"फ़िर भी"

"फिर भी"


दिल पत्थर
आंख पत्थर
फिर भी
आंसू आंख में नहीं
दिल में झरते हैं
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जबान बंद
सिल गये होंठ
फिर भी
खुद से बातें
खामोशी में होती है


जीवन सूना
वीरान ये दुनिया
फिर भी
मजबूरी है
जीना हर हाल में पडता है.



(हबीब तनवीर जी, आदित्य जी, नीरज पुरी जी, और लाड सिंह गुज्जर जी को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि)

(इस रचना के दुरूस्तीकरण के लिये सुश्री सीमा गुप्ता का हार्दिक आभार!)





ताऊ की अंतरंग बातचीत श्री हिमांशु से पढिये

गुरुवार ११ जून २००९ को

अत्यंत रोचक जानकारी के साथ.

Comments

  1. फिर भी
    मजबूरी है
    जीना हर हाल में पडता है.

    बहुत खूब ताऊ !

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  2. बहुत सटीक कविता. सुंदर भाव.

    हिमांशु जी के परिचय की प्रतिक्षा है.

    रामराम.

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  3. जबान बंद
    सिल गये होंठ
    फिर भी
    खुद से बातें
    खामोशी में होती है

    बहुत खूब कही ताऊ.

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  4. जीवन सूना
    वीरान ये दुनिया
    फिर भी
    मजबूरी है
    जीना हर हाल में पडता है.

    सही बात है.

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  5. इब समझा मैं...यो थारी मजबूरी में जीने ..के कारण..पता नहीं तू कहाँ कहाँ भटके है...वहाँ की फोटुआं..खींच के...पहेलियाँ ने बाड़ देवे है.. होर सारे ब्लागगेरण नु छोड़ देवे है ...सर खुजाने के वास्ते...घना फिलोस्फिकल हो रिया ताऊ...यो हिमांशु की पोल तो खोल ही डाल,....

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  6. बहुत गहरा!!!


    हिमांशु जी से बातचीत का इन्तजार.

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  7. सुन्दरम। सीमा जी को बधाई। सीमा जी का स्वास्थ्य अब तो ठीक हो गया होगा शायद।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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  8. जीना हर हाल में पड़ता है.....सही लिखा.

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  9. sateek
    sundar
    saumy
    _______bahut achha

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  10. इस कविता के माध्यम से आपने दिवंगत कवियों को बहुत ही भावभीनी श्रद्धांजली दी है. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे.

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  11. फिर भी
    मजबूरी है
    जीना हर हाल में पडता है.


    बेहद कमाल की कविता. बहुत सामयिक है आज.

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  12. ताऊ बहुत ही मार्मिक और शानदार यथार्थवादी कविता.

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  13. जबान बंद
    सिल गये होंठ
    फिर भी
    खुद से बातें
    खामोशी में होती है

    bahut umda aur satik.

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  14. साहित्य-जगत को बहुत गहरा आघात्।
    हबीब तनवीर जी, आदित्य जी, नीरज पुरी जी, और लाड सिंह गुज्जर जी को भाव-भीनी श्रद्धांजलि।

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  15. जीवन सूना
    वीरान ये दुनिया
    फिर भी
    मजबूरी है
    जीना हर हाल में पडता है.

    सचमुच, ये विवशता तो जीव के साथ सृ्ष्टि के आदिकाल से ही जुडी हुई है।

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  16. इश्वर उन्हें शांति दे...
    मीत

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  17. भगवान् उनके परिवार को दुःख सहने की शक्ति दे ........

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  18. जीवन के सफ़र में राही
    मिलते हैं बिछड़ जाने को
    दे जाते हैं यादें...

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  19. जबान बंद
    सिल गये होंठ
    फिर भी
    खुद से बातें
    खामोशी में होती है

    Bahut achhi abhivyakti...

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  20. बहुत बढ़िया ताऊ !

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  21. आपकी गहरी कविता बहुत सोचने को मजबूर कर रही है.. हबीब तनवीर जी, आदित्य जी, नीरज पुरी जी, और लाड सिंह गुज्जर जी को हमारी ओर से भी अश्रुपूरित श्रद्धांजलि..

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  22. 'फिर भी''कविता बेबस मन को समझाती सी जान पड़ती है.

    विदिशा की दुर्घटना में अलविदा कह गए कविवर हबीब तनवीर जी, आदित्य जी, नीरज पुरी जी, और लाड सिंह गुज्जर जी को हमारी भी अश्रुपूरित श्रद्धांजलि.

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  23. Can't do anything, have to move ahead. Thats the life..

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  24. बहुत अच्छी कविता ताऊ.. और आज तो सीमा जी ने अपने ब्लोग पर भी लेखन आरम्भ कर दिया.. शुभकामनाऐं....



    सड़क दुर्घटना में दिवंगत कवियों को श्रदांजली!!

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  25. सही कहा
    फिर भी
    मजबूरी है
    जीना हर हाल में पडता है.

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  26. हमारी तरफ़ से भी हबीब तनवीर जी, आदित्य जी, नीरज पुरी जी, और लाड सिंह गुज्जर जी को श्रद्धांजलि
    राम राम जी की

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  27. फिर भी जाने क्यों ?

    हबीब तनवीर जी, आदित्य जी, नीरज पुरी जी, और लाड सिंह गुज्जर जी को हमारी अश्रुपूरित श्रद्धांजलि

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  28. फिर भी...की फिर भी खूब भायी !

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  29. बहुत सुन्दर!
    घुघूती बासूती

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