गधा सम्मेलन 2010 समाप्त : फ़िर से वही रामदयाल और वही गधेडी


मैं ताऊ टीवी का चीफ़ रिपोर्टर रामप्यारे अब आपको सम्मेलन के क्लोजिंग सेरेमनी का देखा हाल सुनाता हुं. समस्त कार्यक्रम आशानुरुप होने की खुशी में ताऊ महाराज धृतराष्ट्र बडे प्रसन्न दिखाई देरहे हैं. वैसे तो महाराज अंधे हैं पर इस सम्मेलन में महाराज की गतिविधियां उनके अंधे होने पर अंगुली उठाई जाने लायक इशारे छोड गई. खैर यह सब मसला तो सम्मेलन की समाप्ति के बाद भी सुलझाया जा सकता है. अब महाराज ने जैसे कर्म किये हैं वैसे सवाल तो उठेंगे ही.

रात को सब विदाई के लिये इक्क्ठे हुये. यहां रात्रि में शेरो शायरी का कार्यक्रम हुआ और काशी नरेश ने मिस समीराटेढी के साथ रंम्बा हो! हो! सम्बा हो! हो! की मदमस्त धुन पर जम कर डांस किया जिसमे सभी गधों को आनंद आगया.

गधा सम्मेलन के क्लोजिंग सेरेमनी में काशी नरेश के साथ रम्बा हो! हो! करते हुये मिस समीरा टेढी


इस अवसर पर सभी ने जमकर गाल बजाये, जिसको जो भी सूझा वैसा सुर निकाल निकाल कर गाल बजाये. और इसके साथ ही कुछ को रोज ठेलमठाल करने का मसाला मिल गया. वैसे ऐसे आयोजनों का मकसद भी यही होता है. महाराज ने भी जमकर अंधे होने का फ़ायदा ऊठाया.

इस तरह गधा सम्मेलन सहर्ष समाप्त हुआ. सम्मेलन की अध्यक्षता से लेकर सम्मेलन में जिनकी भी चर्चा रही, आश्चर्यजनक रुप से वो गधा थे ही नहीं. मगर हाय गधों की आदत, उसी को पूजते हैं जो गधा है ही नहीं. सभी गधे उनके साथ फोटो खिंचाने को लालायित कूदते नजर आये. और एक गधा तो इतना खुश दिखाई देरहा था कि टांगे और सर आसमान की तरफ़ करके रेंके जा रहा था. बडी मुश्किल से उसको काबू किया गया वर्ना खुशी के मारे उसको हार्ट अटेक आना पक्का था.

सम्मेलन में आतिथ्य से अति प्रसन्न एक जाना माना गधा टांगे उपर करके गाल बजाता हुआ


और इसके उपरांत समस्त गधे गाल बजाते हुये अपने अपने स्थान को प्रस्थान कर गये. एक दो गधे अभी तक भी गाल बजाये जा रहे हैं, वैसे अधिकतर गधे सम्मेलन में उडाये गये गुलाब जामुन और जलेबियों की मिठास याद करते हुये अपने दैनिक कार्य में व्यस्त होगये हैं और अगली साल के सम्मेलन में महाराज के बुलावे का इंतजार कर रहे हैं.

सम्मेलन का खुमार उतरने के बाद : फ़िर वही रामदयाल और वोही गधेडी"


वैसे मेरी समझ में सम्मेलन होने का कारण यह था कि कोई भी गधा,अपने गधेपन से चूके तो उसे कैसे और कितना दंडित किया जाये. मगर जब सम्मेलन के बाद सब गधों ने, जो उसमें सम्मलित हुए थे, इसे छोड़ हर बारे में रिपोर्ट लगाई. सबने एक दूसरे के मुस्कराते हुए तस्वीरें सांटी. एक दूसरे की तारीफ में गाल बजाये. अपनी यात्रा के बारे में बताया. सम्मेलन स्थल के आस पास घूमने के बारे में बताया. गुलाब जामुन, जलेबी, इमरती का स्वाद...यानि क्या खाया, क्या पिया..सब बता दिया और यहाँ तक कि रोशनी के अभाव में समीरा टेढ़ी का नाम भी ढिबरी की रोशनी
में देखा, उसकी भी रिपोर्ट की मगर किसी ने सम्मेलन में क्या कहा गया और क्या निष्कर्ष निकला, इस पर टार्च नहीं फेंकी. जब भी किसी ने इस बारे में जानना चाहा, महाराज जो कि इसके अंध आयोजक थे, घुड़क गये. उखड़ पड़े. जनता के धन को अपना मान बुरा मानने लगे मानो जेब से पैसा लगाया हो और सधा नहीं. सारे आयोजन की रिपोर्ट पढ़ एक ऐसे गधे ने, जो गधा तो है मगर आयोजन में आ न सका, महाराज को बड़ी घातक कविता लिख भेजी, आप भी देखें:


मेल मिलाप
हँसना हँसाना
भोज भजन
भ्रमण
से इतर भी
कुछ तो चर्चा हुई होगी
कुछ तो मसौदे रहे होंगे...

वरना लोग यूँ ही जमा नहीं होते...

खोजता हूँ
रिपोर्ताज़ के भीतर
छिपी इबारत..

कुछ नजर नहीं आता..

मैं ही शायद
बुढ़ा हो गया हूँ
या
महफिल इक नुमाईश थी....

कोई मुझे बताओ तो!!!




यह पढ़ ताऊ महाराज धृतराष्ट्र को कोई जबाब देते नहीं बन रहा और वो मिस समीरा टेढ़ी को वापस बुलावा दे रहे हैं कि वो आयें और उन्हें इस गढ्ढे से निकालें

Comments

  1. हाय दैया,अभी त समाँ बंध रहा था ई समापन का बात ! अब हम समान बांधें ?
    मस्त मस्त मस्त

    ReplyDelete
  2. ath shree gadha sammelan kathaa !! aur bhi sanskaran ayenge kya ? ruchikar katha rahee

    ReplyDelete
  3. खोजता हूँ
    रिपोर्ताज़ के भीतर
    छिपी इबारत..

    खोजी पत्रकारिता भी शुरु हो गयी

    ReplyDelete
  4. सम्मलेन के सफलता पूर्वक समापन पर हार्दिक बधाई.

    ReplyDelete
  5. ताऊ आपने पहचाना नहीं...खुशी से लोट पोट होता गाल बजाता गधा और कोई नहीं मैं ही हूँ...:-)

    नीरज

    ReplyDelete
  6. यह आँखों देखा हाल बढ़िया रहा!
    --
    अरे यह गधा तो बहुत काम का है इस गधे का इलाज तो कराओ भाई!

    ReplyDelete
  7. बहुत बढिया रहा गधा संमेलन!....अब अगले संमेलन की तैयारियां चल रही होगी!...अनेक शुभ-कामनाएं!

    ReplyDelete
  8. मैं ही शायद
    बुढ़ा हो गया हूँ
    या
    ताऊ कही आप ये बुढे हमे तो नही सुना रहे? तो क्या हुया बुढे हो गये हैं देसी घी की पैदाईश हैं आज के डालडा के बच्चे बूढों के आगे क्या हैं\ समीरा को बुला ही लें। कहीं कामनवेल्थ की तरह कोई तफ्तीश न शुरू हो जाये जलेबियों का भाव पता चल जायेगा। राम राम।

    ReplyDelete
  9. सुवाच्य चित्रण,और विनोदी वार्ता!! प्रमोद हुआ!

    फ़िर वही मनमौजी रामदयाल और वही गधेडी !!:)

    ReplyDelete
  10. सम्मलेन के सफलता पूर्वक समापन पर लख-लख बधाई, ताऊ !

    ReplyDelete
  11. रम्भा हो हो ... गढ़ेदी तो चारों टांग ऊपर कर खासा डांस कर रही है ...

    ReplyDelete
  12. और एक गधा तो इतना खुश दिखाई देरहा था कि टांगे और सर आसमान की तरफ़ करके रेंके जा रहा था. बडी मुश्किल से उसको काबू किया गया वर्ना खुशी के मारे उसको हार्ट अटेक आना पक्का था.

    जय हो ताऊ महाराज की, बचा लिया एक गधे को हार्ट अटेक आने से.:)

    ReplyDelete
  13. और एक गधा तो इतना खुश दिखाई देरहा था कि टांगे और सर आसमान की तरफ़ करके रेंके जा रहा था. बडी मुश्किल से उसको काबू किया गया वर्ना खुशी के मारे उसको हार्ट अटेक आना पक्का था.

    जय हो ताऊ महाराज की, बचा लिया एक गधे को हार्ट अटेक आने से.:)

    ReplyDelete
  14. जब भी किसी ने इस बारे में जानना चाहा, महाराज जो कि इसके अंध आयोजक थे, घुड़क गये. उखड़ पड़े. जनता के धन को अपना मान बुरा मानने लगे मानो जेब से पैसा लगाया हो और सधा नहीं.

    बिल्कुल सटीक, आजकल ऐसा ही होता है, हिंदी नाम जपना और सरकारी माल अपना।

    ReplyDelete
  15. जब भी किसी ने इस बारे में जानना चाहा, महाराज जो कि इसके अंध आयोजक थे, घुड़क गये. उखड़ पड़े. जनता के धन को अपना मान बुरा मानने लगे मानो जेब से पैसा लगाया हो और सधा नहीं.

    बिल्कुल सटीक, आजकल ऐसा ही होता है, हिंदी नाम जपना और सरकारी माल अपना। सबकी ढिबरी चिमनी जला दी आज तो।

    ReplyDelete
  16. oh Taau darling why didnot call me on this donkey sammelan? please remember me for next year. love you darling.

    ReplyDelete
  17. ये जो एक सम्मेलनिया टांगे उठाए लोटपोट हो कर गाल बजा रहा है उसकी फ़ोटो देखते ही बनती है. इसने अपना कैमरा ज़रूर किसी दूसरे को थमा दिया होगा कि भइय्ये ज़रा देखना मेरी फ़ोटो लेने से न छूट जाना :)

    ReplyDelete
  18. ताऊ रामराम,
    सिर से लेकर पैर तक यानि काशी नरेश और मिस टेढ़ी के चित्र से लेकर अंत में कविता तक सारी रिपोर्ट मस्त रही।
    सफ़ल आयोजन की बधाई।
    अगला आयोजन कै साल में होगा?
    तब तक तो फ़िर वही आप आली बात सै, ’वही रामदयाल और वही चंपा गधेड़ी’
    रामराम।

    ReplyDelete
  19. हा हा

    मज़ेदार है रिपोर्ट
    और कटाक्ष

    ReplyDelete
  20. हा हा हा
    मारा पापड़ वाले को
    धांसु समापन रहा।

    ReplyDelete
  21. सब नाचने में लग गए ....अरे आप पास कोई आश्रम नहीं था क्या ... थोडा घूम भी आये होते !

    ReplyDelete
  22. ये लो...

    अब मत भूलना मुन्नी बदनाम को अगले साल..तकादा कर गईं हैं. :)

    ReplyDelete
  23. ये गधा नाच रहा है या थकान उतार रहा है |

    ReplyDelete
  24. इन नकली उस्ताद जी से पूछा जाये कि ये कौन बडा साहित्य लिखे बैठे हैं जो लोगों को नंबर बांटते फ़िर रहे हैं? अगर इतने ही बडे गुणी मास्टर हैं तो सामने आकर मूल्यांकन करें।

    स्वयं इनके ब्लाग पर कैसा साहित्य लिखा है? यही इनके गुणी होने की पहचान है। क्या अब यही लोग छदम आवरण ओढे हुये लोग हिंदी की सेवा करेंगे?

    ReplyDelete

Post a Comment