एक फ़िल्म देखी थी आज से ३६ साल पहले, नाम था ३६ घंटे, यानि ३६ घंटे का तनाव, ताई के साथ देखी गई पहली ही फ़िल्म, हाय रे किस्मत. और इसके बाद तो यह ३६ का आंकडा हमारा जानी दुश्मन होगया. देखिये शादी के 36 दिन बाद ही ताई का जन्मदिन, और हमारी जेब का होगया मरण दिन. ३६ सप्ताह बाद ही कार खरीदने के लिये अनशन, क्या करें? ये बात अलग है कि माल छुपे तौर पर ससुरजी का ही था.
बाद में ३६ साल की बाली उमरिया में ही हार्ट अटेक होने का हमको परम सौभाग्य मिला. यानि ३६ का आंकडा ना हुआ हमारे लिये बवाले जान होगया.:)
ऐसा रहा हमारा हमारा ३६ के आंकडे से इश्क. अब इधर मे जीवन में ३६ कुछ बचा भी नही था सो इस इश्क का खौफ़ भी निकल गया था. पर हाय री किस्मत..हुआ वही जो नही होना था. हमको पिछले ही सप्ताह ताई ने बताया कि ..अजी सुनते हो...हमने मन ही मन कहा - सुना ही दो ..चाहे सुने या ना सुने.
अब हमारे उपर वज्रपात हुआ. ताई ने बडे गर्व से बताया कि यह हमारी शादी का ३६ वां साल चल रहा है. ३६ का नाम सुनते ही हम तो धडाम से गिरे...हे प्रभु ..रक्षा करना, और प्रभु ने कोई प्रार्थना नही सुनी. और सीधे हमको ले जा पटका इस ३६ के मनहूसी आंकडे के चक्कर में.
यह जो स्ट्रिंग आपरेशन चलाया गया उसने बहुत कुछ सोचने को बाध्य कर दिया है. अब उस आपरेशन के बारे में हमको कुछ नही कहना क्योंकि जब सब कह रहे हैं तो वही सही होना चाहिये और गजल/शायरी के क्षेत्र से अपना सम्बम्ध सिर्फ़ वाहवाही तक ही सीमित है.
इस सारे वाकये ने किस किस की पोल खोली? कौन बेनकाब हुआ? इस पर कोई और बहस नही की जाये तो ही अच्छा होगा क्योंकि काफ़ी बहस हो चुकी है. मरी भैंस के चमडे को नहलाये जाने से उसमे चमक नही आ सकती.
अब यह मामला जो सवाल खडे करता है, उन पर ध्यान दिया जाये और सभी पंचो की राय जानी जाये, यही इस पोस्ट को लिखने का मकसद है.
सवाल न. १. क्या नये लोगों के बारे मे पूरी जानकारी किये बिना उनके चिठ्ठों पर टिपणियां नही की जाना चाहिये? जब तक की उनके बारे में पक्की खबर नही लग जाये कि यह आदमी इधर उधर का माल नही ला रहा है? अथवा उनके द्वारा सेल्फ़ डिसकलेमर पोस्ट के नीचे लगाया जाना चाहिये कि यह माल सौ प्रतिशत शुद्ध उनका ही है, यानि खांटी माल है, सिर्फ़ ऐसी ही डिसकलेमर लगी चिठ्ठा पोस्टों पर टिपियाया जाना अलाऊ होगा?
सवाल न.२ जो जिस क्षेत्र का ब्लागर है उसे उसी क्षेत्र मे टिपणी करनी चाहिये, मसलन कविता, गजल/शायरी का जानकार ही गजल/शायरी की पोस्ट पर कमेंट कर सकता है. इसी तरह गद्य के जानकार गद्य पोस्टों पर करें?
इसका फ़ायदा यह होगा कि भविष्य मे इस तरह की कवायद करने की जरुरत ही नही पडॆगी. कारण कि हर आदमी के लिये हर क्षेत्र का जानकार होना जरुरी नही है. तो फ़टे मे पांव नही घुसेडने की आदत से बचा जा सकेगा.
सवाल न. ३. क्या आप सोचते हैं कि शादी का लिफ़ाफ़ा नही लौटाना चाहिये? अब आप कहोगे कि ऐसे लोगों को शादी का निमंत्रण ही क्यो देते हो? बात आपकी ठीक है पर यह ऐसी सरकारी शादी है कि सामने वाला बिना बताये आगे से निमंत्रण पत्र (टिपणी) डाल जाता है तो उसको क्या करें? क्या ऐसी आई हुई टिपणी को लौटा देना (डिलिट) चाहिये?
जिस तरह से यहां टिपणी करने वालों की छीछालेदर हुई है उससे तो अब कहीं टिपणी भी करने की इच्छा नही हो रही है. क्योंकि वहां टिपियाने वाले अधिकांश टिप्पणि कर्ता गजल/शायरी की विधा से वाकिफ़ भी नही थे और जो इसके जानकार भी थे तो जरुरी नही है कि वो ये जानते ही हों की यह किसकी रचना है? जिन्होने भी टिपण्णीयां की वो एक तरह से प्रोत्साहनात्मक कार्य ही था.
सवाल न. ४. क्या आप समझते हैं कि वरिष्ठों की एक स्क्रींनिग कमेटी होनी चाहिये जिनके पास पोस्ट जमा करा दी जाये और वहां से ओके सर्टीफ़िकेट मिलने के बाद ही पोस्ट पबलिश करने की अनुमति दी जानी चाहिये?
यानि एक स्वयंभू मठाधीशों और स्ट्रिंगरों की कमेटी बना दी जाये जो यह तय करे कि यह माल मौलिक है या नही और इसके बाद ही इसको निर्बाध कमेंट करने की अनुमति दी जाये?
सवाल न. ५. अनसेंसर्ड चिठ्ठों यानि जो आपकी स्क्रिनिंग कमेटी से होकर नही आये उन पर टिपणी करने की रोक होनी चाहिये जिससे कि ऐसे चिठ्ठों पर टिपणि करके भविष्य मे होने वाली छीछालेदर से बचा जा सके.
सवाल न. ६. क्युंकि अब टिपणीयां सिर्फ़ स्क्रिनींग कमेटी द्वारा पारित चिठ्ठों पर ही होंगी तो इसे देखते हुये..उडनतश्तरी, सारथी और चिठ्ठाजगत को यह हिदायत दी जाये कि वो लोगों को ज्यादा से ज्यादा टिपणीयां देकर नये लोगों को उत्साह वर्धन करने की भ्रामक अपील करना बंद करें, वर्ना उन पर अनुशाशनात्मक कार्यवाही की जायेगी?
सवाल न. ७. क्या किसी की छीछालेदर करने का अधिकार कुछ विशेष व्यक्तियों और उनके चेले चपाटों के पास सीमित कर दिया जाना चाहिये? और मौज लेने का अधिकार भी कंडिका ४ वाली कमेटी के पास सीमित कर दिया जाये? इस अधिकार के चलते कमेटी के अध्यक्ष का निर्धारण भी आसानी से हो जायेगा और सदस्य का आना भी कमेटी पर तय ही रहेगा.
सवाल न.८ . क्या इस व्यवस्था से हम मातृभाषा की ज्यादा और आसानी से सेवा कर पायेंगे?
अब अंत मे हमने एक शेर पढा था कभी, किसका है..अभी याद नही...अगर हम यह शेर छाप दें अपनी पोस्ट मे..तो आप मे से कितने लोग हैं जो इसको पहचान जायेंगे कि यह शेर ताऊ का है या आदतन चोरी डकैती का? और टिपणी मे हिदायत दे देंगे कि ताऊ फ़ांको मत....
अब ताऊ की रामराम...सलामत रहे तो फ़िर मिलते हैं जल्दी ही......... पर कल की पहेली मे तो निश्चित ही मिल रहे हैं.
बाद में ३६ साल की बाली उमरिया में ही हार्ट अटेक होने का हमको परम सौभाग्य मिला. यानि ३६ का आंकडा ना हुआ हमारे लिये बवाले जान होगया.:)
ऐसा रहा हमारा हमारा ३६ के आंकडे से इश्क. अब इधर मे जीवन में ३६ कुछ बचा भी नही था सो इस इश्क का खौफ़ भी निकल गया था. पर हाय री किस्मत..हुआ वही जो नही होना था. हमको पिछले ही सप्ताह ताई ने बताया कि ..अजी सुनते हो...हमने मन ही मन कहा - सुना ही दो ..चाहे सुने या ना सुने.
अब हमारे उपर वज्रपात हुआ. ताई ने बडे गर्व से बताया कि यह हमारी शादी का ३६ वां साल चल रहा है. ३६ का नाम सुनते ही हम तो धडाम से गिरे...हे प्रभु ..रक्षा करना, और प्रभु ने कोई प्रार्थना नही सुनी. और सीधे हमको ले जा पटका इस ३६ के मनहूसी आंकडे के चक्कर में.
एक मोहतरमा के ब्लाग का स्टिंग आपरेशन हुआ और फ़ूटी किस्मत हमारी कि वहां भी ३६ टिपणियां...और अगर वहां ये ३६ का आंकडा नही होता तो हम बच जाते..क्योंकि उन ३६ टिपणीयों मे जो स्क्रूटनाईज १६ टिपणियां हुई, उनमे हम आये ही इस मनहूस ३६ के आंकडे की वजह से. वर्ना क्या जरुरी था हमारे नाम का १६ स्क्रूटनाईज टिपणियों मे ही आना? हमको पक्का विश्वास है कि अगर यह ३६ टिपणियों का आंकडा ना होता तो हमारा नाम उजागर ना होता और हम बाकी बचे २० टिप्पणिबाजों मे छुपे रहते.अब हम तो शक्ति कपूर की तरह फ़ंस गये स्ट्रींग आपरेशन के फ़ेर में.. घर मे ताई का अलग डर कि उनको मालूम पड जाये कि ऐसे वैसे चोरी के ब्लाग पर टिपणियां करते हुये ताऊ पकडाया है तो उनके लठ्ठ खावो...और मुझे लगता है कि ये होकर ही रहेगा क्योंकि ये ३६ वां साल चल रहा है. अभी बहुत समय बाकी पडा है इस साल को खत्म होने में. अत: सेफ़्टी मेजर्स के नाते मेरे मन मे कुछ बात उठी है जिन पर विचार किया जाना जरूरी है.
यह जो स्ट्रिंग आपरेशन चलाया गया उसने बहुत कुछ सोचने को बाध्य कर दिया है. अब उस आपरेशन के बारे में हमको कुछ नही कहना क्योंकि जब सब कह रहे हैं तो वही सही होना चाहिये और गजल/शायरी के क्षेत्र से अपना सम्बम्ध सिर्फ़ वाहवाही तक ही सीमित है.
इस सारे वाकये ने किस किस की पोल खोली? कौन बेनकाब हुआ? इस पर कोई और बहस नही की जाये तो ही अच्छा होगा क्योंकि काफ़ी बहस हो चुकी है. मरी भैंस के चमडे को नहलाये जाने से उसमे चमक नही आ सकती.
अब यह मामला जो सवाल खडे करता है, उन पर ध्यान दिया जाये और सभी पंचो की राय जानी जाये, यही इस पोस्ट को लिखने का मकसद है.
सवाल न. १. क्या नये लोगों के बारे मे पूरी जानकारी किये बिना उनके चिठ्ठों पर टिपणियां नही की जाना चाहिये? जब तक की उनके बारे में पक्की खबर नही लग जाये कि यह आदमी इधर उधर का माल नही ला रहा है? अथवा उनके द्वारा सेल्फ़ डिसकलेमर पोस्ट के नीचे लगाया जाना चाहिये कि यह माल सौ प्रतिशत शुद्ध उनका ही है, यानि खांटी माल है, सिर्फ़ ऐसी ही डिसकलेमर लगी चिठ्ठा पोस्टों पर टिपियाया जाना अलाऊ होगा?
सवाल न.२ जो जिस क्षेत्र का ब्लागर है उसे उसी क्षेत्र मे टिपणी करनी चाहिये, मसलन कविता, गजल/शायरी का जानकार ही गजल/शायरी की पोस्ट पर कमेंट कर सकता है. इसी तरह गद्य के जानकार गद्य पोस्टों पर करें?
इसका फ़ायदा यह होगा कि भविष्य मे इस तरह की कवायद करने की जरुरत ही नही पडॆगी. कारण कि हर आदमी के लिये हर क्षेत्र का जानकार होना जरुरी नही है. तो फ़टे मे पांव नही घुसेडने की आदत से बचा जा सकेगा.
सवाल न. ३. क्या आप सोचते हैं कि शादी का लिफ़ाफ़ा नही लौटाना चाहिये? अब आप कहोगे कि ऐसे लोगों को शादी का निमंत्रण ही क्यो देते हो? बात आपकी ठीक है पर यह ऐसी सरकारी शादी है कि सामने वाला बिना बताये आगे से निमंत्रण पत्र (टिपणी) डाल जाता है तो उसको क्या करें? क्या ऐसी आई हुई टिपणी को लौटा देना (डिलिट) चाहिये?
जिस तरह से यहां टिपणी करने वालों की छीछालेदर हुई है उससे तो अब कहीं टिपणी भी करने की इच्छा नही हो रही है. क्योंकि वहां टिपियाने वाले अधिकांश टिप्पणि कर्ता गजल/शायरी की विधा से वाकिफ़ भी नही थे और जो इसके जानकार भी थे तो जरुरी नही है कि वो ये जानते ही हों की यह किसकी रचना है? जिन्होने भी टिपण्णीयां की वो एक तरह से प्रोत्साहनात्मक कार्य ही था.
सवाल न. ४. क्या आप समझते हैं कि वरिष्ठों की एक स्क्रींनिग कमेटी होनी चाहिये जिनके पास पोस्ट जमा करा दी जाये और वहां से ओके सर्टीफ़िकेट मिलने के बाद ही पोस्ट पबलिश करने की अनुमति दी जानी चाहिये?
यानि एक स्वयंभू मठाधीशों और स्ट्रिंगरों की कमेटी बना दी जाये जो यह तय करे कि यह माल मौलिक है या नही और इसके बाद ही इसको निर्बाध कमेंट करने की अनुमति दी जाये?
सवाल न. ५. अनसेंसर्ड चिठ्ठों यानि जो आपकी स्क्रिनिंग कमेटी से होकर नही आये उन पर टिपणी करने की रोक होनी चाहिये जिससे कि ऐसे चिठ्ठों पर टिपणि करके भविष्य मे होने वाली छीछालेदर से बचा जा सके.
सवाल न. ६. क्युंकि अब टिपणीयां सिर्फ़ स्क्रिनींग कमेटी द्वारा पारित चिठ्ठों पर ही होंगी तो इसे देखते हुये..उडनतश्तरी, सारथी और चिठ्ठाजगत को यह हिदायत दी जाये कि वो लोगों को ज्यादा से ज्यादा टिपणीयां देकर नये लोगों को उत्साह वर्धन करने की भ्रामक अपील करना बंद करें, वर्ना उन पर अनुशाशनात्मक कार्यवाही की जायेगी?
सवाल न. ७. क्या किसी की छीछालेदर करने का अधिकार कुछ विशेष व्यक्तियों और उनके चेले चपाटों के पास सीमित कर दिया जाना चाहिये? और मौज लेने का अधिकार भी कंडिका ४ वाली कमेटी के पास सीमित कर दिया जाये? इस अधिकार के चलते कमेटी के अध्यक्ष का निर्धारण भी आसानी से हो जायेगा और सदस्य का आना भी कमेटी पर तय ही रहेगा.
सवाल न.८ . क्या इस व्यवस्था से हम मातृभाषा की ज्यादा और आसानी से सेवा कर पायेंगे?
अब अंत मे हमने एक शेर पढा था कभी, किसका है..अभी याद नही...अगर हम यह शेर छाप दें अपनी पोस्ट मे..तो आप मे से कितने लोग हैं जो इसको पहचान जायेंगे कि यह शेर ताऊ का है या आदतन चोरी डकैती का? और टिपणी मे हिदायत दे देंगे कि ताऊ फ़ांको मत....
उडान वाली उडानों पर वक्त भारी है
के अब परों की नही, हौंसलों की बारी है
दुआ करो के सलामत रहे मेरी हिम्मत
ये इक चिराग कई आंधियों पे भारी है.
अब ताऊ की रामराम...सलामत रहे तो फ़िर मिलते हैं जल्दी ही......... पर कल की पहेली मे तो निश्चित ही मिल रहे हैं.
ताऊ
ReplyDeleteअब तो ३६ से बच कर ही चलना. कब तक आजमाते रहोगे. अभी कुछ और देखने का दिल है क्या?
एक क्न्डीशन और डाल दो कि कमेटी में जितने भी लोग रखना हो, रखो. बस, ३६ से कम या ज्यादा ही हों, ३६ न हों वरना ३६ में १६ को भी कभी गाली या लट्ठ पड़े तो आपको पड़ना तो तय जानो.
वैसे यह निवेदन किया किससे जा रहा है ताऊ? :)
कविता के लिए वाह वाह!!
नोट:
कविता अगर आपकी मौलिक है तो बेहतरीने लिखने के लिए और गालिब की है, तो पढ़वाने के लिए है यह वाह वाह..लिख दिया ताकि सनद रहे और वक्त पर काम आये.
ताऊ जी को मेरी विनम्र सलाह है कि चूँकि यह आपकी शादी का ३६ वाँ साल चल रहा है,
ReplyDeleteएक बार में एक से निपटें, अत: दूसरा कोई आँकड़ा ३६ न होने दें,
ऐसा भी हो सकता है कि जब तक किसी पोस्ट पर कम से कम ३६ टिप्पणियाँ न हो लें, आप रिस्क न लें :)
वाह ताऊजी ३६ वां साल मुबारक हो और सलाह आपने जोरदार दी है.
ReplyDeleteवाह ताऊजी ३६ वां साल मुबारक हो और सलाह आपने जोरदार दी है.
ReplyDeleteआपकी बातों से सहमत हैं. कुछ तो किया जाना चाहिये.
ReplyDeleteऔर ताऊजी शादी का ३६ वां साल मुबारक हो।
ReplyDeleteताऊ जी ऐसा मुझे तो नहीं लगता कि ये सब करना चाहिए और हां स्क्रीनिंग वाली बात तो कतई नहीं क्युक मेरी पोस्ट तो कमेटी कभी पास हे नहीं करेगी :) .
ReplyDeleteहां ये जरूर किया जाना चाहिए कि जिस पोस्ट पर ३६ टिप्पणी हो उसमे एक टिप्पणी और बढा दी जाए आपकी सुरक्षा के लिए :)
ये गजल मुझे पता है किसकी है :)
और रही बात मौज लेने की तो अब तो शायद ही कोई इतनी छिछवालेदार के बाद किसी की मौज लेने की हिम्मत करे मै तो कतई नहीं करूगा .
उडान वाली उडानों पर वक्त भारी है
ReplyDeleteके अब परों की नही, हौंसलों की बारी है
दुआ करो के सलामत रहे मेरी हिम्मत
ये इक चिराग कई आंधियों पे भारी है.
बहुत मौलिक शेर है ताऊ. अब हमने पहली बार सुना है तो आपका ही होगा. बधाई हो.:)
उडान वाली उडानों पर वक्त भारी है
ReplyDeleteके अब परों की नही, हौंसलों की बारी है
दुआ करो के सलामत रहे मेरी हिम्मत
ये इक चिराग कई आंधियों पे भारी है.
बहुत मौलिक शेर है ताऊ. अब हमने पहली बार सुना है तो आपका ही होगा. बधाई हो.:)
bahut sahi sawal uthaye hain aapane.
ReplyDeleteताऊ सलाह आपकी सही है और ३६ का आंकडा तो सही मे बहुत ही खराब होता है. भगवान बचाये. पर आप शक्ति कपूर वाले कौन से स्ट्रिंग आपरेशन मे फ़ंस गये?
ReplyDeleteताऊ सलाह आपकी सही है और ३६ का आंकडा तो सही मे बहुत ही खराब होता है. भगवान बचाये. पर आप शक्ति कपूर वाले कौन से स्ट्रिंग आपरेशन मे फ़ंस गये?
ReplyDeletebahut umda salah taauji. aaj to maja aagaya.
ReplyDeleteबहुत सुंदर उपाय सुझाये आपने.
ReplyDeleteरामराम.
मरी भैंस के चमडे को नहलाये जाने से उसमे चमक नही आ सकती......
ReplyDeleteऔर अगर आ जाए तो समझ लो कि यह हिन्दी ब्लॉग जगत की ही भैंस है..
सभी सवालों का अनुमोदन करता हूं और समीरलाल जी की पूरक कंडीशन का भी..
फैसले से अवगत कराया जाए
और हां यह छूट गया..
ReplyDeleteहैपी ब्लॉगिंग
@विवेक सिंह 'विनम्र'
ReplyDeleteसलाह के लिये आभार. अब चूंकी आप विनम्र होगये हैं तो विश्वास करके देख लेते हैं आपकी सलाह का. वैसे आज की रात के आखिरी रात होने की घोषणा तो हो ही चुकी है.:)
36 प्रणाम स्वीकार करें
ReplyDeleteताऊ जी!
ReplyDeleteमन से 36 का बहम निकाल दो।
36 का मतलब है, 6 और 3 बराबर 9,
और 9 का पहाड़ा चाहे जितनी बार पढ़ो़,
इसका योग 9 ही आयेगा।
9 का मतलब है, नव।
अर्थात् हर पल हर क्षण नया।
मौज लो भइया!
सभी ब्लॉगरों की शुभकामनाएँ
आपके साथ हैं।
सबसे पहले आपको मुबारकबाद
ReplyDeleteखूब सारी शुभकामनाओं के साथ।
पोस्ट लिखने का आपका स्टाईल अच्छा लगता है। हर बात कितने साधारण रुप से कह देते है। और आखिर में जो लिखा
उडान वाली उडानों पर वक्त भारी है
के अब परों की नही, हौंसलों की बारी है
दुआ करो के सलामत रहे मेरी हिम्मत
ये इक चिराग कई आंधियों पे भारी है.
इस पर हमारी तरह से वाह वाह ......
बेताल पचीसी, सिंहासन बत्तीसी के बाद अब ताऊ छत्तीसी?
ReplyDeleteताऊ के लिए तो ३६ को ६३ कर देना बाएँ हाथ का खेल है !तो फिर हो जाय जादू !
ReplyDeletetuaji tai ji 36 va shaadi ka saal mubarak ho.:)
ReplyDeleteआप चिंता ना करो ताऊ... इस ३६ से हम निपट लेंगे...
ReplyDeleteवैसे आपकी पोस्ट पढने में अच्छी लगी...
खासकर वो शेर...
मीत
very interesting post...comments r also interesting...
ReplyDeleteताऊ जी 36 के लिये बहुत बहुत बधाई। अरे हम तो आपसे एक साल आगे हैं बहुत नेक सलाह है अगर सभी मान लेते हैं तो अपनी भी हाँ समझें शुभकामनायें
ReplyDeleteताऊ आज ३६ वे नंबर पर टिप्पणी करने का मन कर रहा था पर मोडरेशन की वजह से संभव नहीं हो सकता |
ReplyDeleteमान लो के ताऊ जद थारी शादी जब हुई तब तू चौबीस का था तो इब हो गया साठ का...तो इब ये गाना ताई के साथ गाने का टेम हो गया..."जब हम होंगे साठ साल के और तुम होंगी पचपन की बोलो प्रीत निभाओगी न फिर भी अपने बचपन की..." टीं टीं टीं ....
ReplyDeleteनीरज
अब ताऊ छत्तीसी का स्क्रिप्ट लिखना शुरु किया जाये ताऊ महाराज.
ReplyDeleteवैसे हर पोस्ट की छत्तीसवीं टिप्पणी डीलेट कर दें. ना रहेगा बांस, ना बजेगी बांसुरी, ना भैंस खडी पगुरायेगी.
वैसे स्वयम पर हंसना अच्छे अच्छे के बस की बात नई है.
३६ की मुश्किल इसलिए है की--
ReplyDelete१-यह ६ संख्या ३६ में ३ की mirror इमेज है.
२- दो ३ एक दूसरे की तरफ पीठ कर के बैठे हैं..नाराज़ हैं..तो नकारात्मक संकेत मिल रहे हैं..
बाकि...संगीता जी गत्यात्मक ज्योतिष से बता ही देंगी..
ताऊ,
ReplyDeleteकितना प्यारा हरियाणवी शब्द है.
पर ये बन्दर का मुखौटा क्यों ?
कभी हमारे ब्लॉग पर भी शक्ल दिखाओ,
भले ही इसी रूप में.
वैसे शेर और ३६ साल की, सैकडों बधाईयाँ.
राम राम जी की,ताऊ जी यह फ़िल मुझे बहुत पसंद थी, बाकी आप के सब सवालो का जबाब तो नही, लेकिन नकली ओर बोगस ब्लांग पकडने का ठेका अगर मुझे दे दो तो आज ही ३६ का लिंक तो ३६ सेकिंड मै दे दुगां , सची मुझे ३६ घंटे की कसम.अरे ताउ जी ३६ नही हम तो आप की शादी की ६३ वी भी साल गिराह मनाये गे, ओर तोहफ़े मै लठ्ठ देगे
ReplyDeleteताऊ, जे बात तो चोखी है कि तेने मैटर तो मौलिक ही छापया है, वैसे हम इस बारे में कमेटी बैठाने की सोच रहे हैं, और जितने भी कमेंट किये गये हैं उनकी इंटरोगेशन करके पता लगाया जाये कि ३६ आंकड़े के बारे में सब ताऊ से सहमत कैसे हैं। भगवान करे कि आपके पास ३६ लठ्ठ हो ३६ भैंसे हों जो आपको खुश रखें।
ReplyDelete१६ में फ़ँसना बुरा कोनी, बाकी के २० वाले लोग सोच रहे होंगे कि काश हम भी १६ में आ जाते। :)
वैसे जितने भी सवाल आपने दिये हैं अगर गंभीरता से सोचा जाये तो शायद किसी हद तक आपकी बात सच भी है।
ताऊ मेरे विचार से तो इतने लफडे में पडने की कोई जरूरत ही नहीं......बात सिर्फ इतनी सी है कि आजकल चिट्ठाजगत की ग्रह दशा घणी खराब चल रही है...कोई उपाय-सपाय कर लें तो सब ठीक हो जाएगा:) लेकिन थारे इस 36 के पंगे का कोई इलाज कोणी:)
ReplyDeleteअनुराग शर्मा जी ने ये बहुत बढिया नाम दिया..."ताऊ छत्तीसी".......हा हा हा हा...
छत्तीसवाँ साल मुबारक हो।
ReplyDeleteताई शादी के पहले पिछवाड़े के मकान की पड़ौसन तो नहीं थीं? कि छत पे ही छत्तीस का आंकड़ा तिरेसठ का हो गया हो।
ताई को तो परमवीर चक्र मिल जाना चाहिए। आप जैसे ताऊ के सात छत्तीस बरस गुजार दिए।
36 ke ankre se to ab bach ki hi rahna hoga...kavita bikul mast hai...
ReplyDeleteउडान वाली उडानों पर वक्त भारी है
ReplyDeleteके अब परों की नही, हौंसलों की बारी है
दुआ करो के सलामत रहे मेरी हिम्मत
ये इक चिराग कई आंधियों पे भारी है.
वाह वाह ताऊ वाह वाह क्या लाजवाब शेर मारा है. आनंद आगया जी. शेर लगता है बिल्कुल मौलिक और ताजा का ही शिकार किया होगा?
और ये मेरी ३७ वीं टिपण्णी है..अब आप चिंता मत करो, बाहर आजावो अब ३६ के आंकडे से मैने आपको बाहर कर दिया है.:)
ताऊ जी, लट्ठ की दो ऐसों के। होते कौन हैं ये स्क्रीनिंग का हौवा क्रिएट करने वाले। ऐसे छत्तीसीए, छत्तीस आते हैं, छत्तीस जाते हैं। आप मस्त रहो। कुछ लोग ब्लॉगिंग में खुद को अनुभवी समझते हैं। ठेकेदारी कर रहे हैं। करने दो। आप हमारे ब्लॉगिंग परिवार के 'ताऊ' हो। हमारे मारवाड़ी में एक कहावत है-
ReplyDelete'' ताऊ सैन कैदे, ताऊ न कुण खै ''
इस कहावत में घर का बड़ा को ताऊ संबोधन है। ...और बड़े की बात घर में कोई टालता नहीं है। सम्मान किया जाता है। कुछ लोगों के पास फुर्सत इतनी है कि 'फुरररररर्स' हो रहे हैं। वैसे भी 'फुररत...' का मतलब हमारे यहां 'ठाला' (निठल्ला) होता है। अब ऐसे ठाले लोगों की जलती है, तो जलने दो। हम आपके साथ हैं। मैं पूरे दो दिन से इस तमाशे को देख रहा हंू। कुछ भाईयों ने कहा है मामला शांत हो जाए। मेरी निजी राय है भैया शांत क्यों हो जाए? ब्लॉग पर 'फुरररर्सत' के फर्जीवाड़े करने वाले, गोलमाल और घालमेल करके संजीदा ब्लॉगर्स को परेशान करने वालों की तो बजाई जानी चाहिए। वो सोच रहे हैं हमने छत्तीस का तीर मार लिया है। कुछ उखाड़ लिया है। गलतफहमी पाल रखी है। गलतफहमी तो गलतफहमी है न ताऊ। ...और वैसे भी थे तो देसी आदमी हो, म्हारी तरयां। देसी में ही बजाओ इनकी। रुको मत। आप सही हो, ब्लॉगिंग जगत जानता है। लांछन लगाने वाले लगाते रहेंगे। भई...म्हारे लिए तो थारो कद बढ्यो ही है, घट्यो कोनी।
36 वां मुबारक हो। रही टिप्पणी वाली बात तो मूल सिद्धान्त को पढ़े बिना जब भी टिप्पणी करने का प्रयास किया जायेगा तब ही इस तरह के सवाल उठेंगे। टिप्पणी का मूल सिद्धान्त है:
ReplyDelete१. टिप्पणी करने में होने वाली दुविधा से बचने का सबसे उत्तम उपाय है कि आप पोस्ट पर टिप्पणी करने के तुरन्त बाद उसे पढ़ना शुरू कर दें।
२.जिस समय आप अपनी टिप्पणी को बचकानी समझकर करने से बचते हैं उसी समय दुनिया के अनगिन ब्लागों पर उससे कहीं बचकानी टिप्पणियां चस्पां हो जाती है!
LAMASKAAR,
ReplyDeletelagta hai ki 36 ke saath aapka 36 ka aankda hai....
:)
KAVITA PASAND AAIYE...
ReplyDeleteLEKIN WAH WAH NAHI KAHOONGA....
BADE BADE CHITTAKAR DAR RAHE HAIN TO HUM KIS KHET KI MULI HAIN?
नोट:
कविता अगर आपकी मौलिक है तो बेहतरीने लिखने के लिए और गालिब की है, तो पढ़वाने के लिए है यह वाह वाह..लिख दिया ताकि सनद रहे और वक्त पर काम आये.
विनीता यशस्वी said...
ReplyDelete36 ke ankre se to ab bach ki hi rahna hoga...kavita bikul mast hai...
...KAASH INKO PATA HOTA INKA 36TH COMMENT HAI....
:(
ताऊ..36 वीं सालगिरह मुबारक हो ..
ReplyDeleteआज आपके लेखन का अंदाज अलग है.. अब टिपण्णी कर दी तो कर दी..इतना परेशान होने की क्या बात है..कुछ दिनों के लिए ताई का लठ छिपा कर रख दीजिये.. हर ब्लॉग पर आपकी टिपण्णी प्रशंसात्मक कार्य है..इसमें किसी को क्या शक हो सकता है ..
मानना पड़ेगा ताई के लठ में बड़ा जोर है..क्या मौलिक कविता या शेर लिख कर आया है ..
लिखते रहें ...टिपियाते रहें ...बहुत शुभकामनायें ..!!
३६ वीं सालगिरह मुबारक हो ....
ReplyDeleteसवाल बड़े गंभीर हैं आपके।
ReplyDeleteक्या करें, सर-पंच के अलावा किसी का पंच नहीं आया अभी तक :-)
बी एस पाबला
ताऊजी ये पोस्ट आज ही पढ़ी , आपको शादी का ३६ वां साल मुबारक हो शुभकामनाओ के साथ. बाकि हम तो कुछ भी कहने सुनने की स्तिथि में नहीं है, हमे ये सब समझ नहीं आता की क्या हो रहा है.....बस मन खिन्न है इन सब बातो से. बाकि दुआ है की आपका ये ३६ का आकडे का भ्रम टूट जाये और यही ३६ का आकंडा आपके लिए शुभ हो.
ReplyDeleteregards
त्रुटि सुधार
ReplyDeleteआजकल चिट्ठाजगत की ग्रह दशा घणी खराब चल रही है|
कृ्प्या हमारी ऊपर की गई 34 नम्बर की टिप्पणी में चिट्ठाजगत की जगह चिट्ठाचर्चा और चिट्ठाचर्चाकार पढा जाए.....भूलवश चिट्ठाजगत लिखा गया..जब कि वास्तव में ग्रह दशा तो चिट्ठाचर्चा और चर्चाकारों की खराब चल रही है...शनि की वक्र दृ्ष्टि का पूर्ण कुप्रभाव है।
रही बात चिट्ठाजगत की तो उसके ग्रह एकदम से चकाचक राजयोगकारी चल रहे हैं।।
:)
kya yahi karan hai ki aap pichhle 36 dino se mere blog par nahi tipiya rahe hain?? :)
ReplyDeleteछ से छतीस छ से छलिया
ReplyDeleteव से विनम्र व से वानर
क से कलम क से की बोर्ड
म से मौज म से मौत
"सवाल न. ६. क्युंकि अब टिपणीयां सिर्फ़ स्क्रिनींग कमेटी द्वारा पारित चिठ्ठों पर ही होंगी तो इसे देखते हुये..उडनतश्तरी, सारथी और चिठ्ठाजगत को यह हिदायत दी जाये कि वो लोगों को ज्यादा से ज्यादा टिपणीयां देकर नये लोगों को उत्साह वर्धन करने की भ्रामक अपील करना बंद करें, वर्ना उन पर अनुशाशनात्मक कार्यवाही की जायेगी?"
ReplyDeleteआपका आदेश सर आंखों पर!!
पंचों की आज्ञा सर आखों पर, लेकिन परनाला वहीं रहेगा!!!
ताऊ जी, मैं वापस आ गया हूँ!!
सस्नेह -- शास्त्री
हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
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