ताऊ को रामप्यारी फ़िल्म्स की ताऊ की शोले में सांभा का रोल मिला था. उसके बदले मे मेहनताना भी अच्छा मिल रहा था. पता नही क्या पंगे हुये कि रामप्यारी मैम ने अचानक फ़िल्म बंद करदी और सब बेकार होगये . गब्बर कनाडा निकल लिया, पर सांभा सबसे ज्यादा तकलीफ़ मे आगया..बेरोजगारी से बडी तकलीफ़ और क्या हो सकती है?
ताऊ फ़िर पहुंच लिया पहले की तरह राज भाटिया जी के पास. राज भाटिया जी बोले - ताऊ तेरे को नगद रुपये पिस्से तो मैं एक कौडी भी नही दूंगा पर तू और मैं एक ही गाम के हैं सो क्या करूं..मुझे तेरी मदद तो करनी ही पडेगी.
भाटिया जी ने तरस खाकर ताऊ को एक किराने की दूकान "ताऊ लूट खसोट स्टोर" खुलवा दिया. वहीं पर पहले से रतन सिंह शेखावत ने एक किराने की दूकान खोल रखी थी. सो उनको जैसे ही मालूम पडा उन्होने कंपिटशन में शक्कर के भाव ३० रुपये किलो से घटाकर २५ रुपये किलो कर दिये. जिससे ताऊ अपनी दूकान बंद करके भाग जाय.
ताऊ ने शेखावत जी को समझाया कि देखो आजकल जमाना कंपीटीशन का नही है बल्कि मिल्जुलकर डकैती मेरा मतलब दूकानदारी करने का है. मै ताऊ मेनेजमैंट युनिवर्सिटी का पास आऊट हूं. मेरी सलाह से दूकानदारी करोगे तो बहुत जल्दी दूकान की जगह शो रूम खडा कर लोगे.
शेखावत जी बोले - ताऊ इसमे मिलजुलकर भी क्या होगा?
ताऊ बोला - वो मेरे उपर छोडिये...एक दिन आप शक्कर बेचिये और मैं तेल बेचूं...?? और अपनी स्कीम समझा दी.
अब शेखावत जी ने अपनी दूकान पर बोर्ड लगा दिया कि हमारे यहां शक्कर २० रुपये किलो मिलती है. और ताऊ ने
अपने यहां बोर्ड पर लिख दिया की सोयाबीन का तेल ३० रु, किलो मिलता है.
अब शक्कर का २० रुपये किलो का भाव देखते ही सब गाहक शेखावत जी की दूकान पर टूट पडे...शेखावत जी ने ग्राहकों को कह दिया कि मेरे पास तो शक्कर का स्टाक खत्म हो गया. अब कल आयेगी. ज्यादा जरुरी हो तो
सामने ताऊ की दूकान से ले लो.
अब जिनको जरुरी मे शक्कर चाहिये थी वो ताऊ की दूकान पर आये ..और पूछने लगे - ताऊ शक्कर क्या भाव?
ताऊ बोला - भाई घणी सस्ती करदी आज तो शक्कर..सिर्फ़ ४० रुपिये की एक किलो.
ग्राहक नाराज होकर बोले - ताऊ ये तो लूट है...शेखावत जी के यहां देखिये ..शक्कर २० रुपिये किलो का भाव बोर्ड पर लिखा है.
ताऊ बोला - अरे बावलीबूचों..जब मेरी शक्कर खत्म हो जायेगी तब मैं भी २० रुपिये किलो का ही भाव बोर्ड पर लिखूंगा..पर अभी लेनी हो तो ४० रुपिये किलो लो वर्ना अपना रास्ता नापो.
अब ग्राहक मजबूरी मे क्या करते..बेचारों ने ४० रु. किलो में शक्कर खरीद ली. और ताऊ के बोर्ड पर सोयाबीन तेल का भाव ३० रु. किलो देखकर तेल भी मांगने लगे.
ताऊ बोला - भाईयो, तेल तो बस अभी अभी खत्म हुआ है . अब कल आजायेगा कल लेजाना. और ज्यादा ही जरुरी हो तो सामने शेखावत जी की दूकान से लेले.
अब ग्राहक तेल के लिये शेखावत जी की दूकान पर पहुंच गये. और तेल का भाव पूछा.
शेखावत जी बोले- भाई तेल ६५ रु.किलो का भाव है.
ग्राहक बोला - सामने ताऊ ने तो देखो ३० रुपये किलो मे बेचने का बोर्ड लगा रखा है.
शेखावत जी बोले - भाई आज ताऊ का तेल खत्म है और मेरी शक्कर खत्म है सो अब तेल तो ६५ रु. किलो ही लेना पडेगा.
बस दोनों की मिली भगत से दोनों का तेल और शक्कर दोनों कि दूकान पर एक साथ कभी नही पाया गया. और दोनों की पांचों ऊंगलियां घी मे और सर कडाही में.
ताऊ फ़िर पहुंच लिया पहले की तरह राज भाटिया जी के पास. राज भाटिया जी बोले - ताऊ तेरे को नगद रुपये पिस्से तो मैं एक कौडी भी नही दूंगा पर तू और मैं एक ही गाम के हैं सो क्या करूं..मुझे तेरी मदद तो करनी ही पडेगी.
भाटिया जी ने तरस खाकर ताऊ को एक किराने की दूकान "ताऊ लूट खसोट स्टोर" खुलवा दिया. वहीं पर पहले से रतन सिंह शेखावत ने एक किराने की दूकान खोल रखी थी. सो उनको जैसे ही मालूम पडा उन्होने कंपिटशन में शक्कर के भाव ३० रुपये किलो से घटाकर २५ रुपये किलो कर दिये. जिससे ताऊ अपनी दूकान बंद करके भाग जाय.
ताऊ ने शेखावत जी को समझाया कि देखो आजकल जमाना कंपीटीशन का नही है बल्कि मिल्जुलकर डकैती मेरा मतलब दूकानदारी करने का है. मै ताऊ मेनेजमैंट युनिवर्सिटी का पास आऊट हूं. मेरी सलाह से दूकानदारी करोगे तो बहुत जल्दी दूकान की जगह शो रूम खडा कर लोगे.
शेखावत जी बोले - ताऊ इसमे मिलजुलकर भी क्या होगा?
ताऊ बोला - वो मेरे उपर छोडिये...एक दिन आप शक्कर बेचिये और मैं तेल बेचूं...?? और अपनी स्कीम समझा दी.
अब शेखावत जी ने अपनी दूकान पर बोर्ड लगा दिया कि हमारे यहां शक्कर २० रुपये किलो मिलती है. और ताऊ ने
अपने यहां बोर्ड पर लिख दिया की सोयाबीन का तेल ३० रु, किलो मिलता है.
अब शक्कर का २० रुपये किलो का भाव देखते ही सब गाहक शेखावत जी की दूकान पर टूट पडे...शेखावत जी ने ग्राहकों को कह दिया कि मेरे पास तो शक्कर का स्टाक खत्म हो गया. अब कल आयेगी. ज्यादा जरुरी हो तो
सामने ताऊ की दूकान से ले लो.
अब जिनको जरुरी मे शक्कर चाहिये थी वो ताऊ की दूकान पर आये ..और पूछने लगे - ताऊ शक्कर क्या भाव?
ताऊ बोला - भाई घणी सस्ती करदी आज तो शक्कर..सिर्फ़ ४० रुपिये की एक किलो.
ग्राहक नाराज होकर बोले - ताऊ ये तो लूट है...शेखावत जी के यहां देखिये ..शक्कर २० रुपिये किलो का भाव बोर्ड पर लिखा है.
ताऊ बोला - अरे बावलीबूचों..जब मेरी शक्कर खत्म हो जायेगी तब मैं भी २० रुपिये किलो का ही भाव बोर्ड पर लिखूंगा..पर अभी लेनी हो तो ४० रुपिये किलो लो वर्ना अपना रास्ता नापो.
अब ग्राहक मजबूरी मे क्या करते..बेचारों ने ४० रु. किलो में शक्कर खरीद ली. और ताऊ के बोर्ड पर सोयाबीन तेल का भाव ३० रु. किलो देखकर तेल भी मांगने लगे.
ताऊ बोला - भाईयो, तेल तो बस अभी अभी खत्म हुआ है . अब कल आजायेगा कल लेजाना. और ज्यादा ही जरुरी हो तो सामने शेखावत जी की दूकान से लेले.
अब ग्राहक तेल के लिये शेखावत जी की दूकान पर पहुंच गये. और तेल का भाव पूछा.
शेखावत जी बोले- भाई तेल ६५ रु.किलो का भाव है.
ग्राहक बोला - सामने ताऊ ने तो देखो ३० रुपये किलो मे बेचने का बोर्ड लगा रखा है.
शेखावत जी बोले - भाई आज ताऊ का तेल खत्म है और मेरी शक्कर खत्म है सो अब तेल तो ६५ रु. किलो ही लेना पडेगा.
बस दोनों की मिली भगत से दोनों का तेल और शक्कर दोनों कि दूकान पर एक साथ कभी नही पाया गया. और दोनों की पांचों ऊंगलियां घी मे और सर कडाही में.
लूट की खूब पोल खोली। जनता टूट पड़ने ही वाली है।
ReplyDelete०अब तो सारी जनता को राज मालूम पड़ गया..अब तो ताऊ और शेखावत जी दोनों कड़ाही में और गब्बर वहीं पड़ोस में दुकान खोलेगा. :)
ReplyDeleteमस्त रही लूट खसोट!!
Ab jantabhee sayanee ho gaee hai na taoo ke Dukan jayegi na shekhawat ke. par lekh aje ka hai.
ReplyDeletebahut accha vyang....
ReplyDeleteaur waise ye estyle badhiya aur sochniya hai...
...bus wahan pe koi aur dukaan na ho,
main to serious ho gya ji...
:)
धन्य धन्य हो ताऊ !
ReplyDeleteताऊ इसलिए तो बुजुर्ग कह गए " संगठन में शक्ति " |
ReplyDeleteहा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा अब किसकी दूकान खुलेगी आस पास हा हा
ReplyDeleteregards
यह है एक और एक ग्यारह!
ReplyDeleteबढ़िया व्यंग्य!
taau ye management university jordar hai. lagata hai ab vapas isame PG karane aana padega?:)
ReplyDeleteबहुत बढिया ताऊ, आपका पुराना लूट खसोट का खानदानी धंधा चालू कर दिया. ईश्वर आपको सफ़लता दे.
ReplyDeleteहा...हा... लुट खसोट भण्डार अच्छ आइडिया दिया है वैसे दुकानदारों को !!
ReplyDeleteताऊ मेनेजमैंट युनिवर्सिटीका पता भी बता देते..
ReplyDeleteकुछ विद्यार्थी भिजवा देंगे..कमीशन कितना प्रतिशत मिलेगा ..!!
वाह ताऊ आप लूट खसूट का धन्धा भी करते हैं क्यों अपने भतीजे भतीजोय्पं की नाक कटवा रहे हैं ? ये सब रामप्यारी का सिखाया पढाया लगता है और बेचारे शेखावत जी अब क्या कहें ? लोग अपने आप देख लेंगे
ReplyDeleteबेहद मजेदार. आभार.
ReplyDeleteये धंधा बढिया है ताऊ. मिल जुलकर खूब कमाओ,:)
ReplyDeleteअरे बावलीबूचों..जब मेरी शक्कर खत्म हो जायेगी तब मैं भी २० रुपिये किलो का ही भाव बोर्ड पर लिखूंगा..पर अभी लेनी हो तो ४० रुपिये किलो लो वर्ना अपना रास्ता नापो.
ReplyDeletebahut sahi ja rahe ho taau!:)
ताऊ लूट खसोट स्टोर....
ReplyDeleteवाह! हा.. हा.. हा...
मीत
मन्नै तो यूँ लग्गै है कि धीरे धीरे सारा ब्लागजगत ताऊ की शागिर्दी मैं आण आल्ला सै......अर ब्लागजगत का नाम बदल कै "लूट खसोट जगत" करना पड ज्यैगा...))
ReplyDeleteधन्य हो ताऊ जी!!!!
बडी खुशी हुई ताउ आपके पुराने धंधे मे लौटने की. ईश्वर आपको इस काम मे सफ़लता दे.
ReplyDeleteवाह जी खूब लूट रहे हो हमें. क्या जुगलबन्दी की है. जेब कटा कर मजा आया :)
ReplyDeleteबहुत ही जबरदसत पोस्ट लिखी ताऊ. मजा आगया, बहुत दिन बाद आपका असली रंग दिखा है.
ReplyDeleteअरे ताऊ अब तो धंधा खुब जम गया, आस पास कोई मंदिर भी खुलवा लो, मजेदार
ReplyDeleteसब ताऊ की संगत का असर है जी। अब दुकान दारी चोखी चाल रही होगी।
ReplyDeleteअरे तू चिट्ठा जगत संभाल।
ReplyDeleteमैं ब्लॉगवाणी देखता हूँ।
बधाई हो ताऊ!
ताऊ खूंटा कई दिनों से गायब है जब शूटिंग छोड़ पुराने धंधे में आ ही गए हो तो खूंटा भी गाड़ दो | बिन खूंटा सब सूना |
ReplyDeleteताऊ आपको धंधो खूब फले फूले . स्टोर का ब्रांड क्या है .
ReplyDelete@ Ratan Singh Shekhawat ji
ReplyDeleteआप चिंता ही मत करिये, शराफ़त से लोग जीने नही देते सो अब शराफ़त छोडकर अपनी भैंस, लठ्ठ और खूंटे सहित .चोरी डकैती के धंधे मे ताऊ वापस आगया है.
खूंटे की याद दिलाने के लिये आपका शुक्रिया..?
रामराम.
”आधुनिक वाणिज्य और अर्थ-प्रबंधन”
ReplyDeleteहा हा ! इसे कहते हैं स्ट्रेटजी. ऑफ़ मनेजमेंट में एडमिशन नहीं हो रहा क्या आजकल?
ReplyDeletewah ! kya loot ki pol kholi aapne .....
ReplyDeleteजनता तो पहले ही बहुत लुट रही थी ताऊ, इब यो एक और तरीका बता दिया.
ReplyDeleteखुदा खैर करे.
और सर कडाही में (ग्राहकों का)
ReplyDeleteबिलकुल झक्कास ... मस्त रही |
ReplyDeleteक्या कहने ..ताऊ....
ReplyDeletemajedaar aur rochak vyang...
ReplyDeleteमान गए गुरूजी!
ReplyDeleteहा हा हा !!! बहुत बढ़िया और मज़ेदार लगा ताऊ जी! विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteहा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हाहा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हाहा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हाहा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हाहा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हाहा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हाहा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हाहा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हाहा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हाहा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हाहा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा taauji, itanaa Maja aaya... i love taao
ReplyDeleteदोनों एक से बढ़ कर एक.. भगवान बचाये..
ReplyDeleteबढ़िया पोल खोल ।
ReplyDeleteताऊ एक छोटी सी दुकान हमें भी दिलवा देना आस पास में .......... लेखक तो आप ही हो ..... बस कलम घुमानी है आपने ..
ReplyDeletebahut gajab ka likha taauji aaj to.
ReplyDeleteमजा आगया ताऊजी आज तो।
ReplyDeleteहैप्पी ब्लागिंग।