गधा सम्मेलन के सफ़लता पूर्वक समापन पर गाल बजा बजा कर गाल दुखने लगे और सभी गधे अपने अपने धामों पर पहुँच कर अपने अपने हिसाब से तफरीह की रिपोर्ट पेश करने लगे, मेल मिलाप की फोटो लगाने लगे
तो ताऊ धृतराष्ट्र महाराज भी ग्रीष्म कालीन महल में जाकर आराम करने लगे. जहां महारानी ताई गांधारी और संजय यानि रामप्यारे उनका पूरा ख्याल रखते थे. लेकिन
ताऊ धृतराष्ट्र महाराज को सम्मेलन का ऐसा खुमार छाया हुआ था कि उस गधा सम्मेलन की यादों में ही डुबते उतराते उनका समय व्यतीत होता था. यों भी महाराज जन्मांध थे सो उनको सिवाय खयालों में डुबने उतराने के और कोई काम रास भी नही आता था. एक दिन गधा सम्मेलन की कुछ ज्यादा ही याद सताने लगी तो रामप्यारे को कह कर उन्होंने उस शाम की चाय सम्मेलन स्थल के निकट ही पीने की ख्वाहिश जाहिर कर दी. और महाराज की आज्ञा होते ही झील किनारे बगीचे में टेबल लगवा दी गई.
महाराज के लिये चाय ले जाता रामप्यारेमहाराज को मच्छर नही काटें इसके लिये रामप्यारे ने
विशेष रूप से कछुआ छाप अगरबत्ती भी जलवा दी. आजकल खुले में मच्छर बहुत ज्यादा हो रहे हैं और इतने बूढे महाराज को अगर कोई सा तगडा सा मच्छर काट खाये तो लेने देने पड जायें.
शाम चाय पीते समय ताऊ धृतराष्ट्र महाराज ने पूछा - हे रामप्यारे हम अब थक चुके हैं आखिर कब तक, कितने हजार सालों से हम इसी तरह के महाराज बने रहेंगे ...जिसकी खुद की डोर अपने हाथों मे नही है? हम अब ऊब चुके हैं रामप्यारे...क्या हमारा अन्य जन्म नही होगा रामप्यारे?
रामप्यारे बोला - हे ताऊ धृतराष्ट्र महाराज आप कैसी बाते करते हैं? आपको याद नही है, द्वापर से अभी तक आपके अनेकों जन्म हो चुके हैं. आप इस जन्म में भी ताऊ धृतराष्ट्र महाराज के अलावा कुछ और भी हैं.
ताऊ धृतराष्ट्र महाराज - ये क्या कह रहे हो रामप्यारे? हमें बडा आश्चर्य हो रहा है. हमें तनिक विस्तार से बतावो.
रामप्यारे - हे ताऊ धृतराष्ट्र महाराज, अब क्या बताऊं?
आप तो पिछले दो जन्मों से शेयर दलाल हैं. और महाराज यमराज आपसे अति प्रसन्न हैं. इसी लिये आपका प्रोमोशन पर प्रमोशन हुये जा रहा है. अब आपको
महाघाघ शिरोमणी ऑफ ब्लॉग जगत ताऊ महाराज की पदवी से नवाज दिया गया है.
ताऊ धृतराष्ट्र महाराज - हे संजय, हमें गोल मोल बातें समझ नही आती, अगर गोल मोल बाते समझ ही आती तो हम
द्वापर में ही गीता का गूढ रहस्य नही समझ लेते? जबकि अर्जुन के बाद सबसे पहले गीता हमने ही सुनी थी? और तुम ही उसे सुनाने वाले थे....बोलो...बोलो...अत: हमे सब बातें स्पष्ट समझा कर कहो.
रामप्यारे - जैसी आज्ञा महाराज की. अब विस्तार से सुनिये. जब पिछले जन्म में यमदूत आपको लेकर यमराज के पास पहुंचे तो साथ में
एक कर्मकांडी और नेक होने का दावा करने वाला ड्रामेबाज विद्वान स्वयंभू मठाधीष ब्लागर भी था जिसके ढोंग में आकर सभी ब्लागिये उसको शीश नवाया करते थे. और वो बदले में आशीर्वाद देकर उन्हें उनके पापों से मुक्ति दिलवाने का वादा किया करता था एवम सत्य और तथाकथित इमानदार टिप्पणियां करने की सीख देने का दावा करता था....
उनका दरबार हमेशा ही भरा ही रहता था. चौबीसों घंटे उनका मोबाईल बजता रहता या वो स्वयं बजाते रहा करते थे. और उनकी छवि एकदम पवित्र ब्लागर आत्मा की तरह थी. ताऊ धृतराष्ट्र महाराज - आगे सुनावो रामप्यारे...हम अति व्यग्र हुये जा रहे हैं.
लगता है ये ब्लागरी हमारे खून की नसों में कई जन्मों से खलबली मचाये जा रही है.... ना जाने हमने भी कौन सी घडी में ये अवतार धारण किया था?
रामप्यारे - हां तो महाराज आपको और साथ के पाखंडी विद्वान ब्लागर को यमराज के दरबार में अपने कर्मों की सजा सुनाने के लिये खडा किया गया तो
महाराज यमराज ने कहा - ऐ मेरे दुतों...
ये जो ताऊ है इसे तुरंत स्वर्ग में उच्च स्थान पर आरूढ करवाया जाये. ये हमें अति प्रिय है और इसके साथ जो दांत निपोरता हुआ विद्वान ब्लागर होने का ढोंग किये खडा है
इसे तुरंत सातवें नर्क में उबलते सरसों के तेल के कडाव में फ़िंकवा दिया जाये . आदेश का तुरंत पालन किया जाये...नो अपील...एंड नो दलील.....
ताऊ धृतराष्ट्र महाराज - रामप्यारे...जरा जल्दी सुनावो...आगे क्या हुआ? हम यह जानने के लिए अति व्यग्र हुये जा रहे हैं कि आखिर उस विद्वान ब्लागर के साथ क्या हुआ?
रामप्यारे - हे महाघाघ ताऊ शिरोमणी महाराज , यमराज ने जैसे ही उस विद्वान ब्लागर को खौलते तेल के कडाव में डालने का आदेश दिया वो
ब्लागर उखड गया और तैश में बोला - वाह महाराज वाह, ये कहां का न्याय है? मैने सारी उम्र लोगों को नेकी पर चलने का उपदेश दिया और उन्हें सत्य आचरण करने का उपदेश देता रहा, किसी को बेनामी टिप्पणियां करने को प्रेरित नही किया...और बदले में आप मुझे नर्क में भिजवा रहे हैं?
और ये ताऊ...जो एक नंबर का घाघ और काईयां...बेनामियों का सरदार...लोगों का जीना हराम करने वाला ब्लागर....इसने और इसके दूतों ने ब्लागाव्रत में लोगों को इतना कष्ट दिया...उसे आप स्वर्ग में भिजवा रहे हैं? यह कहां का न्याय है महाराज? लगता है कहीं गलती हो रही है महाराज से....या फिर आप मेरी मौज ले रहे हैं. मैं भी इतना छुईमुई नहीं कि चुपचाप सजा मान लूँ. मैं अपने अधिकार के लिए लडूंगा..इसकी चर्चा लिख लिख कर सार्वजनिक मंच से करुँगा.. मठाधीश ब्लागर ने अपने बडे बडे दांत निपोरते हुये कहा.
यमराज जरा गुस्से से बोले - चुप रहो मूर्ख...हमसे जबान लडाता है? सार्वजनिक मंच से चर्चा की धमकी देता है? सब जानते हैं कि सार्वजनिकता की आड़ में वो तेरा व्यक्तिगत मंच है.. हमसे गलती हो ही नही सकती मुर्ख प्राणी...अब हम बताते हैं कि तुमको नरक क्यों भेजा जा रहा है? तो सुन... तूने वहां पर लोगों को सदाचार की शिक्षा दी...बदले में हमको क्या मिला? लोगों के सामने खुद को ईश्वर मनवा कर पूजा करवाता रहा और तू उनको आशीर्वाद देता रहा मूर्ख...और उनको हम तक आने ही नही दिया?
हम यहां अपने पा लागी को तरस गये...इसलिये हे मूर्ख प्राणी.. तू जा और नरक में इसका फ़ल भोग.... मठाधीष ब्लागर - ये तो अन्याय है महाराज....आपकी बात सुन मुझे अपना पुराना जुमला याद आ रहा है कि जिसकी जैसी समझ होती है वो वैसी बात कहता है. खैर, अब मेरे हाथ में तो कुछ है ही नही...पर मुझे यह बता देते कि
इस महाघाघ लफ़ंगे ताऊ को इसकी कौन सी करनी के फ़लस्वरूप स्वर्ग बख्सा जारहा है तो मुझे चैन पड जाता. यमराज गरज कर बोले - अरे महामूर्ख हमारी इच्छा तो हो रही है कि तेरे इन बडे बडे दांतों को अभी का अभी उखडवा कर तुझे तेल के खौलते कडाव मे भुनवा दें...
मूर्ख तू हमारे परम प्रिय भक्त और सहायक को महाघाघ लफ़ंगा से संबोधित कर रहा है? और वो भी हमारे सामने? खैर तुझे दंड तो अवश्य मिलेगा पर इसे तेरी अंतिम इच्छा जानकर बता ही देता हूं कि ताऊ को स्वर्ग क्यों मिल रहा है?
भरी सभा में सन्नाटा सा छा गया... यमराज बोले - अरे मूर्ख प्राणी...तू ज्यादा समय इसकी बुझाई उसकी जलाई लिखता रहा, और ये सब लिख कर अपने आपको बडका साहित्यकार समझ कर, लोगों से अपने ही
पांव पकडवाकर पालागी करवाता रहा? और हम अपनी पालागी को तरसते रहे...और इधर ये एक ताऊ है
जिसने इतने बेनामी अनामी दूतों से टिप्पणियां करवाकर लोगों का जीना हराम कर दिया...जब इसकी मंडली की टिप्पणियां ब्लागों पर होती थी तो लोगों को सीधा मैं ही याद आता था. तूने ऐसा एक भी काम किया क्या? बोल जवाब दे जरा....
स्वयंभू मठाधीष विद्वान ब्लागर - अब महाराज...हमने भी कोई कमी तो नही छोडी थी..
.ताऊ खुले आम करता था हम छुप छुपाकर रात के अंधेरे में करते थे...हमने और हमारी मंडली ने खुद इसी ताऊ के ब्लाग पर इस की मां बहनों तक को खूब नवाजा है...तब इस फ़ार्मुले से तो हमें भी स्वर्ग मे भिजवाईये.
यमराज बोले - अरे मूर्ख प्राणी...
माना कि तूने और तेरे चेलों ने ही ताऊ और उसकी मंडली के ब्लागों पर बेनामी गाली गलौच वाली टिप्पणीयां की थी..पर एक इसी योग्यता के आधार पर स्वर्ग नही मिला करता बावले आदमी...
मठाधीश ब्लागर - तब तो महाराज आप इस ताऊ को नरक भेजिये और मुझे स्वर्ग...
क्योंकि मैं ठहरा एक पढा लिखा डिग्रीधारी और सरकारी बडा अफ़सर और ये
ताऊ हरयाणवी निपट गंवार और निरा मुर्ख छली और कपटी दुष्ट...बेनामी और चोरों डाकुओं की मंडली का सरदार.... इसी बीच गरज कर यमराज बोले - अरे मूर्ख प्राणी...
तेरी जबान खिंचवा लूंगा...मुझे मालुम है कि तूने सरकारी दामाद बनकर खूब सरकारी समय और संसाधनों का दुरुपयोग किया है...जबकि
ये मेरा परम प्रिय सखा ताऊ जो कि पेशे से शेयर दलाली करता था इसने शेयर बाजार में लोगों को बुला बुलाकर उनकी जेबें खाली करवा दी और लोग सिर्फ़ रोते कलपते चौबीसों घंटे मेरा ही नाम जपा करते थे. यही एक ताऊ तो है जिसकी दया से लोग आजकल मुझे भजते हैं. अब ये ताऊ कुछ दिन यहां आराम करके वापस धरा पर एक बडे कार्पोरेट दलाल के रूप में जन्म लेगा और लोग मुझे याद करेंगे.