होली के अवसर पर इस साल ताऊ तरही या कहें गरही कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया है, इसके लिये आप सबसे आपकी मौलिक कविताएं आमंत्रित की जाती है. जो भी भाग लेना चाहें वो अपनी रचना भिजवादें, बाद में कोई ये आरोप ना लगाये कि अपने अपनों को रेवडियां बांट दी गई, विरोधी खेमा भी भाग ले सकता है, आशा है आप इसमें भाग लेकर अपना योगदान देंगे. बिना मिसरे वाली तरही...तरही कहो या गरही...होये मजेदार...बस, होली मन जाये और गाये जाओ मन की...
नियम ऑफ तरही कम गरही कवि सम्मेलन :-
-किसी का नाम लेकर गरियाना मना है.
-इशारे में गरियाईये. सब समझदार हैं, समझ जायेंगे.
-अश्लील भाषा का प्रयोग मना है.
-लिंक देना मना है.
-व्याकरण पर ध्यान देना और टिप्पणी में दिलवाना मना है.
-अपना ज्ञान अपने पास रखें, कभी और इस्तेमाल कर लिजियेगा.
-मात्र स्वच्छ हास्य ही इस प्रयोजन का उद्देश्य है.
-आशा है भड़ास तो निकल ही जायेगी बोनस में
तरही मे रचना को पसंद/ नापसंद कर छापना मिस रामप्यारी का काम है जो रचना के कैट स्कैन में पास होगा वो ही छपेगा...
हर छपी रचना के रचनाकार को मेहताना स्वरुप रामप्यारी को एक चाकलेट और ताऊ को एक टिप्पणी देना अनिवार्य है वर्ना चौथे दिन रचना मिटा दी जायेगी, कवि सम्मेलन का आगाज महाकवि शिरोमणी ताऊ महाराज की रचना से होगा.
जिंदगी बस एक माचिस की तीली है
नही जल रही बरखुर्दार, ये तो सीली है
तुम्हारी शक्ल पे दिख रही कुछ गरीबी है
जानती है सारी दुनिया तू कितना करीबी है
नही जल रही बरखुर्दार, ये तो सीली है
तुम्हारी शक्ल पे दिख रही कुछ गरीबी है
जानती है सारी दुनिया तू कितना करीबी है
नियम ऑफ तरही कम गरही कवि सम्मेलन :-
-किसी का नाम लेकर गरियाना मना है.
-इशारे में गरियाईये. सब समझदार हैं, समझ जायेंगे.
-अश्लील भाषा का प्रयोग मना है.
-लिंक देना मना है.
-व्याकरण पर ध्यान देना और टिप्पणी में दिलवाना मना है.
-अपना ज्ञान अपने पास रखें, कभी और इस्तेमाल कर लिजियेगा.
-मात्र स्वच्छ हास्य ही इस प्रयोजन का उद्देश्य है.
-आशा है भड़ास तो निकल ही जायेगी बोनस में
तरही मे रचना को पसंद/ नापसंद कर छापना मिस रामप्यारी का काम है जो रचना के कैट स्कैन में पास होगा वो ही छपेगा...
हर छपी रचना के रचनाकार को मेहताना स्वरुप रामप्यारी को एक चाकलेट और ताऊ को एक टिप्पणी देना अनिवार्य है वर्ना चौथे दिन रचना मिटा दी जायेगी, कवि सम्मेलन का आगाज महाकवि शिरोमणी ताऊ महाराज की रचना से होगा.
हो गये शुरू सुबह सुबह सिरदर्द करने।
ReplyDeleteये गधी सम्मेलन छोडो| जाडे जा रहे हैं। एक बार चले गये तो साल के आखिर में ही आयेंगे। चाय बना रखी है, भिजवाऊं क्या????
आदरणीय ताऊ जी
ReplyDeleteराम राम , केवल राम की तरफ से
मेरी रचना भी शामिल समझें ..हास्य तो नहीं लेकिन ताऊ अंदाज में रचना लिखना , पढना मैंने भी सीख लिया है .....!
!!...इंतजार है केटसकेंड कविताओं का.........!!
ReplyDeleteसब कुछ सीला सीला है,
ReplyDeleteयही तो बरसात का सिला है।
शुभकामनायें इस ज़बदस्त आयोजन के लिए.... आपकी रचनाओं का इंतजार ...
ReplyDeleteहा हा हा हा हा बहुत खूब.....शुभकामनाये
ReplyDeleteregards
ताऊ तेरे राज में, घोटालों का दौर !
ReplyDeleteचोर बने घंटाल है, गुरु का रहा न ठौर
बहुत सुन्दर ... हमें भी शामिल कीजिये .... किन्तु कल आपकी यह सम्मेलन की खबर चर्चामंच पर शामिल कर रही हूँ ... वहाँ आपका स्वागत है ... नोट ..कृपया गधों को वहाँ साथ ना लायें ..नहीं तो सारे चर्चा में गरियाने का शोर मच जायेगा .. यहाँ आपने उन पर पाबंदी जो लगाई है.. :))
ReplyDeleteकौन कौन आमन्त्रित है इसमें..
ReplyDeletetau ji , namaskar
ReplyDeletemain aapke is sammelan ke liye apni do haasya rachnaaye bijwa raha hoon .
krupya suchit kare....
dhanywaad.
aapka
vijay
अपना ज्ञान अपने पास रखें, कभी और इस्तेमाल कर लिजियेगा......
ReplyDeletechalo kam-se-kam yahan to tau ne kuch
bachat karwaya........
ab abba kar lete hain.....o kya hai ke pichli post par kutti kar aaya tha
pranam.
जिंदगी को बनादी ताउने, माचिस की तीली!
ReplyDeleteगधों ने भी खिंची रेखाएं लाल, नीली, पीली!
सुखे रंगों से.. ताई की साडी हो गई गीली!
टिप्पणियों से भर ली...ताउ ने अपनी झोली!
और चोकलेट्स खा कर ताई ने मनाई अपनी होली
ताऊ तेरे दिमाग म्है,निठल्लाई उपजै दिन-रात
ReplyDeleteकविता के चक्कर में,म्हारी कर दी बारह बाट।
राम राम
ताऊ रे ताऊ तेरी खाट तले बिलाऊ ! क्यों कैसा लगा होली का झटका |
ReplyDeleteअज्ञान के लिए पूरी छूट है?
ReplyDeleteताउश्री रचना तो बस थारी ही रहेगी.बाकी सब रचना रस ना होने कि वजह से निकल दी जाएंगी.
ReplyDeleteचाकलेट रामप्यारी को जरूर भिजवा देना.सच्ची भविष्यवाणी कर दी है.
गीली तीली कहे राज से, तू क्या मोहे फ़ुंके,
ReplyDeleteइक दिन ऎसा आयेगा, मै फ़ुंकुगी तोहे..
अगर अच्छी लगी तो चार चार तालिया मार देना, यह नज्म मैने बहुत सोच समझ कर लिखी हे कही से नकल नही मारी, ओर किसी दोहे से भी नही सीखी:) अगर किसी ने मुकररार... कह दिया गलती से भी... तो दुसरी भी लिखनी पडेगी.... वेसे मेरी एक खुराक से ही सब ठीक हो जाते हे......बोलो फ़ेंकूं दुसरी भी?
मैं पिछले कुछ महीनों से ज़रूरी काम में व्यस्त थी इसलिए लिखने का वक़्त नहीं मिला और आपके ब्लॉग पर नहीं आ सकी!
ReplyDeleteवाह वाह क्या बात है! बहुत खूब! ! बेहतरीन प्रस्तुती!
देखनी है रामप्यारी की कैट स्केनिंग ...!
ReplyDeleteकैट स्कैनिंग में म्हारी रचना तो निकलवा ही देणा ताऊ...गाकर सुनाऊंगा पक्का!! :)
ReplyDeleteगुमशुदा बीवी का इश्तिहार देने मैं गया,
ReplyDeleteअखबारवाले ने हैरान हो कर मुझे पूछा?
"क्या अब भी खुश नहीं हो?";"कैसे रहुं..!!"
मैंने कहा."मेरा पायजामा जो साथ गया..!!"
मार्कण्ड दवे-अमदावाद
bhuth acha post ha ge apka. visit my blog plz
ReplyDeleteDownload latest music
Lyrics mantra
लह्गता है मै पीछे रह गयी।
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