहा धोकर और बाबाजी बनकर एक तांत्रिक अनुष्ठान करवाना पडेगा. तब देखना - अनुष्ठान पुर्ण होते होते वो अनाम कुमार या अनामिका कुमारी वहां खुद चल कर आजायेगे. और माफ़ी मांगेंगे..पर हम उसे बोतल मे बंद करके दरिया में डाल देंगे.
अब राज भाटिया जी और शाश्त्री जी इन दकियानुसी बातों मे विश्वास नही करते थे. पर क्या करें? डर के मारे दोनो ने आपस मे विचार विमर्श किया और यह समझा कि लगता है ताऊ इस बहाने हमसे कुछ रुपया पैसा वसूल करेगा. बाकी इन तांत्रिक अनुष्ठानों से कुछ होने वाला नही है. दोनों ने आकर ताऊ से पूछा - इस अनुष्ठान मे खर्च कितना आयेगा?
ताऊ बोला - अरे यारों , आपने मुझे हमेशा के लिये ही ऊठाईगिरा समझ लिया क्या? अरे ठीक है मैं कभी कभी चोरी बेईमानी डकैती कर लेता हूं पर ब्लाग जगत से ऐसा नही कर सकता . खर्चा सब मेरे जिम्मे. बस अगर आप लोगों का काम हो जाये तो आश्रम मे सब लोग मिलकर जितना चाहो लगा देना. पर काम होने के बाद.
तो अब तीनों तैयार होकर यानि बाबा बनकर दुसरे दिन अमावस को श्मशान मे आधी रात को पहुंच गये. गीदडों की हुआं..हुआं की डरावनी आवाज....के बीच तीनों महातपस्वी बाबा पहुंच गये शमशान साधना के लिये. महाबाबाश्री ताऊ आनंद के आचार्यत्व मे अनुष्ठान करवाने के लिये. और क्या करें? आखिर ब्लाग जगत को तबाही से बचाने का भारी बीडा जो ऊठा लिया था.
बाबा श्री ताऊ आनंद ने हवन मे नमक मिर्च लोबान की पहली ही आहुति डाली तो भाटिया जी और शाश्जीत्री को खांसी छुट गई पर बाबाश्री ने बीच मे बोलने को मना किया हुआ था. और ताऊ बाबा ने उनको सब विधी समझा कर अनुष्ठान चालु कर दिया.
ताऊ बाबा - खट स्वाहा: स्वाहा ..स्वाहा..खट खटाखट आहा.
बाबा भाटिया - ला पकड ला अनाम और अनामिका फ़ट फ़टाफ़ट स्वाहा...
बाबा शाश्त्री - पी जहर का घूंट गट गटागट स्वाहा..
तीनों बाबाओं का सम्मिलित स्वर : हाजिर कर..अनाम/अनामिका को... टपा टप.. शमशान भवानी...डाकिनी..काकिनी..जय श्मशान माई...जल्दी कर..बुला..बुला..फ़ट स्वाहा..स्वाहा..स्वाहा..आहा...
बाबा ताऊ : जल्दी प्रकट होजा...वर्ना मारुंगा चांटा..चट चटाचट स्वाहा..
बाबा भाटिया : मार ही दे ताऊ पट पटापट स्वाहा..
बाबा शाश्त्री : कुछ आवाज आई ठक ठकाठक स्वाहा..
तीनों बाबाओं का सम्मिलित स्वर : हाजिर कर..अनाम/अनामिका को... टपा टप.. शमशान भवानी...डाकिनी..काकिनी..जय श्मशान माई...जल्दी कर..बुला..बुला..फ़ट स्वाहा..स्वाहा..स्वाहा..आहा...
तीनों बाबाओं का सम्मिलित स्वर : हाजिर कर..अनाम/अनामिका को... टपा टप.. शमशान भवानी...डाकिनी..काकिनी..जय श्मशान माई...जल्दी कर..बुला..बुला..फ़ट स्वाहा..स्वाहा..स्वाहा..आहा...
और इस तरह तीनों विभुतियों ने अपने प्राणों कि बाजी लगाकर तांत्रिक अनुष्ठान शुरु कर दिया..तीनों के सम्मिलित स्वर मे गजब का तांत्रिक अनुष्ठान चल रहा था. फ़ट फ़टाफ़ट स्वाहा ....गट गटागट स्वाहा.... चट चटाचट स्वाहा.. ओम गटागट आहा...स्वाहा...
....... फ़ट फ़टाफ़ट स्वाहा ....गट गटागट स्वाहा.... चट चटाचट स्वाहा......... फ़ट फ़टाफ़ट स्वाहा ....गट गटागट स्वाहा.... चट चटाचट स्वाहा.
....... फ़ट फ़टाफ़ट स्वाहा ....गट गटागट स्वाहा.... चट चटाचट स्वाहा. ....... फ़ट फ़टाफ़ट स्वाहा ....गट गटागट स्वाहा.... चट चटाचट स्वाहा.
अब भाटिया जी अचानक चिल्लाये..ताऊ बाबा देखो जरा कोई कट कटाकट स्वाहा..करता हुआ आरहा है. अब ताऊ बाबा आनंद बोले - अरे भाटिया जी..आपने अनुष्ठान के बीच मे बोल कर सारा अनुष्टान ही खराब कर दिया.. बीच मे नही बोलना चाहिये था. अब अगली अमावस पर फ़िर से आकर करना पडॆगा.
शाश्त्री जी बोले - तो ताऊ अगली अमावस तो एक महिना बाद आयेगी?
ताऊ - तो क्या हुआ ? जब तक अनाम कुमार और अनामिका कुमारी को मजे लेने दो. तब तक हम साधना करके अपनी शक्ती बढायेंगे.
भाटिया जी - मुझे मालुंम था ताऊ. तुम ऐसा ही कोई दोष मेरे मत्थे लगाओगे और उनको पकडने नही दोगे.
ठीक है ताऊ अब तुम करते रहना अपना अनुष्ठान..मैं तो अरविंद मिश्रा जी के पास बनारस जारहा हूं वहीं वैज्ञानिक विधि से खोज बीन करुंगा.
अब किसी को अगली बुधवारी अमावश को अनुष्ठान मे शामिल होना हो तो सूचना देवे. हमको विश्वस्त भक्तों की नितांत आवश्यकता है.
और चलते चलते पुछल्ला यह है कि पुरुषों को अब चुगलखोरी के रस का पान करने की आदत डाल लेनी चाहिये. भाईयों उठो जागो और इस पर महिलाओं का एकाधिकार तोड दो. आज यही आपकी सबसे बडी जरुरत है. इस रस के पान से बडी अनन्य तृप्ति प्राप्त होती है यह सु. शेफ़ाली पांडे तो आज कह रही हैं किंतु हरीशंकर जी परसाई वर्षों पहले कह गये हैं. अगर फ़ुरसतिया जी अमेरिका से भारत आये हुये हों तो वो भी इस बात का समर्थन करेंगे.
और अब देखिये यह प्रसिद्ध हरयाणवी लोक गीत, जिसे परफ़ोर्म कर रही हैं प्रसिद्ध रशियन कत्थक नृत्यांगना सुश्री स्वेतलाना निगम. और फ़िर इस गीत को सुन देख कर ताजा दम होकर अनाम /अनामिकाओं की आत्मा की शांति के लिये प्रार्थना किजिये. क्युंकि अगली अमावस को तो बाबाश्री उसको पकड ही लेंगे और बोतल मे बंद करके दरिया मे बहा देंगे.
बाबा की जय हो, आज जमाना बाबाओ का है, तो उनकी पुजा भक्ति करनी ही पडेगी
ReplyDeleteराम राम जी...
जय हो - जय हो महात्मा जी लोंगो ,अब अनाम -बेनामी को स्वाहा कर के ही पूजन बंद करियेगा नहीं तो बीच पूजन में यदि विघ्न पड़ गया तो आयी बला -फिर न जाये बला .
ReplyDeleteआपका हरियाणवी गीत तो न दिख रहा है- न सुनाई पड़ रहा है कृपया पुनः लोड कर लें .
बड़े बूढे कहा करते थे..सत्संग जाया करो...मगर एक हामी थे जो कभी नहीं माने...उनका कहना था यदि बाबा लम्पट हों तो प्रवचन के साथ....और भी कई आनंद मिल सकते हैं...आज ही जाना ..कितने सही थे वे ...जय हो..बाबा ...
ReplyDeleteबाबा ..कोई स्कीम नहीं चलायी ..मसलन ..एक बार मेम्बरशिप लेने पर साल भर तक अनामी ..मुफ्त पकड़ के दिए जायेंगे...
ताऊ इबके तो मन्ने लागे है ...कोई खोपडी ही पूछी जागी पहलियाँ भूझन नू...या बिल्लन ते क्यूँ न बिठाया जप-टाप में..सूना भूटान बड़े डरा करे हैं यो बिल्ले-बिल्लन से...सच है के.....
परमपुज्य श्री श्री श्री 419, महाबाबाश्री ताऊ आनंद एवम
ReplyDeleteश्री श्री श्री 420 महाबाबाश्री समीरानंद महाराजजी
के चरणो मे कोटि-कोटी वन्दन..
हे बाबाजी! अनाम कुमार और अनामिका कुमारी को पकडने के लिए शमशान साधना तो .
श्री श्री 421 बाबा शाश्त्रीजी,
श्री श्री 422 बाबा भाटियाजी,
की वजह से विफ़ल हो गई.अब क्या होगा ? परमपुज्य श्री श्री श्री 419,महाबाबाश्री ताऊ आनंदजी! आप त्रिलोकीनाथ है, दयालु है यह तो आपके चेहरे को देख ही आभास होता है. ब्लोग-लोक मे आपकी तुति बोलती है.
श्री श्री श्री 420महाबाबाश्री समीरानंद महाराजजी भी चमत्कारि है. पर अनाम कुमार और अनामिका कुमारी ने तो उनकि नाक मे भी दम कर दिया है. अब एक आपका ही सहारा है बाबाजी.
बस आप कैसे भी टोटका-मोटका करके हिन्दि चिट्ठाकारो को अनाम कुमार और अनामिका कुमारी के कहर से बचाए. बेचारे ब्लोग-लोक वाले मेल बक्सा खोलने से डरते है. जैसे कोई भूत आ गया हो.....
अनाम कुमार और अनामिका कुमारी के आतक ने ब्लोग-लोक वालो को इतना डरा दिया है कि बेचारे नई पोस्ट प्रसारित करने से पहले अपने चिट्ठे के तमाम दरवाजो को चेक कर आते है कि कही से कोई ताला खुला हुआ तो नही ?
मुम्बईटाईगर
हे प्रभु यह तेरापन्थ
ताऊ आरती और अनुष्ठान के बाद अब भुल जाओ.. वैसे दो तीन दिन से मुझे लग रहा है कि कुछ फर्क पड़ रहा है.. क्या ख्याल है आपका?
ReplyDeleteमंत्र पुरे याद कर लिये..:) हमें बचा कर रखेगें न..
अनाम कुमार और अनामिका कुमारी स्वाहा.. (पता नहीं ये श्राप है या वरदान) :-)
ReplyDeleteपूजा प्रवचन के बीच में डांस
ReplyDeleteपप्पू को नहीं बुलायेंगे तो
अगली अमावस या पूर्णिमा को भी
संपन्न नहीं कर पायेंगे।
अनामी/बेनामी और अनामिका ने भी एक यज्ञ पूर्ण कर लिया है। उनको ब्लॉगदेवता का आशीर्वाद मिल चुका है। वे कहते हैं कि पहचान सको तो पहचान लो, पकड़ सको तो पकड़ लो और रोक सको तो रोक लो। हम तो यूं ही टिप्पणियां ठोंके जायेंगे।
अब ठीक है ,यह प्रसिद्ध हरयाणवी लोक गीत तो बहुत सुंदर है .
ReplyDeleteतीनों बाबा लोग जोरदार लग रहे है... हा हा हा मंतर का असर हो रहा लगता है.
ReplyDeleteफिलहाल तो हँस रहा हूँ...मजा आया.....
वाह महान बाबाओं की जय. पर लगता है अब पक्के से इलाज हो जायेगा. लगता है जाल काम कर सक्ता है.:)
ReplyDeleteवाह महान बाबाओं की जय. पर लगता है अब पक्के से इलाज हो जायेगा. लगता है जाल काम कर सक्ता है.:)
ReplyDeleteबाबा ताऊ : जल्दी प्रकट होजा...वर्ना मारुंगा चांटा..चट चटाचट स्वाहा..
ReplyDeleteबाबा भाटिया : मार ही दे ताऊ पट पटापट स्वाहा..
बाबा शाश्त्री : कुछ आवाज आई ठक ठकाठक स्वाहा..
वाह जय हो बाबाश्रियों की. बहुत गजब की साधना की है बाबा महारज.:)
बाबा ताऊ : जल्दी प्रकट होजा...वर्ना मारुंगा चांटा..चट चटाचट स्वाहा..
ReplyDeleteबाबा भाटिया : मार ही दे ताऊ पट पटापट स्वाहा..
बाबा शाश्त्री : कुछ आवाज आई ठक ठकाठक स्वाहा..
वाह जय हो बाबाश्रियों की. बहुत गजब की साधना की है बाबा महारज.:)
जय हो बाबा महाराज की.
ReplyDeleteआपका ये अनुष्ठान तो असफल होना ही था......."तीन तिगाडे काम बिगाडे" वाली कहावत नहीं सुनी क्या आपने!! अब अगर आगे भविष्य में कोई अनुष्ठान/तंत्र-मंत्र/साधना करने का विचार हो तो अब की बार हमें जरूर साथ ले चलिए....हमारे पास इन सब का पिछले छत्तीस साल का तजुर्बा है!!!
ReplyDeleteआशा है अगले सप्ताह कथा के बाद एक भजन भी सुनाया जाएगा.
ReplyDeleteजय बाबा की.
जय हो बाबा महाराज जी की बाबा जी आप भी हम जेसे अनडियो को ले कर इतना बडा हवन करो गे तो ऎसा ही होगा, अब डरिये कही यह अनामिका ओर प्यासी आत्माये एक महीना तक फ़िर से ना लोगो को तंग करे, कोई मंत्र जरुर फ़ुंक दे.
ReplyDeleteजय स्वामी ओर बाबा महाराज जी की
ॐ पूर्णाहुति !
ReplyDeleteजय हो बाबाओं की। समस्या खड़ी की है गूगल बाबा ने। अब जिस ने चोंच दी है वही चुग्गा भी देगा।
ReplyDeletejai ho baaba sameeranand ji ki........
ReplyDeleteअनामी-बेनामीयों का तो पता नहीं क्या होगा। पर कुनामी- सुनामी जरुर आने लगेंगे अपनी विपदा मिटवाने।
ReplyDelete'आशा है अगले सप्ताह कथा के बाद एक भजन भी सुनाया जाएगा.' और कुछ ब्राह्मणों को फाइव स्टार में भोजन भी :)
ReplyDeleteवाह वाह वाह,
ReplyDeleteमजा आ गया, जबरदस्त कलाकारी दिखाई!!!
जय हो बाबा ताऊ आनंद की | बाबा कही ये यज्ञ " कुल्हाडी के हल्वे " की तरह तो नहीं |
ReplyDeleteताऊ कैसे भी करो, दूर करो संताप
ReplyDeleteहम सब तेरे भक्त हैं,क्यों कर रहे प्रलाप
क्यों कर रहे प्रलाप,अनाम को सबक सिखाओ
अनामिका को सोंप,हमें तुम पुण्य कमाओ
हालचाल-सब ठीक है। अब शिकायत का मौका नहीं दूंगा। आप के घर-परिवार में सब कुशल-मंगल रहे। अब बजरिए ब्लाग मिलना-जुलना होता रहेगा।
इसीलिए कह रहे थे कि नकली बाबा बना कर मत ले जाओ शास्त्री जी और भाटिया जी को..तुड़वा दिया न यज्ञ. अगली बार हमारे साथ चलना और बाबा फुरसतिया जी को भी लेते आना.
ReplyDeleteफोटो मस्त कर गई. :)
हे ब्लागजगत के उपकार हेतु नित्य तपस्यारत महाबाबाओं! इस लोककल्याणकारी अनुष्ठान में इस तुच्छ मानव को भी सहभागी समझें। ये अच्छा किया कि इस साधना के लिये साबर मंत्र चुना, वही साबर मंत्र जो शिव ने पार्वती के कानों में कभी कहा था-
ReplyDeleteकलि बिलोकि जग हित हरि गिरिजा
साबर मंत्र जाल जिन्ह सिरिजा
अनधड़ आखर अरथ न जापू
प्रगट प्रभाउ महेस प्रतापू
और मंत्र जानने हों तो आपको भटकती आत्मा प्रकाशन से प्रकाशित भयावह शास्त्र का पारायण करना पड़ेगा। और अमावस्या को रात में पुस्तक कैसे पढ़ेंगे, इसके लिये निम्न अनुभूत तांत्रिक प्रयोग करें-
उल्लो के कपाल के चूर्ण से निर्मित अंजन आंखों में लगायें, इस संबंध में प्रमाण देखें-
उल्लूकस्य कपालेन क्षतेनाहत कज्जलम
तेन नेत्रांजनं कृत्वा रात्रौ पठति पुस्तकम
taaoooo, chele to na chahiye????
ReplyDeleteलगता है ब्लॉगजगत में घोर बेनामयुग (कलियुग का ब्लागिया संस्करण) आ गया है। बाबा समीरानंद आश्रम में तो इनका स्तुतिगान हो ही रहा है, यहां भी हवन-जाप चालू है। भाई अब तो ब्लॉगजगत में इन बेनामी देव का एक मंदिर भी बनना चाहिए :)
ReplyDeleteलगे रहें. ये बेशर्म किस्म के लोग हैं. चमड़ी बड़ी मोटी है. सावधान..
ReplyDeleteताऊ जी श्मशान मे काले उल्लू को ढूंढ कर उसके बायें पंजे की तीसरा नाखून काट लाओ फ़िर देखना काले जादू का कमाल।सारे के सारे दौड़े चले आयेंगे आपके पास,बाबा माफ़ कर दो कहते हुये।
ReplyDeleteजय हो!
ReplyDeleteये बेनामी तो सुनामी से भी बडी भायंकर है, जिसने ताऊ को भी लठ्ठ उठाने को मजबूर कर दिया.
बाबा समीरानंद की आरती भी बडी बढिया है. अगर समय होता तो उसकी रिकोर्ड बनवा देता. चलो ट्राई करने में क्या हर्ज है? कराओके ढूंढना पडेगा.
:-)
ReplyDeleteबाबा रे
ये तो कडा अनुष्ठान चल रहा है ..
स्वेतलाना जी का नृत्य सुँदर लगा
- लावण्या
महारत हासिल कर लें।कुछ दिन में बाबा लोगों से छुटकारे पाने के लिये ऐसेइच साधना होगी। :)
ReplyDeleteचित्र तो गज़ब के लगाए हैं ताऊ, खासकर बाबा समीरानंद जी. भाई अभिषेक ओझा जी की सलाह पर भी ध्यान दिया जाए (हमारे हिस्से के लड्डू डाक से भेजे जा सकते हैं)
ReplyDeleteस्वाहा !
ReplyDeleteआहा !
सही है जब दुनिया भर के गेजेट इन्हें [अनामी को]न पकड़ पायें तो अनुष्ठान का ही सहारा बाकि रहता है..
ReplyDeleteचित्र बहुत ही खूब लगाये हैं!
-नृत्य विडियो बहुत अच्छा है.
waah bhai waah... sahi kaha hai babaon ke bare mein..
ReplyDeletemeet
ताऊ जी राम-राम तथा तीनों बाबाओं को भी राम-राम।
ReplyDeleteबङा ही खूंखार हवन था ये, मुझे डर लगने लगा था।
ताऊ जी ऐसे डराया न करें इन बाबाओं को कहिएगा अगली बार चुपचाप और शांत मंत्रों का उच्चारण करें। भक्तों को डरायें न।
ॐ हीम मलूका मलूका डिगा डिगा हाहुआ फ़तताअयीईए नां इ स इ बीनमीईईईई फट फूट फ़ुट फूत फतम
ReplyDeleteइस मन्त्र का जाप करे. ब्लागजगत पे छाए संकट के बादल दूर हो जायेंगे. और पूजा पाठ की सामग्री मान नर्मदा में सिरवा दे .
ॐ हीम मलूका मलूका डिगा डिगा हाहुआ फ़तताअयीईए नां इ स इ बीनमीईईईई फट फूट फ़ुट फूत फतम
ReplyDeleteइस मन्त्र का जाप करे. ब्लागजगत पे छाए संकट के बादल दूर हो जायेंगे. और पूजा पाठ की सामग्री मान नर्मदा में सिरवा दे .
ताऊजी अब तो आपका और बाबा् स्मीरानंद जी पर ही उमीद है बाबा जी की आरती तो हम्ने कर ली मगर आपके हवन मे अभी अहूति नहीं डाली अगली अमावस तक इन्त्ज़ार करते हैं तब तक शुभकामनाये
ReplyDeleteहाँ वो गीत भी अनाम ही रहा
Babaon se bach kar rahiye. kahin unki atma ne kisi blogger ko pakad liya to badi musibat hogi.......U r most welcome at my Blog "Shabd-Shikhar".
ReplyDeleteसंकट कटै, मिटै सब पीरा।
ReplyDeleteजो सुमिरै, कनफटा समीरा।।
रूप बनाया कितना सुन्दर।
ताऊ बैठा बनकर बन्दर।।
राड भाटिया, बना कलन्दर।
खूब जँच रहे सभी सिकन्दर।।
देख महा-गुरुओं की माया।
बेनामी का सिर चकराया।।
Om Swaha Sawahaaa swahaaaa...
ReplyDeleteताऊ ...चुगलखोरी पर अधिकार
ReplyDeleteकरने की जब जब सोचोगे
अनाम और अनामिकाओं
भूत प्रेतों और आत्माओं
से खुद को घिरा पाओगे
लाख मंत्रों का जाप करो
समीर और राज को साथ रखो
इनसे पीछा ना छुड़ा पाओगे
ताऊ ...चुगलखोरी पर अधिकार
ReplyDeleteकरने की जब जब सोचोगे
अनाम और अनामिकाओं
भूत प्रेतों और आत्माओं
से खुद को घिरा पाओगे
लाख मंत्रों का जाप करो
समीर और राज को साथ रखो
इनसे पीछा ना छुड़ा पाओगे
श्री 425 श्री ताऊ जी महाराज,
ReplyDeleteतीनों गुरुओं की साधना का असर हुआ है. देखिये न सारथी पर कुमार नामरहित और कुमारी नामरहित किसी तरह की टिप्पणी नहीं पेल पा रहे हैं.
इन की और भी कई चीजें "रहित" हैं, लेकिन उसके बारें में कभी और लिखेंगे.
फिलहाल मैं कोच्चि में नहीं हूँ
सस्नेह -- शास्त्री
हा हा हा हा.....लाजवाब !!!
ReplyDeleteक्या फोटो लगाया आपने और व्यंग्य....वाह वाह वाह !!! आनंद आ गया...
ताऊ तीनो बाबा की फोटु घणी जोर की लगा रखी सै । मंत्र तंत्र भी जबरे करै है ।
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