रामप्यारी की क्लास मे समीर बाबा का एडमिशन

रामप्यारी की क्लास में समीर बाबा ने तगडा डोनेशन देकर एडमिशन ले लिया. उससे पहले जादू का एडमिशन हुआ था. उसको भी एक्स्ट्रा चेयर लगा कर बैठाया गया था. डोनेशन मे एक बडा कार्टून चाकलेट का देखकर रामप्यारी अपने आपको रोक नही पाई.

 

रामप्यारी मैम – समीर बाबा, हमारी क्लास मे अब कोई कुर्सी टेबल नही है. तुम कहां बैठेगा?

समीर बाबा – मैम..डोंट टेक टेंशन…आई एम फ़्रोम जबलपुर…जोगाडत्व कला के हम सबसे बडे खिलाडी हैं… हम सब जोगाड कर लेंगे.  रामप्यारी मैम समीर बाबा को क्लास मे जाने को कहती है.

 

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समीर बाबा क्लास मे आते हैं. और वहां चंगू की कुर्सी खाली देख कर उस पर कब्जा कर लेते हैं. चाकलेट का कार्टून पास मे रख लेते हैं. सारे बच्चे अब समीर बाबा की तरफ़ ऐसे देखते हैं जैसे नेये कबूतर को देख रहे हों? सारे आपस मे इशारा करते हैं और नये कबूतर की रैगिंग करने का फ़ैसला कर लेते हैं.

 

आदि –  कहां से आये हो समीर बाबा?  और ये इतनी सारी टोपियां और चाकलेट का कार्टून? क्या माजरा है? सारे बच्चों के मुंह मे पानी आ जाता है.

 

समीर बाबा – अरे यार..हम तो जबलईपुर से आये हैं…और नाराज काहे हो रहे हो भाई? लो चाकलेट खालो..टोपी लगालो…आज हमारा जन्मदिन है.

 

लवि – अरे ..पकडे गये…पकडे गये…ये तो समीर बाबा नही…समीर अंकल हैं….मैं पहचान गई…अरे..कैसे छोटे बच्चे बन गये अंकल तो?

 

अक्षयांशी….  बोली -  अरे हां ..अब पहचाना…मैने भी पहचान लिया…मेरे ब्लाग पर भी तो आते हैं अंकल…

 

समीर बाबा – अरे भाई..हमारी जान बख्सो…हम तो तुम्हारे साथ जन्मदिन मनाने चले आये थे. पर तुम रामप्यारी मैम को हमारी पोल मत खोल देना. नही तो वो हमको इस क्लास मे तुम्हारे साथ नही रहने देगी.

 

जादू – अंकल..वो तो सही है…पर आप इस तरह छुप कर क्यों आगये हो? वहां सब आपको ढूंढ रहे होंगे?

 

समीर बाबा – अब क्या बताऊं यारो? मैने अभी ना..एक पोस्ट लिख दी थी…हाय हाय!! हाय हाय!!
पुरुष सत्ता-हाय हाय!! और अब मुझे डर लगने लगा है तो यहां दाखिला ले लिया है..

 

सब बच्चों की समीर बाबा से दोस्ती हो जाती है..अब रामप्यारी मैम क्लास मे आती है.

 

सब बच्चे खडे होकर.. गुड मोर्निंग करते हैं….

रामप्यारी..सिट डाऊन प्लिज…हां तो समीर बाबा…मैने तुम्हारा फ़ार्म देखा..आज तुम्हारा जन्म दिन है…हैप्पी बर्थ डे समीर बाबा…सब बच्चे टोपियां लगाकर समीर बाबा का जन्मोत्सव मनाते हैं.

 

इतनी देर मे मुर्गे की बांग देने की आवाज आती है.

 

रामप्यारी मैम – ये आवाज कहां से आयी? कौन कर रहा है ये शरारत?

नैना – मैम..मैम..मैं बताऊं?…ये ना ..ये ना..जादू के पास एक मुर्गा है….वो देखिये…और अभी थोडी देर पहले एक खरगोश भी था.

 

रामप्यारी मैम – ये क्या है जादू बाबा?

जादू – मैम मेरा नाम ही जादू है…मैम जादू से मुर्गा बना देता हूं..और खरगोश भी बना देता हूं…

रामप्यारी मैम – पर तुम ऐसा क्लास मे मत करना आईंदा? इज दैट क्लियर…जादू बाबा?

जादू – मैम ..मैं तो वैसे भी नही करता..घर पर ना..मेरे चाचू करवाते हैं और यहां पर ना….यहां पर ये समीर बाबा ने करवाया था. मुझे बोले – तू खरगोश बना कर छोड दे…ये चंगू उसको पकडने जायेगा और मैं उसकी सीट पर कब्जा कर लूंगा.

रामप्यारी मैम – क्यों समीरबाबा? आज पहले दिन क्लास मे आये हो? और बच्चों को बिगाडना शुरु कर दिया? ऐसा नही चलेगा..

समीरबाबा -  नही मैम..मैं इनको क्या बिगाडूंगा? ये तो खुद ही आरपार हैं..पर आज के जमाने मे कुर्सी का जोगाड करना कोई बुरा थोडे ही है.  बस कुर्सी का जोगाड होगया ..अब नही करुंगा बदमाशी.

 

रामप्यारी मैम – हां तो बच्चों…आज परीक्षा का IMP क्वेश्चन लिख लिजिये.यह प्रश्न एक्जाम मे पूछा जा सकता है….समीर बाबा १६० चाकलेट का बाक्स लाये थे उसमे से १७५ चाकलेट बांट दी गई तो अब पीछे कितनी शेष रही?

 

और हां अपने पेरेंट्स को बोलना – PTA (पालक  शिक्षक संघ) की मिटींग रखी गई है. जिसमे अगले सेशन के लिये स्कूल की बिल्डिंग फ़ंड का चंदा लिया जाना है. क्योंकि क्लास मे अब बैठने की जगह नही है. तो सूचना मिलते ही मिटिंग मे जरुर आयें.



 

.और अब रामप्यारी मैम ने स्कूल मे प्रिपेशन लीव की घोषणा कर दी है.   इसके बाद अब इस सेशन के फ़ाईनल एक्जाम शुरु होंगे. फ़िर रिजल्ट..और उसके बाद ३ महिने का लंबा अवकाश. अगले सेशन के लिये एडमिशन अगली सूचना के बाद होंगे. यानि अभी एडमिशन बंद कर दिये गये हैं.


पिरियड खत्म होने की घंटी बज गई है.


मग्गाबाबा का चिठ्ठाश्रम

ताऊजी डाट काम

परिचयनामा : श्री अभिषेक ओझा

आईये आज हम आपका परिचय करवाते हैं एक ऐसे नौजवान से, जो बलिया के एक छोटे से गांव से ताल्लुक रखता है. जो जीवन के हर फ़ील्ड मे बडी शिद्दत के साथ दखल रखता है. चाहे वो योग हो..गणित हो या बैंकिंग हो? बात करने मे खुशमिजाज….बाल सुलभ हंसी..और एक गरिमामय गंभीरता का मिश्रण. इस छोटे से गांव के नौजवान के कंधों पर दुनिया के विशालतम माने जाने वाले एक स्विस बैंक के रिस्क प्रबंधन का जिम्मा है. सारी दुनियां जिसने नाप डाली है. और अभी चार रोज पहले ही यह साक्षात्कार जब हमे फ़ायनल करना था तब इन महोदय को हमने पकडा न्युयार्क में. तो आईये आज आपको मिलवाते हैं श्री अभिषेक ओझा से.

Hair Style a few days back
श्री अभिषेक ओझा


ताऊ : अभिषेक, आप कहां से हैं?

अभिषेक - पैदा बलिया के एक छोटे ठेठ देहाती गाँव में हुआ. फिर छठी कक्षा तक बचपन वही गुजरा उसके बाद रांची से कानपुर.

ताऊ – पिताजी क्या करते हैं?

अभिषेक : पिताजी शिक्षक हैं

ताऊ – कुछ अपने और अपनी पढाई लिखाई के बारे में बताईये.

अभिषेक - अपने बारे में क्या बताऊ ताऊ, करोडो भारतियों में मैं भी एक सीधा सादा इंसान हूँ. और बचपन से ही पढने में तथाकथित तेज घोषित कर दिया गया और फिर ये बने रहने की लत ऐसी लगी की पढाई-लिखाई से नाता जुड़ गया.

ताऊ – हमने सुना है आप पढने मे बहुत तेज थे?

अभिषेक – हां ताऊजी, जब होश आया तब पीछे मुड़ना संभव नहीं था. ये पढने लिखने की बीमारी घर कर चुकी थी.

IIT Days
IIT के सुनहरे दिन


ताऊ – आजकल क्या कर रहे हैं?

अभिषेक - आजकल पुणे में हूँ. कानपुर की पांच साल की पढाई में दो साल इंजीनियरिंग और बाकी तीन साल गणित के साथ-साथ सांख्यिकी. थोडा बहुत कंप्यूटर साइंस और ढेर सारा वित्त और अर्थशास्त्र पढ़ा. और अब इसी इंटरडिसिप्लिनरी पंचवर्षीय योजना के निवेश का रिटर्न कुछ और दैनिक निवेश के साथ एक इनवेस्टमेंट बैंक से ले रहा हूँ.

ताऊ : बैंक मे क्या करते हैं? और आगे भी पढाई लिखाई चालू है या बंद करदी?

अभिषेक – ( हंसते हुये…) हाल ही में खतरा मेनेजर बना हूं. और अभी दो और पढाईयों में नाम लिखा रखा है. मैंने कहा न ये पढने लिखने की बहुत बुरी लत है.

in hong kong office
श्री अभिषेक हांगकांग आफ़िस मे


ताऊ – हमने सुना है आपने अध्यापन भी शुरु कर दिया है?

अभिषेक – हां ताऊजी, हाल ही में पुणे के एक प्रतिष्ठित संस्थान में विजिटिंग फैकल्टी नियुक्त हुआ हूँ. बस यूँ समझ लिजिये कि एमबीए के हमउम्र लड़के-'लड़कियों' को पढाना है.

ताऊ : अपने जीवन की कोई अविस्मरणीय घटना बतायेंगे?

अभिषेक - एक हो तो बताऊँ ताऊ, अब आपके जितने किस्से तो नहीं पर कई घटनाएं हैं जो अविस्मरनीय हैं. पर कुछ बातें भुलाए नहीं भूलती.

ताऊ – जैसे ?

अभिषेक - जैसे पहली बार जब माँ से अलग रहना पड़ा था, जब स्कूल में प्रिंसिपल ने पकडा था, भाई का उस कच्ची उम्र का भ्रातृप्रेम जिसने संकट में भी साथ नहीं छोडा, दोस्त से कम अंक लाने का अनुरोध, जब फिरंगी लड़की ने हमारी हिंदी समझ ली, वो हमउम्र तथा बड़ों से दोस्ती जिसकी कोई मिसाल नहीं, वो प्रोफेसर साहब का दुबारा अपने घर पर रहने के लिए बुलाना, वो 'लडकियां' जिन्होंने प्रोपोज किया, प्रोफेसर साहब ने जिस दिन अपनी बेटी का रिश्ता दिया, अनेकों हैं... इनमें से कई तो बकलमखुद में आ चुकी हैं.

ताऊ : अच्छा अभिषेक एक बात सच सच बतलाना वो ओरकुट वाली लडकी का क्या वाकया था?

अभिषेक - ताऊजी, हाल फिलहाल में कुछ यूँ हुआ कि एक लड़की ने हमें ऑरकुट पर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजा फिर चैट. पहले तो मुझे लगा कि कोई दोस्त है जो लड़की बन कर मस्ती कर रहा है तो हम भी संभल के टाइम पास ही कर रहे थे.

ताऊ : हां ऐसी मस्ती तो आजकल आम है. बल्कि पुराने बडे बडे साहित्यकार भी एक दूसरे को महिला प्रशंसक बन कर पत्र लिख कर मजे लिया करते थे. पर मैने तो सुना है कि वो सही मे ही लडकी थी?

अभिषेक : हां ताऊजी, ऐसी मस्ती कि घटनाएं तो आम है और हमारी दोस्त मंडली में तो कई ऐसे किस्से हैं. लेकिन एक दिन लगा कि मामला कुछ गड़बड़ है. हुआ यूँ कि मैंने कह दिया कि देखो मैं तो समझता हूँ कि तुम लड़के हो !

ताऊ : अच्छा..फ़िर क्या हुआ?

अभिषेक : तो फ़ौरन उनका कॉल आ गया 'अब बताओ मेरी आवाज सुन के भी तुम्हे शक है क्या?'. हमने कहा - चलो भाई ! मान लिया. अब शक की कोई गुंजाइश नहीं बची.

ताऊ : तो फ़िर आगे क्या हुआ?

अभिषेक : आगे ऐसा हुआ कि यूँ तो हम वीकएंड पर भी व्यस्त रहते हैं पर कुछ वीकएंड खाली भी मिल गए और फिल्म देखना ही होता था तो उनके पसंद की ही देख ली जाती. रूम पार्टनरों की बाईक थी और बहुत दिनों से बाईक नहीं चलाई थी तो उसकी भी प्रैक्टिस होने लगी. और कुछ हो न हो बाईक तो पहले से अच्छी चलाने आ ही गयी.

ताऊ : यानि बात आगे बढने लगी?

अभिषेक - पर मामला ज्यादा दिन चला नहीं और गंभीर हो गया जब हमें पता चला की उन्हें हमसे प्यार हो गया है, कुल ३ हप्ते की दोस्ती !. उन्होंने बाकायदा कैंडल लाईट डिनर करा के प्रोपोज कर दिया... खैर कम से कम ये किस्सा फोन वाले किस्से से तो ठीक था इन्होने तो हमें देखा था, बात भी की थी.

ताऊ : तो इसमे गडबड कहां हो गई? गाडी शुरु होते ही ब्रेक क्युं लग गये?

अभिषेक : ताऊजी ब्रेक इस लिये लग गये कि आखिर... हमारी भी तो कुछ पसंद होनी चाहिए?.

ताऊ : फ़िर आगे क्या हुआ?

अभिषेक : उनको समझाया बुझाया गया. लेकिन एक बात बता दूं ताऊ ऐसे मामलों में समझाना संभवतः संसार का सबसे कठिन काम होता है. दिल के मामले में दिमाग से लोग काम लेने लगें तो फिर बातें थोडी सहज हो.

ताऊ - हमने तो यह भी सुना है कि आपके पास दिल नाम की कोई चीज ही नही है?

अभिषेक - हां ताऊजी, लोग तो कहते हैं कि हमारे पास दिल ही नहीं है ! अब दिमाग है या नहीं ये तो नहीं पता लेकिन मेरे पास दिल होने पे लोगों को डाउट हो चला है. खैर ताऊ एक बात आपको बताना चाहुंगा.

ताऊ : जरुर बताईये, आखिर हम आये किस लिये हैं इतनी दूर?

अभिषेक : ताऊजी, ध्यान देने की बात ये है की भगवान् ने आदमी को दिमाग दिल से ऊपर क्यों दिया? अब वरीयता तो दिमाग को ही मिलनी चाहिए न? खैर अपने केस में तो दिल डोला ही नहीं था. और सामने वाले का दिल इतना डोल गया कि दिमाग चलने का नाम नहीं ले रहा था. किसी तरह कोशिश करके समझाया गया.

ताऊ : क्या अभी भी उनसे बात होती है?

अभिषेक - अभी भी बात होती है. लेकिन कम !



ताऊ : आपके शौक क्या क्या हैं? कुछ बताईये.

अभिषेक - बस थोड़े बहुत किताबें, फिल्में, लैपटॉप पर खिटिर-पिटिर, घूमना-फिरना, तैरना, खाना बनाना, डिग्रियां बटोरना और थोडी बहुत ब्लॉग्गिंग .

ताऊ : आपको सख्त ना पसंद क्या है?

अभिषेक - सख्त नापसंद तो कुछ भी नहीं है ताऊ, कुछ चीजें अच्छी नहीं लगती जैसे 'रिश्तों में राजनीति' और वो लोग जो अपने पद के के चलते इंसान को भूल जाते हैं.

ताऊ – और?

अभिषेक - ज्यादा 'हीरो' बनने वाले लोग भी नापसंद हैं. और हाँ मूढ़ जो अपनी बात के आगे कुछ नहीं सुनते. ये चीजें नापसंद तो हैं पर ऐसे लोगों से घृणा नहीं करता पर उनके लिए दयाभाव रखता हूँ.

ताऊ – अब आपकी पसंद क्या है? इस बारे में भी बताईये.

अभिषेक - पसंद तो बहुत कुछ है ताऊ. मैं अपने आप को बहुत पसंद करता हूँ (हंसते हुये…) और उसके अलावा 'दुनिया की सबसे अच्छी माँ' और दोस्तों के साथ वक्त बिताना. पढना, पढाना, कहानी सुनाना, चर्चाएं करना, फंडे देना. धर्म, गणित, इतिहास, राजनीति, अर्थशास्त्र, दर्शन से जुडी बातें. कुछ बचा क्या ? जो बचा वो सब भी बस बात करने वाला चाहिए.


ताऊ : आप हमारे पाठको से कुछ कहना चाहेंगे?

अभिषेक - देखो ताऊ मैं क्या बताऊँ ? अभी तो मैं सीख रहा हूँ. लेकिन एक बात जो मुझे सही लगती है वो कहना चाहूँगा.

ताऊ – जी बताईये. हम वही तो सुनना चाह रहे हैं.

अभिषेक – ताऊजी, इंटेलिजेंट, धनी और मशहूर होना ये सब अच्छी बातें है पर कई बार शायद लाख कोशिश करके भी संभव नहीं. और अच्छा इंसान होना ऐसी बात है जो कोई भी कोशिश करे तो बन सकता है.

ताऊ – जरा अपनी बात को स्पष्ट करिये.

अभिषेक – ताऊजी देखिये, बस हमेशा अपनी गलतियों को सुधारना है और अपने आपको बदलने के लिए तैयार रखना है. चाहे कोई भी बात किसी ने कही हो अगर वो समय के साथ सही नहीं है तो हमें उससे ऊपर उठ कर सोचने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए.

ताऊ – हां यह तो ठीक है.

अभिषेक - हम लाख कोशिश करें तो भी शायद आइंस्टाइन या रामानुजन नहीं बन सकते लेकिन गांधी बन सकते हैं, जिन्हें आइंस्टाइन ने भी सराहा. तो क्यों न हम अपने आप को और अपने बच्चो को एक अच्छा इंसान बनाने की कोशिश करें... वो करें जो कर पाना संभव है ! क्यों हम उन्हें एक अच्छा इंसान भी नहीं बनने दे रहे !

ताऊ – अच्छा अब आप यह बताईये कि आप बहुत मेधावी छात्र रहे हैं तो स्कूल मे तो आप सबके प्रिय रहे होंगे? इसके बावजूद कभी कुछ गडबड भी हुई क्या?

अभिषेक – एक नही अनेकों गडबड हुई हैं ताऊजी, स्कूल में बातें करने के लिए खूब पकडा जाता. और एक बार प्रिंसिपल ने इसलिए पकड़ लिया क्योंकि मैं ३ घंटे की परीक्षा १५ मिनट में ख़त्म करके जा रहा था.

ताऊ – वो कैसे?

अभिषेक - अब क्या करता बचपन का जोश और निरीक्षक थे कि उन्होंने परीक्षा शुरू होते ही कहना चालु कर दिया इस कमरे में तो कोई तेज लड़का ही नहीं है. बगल की क्लास में से तो बच्चे जाने भी लगे. अब ये मैं कैसे सहन करता ?

ताऊ – हमने सुना है एक बार किसी हिरोईन के चक्कर मे भी पकडे गये थे?

अभिषेक – ( हंसते हुये…) हां वो..असल में एक और बार पकडा गया जब एक नोट बुक पर बनी ममता कुलकर्णी की 'अच्छी' फोटो एक दोस्त को दिखा रहा था.

Sleeping in library
लायब्रेरी मे सोने का आनंद लेते हुये


ताऊ – हमने ये भी सुना है कि आप क्लास मे सोने मे भी बडे माहिर थे?

अभिषेक – हां कॉलेज में सोने में माहिर हो गया. हर मुद्रा और हर क्लास में सोया क्या मजाल की कोई पकड़ ले ! पूरी पुस्तिका में डेट और एक शब्द के अलावा कुछ नहीं होता. बस डेट से पता चल जाता की कौन कौन से लेक्चर हुए हैं और किसी और से फोटो कॉपी कराइ जाती.

ताऊ – पर हमने तो सुना है कि आप एक बार पकडे भी गये थे?

अभिषेक – हां ताऊजी, बस अनुभव एक बार निकल गया जब भरी क्लास में प्रोफेसर साहब ने बोला 'व्हाई आर यू स्लीपिंग इन क्लास? व्हेयर वेयर यू लास्ट नाईट?'

ताऊ – फ़िर?

अभिषेक – फ़िर क्या ताऊजी… मैंने उठ कर कहा 'सॉरी सर, आई वाज वर्किंग लेट ऑन अ प्रोजेक्ट !' पूरी क्लास हंसने लगी और जब प्रोफेसर साहब ने कहा 'ओह ! सो यू वेयर आल्सो स्लीपिंग !' तब बात समझ में आई की मुझे तो कोई पकडा ही नहीं था पर मैं खुद ही खडा हो गया था. कांफिडेंस (हंसते हुये…)

ताऊ – हमने सुना है इसके अलावा और भी बहुत मस्ती की है आपने?

अभिषेक – हां ताऊजी, इसके अलावा फाइनल इयर में जो मस्ती की वो इस जन्म नहीं भूलने वाला. रात रात भर फिल्में, सुबह गंगा किनारे, दिन भर सोना, खूब घूमना और फिर बिंदास नंबर और झकास नौकरी भी मिल गयी.

ताऊ – कुछ आपके गांव के बारे मे बताईये?

अभिषेक – ताऊजी, बलिया में एक गाँव है बस २०-२५ घरों का. बड़ी निराली सोच के लोग होते हैं... ज्ञान भैया की भाषा में अकार्यकुशलता पर प्रीमियम चाहने वाले लोग. दसवी के बाद पढाई लिखाई पर कम ही भरोसा रखते हैं... गरीब इलाका है और लोग सरकार को गाली देने और थोडी बहुत खेती के अलावा संतोष करने में विश्वास रखते हैं. बलिया अब महर्षि भृगु से ज्यादा चंद्रशेखर के नाम से जाना जाता है.

ताऊ : आपका संयुक्त परिवार है, कैसा लगता है आपको आज भी संयुक्त परिवार मे रहकर? जबकि आज सबकुछ न्युक्लियर होगया है?

अभिषेक - जी हाँ और मुझे तो बस फायदे ही फायदे दीखते हैं, मुझे तो बस इतना प्यार मिलता है कि क्या बताऊँ ! जैसे ब्लाग जगत में रामप्यारी को. अब भतीजे भातिजोयों का भी फेवरेट हूँ. जिंदगी बस यही तो है ताऊ. ये रिश्ते ! वो लोग जो आपको इतना चाहते हैं जिन्हें शब्दों में बयां करना संभव नहीं. मेरे लिए तो यही जिंदगी है ताऊ.

in sikkim
श्री अभिषेक सिक्किम में


ताऊ : इंगलिश ब्लागिंग बनाम हिंदी ब्लागिंग? क्या कहेंगे?

अभिषेक – बिल्कुल साफ़ और चकाचक. ! अंग्रेजी को तो सेलेब्रिटी और बड्डे बड्डे लोगों ने भर रखा है जी. वहां आत्मीयता नहीं है.

ताऊ – और हिंदी ब्लागिंग?

अभिषेक - अपनी हिंदी ब्लॉग्गिंग ज्यादा प्रेम पर आधारित है. संयुक्त परिवार कि तरह है ये. एकल परिवार भले बढ़ते दिख जाएँ लेकिन वो मजा कहाँ जो संयुक्त परिवार में है ! एक विशालकाय संयुक्त परिवार है यार... भाई, ताऊ, दादा, दादी डॉक्टर, वकील, इंजीनियर बड़ा संपन्न और खुशहाल है जी !

ताऊ - आप कब से ब्लागिंग मे हैं? आपके अनुभव बताईये? आपका ब्लागिंग मे आना कैसे हुआ?

अभिषेक – जी मैं २००७ से हूँ इधर, उन मस्ती वाले दिनों से, जब सब कुछ करते हुए भी फुर्सत हुआ करती थी.

ताऊ – बलागिंग करना कैसे शुरु हुआ?

अभिषेक - अपनी आदत है एक... लोगों के बारे में ढूंढ़ कर पढना. इसी सिलसिले में एक सीनियर जया झा के बारे में सर्च किया तो पहुच गया उनके हिंदी ब्लॉग पर. अब अंग्रेजी ब्लॉग तो बहुत देखे थे हिंदी देख मन ललच गया.

ताऊ – और आप शुरु होगये?

अभिषेक – जी, तरीके ढूंढे तो हनुमान जी का प्रसाद तख्ती मिला... फिर बड़ी मेहनत से एक श्लोक टाइप कर बाकी अंग्रेजी में पहली पोस्ट की गयी. ५-७ पोस्ट के बाद लगा की छोड़ दिया जाय... 'मोको कहाँ सीकरी सो काम ' टिपण्णी का खाता नहीं खुल पाया था.

ताऊ – ओह…फ़िर?

अभिषेक - फिर गूगल की मदद से नारद का पता चला, उससे जुड़ते है फुरसतिया शुकुल जी महाराज की जीवनदायनी टिपण्णी के साथ, और भी कुछ दिग्गजों की टिपण्णी आई. चिट्ठी वाली पोस्ट पहली बार चिटठा चर्चा में आई और बस तब से हम इधर ही जम गए.

ताऊ - आपका लेखन आप किस दिशा मे पाते हैं?

अभिषेक - लेखन? हम ब्लोग्गर हैं जी, लेखक होने का आरोप हम पर ना लगाया जाय (हंसते हुये..) वैसे कविता और गजल अपने बस की नहीं !

ताऊ - राजनिती मे आप कितनी रुची रखते हैं?

अभिषेक - हाँ जी, रखते तो हैं. पर भरोसा उठता जा रहा है. हम तुलसी बाबा के फैन हैं जी और हमें तो सूराज ही नहीं दिख रहा 'अर्क जबास पात बिनु भयऊ, जस सुराज खल उद्यम गयऊ' ! राजनीति में जो अच्छे लोग हैं उन्हें जनता वोट ही नहीं देती. अब पुणे में ही अरुण भाटिया (http://www.arunbhatiaelect.com/) को कितने वोट मिले?

ताऊ - कुछ अपने स्वभाव के बारे मे अपने मुंह से ही कुछ बताईये?

अभिषेक – ताऊजी, इस प्रश्न का उत्तर देना मुश्किल है आप कहें तो कुछ जानने वालों का नंबर दूं उनसे आप खुद ही पूछ लें. ये तो हमारे दुश्मन ही बता सकते हैं और अभी तक तो कोई नहीं है (हंसते हुये…) जो हैं दोस्त ही हैं.

in America
श्री अभिषेक अमेरिका में


ताऊ – नही, हम आपके मुंह से ही सुनना चाहेंगे?

अभिषेक – ताऊजी, कभी किसी से झगडा हुआ हो. ऐसा याद नहीं. दूसरो को माफ़ करने में और खुद छोटी मोटी बातें सहन करने में भरोसा रखता हूँ. कोई बुरा लगे तो बस इतना सोचता हूँ की अगर मैं भी वैसा ही करुँ तो फिर मेरे और उसमें फर्क ही क्या?

ताऊ – वाह ! बहुत ऊंचे खयालात हैं आपके?

अभिषेक – हां ताऊजी, बाकी लोग तो यही कहते हैं लड़का नहीं हीरा है (हंसते हुये..) बस ताऊ मैं जहाँ जाता हूँ वहीँ घुल मिल जाता हूँ. अपनी नजर में तो बहुत फ्लेक्सिबल इंसान हूँ बाकी तो और लोग ही बता सकते हैं. बाकी आप भी कुछ बताओ हमारे बारे में.

ताऊ – हां बिल्कुल बतायेंगे आपके बारे में. पर पहले हम खुद तो आपको पूरा जानले? इसी कडी मे आपकी अर्धांगिनी के बारे में भी कुछ बता दिजिये? या अभी अकेलेराम ही हैं?

अभिषेक – अरे ताऊजी, आपने बिल्कुल सही ताड लिया. कुछ ताउगिरी लगा के एक अच्छी सी दिला दो तब तो बताऊं उसके बारे में? अब तो आपने भी देख लिया कि लड़का कैसा है? हा हा !

ताऊमतलब आप अभी भी लाईन मे ही लगे है.

अभिषेक - हां ताऊजी, असल में हमें थोडा घर वालों पर ज्यादा भरोसा है मतलब कि अरेंज मैरेज. वैसे घर वालों नेछूट दे रखी है जो पसंद हो बता देना. और हम घर वालों पर छोड़ रखे हैं !

ताऊ - तो फ़िर लड्डू कब तक खिला रहे हैं?

अभिषेक - अभी तो भईया का नंबर है और उसके बाद मामला ऊपर वाले की मर्जी पर है.

ताऊ : और कोई बात जो आप कहना चाह्ते हों?

अभिषेक – ताऊजी, मैंने तो सोच रखा था कि बड़ी सी स्पीच दूंगा ताऊ पहेली जीतने पर. प्रथम तो अब भी नहीं आ पाया और मेरिट लिस्ट में इतना नीचे तो कभी नहीं रहा. फिर भी बहुत ख़ुशी है ! बाकी स्पीच प्रथम आने पर :)

ताऊ – ताऊ के बारे में आप क्या सोचते हैं?

अभिषेक – मेरी नजर में एक अनुभवी इंसान. जिसने दुनिया और जीवन को बड़े करीब से देखा है. जिसकी बातों के आगे बड़े-बड़े संत फेल हैं.

ताऊ – वो कैसे भाई?

अभिषेक - जो इंसान एक साथ मग्गा बाबा, सैम, बीनू फिरंगी, शेर सिंह, हिरामन और रामप्यारी जैसे चरित्रों का संगम है उसके बारे में कुछ कहने की जरुरत है क्या?

श्री अभिषेक स्विटरजरलैंड में.


ताऊ – अक्सर लोग पूछते हैं ताऊ कौन ? आप क्या कहना चाहेंगे?

अभिषेक - ताऊ गोपनीय रहे तो ही अच्छा है. चोरी छुपे हम भी क्लेम कर लिया करेंगे की हम ही ताऊ हैं (हंसते हुये…)

ताऊ : आज खुद ताऊ द्बारा साक्षात्कार लिए जाने पर कैसा महसूस कर रहे हैं?

अभिषेक – ताऊजी, अपने जीवन की एक ट्रेजडी है. वो क्या है की बचपन से इच्छा थी की अखबार में फोटू छपे. और जब अखबार वाला ढूंढ़ते हुए आया तो हम गाँव जाकर गर्मी की छुट्टियों में आम खा रहे थे (हंसते हुये…)

ताऊ – जी..

अभिषेक - अब देखिये, ताऊ की पहली के बारे में सोचे बैठे थे कभी तो जीतेंगे, क्या हुआ अगर आठ बजे मैं उठ नहीं पाता ! और जैसे ही समीरजी मैदान से बाहर निकले हमारा चांस पक्का हो गया. पर क्या करें फर्स्ट नहीं आने का मलाल जीवन में बस एक ताऊ के दर पे ही देखने को मिला.

ताऊ – जी..

अभिषेक - और इस बार भी विजेता नहीं हो पाया. वर्ना तो सोचा था की लम्बा चौडा स्पीच दूंगा की ताऊ की पहेली जीतने के लिए क्या करें ! कितनी जगहें घुमनी पड़ेगी और कितने घंटे सर्फिंग करनी पड़ेगी. पूरी लिस्ट बना रखी थी किसको किस-किसको धन्यवाद कहना है (हंसते हुये…)

ताऊ - बरसात में अगर छप्पर फट जाए तो?

अभिषेक - देखो ताऊ बात ऐसी है कि मैं किसी को कहता हूँ कि मेरी गर्ल फ्रेंड नहीं है तो कोई मानता ही नहीं ! अब आप ही समझाओ इन सब को... पर वो क्या है न कि ब्लॉग जगत तो परिवार है और यहाँ की दुआएं सीधे असर करती हैं. और हमारी इस ट्रेजडी पर जब अनुरागजी दिल से दुआ दे दें तो पूरा तो होना ही था.

ताऊ – जी बिल्कुल.

अभिषेक - और जब ऊपर वाला देता है तो वो तो छप्पर फाड़ के ही. और अब आप ही बताओ मानसून में छप्पर फाड़ के दे तो क्या होगा?

ताऊ – जी बिल्कुल विरोधाभास होगया.

अभिषेक – तो आपने भी मान लिया ना कि विरोधाभास हो गया... पहले कहता था... यार पुणे में इतनी लडकियां हैं और हम है की बरसात में भी हम पर एक छींटा भी नहीं पड़ता. और अब ये हाल है कि बरसाती के साथ-साथ छाता भी लगाना पड़ता है.

ताऊ – मतलब ये कि कि प्रपोजल जोर शोर से आरहे हैं?

अभिषेक – जी, पता नहीं कब कौन प्रोपोज कर दे. अब कितनो का दिल तोडा जाय. अब ट्रेजडी ये है कि मुझे भी तो पसंद आना चाहिए न ! खैर अब भावनाओं कि इज्जत करता हूँ तो इस बारे में और चर्चा नहीं करे तो अच्छा है, आपका ब्लॉग तो सभी पढ़ते हैं मेरा नाम सर्च करते हुए कोई आ गया तो उसे अच्छा नहीं लगेगा.


With Statue of Liberty Maker's statue.



ताऊ : अभिषेक, अगर मैं कहूं कि आप एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं. अध्ययन, अध्यापन, इंवेस्टमैंट बैंकर, अपनी संस्कृति और जडो से आपको जुडे हुये देखकर, अपने वतन से दूर, आज यहां स्टैचू ऑफ़ लिबर्टी के पास इस गार्डन में मैं अपना साक्षात्कार समाप्त करूं. आपसे एक सवाल अवश्य पूछना चाहूंगा.


अभिषेक - अवश्य ताऊजी, पूछिये.


ताऊ - वो कौन सी बात है जो आपसे ये सब करवा लेती है? आप कैसे इतने उर्जावान रहते हैं?

अभिषेक - ताऊजी, मैंने आपको अपनी एक आदत के बारे में बताया था 'लोगों के बारे में पढना'. यही आदत ब्लॉग्गिंग में ले आई थी और मुझे दुनियां मे घूमना और लोगों के बारे उत्सुकता ही इस उर्जा का राज है. इतने उर्जावान लोगों और सखशियतों से मुलाकात हो जाती है कि क्या बताऊं?

ताऊ - जैसे?

अभिषेक - जैसे अभी अभी एक मजेदार वाकया हुआ. मुंबई से फ्रैक्फर्ट आते हुए. मुंबई मैं थोडा पहले पहुच गया था तो लाउंज में बैठा-बैठा ऑनलाइन हो गया. इधर-उधर भटकते एक सज्जन अंकलजी दिखे. उन्हें ऑनलाइन कुछ करना था.

ताऊ - जी बताते जाईये.

अभिषेक - उन्होंने पुछा कि 'और कहाँ जाना है? फ्रैंकफर्ट?' हमने कहा हाँ, फिर वहां से न्यूयार्क. फिर बात चालु हुई क्या करते हो? कहाँ से पढाई की? वगैरह... गणित सुनकर उन्होंने बताया कि वो गणित पढाते हैं.

ताऊ - अच्छा..कौन थे वो सज्जन?

अभिषेक - .फिर उन्होंने बताया कि उनका नाम दीपक जैन है और वो नॉर्थ वेस्टर्न यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं.

ताऊ - अच्छा फ़िर..

अभिषेक - मैंने तपाक से कहा 'सर में तो आपको जानता हूँ'. आपने गुवाहाटी यूनिवर्सिटी से स्टैट्स में पढाई कि थी न? उन्होंने बताया हाँ ये सच है फिर आगे की पढाई के लिए वो अमेरिका चले गए. उन्होंने कहा हाँ आज की छोटी सी दुनिया है ! और ऐसे में लोगों के बारे में जानना आसान है.

ताऊ - इनके बारे मे कुछ विस्तार से बताईये?

अभिषेक - ताऊजी, ये दीपक जैन थे दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित बिजनेस स्कूलों में से एक केल्लोग के डीन ! मेरे लिए तो किसी सेलिब्रिटी से कम नहीं थे. अब बिजनेस की पढाई के बारे में गाइडेंस लेनी हो तो संसार में उनसे अच्छा कौन बता सकता है भला.

ताऊ - वाकई बहुत बडी सखशियत हैं वो..

अभिषेक - जी हां और इतने विनम्र व्यक्ति... अब क्या कहा जाय ! पूरे समय हिंदी में बेटा-बेटा कह कर बात करते रहे और जो मन में सवाल थे उनका भी जवाब दे दिया उन्होंने.

ताऊ - जी बडे लोगों में कुछ तो विशेष गुण रहता ही है.

अभिषेक - इस घटना के बाद तो मैं अपने आपको लकी मानने लग गया. बहुत कुछ सिखा गए वो इस यात्रा में. 'सादा जीवन उच्च विचार' दोनों में ही अव्वल !

एक सवाल ताऊ से :-

अभिषेक - आप सबसे साक्षात्कार में संयुक्त परिवार और राजनीति की चर्चा क्यों करते हैं? मग्गा बाबा जैसे उत्कृष्ट ब्लॉग पर कम (यहाँ कम बाकी ब्लॉग की तुलना में) टिपण्णी आने पर आप क्या कहेंगे?

ताऊ - आपने एक इंवेस्टमैंट बैंकर की आदतानुसार एक सवाल की जगह दो पूछ लिये हैं. खैर...जहां तक संयुक्त परिवार और राजनिती की बात है तो आज ये दोनों ही मजबूरियां बन गई हैं. संयुक्त परिवार अब एकल परिवारों मे तब्दील होरहे हैं. राजनिती मे अच्छे लोग जाना नही चाहते..बस एक जिज्ञासा समझ लिजिये कि लोगों से इस बारे में राय जानी जाये.

दूसरा सवाल आपका मग्गाबाबा के ब्लाग के बारे में है. तो मग्गाबाबा समझ लिजिये दसवीं सीढी है और ताऊ डाट इन पहली सीढी है. तो लोग चल तो पडे हैं..आगे पीछे दसवीं सीढी भी चढ ही जायेंगे. अभी कुछ लोग दसवीं सीढी की अवस्था के हैं वो वहां आते ही हैं.


तो ये थे हमारे आज के मेहमान श्री अभिषेक ओझा..आपको इनसे मिलकर कैसा लगा? अवश्य बतलाईयेगा.


श्री राज भाटिया को मातृ शोक

बडे ही शोक पुर्वक सूचित करने में आता है कि श्री राज भाटिया जी की माताजी श्रीमती कमला देवी भाटिया का दुखद निधन शुक्रवार 24 जुलाई 2009 को रोहतक (हरियाणा) में होगया है. आप लंबे समय से बीमार थी. आप अत्यंत ही स्नेहिल स्वभाव की धर्मनिष्ठ महिला थी.


आप अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड कर श्रीजी शरण हो गई हैं. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे और शोक सतंप्त परिवार को यह दुख सहन करने की क्षमता प्रदान करे.

"परछाई "


"परछाई "





नेताजी को अपने आस पास
एक अजीब सी दुर्गन्ध आई...
कुर्सी, पलंग आलमारी
सब कुछ जा टटोला
कमरे मे सब तरफ़ नजरें दौडाई
हार थक जब कुछ भी समझ ना आया
सामने आईने पर ही नजरे जा टिकाई
अपनी मरी हुई इंसानियत को देखा
और नज़र आ गयी
खुद की सडी गली परछाई



(इस रचना के दुरूस्तीकरण के लिये सुश्री सीमा गुप्ता का हार्दिक आभार!)

ताऊ साप्ताहिक पत्रिका - अंक ३२

प्रिय बहणों, भाईयो, भतिजियों और भतीजो आप सबका ताऊ साप्ताहिक पत्रिका के 32 वें अंक मे हार्दिक स्वागत है.

कुछ लोग वाकई जीवन मे बहुत ही ज्यादा कुंठित या हीन भावना से ग्रसित होते हैं. उन्हे लगता है कि उनकी उपेक्षा होरही है. वो लिखते कुछ नही हैं. पर उनको अटेंशन पूरी चाहिये. वो कमेंट मे क्या लिख रहे हैं? शायद उनको भी नही मालूम. यानि किसी भी विषय पर बहुत ही घटिया कमेंट करना इनका शगल होता है. पिछले सप्ताह ऐसा ही एक घटिया कमेंट एक ब्लागर को मिला. वो बडे दुखी थे. पोस्ट हटा लेने की बातें करने लगे. यहां तक की नौबत आगई तो आप समझ सकते हैं कि बात किस हद तक चुभने वाली रही होगी?

इस संबंध मे हमको बुद्ध की एक घटना याद आती है. उनके भ्रमण के दौरान वो कुरु प्रेद्श मे भ्रमण रत थे. वहां लोगों ने उनको परेशान करना शुरु कर दिया. बुद्ध चूंकी बुद्धत्व को प्राप्त हो चुके थे. अत: उन पर इन बातों का कोई असर नही होता था. पर उनके शिष्य बडे आहत थे. उनके प्रधान शिष्य आनंद ने उनसे कहा कि भगवन यहां से चलिये. यह प्रदेश हमारे विचरण लायक नही है.

बुद्ध ने पूछा - फ़िर कहां जाओगे? आनंद बोला - हम अन्य ले प्रदेश मे चले जायेंगे. बुद्ध फ़िर पूछते हैं कि अगर वहां भी ऐसा ही हुआ तो क्या करोगे?
स्वाभाविक रुप से आनंद निरुत्तर हो गया. तब बुद्ध बोले - आनंद, इस जीवन मे तुम जहां भी जाओगे, वहीं पर ये ही लोग मिलेंगे. इनसे पलायन करना इसका उपाय नही है. इनका मुकाबला करो. हम अपने तरीके से इनका मुकाबला करेंगे.

तो यहां भी यही बात लागू होती है कि पलायन करके हम यहां से भी कहां जायेंगे? बेहतर है इन कुंठित और लुंठित लोगों का सामना किया जाये. गल्ती वो कर रहे हैं तो उसकी सजा आगे पीछे वही भोगेंगे.

आपका सप्ताह शुभ हो.


-ताऊ रामपुरिया


"सलाह उड़नतश्तरी की" -समीर लाल


इधर बहुत चर्चा मे रहा कि लेखन प्रक्रिया क्या हो?

बहुत शोध किया, सोचा, विचार और चिन्तन किया और जो निष्कर्ष निकला वो आपको बताता हूँ. मानना न मानना हमेशा की तरह ही आपका अधिकार क्षेत्र है.

मुझे लगता है कि लेखन के प्राणतत्व अध्यन, पठन, मनन और चिन्तन है. चिन्तन कर ज्ञान को आत्मसात करना लेखन की शुरुवात है.

फिर लेखन हेतु भी कुछ नियम ज्ञानियों ने दिये हैं जो एक अच्छे और सुघड़ लेखन के परिचायक है: इस नियम के अनुरुप अच्छे आलेख का क्रम कुछ यूँ बनता दिखता है:

प्रस्तावना: क्या और किस विषय पर लिखा जा रहा है.

विवेचना:
इस विषय पर क्या सोच कर लिखा गया है अब तक.

विश्लेषण: विषय पर उपलब्ध जानकारी का क्या अर्थ है आपकी नजरों में.

निष्कर्ष:
आपकी समझ से क्या अर्थ निकाला जाना चाहिये.

उपसंहार:
जानियों और आपके विश्लेषण के आधार पर क्या सार तत्व निकला इस विषय पर आपके अनुसार.

यह एक आलेख लिखने की रुप रेखा हो सकती है. बाकी आप जोड़ घटा सकते हैं.
भावों की अभिव्यक्ति के लिए भाषा की पकड़ एक मूल तत्व है जो अध्ययन द्वारा अर्जित की जा सकती है. अध्ययन ही इस प्रक्रिया का द्वार है, उसके बिना सब थोथा है. अच्छा या बुरा, पठन और अध्ययन ही प्रमाणिकता के चरम पर ले जायेगा और अगर किसी का पठन किया है, उससे कुछ सीखा है तो लेखक का शुक्रिया अदा करने का समय निकलना न भूलना टिप्पणी करके. :)

मैं दर बदर से गुजरता रहा...
चुप!! बस हरदम चुप ही रहा!!!


-समीर लाल 'समीर'



"मेरा पन्ना" -अल्पना वर्मा


केरल- 'God 's own country '
आज हम आप को जहाँ ले कर आये हैं वह भारत की दक्षिण पश्चिम सीमा पर स्थित है.
जब हम यहाँ घूमने गए थे तब मुझे इस जगह ने बहुत प्रभावित किया -इस के ठोस कारण हैं एक-यह जगह इतनी हरी
भरी है कि आप खुद को प्रकृति के बहुत नज़दीक पाएंगे.और इस स्थान को देव भूमि क्यूँ कहा जाता है समझ आ जायेगा.

यहाँ की मिटटी लाल बालू है.कई जगह तो लोग नंगे पाँव भी चलते नज़र आ सकते हैं. दूसरा बड़ा कारण यहाँ के लोगों का मिलनसार और मदद को तत्पर स्वभाव ,मुझे भाषा की कहीं कोई समस्या नहीं हुई. लगभग सभी हिंदी समझते हैं और थोडा बहुत बोल भी लेते हैं [ज्ञात हो केरल के स्कूलों में हिंदी पांचवी कक्षा तक जरुरी विषय है.]जब कि मेरे अनुभव के अनुसार हिंदी भाषा के विषय में तमिलनाडु में स्थिति कुछ भिन्न है.

हाँ ,और एक कारण है कि मुझे खाने पीने के लिए उत्तर भारतीय खाना आराम से मिल गया..मेनू में 'परांठे 'का नाम जरुर 'बरोटा 'लिखा देख कर जरुर हंसी आई...

क्लू की एक तस्वीर में केले के पत्ते पर समूह को खाना खाते दिखाया गया है वह 'ओणम पर्व 'पर परोसे जाने वाला ख़ास भोजन है जिस में ६४ प्रकार के व्यंजन दिए जाते हैं.चावल के आटे से बने अडा' की खास खीर भी होती है.'ओणम पर्व क्या है यह कभी और विस्तार में बताएँगे. दूसरे क्लू में यहाँ होने वाली प्रसिद्ध नौका दौड़ का चित्र दिखाया गया था. तीसरे क्लू में केरल के परम्परागत नृत्य का चित्र दिखाया गया था.

मुख्य पहेली में जिस स्थान के बारे में पूछा गया था वह थी-चेरमान जुमा मस्जिद

केरल पर मैंने बहुत ही संक्षेप में अधिक जानकारी देने का प्रयास किया है.

अब जानते है इस खूबसूरत प्रदेश के बारे में -

केरल की सीमा जहाँ एक और अरब सागर को छूती हैं तो दूसरी और पडोसी राज्य तमिलनाडु और कर्णाटक को.
अरब सागर में केंद्र शासित राज्य लक्षद्वीप के साथ भी इस का भाषाई और सांस्कृतिक सम्बन्ध है.आज़ादी से पूर्व यहाँ
राजाओं की रियासतें थीं.जुलाई 1949 में तिरुवितांकूर और कोच्चिन रियासतों को जोडकर 'तिरुकोच्चि' राज्य का गठन
किया गया. उस समय मलबार प्रदेश मद्रास राज्य (वर्तमान तमिलनाडु) का एक जिला मात्र था . नवंबर 1956 में
तिरुकोच्चि के साथ मलबार को भी जोडा गया और इस तरह वर्तमान केरल की स्थापना हुई.यहाँ की भाषा मलयालम है .

इतिहास-

केरल की उत्पत्ति के संबन्ध में पुराणिक कथा प्रसिद्ध है . कहते हैं कि महाविष्णु के दशावतारों में से एक परशुराम ने
अपना फरसा समुद्र में फेंक दिया था उससे जो स्थान उभरकर निकला वही केरल बना . केरल को 'भगवान का अपना घर' भी कहा जाता है. कहा जाता है कि "चेर - स्थल", 'कीचड' और "अलम-प्रदेश" शब्दों के जोड़ से केरल शब्द बना है. केरल शब्द का एक और अर्थ है : - वह भूभाग जो समुद्र से निकला हो . समुद्र और पर्वत के संगम स्थान को भी केरल कहा जाता है. प्राचीन विदेशी
यायावरों ने इस स्थल को 'मलबार' नाम से भी सम्बोधित किया है.

यहाँ की संस्कृति हजारों साल पुरानी है.महाप्रस्तर स्मारिकाएँ (megalithic monuments) केरल में मानव जीवन की
प्रामाणिक जानकारियाँ देती हैं . केरल प्रान्त में इसाई धरम पहली शताब्दी में आया. उस से पहले यहाँ ब्राह्मण थे.
यहाँ जैन और बोद्ध धरम का भी प्रचार हुआ.अरबवासियों के साथ व्यापर के कारण आठवी शताब्दी में यहाँ इस्लाम का
आगमन भी हो गया.

यहाँ के उत्सव-:
ओणम यहाँ का राज्योत्सव है, जिसे सभी धरम के लोग प्रेम और श्रद्धा से मनाते हैं. इस के अलावा प्रमुख हिन्दू त्योहार हैं - विषु, नवरात्रि, दीपावली, शिवरात्रि, तिरुवातिरा आदि . मुस्लिम पर्व- रमज़ान, बकरीद, मुहरम, मिलाद-ए-शरीफ आदि हैं तो ईसाई क्रिसमस, ईस्टर आदि मानते हैं .

कुछ और मिली-जुली जानकारियां-

-WHO ने इस राज्य को विश्व का पहला 'baby friendly रज्य घोषित किया था-यहाँ ९५% बच्चे अस्पताल में जन्म
लेते हैं.
-९१% साक्षरता है.
-यहाँ का आयुर्वेद इलाज विश्व भर में लोकप्रिय है.
-केरल में कुल 44 नदियाँ है और अनेकों झील झरने जल प्रपात हैं.
विश्व भर के पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र यहाँ का उष्ण मौसम, प्रकृति, जल की प्रचुरता, सघन वन, लम्बे समुद्र तट हैं.
-हर क्षेत्र में उन्नत्ति कर रहा यह राज्य साक्षरता में सबसे आगे है.
-अभी तक मैंने कई हिंदी भाषी प्रदेशों की अधिकारिक वेब साईट देखीं मगर अफ़सोस कि वे सभी सिर्फ अंग्रेजी में हैं सिर्फ
एक इसी राज्य की साईट मुझे हिंदी समेत ७ भाषाओँ में मिली.
-'कळरिप्पयट्टु' केरल की प्रान्तीय आयुधन कला है.
-यहाँ की धार्मिक कलाओं में मंदिर कलाएँ और अनुष्ठान कलाएँ आती हैं . मंदिर कलाओं मेंकूत्तु, कूडियाट्टम्, कथकळि,
तुळ्ळल, तिटम्बु नृत्तम्, अय्यप्पन कूत्तु, अर्जुन नृत्तम्, आण्डियाट्टम्, पाठकम्, कृष्णनाट्टम्, कावडियाट्टम आदि प्रमुख हैं- इसके अंतर्गत मोहिनियाट्टम जैसा लास्य नृत्य भी आता है.
-कथकली के बारे में संक्षेप में--
भारतीय अभिनय कला की नृत्य नामक रंगकला के अंतर्गत कथकली की गणना होती है . रंगीन वेशभूषा पहने कलाकार
गायकों द्वारा गाये जानेवाले कथा संदर्भों का हस्तमुद्राओं एवं नृत्य-नाट्यों द्वारा अभिनय प्रस्तुत करते हैं . इसमें कलाकार
स्वयं न तो संवाद बोलता है और न ही गीत गाता है .गायक गण वाद्यों के वादन के साथ आट्टक्कथाएँ गाते हैं . कलाकार
उन पर अभिनय करके दिखाते हैं .
-केरल की अधिकारिक साईट के अनुसार-वर्ल्ड ट्रेवल एण्ड टूरिज़्म काउंसिल (WTTC) द्वारा सन् 2002 में प्रकाशित
टूरिज़्म सेटलाइट एकाउण्ड (TSA) के अनुसार आगामी दस वर्षों में वैश्विक स्तर पर सर्वाधिक पर्यटकों के आगमन तथा
अधिक विदेशी मुद्रा प्राप्ति और पर्यटन विकास में केरल का स्थान सर्वोपरि होगा .

कहाँ घूमे ?

यहाँ १४ जिले हैं--कण्णूर ,कोष़िक्कोड ,कासरगोड ,मलप्पुरम ,इडुक्कि ,तिरुवनन्तपुरम [केरल की राजधानी]
आलप्पुष़ा ,कोल्लम ,कोट्टयम ,पत्तनमतिट्टा ,एरणाकुलम ,वयनाडु ,पालक्काड ,तृश्शूर
इन सभी जिलों में में आप को कुछ न कुछ जगहें दर्शनीय मिल जाएँगी.जब आप केरल घूमने जाएँ तो थोडा समय ले कर
जाएँ ताकि इस प्रदेश का ज्यादा से ज्यादा आनंद उठा सकें.
हम आप को ले कर आये हैं त्रिस्सुर जिले में-

कब जाएँ-
-जून से सितम्बर में वर्षा काल होता है, कभी कभी बहुत अधिक वर्षा होती है जो आप के प्रोग्राम में बाधा बन सकती है.इस लिए इस समय के अलावा आप कभी भी वहां घूमने जा सकते हैं.

अब बताती हूँ--चेरमान जुमा मस्जिद के बारे में-

दुनिया की दूसरी सबसे पुरानी और भारत की सबसे पुरानी पहली मस्जिद का नाम है चेरमान जुमा मस्जिद.
हम में से अधिकतर यही जानते हैं कि इस्लाम बाबर या गजनी के आने के साथ इस देश में आया.मगर नहीं ऐसा नहीं है.उस से पहले ही इस्लाम,दक्षिण समुद्री तट पर समुद्र के रास्ते आने वाले सौदागरों के द्वारा हमारे देश में अपना प्रभाव डालने लगा था. इस का उदाहरण है यह मस्जिद.

जो भारत के दक्षिण में स्थित राज्य केरल के जिला त्रिस्सुर से ३७ किलोमीटर दूर 'कोदुन्गल्लुर' में स्थित है.केरल की अधिकारिक site के अनुसार इसका निर्माण सन् ६२९ में हुआ था.[ प्रोफेट मोहम्मद के मदीना चले जाने के ७ साल बाद]. यह पहले लकडी की बनी हुई थी.हाल ही में इस का पुनरुद्धार किया गया जिसमें कंक्रीट की मीनारें भी जोड़ दी गयी हैं.जो आप को पहले के इस के चित्र में दिखाई नहीं देंगी.

पुनरुद्धार से पहले का चित्र-


यह मस्जिद हिन्दू मंदिर की शैली में निर्मित है.इस के मध्य भाग में १००० सालों से एक दीप रखा हुआ है.जिसे आज भी परम्परागत जलाया जाता है.यह 1000 साल से लगातार बिना बुझे जलता आ रहा है.इसमें कोई भी धरम का व्यक्ति तेल डाल सकता है.[?]

किसने बनवाया?--
साउदी [जेद्दाह ]के राजा जब केरल आये तब उन्होंने एक मस्जिद बनानी चाही जिसमें राजा चेरमन पेरूमल ने पूरी मदद दी. 'अरथाली मंदिर' को मस्जिद बनाने के लिए चुना गया. राजा के नाम पर इस का नाम चेरमान जुमा मस्जिद पड़ा.राजा चेरमान ने साउदी अरब के मक्का जा कर अपना धरम परिवर्तन किया और इस्लाम अपना लिया और नाम बदल कर थाजुद्दीन रख लिया था. सउदी अरब के [जेद्दाह के] इस राजा की बहन से उनकी शादी भी हो गयी.वाह पहले भारतीय थे जिहोने इस्लाम धरम अपनाया.

भारत वापसी में उनकी सलालाह[ओमान का एक भाग] में मृत्यु हो गयी.उसके बाद उनके अनुयायी मालिक बिन दीनार और मालिक बिन हबीब ने उत्तरी केरल जा कर इस्लाम का प्रचार किया. 'जुमा की नमाज़' भारत में सब से पहले यहीं से शुरू हुई.यही एक ऐसी मस्जिद भी है जहाँ किसी भी धरम के लोग जा सकते हैं.

इसमें लगा काला संगमरमर का पत्थर मक्का से लाया गया बताया जाता है.इस के अन्दर दो tomb हैं एक बिन दीनार की और दूसरी उसकी बहन की ! उनपर रोजाना अगरबत्ती-धूप जलाई जाती है.

राजा चेरमान के वंशज आज भी केरल में वहीँ हैं . वे हिन्दू धरम को ही मानते हैं. मगर अपने पूर्वज राजा चेरमान पेरूमल के धरम परिवर्तन को पूरा samman देते हैं.राजा चेरमान के वंशज ८७ वर्षीय राजा वालियाथाम्पुरम से विस्तार से इस लिकं पर जा कर जानिए-http://www.iosworld.org/interview_cheramul.htm
यह मस्जिद अपने आप में सभी धर्मों के मेल जोल और सहिष्णुता की एक मिसाल है.

यही एक ऐसी मस्जिद भी है जो पूरब की तरफ है. यहाँ हिन्दू रिवाज़ बच्चों का' विद्या आरम्भं' भी करवाया जाता है.

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इस के अतिरिक्त तृश्शूर [thrissur ] पहुँच कर आप ये जगहें भी देख सकते हैं-
1-अतिरप्पळ्ळि और वाष़च्चाल
2-केरल कलामण्डलम
3-कोडुंगल्लूर
४-सेंट थॉमस चर्च
५-चिम्मिणि
६-ड्रीम वर्ल्ड अतिरप्पळ्ळि
७-पीच्ची - वाष़ानि वन्यजीव अभयारण्य
८-पुन्नत्तूरकोट्टा
९-पूरातत्त्व संग्रहालय
१०-शक्तन तंपुरान महल कोट्टारम
११-सिल्वर स्टोम एम्यूज़मेंट पार्क
१२-गुरुवायूर मंदिर (२९ km थ्रिस्सुर से दूर]
यह केरल की बहुत ही महत्वपूर्ण पावन जगह है .यहाँ का मुख्य आकर्षण भगवान कृष्ण का मंदिर है.

-इस के साथ ही केरल की सैर समाप्त करते हैं और बढ़ते हैं किसी दूसरे राज्य की तरफ एक नए स्थान के बारे में जानने के लिए...तब तक के लिए नमस्कार


“ दुनिया मेरी नजर से” -आशीष खण्डेलवाल


शादी की ड्रेस ऐसी भी!

चीन में एक दम्पती ने शादी के दिन ऐसी ड्रेस पहनी, जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता। यह ड्रेस ऐसी थी कि दूल्हा और दुल्हन तो एक दूसरे से करीब थे, लेकिन सारे बाराती उनसे कई मीटर की दूरी पर थे। कारण यह था कि दोनों ने मधुमक्खियों को अपनी शादी का लिबास बना लिया था।

वर ली वेनहुआ और वधू यान होंगजिया दोनों का पेशा मधुमक्खी पालन ही है। वे उत्तरी चीन के निंगायन शहर के एक बगीचे में काम करते हैं। ली का कहना है कि उन्हें मधुमक्खियों से प्यार है, इस वजह से उन्होंने शादी में कुछ अलग करने की सोची। साथ ही वे अपने शरीर पर सबसे ज्यादा मधुमक्खियां धारण करने का रिकॉर्ड भी बनाना चाहते थे। इसलिए दोनों ने अपने शरीर पर रानी मक्खी को रखा और उसके बाद दूसरी मधुमक्खियों ने उन्हें घेर लिया। समस्या यह है कि मधुमक्खियों को गिना नहीं जा सका, इस कारण उनके रिकॉर्ड को मान्यता मिलेगी या नहीं यह स्पष्ट नहीं है।

अगले हफ्ते फिर मुलाकात होगी.. तब तक के लिए हैपी ब्लॉगिंग।


"मेरी कलम से" -Seema Gupta



प्रेरणात्मक कहानी

एक बार कुछ व्यक्तियों का एक समूह था, जिसमे - एक युवा उत्साही आदमी और कुछ बुजुर्ग लोग शामिल थे जो , एक जंगल में लकड़ी काटने का काम करते थे . वो नौजवान बेहद महेनती था और अपने दिन के खाने इत्यादि के अवकाश मे भी काम करता रहता था और उसे हमेशा ये शिकायत रहती थी की ये बुजुर्ग लोग आपना समय ज्यादा इधर उधर बर्बाद करते हैं, कभी खा पी कर कभी यहाँ वहां की बाते कर के. उसने यह भी महसूस किया की सारे दिन काम करने के बाद भी दुर्भाग्य से उसके काम के परिणाम कुछ अच्छे नहीं थे .

एक दिन उनमे से एक बुजुर्ग आदमी ने उस नौजवान को दोपहर में खाने के समय आमंत्रित किया , तो गुस्से में वह नौजवान बोला की मेरे पास व्यर्थ समय नहीं है, मुझे काम करना है. इस पर वह बुजुर्ग आदमी मुस्कुराते हुए बोला , की इस तरह अपनी कुल्हाडी की धार तेज किये बिना पेड़ को काटते रहना और भी ज्यादा अपना समय बर्बाद करना है. और ऐसा करते रहने से थोडी देर मे ही तुम थक कर ये काम बीच में छोड़ दोगे क्योंकि तुम अपनी बहुत सी ऊर्जा बर्बाद कर चुके होंगे.

अचानक उस नौजवान आदमी को एहसास हुआ की असल मे खाने के दौरान जब वे बुजुर्ग लोग आपस में बात चीत करते थे , तब साथ साथ वो लोग अपनी कुल्हाडी की धार भी तेज किया करते थे , और इसी कारण से वे लोग अपना काम जल्दी करते थे और वो भी उससे कम समय में.

तब उन बुजुर्गो ने उसे समझाया की अपने काम को करने के लिए हमे दक्षता की जरूरत होती है जो जिसे हम अपने कौशल और समझदारी से ही बढा सकते हैं, और कम समय में अधिक कार्य कर सकते हैं. और तभी हमे अपना कार्य करने के लिए भी अधिक समय मिल सकता है. वरना तुम हमेशा यही कहते रहोगे
"मेरे पास समय नहीं है"

कहानी का नैतिक मूल्य"


किसी भी कार्य के दौरान एक छोटा सा ब्रेक यानी आराम करने से आप खुद को अच्छा महसूस करेंगे और योग्यता से सोच सकेंगे और बेहतर प्रदर्शन कर सकेंगे . कार्य के दौरान आराम करने का मतलब काम को रोकना नहीं है बल्कि उस काम को बेहतर करने की रणनीति को हर कोने से दुबारा सोचना होता है.


"हमारा अनोखा भारत" -सुश्री विनीता यशश्वी




नैनीताल के प्राचीनतम भवन

नैनीताल का सेंट जोन्स चर्च नैनीताल की सबसे प्राचीनतम भवनों में से एक है। यह चर्च मल्लीताल में स्थित है। इस इमारत के निर्माण के लिये जगह का चुनाव सन् 1844 में कोलकाता के बिशप डेनियल विल्सन द्वारा किया गया था। इस चर्च का नाम भी उन्हीं के द्वारा किया गया था। इस इमारत का आर्किटेक्ट कैप्टन यंग द्वारा तैयार किया गया और अक्टूबर 1846 में इस इमारत का निर्माण कार्य शुरू किया गया।

उस समय इस इमारत के निर्माण में करीब 15,000 रुपये का खर्च आया था। इसे पहली बार 2 अप्रेल 1848 को जनता के लिये खोला दिया गया जबकि उस समय भी यह चर्च पूरी तरह तैयार नहीं हुआ था। सन् 1856 में इसे सरकार द्वारा सार्वजनिक इमारत के रूप में अधिकृत कर लिया गया। उस समय से अभी तक चर्च में कुछ निर्माण कार्य और किये गये हैं। बाद के समय में इस चर्च में कुछ स्मारक बनाये गये हैं, जिनमें सन् 1880 में आये भयानक भूस्खलन में मारे गये लोगों और प्रथम विश्वयुद्ध (1914-1918) में शहीद हुई इंडियन सविल सर्विस के सैनिकों के स्मारक हैं।

यह इमारत आज भी नैनीताल की शान बनी हुई है।


"नारीलोक" -प्रेमलता एम. सेमलानी


दाल-बाटी-चूरमा "स्वाद राजस्थान का", इस क्रम मे पुर्व सप्ताह "दाल-ढोकली" बनाकर खाने का मजा लिया था। राजस्थान रन्गबिरन्गा प्रदेश है।
यह भॉति-भॉति के रीत-रिवाज, तरह तरह के आकर्षक खाने के लिये भी जाना जाता है। शायद आप पर्यटक के रुप मे जब भी जयपुर जाते है, तो चोखी-ढाणी जाकर दाल-बाटी-चूरमा खाने को मन जरुर करता है. देश विदेश मे प्रसिद्ध दाल-बाटी-चूरमा हम उन लोगो के लिए बताने जा रही हू जो राजस्थान से दुर बैठे-बैठे घर पर ही दाल-बाटी-चूरमा बना कर चोखी-ढाणी जयपुर जाने का अहसास कर भर ले.
10-12 व्यक्तियो के लिए
दाल
सामग्री

500 gm. मूग की दाल {छिलका वाली}
100 gm. चने के दाल
100 gm. उडद की दाल ( इच्छा हो तो )
100 gm. मूग की दाल {पीली दाल}
1/2 छोटा चम्मच हल्दी पाउडर
1 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर
5 कलिया लहसुन
1 छोटा चम्मच जीरा
2 छोटा चम्मच गरम मसाला
थोडा कडी पत्ता, थोडी सी कटी धनियापत्ती

बनाने की विधि:-
दालो को धो कर हलदी, नमक डालकर उबाल ले. दाल गल जाए तब फ़्राइन्ग पैन मे घी गरम कर के जीरा, करीपत्ता, व लहसुन का तडका लगाऎ,मिर्च और गरम मसाला डाले, धनियापत्ती से सजाए।
बाटी
सामग्री

1 KG. गेहू का आटा
300 gm. वनस्पति घी
100 gm. दही
300 gm. पानी
100 gm. देशी घी
5 gm. अजवाईन
5 gm. सोफ़
3 gm. साबूतधनिया
नमक स्वाद अनुसार, एवम तलने के लिए घी { आप चाहे तो तेल भी ले सकते है }.
बनाने की विधि:-
आटा, हलदी, नमक, अजवाइन, धनिया, वनस्पति घी,पानी, दही और सोफ़ मिलाइए, व अच्छी तरह आटे को सख्त गून्धे ले। गून्धे हुए आटे की छोटी-छोटी गोल बाटीया {लड्डू के आकार मे} बानाऎ. एक भगोले मे पानी उबाले. व उस मे बाटीया डाल कर 20 मिनट उबाले. कडाही मे घी गरम करे. और बाटियो को तल ले। देशी घी मे डूबोकर दाल के साथ सर्व करे. साथ मे अचार प्याज पापड या खिचिया हो तो खाने का कुछ और ही मजा है. इसे आप दाल के साथ चूर कर साथ मे आचार मिलाकर भी खा सकते है.
नोट-; अगर बाटी को घी मे नही तलना हो तो आप इसे ऒवन मे पक्का सकते है बाद मे घी मे डूबोकर या कम घी लगाकर खा सकते है.

चूरमा
सामग्री-:
500 gm. गेहू का मोटा आटा
200 gm. वनस्पति घी
200 gm. गुड
1 बडा चम्मच देशी घी (उपर से डालने के लिए)
थोडे से ड्राई फ़्रूट, नमक स्वाद अनुसार

बनाने की विधि:-
आटे मे नमक व पिघला हुआ वनस्पती घी मिलाए और कडा गून्ध कर छोटी-छोटी गोलिया बना ले. कडाही मे घी (या तेल) गरम करे, व उसमे गोलिया तले. गोलिया ठण्डी कर के पीस ले उसमे बारीक पीस कर गुड मिलाए. फ़िर ड्राई फ़्रूट बारीक काट कर मिलाए. अब घी मिलाए और गरम गरम सर्व करे.

****** ******
चुरमा बनाने मे ड्राईफ़्रूट चाहिए थे. किचन मे ड्राईफ़्रूट की बर्नियो के पास पहुची तो काजू, बदाम, पिस्ता, सभी खूश दिख रहे थे. मेने इसका राज पुछा तो -"पिस्ताबाई", "बादाम बाई", "और काजू भाई" एक साथ बोले-" भाभीजी आज हम बर्नी से बहार निकल कर "चूरमा जी" के सग जा मिलेगे, और चुरमाजी की शान बढाएगे इसलिए हम खुश है!"

पास की बोतल मे अखरोट जी बडे मायूस लग रहे थे.

अखरोट कहता है -"पता है! पता है! आप मेरे को चूरमे मे नही मिलाएगे, बडे-बुजर्ग तो मुझे खाने से कतराते है, जैसे उनके दॉत मैने गिराए हो!"

"अरे भाई गुस्सा मत हो- मै तो तेरे से प्यार करती हू ना !"
मैने उससे आगे पूछा-~ चल तू ही बता तेरे को खाने से लोगो का क्या भला होगा ?"
तब अपने मस्तिष्क रेखाफ़ल को उपर निचे करते हुऎ अखरोट कहता है -" भगवान ने मेरी रचना बिल्कुल मानव मस्तिष्क की अनुकृति कि है. मेरे मे ऎसे *तत्व भरे पडे है जो मानव मस्तिष्क को सन्तुलित एवम सक्षम बनाकर रख सकने मे सामर्थीय रखता हू.
*अगर लोग मेरा प्रतिदिन 50 ग्राम से 250 ग्राम का सेवन करे तो उनकी स्मृति-भन्ग की शिकायत मै दुर कर दुगा.
*मै आपको बता दे रहा हू मेरे पेड को बडा होने मे और फ़ल देने मे 30-40 वर्ष तक लग जाते है.
*मेरे वृक्ष की छाल रन्गाई मे और दवाईयो मे काम आती है. मेरे डन्ठल और पत्तिया जानवरो के काम आती है.
*अगर कोई मेरा (अखरोट) तेल सुबह सुबह 20gm. से 40gm. तक प्रात:काल दूध के साथ लेने से पेट मुलायम और साफ़ रहता है.
*मेरे से वात और पित्त दोनो ही डरतॆ है. मै मानव जीवनी का शक्ती बढाने मे एक अमोध शस्त्र हू. जो भी कोई एक निशिचत मात्रा मे मेरा प्रतिदिन प्रयोग करेगा उसमे रोग का प्रादुर्भाव नही होने दुगा. यहा तक की आपकी भुल जाने की बिमारी को मस्तिष्क मे उत्पन ही नही होने दुगा."
अरे! ठीक है, अखरोट भाई! अब मै तो रोज तुम्हारा सेवन करुगी ही "ताऊ डॉट इन" के भाई - बहनो को बताऊगी की वो तुम्हे भुले नही . अब अखरोट प्रसन्न दिख रहा था.

अब आप मुझे आज्ञा दीजिए अगले सप्ताह फ़िर मिलेगे एक नऎ विषय के साथ तब तक नमस्कार!
प्रेमलता एम सेमलानी


सहायक संपादक हीरामन मनोरंजक टिपणियां के साथ.
"मैं हूं हीरामन"

अरे हीरू ..देख जरा ..देख…ये मुरारी अंकल को क्या हुआ?

अरे पीरू क्यों बक बक करे जा रिया है? क्या होगिया?

अरे देख ..देख मुरारी अंकल को भूत ने पकड लिया..

कहां..? अबे पेलवान जरा सोच समझकर बोला कर..

अरे तो क्या मैं झूंठ बोल रिया हूं…ले खुद पढ ले…यहां तो आशीष अंकल को भी रामप्यारी की क्लास मे भर्ती होने की सलाह है?

 

 Blogger Murari Pareek said...

अरी रामप्यारी ये भुतहा त्रिभुज कहाँ से मिला बार बार बदली हो रहा है !! अभी गिनती किया तो १९ त्रिभुज आ रहे हैं , पुरे दिन से गिन गिन के जी त्रिभुज में फंस के रह गया !! हे प्रभि त्रिभुज भुत से मुक्ति दिलाओ !!

July 25, 2009 4:50 PM

रंजन said...

गिनते रहो गिनते रहो... ये त्रिभुज गिनने के लिये रामप्यारी की कक्षा में आना पडेगा..
ताऊ ये आशिष जी को भी भर्ती करो.. इतने गलत जबाब.. भारी डोनेशन लेना.. कितना भूलाना पडेगा कुछ नया सिखाने से पहले.. :))
राम राम

July 25, 2009 1:11 PM

 Blogger M.A.Sharma "सेहर" said...

ताऊ जी ..फ्री होते hee फिर गिनती सीखी ...अब 58 हो गए ....रामप्यारी की कक्षा में एड्मीसन मिलेगा तो इसके आगे भी आ ही जायेगी...haha
अब 58 तो हैं ही पक्का ..इसके आगे भी हो सकते हैं .:)))
वैसे शानदार पहेली है concentration बढाती हुयी ..बहुत खूब !!

July 25, 2009 3:53 PM

 Blogger मीत said...

येस... याहू!! राम प्यारी ने मेरा जवाब सही कर दिया....
अब तो तेरी ढूढ़ मलाई पक्की....
वैसे तू चाहे तो मेरे computer का mouse भी खा सकती है...
ख़राब हो गया है न...
मीत

July 25, 2009 12:23 PM

 

अरे हीरू ..चल निकल ले पेलवान..भौत घणी झमाझम बारिश शुरु हो री है..

हां..भिया चल जल्दी उड…घर भी पोंचणा हे कि नी?



ट्रेलर : - पढिये : श्री अभिषेक ओझा से ताऊ की अंतरंग बातचीत
"ट्रेलर"



इस सप्ताह के गुरुवार शाम ३:३३ पर परिचयनामा में मिलिये श्री अभिषेक ओझा से

ताऊ - अपने जीवन की कोई अविस्मरणीय घटना बतायेंगे?

अभिषेक - जब फिरंगी लड़की ने हमारी हिंदी समझ ली, वो हमउम्र तथा बड़ों से दोस्ती जिसकी कोई मिसाल नहीं, वो प्रोफेसर साहब का दुबारा अपने घर पर रहने के लिए बुलाना, वो 'लडकियां' जिन्होंने प्रोपोज किया, प्रोफेसर साहब ने जिस दिन अपनी बेटी का रिश्ता दिया, अनेकों हैं...

ताऊ के साथ एक बहुत ही दिलचस्प मुलाकात हमा्रे सम्माननिय मेहमान श्री अभिषेक ओझा से



अब ताऊ साप्ताहिक पत्रिका का यह अंक यहीं समाप्त करने की इजाजत चाहते हैं. अगले सप्ताह फ़िर आपसे मुलाकात होगी. संपादक मंडल के सभी सदस्यों की और से आपके सहयोग के लिये आभार.

संपादक मंडल :-
मुख्य संपादक : ताऊ रामपुरिया
वरिष्ठ संपादक : समीर लाल "समीर"
विशेष संपादक : अल्पना वर्मा
संपादक (तकनीकी) : आशीष खण्डेलवाल
संपादक (प्रबंधन) : Seema Gupta
संस्कृति संपादक : विनीता यशश्वी
सहायक संपादक : मिस. रामप्यारी, बीनू फ़िरंगी एवम हीरामन
स्तम्भकार :-
"नारीलोक" - प्रेमलता एम. सेमलानी

ताऊ पहेली – 32 विजेता श्री रविकांत पांडे

प्रिय भाईयो और बहणों, भतीजों और भतीजियों आप सबको घणी रामराम

 

Kerala_houseboat
केरल हाउसबोट

 

कल की ताऊ पहेली – 32   का सही जवाब है  केरल राज्य स्थित चेरमन पेरूमल मस्जिद.  जिसके बारे में कल सोमवार की ताऊ साप्ताहिक पत्रिका मे विस्तार से बता रही हैं सु अल्पना वर्मा.

 

अब बात करें ताऊ पहेली – 32  के परिणामों की. आज के प्रथम विजेता रहे हैं श्री रविकांत पांडे  दुसरे विजेता हैं   श्री प्रकाश गोविन्द.  और तीसरे विजेता हैं श्री स्मार्ट ईंडियन.    सभी को हार्दिक बधाई.

हमारी परंपरा अनुसार अबकी बार का  ताऊ के साथ कलेवा करने का आमंत्रण. दिया जारहा है  श्री संजय तिवारी “संजू” को.   उनको  जल्द ही निमंत्रण भेजा जा रहा है.  हार्दिक बधाई.

 

ravikant-pande
आज के प्रथम विजेता श्री रविकांत पांडे हार्दिक बधाई .पूरे १०१ अंक 

दूसरे विजेता श्री प्रकाश गोविन्द अंक १०० बधाई
smartindian
आज के तीसरे विजेता हैं श्री स्मार्ट इंडियन अंक ९९ बधाई

 

 

आईये अब क्रमश: आज के अन्य माननिय विजेताओं से  आपको मिलवाते हैं.

 

 

  संजय तिवारी ’संजू’ अंक ९८

  P.N. Subramanian अंक ९७

  seema gupta अंक ९६

  Pankaj Mishra अंक ९५

  Pt.डी.के.शर्मा"वत्स" अंक ९४

Anonymous अंक ९३
 रंजन  अंक ९२

  मीत अंक ९१

  नितिन | Nitin Vyas अंक ९०

 woyaadein अंक ८९

  HEY PRABHU YEH TERA PATH अंक ८८

  सैयद | Syed अंक ८७

  कुश  अंक ८६

 premlatapandey अंक ८५

  Vivek Rastogi अंक ८४

  हिमांशु । Himanshu अंक ८३

  Murari Pareek अंक ८२

  डॉ. मनोज मिश्र अंक ८१

  M.A.Sharma "सेहर" अंक ८०

 

 

इसके अलावा निम्न महानुभावों ने भी इस पहेली अंक मे शामिल होकर हमारा उत्साह बढाया. जिसके लिये हम उनके हृदय से आभारी हैं.

 

श्री काजल कुमार, श्री दीपक तिवारी, श्री सोनू, श्री भैरव, सु. सोनिया, श्री भानाराम जाट, श्री अविनाश वाचस्पति, सु.अन्नपुर्णा, श्री दिनेशराय द्विवेदी, सु. महक, श्री संजय बैंगाणी, श्री नीरज गोस्वामी, श्री सही,

श्री दिलिप कवठेकर, श्री मकरंद, सु. मधु, श्री गौतम राजरिशी, श्री लालों के लाल इंदौरीलाल, श्री दिगम्बर नासवा, श्री जगदीश त्रिपाठी, श्री डा. रुपचंद्र शाश्त्री, श्री अल्बेला खत्री, श्री गगन शर्मा, लाल और बवाल और श्री नरेश सिंह राथौड.

 

आप सभी का बहुत आभार.

 

 

 

rampyari ki badi tasweer1

 

हाय…गुड मोर्निंग एवरी बडी…आई एम राम..की प्यारी रामप्यारी.

 

रामप्यारी के  सवाल के सही जवाब दिये श्री प्रकाश गोविंद, श्री रंजन अंकल..अरे रंजन अंकल आपने जो चित्र भेजा वो तो मैने मेरी स्कूल के लिये पहले ही खरीद लिया था. अब मुझे भी इसका जवाब कोई आता थोडे ही ना था.:)

 

triangle (1)

  सवाल
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जवाब

 

फ़िर नितिन व्यास अंकल, मीत अंकल…संजय तिवारी “संजू” अंकल, और वो यादें भैया..अब ठीक है ना वो यादें अंकल..?  आप सबको ३० नम्बर दिये गये.

 

अब रामप्यारी की तरफ़ से रामराम…अगले शनीवार फ़िर मिलेंगें. तब तक के लिये नमस्ते ..और हां आपका कल से शुरु होने वाला सप्ताह शुभ हो.

 

 

अच्छा अब नमस्ते. कल सोमवार को ताऊ साप्ताहिक पत्रिका मे आपसे पुन: भेंट होगी.

सभी प्रतिभागियों को इस प्रतियोगिता मे हमारा उत्साह वर्धन करने के लिये हार्दिक धन्यवाद.

 

ताऊ पहेली – ३२  का  आयोजन एवम संचालन ताऊ रामपुरिया और सुश्री अल्पना वर्मा ने किया.

 

संपादक मंडल :-

मुख्य संपादक : ताऊ रामपुरिया
वरिष्ठ संपादक : समीर लाल "समीर"
विशेष संपादक : अल्पना वर्मा
संपादक (तकनीकी) : आशीष खण्डेलवाल
संपादक (प्रबंधन) : Seema Gupta
संस्कृति संपादक : विनीता यशश्वी
सहायक संपादक : मिस. रामप्यारी, बीनू फ़िरंगी एवम हीरामन

स्तंभकार : प्रेमलता एम. सेमलानी ( नारीलोक)

 

 

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मग्गाबाबा का चिठ्ठाश्रम

मिस.रामप्यारी का ब्लाग