प्यारे बहणों और भाईयों, ताऊ पहेली - 119 में मैं रामप्यारे आपका हार्दिक स्वागत करता हूं. जैसा कि आप जानते हैं होली के अवसर पर ताऊ महाराज दंडकारण्य में रामप्यारी के साथ विश्राम करने गये हुये हैं. और ताऊ पहेली को सतत जारी रखने का कार्यभार मुझे सौंप गये हैं. मैने इस शर्त पर यह जिम्मेदारी स्वीकार की है कि इस पहेली को जब तक मैं चाहूं तब तक अपनी मर्जी और शर्तों पर चलाऊंगा.
अब आप तो जानते हैं कि मैं ठहरा एक सीधा साधा गधा, ज्यादा फ़ालतू बात करना मेरी तबियत में शुमार नही है. और काबलियत के नाम पर सिर्फ़ अपने बडे बडे दांत ही दिखा सकता हूं. और इस पहेली के नियम बिल्कुल सीधे हैं और आप स्वयं ही इसके जज होंगे.
नीचे एक चित्र दिया हुआ है. इस चित्र को देखकर आपको बताना है कि यह चित्र कहां का है? इस जगह के बारे में आप कुछ और भी जानकारी रखते हैं तो वो भी यहां टिप्पणी में लिख कर दूसरों की जानकारी भी बढा सकते हैं.
अगर आप इस चित्र को 5 मिनट में पहचान जाते हैं तो आप अपने आपको समझिये "सुपर जीनियस" अगर आप इस चित्र को 10 मिनट में पहचान जाते हैं तो आप अपने आपको समझिये "जीनियस" अगर आप इस चित्र को 15 मिनट में पहचान जाते हैं तो आप अपने आपको समझिये "बुद्धिमान"
और अगर इससे ज्यादा समय लगाते हैं तो आप क्या हैं? आप स्वयं ही समझ लिजिये. और आपको फ़िर भी जवाब नही मिले तो यहां पर चटका लगाकर देख लिजियेगा. अब यह आपकी इमानदारी पर निर्भर करता है कि आप कितनी देर में उत्तर खोज पाये? यह सही बताते हैं या गलत?
तो अब मैं रामप्यारे आपको होली की शुभकामनाएं देता हुआ आपसे विदा लेता हूं. अगले सप्ताह आपसे फ़िर यहीं मिलूंगा.
ब्लाग भौजी सुंदरी प्रतियोगिता -2011 में आपका हार्दिक स्वागत है. जैसा कि आपको बताया गया था कि इस प्रतियोगिता का स्विमिंग शूट टेस्ट रामप्यारे ने ताऊ सिटी बीच पर किया था. हमने उससे इस टेस्ट की विडियो रिपोर्टिंग मांगी तो उसने कहा कि वो विडियो सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित नही किया जा सकता.
सभी भौजियों ने बिकिनी टेस्ट में जरूरत से ज्यादा अडल्टाना प्रदर्शन किया, खासकर समीरा टेढी, सतीशा भौजी और रजिया भौजी ने अडल्टाना प्रदर्शन के सारे रिकार्ड तोड डाले. सभी भौजियों को यह लग गया था कि बिकिनी टेस्ट के सहारे ही यह ब्लाग भौजी सुंदरी प्रतियोगिता जीती जा सकती है सो खरबूजे को देखकर बाकी की खरबूजा भौजियों ने भी रंग बदलते हुये बहुत ही अडल्टाना व्यवहार और प्रदर्शन किया जिसे हम सार्वजनिक नही कर सकते.
अगर किसी को इस बिकिनी टेस्ट के रशेज देखने हों तो वो अपना वयस्क होने का प्रमाण पत्र भेजकर निजी रूप से यह विडियो प्राप्त कर सकता है.
अब ब्लाग भौजी सुंदरी प्रतियोगिता में अगला चरण भौजियों की सुंदरता परखने के बाद उनकी कला को परखने का है, इसमे आज आपको दिलीपा भौजी का गायन सुनवा रहे हैं. हम आपको बतादें की अभी दिलीपा भौजी जरूरी काम से मिश्र (Egypt) में हैं तो उनका अभी बिकिनी टेस्ट होना भी बाकी है परंतु आन लाईन गायन टेस्ट उन्होने इजिप्ट से दे दिया है. तो आईये दिलीपा भौजी, अपना गायन सुनाईये.
प्यारे यानि कि रामप्यारे जी, प्यारे प्यारे देवरों और देवरानियों, आप सबको मेरा यानि दिलीपा भौजी का इजिप्ट से सीधे नमस्कार, एक होली गीत वर्तमान संदर्भ में पेश कर रही हूं, आशा है आप पसंद करेंगे और मेरे लिये ताऊ को ज्यादा से ज्यादा एस एम एस भेजकर मुझे ब्लाग भौजी सुंदरी प्रतियोगिता जीतने का मौका प्रदान करेंगे.
धन बरसे मैली चदरिया रे धन बरसे धन बरसे मैली चदरिया रे धन बरसे
अरे कितने करे घोटाले अरे कितने करे घोटाले तोहरे राज में राजा अरे हंसना रे कलमडिया...
अरे और भी बहुत है भाई... धन बरसे मैली चदरिया रे धन बरसे धन बरसे मैली चदरिया रे धन बरसे
एशियन गेम्स का बीडा उठाया अरे एशियन गेम्स का बीडा उठाया
अरे एशियन खेलों का भैया...
एशियन गेम्स का बीडा उठाया अरे एशियन गेम्स का बीडा उठाया चाबे करोडों कल्माडी पी.एम. तरसे धन बरसे.. धन बरसे मैली चदरिया रे धन बरसे
ओ धन बरसे... एशियन गेम्स का बीडा उठाया अरे एशियन गेम्स का बीडा उठाया
स्पेक्ट्रम घोटाले का सेज बिछाया अरे स्पेक्ट्रम घोटाले का स्पेक्ट्रम घोटाले का सेज बिछाया सोये मिनिस्टर राजा पी.एम. तरसे, धन बरसे ओ धन बरसे... पी.एम. तरसे धन बरसे.. धन बरसे मैली चदरिया रे धन बरसे
होली साल में एक बार ही आती है. इसके जाते ही "फ़िर वही रामदयाल और वही गधेडी" बचा रह जाता है. हमारे कहने का मतलब है कि होली पर्व भी जीवन का एक चक्र है. हमारे शास्त्रों में ध्यान की जो प्रक्रियाएं बताई गई है उसमे स्व से मिलन की एक प्रक्रिया स्थूल से सुक्ष्म की तरफ़ लौटना भी है. और अगर किसी ने इसका अभ्यास किया हो तो यह बडे काम की चीज है. शायद इस तथ्य को श्री राकेश कुमार जी ज्यादा अच्छे तरीके से समझा सकेंगे.
इसी प्रक्रिया के तहत अगर हम होली को साल के एक मास की बजाये मास में एक दिन पर ले आयें, फ़िर एक दिन यानि चौबीस घंटे में से एक घंटे पर ले आयें तो चमत्कार घटित हो सकता है. और रोज होली मनाई जा सकती है. जीवन की इतनी भागदौड और आपाधापी में हम तो एक दिन में ये एक घंटा आराम से निकाल लेते हैं और रोज होलियाना मूड में रहते हैं. भले ही इसकी कीमत हमें दो चार लठ्ठ खाकर चुकाना पडती है. और यूं भी श्री प्रवीण पाण्डेय ने घोषित कर ही दिया है कि पिटना भी भाग्य बढ़ाता है सो भाईयो आप भी राज भाटिया से लठ्ठ मंगाकर भौजाईयों को यानि अपनी अपनी लुगाईयों को पकडा दिजिये और रोज होली मना कर, उनसे पिट कर अपना भाग्य बढवाते रहिये. इसमें हर्ज भी क्या है? आपका भाग्य बढेगा, भौजाईयों का अहम संतुष्ट होगा कि सदियों से उन पर होते आये अत्याचार का बदला चुक रहा है और घर में शांति भी बनी रहेगी.
वैसे ये होली (हास्य) के किटाणु सभी के अंदर चौबीसों घंटे ही मौजूद रहते है पर कुछ सज्जन या दुर्जन लोग जबरदस्ती मुंह फ़ुलाकर ऊपर से गंभीरता का मुल्लम्मा चढा लेते हैं जैसे सारे दुनियां जहान को उन्हीं को चलाना है. हमारे बारे में भी लोग यहां वहां कहते फ़िरते हैं कि जब देखो...हा..हा..ठी..ठी..करता रहता है. जानवरों के साथ रहते रहते, ताई के लठ्ठों से पिट पिट कर, भाग्य बढवा कर ताऊ भी जानवर जैसा ही हो गया है. उसे शर्म भी नही आती.
पर भाईयों और भौजाईयो...कसम खुदा कि..हम इतने जंगली नही हैं. ये अलग बात है कि सुबह शाम लठ्ठ से पिट पिट कर हमारी बुद्धि कुछ कुंद और निर्मल जरूर हो गई है. होली की भांग कुछ ज्यादा चढ गई थी. ताई के लठ्ठों से भी नही उतरी. आराम से घर में पडे थे. पर रिश्तेदारी की एक उम्रदराज अम्मा जी काफ़ी लंबी बीमारी के बाद देवलोक गमन कर गई और उनकी शवयात्रा में जाना जरूरी था. सो चले गये. आप जानते ही हैं कि श्मसान में श्मसान वैराज्ञ तो हर किसी को व्यापत होता है फ़िर ताऊ क्या चीज है.
दाह संस्कार से वापसी में लौटते हुये :-
मेरे आगे आगे एक टिरिक का बच्चा (आटो) जा रिया था पीछे पीछे मैं वैराज्ञ में डूबा श्मसान से वापस आ रिया था
ट्रक के बच्चे के पीछे लिखा था :-
कीचड से खेलोगे तो धोना भी पडेगा करोगे अगर शादी तो रोना भी पडेगा
धतूरे के पेड़ से धतूरा ही मिलेगा आम खाने को आम बोना भी पड़ेगा.
जो ढूंढते विकास परमाणुओं के खेल में उन्हें जिन्दगी के नाम को खोना भी पडेगा
जो तानते रहें हैं जंगल कांक्रिट के उनको भूकंप और सुनामी के साये में सोना भी पड़ेगा
समझायें चलो आज इन सिरफिरे आकाओं को करनी का असर हर हाल में ढोना भी पड़ेगा
घर पहुंचते २ मन उदास होगया, मन में आया कि पता नही कब हमारा देश भी जापान हो जाये, क्योंकि हमने भी पूरा इंतजाम विनाश का कर रखा है सो क्यों ना इस क्षण भंगुर संसार में जब तक अपना जीवन है उसमे होली मनाते रहे?
भैस के केडे को कंघा चोटी करके स्कूल भेजने के लिये तैयार करती ताई
इधर होली बीती थी कि ताई थोडी होलियाना मूड से बाहर निकली, घर बार की सुध आई, भैंसों को चारा पानी भी ठीक से नही दिया गया था सो उसने भैंसो को चारा पानी दिया. इधर हमारी भैंस (जिसने भागकर यमराज के झौठे से शादी करली थी) का केडा (भैंस का बच्चा) भी पूरी तरह होली के मूड मे था. अभी तक स्कूल की छुट्टियां थी और आज स्कूल भी खुल गये थे पर वो स्कूल जाने को तैयार नही हो रहा था. ताई ने उसको जैसे तैसे नहला धुलाकर स्कूल के लिये तैयार किया तो पसर गया कि स्कूल नही जाऊंगा. पर ताई के आगे उसकी एक नही चली, आखिर उसकी कंघा चोटी करके उसको स्कूल बस में बैठा ही दिया.
"ब्लाग भौजी सुंदरी प्रतियोगिता" के लिये "ताऊ सीटी" पहूंच चुकी ब्लाग भौजियों का एक ग्रुप फ़ोटो
हमने नहा धोकर खा पीकर कुछ विश्राम किया और हल्की सी नींद लगी ही थी कि रामप्यारे आकर धमक गया और बोला - ताऊ, वो ब्लाग भौजी सुंदरी प्रतियोगिता के लिये बहुत सी उम्मीदवार ताऊ सीटी बीच पर पहुंच चुकी हैं और बिकनी व स्विंमिग शूट टेस्ट मैने ले कर नंबर दे दिये है. आगे अब रैंप पर परेड आप देख लो और नंबर दे दो फ़िर इस साल की ब्लाग भौजी सुंदरी - 2011 के नाम की घोषणा कर देते हैं. आप चलकर तैयारी भी देख लिजिये. सो हम रामप्यारे के साथ ताऊ सीटी में पहूंचे और सभी ब्लाग भौजियों से परिचय प्राप्त किया, उनमें राजीवा भौजी तो इतनी लंबी थी कि कैमरे के फ़्रेम में भी नही आरही थी. किसी तरह एडजस्ट करके रामप्यारे ने एक यादगार फ़ोटो लिया.
दराल भौजी, सतीशा भौजी और रजिया भौजी किसी षडयंत्र की जुगाड में
वहां ब्लाग भौजियों से परिचय प्राप्त करने के बाद हम लौटने लगे तो हमने एक कोने में दराल भौजी, सतीशा भौजी और रजिया भौजी को कुछ गुफ़्तगू करते पाया, हमें लगता है कि ये तीनों मिलकर ब्लाग भौजी सुंदरी एवार्ड - 2011 जीतने के लिये कुछ षडयंत्र कर रही हैं. अब आगे क्या हुआ? और कौन कौन सी ब्लाग भौजियां आई? रैंप पर किसका पल्लू खिसका? और मुद्दे की बात यह कि किसने जीता ब्लाग भौजी सुंदरी एवार्ड - 2011... ये सब अगले अंक में पढिये.
प्यारे श्रोताओं, मैं रामप्यारे ताऊ तरही कम गरही सम्मेलन में आप सबका स्वागत करता हुं. ताऊ गरही मुशायरे में अभी तक आप महाकवि ताऊ जी महाराज,महान कवियित्री मिस समीरा टेढी,आल राऊंडर ललित शर्मा,कवि सम्राट विजय सप्पात्ति और चच्चा रामपुरी चाकू वाले अनुराग शर्मा (स्मार्ट इंडियन) को सुन चुके हैं. और आज इस गरही सम्मेलन में अपनी व्यथा कथा सुनाने आ रहे हैं चच्चा मनचले "पिट लिए" यानि कि महान कविकार श्री सतीश सक्सेना.
तो भाइयो और भौजाइयो .....दिल थाम के बैठो ..... अब आ रहे हैं...... चच्चा मनचले "पिट लिए" ...पर चच्चा कैसे किससे "पिट लिये" ? इसकी एक बानगी उनको सुनने के पहले देख लिजिये.
चच्चा "पिट लिये" को पीटने का इंतजार करती समीरा भौजी, अनुरागी भौजी, विजया भौजी और ललिता भौजी
ये चार चार भौजियां लठ्ठ लिये चच्चा पिट लिये को पीटने के लिये इंतजार कर रही हैं कि कब चच्चा आये और कब उनको पीटा जाये. पर चच्चा भी आखिर चच्चा ठहरे....खुद तो आये इंतजाम से ...और संगी साथियों को पिटवा कर एक तरफ़ खडा कर दिया...जरा हालत तो देखिए चच्चा के दोस्तों की... चच्चा बडी चालू चीज हैं... चच्चा को देखिये तो सही.. ..कैसे मुस्करा कर पिट रहे हैं....
चच्चा "पिट लिये" को पिटवाती रजिया भौजी, पीटे हुये खडे देवरों को पहचानिये और पीटने वाली भौजी कौन है?
और ये रजिया भौजी तो चच्चा "पिट लिये" को जमकर पिटवाने पर अडी हैं....मारे जावो.....मारे जावो...लठ्ठ पे लठ्ठ...आखिर भौजी का ही देवर है... कोई पराया देश का थोडे ही है.
पर सवाल ये है कि चच्चा "पिट लिये" को ये कौन सी भौजी पीटे जा रही है? कोई बता सकता है? यही राज है कि ये लठ्ठ कौन सी भौजी चला रही है?
चच्चा "पिट लिये" से कविता पाठ करवाती रजिया भौजी और डांस करता रामप्यारे
और अब चच्चा "पिट लिये" को रजिया भौजी ने इस शर्त पर पिटवाना बंद किया कि वो एक कविता सुनायेंगे. तो अब मैं पिटे पिटाये चच्चा "पिट लिये" को आमंत्रित करता हूं कि वो आये और अपनी नई नवेली रचना सुनाये...तो अब आ रहे हैं पिटे पिटाये चच्चा "पिट लिये" उर्फ़ सतीश सक्सेना. जरा जोरदार हुटिंग हो जाये....
(इस पूरी पोस्ट का पोडकास्ट यहां सुनिये.)
प्यारे भाईयों और मुझे पीटने वाली भौजाईयों...आप सबको होली की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं...अब मैं आपको बिल्कुल ताजा और पिटने के तुरंत बाद उपजी नई नवेली रचना सुना रहा हूं....सुनिये और दाद ...मेरा मतलब टिप्पणी दिजियेगा.... दाद खाज खुजली लेकर तो क्या करूंगा...लठ्ठों से पिट पिट कर वो तो यूं ही गायब हो गई है....हां तो अब सुनिये.
ऐसा क्या बुरा किया मैंने मुझको तुम क्यों पिटवाते हो वर्षों से पूजन करने को मंदिर के चक्कर लगवाए रूपसियों का कर नेत्रपान तेरे चरणों में सर नाए तेरे दर्शन के साथ साथ सुंदरियों से धक्का मुक्की में, जूता घूँसा लातों से मुझको तुम क्यों पिटवाते हो
सुन्दरता की रचना क्यों की इसमें मेरी गलती क्या है क्यों रूपसियों को मंदिर में सजधज कर तुम बुलवाते हो पूजा करने में ध्यान बँटे नज़रें चपलाओं पर जाती करके अपना पाषाण ह्रदय तुम मुझको क्यों पिटवाते हो
शायद तुम भूले निज करनी मैं याद तुम्हें दिलवाता हूँ खुद तो मैरिड महिलाओं से भी चक्कर खूब चलाते थे राधा के घर को उजाड़ कर मुझको क्या सबक सिखाते हो मैं तो तेरा फालोवर हूँ , तुम मुझको क्यों पिटवाते हो ??
-सतीश सक्सेना
नोट :- अब इस गरही कवि सम्मेलन का समापन करेंगे श्री ताऊ जी महाराज. (अगले अंक में)
प्यारे बहणों और भाईयों, ताऊ पहेली - 118 में मैं रामप्यारे आपका हार्दिक स्वागत करता हूं. जैसा कि आप जानते हैं होली के अवसर पर ताऊ महाराज दंडकारण्य में विश्राम करने के लिये प्रस्थान कर जाते हैं. सो इस साल भी वो रामप्यारी के साथ यहां से कूच कर गये हैं और ताऊ पहेली को सतत जारी रखने का कार्यभार मुझे सौंप गये हैं. मैने इस शर्त पर यह जिम्मेदारी स्वीकार की है कि इस पहेली को जब तक मैं चाहूं तब तक अपनी मर्जी और शर्तों पर चलाऊंगा.
अब आप तो जानते हैं कि मैं ठहरा एक सीधा साधा गधा, ज्यादा फ़ालतू बात करना मेरी तबियत में शुमार नही है. और काबलियत के नाम पर सिर्फ़ अपने बडे बडे दांत ही दिखा सकता हूं. और इस पहेली के नियम बिल्कुल सीधे हैं और आप स्वयं ही इसके जज होंगे.
नीचे एक चित्र दिया हुआ है. इस चित्र को देखकर आपको बताना है कि यह चित्र कहां का है? इस जगह के बारे में आप कुछ और भी जानकारी रखते हैं तो वो भी यहां टिप्पणी में लिख कर दूसरों की जानकारी भी बढा सकते हैं.
अगर आप इस चित्र को 5 मिनट में पहचान जाते हैं तो आप अपने आपको समझिये "जीनियस" अगर आप इस चित्र को 10 मिनट में पहचान जाते हैं तो आप अपने आपको समझिये "बुद्धिमान" अगर आप इस चित्र को 15 मिनट में पहचान जाते हैं तो आप अपने आपको समझिये "औसत"
और अगर इससे ज्यादा समय लगाते हैं तो आप क्या हैं? आप स्वयं ही समझ लिजिये. और आपको फ़िर भी जवाब नही मिले तो यहां पर चटका लगाकर देख लिजियेगा. अब यह आपकी इमानदारी पर निर्भर करता है कि आप कितनी देर में उत्तर खोज पाये? यह सही बताते हैं या गलत?
आज की पहेली पर दसवें नंबर का सही जवाब देने वाला सौभाग्यशाली विजेता प्रमाणपत्र का हकदार होगा.
तो अब मैं रामप्यारे आपको होली की शुभकामनाएं देता हुआ आपसे विदा लेता हूं. अगले सप्ताह आपसे फ़िर यहीं मिलूंगा.
नोट : ताऊ होली गरही कवि सम्मेलन में कल की रेवडी दी गई है श्री सतीश सक्सेना को....इंतजार किजिये.
प्यारे श्रोताओं, मैं रामप्यारे ताऊ तरही कम गरही सम्मेलन में आप सबका स्वागत करता हुं. ताऊ गरही मुशायरे में अभी तक आप महाकवि ताऊ जी महाराज, महान कवियित्री मिस समीरा टेढी, आल राऊंडर ललित शर्मा और कवि सम्राट विजय सप्पात्ति को सुन चुके हैं. और आज इस सम्मेलन में महान चाकूबाज कवि, चच्चा रामपुरी चाकू वाले श्री अनुराग शर्मा (स्मार्ट इंडियन) अपनी रचना प्रस्तुत कर रहे हैं अपने चाकू और माईक को कांधे पर रख कर.
चच्चा रामपुरी के चाकू को देखकर हमेशा की तरह आन लाईन कैट स्केनिंग का कार्यभार संभालने वाली मिस रामप्यारी कहीं दुबक गई है. अत: चच्चा की रचना बिना कैट स्केन के ही सीधे आन एयर करना पड रही है. तो अब मैं आमंत्रित करता हूं आज की रेवडी प्राप्त चाकू कवि चच्चा रामपुरी को...आईये चच्चा .. अपनी बिल्कुल ताजी और नई नवेली चाकू रचना से इस गरही सम्मेलन की गरिमा बढाकर हम सब को कृतार्थ किजिये..
प्यारे श्रोताओं, मैं रामप्यारे ताऊ तरही कम गरही सम्मेलन में आप सबका स्वागत करता हुं. ताऊ गरही मुशायरे में अभी तक आप महाकवि ताऊ जी महाराज, महान कवियित्री मिस समीरा टेढी, और आलराऊंडर श्री ललित शर्मा को सुन चुके हैं. और आज इस सम्मेलन में महान कविकार, अनेक विधाओं के ज्ञाता श्री विजयकुमार सप्पात्ति अपनी हास्य व्यंग की रचना प्रस्तुत कर रहे हैं.
और हमेशा की तरह आन लाईन कैट स्केनिंग का कार्यभार संभाल रही हैं मिस रामप्यारी. और अब मैं आमंत्रित करता हूं आज की रेवडी प्राप्त श्री विजयकुमार सप्पाति को...जोरदार स्वागत किजिये हमारे आज के महाकवि महाराज का... आईये विजय जी.... अपनी बिल्कुल ताजी और हास्य व्यंग की रचना से इस गरही सम्मेलन की गरिमा को साढे नौ चांद लगाकर हम सब को कृतार्थ किजिये..
प्यारे श्रोताओं, आप सबको विजय सप्पाति की और से होली की भांग भरी नमस्कार, आज मैं आपको अपनी कविता "मेरी कविता की किताब" की दास्तान सुना रहा हूं, ध्यान से सुनिये और मटका भर कर होली युक्त टिप्पणी दिजिये.
नीरज जी से मेरी मुलाकात हुई ;
मन की पूरी बहुत बड़ी आस हुई !
उन्हें अपना समझकर उन्हें चाय पिलाई ;
दिल उनका जीतकर मैंने एक बात बतलाई !
नीरज जी , मुझे कविता की किताब छपवाना है
साहित्य की दुनिया में बड़ा नाम कमाना है
बहुत बड़ा कवि बनकर दिखलाना है
नीरज जी हंसकर बोले ,
और बोल कर गज़ब ढा दिया
मेरा छोटा सा दिल तोड़ दिया
कविता लिख लिख कर बोरा भर , बौरा गया है
तेरी किताब को कोई नहीं पढ़ेगा
उस पर घास रखकर गधे चरेंगे
और दाल रख कर लोग रोटी खाएँगे
सुनकर दिल मेरा भयभीत सा हुआ
मेरे भीतर का कवि व्यथित हुआ !!
फिर भी निडर हो मैंने किताब छपवाने की ठान ली
नीरज जी को अनसुना कर दिया ;
जाते जाते नीरज जी फिर बोल गए
कानों में नीम सा कुछ घोल गए
विजय, क्यों पगला गया है
और दिल की बात मान ली
बेटा ,दोबारा सोच ले
मेरी बात पर कान दे !
पर मैंने न कान, न नाक और न आंख दी
उनकी सलाह को आंख दिखा दी
एक कान से सुनी दूसरे से निकाल दी
मैं कहा , नीरज जी , बस अब देखिये क्या होता है
साहित्य की दुनिया में मेरा कैसा नाम होता है
घर आकर सारे रूपये लगाकर
मैंने मोटी सी किताब छपवाई
और अपने खर्चे पर दोस्तों को भिजवाई
और लोकार्पण की एक बड़ी पार्टी रखवाई
ये बात अलग है कि इस सारी प्रक्रिया में
बीबी ने मुझे डांट ही खिलाई
खाना तो छोड़िये चाय भी नहीं पिलाई
बहुत दिन बीत गए
कर्जा जिनसे लिया था
वो आने शुरू हो गए
मेरे नाम से गालियों के दौर शुरू हो गए
कविता की वाहवाही की कोई निशान नहीं था
साहित्य जगत में मेरे कोई नाम नहीं था
मैंने एक दिन फैसला किया
और दोस्तों के घर जाने का हौसला किया !!
एक दिन भरी बरसात में एक
दोस्त के घर गया और जो देखा
उसके बच्चे मेरी किताब के पेजों की
एक दूसरे पर हवाई जहाज़ बना कर उड़ा रहे है
देख कर ये सीन दिल मेरा टूट गया
उसे जी भर भर कोसा
नाव बना रहे हैं और
मैं उस दोस्त से रूठ गया !
और मेरी किताब को चबा रहा था !!
दूसरे दोस्त के घर गया
उसका छोटा बच्चा खडा था
तीसरे दोस्त के घर गया
वहां हाल और भी खराब थे
वे किताब को वो बेच कर छोले खा चुके थे !!!
घूमते घूमते रात हो गई
पेट में चूहे तांडव मचाने लगे
एक दोस्त के घर पहुंचा
वो बेचारा गरीब था
बरतनों से भी मरहूम था
मुझे बड़े प्यार से खिलाई
उसने मेरी ही किताब पर रख कर दाल रोटी ,
ऐसा कर के उसने मुझे बड़ी ठेस
पर पेट की आंतडि़यों को राहत पहुंचाई
वापिस आते हुए ठोकर लगी और मैं गिर पड़ा
मेरे पैर को मेरी किताब ने ही ठोका था
मुझे गिराने का मौका उसने नहीं चूका था
आँख खुली तो हॉस्पिटल नजर आया
मेरे उपर पड़ रही थी नीरज जी की छाया
गिरा और बेहोश हो गया मैं
नीरज जी हंसकर कहा
फिक्र मत करो , सब ठीक है
हॉस्पिटल का बिल कुछ ज्यादा आया था
तेरी मोटी किताबों को बेचकर चुकाया है
मैं फिर खुश हो गया
पर दोबारा से रो गया
जब मुझे बताया कि बिकी नहीं
मोटी थी, तुली हैं, तोलाराम कबाड़ी वाले ने खरीदी हैं
तभी बिल चुकाया है
हाय रे मेरी कविता की किताब
जिसने अस्पताल में भर्ती करवाया मुझे जनाब !!!
अब कभी भी अपनी कोई किताब नहीं छपवाऊंगा ,
ये बात अब समझ आ गयी है
अब आप भी इसे समझ ले , यही दुहाई है ......!!!!!
हमारे अगले रेवडी प्राप्त कवि हैं चच्चा रामपुरी चक्कू वाले यानि श्री अनुराग शर्मा (स्मार्ट इंडियन) (अगले अंक में)
प्यारे श्रोताओं, मैं रामप्यारे ताऊ तरही कम गरही सम्मेलन में आप सबका स्वागत करता हुं. ताऊ गरही मुशायरे में अभी तक आप महाकवि ताऊ जी महाराज और महान कवियित्री मिस समीरा टेढी को सुन चुके हैं. और आज इस सम्मेलन में महान विभुति, सब विधाओं के पारंगत श्री ललित शर्मा अपनी रचना प्रस्तुत कर रहे हैं.
और हमेशा की तरह आन लाईन कैट स्केनिंग का कार्यभार संभाल रही हैं मिस रामप्यारी. और अब मैं आमंत्रित करता हूं आज की रेवडी प्राप्त श्री ललित शर्मा को...जोरदार स्वागत किजिये इस आल राऊडर का... आईये आलराऊंडर ललित जी.... अपनी बिल्कुल ताजी और नई नवेली होली की रचना से इस गरही सम्मेलन की गरिमा बढाकर हम सब को कृतार्थ किजिये..
"रामप्यारे उवाच"
प्रिय श्रोताओं, एक छोटी सी होली रचना इस ताऊ गरही कवि सम्मेलन में पेश कर रहा हूं, रचना अभी अभी फ़ूटी है और बिल्कुल नई नवेली है, उनके श्री मुख से सुनकर जरा जमकर टिप्पणी दिजियेगा.
जब टेसू जब पलास के रंगों की सजे रंगोली जब चौपाल में बजे नगाड़े और हँसे हमजोली जब कोयलिया ने भी अपनी तान सुरीली खोली तभी समझना यार आ गयी है मस्तानी होली
आँख आँख जब सजे इशारे और बुलावा आये आँगन आंगन बिखर चांदनी अपना रंग दिखाए झर झर झर झर मधु रस टपके और अमृत घोली तभी समझना यार आ गयी है मस्तानी होली
जब खिड़की से वह लटकाए ऊपर चढ़ने डोरी तुलसीदास की रत्ना जैसी लगती है तब गोरी देख खुला दरवाजा चोरों की भी नियत डोली तभी समझना यार आ गयी है मस्तानी होली
जब ऋतुराज ने रंगों वाली बड़ी पिटारी खोली भांग चढ़ा कर जब वो बोले मीठी मीठी बोली सारा दिन मदमस्त रहे जब सूझे नई ठिठोली तभी समझना यार आ गयी है मस्तानी होली
ललित शर्मा अभनपुर जिला रायपुर छत्तीसगढ 9425515470
ताऊ गरही मुशायरे की अगली रेवडी दी गई है श्री विजयकुमार सप्पात्ति को... (अगले अंक में)
प्यारे श्रोताओं, मैं रामप्यारे ताऊ तरही कम गरही सम्मेलन में आप सबका स्वागत करता हुं. आज इस सम्मेलन में महान रचनाकारी कविकारी, कहानीकारी, व्यंगकारी और सब कारियों की कारी महान विदुषी मिस समीरा टेढी अपनी रचना प्रस्तुत कर रही हैं. मिस टेढी के एक और हुनर से हम आपको आज रूबरू करवा रहे हैं ...वो एक महान और प्रख्यात गायिका भी हैं सो उनकी रचना का आनंद आप स्वयं उनकी आवाज में भी ले सकते हैं, नीचे उनका पाड कास्ट भी लगाया है.
आप जानते हैं कि मिस समीरा टेढी जरा मूडी और मनचली हैं वो उनको सीधे आन एयर करने का खतरा मोल नही लिया जा सकता और मिस रामप्यारी आज कैट स्केन के लिये उपलब्ध नही है, अत: आज मिस समीरा टेढी के साथ आन लाईन एडिटिंग मैं स्वयम रामप्यारे कर रहा हूं. तो आईये समीरा जी...अपनी रचना प्रस्तुत किजिये.
प्यारे भाईयो और बहनो, आप सबको होली की हार्दिक शुभकामनाएं, होली का मौका तो अब आया है मगर इसके पहले प्रवीण पाण्डेय का गीत ’मगन होके बहती है, जीवन की लहरी’ उनकी आवाज में ऐसा मन में रचा बसा कि साथ ही नहीं छोड़ रहा, अपने प्रिय का प्रभाव मान रही हूँ इसे और उस पर यह महाराज ताऊश्री के गरही मुशायरे.. का आमंत्रण स्वीकार किया है तो गाना तो पड़ेगा मगर प्रभाव तो वही रहेगा जो मन में रच बस गया है..जरा देखिये, एक कोशिश होली गरही मुशायरे की पेशकश की:
प्रिय भाईयो और बहणों, भतीजों और भतीजियों आप सबको घणी रामराम ! हम आपकी सेवा में हाजिर हैं ताऊ पहेली अंक - 117 का जवाब लेकर. कल की ताऊ पहेली का सही जवाब है भंगी दरवाजा, Bhangi Gate, Mandav (M.P.)
पहेली के विषय से संबंधित थोडी सी जानकारी मिस. रामप्यारी आपको दे रही है.
हाय एवरी वन...गुड मार्निंग...मी राम की प्यारी...रामप्यारी.
अब सबसे पहले तो मैं पहेली के विषय में आपको दो शब्द बताऊंगी...दो से ज्यादा भी हो सकते हैं मैं गणित में जरा कमजोर हूं...गिनती आप ही लगा लिजियेगा. और उसके बाद मैं आपको विजेताओं के नाम बताऊंगी.
विंध्याचल की पहाडियों में 2000 फुट की ऊंचाई पर मालवा के पठार पर स्थित मांडव गढ मुख्य रूप से चार वंशों के शासन का गवाह रहा है - परमार काल, सुल्तान काल, मुगल काल और पॅवार काल. यहां के निर्माण अफगान वास्तुकला के श्रेष्ठतम उदाहरण है. यहां का वर्षाकालीन सौंदय इतना आनंद दायी होता है जिसके लिये बादशाह जहांगीर ने कहा है " मैं ऐसी कोई जगह नही जानता जिसका वर्षाकालीन वातावरण, और दृष्यावली मांडव जितनी सौंदर्यमयी हो. मांडव को मालवा का काश्मीर भी कहा जाता है. जहांगीर को मांडव की रातें बेहद पसंद थी और वो अनेकों बार यहां आया था. सन १६१७ में जहांगीर अपनी बेगम नूरजहां के साथ यहां आया था जहां नूरजहां ने एक लडकी को जन्म दिया था.
४५ किलोमीटर की दिवारों के घेरे मे घिरे मांडव में कुल १२ दरवाजे हैं. मांडव प्रवेश के लिये इन दरवाजों से होकर गुजरना पडता है. दिल्ली दरवाजा, रामपोल दरवाजा, तारापुर दरवाजा, जहांगीर दरवाजा, कमानी दरवाजा, आलमगीर दरवाजा, भंगी दरवाजा इत्यादि हैं. आलमगीर दरवाजा पार करते ही अगला दरवाजा भंगी दरवाजा पार करना पडता है. इस दरवाजे को पार करते ही मांडव गढ की हरी भरी वादियों से गुजरते हुये यहां की मनोरम दृष्यावली मन मोह लेती है.
भंगी दरवाजा पहले कभी पूर्ण दरवाजा था पर वर्तमान में इसकी छ्त गिर चुकी है. यहां पर तीव्र घुमावदार सडक से होकर गुजरना पडता है, जिसकी वजह से यहां अभी सिगनल लाईट लगा दी गई है. एक शिलालेख भी यहां लगा हुआ है.
शाहजहां १६१७ एवम १६२१ में माण्डव आया था. वो होशंगशाह के मकबरे से अत्यंत प्रभावित था. एक बार तो वो अपने वास्तुकार हामिद के साथ इस मकबरे की निर्माण शैली को समझने के लिये मांडव आया था एवम यहीं पर ताजमहल बनाने का विचार परिपूर्ण हुआ.
सफेद संगमरमर से बने होशंगशाह के मकबरे ने शाहजहां को बहुत आकर्षित किया. यहां मकबरे के नीचे कब्र पर एक- एक बूंद पानी जिस प्रकार गिरता है, उसकी भी नकल ताजमहल के निर्माण में की गई. शाहजहां के मुख्य वास्तुकार हामिद ने होशंगशाह के मकबरे के मुख्य द्वार पर एक शिलालेख लगवाया था जिससे आज भी यह मालूम पडता है कि ताजमहल निर्माण की प्रेरणा हुंमायू के मकबरे से नही मिली थी बल्कि ताजमहल का प्रेरणा श्रोत माण्डू स्थित होशंगशाह का मकबरा था.
अब उनसे रूबरू करवाती हुं जिन्होनें इस अंक में भाग लेकर हमारा उत्साह वर्धन किया
श्री ललित शर्मा डाँ. मनोज मिश्र श्री काजल कुमार श्री सुशील बाकलीवाल श्री अनिल पूसदकर श्री विजय कुमार सप्पात्ति श्री अंतर सोहिल सुश्री वंदना सुश्री मनप्रीत कौर श्री राज भाटिया श्री देवेंद्र पाण्डेय श्री पी.सी.गोदियाल ’परचेत’ डाँ. अरूणा कपूर श्री राकेश कुमार श्री दिगंबर नासवा डाँ.रूपचंद्र शाश्त्री डाँ. टी.एस. दराल श्री केवलराम सुश्री अंजू
सभी प्रतिभागियों का हार्दिक आभार प्रकट करते हुये रामप्यारी अब आपसे विदा चाहेगी. अगली पहेली के जवाब की पोस्ट में मंगलवार सुबह 4:44 AM पर आपसे फ़िर मुलाकात के वादे के साथ, तब तक के लिये जयराम जी की.
ताऊ पहेली के इस अंक का आयोजन एवम संचालन ताऊ रामपुरिया और रामप्यारी ने किया. अगली पहेली मे अगले शनिवार 1:00 AM से 11:00 PM के मध्य कभी भी आपसे फ़िर मुलाकात होगी तब तक के लिये नमस्कार.
माननिय सज्जनों और देवियो अथवा जो भी आप अपने आपको समझते हों, मैं ताऊ तरही कम गरही कवि सम्मेलन - २०११ का संचालक रामप्यारे आपका स्वागत करता हूं. इस सम्मेलन के लिये हमें उम्मीद से कहीं ज्यादा प्रविष्ठियां प्राप्त हुई हैं. रचनाओं की सुनामी का दवाब इतना ज्यादा है कि मिस रामप्यारी को आन लाईन ही कैट स्केन करना पड रहा है.
जैसा कि पहले ही बता दिया गया था कि पहली रेवडी बंदर बांट में ताऊ के हिस्से आई थी सो अब मैं महाकवि और वर्तमान समय के सर्वश्रेष्ठ फ़ांकालोजिस्ट महाविभुति, महाकवि शिरोमणी श्री श्री ४, २०, ००० श्री ताऊ जी महाराज को इस तरही कम गरही कवि सम्मेलन का आगाज करने के लिये आमंत्रित करता हूं. साथ में मिस रामप्यारी से भी निवेदन करूंगा कि वो भी ताऊ के साथ ही बैठकर आन लाईन कैट स्केन की जिम्मेदारी निभाये, जिससे इस गरियाने वाले सम्मेलन की गरिमा बनी रहे. तो आईये श्री महान फ़ांकालोजिस्ट कवि शिरोमणी श्री ताऊ जी महाराज....
माननिय बहणों और भाईयों, अपने खेमे के लोगो और विरोधी खेमे के लोगो, तटस्थ होके दूर से तमाशा देखने वाले लोगो और लोगों को उचका कर गलतफ़ैमिली में भरती कराने वाले लोगो, मैं आप सबका हार्दिक स्वागत करता हूं, मुझे इस समारोह की पहली रेवडी देने के लिये मैं इस समारोह के आयोजकों का आभार व्यक्त करता हूं और अब आपके भेजे में मेरी प्रथम रचना को फ़ेंक रहा हूं, जरा प्रेम से झेलियेगा.... मेरी अत्यंत कडुआहट और कर्कश आवाज सुनने की इच्छा हो तो नीचे वाला पाडकास्ट भी सुन सकते हैं.
इस कदर पानी से मिल कर, ऐंठती माचिस की तीली कितना भी घिस दम लगा लो, पर रही सीली की सीली
कल सुना कुछ और भी जन, ले शपथ पहनेंगे खादी खौफ का आलम जो बरपा, कर गया वो पेन्ट गीली
जिन्स के संग वो टॉप डाले, आ रही बेटे के संग में वो जमाना अब नहीं है, जब ओढ़नी दुल्हन की पीली
सातवें माले पर जाकर, एक आशियाना उसने बनाया घर में गिन कर तीन कमरे, आदतन कहता हवेली.
सीख कर चलना उसी से, चल पड़ा वो दूर इतना बाप ने ली जब मूंद आँखें, रह गई अम्मा अकेली
बीड़ी मूँह में दाब कर, घिसते हैं माचिस की तीली घिसते घिसते घिस जायेगी, रहती पर सीली की सीली
भिखमंगे के भाव हैं और दुष्कर्मों के पीर वोट भीख में मांगते, सबसे बड़े अमीर.
आप सबका आभार मेरी पहली ही रचना को हूट करने के लिये, अब मैं कुछ दोहे फ़ेंक रहा हूं. आशा है आप इन्हें अवश्य हूट करके सम्मान बख्सेंगे.
चिट्ठों की चर्चा करें या करते हुड़दंग... मौज मनाने के लिए, हैं होली के रंग... जरा सा रंग लगा लो जरा सा भंग चढ़ा लो... जोगिया सा रा रा रा जोगिया सा रा रा रा
होली के दिन दूर रख, अपना कीबोर्डी मृदंग आ खूब ठुमक कर नाच ले आज हमारे संग जरा ठुमरी पर नच ले जरा सा हमसे बच ले जोगिया सा रा रा रा जोगिया सा रा रा रा
चिट्ठा जैसा आपका, दुर्वासा का बाप, शीश नवाता जो नहीं, पा जाता है श्राप, जरा गुस्से को पी ले यहाँ मस्ती में जी ले जोगिया सा रा रा रा जोगिया सा रा रा रा
चेले करते चाकरी, मठ का ऐसा खेल, मठाधीष इंजन बने, चेले बन गये रेल,,,, धका धक रेल चला दे हमें भी आज बैठा ले जोगिया सा रा रा जोगिया सा रा रा
ताऊ की रचना पर जबरदस्त हुटिंग शुरू हो गई, ताऊ श्री गदगद होते हुये आभार व्यक्त करते हुये अपने स्थान दंडाकारण्य की और प्रस्थान कर गये.
और रामप्यारे जी महाराज ने घोषणा करते हुये अगली रेवडी के लियेमिस. समीरा टेढी "समीर" को आमंत्रित किया. तो हमारे अगले कवि हैं मिस. समीरा टेढी "समीर". (अगले अंक में...)
प्रिय बहणों और भाईयों, भतिजो और भतीजियों सबको शनिवार सबेरे की घणी राम राम.
ताऊ पहेली के अंक 117 में आपका हार्दिक स्वागत है. नीचे दिखाये गये चित्र को ध्यान से देखिये और बताईये कि यह कौन सी जगह का चित्र हैं? हमेशा की तरह पहेली के जवाब की पोस्ट मंगलवार सुबह 4:44 AM पर प्रकाशित की जायेगी.
ताऊ पहेली का प्रकाशन हर शनिवार 8:00 AM पर किया जायेगा. ताऊ पहेली के जवाब देने का समय कल रविवार सुबह 8:00 AM तक या अधिकतम कमेंट सुविधा बंद करने तक है.
जरुरी सूचना:-
टिप्पणी मॉडरेशन लागू है. समय सीमा से पूर्व ग़लत या सही दोनों ही तरह के जवाब प्रकाशित किए जा सकते हैं. जरूरी नही कि प्रकाशित किये गये जवाब गलत ही हैं. और रोचकता बनाये रखने के लिये गलत जवाब भी रोके जा सकते हैं. अत: अपना जवाब सोच समझकर देवें.
नोट : किसी भी तरह की विवादास्पद परिस्थितियों मे आयोजकों का फ़ैसला ही अंतिम फ़ैसला होगा.
होली के अवसर पर इस साल ताऊ तरही या कहें गरही कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया है, इसके लिये आप सबसे आपकी मौलिक कविताएं आमंत्रित की जाती है. जो भी भाग लेना चाहें वो अपनी रचना भिजवादें, बाद में कोई ये आरोप ना लगाये कि अपने अपनों को रेवडियां बांट दी गई, विरोधी खेमा भी भाग ले सकता है, आशा है आप इसमें भाग लेकर अपना योगदान देंगे. बिना मिसरे वाली तरही...तरही कहो या गरही...होये मजेदार...बस, होली मन जाये और गाये जाओ मन की...
जिंदगी बस एक माचिस की तीली है नही जल रही बरखुर्दार, ये तो सीली है तुम्हारी शक्ल पे दिख रही कुछ गरीबी है जानती है सारी दुनिया तू कितना करीबी है
नियम ऑफ तरही कम गरही कवि सम्मेलन :-
-किसी का नाम लेकर गरियाना मना है. -इशारे में गरियाईये. सब समझदार हैं, समझ जायेंगे. -अश्लील भाषा का प्रयोग मना है. -लिंक देना मना है. -व्याकरण पर ध्यान देना और टिप्पणी में दिलवाना मना है. -अपना ज्ञान अपने पास रखें, कभी और इस्तेमाल कर लिजियेगा. -मात्र स्वच्छ हास्य ही इस प्रयोजन का उद्देश्य है. -आशा है भड़ास तो निकल ही जायेगी बोनस में
तरही मे रचना को पसंद/ नापसंद कर छापना मिस रामप्यारी का काम है जो रचना के कैट स्कैन में पास होगा वो ही छपेगा...
हर छपी रचना के रचनाकार को मेहताना स्वरुप रामप्यारी को एक चाकलेट और ताऊ को एक टिप्पणी देना अनिवार्य है वर्ना चौथे दिन रचना मिटा दी जायेगी, कवि सम्मेलन का आगाज महाकवि शिरोमणी ताऊ महाराज की रचना से होगा.
इस साल के लिये "ब्लेक बूट एवार्ड ट्राफ़ी" आफ़ ब्लागर जूतमपैजारियता - 2011 की घोषणा की गई थी. "ब्लेक बूट एवार्ड ट्राफ़ी" आफ़ ब्लागर जूतमपैजारियता - 2011 की त्रि-सदस्यीय कमेटी की अनेक धुंआधार और मैराथन बैठके इसके लिये संपन्न हुई. मिस समीरा टेढी को इस कठिन काम में सहायता के लिये विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था.
अनेक बाहरी दवाब भी इस एवार्ड को प्राप्त करने के लिये आये, खुद ताऊ महाराज ही इस प्रतिष्ठित एवार्ड को झटकने के चक्कर में थे परंतु नीर-क्षीर निर्णायक मंडल और मिस टेढी की दूरदर्शिता के रहते ताऊ की ये इच्छा पूर्ण नही हो पाई. तथा सभी दबावों को दूर हटाते हुये अंतत: सर्वानुमति से यह प्रतिष्ठित एवार्ड स्वनाम धन्यश्री काजल कुमार को दिया जाता है
श्री काजल कुमार से ज्यादा जूतमपैजारियता किसी भी आदमी ने नही की होगी, ब्लागर्स को तो जाने दिजिये अगर उनके साथ जूतमपैजारियता होती है तो वो क्षम्य है क्युंकि ब्लागर तो अपनी प्रजाति और भाईचारे का आदमी है. पर इस इंसान ने राजनीति, खेल- खिलाडी, सामाजिक, आर्थिक नीति के झंडाबरदारो, रहनुमाओं और ताऊओं के साथ भी अपने कार्टूनों द्वारा जूतमपैजारियता करने में कोई कौर कसर बाकी नही छोड रखी है.
नित्य सुबह उठते ही किसी नये और इज्जतदार आदमी से पंगा लेना और उसको जूते मारना इस इंसान का प्रिय शगल हो गया है. चारों तरफ़ नजर दौडाने के बाद भी श्री काजल कुमार से बडा जूतमपैजार करने वाला आदमी दूर दूर तक भी इस ब्लाग जगत में कहीं नही दिखाई देता अत: यह "ब्लेक बूट एवार्ड ट्राफ़ी" आफ़ ब्लागर जूतमपैजारियता - 2011 उनको ससम्मान प्रदान किया जाता है. और साथ ही उन्हें यह ताकीद भी की जाती है कि अगले साल भी इस जूतमपैजारियता की धार बनाये रखें और इस ट्राफ़ी वाले जूते को इन समाज के दुश्मनों के सर पर रोज मारते रहें.
प्रिय भाईयो और बहणों, भतीजों और भतीजियों आप सबको घणी रामराम ! हम आपकी सेवा में हाजिर हैं ताऊ पहेली अंक - 116 का जवाब लेकर. कल की ताऊ पहेली का सही जवाब है महाकाल मंदिर, उज्जैन, (म.प्र.)
पहेली के विषय से संबंधित थोडी सी जानकारी मिस. रामप्यारी आपको दे रही है.
हाय एवरी वन...गुड मार्निंग...मी राम की प्यारी...रामप्यारी.
अब सबसे पहले तो मैं पहेली के विषय में आपको दो शब्द ताऊ के यात्रा वृतांत से सीधे ही कापी करके बताऊंगी...दो से ज्यादा भी हो सकते हैं मैं गणित में जरा कमजोर हूं...गिनती आप ही लगा लिजियेगा. और उसके बाद मैं आपको विजेताओं के नाम बताऊंगी.
यों तो पूरी उज्जैन नगरी ही मंदिरों की नगरी है. गोपाल मंदिर, हरसिद्धि, चिंतामणी गणेश, मंगलनाथ, कालभैरव यानि एक से एक प्रसिद्ध मंदिरों के दर्शन करते करते आपको हर बार समय कम पडता है. पर उज्जैयिनी और आसपास के लोगों का जीवन बाबा महानकाल के नाम के साथ धडकता है. जैसे शेष हिंदुस्थान में रामराम..जय श्री कृष्णा...राधे राधे..शब्द आपसी अभिवादन में उपयोग किये जाते हैं वैसे ही यंहा के जन जीवन जय महान काल शब्द प्रचलित है. उज्जैनवासी भगवान महाकाल को ही अपना राजा मानते हैं, यों आजादी के पूर्व उज्जैन नगरी ग्वालियर के सिंधिया शासकों के अधिकार में थी. कहा जाता है कि सिंधिया के वंशज कभी रात्रि को उज्जैन में नही ठहरते क्योंकि उज्जैन का महाराजा तो भगवान महानकाल ही है.
इस शिवरात्रि पर हम हमेशा की तरह बाबा महानकाल के दर्शन करने सुबह सबेरे ही उज्जैन पहुंच गये. उज्जैन में महाशिवरात्रि का त्योहार शिव-पार्वती विवाह के रूप में मनाया जाता हैं. जहां भगवान भोलेनाथ को दूल्हा बनाकर सेहरा चढ़ाया जाता है. यह परंपरा सिर्फ उज्जैन में ही है.
यहां के महाकाल मंदिर में बुधवार सबेरे से ही शिव भक्तों ने बाबा महाकाल की जय के उदघोष के साथ पूजा अर्चना का सिलसिला शुरू किया. इस दिन उज्जैन में देश के सुदूर प्रांतो से लाखों भक्त महाकाल के दर्शन के लिए पहुंचे एवम पूजा अर्चना कर सुख समृद्धि की प्रार्थना की.
बाबा महाकाल के ठीक सामने ही उनके प्रिय नंदीश्वर की मुर्ति लगी है जहां भक्त जन बैठ कर आनंद पूर्वज भोलेनाथ की आरती का आनंद लेते हैं. कुछ जुगाडू और वी आई पी लोग भोलेनाथ के समीप तक पहुंचने में भी सफ़ल हो जाते हैं. जैसी बाबा कृपा करदें.
उज्जैन के विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में महा शिवरात्रि का त्योंहार अत्यंत उत्साह और जोश के साथ मनाया गया. महा शिवरात्रि के अगले दिन यानि गुरुवार को बाबा महान काल को दूल्हे की तरह श्रृंगार करके सजाया गया और सेहरा चढ़ाया गया.
महा शिवरात्रि के पावन पर्व पर महाकाल मंदिर उज्जैन के गर्भ गृह में सारी रात महापूजा की गई एवम ११ पंडितों द्वारा भगवान भोलेनाथ का पंचामृत से अभिषेक किया गया. पूजा के उपरांत सुबह ४ बजे भगवान महान काल को सोने का मुकुट, कीमती रत्न जडि़त आभूषण पहना गया. इसके उपरांत सप्त धान्य का मुखौटा धारण कराकर आकर्षक सेहरा बांधा गया. सुखे मेवे, फूल, फल, रुद्राक्ष व बिल्व पत्रों से तैयार किये गये सेहरे में सजे दूल्हा बने भगवान महान काल के दर्शन पाकर भक्तों का घंटो पंक्तिबद्ध खडॆ रहना सफ़ल होगया.
भगवान महानकाल की ब्रह्म मुहुर्त में होने वाली भस्म आरती में शामिल होने का एक अलग ही सुख है. इस साल प्रसिद्ध उद्योगपति अनिल अंबानी ने अपना जन्मदिन बाबा महानकाल की भस्म आरती में शरीक होकर मनाया. आपका जब भी उज्जैन आने का मौका लगे तब बाबा की भस्म आरती में शामिल होने का दुर्लभ मौका मत छोडियेगा.
उज्जैन रेल्वे स्टेशन सभी जगह से जुडा हुआ है. नजदीकी एयरपोर्ट इंदौर है. ये मालवा प्रांत है और शिव की नगरी है सो आप कभी भी पधारें, मौसम के मई जुन महिने थोडे गर्म रहते हैं सो ध्यान रहे. (ताऊ यात्रा वृतांत से)
अब उनसे रूबरू करवाती हुं जिन्होनें इस अंक में भाग लेकर हमारा उत्साह वर्धन किया
डॉ. मनोज मिश्र डाँ नूतन डिमरी गैरोला - नीति श्री काजल कुमार डा. रूपचंद्र शाश्त्री ’मयंक’ श्री पी.सी.गोदियाल "परचेत" सुश्री अंजू जाट देवता (संदीप पवांर) श्री राज भाटिय़ा श्री नरेश सिह राठौड़ श्री दीपक "तिवारी साहब" श्री दिगम्बर नासवा श्री भारतीय नागरिक - Indian Citizen श्री राकेश कुमार
सभी प्रतिभागियों का हार्दिक आभार प्रकट करते हुये रामप्यारी अब आपसे विदा चाहेगी. अगली पहेली के जवाब की पोस्ट में मंगलवार सुबह 4:44 AM पर आपसे फ़िर मुलाकात के वादे के साथ, तब तक के लिये जयराम जी की.
ताऊ पहेली के इस अंक का आयोजन एवम संचालन ताऊ रामपुरिया और रामप्यारी ने किया. अगली पहेली मे अगले शनिवार 1:00 AM से 11:00 PM के मध्य कभी भी आपसे फ़िर मुलाकात होगी तब तक के लिये नमस्कार.