ताऊ पहेली न. ८ ये रही !!!
माननिय भाईयों , बहणों, भतीजो और भतीजियों ये नीचे देखिये और पहचानिये ये कौन सी जगह है ? तो जरा फ़टाफ़ट जवाब दिजिये और जीत लिजिये ये पहेली प्रतियोगिता, जिससे हम आपका इंटर्व्यु लेने तुरन्त आपके पास पहुंच सकें.
म्हारै भतीजे आशीष खंडेलवाल ने ताऊ पहेली के हर अंक के प्रथम विजेता को दिया जाने वाला सर्टीफ़िकेट बना दिया है जो कि आप ब्लाग पर जल्दी ही देख पायेंगे.
समस्त प्रथम विजेताओं को जल्द ही ये सर्टीफ़िकेट दे दिये जायेंगे. मेगा फ़ायनल की चमचमाती ट्राफ़ी और सरटीफ़िकेट भी हम जल्द ही प्रदर्शित करेंगे. भतीजे आशीष के मार्गदर्शन मे ये तैयार हो रहे हैं.
(यह कौन सी जगह है)
बिल्कुल सीधी सी पहेली है अबकि बार. सारे नियम कायदे सब पहले की तरह ही हैं. बस आप तो फ़टाफ़ट जवाब देते जाईये. चाहे जितने जवाब दे कोई प्रतिबंध नही है. ध्यान रखिये आपका आखिरी जवाब पिछले जवाब को स्वत: ही केन्सिल कर देगा.
अब से हर शनीवार सूबह ७.०० बजे पहेली का प्रकाशन होगा. सोमवार सूबह ४.४४ बजे इसके रिजल्ट घोषित किये जायेंगें. और पहेली विजेताओं का साक्षात्कार गुरुवार सूबह ४.४४ बजे प्रकाशित किया जायेगा.
मेरिट लिस्ट ब्लाग के दाहिनें तरफ़ रिजल्ट के साथ अपडेट कर दी जायेगी. अगर हिंट की आवश्यकता हुई तो ब्लाग पर अभी जो मधुबाला की डाकटिकट की फ़ोटो लगी है वो फ़ोटो हट्कर दूसरी जो भी लगेगी वो पहेली का हिंट होगी.
इब खूंटे पै पढो:-
एक बार ताऊ को किसी काम तैं कालेज जाणा पडग्या. ताऊ ने वहां जाकै देख्या कि छोरे और छोरियां आपस मे गले मिलकै बात करै सैं. और सब गप्पे मारण लाग रे सैं. ताऊ को बडा ताज्जुब हुआ. तभी ताऊ ने देखा कि एक छोरे ने पास आकर एक छोरी के कांधे से टक्कर सी मार दी ..और बोल्या - आई एम सारी....और ताऊ ने सोच्या के या छोरी इब इस छोरै नै कुटैगी जरुर. पर ताऊ को घणा ताज्जुब हुआ कि छोरी नै कुछ नही बोल्या - सिर्फ़ न्युं बोली - मैन्शन नाट... ताऊ कै किम्मै समझ म्ह नही आया. ताऊ छोरे छोरियों के ये नजारे देखता रहा.. बस ..टक्कर होती...और छोरा बोलता - आई एम सारी..और छोरी बोलती... मैन्शन नाट.. ताऊ ने पक्के रट लिये..आई एम सारी ... इब ताऊ भी कहां पीछै रहण आला था. जाकै एक सुथरी सी छोरी कै फ़ेट मारदी. छोरी गिर पडी और उसको लग गई. ताऊ ने रटा रटाया... आई एम सारी....बोला. छोरी नीचे से खडी होती हुई बोली - ठहर तन्नै सारी आल्ले नै तो मैं बताऊगी इब..और उसनै अपनी सैंडिल उतार कर ताऊ के मूंह पै बजा मारी. ताऊ घणा चक्कर म्ह पडग्या. इब ताऊ ने पूछा - अरे छोरी.. तन्नै सैण्डल बजा लिये वो तो कोई बात ना..पर न्यु बता कि मेरी... आई एम सारी.... की के स्पेल्लिंग गलत सै? जो तूने ..मैन्शन नाट ..बोलने की बजाये मेरे मूंह पै लीतरे बजा दिये? |
सहेलियो कि बाड़ी, उदयपुर..
ReplyDeleteताऊ ये तो सहेलियों की बारी ,उदयपुर, राजस्थान की फोटो है |
ReplyDeleteविस्तृत जवाब थोड़े देर में |
ताऊ ये तो सहेलियों की बारी ,उदयपुर, राजस्थान की फोटो है |
ReplyDeleteविस्तृत जवाब थोड़े देर में |
सहेलियों की बारी ,उदयपुर, राजस्थान ||
ReplyDeleteसहेलियों की बारी ,उदयपुर, राजस्थान ||
ReplyDeleteताऊ, इस बार कोई संशय नहीं.. झिलों के शहर उदयपुर में सुखाडि़या सर्कल के पास.. फतेह सागर के रास्ते में यह जगह है.. सहेलियों की बाड़ी..ये फव्वारा और पीछे दिखते लाल फूल..
ReplyDeleteऔर ये १८ वी सदी में महाराजा संग्राम सिह में बनाया ्रानीयों के लिये.. और उन्होने खुद ही इसका डिजाइन बनाया... क्योकीं उनकी रानी दहेज में ४८ दासीयां लाई थी.. तो उनकी मौज मस्ती के लिये बना दी "सहेलियों की बाड़ी".. ताऊ ये पहेली भी आपकी नं १ जैसी सरल थी.. ्कुछ ढुढ़्ने की जरुरत नही..:)..
राम राम
सहेलियों की बाड़ी उदयपुर
ReplyDeleteउदयपुर में महाराणा फतह सिंह के महल की "सहेलियों की बावडी"
ReplyDeleteक्षमा कीजिये, लगता है वर्तनी ग़लत हो गयी - सहेलियों की बारी (The Palace of Maharana Fateh Singh उदयपुर)
ReplyDeleteताऊ थारी पहेली तो घणा ज्ञानवर्धन करा रही है धीरे धीरे भारत के कई स्थानों की जानकारी इस पहेली प्रतियोगिता के माध्यम से हो जायेगी ! और खूंटे का तो कोई जबाब ही कोनी !
ReplyDeleteया फोटू किसी न किसी मकबरे की सै...
ReplyDeleteनाम बूझ कै के करेंगें हमने के भैंस बाधनी सै औड़े..?
अर ताऊ... इस उमर की स्पैलिंग तो ताई की समझ म्हं आवेगी.... छोरियां तो लित्तर पाड़ेंगी..
अर ताऊ.. एक सुझाव...
सब से अधिक गलत जवाब देने वाले के लिये भी इनाम होना चाहिये...
अर सबतै पहला गलत जवाब देने वाले के लिये भी....
क्योंकि हमारा प्रतिशत ज्यादा है
सर... ये जमाना बहुमत का सै....
saheliyon kii baadi ..udaipur
ReplyDeleteताऊ .. मुझे तो ये जगह उदयपुर (राजस्थान) स्थित सहेलियों की बाड़ी लग रही है।
ReplyDeleteउदयपुर की सहेलियों की बाडी़.
ReplyDeleteयहां कई हिंदी फ़िल्मों की शूटिन्ग भी हुई है, जैसे मेरा साया, राजा जानी आदि.
फतेहसागर झील के किनारे 1734 में महाराणा संग्राम सिंह द्वितीय द्वारा सहेलियों की बाड़ी रानी व उनकी 48 सहेलियों / दासियों के सम्मान में बनाई गई थी। यह एक सजा-धजा बाग है। इसमें, कमल के तालाब, फव्वारे, संगमरमर के हाथी और कियोस्क बने हुए हैं।
ReplyDeleteपहेली का जवाब देने के चक्कर में आपका शुक्रिया अदा करना तो भूल ही गया.. ताऊ शुक्रिया कि आपने भतीजे को इस लायक समझा..
ReplyDeleteताऊ ये उदयपुर राजस्थान की बाड़ी लग रही है बाकि डिटेल मालूम चलती है तो अभी बताता हूँ तब तक हमारा उत्तर लॉक कर लें।
ReplyDeleteताऊ जी कोई मुग़ल garden लगता है......हम्म
ReplyDeleteRegards
ताऊ जी राम राम...
ReplyDeleteइब के तो क्लास में सबसे पीछे बैठने वाला छोरा भी हाथ उठा के कूदन लग रया है...पहेली जो इतनी आसन पूछी है...लगता है ये हम जैसे कमजोर विद्यार्थियों के लिए ही है....
ये है उदयपुर में इस्तिथ "सहेलियों की बाड़ी"
ये जगह अपने फव्वारों के लिए मशहूर है...छतरियों से गिरते फव्वारे बहुत मन भावन लगते हैं...
नीरज
Aap Madhubala ji ki fotu apne blog par laga kar hamara dil jeet liye...aap ki er meri pasand ek hi hai taau...
सहेलियों की बावड़ी?!
ReplyDeleteताऊ जी हमे तो ये बता दो की हिंट कब तक आएगा ....फ़िर काम शुरू करेंगे हा हा हा हा "
ReplyDeleteRegards
सहेलियों की बाड़ी - गार्डन आफ रॉयल लेडीज
ReplyDeleteSaheliyon ki Bari lies just beneath the Fateh Sagar Lake. Maharana Sangram Singh II designed this garden in the early 18th century purely as a pleasure garden and a summer palace for the 48 young maids that formed a part of the prince’s dowry. It is also said that the garden was presented as a peace offering from the Emperor of Delhi. Inside the garden is a reservoir surrounded by four black marbled cenotaphs in its four corners and one white marbled one in the centre. The terraces of these cenotaphs have water fountains shaped like birds from whose beaks water gushes out in thin sprays like the singing rain – producing a wonderful sight. The Maharanas entertained themselves around the four ornamental pools and the five fountains. These fountains were imported from England in 1889. Maharana Bhopal Singh specially was very fond of this place and built a rain fountain, so that it looked like rain dancing on the dancing maids.
ताऊ मजे आ गए .....सेंडिल का किस्सा सुन
ReplyDeleteसरेंडर .. मेरे बूते की बात नहीं पहचान पाना.. :((
ReplyDeletejaipur palace ka koi hissa,bas anumaan laga rahe hai.
ReplyDeleteवाह ताऊ जी, वाह क्या चित्र दिया है. हम तो पहचानने की कोशिश करते करते हैरान हो गये. हमारे शहर ग्वालियर में तो नुक्कड नुक्कड पर इस तरह के ढांचे नजर आ जाते है -- सिंधिया राज में यह शैली वहां बहुत आम हो गई थी. इस कारण चित्र तो एकदम देखा लगता है, लेकिन अब पता नहीं ग्वालियर की किस गली का होगा.
ReplyDeleteएक काम करते हैं. जिसे भी आप विजेता का खिताब देंगे, मै अपना (फिलहाल अज्ञात) वोट उसके कथन पर दे रहा हूँ.
वैसे भी (पसंद हो या नहीं, अपने को जीतने का यकीन हो य नहीं, लेकिन) नये जुआरियों को उस घोडे पर पैसा लगाना चाहिये जिस पर हमेशा जीतने वाले जुआरी पैसा लगाते हैं!!
सस्नेह -- शास्त्री
ताऊ फ़िर आऊंगा अभी थोड़ा माहौल बना नही है।पढ-लिख कर आता हूं और स्पेलिंग भी चेक कर लूंगा आई एम सारी की वर्ना कहीं अप्……………॥
ReplyDeleteSAHELIYON-KI-BARI - Garden Udaipur
ReplyDeleteताऊ जी yaa pheli तो hmne bujh li......ib thara कोई हिंट न चाहिए.....अब तो इनाम की बात kro thm बस....(hindi translaticon mey problem hai ) ye rhaa link
http://tbn3.google.com/images?q=tbn:HSznhxjMStepsM:http://kanhaiyatourandtravels.com/images/salyonkibari01.jpg
Regards
SAHELIYON-KI-BARI - Udaipur
ReplyDeleteLocation: On the banks of Fateh Sagar Lake
Built by: Maharana Sangram Singh
Built in: 18th century
Highlights: Beautifully carved pavilions
How to reach: One can easily reach Saheliyon Ki Bari from the city by taking local Buses, Tongas, Auto-Rickshaws and Taxis
regards
ताऊ यो है 'सहेलियों की बाडी' उदयपुर.
ReplyDeleteताऊ जी राम राम...हमें अभी तक समझ नहीं आया की आप ने हमारी टिपण्णी को काहे छुपा लिया है जबकि हम सब से पहले बता दिए थे की ये उदयपुर में इस्तिथ "सहेलियों की बाड़ी" का चित्र है...कोई राज दीखता मन्ने इस छुपाने के पीछे...आप को जकीन न आ रहा होगा की क्लास में पीछे बैठने वाला छोरा सही जवाब कैसे दे रहा है...है ना?
ReplyDeleteनीरज
ताऊ जी राम राम...हमें अभी तक समझ नहीं आया की आप ने हमारी टिपण्णी को काहे छुपा लिया है जबकि हम सब से पहले बता दिए थे की ये उदयपुर में इस्तिथ "सहेलियों की बाड़ी" का चित्र है...कोई राज दीखता मन्ने इस छुपाने के पीछे...आप को जकीन न आ रहा होगा की क्लास में पीछे बैठने वाला छोरा सही जवाब कैसे दे रहा है...है ना?
ReplyDeleteनीरज
Saheliyon Ki Bari उदैयपुर का सबसे खुबसुरत बाग़ है. ये बाग़ अपने हरियाली बडे बडे लॉन अद्भुत कला और फव्वारों के लिए मशुर है . English translation of Saheliyon Ki Bari means "Garden of maids". ये बाग़ फतह सागर झील के किनारे बना है.जो १८ century में महाराणा संग्राम सिंह ने royal ladie के लिए बनवाया था. कहा जाता है ये बाग़ महाराणा द्वारा ख़ुद ही डिजाईन किया गया था और उन्होंने ये बाग़ अपनी रानी को गिफ्ट किया था. दरसल रानी के विवाह के समय उनके साथ ४८ मैड्स उनके साथ आई थी...और उन सब को राजनीती और महल के माहोल से दूर कुछ खुबसुरत लम्हे बिताने के लिए ये बाग़ बनाया गया था.
ReplyDeleteये बाग़ चार पानी के झरने और अनेको फव्वारों और संगमरमर के हाथियों से सुस्जित है अपनी इस कला और संगमरमर के गलियारे बडे बडे हरियाली से भरे लॉन , पक्षियों के घोंसले एक रूमानियत भरे माहोल का आभास देते हैं.
Garden of Maids is actually a place to visit by any visitor to this city. The crystalloid fountains, lotus pool, marbled elephants sprinkling water and many more attractions provide truly a picturesque sight to behold.
Regards
यह सहेलियों की बाडी राजस्थान उदयपुर है
ReplyDeleteसहेलियों की बाडी के फतेह सागर झील उदयपुर में है . महाराणा संग्राम सिंह द्वितीय ने 18 वीं सदी में यह उद्यान बनाया था .यहाँ लगे फव्वारे इंग्लैंड से 1889 में आयात किए गए थे . महाराणा फतेह सिंह का महल बगीचे और महल परिसर में कुछ सुंदर फव्वारे और एक अंडाकार आकार का पानी पूल हैं. यह सबसे खूबसूरत उद्यान और उदयपुर में एक प्रमुख पर्यटन स्थल है ..किंवदंतियों के अनुसार, राजा ने यह बाग़ स्वयं अपनी रानी के लिए बनवाया था शादी में , रानी के साथ उसकी 48 नौकरानियां भी थी . , .रानी इसको नौकरानियों के साथ यहाँ टहलने और अपना खाली समय बिताने के लिए प्रयोग करती थी ..सुंदर फूल और कई तरह के फल से सजा यह बगीचा अपनी और सहज ही आकर्षित कर लेता है
संग्रहालय शाही परिवारों का विशाल संग्रह का प्रदर्शन इस उद्यान का एक और आकर्षण है. यह कई प्राचीन चित्रों और बीते समय की बातें इस जगह पर देखने पर मिल जायेगी
संगमरमर हाथियों में अनेक फव्वारे हैं यह बाग़ अपने कमल पूल और पक्षियों के लिए प्रसिद्ध हैं , फ़व्वारे.रंग बिरंगे फूल और हरे भरे बाग़ और संगमरमर के सुंदर काम किए चबूतरे से यहाँ एक रूमानी माहौल लगता है
और जब मैं इस जगह पहली गई थी तो मुझे महसूस हुआ था कि मैं यहाँ बहुत बार पहले भी आ चुकी हूँ :) शायद कोई पिछले जन्म का पंगा होगा :) इस लिए मुझे यह जगह बहुत अच्छे से याद है ...
बहुत बढिया किस्सा सुनाया।
ReplyDeleteअम्बेर के किले का भीतरी हिस्सा, जयपुर(राजस्थान)
ReplyDeleteयह तस्वीर 'सहेलियों की बाड़ी' की है जो उदयपुर में है.
ReplyDelete[Sahelion-ki-Badi को english mein (Girl Friends' Garden or Honoured Girls' गार्डन भी कह सकते हैं.
आज की पहेली बहुत ही आसान लगी.विवरण शाम को दे पाऊँगी.धन्यवाद.
ReplyDeleteखूंटा हमेशा की तरह मजेदार है.
धन्यवाद
फतेह सागर झील के किनारे यह 'सहेलियों की बाडी' नामक रमणीय स्थल सन 1734 ईस्वी में महाराणा संग्राम सिंह द्वितीय द्वारा अपनी रानी तथा उनकी 48 सहेलियों के लिए बनवाया गया था.
ReplyDeleteye to saheliyon ki baadi hai, udaypur me. pahli baar kisi paheli ka jawab dene ki koshish ki hai...pata nahin galat hai ya sahi. waise number ki daud me to ham hai nahin...shayd neeche se first aayein. bahut pahle papa mummy ke sath ghoomne gayi thi to dekhi thi. ise sangram singh ne 1710 me banwaya tha, apni rani aur unki saheliyon ke liye. aapne jo photo diya hai wo lotus pool ka lag raha hai. yahan par ek museum bhi hai.
ReplyDeletejab gayi thi to sare fawarre wagairah chal rahe the. ab ka to pata nahin.
taau...negative marking to nahin hai na wrong answer ke liye?
उदैपुर, राजस्थान का झीलों और बागो का शहर जाना जाता है. विलक्षण मनोहर झीलों , हरे भरे विशाल उद्यानों का सौन्दर्य और फिजा अनायास ही पर्यटको को अपनी और आकर्षित करते हैं.
ReplyDeleteउष्णदेशीय वातावरण और झीलों के कारण यहाँ इतने बडे पमाने पर बागों को निर्मित करना आसान है.गुलाब बाग़ और सज्जन निवास बाग़ अपने असाधारण गुलाब के फूलो के लिए विख्यात है. Nehru Island बाग़ , गुरु गोविन्द सिंघ बाग़ (Rock Garden) ,अरावली वाटिका , मीरा बाग़ , माणिक्य लाल वर्मा पार्क , Nehru Municipal Children's Park, पंडित दीन दयाल उपद्याय पार्क और मोती मगरी पार्क उदैपुर के कुछ मशुर बाग़ और पर्यटन स्थल है. जिनमे मोती मगरी बाग़ और माणिक्य लाल वर्मा बाग़ अपने सूर्य अस्त के नज़ारे के लिए विख्यात हैं.
(बाकी सब तो ठीक है ताऊ जी पर या फोटो आली बीरबानी कौन सै...ये जरुर ताई जी का फोटू सै....हा हा हा हा सही पहचाना ना...अब एक नम्बर इस सही जानकारी का भी तै मिलना चाहिए ना ...अरे अरे या हिंट आली फोटू मे तो प्क्क्म ताई जी ही हैं...)
Regards
कन्फ्यूज हो गए है की ये राजस्थान है या पिंजौर गार्डन ।
ReplyDeleteअब सोमवार को जवाब देख लेंगे ।
taau..............manne को न bera से..........
ReplyDeletemanne to बस thare khoonte की चाह से.........मजा आ लिया पढ़ कर
चलिये ताऊ इस एक पहेली का जवाब तो पता है मुझे,क्योंकी ये मेरे ही देहरी पे लगा फव्वारा है
ReplyDeleteहें हें हें हें
ताऊ मैं तो आज शनीवार को सोकर ही १२ बजे ऊठा हूं। ये कौन सा मकबरा लगा दिया आज?
ReplyDeleteपर मेरी पण्डताईन क्ह रही है कि ये उसके पीहर वाली सहेलियों की बाडी है।
अब मुझे मेरा ससुराल ही नही पहचान मे आ रहा है। तो आज अपना दांव पण्डताईन की सलाह से उदयपुर की सहेलियों की बाडी रहा।
और हमारी पण्डताईन कह रही है कि ये जो हिंट वाली इमारत दिख रही है ये आनन्द भवन होटल है जो शहर के बींचों बीच एक पहाडी की चोटी पर है।
तो आज की जीत हमारी पक्की समझूं? जितवा देना यार ताऊ, नही तो हमारी पण्डताईन भी ताई से कम नही है।:)
भाई यो तो राव जी की छतरियां की फ़ोटू दिखै सै म्हानै तो। म्हारै आडै एक मोड्डा बाबाजी था, यो पक्की उसी की छतरी सै जी।
ReplyDeleteविवरण-
ReplyDeleteयह तस्वीर 'सहेलियों की बाड़ी' की है जो उदयपुर शहर में फतहसागर झील के किनारे है.इस बेहद सुंदर बाग को १७१० में राणा संग्राम सिंह द्वितीय ने शाही परिवार की महिलाओं के मनोरंजन हेतु ख़ास बनवाया था.महाराणा फतह सिंह ने इस बाग़ का पुनर्निर्माण कराया था.सुंदर फूलों ki क्यारियाँ ,बाग़ के चार तरफ़ काले संगमरमर की मूर्तियाँ,कमल के फूलों के चार ताल ,हर तालाब, में पानी का फव्वारा ,हर फव्वारा संगमरमर के चार सफ़ेद हाथियों से सुसज्जित है .हर हाथी की मूर्ति को एक ही पत्थर से काट कर बनाया गया था.इन में यह ख़ास बात है इन में कोई जोड़ नहीं है..ये फवारे बिना बरसात के मौसम के ही बरसात के मौसम जैसा अनुभव देते हैं.[बहुत ही रूमानी जगह हुआ करती होगी!!!अब भी पर्यटक यही अनुभव ले कर निकलते हैं कि जैसे परियों की भूमि से हो आए हैं!
इन फव्वारों में में ऊर्जा बचाने की तकनीक का इस्तमाल हुआ है..यह गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत पर काम करते हैं.जब फव्वारों से 'बारिश की आवाज़ 'के साथ जैसे पानी गिरता है उसी समय सफ़ेद हाथियों की सूंड से पानी ,कमल फूल की पंखुरियों पर गिरता है.और छतरी के चारों और से गिरता पानी बरसात का अनुभव देता है.
इस बाग़ के बारे में 'राजपूतों का इतिहास'[करनल टोड के अनुसार] किताब में लिखा है कि यह बाग़ उदयपुर की राजकुमारी को ४८ दासियों के साथ दहेज़ में दिया गया था.यह किताब मैं ने पढ़ी है.english mein unhone isey-garden of Maids kaha hai.
इस में एक छोटा सा म्यूज़ियम भी है .ये बरसाती फ़व्वारे इंग्लॅण्ड महाराणा भोपाल सिंह जी ने लगवाए थे.
Travel and Leisure Magazine, ने इसे एशिया का दूसरा सब से खूबसूरत शहर घोषित किया है.बहुत si फिल्मों की शूटिंग यहाँ हुई है.गाइड,और एकलव्य प्रमुख है.
'उदयपुर -जिसे रूमानी शहर ,'सफ़ेद शहर '/ 'बागों का शहर और 'झीलों का शहर 'भी कहा जाता है.राजस्थान में है.दिल्ली से ६७० किलोमीटर दूर है.महाराणा प्रताप (1542-1597) उदयपुर, मेवाड में शिशोदिया राजवंश के राजा थे। राजपूत सामराज्य में मेवाड़ की राजधानी ,पहले चित्तोरगढ़ us ke baad उदयपुर थी.उदयपुर को मुग़ल छू भी नहीं पाये थे!
[ताऊ जी,इस जानकारी में कोई संशोधन करना हो तो कर लिजीयेगा.]
ये जयपुर के रामनिवास बाग की फ़ोटू है. लगता तो ऐसा ही है।
ReplyDeleteउदयपुर सहेलियों की बाडी है. हम यहां घूम के आ चुके हैं। सौ प्रतिशत पक्का . यहीं पर लेक पैलेस होटल भी है.
ReplyDeleteदेख ताऊ,
ReplyDeleteतेरी पहेली का जवाब तो आंदा कोनी।
और तेरे खूंटे का कोई जवाब कोनी।
भाई ताऊ तूने भी खूब ही चाल्हे पाड दिये. लितर खाकै।:)
इतनी सच मत बोल्या कर ताऊ. कुछ तो छोरे छारियां म्ह इज्जत बणाकै राख्या कर।:)
ये फोटो किसी किले का अंदरूनी हिस्सा है। बाहरी हस्सा होता, तो पहचानना आसान होता।
ReplyDeleteजगह तो घणी सुधरी है। जी करण लागा है कि यही घर बना कर रहने लगूँ। और खूंटा तो हर बार की तरह अच्छा है। और आज तो उसमें एक स्माईली भी लगा रखा है। बहुत खूब।
ReplyDeleteजरूरी सूचना:-
ReplyDeleteदोपहर १.०० बजे तक एक सदस्यिय नि्णायक मण्डल ने ३३ टिपणियों को सही होने के जुर्म मे रोक रक्खा है. उनका गहन कूट परीक्षण चल रहा है.
सत्यापित होने पर रात दस बजे तक उनको क्लियरेंस मिलने की संभावना है.
आज्ञा से : संपादक, ताऊ साप्ताहिक पत्रिका
अरे ताऊ जबाब तो आता कोनी, पर युं ताई भीझण लाग रही है, इस ने कोई छतरी वतरी दे दे बीमार पड गई तो रोटी कोन बनाव्येगा,
ReplyDeleteताऊ राम राम
ReplyDeleteके हाल सैं
ताऊ मन्नै तो ये डीग का किला लाग्गै सै भरतपुर राजस्थान में सै बहुत ही चोखा बना राख्या सै। बाकी खोज करके बतलाऊंगा थमनै
"ताऊ की शनीचरी पहेली - ८"
ReplyDeleteANSWER IS............
taaooji
this is SAHELIYOAN-KI BADI UDAIPUR (RAj)
khoonta khoonta khoonta.... laaya laaya laaya...
ReplyDeleteताऊ रामराम,
ReplyDeleteके तू बी पता नी कहाँ कहाँ से कदी कहीं के कदी कहीं के फोटू ठा कै ले आवै? इबकै यो किसकी कब्र का फोटू ले आया? बेरा नी मन्ने.
अर ताऊ.. एक सुझाव...
ReplyDeleteसब से अधिक गलत जवाब देने वाले के लिये भी इनाम होना चाहिये...
अर सबतै पहला गलत जवाब देने वाले के लिये भी....
क्योंकि हमारा प्रतिशत ज्यादा है
सर... ये जमाना बहुमत का सै....
ताऊ योगेन्द्र मौदगिल जी से मै भी सहमत हूँ जमाना बहुमत का सै तो ग़लत जबाब वालों के लिए भी तो कुछ सर्टिफिकट होना ही चाहिए !
यह आगरा के क़िले के अंदर है।
ReplyDeleteयह उदयपुर की सहेलियों की बाडी है !
ReplyDeletesahalion ki bari udaipur rajasthan
ReplyDeletesahalion ki bari udaipur rajasthan
ReplyDeleteकिसी प्रोब्लम के कारण हम चित्र तो नहीं देख पा रहे हैं! लेकिन खूंटा पढ़कर हंस जरूर लिए!
ReplyDeleteTau ye photo "Sahelion Ki Baari" ki hai. Rajsthan ke Udaipur sahar me hai.
ReplyDeleteMaaf kario Tau manne hindi kaise likhu samajh na aaya isliye Roman me likhna pada. Ho sake to sikha do
ताऊ जी नमस्कार
ReplyDeleteआज तो आते-आते बहुत देर हो गई ! अब तक तो बहुत सारे सही जवाब आ चुके होंगे ! खैर देर से ही सही .... आप मेरा भी फिलहाल का जवाब लाँक कर लो जी :
मेरा जवाब :
सहेलियों की बाड़ी , उदयपुर , राजस्थान
Sahelion Ki Bari,Udaipur,Rajasthan
अजीब चक्कर है ?
ReplyDeleteअरे ताऊ कम से कम ग्रीन लाईट तो दिखा दो !
दिल में धुकधुकी मची हुयी है कि पता नहीं
जवाब सही भी है या नहीं ?
ग़लत हो तो और दिमाग लगाऊं ?
सरेंडर किए दे रहे हैं. अब गेस करने का कोई फायदा तो है नहीं इसमें :(
ReplyDeleteवाह ताऊ वाह
ReplyDeleteअब तो लगता है मेरा जवाब सही ही है ,
वरना आपने जवाब रोका न होता !
दिल से 1 क्विंटल का बोझ उतर गया
यानी मेरा आना सफल हुआ !
7 बजे इंटरनेट ऑन किया और 7.40 तक
काम हो गया !
इस चित्र के बारे में
थोड़ा सा बता देता हूँ आपको :
सहेलियों की बाड़ी / दासियों के सम्मान में बना बाग एक सजा-धजा बाग है। इसमें, कमल के तालाब, फव्वारे, संगमरमर के हाथी और कियोस्क बने हुए हैं।
अगर आपको ज्यादा जानकारी चाहिए हो तो
आप अल्पना जी से संपर्क कर सकते हैं !
अब तक तो वो सहेलियों की बाड़ी का बही खाता निकाल कर इसका अगला-पिछला इतिहास निकाल चुकी होंगी !
मुझे भी उत्सुकता है इसके बारे में और ज्यादा जानने की !
ताऊ आप सबका इम्तिहान लेते रहते हो , आज मैं आपका इम्तिहान लेना चाहता हूँ ! नीचे जो जानकारी अंग्रेजी में लिखी है आप उसका हिन्दी में अनुवाद करके बताओ :
ReplyDeleteThe sahelion ki bari, or the garden of the maids of honor was built around 1720 by Maharana Sangram Singh for the palace princesses and their companions. The fountains were added later. No pumps are used for any of the water features; instead, the fact that the Fateh Sagar lake is at a higher level is used to gravity-feed all of the features. The garden is well maintained and a good example of a formal water garden.
ताऊ जी, ये सहेलियों की बारी, उदयपुर, राजस्थान की फोटो है |
ReplyDeleteसहेलियों की बारी ,उदयपुर
ReplyDelete100% nakal.. :)
सहेलियों की बारी ,उदयपुर का चित्र है ये।
ReplyDeleteताऊ भई इतनी आसान पहेली मत ना पुछया कर ,रात २,३० बजे मेने आप की पहेली पढी, ओर देख कर बहुत हंसी आई कि कितनी आसान पहेली पुछ रहा है ताऊ,
ReplyDeleteजबाब लिखने लगा की मेरी लुगाई मेरे धोरे आ गई, फ़िर सोचा की अगर मे ने इसे **सहेलियो की बाडी** लिखा तो, नाशता कोन देगा, यहीन नही तो यह लो मै लालू की कसम खा के कहता हुं, अरे अभी भी यकीन नही तो इस बार मै सोनिया की कसम खा के कहता हुं, मुझे इस का जबाब तो दो सपताहा पहले ही पता था, फ़िर दोपहर को लिखने लगा, फ़िर आ गई हमारे दिल की चेन, फ़िर डर के मारे नही लिख पाया, ओर अब वो एकता कपुर के नाटक देख रही है सोचा जलदी से लिख दुं... कि यह तो मेरी सहेलियो की बाडी है, जहां हम स्कुल से भाग कर सब खेला करते थे,
अब ऎसा करो पहला नही तो दुसरा ना० तो मेरा पक्का.अब जबाब दे दिया, फ़ोटू मत मागंना
राम राम जी की
'सहेलियों की बाड़ी'को बनवाने वाले महाराणा संग्राम सिंह [द्वितीय ]से जुडे कुछ रोचक ऐतिहासिक तथ्य जो अभी तक किसी पाठक ने नहीं दिए हैं,जानकारी के लिए प्रस्तुत हैं-
ReplyDelete१-उन के पूर्वज 'महाराणा संग्राम सिंह {प्रथम}')के नाम पर उन का नाम रखा गया था.जो राणा सांगा के नाम से भी जाने जाते हैं.महाराणा संग्राम सिंह {प्रथम})(राज 1509-1527) उदयपुर में शिशोदिया राजवंश के ५० वें राजा थे.वह उन महाराणाओं में एक थे जिसका नाम मेवाड के ही नहीं , भारत के इतिहास में गौरव के साथ लिया जाता है।
२-महाराणा सांगा के चौथे बेटे महाराणा उदय सिंह के सब से बडे बेटे महाराणा प्रताप थे. इन्हीं महाराणा उदय सिंह ने ही 'बाज़ बहादुर' को शरण दी थी.'बाज़ बहादुर 'के बारे में आप पहले के पहेली अंक में पढ़ चुके हैं.
३-महाराणा संग्राम सिंह [द्वितीय] ने मार्च २४ , १६९० में २० साल की उम्र में मेवाड़ की गद्दी संभाली मगर ४४ साल की अल्पायु में [January 11, १७३४] स्वर्ग सिधार गए.उनकी सभी पत्नियाँ उनके साथ सती हो गई थीं. ५६ खम्बों का एक स्मारक उन की याद में अब भी खड़ा है.
४-इन की पत्नियों में मुख्य दो महारानियाँ थीं- एक -राजकुमारी कुंदन कुंवर[ताना से]और दूसरी जैसलमेर की राज कुमारी थीं.
5-जिस मेवाड़[शिशोदिया] राजवंश के यह ६१ वें शासक वह राजवंश दुनिया का सबसे पुराना और सबसे लंबा शासन करने वाला राजवंश माना जाता है.जो 569 AD से सन् १९४७ तक चला.
6-महाराणा अरविन्द सिंह जी [१९८४-अब तक],इसी वंशावली में ७६ वें और वर्तमान में उदयपुर के ३४ वें महाराणा हैं.जो मेवाड़ भवन की देख रेख कर रहे हैं.अधिक जानकारी हेतु ,यह उनकी अधिकारिक साईट है.http://www.mewarindia.com/
इन तथ्यों में किसी प्रकार की गलती हो तो संशोधन और क्षमा करीयेगा.
अभी अभी पहले भेजे हुए दो तथ्यों वाले कमेंट्स में पहले वाला डिलीट करना है.वह शायद ठीक पोस्ट नहीं हुआ है.
ReplyDeleteसब दोस्त और सहेलियां कह ही रही हैं तो फिर सहेलियों की बाडी ही होगी! ये ही मेरा भी जवाब।
ReplyDeleteसहेलियों की बावड़ी!!
ReplyDeleteअब तो इसे ही हमारा जवाब समझा जाए !!
पूरी नक़ल के ईमान से बोल रिया हूँ जनाब!!
सहेलियो कि बाड़ी, उदयपुर.
ReplyDeleteJabalpur se bahar hun, isilye jabab dene me der pichali baar ki tarah. Is baar first kar do. :)
मैंने सोरी की स्पेलिंग रट ली है
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