ताऊ की शोले (एपिसोड - 5)
आप पहले पढ चुके हैं कि कालिया रेल्वे टेशन बसंती के साथ गया था गोला बारुद की खेप लेने..वापस लौटते मे पुलिस मुठभेड मे कालिया अरेस्ट होकर जेल पहुंच गया..तांगा और धन्नों गोला बारुद सहित जब्त होगये..बसंती किसी तरह भागने मे कामयाब होगई थी जिसका अभी तक पता नही चला. अब आगे पढिये........
अंग्रेजों के जमाने के जेलर साहब जेल मे तशरीफ़ लाते हैं. जो ब्लागिंग के भयंकर लती हैं. साथ मे चार सिपाही हैं. और उनका खासमखास जासूस हरीराम भी साथ ही है. कैदी लाईन मे खडे हैं. जेलर साहब मुआयना करते हुये कालिया के पास आकर रुकते हैं.
जेलर : हूंss..तो कालिया कितनी पोस्ट लिखी थी?
कालिया : हुजुर कहां लिखी? अबकि तो लिखने के पहले ही यहां पहुंच गया? पर मैं कुछ समझा नही?
जेलर : हाsआ...सब समझ जाओगे कालिया...हरीराम.. अरे.. ओ हरीराम...जेलर साहब ने आवाज लगाई..
हरीराम : आया हुजुर...मेरे आका..हुकुम किजिये...
जेलर ने उसको अपने पीछे आने का इशारा किया और तेजी से अपने आफ़िस की तरफ़ बढ गया.जेलर - हरीराम...तुमने कालिया को मुझसे यहां आकर मिलने को कह दिया कि नही?
जेलर साहब अपने आफ़िस में पांव मेज पर रख कर पीठ कुर्सी पर टिकाये बैठे हैं....डण्डा मेज पर रख दिया है..हरीराम कुर्सी के पीछे आकर उनके सर पर चंपी मालिश कर रहा है. और कालिया की तरफ़ देखकर कुटिल हंसी हंस रहा है.
हरीराम : हेsहे..हुजुर..बस कालिया आता ही होगा.
इतनी देर मे कालिया अंदर प्रवेश करता है.कालिया : नमस्ते जेलर साहब....मुझे क्युं याद फ़रमाया था हुजुर?
जेलर : हरीराम अब तुम जावो..और हरीराम बाहर चला जाता है.
अब जेलर ने कालिया की तरफ़ मुखातिब होते हुये कहा : कालिया, देखो ...हमको पहले ही मालूम था कि गब्बर तुमको यहां से छुडवायेगा नही. और हम तुमको ऐसे ही छोडेंगे नही.
कालिया - माई बाप...मुझे जाने दो..मेरे छोटे छोटे बच्चे हैं...हुजुर..वो रोते होंगे?
जेलर - चुप बे कालिया..ज्यादा नौटंकी नही..हमको क्या बडे बडे बच्चे हैं? अरे बच्चे है तो छोटे ही होंगे ना? अरे घोडा घास से यारी करेगा तो भूखा मरेगा...हम गब्बर से पूरा हिसाब किये बिना तुमको नही जाने देंगे...
कालिया : हुजुर..आप को विश्वास दिलाता हूं मुझे जाने दिजिये..मैं आपकी एक एक पाई का हिसाब गब्बर से करवा दूंगा....हुजुर..मैने सुरंग भी खोद ली है...
जेलर - तुम्हारी ये मजाल...सुरंग भी खोद ली और बिना हमको बताये ही? ये तो बहुत नाइंसाफ़ी है...नही कालिया नही...तुम बहुत बडा खतरा मोल ले चुके हो..पर तुमने सुरंग खोदी कैसे?
कालिया - हुजुर वो पिछले सप्ताह जो दो नये कैदी आये थे ना...उनके साथ गब्बर ने औजार भिजवाये थे. हुजुर...आपकी कसम..और गब्बर ने कहलवाया था कि आपका पिछला सारा हिसाब किताब चुका देगा.
जेलर - कालिया..तुम तो महा मुर्ख हो...अरे तुम्हारे अंदर अक्ल नाम की चीज नही है...बावलीबूच...समझता कोनी के? गब्बर अब तेरे को नही छुडवायेगा कालिया...
कालिया - हुजुर क्या बात होगई ऐसी..मैने कुछ गुस्ताखी कर डाली क्या?
जेलर - अरे मुर्ख...हम अंगरेजों के जमाने के जेलर हैं इसलिये सब समझते हैं...गब्बर अब तुमको रास्ते से हटाना चाहता है..अरे मुर्ख जैसे ही तू भागेगा..पुलिस तुम्हारा एनकाऊंटर कर देगी..समझा क्या?
कालिया - अरे नही हुजुर..
जेलर - नही हुजुर क्या? तेरे को मालूम नही...ठाकुर इन कामों मे माहिर है...तू तो गया काम से...तेरा एनकाऊंटर गब्बर और ठाकुर के इशारे पर ही किया जायेगा...यानि रास्ते का कांटा साफ़...
कालिया - हुजुर आपने मुझे चेता दिया..आपका यह एहसान मैं कभी नही भूलूंगा...हुजुर..इस गब्बर की तो ऐसी तैसी....हुजुर एक स्कीम आई है मेरे दिमाग में.
जेलर - बताओ कालिया..तुम्हारी फ़ूटी खोपडी मे क्या आईडीया आया है?
कालिया - हुजुर आप साथ दें तो..मैं ही एक नया गैंग बना लू हुजुर,,,कसम से ..हुजुर...आपको गब्बर इकन्नी भी पूरी नही देता इमानदारी से? जबकी बदले में आप उसका कितना खयाल रखते हैं...मैं आपको पूरे चवन्नी का हिस्सेदार बनाता हूं...हुजुर विचार कर लिजिये.....हो मंजूर तो हाथ मिलाईये हुजुर..
जेलर - कालिया..तुम्हारी खुपडिया तो तेज है..पर तुम गैंग बनाने के लिये आदमी कहां से लावोगे?
कालिया - हुजुर...वो अपना सांभा है ना मरदूद...बस उसको ज्यादा टीप्पणियों का लालच दूंगा... बहुत लालची है ससूरा टिप्पणीयों का.. और वो टूट कर आगया तो समझो कि गब्बर के सारे काम के आदमी तोड लायेगा हुजुर...यूं समझ लिजिये कि टिप्पणियों का इतना लालची है कि ससुरा गिन गिन कर हिसाब रखता है. और टिप्पणियों के मामले में सख्ती से थ्री किक फ़ार्मुला लागू करता है हुजुर.
जेलर आश्चर्य से - कालिया ये क्या बक बक कर रहा है? ये कोई कुश्ती का अखाडा है क्या? जो थ्री किक फ़ार्मुला लगाता है? साफ़ साफ़ बता ये थ्री किक क्या है? ताऊ की तरह पहेलिया मत बुझा.
कालिया - हुजुर..ये ससूरा कोई हरयाणवी फ़ार्मुला है..मुझे आज तक समझ नही आया..आप तो एक बार सांभा को अंदर करलो..फ़िर हुजुर उससे ही कबूलवा लिजियेगा ये फ़ार्मुला. पर हुजुर वो मेरी गैंग का क्या सोचा? हुजुर सच कहता हूं आप साथ दे दिजिये..गब्बर का तख्ता पलट कर मैं बनूंगा सरदार और आपकी तो चांदी ही चांदी होगी सरकार.
जेलर - बात तो तुम्हारी ठीक है कालिया..हमको भी अब गब्बर पर यकीन नही रहा..आजकल वो हिसाब मे इमानदारी नही रखता. तुम नई गैंग बनाने की तैयारी करो. अब तो इस गब्बर का इलाज करना ही पडेगा..बहुत तेज चलता है..सारी टिप्पणीयां अकेला ही बांट आता है..देख लूंगा गब्बर...तुझे देख लूंगा...
कालिया - हुजुर की जय हो...हुजुर के बाल बच्चे जीये...बडे होकर आपका खून पीये...
जेलर - अबे बावली बूच..क्या बकता है? हम अभी तक ब्रह्मचारी है...कालिया...
कालिया - माफ़ी हुजुर..माफ़ी..ऊ ससुरी जबान फ़िसल गई थी...तकिया कलाम मे...हुजुर की जय हो...हा..हा...अब मैं सरदार बनूंगा...
जेलर - हां जरा अपने तकिया को संभाल कर रखा करो कालिया....और आगे की तैयारी करो.
कालिया - ठीक है हुजुर..मुझे जरा सांभा से..आपके मोबाईल पर बात करवा दिजिये हुजुर..जरा बाल बच्चों का हाल पूछ लूं और..उधर का हाल चाल भी ले लूं. और सांभा का मन भी टटोल लूं जरा.
जेलर सांभा का नंबर लगाकर कालिया को देता है...उधर फ़ोन गब्बर उठाता है..पर कालिया समझ रहा है कि वो सांभा से बात कर रहा है.
कालिया.- हैल्लो..हैल्लो अरे सांभा भाई...रामराम...कैसे हो? ठीक हो? अरे सांभा भाई...सुनो...हमने जेलर से सब बात करली है...हुजुर तैयार हैं ..अरे नही भाई...जेलर साहब अपने गांव के ही हैं यार सांभा भाई.. कसम भवानी की...जेलर साहब तैयार होगये अब बस आप तैयार हो जाओ तो अलग गैंग शुरु कर देते हैं..ऐसी तैसी इस गब्बर के बच्चे की...अब और इसके जुल्म नही सहेंगे यार... यार सांभा भाई.. नई गैंग का सब काम आपको ही संभालना पडेगा...
उधर से सांभा की जगह गब्बर की आवाज आती है...हूंs तो कालिया अब नया गैंग बनायेगा? पिछले जन्म की गोलियां जो तेरी खोपडी मे उतारी थी..लगता है वो भूल गया...हूंs...अरे ओ सांभा....लगा फ़ोन जरा ऊ जेलरवा को..और करवाय दे एनकाऊंटर इस कालिया का....
कालिया को अब समझ आया कि उसने सांभा समझ कर गब्बर से बात करली और डरता हुआ अपनी बात सुधारने की गरज से बोला....कालिया - सरदार...अरे सरदार सुनो तो..हम तो ऊ जरा जेलर को बेवकूफ़ बना रहे थे सरदार..हम आपसे कैसे गद्दारी कर सकते हैं? सरदार...हम तो आपका जन्मों से नमक खाये हैं सरदार...हमें माफ़ करो सरदार...
अपने नमक का कर्ज उतारने का एक मौका और दो सरदार...आपने पिछली बार भी धोखे से गोली मार दी थी....इस बार ऐसा मत करना सरदार...(कालिया बुरी तरह डरा हुआ है)
गब्बर की डरावनी आवाज आती है...हूंs..तूने सिप्पी साहब की शोले मे भी गोली खाई थी...लगता है भूल गया उस गोली की आवाज को? .अब ताऊ की शोले मे भी गोली खा कालिया....अरे ओ सांभा...लगा निशाना इसकी खुपडिया पर...
सांभा - जी सरदार...और सांभा के हाथ से पिस्तौल की लिबलिबी दब जाती है..और जोर की आवाज आती है...ठांय..ठांय.....
मध्यांतर........
ताऊ की शोले हिट नहीं सुपर हिट है !!!
ReplyDeleteसुपर नहीं सुपर-डुपर हिट!
ReplyDeleteये कालिया गोरा कैसे हो गया ? क्या जैलरसाहब का फैयर एन लवली क्रिम चोपड रहिया है अपने थोपडे पर ?
ReplyDeleteकलिया और जैलर कि कॉनफ्रेन्सी से लगता है वो जेलर को चुना लगाने मे कामयाब हो जाऍगा। ये ताऊ की सोले भी सारे रिकोर्ड तोड देगी।
अब बाकि ब्लोगर का क्या होगा ? कालिया
ReplyDeleteताऊ ने नई शोले बनाई , बहुत नाइंसाफी है !
नेट पर जब कोई ५०-५० ब्लागर्स पोस्ट लिखते है , लोग कहते है ,
बेटा लिखने के पहले ताऊ की पोस्ट पढ़ और कुछ सीख !!
कमाल है!!! विज्ञान नें ऎसी कौन सी तकनीक इजाद कर ली कि फोन के जरिये ही ..ठांय..ठांय.....:)
ReplyDeleteहा हा हा........
कालिया - हुजुर..ये ससूरा कोई हरयाणवी फ़ार्मुला है..मुझे आज तक समझ नही आया..आप तो एक बार सांभा को अंदर करलो..फ़िर हुजुर उससे ही कबूलवा लिजियेगा ये फ़ार्मुला. पर हुजुर वो मेरी गैंग का क्या सोचा? हुजुर सच कहता हूं आप साथ दे दिजिये..गब्बर का तख्ता पलट कर मैं बनूंगा सरदार और आपकी तो चांदी ही चांदी होगी सरकार.
ReplyDeleteलगता है अब गब्बर आया पहाड के नीचे?:)
बहुत जोरदर जी,
कालिया - हुजुर..ये ससूरा कोई हरयाणवी फ़ार्मुला है..मुझे आज तक समझ नही आया..आप तो एक बार सांभा को अंदर करलो..फ़िर हुजुर उससे ही कबूलवा लिजियेगा ये फ़ार्मुला. पर हुजुर वो मेरी गैंग का क्या सोचा? हुजुर सच कहता हूं आप साथ दे दिजिये..गब्बर का तख्ता पलट कर मैं बनूंगा सरदार और आपकी तो चांदी ही चांदी होगी सरकार.
ReplyDeleteलगता है अब गब्बर आया पहाड के नीचे?:)
बहुत जोरदर जी,
कालिया - हुजुर..ये ससूरा कोई हरयाणवी फ़ार्मुला है..मुझे आज तक समझ नही आया..आप तो एक बार सांभा को अंदर करलो..फ़िर हुजुर उससे ही कबूलवा लिजियेगा ये फ़ार्मुला. पर हुजुर वो मेरी गैंग का क्या सोचा? हुजुर सच कहता हूं आप साथ दे दिजिये..गब्बर का तख्ता पलट कर मैं बनूंगा सरदार और आपकी तो चांदी ही चांदी होगी सरकार.
ReplyDeleteलगता है अब गब्बर आया पहाड के नीचे?:)
बहुत जोरदर जी,
वाह..मजेदार मसाला है फ़िल्म है ये तो.
ReplyDeleteलो जी आप ने कालिया का तो एनकाउंटर करवा दिया, अब गब्बर किसको पूछेगा 'कितने आदमी थे'
ReplyDeleteजेलर : हूंss..तो कालिया कितनी पोस्ट लिखी थी?
ReplyDeleteकालिया : हुजुर कहां लिखी? अबकि तो लिखने के पहले ही यहां पहुंच गया?
हा..हा..हा..यहां तो जेलर और कालिया भी पोस्ट लिखने की बातें कर रहे हैं? लगता आजकल डाकूओं को भी ब्लागेरिया हो गया है?:)
जेलर : हूंss..तो कालिया कितनी पोस्ट लिखी थी?
ReplyDeleteकालिया : हुजुर कहां लिखी? अबकि तो लिखने के पहले ही यहां पहुंच गया?
हा..हा..हा..यहां तो जेलर और कालिया भी पोस्ट लिखने की बातें कर रहे हैं? लगता आजकल डाकूओं को भी ब्लागेरिया हो गया है?:)
अरे ओ ताऊsssssss..कितने आदमी थे?...पता नही..गिनती नही आती.
ReplyDeleteवाह कमाल का बैकग्राऊंड म्युजिक है जी. लगता है सिनेमा हाल मे आकर बैटः गये हों? बहुत बढिया..बधाई दिलिप कवठेकर जी को.
रामप्यारी फ़िल्म्स की "ताऊ की शोले" सुपरहिट हो गई जी. अब रामप्यारी जी की हडताली युनिट काम पर आगई होगी? बहुत बधाई रामप्यारीजी को इस सुपरहिट फ़िल्म के नेर्माण के लिये.
ReplyDeleteरामप्यारी फ़िल्म्स की "ताऊ की शोले" सुपरहिट हो गई जी. अब रामप्यारी जी की हडताली युनिट काम पर आगई होगी? बहुत बधाई रामप्यारीजी को इस सुपरहिट फ़िल्म के नेर्माण के लिये.
ReplyDeleteवाह वाह बड़ी सटीक थ्योरी है उल्टा कालिया गब्बर से पंगा लेने लगा है . ताऊ थोडी शूटिंग हमारे यहाँ भी करवा दो भेडाघाट बढ़िया जगह है ....
ReplyDeleteताऊ क्या कहूँ आपकी इस पोस्ट के बारे में...
ReplyDeleteमजा आ गया...
जेलर का चश्मा और गब्बर भाई क्या लग रहे हैं...
हां.. हां..
मीत
बहुत बधाई ताऊ!
ReplyDeleteअच्छी लाइन पकड़ी है। सारे ब्लॉगर्स डरे-सहमे हुए हैं। पता नही "ताऊ की शोले" का गब्बर कब आ धमके।
बसन्तियाँ तो कमेंट करने से भी कतराने लगी हैं।
अरे ताऊ गब्बर तो खुब सही बनाया, लेकिन इस कालिये के हाथ पांव क्या बसंती से किराये पर लिये है, बडे गोरे गोरे है, ओर मुंह बिलकुल काला,
ReplyDeleteओर ताऊ सुना है बसंती की सहेलिया आप के विरोध मै धरना देना चाहती है, तभी तो कोई टिपण्णी देने नही आई, सभी मोसी के यहां इकट्टी हो कर आगे की योजना बना रही है
अरे ताऊ गब्बर तो खुब सही बनाया, लेकिन इस कालिये के हाथ पांव क्या बसंती से किराये पर लिये है, बडे गोरे गोरे है, ओर मुंह बिलकुल काला,
ReplyDeleteओर ताऊ सुना है बसंती की सहेलिया आप के विरोध मै धरना देना चाहती है, तभी तो कोई टिपण्णी देने नही आई, सभी मोसी के यहां इकट्टी हो कर आगे की योजना बना रही है
कालिया की तो अब शामत आ गई लगता है..ये अंग्रेजों के जमाने के जेलर के चक्कर में अपनी लुटिया डुबवायेगा.
ReplyDeleteमस्त एपिसोड रचा जा रहा है. शूटिंग करने में मजा आ गया. अब आज के लिए पैक अप!!!
बेहतरीन!!!
भई इसका तो फिल्मांकन होना ही चाहिये -शरद कोकास
ReplyDeleteअरे , जय और वीरू के बिना मध्यांतर? बडी नाइंसाफ़ी है ये.
ReplyDeletevery innovative and novel concept! very enjoyable indeed !
ReplyDeleteहिट! शोले हिट!
ReplyDeleteहा हा हा हा हा हा जेलर और कालिया की धमाकेदार एन्र्टी लाजवाब रही हा हा हा हा
ReplyDeleteregards
ताऊ जी आपका शोले फ़िल्म ज़बरदस्त हिट फ़िल्म है!
ReplyDeleteवाह ताऊ मजेदार रही आपकी छोले बेहतरीन ताऊ मैं भी एक्टिंग अच्छी करता हूं कोई रोल मेरे लायक हो तो बताना और अपनी नाराजगी की वजह भी बताना मेरे ब्लाग पर आपने आना बंद कर दिया है
ReplyDeleteyah episode bhi bahut mazedaar rahaa..chitr mein aaj naye characters dikhe.. bahut khooob!
ReplyDeleteवाकई ये शोले तो गजब की है। क्या धासूँ डायलाग है। पढकर खूब मजा आ रहा है।
ReplyDeleteताऊ जी ये बताओ कि फिल्म कब बन रही है बहुत उत्सुकता है सुपर हिट होगी
ReplyDeleteजेलर ने अपने ब्लॉग पर कालिया को टिप्पणियाँ देने बिठा दिया होता, परेशान हो गब्बर का सारा राज खोल देता !
ReplyDeleteफिल्म सुपर डुपर हिट है, महीनो तक हॉउस फुल रहेगी .
ReplyDeleteये पहली फिल्म है जिसमें हीरो की एंट्री मध्यांतर तक भी न हुई...करेक्टर आर्टिस्ट ही इतने दमदार हैं की नायक की जरूरत ही महसूस न होरी...जय हो
ReplyDeleteनीरज
"मध्यांतर" यह शब्द देखकर लगता है कि फिल्म बहुत लम्बी चलेगी ।
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