संपादक की बात :-
प्रिय भाईयो, बहणों, भतीजो और भतीजियों, आप सबनै सोमवार सबेरे की घणी रामराम. और ताऊ साप्ताहिक के अंक ९ मे आपका घणा स्वागत.
पिछले कुछ सप्ताह से सब जगह चड्डी लंगोट प्रकरण छाया हुआ है. और इससे अन्जाने मे ही कुछ कटुता भी पैदा होती होगी. हम तो इन प्रकरणों के बारे मे ज्यादा जानते भी नही हैं और अब जानना भी नही चाहते. हम तो अपने पायजामे मे ही संतुष्ट है और कोई हमें समझाने की कोशीश भी ना करे.
हमारे लिये तो इसके यही मायने हैं कि एक प्यारे संत के नाम पर प्रायोजित राजनिती हो रही है. और हम इस राजनिती मे पडना नही चाहते. अगर हमको राजनिती ही करनी होती तो हम असली राजनिती छोडकर इधर ब्लागीवुड का रुख क्युं करते?
अत: जो भाई-बहन भी इस प्रकरण को अपने दिल पर लिये बैठें हों उनसे हम तो ताऊ के नाते इतना ही निवेदन करेंगे कि इस बोझ को दिल पर ना ले और महान संत कबीर के निचे लिखे दोहे का ११ बार पाठ करलें आपका मन बिल्कुल निर्मल और पवित्र हो जायेगा.
कबिरा तेरी झोंपडी गलकटियन के पास
जो करेगा वो भरेगा तू क्युं भया उदास !!
और हमको तो इस दोहे पर परम यकीन इस लिये हो गया कि कल शायद हमारे छोटे भाई योगिन्द्र मौदगिल का बहुत शानदार बल्टियान दिवस हमारी भौडिया ( श्रीमती योगिंद्र मौदगिल) यानि आज से आप सबकी काकी ने मना डाला.
कल काकी का फ़ोन आया था. मैने फ़ोन ऊठाया. उधर से काकी ने रामराम की. मैने आशीष दिया. वो बोली - जरा ताई से बात कराईये.
मैं कुछ बोलता उसके पहले ही ताई ने फ़ोन मेरे हाथ से झटक लिया. गजब की टैलीपैथी है इन बीरबानियों के बीच.
मैने समझ लिया कि डाकी ( कवि महाराज) ने कुछ कुटने के काम कर दिये दिखैं सै.
फ़िर ताई को पूछा तो वो बोली कि देवराणी नाराज हो रही है. देवर ने कल बाल्टी दिवस (वेलेंटाईन-डे) के दिन काकी को फ़ूलों की जगह टीकर के कांटों का भरा हुआ टोकरा गिफ़्ट कर दिया. अब वो पूछ रही थी कि मेड-इन-जर्मन लठ्ठ कौन सी दुकान पर मिलेगा ?
तब हमको समझ आया कि कवि महाराज ने कल बडे चहकते हुये ये टिपणी क्युं की थी?
योगेन्द्र मौदगिल said...
वाहवा.... ताऊ, जैरामजीकी...
१ या फोटो तो ऐसी लगे जैसे शेखावत जी का मायका हो...
२ बिल्ली को पानीपत भेजो हम अपने खंबे पर चढ़ा कर प्रैक्टकलि चैक करेंगें कितना चढ़ती है और कितना उतरती है...
३ खूंटे का नुस्खा बढ़िया है. वकीलों के लिये नुकसानदेह लेकिन फिर भी द्विवेदी जी आपके वकील थे. फीस के रूप में खूंटे की सांकल याने चेन उन्हें भेज दो.
-----देरी इसलिये हो गई कि आज सुबह से ही पार्क में गुलाब के फूल ढूंढ रहा था. थम सबकी चाची को देने के लिये. फूल नहीं मिले. कांटो का टोकरा दे दिया.
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तो देखा ना आपने, जैसा किया वैसा भरा. कवि महाराज या तो पक्के मे अस्पताल मे होंगे या हल्दी चूना लगवा रहे होंगे. किसी को खबर मिले तो हमको भी बताना.
प्रथम भाग - पर्यटन खंड :-
पहेली - ९ में हमने आपसे दो सवाल पूछे थे.
१. जो चित्र दिया गया था वो आमेर फ़ोर्ट ( जयपुर ) का था. ज्यादातर लोगों ने इसे अम्बर किला लिखा है. असल मे फ़ोर्ट पर जो नाम लिखा है उसकी स्पेलिंग Amber ही लिखी है. वैसे सरकारी रिकार्ड और बोलचाल की भाषा मे इसे आमेर फ़ोर्ट ही कहते हैं.
२. दुसरा बोनस सवाल था दस नम्बर का. इसका सही जवाब है कि रामप्यारी जिस खम्बे पर चढ रही है उसकी ऊंचाई १५ फ़ीट थी.
(आमेर फ़ोर्ट)
जयपुर एक ऐसी जगह है जहां देशी विदेशी पर्यटकों का तांता लगा रहता है. शायद ही कोई पर्यटन प्रेमी हो जिसने जयपुर नही घूमा हो.
आमेर फ़ोर्ट, जयगढ फ़ोर्ट, नाहर गढ फ़ोर्ट, सीटी पैलेस, जंतर-मंतर, रामनिवास बाग, एवम अन्य कई घूमने की जगह हैं.
जयपुर समुद्री सतह से ४३१ मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. रेल, रोड और हवाई यातायात से अच्छी तरह जुडा हुआ है. यहां आपको हर तरह के होटल मिल जायेंगे.
होटल के बारे मे एक सूचना हम आपको अवश्य देना चाहेंगे कि जब आप किसी आटो वगैरह से होटल मे चेक -इन करते हैं तो उसमे इन आटॊ वालों का कमीशन सीधे डबल रहता है. और नई जगह मे यह सम्भव नही है कि आप पैदल घूम कर होटल ढूंढे. अत: बेहतर है कि किसी परिचित से पहले ही बुकिंग करवाले.
जयपुर फ़िल्मकारों का भी पसंदीदा ठीकाना है. अनेक फ़िल्मों की शूटींग वहां हुई है और अभी पिछले सप्ताह ही आमेर फ़ोर्ट के पास सलमान खान,जैकी श्रोफ़ अभिनित फ़िल्म "वीर" की शूटिंग चल रही थी जहां शूटींग देखने हजारों की संख्या मे लोग उपस्थित थे.
ऐसे मे किले कि एक बहुत पुरानी बाहरी दिवार गिर गई और कुछ लोग घायल हो गये. इस सबकी जानकारी "ताऊ साप्ताहिक पत्रिका" के तकनीकी संपादक श्री आशीष खण्डेलवाल दे रहे हैं.
आईये अब "मेरा पन्ना" की तरफ़ बढते हैं.:-
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"मेरा पन्ना" -अल्पना वर्मा नमस्कार, आईये आम्बेर या आमेर दुर्ग- के बारे में कुछ तथ्य परक जानकारियों पर एक नजर डालते हैं.
जयपुर से ११ किलोमीटर दूर ,कभी सात शताव्दियों तक ढूंडार के पुराने राज्य के कच्छवाहा शासकों की राजधानी आमेर ही थी.यहीं है यह प्रसिद्द आमेर का किला.आरंभिक ढ़ाचा अब थोड़ा ही बचा है।.
कैसे पहुंचें--
-जयपुर दिल्ली से वायु,सड़क के रास्ते भी पहुँच सकतेहैं.
-जयपुर में ऑटोरिक्शा या बस से सीधा आमेर की किले तक जाने की सुविधा है.
-अक्टूबर से फरवरी यहाँ घूमने के लिए सब से अच्छा मौसम है.
-खुलने का समय-सुबह ९ से शाम ४:३० तक]
-प्रवेश शुल्क के साथ अगर कैमरा या विडियो कैमरा है तो उनके लिए भी शुल्क लेना होगा.
-किले में घूमाने के लिए हाथी /जीप की एक निर्धारित शुल्क पर व्यवस्था है.
महल के संस्थापक -:
अब इस में भी अलग अलग मत हैं.कहते हैं आमेर 'मीणा जाति के सूसावत राजवंश'[967Ad-1037Ad].में देवी अम्बा की श्रद्धा में बनवाया गया था.
आमेर महल की नींव कांकलदेव के समय से जोड़ी गई है जबकि महल में रखे शिलालेख में इसे मानसिंह प्रथम द्वारा बनाया गया बताया है.
जो तथ्य मुझे मिले हैं उन में भी यही है कि राजा मान सिंह [प्रथम ] ने पुराने भवन 'आम्बेर''के अवशेषों पर ही इस दुर्ग का निर्माण सन् १५९२ में शुरू करवाया था. कछवाहा वंश का शासन १२ से १८ सदी तक रहा.
कुछ ऐतिहासिक तथ्य जानिए-
१-महाराजा मान सिंह [१५८९-१६१४]-बादशाह अकबर कि सेना में मुख्य सेनापति और अकबर के दायें हाथ माने जाते थे.यह अकबर के दरबार में नौ रत्नों में से एक थे.
राजा मान सिंह के पिता भगवंत दस ने रन्थम्बोर की लड़ाई [१५६९ AD] में अकबर का बहुत सहयोग दिया था .
२-राजा मान सिंह को अकबर अपना बेटा मानते थे ,उन्हें अपनी सेना में प्रशिक्षण भी अकबर ने ही दिलाया था और इसी वजह से भी जहाँगीर[सलीम] में एक दूरी रही.
३-राजा मान सिंह ने ही हल्दी घाटी के युद्ध[१५७६ AD] में महाराणा प्रताप के विरुद्ध अकबर की सेना की कमान संभाली हुई थी.
४-इनके बेटे जगत सिंह की असामयिक मृत्यु पर रानी कनकवती ने आमेर की पहाडी के नीचे उन की याद में सुंदर कृष्ण मन्दिर बनवाया था.
५-इस आम्बेर के किले को को राजा मान सिंह के बेटे जगत सिंह के पोते 'मिर्जा 'राजा जय सिंह [प्रथम ] .[१६११-१६६७ AD ] ने आगे बनवाया.यह राजा शाहजहाँ की ४००० सैनिकों वाली सेना की कमान संभालते थे.
६-इन्हीं राजा जय सिंह प्रथम के पोते राजा सवाई जय सिंह [द्वितीय ] [१६६६-१७४३]ने इस दुर्ग को पूरा किया.वर्तमान स्वरूप में निखारा और संरक्षण में अपनी मुख्य भुमिका दी.
७-कहते हैं यह मूल रूप में विशाल किले जयगढ़ का ही एक हिस्सा था.
८-यह दुर्ग राजपूती स्टाइल में बनाना शुरू हुआ मगर इस पर मुग़ल शैली का प्रभाव देखा जा सकता है.
९-इस महल का 'दीवाने ख़ास 'और मुख्य द्वार गणेश पोल है, जिन की नक्काशी अत्यन्त आकर्षक है,[कहते हैं ] कि ईर्ष्या वश मुगल बादशाह जहांगीर इतना नाराज़ हो गया कि उसने इन चित्रों पर प्लास्टर करवा दिया. ये चित्र धीरे-धीरे प्लास्टर उखड़ने से अब दिखाई देने लगे हैं .
१०-जय मन्दिर यानि-'शीश महल ' मिर्जा राजा जय सिंह [प्रथम ]ने बनवाया था.
११-आमेर के महलों के पीछे दिखाई देता है नाहरगढ़ का ऐतिहासिक किला, जहाँ राजा मान सिंह की अरबों रुपए की सम्पत्ति ज़मीन में गड़ी होने की संभावना और आशंका व्यक्त की जाती है.
ख़बरों में--
१ --आमेर विकास एवं प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार,आमेर महल के पहाड़ी रास्तों से जयगढ़ किले को जोड़ने वाले एक किलोमीटर लंबे गुप्त मार्ग का जीर्णोद्धार (रिनोवेशन) कर के खोला जाएगा,इसे कभी महल का सबसे गोपनीय रास्ता माना जाता था.
२ -यह गुप्त मार्ग आमेर महल में पीछे के हिस्से में जनानी ड्योढ़ी के नजदीक से रंगमहल होकर गुजरता है। महल से जुड़े अधिकारी बताते हैं कि यह मार्ग इतना बड़ा है कि एकसाथ 8 आदमी आसानी से इसमें से गुजर सकते हैं।आमेर महल से जयगढ़ वाया 'सुरंग' जुड़ने पर शहर के सभी प्रमुख महलों और किलों को जोड़ने वाला यह पहला सर्किट बनेगा.
३-सलमान खान की फ़िल्म-'वीर' की शूटिंग के दौरान हुई दुर्घटना के बाद इस किले में किसी भी फ़िल्म की शूटिंग पर राजस्थान हाई कोर्ट ने प्रतिबन्ध लगा दिया है.
४-पशु प्रेमी संस्थाएं-हाथी की सवारी पर रोक लगाने की मांग कर रही हैं-पर्यटन विभाग ने दो सवारी प्रति हाथी तय की है.और एक ट्रिप प्रति हाथी प्रति दिन .
५-इस समय परिसर में सवारी हेतु कुल ९५ हाथी हैं.
६-किले के कुछ स्थानों पर चित्र लेना मना है.
-अब जानिए किले के बारे में-
आमेर पहाडी पर स्थित यह किला संगमरमर और लाल बलुआ पत्थर से निर्मित आमेर फोर्ट अपनी भव्यता और विशालता के लिए प्रसिद्ध है। यह हिन्दू और मुस्लिम निर्माण शैली का बेहतर नमूना है। यह महलों, मंडपों, बगीचों और मंदिरों का एक आकर्षक भवन है।
-दुर्ग के सामने 'मावठा झील 'के शान्त पानी में महल की परछाईं देखें. यह किला चार विभागों में बना हुआ है. सिंहपोल और जलेब चौक तक अकसर पर्यटक हाथी पर सवार होकर जाते हैं। चौक के सिरे से सीढ़ियों की पंक्तियाँ उठती हैं, एक शीला माता के मंदिर की ओर जाती है और दूसरी महल के भवन की ओर।
यहां स्थापित करने के लिए राजा मान सिंह द्वारा संरक्षक देवी की मूर्ति, जिसकी पूजा हजारों श्रद्धालु करते है, पूर्वी बंगाल (जो अब बंगला देश है) के जेसोर से यहां लाई गई थी।
आज भी इस मन्दिर में बंगाल के पुजारी ही देख रेख करते हैं[?] .एक दर्शनीय खंभो वाला हॉल दीवान-ए-आम और एक दोमंजिला चित्रित प्रवेशद्वार, गणेश पोल आगे के पंरागण में है।
गलियारे के पीछे चारबाग की तरह का एक रमणीय छोटा बगीचा है जिसकी दाई तरफ सुख निवास है और बाई तरफ जसमंदिर। इसमें मुगल व राजपूत वास्तुकला का मिश्रित है, बारीक ढंग से नक्काशी की हुई जाली की चिलमन, बारीक शीशों और पच्चीकारी का कार्य और चित्रित व नक्काशीदार निचली दीवारें।काँच और संगमरमर में जड़ा अनुपम सौंदर्य--पत्थर के मेहराबों की काट-छाँट देखते ही बनती है।
आमेर का किला अपने शीश महल के कारण भी प्रसिद्ध है। इसकी भीतरी दीवारों ,गुम्बदों और छतों पर मोजैक पनेलों में रंगीन कांच ,संगमरमर और शीशे के टुकड़े इस प्रकार जड़े गए हैं कि केवल कुछ मोमबत्तियाँ जलाते ही शीशों का प्रतिबिम्ब पूरे कमरे को प्रकाश से जगमग कर देता है। सुख महल में चंदन के दरवाजे पर हाथी दांत की कारीगरी अद्भुत है,हवा के आने की ऐसी व्यवस्था है कि गर्मियां में ठंडी हवा आती रहती है.किले के बाहर झील बाग का स्थापत्य बेहद सुंदर है।
एक और आकर्षण है -'डोली महल'- जिसका आकार उस डोली (पालकी) की तरह है, जिनमें रानियाँ आया-जाया करती थीं। इन्हीं महलों में प्रवेश द्वार के अन्दर डोली महल से पूर्व एक भूल-भूलैया है, जहाँ राजे-महाराजे अपनी रानियों और पट्टरानियों के साथ आँख-मिचौनी का खेल खेला करते थे.[शायद इस लिए भी इसे रूमानी जगह कहते हैं!]
महाराजा मान सिंह की कई रानियाँ थीं-जब युद्ध से वापस लौटकर आते थे तो यह स्थिति होती थी कि वह किस रानी को सबसे पहले मिलने जाएँ। इसलिए जब भी कोई ऐसा मौका आता था तो राजा मान सिंह इस भूल-भूलैया में इधर-उधर घूमते थे और जो रानी सबसे पहले ढूँढ़ लेती थी महा राजा मानसिंह सबसे पहले उसी रानी के कक्ष मे विश्राम के लिये जाते थे,
मावठा झील के मध्य में सही अनुपातित मोहन बाड़ी या केसर क्यारी और उसके पूर्वी किनारे पर दिलराम बाग ऊपर बने महलों का मनोहर दृश्य दिखाते है।
आमेर महल विश्व पर्यटन मानचित्र पर विशेष महत्व तो रखता ही है, यहां शीला माता [माँ काली]का मंदिर भी लाखों लोगों की भावनाओं से जुड़ा हुआ है.मैं ने व्यक्तिगत रूप से कई साल पहले यह स्थान देखा हुआ है.
पिछले साल बरसात के कारण इस स्थान को नहीं देख पाए.जब आप वहां जायें तो गाइड जरुर लें.ताकि आप को हर जगह के बारे में सही जानकारी मालूम हो सके.
( सलाहकार संपादक, पर्यटन ) |
द्वितिय भाग - पहेली विजेता खंड :-
काजल कुमार Kajal Kumar said... जयपुर, आमेर का किला. February 14, 2009 7:17 AM
घणी बधाई प्रथम स्थान के लिये. सर्वाधिक अंक प्रात किये १०१. तालियां..... तालियां..... तालियां..... जोरदार तालियां....
|
ताऊ जी ये तो शीश महल है , अम्बेर का किला जयपुर राजस्थान
अंक १०० |
३.वरुण जायसवाल
शीश महल है , अम्बेर का किला जयपुर राजस्थान
अंक ९९ |
ताऊ पहली दृष्टी में तो ये आमेर के किले का फोटु लागे है.. और देख के बतायेगें.. अंक ९८ |
५. UDAN TASHTARI आमेर का किला लगता है. अंक ९७ |
६. SEEMA GUPTA
Amber Fort Shish Mahal jaipur. अंक ९६ |
७.PT.डी.के.शर्मा"वत्स"
ताऊ! यो है अम्बर महल,जयपुर(ambar fort,jaipur) अंक ९५ |
८. ASHISH KHANDELWAL ताऊ मन्नै तो ये जयपुर के नजदीक आमेर के किले में स्थित शीश महल का फोटू लाग रह्यौ सै.. अंक ९४ |
९. POEMSNPUJA
mujhe to aamer ka kila lag raha hai...baaki detail baad me bhejte hain
अंक ९३ |
१० अल्पना वर्मा
sheesh mahal at amber fort--
अंक ९२ |
११. रंजना [रंजू भाटिया]
एम्बर किला शीश महल - जयपुर अपने एम्बर रंग और हाथी सफारी के लिए जाना जाता है
अंक ९१ |
१२. PANKAJ &ANAND
ताउ यह जयपुर के आमेर किले क शीश महल है
अंक ९० |
१३. PANKAJRAGO
ताउ यह जयपुर के आमेर किले क शीश महल है
अंक ८९ |
१४.RATAN SINGH SHEKHAWAT
ताऊ ये तो आमेर किले का शीश महल लग रहा है ! सुबह आपका हिंट नही नही दिख पा रहा था अब देखने पर पता चला है !
अंक ८८ |
१५TARUN Last try - Amber fort अंक ८७ |
आम्बेर के किल्ले का शीश महा हैगा - पिछ्ला जवान केंसल अंक ८६ |
१७. प्रकाश गोविन्द
यह जयपुर (राजस्थान) में स्थित अम्बर किले का शीशमहल है !
अंक ८५ |
१८. दीपक "तिवारी साहब"
ताऊ ये है आमेर का किला का अण्दरुणि भाग. यहां हाथियों से चढ कर भी जाते हैं और पैदल भी जा सकते हैं. इस किले मे घुसते ही शिला देवी का मंदिर है जहां अब भी नियमित पूजा अर्चना होती है. ये जयपुर के राजपरिवार की कुल देवी हैं. यही से उपर की तरफ़ जयगढ का किला भी दिखाई देता है.
अंक ८४ |
१९. MAKRAND ये आमेर फ़ोर्ट (जयपुर) है.
अंक ८३ |
२०. अम्बेर किले का शीश महल ही लगता है, सिटी पैलेस नहीं। अंक ८२ |
२१. प्रवीण त्रिवेदी...प्राइमरी का मास्टर
आमेर किले का शीश महल !!!!
अंक ८१ |
ताऊ राम राम आज मुझे पहेली में हिस्सा नहीं लेना लेकिन जवाब दे दूंगा कि यो फोटू आमेर किला या शीश महल ही है ताऊ अब एक बात और सुन लो मेरी भी मैं भी आपके ऊपर केस करने जा रहा हूं आज शाम को छह बजे के बाद अदालत में क्योंकि आपने मेरी पहेलियों में वादा किया था कि विजेताओं को बिना पानी के गोल गप्पे एक रूपये के देने का वादा किया था लेकिन अभी तक ईनामी राशि नहीं आई और मेरी पहेलीयों के विजेता मुझे रोज फोन कर रहे हैं। आप बताओ कि आपके एक रूपये के गोलगप्पे के लिए हमारे आदरणीय भाटिया जी ने विदेश से फोन किया और करीब आधा घंटा बात की तो उनके तो करीब 500 रूपये वैसे ही लग गए अगले केस लडने के लिए तैयार हो जा अंक ८० |
दुसरे बोनस सवाल का सही जवाब देने वालों के खाते में दस दस अंक क्रमश अतिरिक्त रुप से जमा कर दिये गये हैं. कृपया अपना जवाब सही उत्तर से मिलाकर खाता चेक कर लेंवे,
बोनस सवाल का सही उत्तर देने वाले महानुभाव हैं.
श्री शुभम आर्य, श्री वरुण जयसवाल, श्री दिलिप कवठेकर, श्री आशीष खंडेलवाल, श्री ऊडनतश्तरी, सुश्री सीमा गुप्ता, श्री प्रवीण त्रिवेदी, श्री रंजन,
सुश्री पूजा उपाध्याय, श्री सैय्यद, श्री अनुराग शर्मा, श्री अन्तर सोहिल, सुश्री अल्पना वर्मा, प. डी.के. शर्मा "वत्स"
श्री प्रकाश गोविंद, श्री मुसाफ़िर जाट, श्री दीपक तिवारी , श्री मकरंद और श्री दिलिप गौड.
बधाई आप सबको बोनस सवाल का सही जवाब देकर अतिरिक्त रुप से दस नम्बर हासिल करने के लिये.
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इसके अलावा श्री दिनेश राय द्विवेदी, श्री अरविंद मिश्रा, श्री विनय, श्री शाश्त्री जी श्री PD, श्री बवाल, श्री सुशील छोंक्कर, श्री ज्ञानदत जी पांडे, श्री जितेंद्र भगत, श्री संजय बैंगाणी, श्री अमित, श्री गौतम राजरिषी, श्री अभिषेक ओझा,
और श्री ab inconvenient ने भी आकर हमारी होंसला अफ़्जाई की.
आप सबका भी तहे दिल से शुक्रिया.
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तृतिय भाग - पाठकों द्वारा दी गई विविध जानकारी
आईये इस भाग मे हम देखते हैं कि हमारे माननिय पाठको ने क्रमवार क्या जानकारी दी है?
seema gupta said... One of the most exquisite creations in the Amber Fort is the Sheesh Mahal. Literally translated, it means the Palace of Mirrors. A big hall that is filled with thousands of tiny mirrors all over, the Sheesh Mahal never fails to amuse onlookers. It is said that during the days of yore, a single tiny candle would illuminate the entire hall. The tiny and intricate mirrors are preserved till date and look as royal as they did then. A visit to the Amber Fort is absolutely essential if you want to see real untouched beauty. |
वैसे तो मैं यहां कई बार गया हूं। लेकिन इसके बारे में लिखने की जरूरत महसूस नहीं कर रहा हूं (भई.. मैं ही लिख दूंगा तो अल्पना जी क्या करेंगी??) औपचारिकता निभाने के लिए इंटरनेट से चुरा चुरा कर शीश महल की जानकारी दे रहा हूं- |
रंजना [रंजू भाटिया] said... शीश महल - जयपुर अपने एम्बर रंग और हाथी सफारी के लिए जाना जाता है शीश महल, इस पैलेस के भीतर.का नजारा बहुत अदभुत है आमेर का किला अपने शीश महल के कारण प्रसिद्ध है। इसकी भीतरी दीवारों, गुम्बदों और छतों पर शीशे के टुकड़े इस प्रकार जड़े गए हैं कि केवल कुछ मोमबत्तियाँ जलाते ही शीशों का प्रतिबिम्ब पूरे कमरे को प्रकाश से जगमग कर देता है। चालीस खम्बों का है यह शीश महल। सुख महल व किले के बाहर झील बाग का स्थापत्य अपूर्व है। |
poemsnpuja said...
ये जयपुर से ११किलोमेतेर दूर स्थित अम्बर(आमेर) किला है...गाइड ने बताया था की क्योंकि ये बहुत ऊँची पहाडी पर बना हुआ है इसलिए इसको अम्बर किला कहते हैं.(ये सच है या ग़लत हमको मालूम नहीं). ये किला राजा मान सिंह द्वारा शुरू किया गया था और सवाई जय सिंह ने इसका निर्माण कार्य पूरा किया १५९२ में. रेड sandstone और सफ़ेद संगमरमर इसको बनाने में लगाया गया है. किले में काली जी का मन्दिर प्रवेश के पास है. यहाँ एक काली जी का मन्दिर भी है जिसे शीला देवी मन्दिर कहते हैं. किले की दीवारें आज भी बेहद मजबूती से खड़ी हैं...और इतनी चौडी हैं की हाथी गुजर सकता है. |
poemsnpuja said... han taau, shishmahal ke bare me ek baat batana bhool gayi thi... |
चतुर्थ भाग : मौज मस्ती
नीचे कुछ मनोरंजक टिपणियां और खूंटा प्रेमियों की विशेष टिपणियां दे रहे हैं.
ताऊ! जज साहब के यहाँ भी ताऊ गिरी की तिकड़म मार ली। वैसे एक ताऊ का कुछ ऐसा ही मुकदमा लड़ा था। किसी दिन उसी का किस्सा आप की भाषा में लिखा जाएगा। वह भी सीधे तीसरा खंबा में। यह फागुन का महीना जो है। |
ताऊ, ये रामप्यारी वाला खम्बा १५ फुट का है क्या? जितना भी हो, राम प्यारी पूरा चड़ पाई की नहीं, ये तो बताया ही नहीं. |
प्रिय ताऊ जी, पता नही आपकी पहेलियों का ही असर होगा, आजकल हर पुरानी हवेली एक जैसे दिखने लगी है. यह समस्या तब और बढ जाती है जब वह हवेली किसी पहेली का हिस्सा हो. मुझे लगता है कि इस मानसिक संघर्ष के लिये अब आप से मुवावजा मांगना पडेगा. इसे "पहेली पुरस्कार" के रूप में भी दिया जा सकता है. (मैं ने हिन्ट दे दिया है, फिर मत कहना कि मालूम नहीं था). अब आते हैं दिनेश जी और भाटिया जी के कांड पर -- आप इस तरह से एक एक की कलई खोलते जयेंगे तो हमारा क्या होगा ताऊ!! हम तो यह सोचे बैठे थे थे कि हमारे कांड हमेशा छुपे रहेंगे! अब उस "प्रसिद्ध" खम्बे के बारे में. पता नहीं बिल्ली से कुछ होगा या नहीं, लेकिन यदि कभी आपके पास ऐसा खम्बा निकल आये जिस पर कोई चढे तो चढता ही रहे -- कभी उतर न पाये -- तो सबसे पहले वह इस नाचीज को उधार दे देना. मैं अपने जानपहचान के कई लोगों को (कुछ इनाम-किताब के बहाने) उस खम्बे पर चढाना चाहूँगा!! शेष सब आपकी कृपा से शुभ है सस्नेह -- शास्त्री पुनश्च: आजकल जब तक आपकी पहेली की गोली न "देख" लूँ तब तक रक्तचाप ऊंचा रहने लगा है. इसके लिये भी आप ही जिम्मेदार हैं. |
"ओह ओह ये आज आपकी पहेली बुझन मे ऐसे उलझे की कुछ याद ही नही रहा..... हमारी तरफ से 'रामप्यारी" और 'सैम' को बल्टियान दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं." or Regards Tau ji ko..... |
ओह, यह चित्र तो किसी रहीस के झबरैले कुत्ते का है। इस बार तो हमारा उत्तर बिल्कुल सही होगा! |
अब ये पक्का हो गया.. कि ये आमेर का किला है जयपुर में... और जो हिंट है वो शीश महल की छत है.. और पहेली में दिखाई हुई जगह शीश महल के बाहर वाला बरामदा दिख रहा है.. कुल सात बन्दे और एक बच्चा दिख रहा है..५ पुरुष, २ महिलाऐं और एक बच्ची.. फ्राक पहने.. जो बैठे है उनमें साफे वाला अंग्रेज है.. और उसके साथ दो महिला अंग्रेज है.. एक और जना (वो भी शायद अंग्रेज होगा) फोटो में नहीं दिख रहा.. ये भी एक पहेली है.. बताओ वो कंहा है.. ये घर से चार जन चले थे.. तीन फोटो में चौथा कंहा....... मिल गया अरे वो ही तो ये फोटो खीच रहा ताऊ को भेजने कि लिये..वैसे ताऊ आमेर में हाथी बहुत है..फोटो में नहीं दिख रहे... ये अब ताऊ आमेर के बारे में कुछ पता नहीं तो ये फालतु की बातें लिख दी...बाकी जानकारी तो सोमवार को अल्पना जी देने वाली है..पढ़ लेगें..:) राम राम |
खम्बा 15 फुट का होना चाहिये। वैसे रामप्यारी का क्या भरोसा 3 फुट के खम्बे पर ही चार बार उछली हो, ताऊ की बिल्ली है ना… हा हा हा हा हा |
-sam aur binu firangi ko bhi-बल्टियान दिवस ki shubhkamnayen |
चम्पाकली को किसी ने याद नहीं किया?? वो चाँद पर बल्टियान दिवस मना रही होगी?? |
बिल्ली खेल रही है ताऊ जी उसको खेलने दो ...:) गणित मैं वैसे ही अपना डिब्बा गोल है .कितना चढी कितना उतरी में दिमाग आउट हो गया :) .बहुत सोचने के बाद यही लगा कि अब बिल्ली को यह खेल अच्छा लगा रहा होगा :) ..बल्टियान दिवस की शुभकामनाएं." |
सबके जवाब चेक कर लिए ! [ ताऊ जी ये बिल्ली क्या अमर सिंह के |
हवामहल नहीं है. जगह राजस्थान की लग रही है...कहा? नहीं पता :( |
अरे ताऊ भाटिया जी सच मै बहुत सीधे है, जरा मुकदमे का फ़ेसला तो होने दो फ़िर देखो... जिस छोरे के हाथ मिठाई भेजी थी उसे हम ने १० हजार युही तो नही दिये... बस भाटिया जी की जगह ताऊ जी ही तो लिखना था, ओर साथ मे एक नोटो को डिब्बा भी आप के नाम से जज सहाब को नजर कर दिया था. यह खम्बा तो ९ फ़िट का ही है पहेली का जबाब मेने कोनी बेरा, अब लोगो के घरो मे तांका झाकी कर के जुते तो नही खाने. राम् राम जी की |
इस तरह रामप्यारी कुल ४ बार चढती है. अब बताईये उस खम्बे की कुल उंचाई कितनी है? ताऊ पहले तो ये गारंटी दो कि बिल्ली चौथी बार में खम्भे पर चढ़ ही जाती है. मान लिया कि चौथी बार में चढ़ भी जाती है तो खम्भे की ऊँचाई है--- |
मेरा ख्याल है की खम्बा ६ फ़ुट का ही ठीक रहेगा. क्योंकि चिकना है तो बिल्ली ४ क्या ४० छलांग भी लगा सकती है... चाहे वह ३ फ़ुट से वापिस फिसल आए या ६ फ़ुट से..... चलो जी, फाइनल उत्तर ६ फ़ुट लाक किया जाए. |
मतलब आपने ठान रखा है कि मैं तो कोई जवाब ही न दे पाऊँ.....
...और दूबारा आया हूँ बिल्ली के बारे में विमर्श करने। |
अरे ये तस्वीर तो मेरे महल की है... यहाँ की फोटो कैसे खीच ली आपने? |
नमस्कार ताउजी! आपके प्रश्न का उत्तर तो १५ फीट ही हैं! और खूंटा बड़ा जोरदार था, पढ़कर बहुत मजा आया!
वैसे एक बात कहूँ आप बुरा मत मानना, ये ताऊ लोग बहुत चालू होते हैं मेरा मन करता हैं की इनसे दूर ही रहूँ, क्या पता मेरे ससुराल में कुछ उल्टा सीधा लिखकर भेज दे और मेरी बसी बसाई गृहस्ती (२ महीने बाद की बात कर रहा हूँ क्यूंकि २० मई को आपके भतीजे की शादी हैं) को उजाड़ने की कोशिश कर दे! समझे! हा हा हा हा.. Sorry... if you dont like it! सस्नेह! |
अब आईये हमारे तकनिकी सलाहकार संपादक श्री आशीष खंडेलवाल की एक रिपोर्ट पढते हैं. उन्होने हमको बहुत सारे फ़ोटो भेजे हैं पर यहां हम केवल एक ही दे पा रहे हैं. क्योंकि फ़ोटो की वजह से ब्लाग अपडेशन मे दिक्कतों कि शिकायते आ रही हैं.
- आशीष लिखते हैं:- (आशीष खंडेलवाल) नमस्कार दोस्तो, आमेर फ़ोर्ट के साथ जुडी एक ताजा खबर पर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहुंगा. आमेर महल जहां विश्वप्रसिद्ध ऐतिहासिक धरोहर है और पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है, वहीं एक और वजह है जिसके कारण इसकी अलग पहचान है। यहां हॉलीवुड और बॉलीवुड फिल्मों की भी शूटिंग होती है। अब तक यहां 53 बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है।
पिछले दिनों यहां अशोक शर्मा के निर्देशन में फिल्म -वीर- की शूटिंग चल रही थी, लेकिन भीड़ के दबाव की वजह से अचानक यहां 40 फीट लंबी दीवार भरभरा कर गिर पड़ी और इस हादसे में 15 लोग घायल भी हुए। घटना 12 फरवरी की है। फिल्म के मुख्य नायक सलमान खान हैं और इसमें वे महायोद्धा के किरदार में है। नायिका जरीन खान हैं और उनकी यह पहली फिल्म है।
इसके बाद राजस्थान उच्च न्यायालय ने आमेर किले में फिल्म की शूटिंग तुरंत रुकवा दी। न्यायालय ने प्रशासन की जमकर खिंचाई करते हुए कहा कि संबंधित प्रशासन धन की चकाचौंध के आगे अंधा, बहरा और गूंगा हो गया। इसके बाद फिल्म की आगे की शूटिंग जयपुर के ही सिटी पैलेस में चल रही है।
आमेर के किले में वीर की शूटिंग और हादसे के कुछ फोटो दिए जा रहे हैं। ये मोबाइल फोन से खींचे गए हैं, इसलिए अच्छी गुणवत्ता वाले नहीं हैं। जरीन खान और जैकी श्रोफ़ वीर के सेट पर अगले सप्ताह फ़िर मिलते हैं कोई नई खबर या जानकारी के साथ. तब तक के लिये अलविदा. --आशिष खंडेलवाल (तकनिकी संपादक) |
और अब आईये ताऊ साप्ताहिक पत्रिका की विशेष संपादक (प्रबंधन) एवम प्रबंधन गुरु सुश्री सीमा गुप्ता के स्तम्भ "मेरी कलम से" की तरफ़.
छपते छपते :-
Udan Tashtari said... Sheesh Mahal of Amber Fort February 15, 2009 6:47 PM
ताऊ उवाच :-
गुरुजी, रामप्यारी की मिजाजपुर्सी के लिये आपको बहुत बहुत धन्यवाद. सही मे लोगों ने इतना कुदाया कि क्या बतायें? वो तो कहिये ताऊ की कैट-स्केन करने वाली बिल्ली थी अगर किसी और की होती तो सोने की बिल्ली दान करनी पड जाती.:)
चलते चलते :-
डाक्टर ताऊ के पास अचानक भाटिया जी आगये और बोले - मेरी तबियत खराब है ताऊ. जरा जांच करके दवाई देदे. ताऊ ने केट-स्केन करवाने की सलाह दी. भाटिया जी बोले - पिस्से तो मेरे धौरै कोनी.
इब डाक्टर ताऊ फ़ोकट मे तो केट स्केन खुद का ही नही करता सो भाटिया जी की नब्ज टटोल कर जांच करने लगा. फ़िर बोला - भाटिया जी आपको तो बीमारी का कोई कारण समझ मे नही आता शायद ज्यादा शराब पीने की वजह से हो.
भाटिया जी :- कोई बात नही ताऊ. मैं फ़िर बाद मे आकर दिखा लूंगा जब तू नशे में नही होगा.
|
अब अगले सप्ताह फ़िर मिलते हैं. तब तक के लिये नमस्ते. आपके सुझावों का स्वागत है.
संपादक मंडल :-
प्रधान संपादक, मुद्रक, प्रकाशक -ताऊ रामपुरिया
सलाहकार संपादक (पर्यटन) -सुश्री.अल्पना वर्मा
विशेष संपादक (प्रबंधन) - -सुश्री सीमा गुप्ता
तकनिकी संपादक -श्री आशीष खंडेलवाल
बधाई सबको ताऊ..
ReplyDeleteसुबह सुबह एक बात..
हम तो अकेले ही चले गये,
लोग जुड़्ते गये, कारं्वा बनता गया...
राम राम
ताऊ, सब विजेताओ को बहुत बधाई.
ReplyDeleteआपने, अल्पना जी, सीमा जी और आशीष भाई ने बहुत बेहतरीन जानकारी दी है, बहुत आभार.
आपका नशा उतर जायेगा तो भाटिया जी के साथ आकर और भी बातें कर लूँगा. अभी तो वो मेरे पास आकर ठहर गये हैं:)
अब इस पोस्ट में इतनी बातें -महत्वपूर्ण लोगों द्वारा महत्वपूर्ण बातें कि मेरा फोकस गडबडा गया है -क्या भूलूँ क्या याद करुँ !
ReplyDeleteताऊ अल्पना जी ने आमेर के किले की बहुत बढ़िया एतिहासिक जानकारी दी है इतनी बढीया जानकारी तो शायद किले में जाने पर भी न मिल पाए | एतिहासिक जानकारी देने के लिए अल्पना जी व प्रबंधन के गुर बताने के लिए सीमा जी को कोटिश: धन्यवाद !
ReplyDeleteऔर हाँ पहेली विजेताओ को हार्दिक बधाई !
ताऊ, विस्तृत कम्मेंट लिखने तब आऊँगा जब नशा उतर चुकेगा, अभी तो म्हारी छोटी टिप्पणी लिख लो जी.
ReplyDeleteपोस्ट घनी लम्बी हो गयी है, मगर सीमा जी की सलाह बहुत काम की लगी और आगे भी बहुत लोगों को बहुत काम में आओगी. उनका और आपका, दोनों का घना आभार!
अरविन्द जी की बात पर गौर करने की जरुरत है. आभार.
ReplyDeleteसब विजेताओ को बहुत बधाई!!!
ReplyDeleteमहत्वपूर्ण लोगों द्वारा महत्वपूर्ण बातें!!!
अल्पना जी, सीमा जी और आशीष भाई ने बहुत बेहतरीन जानकारी दी है, बहुत आभार!!!
पहेली विजेताओ को हार्दिक बधाई आल्पन जी की जानकारी बेहद उपयोगी और सराहनीय....., आशीष जी ने जो फ़िल्म शूटिंग दुर्घटना की जानकारी दी....वो पहले नही पता थी......सभी की मेहनत और प्रयास सराहनीय हैं.....मगर आज ये रामप्यारी कहाँ गयी.....कहीं दिखाई नही दे रही.......कितनी मेहनत की बेचारी ने १५ फिट के खंभे पर उछलने की....और नंबर हम लोगो की दिलवा दिए हा हा हा हा "
ReplyDeleteRegards
sabhi vijeta ko bahut badhai,alpanaji aur seemaji ke lekh bhi bahut pasand aaye.
ReplyDeleteआदरणीय ताऊ, आपका आभार कि आपने मुझे तकनीकी सलाहकार के रूप में प्रस्तुत किया। आपने सार्वजनिक जिम्मेदारी दी है, लेकिन पता नहीं इसे मैं पूरी तरह निभा पाऊंगा या नहीं (कारण आप जानते हो.. तकनीकी डॉक्टरी से अपना दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं। मैं तो नीम-हकीम हूं जो तकनीकी झाड़-फूंक कर मर्ज को भगाने का खोखला दावा करता हूं।)। खैर.. कोशिश जरूर करूंगा कि लोगों के भ्रम को बनाए रख सकूं।
ReplyDeleteअल्पना जी, सीमा जी और आशीष ने बहुत ही उपयोगी जानकारी दी ..सभी जीतने वालो को बहुत बहुत बधाई बहुत ही बढ़िया जानकारी मिल रही है इस पहेली श्रृंखला के माध्यम से ..शुक्रिया
ReplyDeleteबहुत खूब! बहुत खूब!!
ReplyDeleteशनिवार को टानिक मिल जाता है और सोमवार को "बूस्टर"! सारे हफ्ते के लिए ऊर्जा!!
लगे रहिये! आपने गजब का समां बांधा है. तभी तो आप हम सब के प्यारे ताऊ की पोस्ट के बेताज बादशाह हो!! (ताज की व्यवस्था की जा रही है. रिसेशन जरा खतम हो जाये!!)
सस्नेह -- शास्त्री
सभी जीतने वालों को बधाई !
ReplyDeleteताऊ, सभी विजेताओं को बहुत बधाई......
ReplyDeleteअल्पना जी,सीमा जी ओर आशीष जी ने बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की. आभार....
बधाई सबको ताऊ..
ReplyDeleteisi bahane kile ka saara itihaas pata chal gaya, wo bhi detail me. to alpana ji ko hardik dhanyavad.
ReplyDeleteaur sab vijetaon ko badhai :)
आपकी पत्रिका रंग जमा रही है। पर एक बात समझ में नहीं आती कि आप इत्ता काम अकेले कैसे कर लेते हो?
ReplyDeleteजानकारियों का ओवरडोज हो गया :-) वैसे एक सवाल मेरे दिमाग में भी आ रहा है इतना कुछ कैसे कर लेते हैं आप. लगता है जब से गोटू सुनार वाला मामला ख़त्म हुआ है ताऊ बड़ी फुर्सत में हैं.
ReplyDeleteपूरी पोस्ट पढ़्ने में बहुत वक्त लगा..ताऊ बहुत सारी बातें आ गई आज.. ताऊ एक ्बिन मांगी सलाह ये है कि अगर "प्रबंधन" का सेक्शन अलग कर किसी और दिन दें.. (जैसे रवी्वार) तो उसको पुरा ध्यान मिलेगा..
ReplyDeleteबाकी तो एकदम झकास.. घणी बधाई आपको और सभी भाग लेने वालो को..
राम राम
आज तो यह पूरी एक पत्रिका ही लग रही है..
ReplyDeleteताऊ जी,चित्र कम हैं तब भी ब्लॉग की फीड नहीं आई....
आशीष जी को तकनीकी सलाहकार संपादक बनने पर बधाई.
आशीष जी और सीमा जी द्वारा दी गई जानकारियां पढीं.ज्ञानवर्धन हैं.
-मैं यहाँ यह भी बताना चाहूंगी की इस किले में 'मुग़ले आज़म' के गाने की शूटिंग नहीं हुई थी.'प्यार किया तो डरना क्या'--गीत को फिल्माने के लिए निर्देशक के .आसिफ ने एक मिलियन रुपयों की लागत से सेट बनवाया था.और 'गूँज 'एफ्फेक्ट्स के लिए..उस गीत की रिकॉर्डिंग भी बाथरूम में की गई थी.क्योंकि उन दिनों आवाज़ में echo आदि डालने के लिए तकनीकी सुविधा नहीं थी.
-दूसरा 'डोली महल' आमेर नगरी का एक मुख्य आकर्षण है , यह आमेर के किले में नहीं है.
सभी ऐतिहासिक तथ्यों के साथ 'साल' लिखे गए हैं जो इन की सत्यता को बल देते हैं.
-यह तो आप जानते हैं कि कवि बिहारी उसी काल में हुए थे मगर..एक और बात जो मुझे बहुत नई और चौंकाने वाली लगी थी कि 'राजा मान सिंह प्रथम के बडे बेटे जगत सिंह को रामचरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी ने शिक्षा दी थी.'
आमेर किले के बारे में खोज करते करते कल मैं ने इतिहास का इतना कुछ जाना कि इस पूरे प्रकरण पर कई पन्ने लिखे जा सकते हैं.
आज की पोस्ट बहुत सफल रही.
ताऊ जी सहित जिन्होंने भी मेरे प्रयासों को सराहा है उन सभी को धन्यवाद .
सीमा जी का प्रबंधन व्याख्यान और आशिष जी का बालिवूड टिप ने साहित्यिक पत्रिका का कलेवर और निखार दिया है
ReplyDeleteबधाई ताऊ आपको....
ताऊ,
ReplyDeleteकितना बृहद और व्यवस्थित स्वरूप हो रहा है इस ब्लोग का. सभी अतिथी संपादकों का स्वागत, जो अब नियमित हो गये..
सीमाजी का समझाने का तरीका एक कहानी द्वारा, बेहद काम का है.अल्पनाजी का Homework कमाल का है.आशीष जी का तकनीकी सहयोग updated रखता है हम सभी को!!
ये सभी जानकारीयां Knowledge के लिये कितना ज़रूरी है.
पहेली विजेताओ को हार्दिक बधाई
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