आज ६ जुलाई का पावन दिवस है. मानव शरीर मे जितने भी सुकर्म किये जा सकते हैं, उन सभी सुकर्मों को करने मे अग्रणी रहे दलाई लामा जी का आज जन्म दिवस है. उनको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं. ईश्वर उनको अच्छे स्वास्थ्य के साथ लंबी उम्र दे ताकि यह मानव सेवा का कार्य अनवरत चलता रहे.
पिछले महिने मैनेजमैंट इंस्टिट्युट मे एक लेक्चर देने वो हमारे शहर मे पधारे. उसी रोज उनके दर्शन का प्रथम बार सौभाग्य मिला. उनके चेहरे पर गजब का आकर्षण है जिस पर एक बाल सुलभ मुस्कान हमेशा खेलती रहती है. बात बात मे चुटकियां लेते हुये सहज मजाक उनकी आदत है. एक पत्रकार ने पूछा कि आप इतनी विषमताओं के बीच भी मजाक करके हंस कैसे लेते हैं?
उनका जवाब था - हास्य भी एक प्रकार का योग है. अच्छे स्वास्थ्य और मन की तंदरुस्ती के लिये निहायत ही आवश्यक है. बस तबसे हमको लगा कि अपना ताऊ बनना धन्य हुआ. क्या रखा है दो कौडी की गंभीरता ओढकर रखने में. पर यहां कुछ लोग नही चाहते कि हास्य रहे जीवन मे. बस उनको तो फ़ोकट गंभीरता ओढने की लगी है. सारी कायनात का बोझ उनके कांधों पर ही है. उन्हें हंसी ठ्ट्ठा गंभीर अपराध लगता है.
भाई आप रहें आपकी दुनियां मे गमगीन होकर. हमने कब मना किया है? पर हमको दिशा निर्देश देने वाले आप कौन? हम आपकी गलियों से दूर रहेंगे. हां कभी आपको हमारी जरुरत हो हंसने के लिये, तो हमारी दुकान के दरवाजे हमेशा सबके लिये खुले हैं. आपका भी स्वागत है.
अभी एक ब्लागर मित्र का ईंटर्व्यु ले रहे थे. उन्होने ताऊ से सवाल पूछ लिया - ताऊ ये बताओ कि किसी ब्लाग की लोकप्रियता का क्या पैमाना है?
जवाब बिल्कुल सीधा और साफ़ है बंधू - बहुत सिंपल है यह जानना तो. आपको जिस ब्लाग की लोकप्रियता जाननी है उसके बारे मे यह पता करो कि उसके पीछे कितने जलकुक्कड / जलकुक्कडियां लगी हैं?
जिसके पीछे सबसे ज्यादा इर्ष्यालू लोग/लुगाईयां लगे हों..जहां सबसे ज्यादा अनाम और अनामिकाओं का आना जाना हो..और साथ मे अमजद खान (शोले फ़ेम) स्टाईल की टिपणियां आती हों...जिसके बारे मे अनाम पोस्ट की जाती हों? समझ लो वही आज का सबसे हिट ब्लाग है.
तो दोस्तो, मस्त रहो. हाथी चलता रहेगा..कुछ कुकुर टाईप के लोग अपनी भडांस निकालते रहेंगे. ज्यादा खोज बीन करेंगे तो ..और गलत फ़हमियां पनपती रहेंगी..कई अच्छे दोस्त दुश्मन बनते रहेंगे...यहां ना कोई आई.पी.एडरेस काम आयेगा और ना कोई मीटर काम आयेगा. सिर्फ़ आपका जुनुन और चंद हमदर्द दोस्तों का सहारा ही आपको यहां टिका कर रख सकता है. अगर आपको यह सब मंजूर नही है तो समझ लिजिये ब्लागिंग आपके लिये नही है. अगर ब्लागिंग करना है तो इस प्यार के कुछ साईड इफ़ेक्ट हैं जो लाइलाज हैं. और उनके साथ ही रहना पडेगा.
-ताऊ रामपुरिया
अक्सर कुछ गीत, गज़ल, कथा जिसे कहीं हम पढ़ते हैं, वो इतने पसंद आते हैं कि दूसरों को पढ़वाने का मोह हम रोक नहीं पाते. बहुत अच्छी बात है अच्छी चीजों की जानकारी सबके साथ बांटना किन्तु ऐसी स्थिति में अगर वह नेट पर उपलब्ध है तो उसकी तारीफ में या समीक्षा में कुछ पंक्तियों का आलेख देकर उसका लिंक देना उचित तरीका है. जिसने लिखा है, असल हिट का हकदार तो वो ही है. अगर आप अपने ब्लॉग पर उसे प्रस्तुत कर देंगे तो वहाँ कौन जायेगा? यदि आपने वह नेट की बजाय कहीं और पढ़ी है तो रचनाकार का नाम और जहाँ पढ़ी है, उस पुस्तक का नाम और अंक देना मत भूलिये. रचनाधर्मिता यही कहती है. और यदि आपने कहीं सुनी है या याददाश्त से लिख रहे हैं और रचनाकार का नाम न ज्ञात हो तो इसे पोस्ट के शुरुवात में ही स्पष्ट कर दें और यह बता दें कि यह रचना जो आप पढ़वाने जा रहे हैं, वो आपकी लिखी नहीं है और रचनाकार का नाम आपको ज्ञात नहीं है. पाठकों से निवेदन भी कर लें कि यदि उन्हें रचनाकार का नाम मालूम हो तो आपको सूचित करें ताकि आप रचनाकार का नाम रचना के साथ जोड़ सकें. किसी भी हालत में बिना रचनाकार के नाम के या उसके अज्ञात होने की दशा में इस बात के स्पष्टिकरण के और यदि रचनाकार ईमेल इत्यादि माध्यम से उपलब्ध हो, तो उसकी अनुमति के बिना रचना को छापना अनुचित है. कभी भी दूसरे रचनाकार की रचना अपने नाम से, या आपके द्वारा रचित होने का आभास दिलाते हुए न छापें. पता चल जाने की स्थिति में आप अपनी विश्वसनीयता खो देते हैं जिसे वापस पाना सरल नहीं होता. चलते चलते: मेरे जख्मों से जरुरी है जो, वो ही बात रही जाती है मरहम तू उस पार लगा, खून की दरिया बही जाती है. -फिर मुलाकात होगी अगले सप्ताह!! |
'पंजाब -' Smiling soul of India'.' भारत के उत्तरपश्चिम में पंजाब राज्य है ,जिसके पश्चिम में पाकिस्तान और उत्तर में जम्मू और कश्मीर राज्य ,उत्तरपूर्व में हिमाचल प्रदेश तथा दक्षिण में हरयाणा और राजस्थान राज्य हैं. यह सभी जानते हैं कि 'पंजाब', फारसी शब्द 'पंज'= पांच और 'आब' =पानी के मेल से बना है जिसका शाब्दिक अर्थ 'पांच नदियों का क्षेत्र' है. ये पांच नदियां मानी गयी हैं: सतलुज, व्यास, रावी, चिनाब और झेलम. आज़ादी के बाद सन् 1947 में हुए भारत के विभाजन के दौरान चिनाब और झेलम नदियां पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में चली गयीं. २० जिलों के इस खूबसूरत जिंदादिल राज्य में चार नदियाँ बहती हैं-सतलुज,ब्यास,रावी,और घग्गर . पंजाब की भूमि बहुत ही उपजाऊ है.गेंहू और चावल की फसल का उत्पादन मुख्य रूप से होता है.सिंचाई के लिए ११३४ सरकारी नहरें हैं! क्षेत्रफल-50,362 वर्ग किलोमीटर है और जनसँख्या २००१ कि जनगणना के अनुसार २४३.५९ लाख है और साक्षरता ५२% है. लोकसभा की १३ सीटें और विधानसभा के लिए ११७ सीटें इस राज्य से हैं. यहाँ मुख्य रूप से पंजाबी और हिंदी भाषा बोली जाती हैं.इस राज्य का पशु-काला हिरन है और राज्य का पक्षी 'बाज़' है.राज्य का पेड़-'शीशम 'है. मौसम-गरमी [अप्रैल से जून],सर्दी [अक्टूबर से मार्च] और बरसात[जुलाई से सितम्बर ] तीनो ही ऋतुओं का आनंद यहाँ ले सकते हैं. 'चंडीगढ़ ' इस राज्य की राजधानी है जिसके बारे में हम पत्रिका के पिछले अंक में बता चुके हैं. पंजाब की पावन भूमि को संतों की नगरी तो कहा जाता ही है मगर यहाँ कुछ इतिहासिक युद्ध भी लड़े गए हैं. पुरातत्व जानकारियों और सम्बंधित सामग्रियों का यहाँ खजाना ही है. यहाँ बहुत सी जगहें देखने योग्य हैं ख़ास कर --अमृतसर का स्वर्ण मंदिर,भाखरा नंगल बाँध,स्टील सिटी-गोविन्दगढ़, आनंद्पुर साहिब, और खन्ना ' में विश्व की सब से बड़ी अनाज मंडी. जो भी एक बार यहाँ आया है वह यहाँ के लोगों की आत्मीयता और प्रेम की छाप मन में ले कर ही गया है. राज्य के मुख्य शहर हैं- १-अमृतसर ,२-जालंधर,३-लुधियाना और ४-पटियाला चलिए आज लिए चलते हैं आप को शहर' अमृतसर ' अमृतसर का नाम 'अमृत सागर' से पड़ा.गुरु रामदास ने इस शहर की नींव रखी थी. पूरा शहर स्वर्ण मंदिर के चारों और बसा हुआ है.. क्या देखें?- १-यहाँ देखने के लिए मुख्य रूप से हरमिंदर साहिब गुरुद्वारा[स्वर्ण मंदिर] है इस के अलावा पुराना शहर भी देखें - इसके चारों तरफ दीवार बनी हुई है. इस के बारह द्वार अमृतसर की कहानी बताते हैं . स्वर्ण मंदिर के बारे में विस्तार से बताने से पहले अन्य पर्यटक स्थलों के बारे में बता देती हूँ- २ -जलियांवाला बाग 3-राम बाग़, और महाराजा रणजीत सिंह का summer पैलेस. ४ -फतेहाबाद की मस्जिद, ५-खालसा कोल्लेज और गुरु नानकदेव university ६-तरन तारण[गुरु अर्जुनदेव ने बनवाया था] ७-गोईन्द्वाल. ८- खादुर साहिब, ९-राम तीर्थ[महारिषी वाल्मीकि से सम्बंधित] १०-बाबा बाकला-रक्षा बंधन के दिन हर साल यहाँ भारी मेला लगता है. ११-डेरा बाबा जैमाल सिंह- १२-दुर्गिअना मंदिर. १३-वाघा बॉर्डर-भारत और पाकिस्तान के बीच की अंतर्राष्ट्रीय सीमा . अमृतसर विश्व में पंजाबी साहित्य का अग्रणी पब्लिशिंग केंद्र है. कैसे जाएँ- अमृतसर का 'राजा सांसी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा अंतर्राष्ट्रीय एअरपोर्ट है. यह शहर सड़क ,रेल और वायु मार्गों से सभी प्रमुख शहरों से जुडा हुआ है. कब जाएँ--वर्ष पर्यंत अब जानते हैं विस्तार से अमृतसर के स्वर्ण मंदिर के बारे में - श्री हरमंदिर साहिब या श्री दरबार साहिब या स्वर्ण मंदिर - जी हाँ ,अमृतसर स्थित सिखों के सब से पावन मंदिर को 'श्री हरमंदिर साहिब या श्री दरबार साहिब या स्वर्ण मंदिर भी कहा जाता है.स्वर्ण मंदिर इस लिए भी कहा जाता है क्योंकि पूरे मंदिर पर सोने की परत चढाई गई है! इस मंदिर की वास्तुकला में सभी धर्मो के संकेत चिन्हों को स्थान दिया गया है जो सिखों की सहनशीलता और स्वीकारियता का प्रतीक है.सिखों के पांचवें गुरु श्री अर्जुनदेव जी ने इस स्थान की कल्पना की थी और स्वयं इस स्थान का डिजाईन तैयार किया. पहले इसमें एक पवित्र तालाब ( अम़ृत सरोवर) बनाने की योजना गुरू अमरदास साहिब द्वारा बनाई गई थी, जो तीसरे नानक कहे जाते हैं परन्तु गुरू रामदास साहिब ने इसे बाबा बुद्ध जी के पर्यवेक्षण में निष्पादित किया.सरोवर का निर्माण कार्य और साथ ही शहर का निर्माण 1570 में शुरू हुआ. दोनों परियोजनाए1577 ए.डी. में पूरी हुईं. गुरू अर्जन साहिब ने लाहौर के मुस्लिम संत हजरत मियां मीर जी द्वारा इसकी आधारशिला रखवाई जो दिसम्बर 1588 में रखी गई. इसके निर्माण कार्य कि देखभाल खुद गुरू अर्जुन साहिब करते थे,और बाबा बुद्ध जी, भाई गुरूदास जी, भाई सहलो जी और अन्य कई समर्पित सिक्ख बंधुओं ने उन्हें सभी संभव सहायता दी. गुरू साहिब ने इसे जाति, वर्ण, लिंग और धर्म के आधार पर किसी भेदभाव के बिना ,प्रत्येक व्यक्ति के लिए आसानी से उपलब्ध यह पूजा - स्थल बनाया. श्री हरमंदिर साहिब परिसर में दो बडे़ और कई छोटे-छोटे तीर्थस्थल हैं.'पूरा स्वर्ण मंदिर सफेद पत्थरों से बना हुआ है और इसकी दीवारों पर सोने की पत्तियों से नक्काशी की गई है.'यह मंदिर एक पुल द्वारा किनारे से जुड़ा हुआ है. श्री हरमंदिर साहिब का निर्माण सरोवर के मध्य में 67 वर्ग फीट के एरिया में मानव निर्मित द्वीप पर सरोवर के बीच में किया गया है. मंदिर का क्षेत्रफल ४०.५ फीट है.इस में चारों दिशाओं की तरफ दरवाजे खुलते हैं.[इनमें से एक द्वार गुरू रामदास सराय का है] दरवाजों पर खुबसूरत कलात्मक कलाकारी से संवारा है..इस भवन में एक भूमिगत तल है और पांच अन्य तल हैं, एक संग्रहालय और सभागार है.'दर्शन ड्योढी 'से एक रास्ता हरमिंदर साहिब के मुख्य भवन तक ले जाता है. एक छोटा सा पुल 13 फीट चौड़े प्रदक्षिणा (गोलाकार मार्ग या परिक्रमा) से जुडा है .जो मुख्य मंदिर के चारों ओर घूमते हुए "हर की पौड़ी" तक जाता है."हर की पौड़ी" के प्रथम तल पर गुरू ग्रंथ साहिब की सूक्तियां पढ़ी जाती हैं.सबसे ऊपर एक गोलाकार संरचना है जिस पर कमल की पत्तियों का आकार इसके आधार से जाकर ऊपर की ओर उल्टे कमल की तरह दिखाई देता है, जो आखिर में सुंदर "छतरी" वाले एक "कलश" जैसाप्रतीत होता है.मंदिर परिसर में पत्थर का स्मारक लगा हुआ है. जो जांबाज सिक्ख सैनिकों को श्रद्धाजंलि देने के लिए लगा है. इस में कोई शक नहीं है की हर सिख अपने जीवन में एक बार यहाँ दर्शन हेतु जरुर आना चाहता है.कहते हैं हर सिख का दिल यहाँ बसता है.एक सर्वेक्षण के अनुसार यह स्थल पर्यटकों द्वारा भारत में ताज महल से भी अधिक visit किया जाता है. यहाँ के अमृत सरोवर के पानी की भी ख़ास विशेषता है ,कहते हैं एक बार एक कोढ़ी यहाँ डुबकी लगाने मात्र से बिलकुल चंगा हो गया था. *यहाँ एक 'जुजूबे वृक्ष ' कि भी मान्यता है--कहा जाता है कि जब स्वर्ण मंदिर बनाया जा रहा था तब बाबा बुद्धा इसी वृक्ष के नीचे बैठे थे और मंदिर के निर्माण कार्य पर नजर रखे हुए थे. *अकाल तख्त के दर्शन करने के बाद श्रद्धालु पंक्तियों में स्वर्ण मंदिर में प्रवेश करते हैं. *दीवाली और अन्य पर्वों पर इस स्थान कि सजावट देखने भी लोग दूर दूर से आते हैं. और हाँ ....यहां चौबीस घंटे लंगर चलता है, जिसमें कोई भी प्रसाद ग्रहण कर सकता है. ****इस के साथ ही..मिलते हैं अगले सोमवार एक नए स्थान की जानकारी के साथ तब तक के लिए नमस्कार. |
बारिश सभी को इंतजार करा रही है, तरसा रही है। काश प्रकृति को जीत पाना संभव होता, कोई ऐसा बटन होता, जिसे दबा दो तो बारिश हो जाए। कोई किसान चिंता में नहीं रहता, कोई परिवार भूखा नहीं सोता। बहरहाल ऐसा कोई बटन तो नहीं है, लेकिन भारतीय संस्कृति की विविधता में ऐसे कई अंधविश्वास जरूर चले आ रहे हैं, जिन्हें बारिश कराने के टोटकों के रूप में भारत के विभिन्न प्रांतों में आजमाया जाता है। चंद अंधविश्वासों की एक बानगी- हाल ही इंदौर में बारिश के लिए टोटका करते हुए एक व्यक्ति ने अपनी ही शवयात्रा निकाली। यह शवयात्रा शहर के राजकुमार ब्रिज के ऊपर निकाली गई। रूढ़ीवादी मान्यता है कि ऐसा करने से शहर में अच्छी बारिश होती है। उत्तर प्रदेश के कई गाँवो में औरतें रात में बग़ैर कपड़े पहने खेतों में हल चला रही हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से देवता ख़ुश होकर धरती की प्यास बुझा देंगे। दंतकथाओं में राजाओं को ऐसा ही करते हुए बताया गया है। पूर्वी उड़ीसा में किसानों ने मेढको के नाच का आयोजन किया जिसे स्थानीय भाषा में 'बेंगी नानी नाचा ' के नाम से जाना जाता है। गाजे-बाजे के बीच लोग एक मेंढक को पकड़ कर आधे भरे मटके में रख देते है जिसे दो व्यक्ति उठा कर एक जुलूस के आगे चलते हैं। कुछ इलाक़ों में तो दो मेढकों की शादी कर उन्हें एक ही मटके से निकालकर स्थानीय तालाब में छोड़ दिया जाता है। कर्नाटक, पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में वर्षा के लिए यज्ञ-हवन हो रहे हैं। काश, हम सभी ये टोटके छोड़कर प्रकृति के संरक्षण का ख्याल करें, जिससे उसका संतुलन चक्र नहीं बिगड़े और हमें इंद्रदेव को यूं न मनाना पड़े। अगले हफ्ते फिर मिलेंगे..आपका सप्ताह शुभ हो.. |
प्रेम की कहानी बहुत समय पहले, जब इस दुनिया का निर्माण नहीं हुआ था और मनुष्य ने धरती पर कदम नहीं रखा था भगवान ने सभी मानव "गुण " एक अलग कमरे में रख दिए था. चूंकि सभी गुण एकांत की वजह से उस कमरे में उब गये तब उन्होंने ऊब मिटाने के लिये छुपा छुपी खेलने का फैसला किया . उन में पागलपन एक "गुण" था और वह चिल्लाया: "मैं गिनती करना चाहता हूँ, मैं गणना करना चाहता हूँ " और बाकी गुणों में कोई भी खेल मे गिनती करने को इतना पागल नहीं था इसलिए "पागलपन", के इस अनुरोध पर अन्य सभी गुण सहमत हो गये . "पागलपन" एक पेड़ के पीछे खडा होकर गिनती करने लगा एक दो तीन ..........सात.... "पागलपन" ने जैसे ही गिनना शुरू किया , सरे गुण छुपने लगे. राजद्रोह ".. कूड़े के ढेर में जा छुपा , झूठ ने कहा की वो पत्थर के नीचे छुपेगा लेकिन वो झील के नीचे जा छुपा. पागलपन की गिनती जारी रही ... उन्हासी, अस्सी, इक्यासी ... "इस समय तक, सभी गुण जा छिपे, सिर्फ " प्रेम " को छोड़ कर. बेवकूफ प्रेम ये फैसला नहीं कर पाया की वो कहां जा कर छुपे? हमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए क्योंकि हम सब जानते हैं प्यार छुपाना कितना मुश्किल होता है ? "पागलपन " ... पंचानबे, छियानबे, सत्तानबे ... "जब" पागलपन "सौ कहने ही वाला था की झट से प्रेम पास ही गुलाब की एक झाड़ी में कूद गया. और पागलपन पलटा और चिल्लाया: "मैं आ रहा हूँ, मैं आ रहा हूँ!" जैसे ही पागलपन घूमा " आलस" सबसे पहले पकडा गया क्योंकि "आलस" भी अपने छिपाने के लिए आलसी था, और समय से छुप नहीं पाया. "पागलपन" पागल होकर इधर उधर खोजता रहा और झूठ उसे झील के तल पर मिला और . एक एक करके, पागलपन ने सबको खोज लिया सिर्फ प्रेम को छोड़ कर. पागलपन बेताब होकर प्रेम को यहाँ वहां तलाश करता रहा मगर उसकी सारी मेहनत बेकार हो रही थी. प्यार की ईर्ष्या ने पागलपन के पास जाकर कानाफूसी की और कहा कि आपको केवल प्रेम को खोजने की आवश्यकता है ना ? प्रेम गुलाब झाड़ी में छिपा है. "पागलपन" गुलाब की झाडी पर कूद गया और उसने जोर से कराहने की आवाज सुनी. झाड़ी में" छिपे प्रेम की आँखों मे कांटे चुभ गये थे. इस हलचल को सुनकर भगवान कमरे में आये और वहां का नज़ारा देख कर क्रोधित हुये और पागलपन को शाप देते हुए कहा "प्रेम तुम्हारे कारण अंधा हो गया है .. अब तुम ही हमेशा उसके साथ रहोगे. और तबसे ये कहा जाता है की उस दिन से, प्यार अंधा होता है और हमेशा पागलपन उसके साथ होता है |
वनरावत हिमालय की घाटियों में बसने वाली एक विशेष जाति को वनरावत कहा जाता है। वन रावत का अर्थ होता है `वन का राजा´। यह जाति वनों में ही निवास करती है और कभी भी गाँवों या शहरों की तरफ नहीं आते। ये भेड़-बकरियां पालते हैं और स्वयं ऊन से अपने लिये वस्त्र तैयार करके उनका ही उपयोग करते हैं। वनरावत अपने इस्तेमाल में आने वाले सभी प्रकार के बर्तन लकड़ी द्वारा स्वयं बनाते हैं। ये लोग वनों से जड़ी-बूटियां एवं जानवरों की खालों को भी एकत्रित करते हैं तथा उनका इस्तेमाल अपने लिये करते हैं। वनरावतों में आदान-प्रदान की परम्परा बेहद विचित्र है। ये लोग अपनी वस्तुओं को किसी गांव के नजदीक के मार्ग पर रख आते हैं। रास्ते से आने-जाने वाले लोगों को जिस वस्तु की आवश्यकता होती है उसे ले लेते हैं और उसके स्थान पर अनाज या कोई और वस्तु रख देते हैं। वनरावत इन वस्तुओं को लेकर वापस चले जाते हैं। वनरावतों की वस्तुओं को लेने वाले लोग जो वस्तु लेते हैं उसके बदले में उचित मात्रा में ही दूसरा सामान उस स्थान पर रख आते हैं क्योंकि यह माना जाता है कि वनरावतों से धोखा करने का मतलब भगवान को धोखा देना है। इस जाति के लोग अभी भी अपनी एक अलग ही दुनिया में जीते हैं। उनके बहुत से परिवार होते हैं। प्रत्येक परिवार अपने में स्वतंत्र होता है और प्रत्येक परिवार का अपना एक राजा होता है। ये परिवार आपस में ऐसे ही मिलते हैं जैसे एक राजा दूसरे राजा से मिलता है। वनरावत बहुत निडर होते हैं। जंगल और जंगली जानवरों के साथ तालमेल बैठा कर अपना जीवन उनके साथ बहुत प्रेम के साथ वयतीत करते हैं। वैसे तो ये कभी भी जंगलों से बाहर निकल कर नहीं आते पर अब ये थोड़ा-थोड़ा बाहरी लोगों से मिलने-जुलने लगे हैं। |
मीठे चावल 12 व्यक्तियो के लिऐ। प्रेशर कुकिग। सामान 1/2 ( आधा प्याला) घी। 1/2 (आधा प्याला) खोपरा (1 cm X 1/4 cm के टुकडो मे कटा हुआ। 1/4 (पाव प्याला) किशमिश 12 छोटी इलायची कुचली हुई । 4 (चार प्याले) बासमती चावल, (आधा घण्टा पानी मे भिगोकर पानी निथारा हुआ।) 3-1/2(साढे तीन) प्याली पानी 1/4 छोटा चम्मच पीला रन्ग खाने वाला 4 प्याले चीनी। बडी चुटकी भर केसर एक बडे चम्मच मे गरम पानी मे घुला हुआ। बनाने कि विधि:- (1) घी को कुकर मे लगभग 2 मिनिट तक गरम कीजिए। खोपरा डालकर हल्का लाल होने तक तलिऐ। किशमिश और इलायची डाल कर कुछ समय तक चलाइए। अब चावल डालकर लगभग तीन मिनट तक भूनीए। तीन प्याली पानी व पीला रन्ग डालिऐ और अब चलाइए। (2) कुकर को बन्द कीजिए, तेज ऑच पर पुर्ण प्रेसर आने दे। उसके बाद कुकर को निचे उतार दे और ठण्डा होने दे। (3) इस दोरान एक पतीले मे चीनी तथा शेष पानी (१/२ प्याला) मिलाइऐ। पानी खोलने तक एवम चीनी घुल जाने तक चलाते जाइये। अब इसमे केसर डाल कर पतीले को निचे उतारिए। (4) कुकर खोलिऐ एवम चावल मे चाशनी डालकर अच्छी तरह से मिलाईऐ। (5) कुकर बन्द कीजिए। तेज ऑच पर पुर्ण प्रेशर आने दीजिऐ। ऑच कम कर दो मिनट तक पकाइऐ। (6) कुकर को ऑच से निचे उतारिए। और अपने आप ठण्डा होने दे (7) कुकर खोलीइए और गरमा गरम परोसिए विशेष-: शायद आपको यह जानकर अच्छा लगेगा की कुछ स्वादिष्ट मिष्ठान जो घर पर त्योहारो मे अमुमन देश के सभी राज्यो मे बानाऐ जाते है- जो पोष्टिक,स्वादिष्ट, के साथ-साथ शुद्ध भी होते है- इसमे गाजर का हलवा, मीठे चावल, लापसी, सेमिया पायसम, इत्यादी। |
सहायक संपादक हीरामन मनोरंजक टिपणियां के साथ.
अरे हीरु…बोल पीरु.. आज की टिपणी निकाल..अरे क्या निकालूं? ये मुरारी भैया ने तो इनकी पोस्ट मे ताऊ के जन्म की कथा ही सुनादी.
नही यार…अरे नही क्या ? विश्वास नही हो तो इनकी पैदायशी सुंदरता वाली पोस्ट जाकर पढले. अभी इनकी आज की यह मजेदार टिप्पणी पढ तू तो पहले
और इसके बाद कौन है? अरे इसके बाद हैं अपने भाटिया अंकल. क्या कहते हैं? अरे खुद ही देख ले.
अच्छा तो अब हीरू और पीरू को इजाजत दिजिये. अगले सप्ताह फ़िर मिलते हैं. |
ट्रेलर : - पढिये : महावीर बी. सेमलानी से अंतरंग बातचीत
ताऊ की खास बातचीत महावीर बी. सेमलानी ( हे प्रभु ये तेरा पथ ) से ताऊ : फ़िर शादी कब हुई? महावीर बी. सेमलानी : अजी ताऊजी, ना साम्भेला, ना ही बेन्डबाजा, ना घोडी पर चढकर तोरण बिघना, कुछ नही भवन के दरवाजे बन्द करके जैसे तैसे रात के तय शुदा मुहुर्त मे 1:35 को हमारी शादी हुई। लोगो ने कहा कि मुम्बई-मद्रास मे उस दिन कई शादीया रद्द हुई । कुछ बाराते वापिस गयी। भगवान का लाख लाख शुक्र कि हम दुल्हन प्रेमलता को लेकर सुरक्षित मुम्बई लोट सके। ताऊ : तो मिताली ऐसा क्या करती है? महावीर बी. सेमलानी : वो ही रामप्यारी वाले लक्षण, आईसक्रीम वडापाव, चॉकलेट मे खर्चा कर आती है। और भी बहुत कुछ अंतरंग बातें…..पहली बार..खुद श्री महावीर बी सेमलानी की जबानी…इंतजार की घडियां खत्म….9 जुलाई ... गुरुवार शाम 3:33 PM पर मिलिये हमारे चहेते मेहमान से. |
अब ताऊ साप्ताहिक पत्रिका का यह अंक यहीं समाप्त करने की इजाजत चाहते हैं. अगले सप्ताह फ़िर आपसे मुलाकात होगी. संपादक मंडल के सभी सदस्यों की और से आपके सहयोग के लिये आभार.
संपादक मंडल :-
मुख्य संपादक : ताऊ रामपुरिया
वरिष्ठ संपादक : समीर लाल "समीर"
विशेष संपादक : अल्पना वर्मा
संपादक (तकनीकी) : आशीष खण्डेलवाल
संपादक (प्रबंधन) : Seema Gupta
संस्कृति संपादक : विनीता यशश्वी
सहायक संपादक : मिस. रामप्यारी, बीनू फ़िरंगी एवम हीरामन
स्तम्भकार :-
"नारीलोक" - प्रेमलता एम. सेमलानी
ताऊ जी ठीक फरमाया आपने जिस तरह आज कल जीना है तो कई बिमारियों को झेल कर जीना पड़ता है उसी तरह ब्लोगिंग की दुनिया में जीना है तो ये साइड इफेक्ट भी झेलने पड़ेंगे .
ReplyDeleteताऊ साप्ताहिक पत्रिका का हमें इन्तज़ार रहता है .
ReplyDeleteसमीर जी की सलाह बहुत अच्छी लगी . अनुभवी लोगों के अनुभव का फ़ायदा हमें मिलता रहेगा ऐसी आशा के साथ मैं अपनी बात यहीं समाप्त करता हूँ .
धन्यवाद !
धर्मशाला में मक्लोडगंज, मेरा जाना दो बार हुआ है...बहुत शांत स्थान है..अच्छा लगता है. पूरे अंक के लिए धन्यवाद.
ReplyDeleteदलाई लामा जी हार्दिक बधाई. एक और बेहतरीन अंक. धन्यवाद
ReplyDeleteदलाई लामा जी हार्दिक बधाई. एक और बेहतरीन अंक. धन्यवाद
ReplyDeleteअर बाप रे..ब्लागिंग मे भी इतनी बडी बिमारियां? रामराम..रामराम..शिव ..शिव...
ReplyDeleteएक बढिया अंक प्र्स्तुत करने के लिये सभी को बधाई.
अर बाप रे..ब्लागिंग मे भी इतनी बडी बिमारियां? रामराम..रामराम..शिव ..शिव...
ReplyDeleteएक बढिया अंक प्र्स्तुत करने के लिये सभी को बधाई.
bahut badhiya patrika
ReplyDeleteएक सराहनिय प्रयास. आज तो एकदम चमक रही है आपकी पत्रिका.
ReplyDeleteताऊ पत्रिका अपना स्थान बनाती जारही है और पूरे ज्ञान का खजाना साबित हो रही है.
ReplyDeleteताऊ पत्रिका अपना स्थान बनाती जारही है और पूरे ज्ञान का खजाना साबित हो रही है.
ReplyDeleteताऊ जी ने जो बतलाया
ReplyDeleteहमें तो बहुत पसंद आया
हंसने का योग समझना जरूरी है
बेनामी हो या अनामी हंसना जरूरी है
उड़नतश्तरीजी जो बतला गये
उड़ते जुड़ते
उसे हंसी में न उड़ाये चलते फिरते
घूरते
अल्पना जी तो पन्ना दर पन्ना
अलख जगाती हैं मन भाती हैं
बारिश के लिए प्यारे से टोटके
करते रहो लगातार न रोकें न रूकें
प्यार सचमुच में अंधा होता है
इसीलिए सबसे पहले उसके दीदे फूटते हैं
अनोखे भारत में वनरावत से मिली जानकारी
बिना खाये दावत जानकारी अदावत
प्रेमलता एम. सेमलानी ने सिर्फ मीठे चावल ही दिखलाये
और डायबिटीज वाले कहां जायें, यह तो बतलायें
टिप्पणियों का पोस्टमार्टम मन को भाया
महावीर बी. सेमलानी की बातचीत का रहेगा इंतजार
हमारे लिए तो यही है त्योहार।
जन्म-दिवस पर दलाई लामा जी को हार्दिक बधाई. ताऊ और उसकी टीम को धन्यवाद!
ReplyDeleteअजी ताऊ जी इस पहेली का जबाब इस लिये आसान था कि यह पहेली मेने भी पहले पुछी थी, ओर अगर जबाब दे देता तो ओरो का मजा खराब हो जाता.
ReplyDeleteआज का लेख बहुत सुंदर लगा
राम राम जी की
सुंदर और ज्ञानवर्धक अंक। उडनतश्तरी की सलाह उचित है। पानी में रहना है तो सब को सहना होगा। चाहे वह मगरमच्छ हो समंदरघोड़ा।
ReplyDeleteवाह ताऊ..ये पत्रिका तो बहुत ही भा रही है मन को और..आदत सी पड़ती जा रही है इसकी..बढिया.
ReplyDeleteaapki patrika din doone tarakki kar rahi है................. badhaai हो .............. jay हो
ReplyDeleteदलाई लामा जी का आज जन्म दिवस है. आपने यह सुचना पाकर मुझे अपार प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है ताऊजी! श्रद्धैय परम पुज्यनिय दलाई लामा जी के जन्म दिवस पर शतःशत नमन एवम उनका मै अभिवादन करता हू।
ReplyDeleteब्लोगिग का जो फण्डा ताऊने बताया उसी मे अपनी बात जोड समीर काका ने ताऊ पत्रिका मे चार चॉन्द लगा दिऍ।
जलकुक्कड / जलकुक्कडियां, ताऊजी यह शब्द मैने मेरी डायरी मे नोट कर दिया है। अच्छा लगा।
हार्दिक मगलभावनाओ सहीत
आभार
मुम्बई टाईगर
हे प्रभु यह तेरापन्थ
"मेरा पन्ना" मे-अल्पनाजी वर्मा ने ' अमृतसर की अच्छी जानकारीया उपलब्ध करवाई, आभार अल्पनाजी!
ReplyDeleteहार्दिक मगलभावनाओ सहीत
आभार
मुम्बई टाईगर
हे प्रभु यह तेरापन्थ
“ दुनिया मेरी नजर से” -मे आशीषजी खण्डेलवाल ने भी हमेसा कि तरह ही बारिस के टोटको की अच्छी जानकारी पेश की।
ReplyDeleteआशिषभाई! लोगो को पर्यावरण को बचाना चाहिए अन्यथा कुछ सालो बाद बार बारिश कितोबो के पन्नो मे सिमटकर रह जाऐगी।
आभार आशिषभाई!
हार्दिक मगलभावनाओ सहीत
आभार
मुम्बई टाईगर
हे प्रभु यह तेरापन्थ
हमेशा की तरह यह अंक भी बहुत बढ़िया रहा |
ReplyDeleteआनंद आ गया पत्रिका प्रस्तुति के ढ़ंग को देखकर। शानदार संपादन, संक्षिप्त और सुंदर, इसे कायम रख सकें, शुभकामनाऍं।
ReplyDelete"मेरी कलम से" , मे -Seemaजी Gupta , ने प्यार अंधा होता है कहानी के माध्यम से बताया जो सत्य है मैडमजी!
ReplyDeleteप्यार अन्धा क्यो होता, आज पता चला। सीमाजी धन्यवाद!
हार्दिक मगलभावनाओ सहीत
आभार
मुम्बई टाईगर
हे प्रभु यह तेरापन्थ
"हमारा अनोखा भारत" , मे -सुश्री विनीताजी यशश्वी ने विशेष जाति वनरावत कि परम्पराओ को जानकर अनुभव बढा........
ReplyDeleteविनीताजी!शुक्रियाजी.
हार्दिक मगलभावनाओ सहीत
आभार
मुम्बई टाईगर
हे प्रभु यह तेरापन्थ
"नारीलोक" मे-प्रेमलताजी एम. सेमलानी ने मीठे चावल कि Receipe बताई..
ReplyDeletesubhan alla और Thanks
...................
"मैं हूं हीरामन" अरे! हीरामन दादा, आपके क्या कहने जो टीपणी मे ज्यादा लाल मिर्च डाले वो आपका चहेता ।
अब भाटीया भाईसाहब को पता है- लाल मिर्ची का इस्तेमाल कब-कहा और हरी मिर्ची का कब करना है।
हार्दिक मगलभावनाओ सहीत
आभार
मुम्बई टाईगर
हे प्रभु यह तेरापन्थ
नोट:- ये टिप्पणी मेरी नहीं है.. ये विवेक सिंह की है.. लेकिन मुझे पसंद आ गई और ये मेरी भावानाओं का भी इजहार करती है.. अगर ये टिप्पणी पसंद आये तो विवेक का धन्यवाद करें
ReplyDeleteटिप्पणी
ताऊ साप्ताहिक पत्रिका का हमें इन्तज़ार रहता है .
समीर जी की सलाह बहुत अच्छी लगी . अनुभवी लोगों के अनुभव का फ़ायदा हमें मिलता रहेगा ऐसी आशा के साथ मैं अपनी बात यहीं समाप्त करता हूँ .
धन्यवाद
टिप्पणी समाप्त
समीर भाई कि सलाह मानने कि प्रेक्टिस कर रहा था..:)
ताऊ रामराम.
ReplyDeleteअजी शनिचर में हम घर चले गए थे, तो पहेली का जवाब नहीं दिया. अब दे रहा हूँ- स्वर्ण मंदिर, अमृतसर.
चल छोड़ ये बात. तूने अपनी पत्रिका में इतने सारे ब्लोगरों को नौकरी दे रखी है, इतने सारे संपादक हैं, हमें भी किसी डिपार्टमेंट का सह-संपादक ही बना दे. हम तो इसी से खुश हो लेंगे.
कहता हो तो बायो डाटा भेजूं, या सीधा इंटरव्यू ही देना पड़ेगा.
हमारा भी नारा है, मस्त रहो देश को आगे बढाओ. पत्रिका के सभी आलेख अच्छे लगे. हमिंदर साहब (स्वर्ण मंदिर) के बारे में उत्सुकता थी जो आज शांत हो गई.
ReplyDeleteअच्छा लगा हास्ययोग पर जोर देना! इस योग का लोप कई बीमारियां उपजा रहा है।
ReplyDeleteपत्रिका के एक और रोचक,ज्ञानवर्धक और मजेदार अंक के सफलता पूर्वक संपादन हेतु समस्त संपादक मंडल को बधाई तथा धन्यवाद्.........
ReplyDeleteताऊ
ReplyDeleteपत्रिका का अंक बेहतरीन निकला है. सभी ने अपने अपने क्षेत्र में अपनी धाक जमा ली है. पत्रिका ऐसे ही तरक्की करती रहे, यही हार्दिक इच्छा है. बहुत बधाई और शुभकामनाऐं.
दलाई लामा जी को जन्म दिन की बधाई और हार्दिक शुभकामनाऐं.
पूर्व की भांति आज का अंक भी शानदार रहा ,बधाई पूरे सम्पादकीय मंडल को .
ReplyDeleteदलाई लामा के जन्म दिन की बधाई. विनीताजी यशस्वी और सीमा गुप्ता के आलेख जानकारीपूर्ण रहे.
ReplyDeleteये हर रोज आपके ब्लौग का बदलता पन्ना हमारे लिये मुश्किलें पैदा कर देता है ताऊ...!!! अब हम नियमित तो हो नहीं पाते हैं ब्लौग पर और कुछ पन्ने छूट जाते हैं...
ReplyDeleteसमीर जी के इस शेर पे सब कुर्बान
मेरे जख्मों से जरुरी है जो, वो ही बात रही जाती है
मरहम तू उस पार लगा, खून की दरिया बही जाती है.
निखरती जा रही है पत्रिका ! बहुत बढ़िया.
ReplyDeleteहमेशा की तरह यह अंक भी बहुत रोचक और ज्ञानवर्धक रहा.
ReplyDeleteधन्यवाद.
ताऊ जे बात्त घसीट-घसाट के 50 तो पा गए हम दूसरी का जबाब सही ठोंकते ठोंकते नक़ल टीप दी सबै ब्लॉगर ध्यान से देखिए
ReplyDeleteसर्व प्रथम अपुन ही कहाए न...? पीछे से मज़ा आ गिया ........ ताऊ के अखबार में अपुन
पत्रिका के सारे पन्ने इकदम झक्कास . आज तो नाव वाले भाई साब ने गज़ब लिक्खा है .......
ताऊ रामपुरिया
अल्पना वर्मा
आशीष खण्डेलवाल
सीमा गुप्ता
विनीता यशश्वी के साथ
मिस. रामप्यारी, बीनू फ़िरंगी एवम हीरामन
को भी बधाइयां इधर गोलू पांडे भी शामिल होवें तो मज़ा आ जाएगा
दलाई लामा जी को जन्म दिन की बधाई और हार्दिक शुभकामनाए!
ReplyDeleteआज सम्पादकीय में बहुत ही अच्छी सीख मिली..सामायिक शिक्षा!
पत्रिका के सभी पन्ने बहुत अच्छे लगे .
आशीष जी द्वारा दी गयी जानकारी आश्चर्यजनक किन्तु रोचक है!!
ताउजी ...राम राम
ReplyDeleteदलाई लामा के जन्मदिन पर बधाई ..
यह अंक एक सम्पूर्ण पत्रिका था .पर्यटन .रसोई ..सब कुछ पर ताऊ..रसोई को नारी लोक का नाम क्यों दिया ..क्या खाना बनाने का काम सिर्फ नारियों का है ..?? रसोई लिखो या राम रसोई ...क्यों सही कहा ना ..??
ताऊ साप्ताहिक पत्रिका बहुत पसंद आई
ReplyDeleteइतिहास बनाने को अग्रसर ताऊ डाट इन
ReplyDeleteदलाई लामा जी को जन्म दिन की बधाई और हार्दिक शुभकामनाए!पत्रिका का जवाब नहीं सबकी मेहनत रंग ला रही है...
ReplyDeleteregards
सर्व प्रथम आपको मेरे ब्लॉग पर प्यारे प्यारे अल्फाज छोड़ने के लिए दंडवत, शाष्टांग नमन,
ReplyDeleteऔर अपने ब्लॉग मैं मेरी रचना का लिंक देने के लिए और मेरी टिपण्णी को हिरामन के साथ पेश करने के लिए बड़ा वाला धन्यवाद !!
आप जैसे उदार दिल वालों के चलते ही हम तुच्छ प्राणी उच्च बन्ने की कल्पना करते हैं!!
ताऊ पत्रिका पढ़ी, दलाई लामा की बात ने मेरे हसने हंसाने वाली थ्योरी को बल दिया
ReplyDeleteऔर उस पर ताऊ जी का तडका दिल मैं घर कर गया !!
अल्पना जी का पंजाब ज्ञान पढ़कर बहुत अच्छा लगा |
सीमा जी ने प्रेम के अंधेपन और पागल की वजह बहुत रोचक तरीके से पेश किया की मजा आ गया !!
दलाई लामा के लिए याद कराने के लिए आभारी हूँ ताऊ ! बहुत बढ़िया और सामयिक लेख !
ReplyDeleteताऊ जी जो तुसाँ गलाया उहाँ ताँ खरा से पर रँग सारेी चोखे खरे होण ताँ चं गा ए
ReplyDeleteअशीश जी अब इन रूढियों को छोडने के लिये एक आप पर ही उमीद है कि आप ब्लोग्गेर भाईयों के लिये इतने बटन इज़ाद कर देते हैं कि साईड बार मे जगह भी कम पड जाये एक बटन बारिश के लिये भी तलाश कर दें तो क्या बात है राम राम्