आज सुबह ४ बजे से ही बरसात हो रही थी. धूप है नही. ठंड काफ़ी ज्यादा है. सैम अंदर ड्राईंग रुं मे हीटर के सामने कुर्सी पर विचार मग्न बैठा है. बीनू फ़िरंगी भी आकर बैठ जाता है. सैम को दार्शनिक अंदाज मे बैठे देख कर पूछ बैठता है.
बीनू फ़िरंगी : - अमां यार सैम भाई कितना शानदार मौसम हो रहा है और आप गमगीन हो कर बैठे हो? हम तो यह सोच कर आए थे कि आज तो मौसम के हिसाब से चिकन आलाफ़ूस मिलेगा नाश्ते मे. पर यहां तो माजरा ही उल्टा दिखाई दे रहा है.
सैम :- देखो बीनू भाई. हर समय हा...हा...ठी..ठी.. अच्छी नही होती. कभी तो सिरियस भी होना चाहिये आदमी को.
बीनू समझ गया कि आज चिकन आलाफ़ूस तो दूर बल्कि चाय मिल जाये तो गनीमत है. और मन ही मन बोला- आज लगता है इस उल्लू के पठ्ठे सैम के दार्शनिक प्रवचन झेलने पडेंगे, वो अलग.
अब सैम बोला - तेरे को मालूम है? कल के पहले तक शेयर बाजार कुलांचे लगाता दिख रहा था और कल जो कुछ हुआ है उसको देख कर लगता है कि २००९ की शुरुआत हो गई है.
बीनू फ़िरंगी - यार साफ़ साफ़ कहो सैम भाई.
सैम :- अबे साफ़ साफ़ क्या कहूं? मैं क्या गोल मोल बोल रहा हूं? सीधी बात है, शेयर बाजार ने पिछली साल तो जनता को नंगा बूचा कर ही दिया था. अब इस साल के ७ वें दिन ही लूट पाट शुरु हो गई. और ये तो अभी शुरुआत है. देखते जा, पिछले साल से भी ज्यादा लूट पाट होगी यहां पर. इन सबने कसम खा रखी है कि हम जनता कॊ ही लूटेंगे.
बिनू फ़िरंगी :- सैम भाई मैं कुछ समझा नही?
सैम :- अबे तुम क्यों समझोगे? सालों तुम पहले कहते रहे कि पाकिस्तान आतंकियो को भारत को सौंप दे और अब कहने लगे कि पाकिस्तान मे ही मुकदमा चलाया जाये. तुम लोगो का तो चरित्र ही शुरु से दोगला है. साले फ़िरंगी कहीं के !
बीनू फ़िरंगी :- अरे यार सैम भाई, तुम मौसम का मजा तो खराब करो मत. अब कहां जनता को लूटने की बात और कहां पाकिस्तानी आतंकी..?
सैम :- अबे तू समझ नही रहा था ना, इसलिये तेरा चरित्र समझा रहा था, अब तू अच्छी तरह समझ जायेगा. देखो धृतराष्ट्र ने पुत्र मोह मे कल जनता को लुटवा पिटवा दिया ना.
बीनू फ़िरंगी :- अरे यार सैम भाई, अब धृतराष्ट्र कल कहां से आ गया? उसे मरे तो शायद ५ हजार साल से भी ज्यादा हो गये.
सैम :- अबे तू साले बिल्कुल ही अक्ल से पैदल है. मैं आधुनिक धृतराष्ट्र बी. रामालिंगा राजू यानि सत्यम कम्प्यूटर्स वाले धृतराष्ट्र की बात कर रहा हूं.
बीनू फ़िरंगी :- लगता है सैम भाई तुम भी कल बाजार मे आई सत्यम की आंधी मे हाथ जला बैठे हो? पर इसमे धृतराष्ट्र कहां से आगया?
इतनी देर में नौकर चिकन आलाफ़ूस की दो प्लेट लाकर सामने रख देता है. सैम एक प्लेट ऊठाकर बीनू फ़िरंगी की तरफ़ बढाते हुये बोला-- अबे फ़िरंगी..विद्यामाता की कसम खाकर कह सकता हूं कि तू निरा मुर्ख ही रहेगा सारी उम्र. तुझको कभी भी समझ नही आयेगी.
बीनू फ़िरंगी चिकन आलाफ़ूस का टुकडा ऊठाते हुआ बोला - देखो यार सैम भाई, अपुन ज्यादा अक्ल नही लडाते. अपुन तो अपने मतलब की बात को देखते हैं. अपने को इस बात मे इंटरेस्ट ही नही कि शेयर बाजार मे कौन लुटा पिटा? बस हम तो अपनी खुद की खोज खबर रखते हैं.
पर आपकी इस धृतराष्ट्र वाली बात मे जरुर इंट्रेस्टेड हो गये हैं. ये सारा किस्सा बताओ तो सही.
सैम :- अबे इसमे किस्सा क्या है? पांच हजार साल पहले पुत्र मोह मे धृतराष्ट्र ने दुर्योधन के हक मे महाभारत करवा कर जनता को मरवा डाला था और कल आधुनिक धृतराष्ट्र बी. रामालिंगा राजू ने अपने पुत्रों दुर्योधन ( तेजा राजू ) , और दुशाशन ( रामा बी. राजा ) के मोह मे एक और महाभारत करवा डाला.
बीनू फ़िरंगी :- हां यार सैम भाई, ये तो बहुत बुरा हुआ, अब आगे क्या होगा?
सैम :- अबे होगा क्या? पहले भी मरने वाली पब्लिक थी और अब भी मरने वाली पब्लिक ही है. किसी को क्या फ़र्क पडता है? पर ये महाभारत शेयर बाजार और हमारी नियामक संसथाओ पर एक और बट्टा लगा गया. और लगता है पुराने घाव तो अभी भरे ही नही थे और ये नया जख्म और गहरा हो गया.
बीनू फ़िरंगी :- वो कैसे सैम भाई?
सैम अपना नाश्ता खत्म करते हुये बोला - अब वो किसी और दिन बताऊंगा. अब तू निकल ले. कल की घटना की वजह से मुझे आज छुट्टी होने के बावजूद भी आफ़िस जाना है. कल के पाप धोने के लिये.
आधुनिक धृतराष्ट्र या धृतराष्ट्र का आधुनिकीकरण? खैर जो भी हो महाभारत के बाद तो हर धृतराष्ट्र की धृष्टता का सफाया ही होना है!
ReplyDeleteताऊ रामराम,
ReplyDeleteलगता है कि राजू वाली घटना का सैम पर बुरा असर पड़ा है.
अर मनै तो नू लगै अक ताऊ तेरे पै ही सदमा बैठ ग्या. सैम की ओट मै तू अपने ही मन की बात कह रहा है. है ना???
tau, kalyug me satayam bhee jhutha hai. narayan narayan
ReplyDeleteदुनिया गोल है और हर पाप का डबल रोल है..
ReplyDeleteखूँटे से खूँटा कहा गायब हो गया????
मस्त ताऊ , मस्त अंदाज़ में लिखा है , | सत्यम का तो सही में बंटाधार हो गया | बहुत सारी कंपनी उसे खरीदने का प्रस्ताव भी दे चुकी है , देखिये क्या होता है ?
ReplyDeleteअबे फ़िरंगी..विद्यामाता की कसम खाकर कह सकता हूम कि तू निरा मुर्ख ही रहेगा सारी उम्र. तुझको कभी भी समझ नही आयेगी.
ReplyDelete" हा हा हा हा ये सैम आजकल विद्यामाता की कसम बहुत खाने लगा क्या हो गया इसको, लगता है ताऊ जी ने इसका भी किसी स्कूल में दाखिला करा दिया है , वैसे ताऊ जी कौन सी कक्षा का छात्र है सैम आजकल , बातें बहुत बडी बडी करने लगा है....कलियुगी महाभारत भी शुरू हो गयी अब देखें आगे आगे क्या होता है...."
regards
हर मुसीबत जनता को ही सहनी पड़ती है। मंदी में मजदूर-कर्मचारी और छोटा निवेशक मारा जाता है।
ReplyDeleteआप मौसम का आनंद लीजिए। हम भी बेटे का हाल पूछते हैं।
ye comparisn accha raha...kis kis ko lapet liya taau...dhritrastra se lekar america tak ko. karara vyangya hai.
ReplyDeleteये भी कोई बात हुई ! भैंस खूँटा उखाडकर भाग गई और आप यहाँ बैठे गप्प हाँक रहे हैं . पहले भैंस को हाँककर लाइए फिर खूँटा गाढिए . तब गप्प हाँकना :)
ReplyDeleteआधुनिक धृतराष्ट्र... bahut khoob Upadhi di aapne.. badhiya post.. dekhiye aage kya hota hai :-)
ReplyDeleteRohit Tripathi
Free IITJEE Preparation
धृतराष्ट्र उवाच
ReplyDeleteअरे मानव ! मुझे मरे तो हजारों साल हो गये, अब तो बख्श दे ! मेरी तुलना कलयुग के नेता से करता है और वह भी मंत्री ? मै तो जन्मजात राजा था, मेरा तो चुंगी वसूलने का हक था. फ़िर मेरे तो दोनों बल्ब भी तो फ्यूज थे, अगर मुझसे गलती हो गई तो माफ कर . लेकिन इस कलयुगी धृतराष्ट्र को तो तूने मंत्री बनाया है. अब भुगत. लेकिन तूँ सुधरेगा थोड़े ही, कल फिर इसी को चुनेगा, या तो दुर्योधन को, या दुःशासन को, या शकुनी को ही. लेकिन तूँ मजबूर भी तो है न ? तुझे इन्ही में से एक चुनना जो है.
धृतराष्ट्र उवाच
ReplyDeleteअरे मानव ! मुझे मरे तो हजारों साल हो गये, अब तो बख्श दे ! मेरी तुलना कलयुग के नेता से करता है और वह भी मंत्री ? मै तो जन्मजात राजा था, मेरा तो चुंगी वसूलने का हक था. फ़िर मेरे तो दोनों बल्ब भी तो फ्यूज थे, अगर मुझसे गलती हो गई तो माफ कर . लेकिन इस कलयुगी धृतराष्ट्र को तो तूने मंत्री बनाया है. अब भुगत. लेकिन तूँ सुधरेगा थोड़े ही, कल फिर इसी को चुनेगा, या तो दुर्योधन को, या दुःशासन को, या शकुनी को ही. लेकिन तूँ मजबूर भी तो है न ? तुझे इन्ही में से एक चुनना जो है.
धृतराष्ट्र हर युग में हुए है. हर पिता में छोटा-मोटा धृतराष्ट्र है. बस बदनाम बेचारा अकेला धृतराष्ट्र हो गया. :)
ReplyDeleteयहाँ धृतराष्ट्र बेटों की कम्पनी के बहाने अपने किये पर लिपापोती करनी चाही मगर सफल नहीं हुआ.
आदिकाल से कलिकाल तक,
ReplyDeleteपुत्रमोह,
नारायण,नारायण।
Tauji aapne apne hi andaaz mai is baar stayam ko achha lapeta hai.
ReplyDeleteआधुनिक धृतराष्ट्र का अरबों की हेरा फेरी के बाद भी इस हेरा फेरी भरे देश में कुछ बिगड़ेगा नहीं, यही मानना चाहिए.
ReplyDeleteसच ये राजू जेंटलमैन नही रहा। ये तो बन गया धृतराष्ट्र। अच्छा भला थोड़ा बहुत चढा था शेयर बाजार।
ReplyDeleteपहले भी मरने वाली पब्लिक थी और अब भी मरने वाली पब्लिक ही है. किसी को क्या फ़र्क पडता है?
ReplyDelete---------
सत्य यही है - इस पब्लिक को ढ़ूंढें, जो मरने वाली है! :-)
ताऊ श्री, कहते हैं कि 'कंगाली मे आटा गीला'. एक तो बेचारे छोटे एवं मंझोले निवेशकों की पहले ही अमेरिकी अर्थ संकट के कारण आई गिरावट ने कमर तोड रखी थी.अब रही सही कसर इस सत्यम प्रकरण ने पूरी कर दी है.
ReplyDeleteजैसे ही निवेशकों का विश्वास बाजार में लौटने लगता है, तभी इस प्रकार की घटनाऎं अचानक सामने आ जाती हैं कि उसका रहा सहा विश्वास और पूंजी दोनो ही छिन भिन हो जाती हैं.
कभी हर्षद मेहता, कभी केतन पारीख और अब ये महाशय राजू. मैं समझता हूं कि भारतीय सरकार और सेबी जैसी संस्थाएं अब तक इस प्रकार की घटनाओं पर अंकुश लगाने में पूरी तरह असफल रही है, और इसी का परिणाम है कि ऐसी घटनाएं रह-रह कर घट जाती हैं जो निवेशकों में व्यापक तौर पर निराशा का संचार करती हैं।
मुझे तो इस खबर की भीतरी खबर तक नहीं थी...शेयर मार्केट की समझ और सैम का व्याख्यान,कुछ गड्मड से हो गये हैं...फिर से पढ़्ता हूं....
ReplyDeleteताऊ सही कहा चाहे खरबूजे पर छुरी ये छुरी पर खरबूजा...........कटेगी तो जनता ही.
ReplyDeleteइस बार खूंटे की कमी महसूस हो रही
पहले तो मैंने आपकी वो टिप्पणी पढी किआप किसी को समझा रहे थे कि बहुत सपने न देखा कर /फिर आपके ब्लॉग पर मुसाफिर जी कि टीप्पणी पढी =क्या आपके सभी पठाकों को आपने हरियाणवी सिखा दी
ReplyDeleteमुझे तो एक बार फिर यही लगा की महाभारत क्या चीज है ! हर युग में, हर छोटे-बड़े स्तर पर फिट हो जाता है... पर हर युग में जनता कृष्ण के उपदेशों की जगह उन्ही का इंतज़ार करती रह जाती है.
ReplyDeleteखबर तो हमने भी सुन ली थी. पर सैम ने समझा दिया.
ReplyDeleteअभी तो और घावों के लिए मन कडा करना है ताऊ !
ReplyDeleteघोटाला चाहे कैसा ही हो कोई भी करे लुटती जनता ही है
ReplyDeleteमेरे सवाल का जवाब नहीं मिल पाया कि सत्यम के शेयर खरीदे जायें या नहीं !!
ReplyDeleteसस्नेह -- शास्त्री
अब समझा पूरी बात ताऊ...तीन अखबारों की पूरी खबर चाट जाने के बाद
ReplyDeleteशुक्रिया
जानकारी लिये
ReplyDeleteयह सैम
और बीनू फिरँगी का वार्तालाप
काफी ज्ञान दे रहा है
उसका आभार जी
- लावण्या
विद्यामाता की कसम खाकर कह सकता हूम कि मेने कभी भी शेयर नही खरीदे ओर ना ही खरीदुगां, चाहि वो सत्यम के हो या झुथ्यम के,... विनोद श्रीवास्तव जी की टिपण्णी मै दम है, ओर वही मेरे भी शव्द है.
ReplyDeleteधन्यवाद
ये चिकन अलाफूस आखिर है क्या ??
ReplyDeleteखाना खजाना में भी नहीं सुनी-देखी??
बस जिज्ञासा है..खानी नहीं है..
खूंटा दो दिन से गायब है!