ताऊ की शोले (एपिसोड - 6)लेखक : ताऊ रामपुरिया और अदा,एपिसोड निर्देशक : ताऊ रामपुरिया और अनिता कुमारसगीत निर्देशक : दिलिप कवठेकरइस एपिसोड से बसंती का रोल कर रही हैं "अदा"
बसंती फरारी में भेष बदलकर इधर से उधर छुपती फिर रही है. उसे पुलिस शिकारी कुत्ते कि तरह ढूंढ़ रही है. बसंती को रामपुर के इलाके से निकलना बहुत ज़रूरी है. खेतों से छुपते छुपाते वो सड़क पर आ जाती है......दूर दूर तक कोई वहां नज़र नहीं आ रहा है. कड़कती दोपहरी है और सुनसान सड़क कोई गाड़ी-छटका नहीं दिख रहा है.
धन्नों भी थक गई है. बसंती ने उसे अपने कांधे पर बैठा लिया है और चली जारही है. तभी एक पेड की छांव में आड लेकर वो अपना मोबाईल निकाल कर सांभा को फ़ोन लगाकर बात करती है..
बसंती : हां हैल्लो...हां कौन सांभा? अरे जोर से बोलो भाई...हम बसंती हैं इधर से...
उधर से सांभा की आवाज आती है....हां बसंती बहन..बोलो..बोलो..मैं सांभा ही बोल रहा हूं.
बसंती : अरे सांभा भैया...अब का बोलें? अऊर का ना बोले? तुम्हीं बताओ...इहां मारे मारे फ़िर रहे हैं और तुम लोगों को कोई हमारी फ़िक्र ही नही है?
सांभा : अरे बसंती..ऐसे मत सोचो..हम इतना परेशान हूं...सबके लिये...अब क्या करें? तुम्ही बताओ....उधर वो कालिया अलग गिरोह बनाने की धमकी दे रहा है. इधर गिरोह के लोग इधर उधर हो रहे हैं...गोली बारुद कुछ है नही..जो कोई शिकार करें....चारों तरफ़ से पुलिस का शिकंजा अलग से...
बसंती : अरे सांभा भैया..क्या कह रहे हो? ऊ कालिया का इतना हिम्म्त होगया..जो अलग गिरोह बनायेगा?
सांभा : अब का बतायें? ऊ जेलर के चक्कर मे आगया है कालिया तो..और तुम तो जानती ही हो कि गब्बर ने जेलर का पूरा हिस्सा नही दिया तब तक वो ऐसे ही गिरोह के आदमियों को भडकाता रहेगा. बडा खडूस है वो जेलर.
बसंती : तो गब्बर से कह कर उसका हिसाब किताब क्यों नाही करा देत हो?
सांभा : बसंती तुम भी समझदार होकर ऐसी बात बोल रही हो? अरे बिना रुपयों के हिसाब कहां से करवाय दें? और जेलर अपना पूरा हिस्सा लिये बिना मानने वाला नही है.
बसंती : तो गब्बर क्या कर रहे हैं आजकल..कहीं दू चार लम्बे हाथ मारकर जेलर का मूंह बंद करो और गिरोह वालों को खर्चा पानी दो..दिपावली दशहरा का त्योंहार अलग से आगया है सर पर.
सांभा : अरे बसंती...यही तो मैं समझा समझा कर हार गया पर ऊ गब्बर भाई मानें तब ना...बस ऊ ठाकुर के चक्कर मे चढ गये हैं और कहीं कुछ काम धंधा यानि डकैती वकैती डालने की योजना ही नही बनाते....बस दिन रात ऊ ठाकुर के लेपटोप मे आंखे गडाये बैठे रहत हैं..
बसंती : ई लेपटोपवा का बला है? कोनू आंख गडाने की चीज है का?
सांभा : अरे ऊ..का बताये अब....ठाकुर ने गब्बर को बिगाड के रख दिया..ऊ ससुरी बिलागिंग विलागिंग सिखा दी उसको..बस दिन रात रमे रहते हैं उसी मां...ना किसी से कछु लेना ना देना...पता नही ई ठाकुर ने कौन सा बदला निकाला है...
बसंती : का ये कोनू छूत की बीमारी है का?
सांभा : अरे उससे भी बुरी बीमारी है...सिर्फ़ मौसी ही बचा सकती है इससे...और मौसी जब भी आती है...गब्बर डर के मारे छुप जाता है..मौसी से मिलता ही नही है...
बसंती : सांभा भाई...आप चिंता मत करो...ई गब्बर का अक्ल तो हम ठिकाने लगाय देब....जरा हम मौसी तक पहुंच जाय..और फ़िर ऊ..कालिया का भी हिसाब निपटा देंगे...चिंता नही करना...इस गिरोह को टूटने नही देंगे हम...बडी मुश्किल से खून पसीना एक करके बनाया है हम लोगों ने इसको..
सांभा - हां बसंती.. ई तो तुम सही कहत हो...पर अब आगे क्या करें...ऊ गब्बर तो बिलागिंग के रोग मे जकड गया है...ठाकुर उसको बेवकूफ़ बना रहा है..ना तो हथियार दिलवा रहा है..ना छुडवा रहा है..बल्कि अफ़ीमची की तरह बिलागिंग का नशा पिलाय देत है..दिन भर गब्बर को...और बस गब्बर दिन भर गाते रहत हैं..आ..ब्लागिंग करले..आ ब्लागिंग करले...
बसंती : अऊर ऊ जय का कोनू पता चलबे किया की नाहीं..?
सांभा : अरे बसंती बहन ...लगता है ई ससुर गिरोह ही कोनू गलत मुहुर्त में बन गवा. कोई काम करना ही नही चाहता. हम अकेले ही अब कितना काम करें?
बसंती : अरे सांभा भाई... ऊ ताऊ वाली स्टाईल में पहेलियां मत बूझावो...और दन्न से बताओ कि क्या लफ़डा किये हैं जय? काहे से की ...अब धन्नों को पुलिस का गंध आने लगा है अऊर अब हम और हमारी धन्नों इहां से चम्पत होने की सोच रहे हैं..अब एरिया बदलना है.
सांभा : बसंती बहन...बात ऐसन है कि जय को तो गब्बर से भी बुरी बीमारी लग गई है.....पता नही कहां से लगी..सब काम धंधा छोड छाडकर...बस गाते फ़िरते हैं..' तुझे देख के मेरी मधुबाला, मेरा मन ये पागल झाला, तूने इक बार हंस के जो बोला.......
बसंती : अरे सांभा भाई...ई का बोल रहे हो? का जय पगलाय गये का? साफ़ साफ़ बतलाओ भाई..
सांभा : अब का बतायें बसंती बहन...सब गिरोह चौपट करवा दिया इस लडके नें...पता नही आजकल..मेरी मधुबाला...मेरी मधुबाला...गाते हुये..ऊ खपोली की पहाडियों मे घूमते रहते हैं....
बसंती : ई का कहत हो सांभा भाई? जय बचूआ तो बडे मेहनती रहे...और.....
सांभा बात काटते हुये बीच में ही बोला : और..अरे और पता नही कहां से ई शायरी का रोग ऊपर से लगवा लिये कहीं से? हम कितनी बार संदेशा भेजे कि हमको फ़ोन करो..फ़ोन करो.. पर नाही..उनको तो मधुबाला से ही फ़ुरसत नही...तो ऊ डकैती ऊकैती का कहां से सोचें? एक बार जय का शायरी का भूत उतर जाये तो ई लडका काम का है...ई हमारे गिरोह को चलाने की अक्ल रखता है. हमको इससे बहुत उम्मीदें थी..पर का करें.....
बसंती : हैल्लो..सांभा भैया...हिम्मत मत हारो..पुराने दिन फ़िर लौटेंगे...एक एक दिन मे दो दो ठो डकैतियां फ़िर से डालेंगे हम लोग...बस तुम तैयारी करो...मैं कैसे भी करके सूरमा भोपाली से मिलकर जेलर को सेट करती हूं...कि हमको कुछ वारदात उधार मे करने दे और पुलिस का फ़ंदा कम करवाये...फ़िर उसका उधार भी चुका देंगे..और सब मामला सेट कर देंगे....अब तुम मेरे फ़ोन का ईंतजार करना और ...कुछ गलत कदम मत उठाना...पुलिस पीछे लगी है..मैं सूरमा भोपाली से कहकर जरा पुलिस को हटवाती हूं... ओके...
सांभा : ओके ..बसंती..अब तो इस डूबते गिरोह को तुम्हारा ही सहारा है. (सांभा फ़ोन काट देता है. और कहीं और फ़ोन लगाने लगता है.)
इधर बसंती भरी दोपहर की गर्मी में चली जारही है.......तभी दूर से एक ठो मोटर साईकिल दिख रहा है. बसंती हाथ का अंगूठा दिखा कर रोकती है.. एक लड़का चला रहा था मोटर साईकिल... बसंती को देख कर रोक देता हैं.लड़का : क्या बात है मैडम कोनो दिक्कत है का ?
बसंती : युंकी आप भी बहुत गजब सवाल किये हैं.....अगर दिक्कत नहीं होता तो इ ठेपो हम ऐसा ही देखाए का ..?
लड़का : हाँ कहिये का बात है ?
बसंती : युंकी ऐसा तो है नहीं कि आपसे गपियाने का वास्ते हम डहर में खड़े हैं, हम सोचे कि आप भी शहर जैबे कर रहे हैं और आपका पीछे वाला सीट भी वही जैबे कर रहा है...तो सोचे वाला बात इ है कि अगर हमहूँ आपके साथ बैठ जावें और गर्रर से आप मोटर साईकिलवा आप चलावें तो कौनो पिरोब्लेम का बात नहीं नु है ......बोलिए बोलिए. ?? माने कि आम का आम और गुठली का दाम हमहूँ चहुंप जावेंगे न सहर, सुरमा भोपाली जी का घर पर....
लड़का : हाँ हाँ मैडम काहे नहीं ...हम उधर जैबे न कर रहे हैं..आप बैठ जाइए पीछे कोई पिरोब्लेम नहीं है
बसंती : युंकी हम जानते थे कि आप हैं तो लड़का बाकी समझदार हैं, नहीं आज का जबाना में बहुत कम हो गया है ऐसा प्राणी. अच्छा चलिए अब..... चल धन्नो तोहरी बसंती को मिल गवा सवारी .......
इतने में एक बकरी का बच्चा दौड़ता हुआ आता है और बसंती कि गोद में चढ़ जाता है ...लड़का : अरे इ बकरी का बच्चा कौन है मैडम ? इसका का काम ?
बसंती : युंकी इ आप का बोले ? बकरी का बच्चा ? इ आपको बकरी का बच्चा दीस रहा है !! अरे इ धन्नो है धन्नो... इसको ऐसन-वैसन मत समझियेगा इ आपको केतना बार बेच कर खरीद लेगी आपको पतो नहीं चलेगा समझे.....जायेंगे तो दोनों जायेगे साथ में.. मजूर है तो बोलिए नहीं तो जय राम जी की...बसंती चली अपना घर..
लड़का : अरे मैडम कोई बात नहीं इसको भी बैठा लीजिये
बसंती धन्नो के साथ मोटर साईकिल में पीछे बैठ जाती है..रस्ते में धन्नो के कान में बसंती कुछ कहती है,,, और धन्नो लड़के का कान कुतरने लगती है.....लड़का बहुत परेशां हो जाता है.
लड़का : अरे मैडम आपकी धन्नो तो हमरे कान को चारा समझ के खाए जा रही है इसको रोकिये न
बसंती : युंकी बात इ है की हमरी धन्नो को कान खाने की आदत है...अब अगर घोड़ा घास से दोस्ती करेगा तो खायेगा का ...इसी लिए हम अपना धन्नो को सबका कान काटने देते हैं भाई.
लड़का : अरे लेकिन हम मोटर साईकिलवा चलावेंगे कैसे ?
बसंती : युंकी आप काहे चला रहे हैं महराज.. हम कौन मर्ज का दवा हैं हजूर?
लड़का : आप मोटर साईकिल चलाती हैं ??? लडका आँख फाड़-फाड़ कर देखता है..
बसंती : लो कर लो बात ....i can drive motor cycle, i can walk motor cycle, i can talk motor cycle.. i can..अरे बसंती तुमको मोटर साइकिल में बैठा कर रामपुर का चार ठो चक्कर लगा कर तेसन्वा पर छोड़ कर आवेगी हाँ ...कह दे रहे हैं.
लड़का : अच्छा बाबा तो आप ही चलाइये हम पीछे बैठता हूँ..
बसंती : ठीक है बाकि धन्नो हमरे साथ आगे ही रहेगी भाई ...मंजूर है
लड़का : मंजूर है
लड़का उतरता है, बसंती मोटर साईकिल स्टार्ट करती है धन्नो को सामने 'बिठाती' है और इसके पहले की लड़का पीछे बैठे मोटर साइकिल लेकर भाग जाती है ..लड़का चिल्लाता रहता है 'अरे रोको'..अरे मेरी बाईक उडा ले गई रे....कोई तो रोको...अरे मैं लुट गया रे...
और बसंती बोलती है, चल धन्नो ....ऐ पलट सवार !!!!!'
भैया इब इं गब्बर ने समझा दो ठाकुर के चंगुल में ना रह कर कुछ उगाही करे नहीं निठ्ठले हो जावोगे| इ बिलागिंग में लग गया तो कुछो काम नि होगा | इब दसहरा आ रहा है तो काहे नहीं हम गिरोह वालों को कुछ खर्चा पानी दे रहे हो |
ReplyDeleteताऊ गाना जय की सुरीली आवाज में होता चाहे अभिजीत गुप्ते के प्लेबेक के साथ ही तो मजा और बढ़ जाता। हमारा मन पसंद गाना है। बहुत बढ़िया लिखा है अदा जी ने
ReplyDeleteअरे ताऊ धन्नो से ज्यादा तो यह बसंती कान खाती है, ओर यह बसंती तो बहुत तेज निकली बेचारे सीधे साधे ताऊ जेसे शरीफ़ आदमी का मोटरवा बाईसिकिल ही ले भागी.... राम राम
ReplyDeletewaah basanti ki raftar bhi badi te hai,jaban se bhi aur bike par bhi,maza aa gaya.
ReplyDeleteई लेपटोपवा का बला है? कोनू आंख गडाने की चीज है का?
ReplyDeleteताऊ बहूत सुन्दर भाई
और अदा जी का अभिनय भी अच्छा
ताऊ जी बहुत सुन्दर है यहाँ भी ब्लग्गिन्ग की बिमारी लगा दी गब्बर को वाह ताऊ
ReplyDeleteअसली शोले से भी ज्यादा इंटरेस्टिंग.. हैपी ब्लॉगिंग
ReplyDelete"अदा" बसंती फरारी भेष में मदनमहल की पहाडियो के आसपास देखि गई है . हा हा हा
ReplyDelete"अदा" बसंती फरारी में भेष में मदनमहल की पहाडियो के आसपास देखि गई है .ताऊ बहूत सुन्दर भाई
ReplyDeleteअसली शोले से भी ज्यादा इंटरेस्टिंग.. हैपी ब्लॉगिंग
ReplyDeleteअरे सांभा भाई... ऊ ताऊ वाली स्टाईल में पहेलियां मत बूझावो...और दन्न से बताओ कि क्या लफ़डा किये हैं जय? काहे से की ...अब धन्नों को पुलिस का गंध आने लगा है अऊर अब हम और हमारी धन्नों इहां से चम्पत होने की सोच रहे हैं..अब एरिया बदलना है.
ReplyDeleteताऊ इस शोले मे हमको भी भर्ती करलो. आनंद आया.
बसंती : हैल्लो..सांभा भैया...हिम्मत मत हारो..पुराने दिन फ़िर लौटेंगे...एक एक दिन मे दो दो ठो डकैतियां फ़िर से डालेंगे हम लोग...बस तुम तैयारी करो...मैं कैसे भी करके सूरमा भोपाली से मिलकर जेलर को सेट करती हूं...कि हमको कुछ वारदात उधार मे करने दे और पुलिस का फ़ंदा कम करवाये
ReplyDeleteये तो पूरी आधुनिक डकैतों की मंडली है..भग्वान बचाए..जय बसंती और सांभा की.
बसंती : हैल्लो..सांभा भैया...हिम्मत मत हारो..पुराने दिन फ़िर लौटेंगे...एक एक दिन मे दो दो ठो डकैतियां फ़िर से डालेंगे हम लोग...बस तुम तैयारी करो...मैं कैसे भी करके सूरमा भोपाली से मिलकर जेलर को सेट करती हूं...कि हमको कुछ वारदात उधार मे करने दे और पुलिस का फ़ंदा कम करवाये
ReplyDeleteये तो पूरी आधुनिक डकैतों की मंडली है..भग्वान बचाए..जय बसंती और सांभा की.
युंकी इ आप का बोले ? बकरी का बच्चा ? इ आपको बकरी का बच्चा दीस रहा है !! अरे इ धन्नो है धन्नो... इसको ऐसन-वैसन मत समझियेगा इ आपको केतना बार बेच कर खरीद लेगी आपको पतो नहीं चलेगा समझे.....जायेंगे तो दोनों जायेगे साथ में.. मजूर है तो बोलिए नहीं तो जय राम जी की...बसंती चली अपना घर..
ReplyDeletevah..superhit...
बसंती : लो कर लो बात ....i can drive motor cycle, i can walk motor cycle, i can talk motor cycle.. i can..अरे बसंती तुमको मोटर साइकिल में बैठा कर रामपुर का चार ठो चक्कर लगा कर तेसन्वा पर छोड़ कर आवेगी हाँ ...कह दे रहे हैं.
ReplyDeleteवाह बसंती के डायलोग तो सुपरहिट हैं...गजब कर दिया...जबरदस्त
बसंती : लो कर लो बात ....i can drive motor cycle, i can walk motor cycle, i can talk motor cycle.. i can..अरे बसंती तुमको मोटर साइकिल में बैठा कर रामपुर का चार ठो चक्कर लगा कर तेसन्वा पर छोड़ कर आवेगी हाँ ...कह दे रहे हैं.
ReplyDeleteवाह बसंती के डायलोग तो सुपरहिट हैं...गजब कर दिया...जबरदस्त
सही एपिसोड चल रहे है ! मस्त !
ReplyDeletejabardast taauji. bahut jordar dialog ..bahut maja aaya.
ReplyDeleteऔर बसंती बोलती है, चल धन्नो ....ऐ पलट सवार !!!!!'
ReplyDeleteलाजवाब ..अति सफ़ल फ़िल्म है ताऊ!
आज बैकग्राऊंड म्युजिक नही सुनाई दिया?
ReplyDeleteताऊ ये तो इंदौरियों को भी मात देदी आपने.:) गजब की शोले बनाई है.
ReplyDeleteताऊ ये तो इंदौरियों को भी मात देदी आपने.:) गजब की शोले बनाई है.
ReplyDeleteताऊ की शोले सुपरहिट.....इसे तो आस्कर अवार्ड मिलना तय है:)
ReplyDeleteसांभा : बसंती बहन...बात ऐसन है कि जय को तो गब्बर से भी बुरी बीमारी लग गई है.....पता नही कहां से लगी..सब काम धंधा छोड छाडकर...बस गाते फ़िरते हैं..' तुझे देख के मेरी मधुबाला, मेरा मन ये पागल झाला, तूने इक बार हंस के जो बोला.......
ReplyDeletejay sahi mein paglaay gaya hai bhai
बसंती : युंकी आप भी बहुत गजब सवाल किये हैं.....अगर दिक्कत नहीं होता तो इ ठेपो हम ऐसा ही देखाए का ..?
'thepo' dekhaye..ha ha ha
are bahut zabardast dialogue hai bhai
बसंती : युंकी इ आप का बोले ? बकरी का बच्चा ? इ आपको बकरी का बच्चा दीस रहा है !! अरे इ धन्नो है धन्नो... इसको ऐसन-वैसन मत समझियेगा इ आपको केतना बार बेच कर खरीद लेगी आपको पतो नहीं चलेगा समझे.....जायेंगे तो दोनों जायेगे साथ में.. मजूर है तो बोलिए नहीं तो जय राम जी की...बसंती चली अपना घर..
sholey ka baap banaye hain aap log
superhit.
jay Basanti, jay sambha
bahut badhiya..
बहुत बढ़िया कहानी है ताऊ इस फिलम की तो।
ReplyDelete1 अप्रैल को हरियाणा सरकार ने तो इसे
"फिल्म फियर अवार्ड" देने का मन बना रक्खा है!
-:)
ye shole to kamaal kee hotee ja rahee hai....
ReplyDeleteJAI HO...............
ReplyDeleteStory to kamal hai hi is film ki per phtography to usse bhi kamal hai...
ReplyDeleteएक तो साम्भा जैसा डाकू और उस पर अदा जैसी बसंती...करेला ऊपर नीम चढा
ReplyDeleteडकैतों का भविष्य उज्जवल है और ताऊ की शोले का भी ..!!
बहुत शुभकामनायें ..!!
वाह बसंती वाह... तू तो पुराणी बसंती से कहीं आगे है...
ReplyDeleteऔर यह गब्बर को भी गजब चस्का लग गया है...
बहुत खूब ताऊ...
मीत
शुक्र है कि धन्नो मोटर साइकिल स्टार्ट कर बसंती को बिठाकर न ले भागी.
ReplyDeleteYO FILM TO JHANDE GAAD RAHI HAI ... IB COMPUTER KI SCREEN FAAD KAR BAAHAR AANE VAALI HAI SINEMA GHARON MEIN ... GHANI CHOKI LAAG RI HAI ...
ReplyDeleteMaja aa gaya padh kar..
ReplyDeletebahut badhiya remake..sholey ki ..
सकरपिट तो आछी सै
ReplyDeleteबट यू उपर झा की फोटो क्यों लगाई है
क्या सरकार ने इनाम रखा है इस पर
और किसी ने जिकर तक नहीं किया
कहीं ऐसन तो नाहीं जिकर करने वाला ही
धर लिया जाये
बट जल्दी बतलाया जाए
रहस्य गहराता जा रहा है।
इब आएगा मजा खेल में...
ReplyDeleteनीरज
आपके इस शोले फ़िल्म के सामने बॉलीवुड के शोले फ़िल्म बिल्कुल फीकी पर गई! ताऊ जी मानना पड़ेगा आपको! कमाल धमाल कर दिया आपने! बसंती तो बड़ी तेज़ रफ्तार से बाइक चला रही है! बोले तो बिंदास!
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति....बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteमैनें अपने सभी ब्लागों जैसे ‘मेरी ग़ज़ल’,‘मेरे गीत’ और ‘रोमांटिक रचनाएं’ को एक ही ब्लाग "मेरी ग़ज़लें,मेरे गीत/प्रसन्नवदन चतुर्वेदी"में पिरो दिया है।
आप का स्वागत है...
उडी बाबा,
ReplyDeleteएइ की ???
तुमि खूब बहादुर
बासंती तो किछु नोई तोमार आगे ...
ओ माँ की बोलबो तोमाके लाज लग्छे आमाके......
कीरे बुझते पारो न जे की होच्छे तोमार शोंगे...????
@ शोले:
ताऊ जी, अनीता जी आपको बहुत बहुत बधाई ...
लोगो ने पसंद किया है...
आप दोनों किलेखनी को प्रणाम करती हूँ बहुत ही बढ़िया लिखा है...
एकदम ज़बरदस्त..