संपादक की बात :-
प्रिय भाईयो, बहणों, भतीजो और भतीजियों, सबनै सोमवार सबेरे की घणी रामराम. और ताऊ साप्ताहिक के आठवें अंक मे आप सबका घणा स्वागत.
हमने अब से यह तय किया है कि हमारे प्रथम विजेता का साक्षात्कार अब से हम प्रति गुरुवार प्रकाशित किया करेंगे. क्योंकि साप्ताहिक पत्रिका का स्वरूप साक्षात्कार की वजह से कुछ ज्यादा ही अधिक हो जाता है.
इसी क्रम मे हम कहना चाहेंगे कि हमारे ताऊ पहेली-१ के प्रथम विजेता श्री अनुराग शर्मा (स्मार्ट ईण्डियन) का साक्षात्कार हमने पिट्सबर्ग जाकर पूरा कर लिया है. उसका प्रकाशन हम १२ फ़रवरी गुरुवार को करेंगे.
सभी प्रथम विजेताओं को उनके प्रमाण पत्र भेज दिये गये हैं. यहां ब्लाग के दाहिंनी तरफ़ ताऊ शनीचरी पहेली -८ के प्रथम विजेता का प्रमाण पत्र प्रदर्शित किया गया है. जो अगले विजेता यानि पहेली- ९ तक यहां लगा रहेगा. बाद में स्वत: ही अगले विजेता का लग जायेगा.
इस प्रमाण पत्र को हमारे भतीजे आशीष खन्डेलवाल ने अथक मेहनत से तैयार किया है. उनको हार्दिक धन्यवाद.
इस प्रमाण पत्र को देने के पीछे सुश्री अल्पना वर्मा जी का सुझाव और प्रोत्साहन था. और कलर डिजाईन सेट करने में सुश्री सीमा गुप्ता जी ने अपना महत्वपुर्ण योगदान दिया. इसके लिये हम आप दोनो का ही हार्दिक आभार प्रकट करते हैं.
मेगा फ़ायनल का प्रोग्राम आपको जल्द ही बताया जाया जायेगा.
प्रथम भाग - पर्यटन खंड :- |
जैसा कि काफ़ी सारे सही जवाब आये हैं यह चित्र सहेलियों की बाडी उदयपुर (राजस्थान) का ही है. हमें इस विषय पर सु. सीमा जी, सु. अल्पना वर्माजी और रंजना (रंजू भाटिया) जी से काफ़ी सारी जानकारी मिली है. आपका अतिशय आभार.
सुश्री अल्पना वर्मा जी ने ताऊ साप्ताहिक पत्रिका के पर्यटन से संबधित विभाग का संचालन करने का जिम्मा बतौर "सलाहकार संपादक" के रुप मे संभाल लिया है. इसी अंक से वो अपनी बात "मेरा पन्ना" शीर्षक से रखेंगी.
यह है सहेलियों की बाडी. इस पर हमारे पाठकों ने काफ़ी प्रकाश डाला है. कुछ पाठकों ने इसे सहेलियों की बावडी लिखा है. हो सकता है त्रुटिवश लिखा गया होगा. फ़िर भी भूल सुधार कर लिजीयेगा. बाडी राजस्थान मे बाग को कहते हैं और बावडी तो जल देती है कुये के जैसे.
उदयपुर एक खूबसूरत शहर है और दो प्रमुख झीलें हैं. पिछोला झील जहां कि प्रसिद्ध लेक पैलेस है. और सीटी पैलेस भी वहीं है. अक्सर लोग गफ़लत मे पड जाते हैं. आप साथ की तस्वीर से समझ सकते हैं जो कि सीटी पैलेस का कुछ हिस्सा दिखाकर लेक पैलेस पूरी तरह दिखाती है. असल मे आप इसे राजस्थान के महलों मे इसको सबसे बडा महल काम्पलेक्स भी कह सकते हैं.
दुसरी झील फ़तेहसागर है जहा की संजय उपवन और अन्य कई आकर्षण के स्थानों के अलावा आप यहां पैदल वोटिंग का आनन्द भी ले सकते हैं. साथ में हम उदयपुर का एक नक्शा यहां दे रहे हैं. इससे आपको सभी स्थानों को समझने मे सहुलियत होगी जिनके बारे में पठकों ने बताया है.
सीटी पैलेस मे अत्यंत सुन्दर म्युरल्स और पेंटींग
हैं जो मन मोह लेती हैं. इस पैलेस के गलियारे
कुछ संकरे हैं. इसका कुछ कारण तो हमे नही पता. पर लोकल पर्यटकों के सीजन मे यह आपको कुछ भीड भाड वाला लगेगा.
महल मे घुमते हुये यह मोर आपका ध्यान बरबस आपकी तरफ़ खींच लेता है. आप इस पर से नजरें नही हटा पाते हैं. लगता है जैसे आपको देख कर शरमा गया हो?
सीटी पैलेस का एक शानदार नजारा. पिछोला झील से लिया गया चित्र.
उदयपुर में मेरा साया, राजा जानी और गाईड जैसी अनेक सफ़ल और खूबसूरत
फ़िल्मों का फ़िल्मांकन भी हुआ है. जो आपने निश्चित ही देखी होंगी.
और ये है मशहूर लेक पैलेस होटल. यहीं पर जेम्स बांड की आक्टोपसी फ़िल्म का फ़िल्मांकन भी हुआ था. ये काफ़ी महंगा होटल है. अगर कुछ सैकडे रुपये खर्च करने की गुंजाइश हो तो कुछ स्नेक्स और काफ़ी का लुत्फ़ ऊठाना बडा आनन्द दायक रहेगा.
और कुछ हजार की सहुलियत हो तो रात के कैंडल लाईट डिनर के तो कहने ही क्या?बस तबियत रोशन कर देगा. एक बार जरुर किया जा सकता है. और एक यादगार अनुभव बन जायेगा. हमारा कहना है आप एक बार जरुर जायें, पैसे वसूल ना हो तो भाटिया जी से लेले. हमको तो भाटिया जी ही ले गये थे.
उदयपुर रेल, रोड और हवाईजहाज से जुडा हुआ है. यहां ठहरने के लिये आपको धर्मशाला से लेकर हर स्तर के होटल मिल जायेंगे. फ़िर भी आप हमसे पूछना ही चाहते हैं तो हम आपको राय देंगे कि आप "आनन्द भवन" में ठहरें जो एक ऊंची पहाडी जैसी जगह पर बना हुआ है, इसे RTDC संचालित करता है. बिल्कुल शाही अंदाज हैं और बहुत ज्यादा महंगा भी नही है. हम तो हमेशा पिछले २५ वर्ष से यहीं ठहरते हैं. उदयपुर के नक्शे में आप आनन्द भवन की स्थिति देख सकते हैं.सीजन मे जायें तो बुकिंग अवश्य करवा लें. खाना उदयपुर मे आपको हर अंदाज का मिल जायेगा. आप बच्चों के साथ एक बार अवश्य जायें. अफ़्सोस नही होगा.
यहां उदयपुर से आप चाहें तो ९० किलोमीटर दुर रणकपुर जा सकते हैं. यहां १४३९ में बने हुये बहुत ही खूबसूरत जैन मंदिर हैं. इन्हे देखना भी एक यादगार अनुभव रहेगा. और आपके पास यदि थोडा और समय है तो आप यहीं से माऊंट आबू भी जा स्कते हैं. अब माऊंट आबू के बारे में फ़िर कभी. और हां उदयपुर ट्रिप मे आप चाहे तो हल्दीघाटी, चितौडगढ और नाथद्वारा भी शामिल कर सकते हैं.
सलाहकार संपादक (पर्यटन) का पन्ना :-
मेरा पन्ना -अल्पना वर्मा नमस्कार. आइये आज इस पहेली के विषय और उससे जुडे शहर उदयपुर के बारे मे कुछ जानने की कोशीश करते हैं. पहेली के हिसाब से देखें तो आज पहेली के रूप में बहुत आसान पहेली दी ताऊ जी ने. और इसी लिये आज शायद सबसे ज्यादा विजेता हैं इस पहेली के पूरे ३०. पर इस माध्यम से जिस शहर से रुबरू करवाने की कोशीश की गई, वो वाकई देखने लायक शहर है. यानि झीलों की नगरी उदयपुर.
महाराणा फतह सिंह ने इस बाग़ का पुनर्निर्माण कराया था. इस बाग़ में मुख्य बडे ताल के चारों कोनो में शुद्ध काले संगमरमर की छतरियां बनी हैं . सुंदर फूलों की क्यारियाँ , कमल के फूलों के चार ताल , हर तालाब, में पानी का फव्वारा ,हर फव्वारा संगमरमर के चार सफ़ेद हाथियों से सुसज्जित है .
हर हाथी की मूर्ति को एक ही पत्थर से काट कर बनाया गया था.इन में यह ख़ास बात है इन में कोई जोड़ नहीं है..
ये फवारे बिना बरसात के मौसम के ही बरसात के मौसम जैसा अनुभव देते हैं.[बहुत ही रूमानी जगह हुआ करती होगी!!!अब भी पर्यटक यही अनुभव ले कर निकलते हैं कि जैसे परियों की भूमि से हो आए हैं! इन फव्वारों में ऊर्जा बचाने की तकनीक का इस्तमाल हुआ है..यह गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत पर काम करते हैं.जब फव्वारों से 'बारिश की आवाज़ 'के साथ जैसे पानी गिरता है उसी समय सफ़ेद हाथियों की सूंड से पानी ,कमल फूल की पंखुरियों पर गिरता है.और छतरी के चारों और से गिरता पानी बरसात का अनुभव देता है.
इस बाग़ के बारे में 'राजपूतों का इतिहास'[करनल टोड के अनुसार] किताब में लिखा है कि यह बाग़ उदयपुर की राजकुमारी को ४८ दासियों के साथ दहेज़ में दिया गया था.
यह किताब मैं ने पढ़ी है.इंगलिश में उन्होने इसे garden of Maids कहा है.
बहुत सी फिल्मों की शूटिंग यहाँ हुई है. देवानंद वहीदा की गाइड, सुनील दत्त साधना की मेरा साया, और अमिताभ सैफ़ की एकलव्य (यहां से ४७ KM दूर देवीगढ पैलेस मे) हुई है. एवम राजा जानी आदि फ़िल्में प्रमुख है.
और बांड सिरीज की फ़िल्म आक्टोपसी ( जिसमे रोजर मूर, कबीर बेदी और विजय अमृतराज ने अभिनय किया था ) का फ़िल्मांकन भी यहीं हुआ था.
महाराणा प्रताप (1542-1597) उदयपुर, मेवाड में शिशोदिया राजवंश के राजा थे। राजपूत साम्राज्य में मेवाड़ की राजधानी ,पहले चित्तोडगढ़ उस के बाद उदयपुर थी. उदयपुर को मुग़ल कभी छू भी नहीं पाये थे!
अब ये तो हुई उदयपुर की चर्चा. अब इस शहर और इसके शासकों यानि मेवाड के सिसोदिया शासकों के बारे मे कुछ जानते हैं.
'सहेलियों की बाड़ी' को बनवाने वाले महाराणा संग्राम सिंह [द्वितीय ]से जुडे कुछ रोचक ऐतिहासिक तथ्य जो अभी तक किसी पाठक ने नहीं दिए हैं, इस वजह से मैं जानकारी के लिए यहां प्रस्तुत कर रही हूं-
अधिक जानकारी हेतु ,यह उनकी अधिकारिक साईट है.http://www.mewarindia.com/
और अब अंत में ताऊजी का खूंटा भी जबर्दस्त और मनोरंजक रहा. आपको "मेरा पन्ना" कैसा लगा? अपनी अमुल्य राय अवश्य दिजियेगा. अगले सप्ताह फ़िर मिलते हैं. तब तक के लिये नमस्कार.
( सलाहकार संपादक पर्यटन ) |
द्वितिय भाग - पहेली विजेता खंड :- |
सहेलियो कि बाड़ी, उदयपुर..February 7, 2009 7:16 AM
तालियां..... तालियां..... तालियां..... जोरदार तालियां..... |
२. शुभम आर्य said... ताऊ ये तो सहेलियों की बारी ,उदयपुर, राजस्थान की फोटो है | अंक १०० |
३. वरुण जायसवाल said... सहेलियों की बारी ,उदयपुर, राजस्थान || February 7, 2009 7:27 AM अंक ९९ |
४. Ratan Singh Shekhawat said... सहेलियों की बाड़ी उदयपुर February 7, 2009 7:30 AM अंक ९८ |
५. Smart Indian - स्मार्ट इंडियन said... उदयपुर में महाराणा फतह सिंह के महल की "सहेलियों की बावडी" February 7, 2009 7:32 AM अंक ९७ |
६. Parul said... saheliyon kii baadi ..udaipur February 7, 2009 8:51 AM अंक ९६ |
ताऊ .. मुझे तो ये जगह उदयपुर (राजस्थान) स्थितसहेलियों की बाड़ी लग रही है। February 7, 2009 9:04 AM अंक ९५ |
८. दिलीप कवठेकर said... उदयपुर की सहेलियों की बाडी़. यहां कई हिंदी फ़िल्मों की शूटिन्ग भी हुई है, जैसे मेरा साया, राजा जानी आदि. February 7, 2009 9:18 AM अंक ९४ |
९. Tarun said... ताऊ ये उदयपुर राजस्थान की बाड़ी लग रही है बाकि डिटेल मालूम चलती है तो अभी बताता हूँ तब तक हमारा उत्तर लॉक कर लें। February 7, 2009 9:43 AM अंक ९३ |
१०. नीरज गोस्वामी said... ताऊ जी राम राम...
अंक ९२ |
११. ज्ञानदत्त । GD Pandey said... सहेलियों की बाड़ी?! February 7, 2009 9:44 AM अंक ९१ |
१२. seema gupta said... SAHELIYON-KI-BARI - Garden Udaipur February 7, 2009 10:17 AM अंक ९० |
१३. Pt.डी.के.शर्मा"वत्स" said... ताऊ यो है 'सहेलियों की बाडी' उदयपुर. February 7, 2009 10:24 AM अंक ८९ |
१४. रंजना [रंजू भाटिया] said... यह सहेलियों की बाडी राजस्थान उदयपुर है
..किंवदंतियों के अनुसार, राजा ने यह बाग़ स्वयं अपनी रानी के लिए बनवाया था शादी में , रानी के साथ उसकी 48 नौकरानियां भी थी . , .रानी इसको नौकरानियों के साथ यहाँ टहलने और अपना खाली समय बिताने के लिए प्रयोग करती थी ..सुंदर फूल और कई तरह के फल से सजा यह बगीचा अपनी और सहज ही आकर्षित कर लेता है
यह कई प्राचीन चित्रों और बीते समय की बातें इस जगह पर देखने पर मिल जायेगी . संगमरमर हाथियों में अनेक फव्वारे हैं यह बाग़ अपने कमल पूल और पक्षियों के लिए प्रसिद्ध हैं , फ़व्वारे.रंग बिरंगे फूल और हरे भरे बाग़ और संगमरमर के सुंदर काम किए चबूतरे से यहाँ एक रूमानी माहौल लगता है. अंक ८८
ताऊ उवाच : जी ये पंगा जरुर है जी. पिछले जन्म मे आप इस खूबसूरत शहर से रही होंगी इसीलिये तो आप इतना खूबसूरत दिल और दिमाग रखती हैं. बधाई आपको. |
१५. अल्पना वर्मा said... यह तस्वीर 'सहेलियों की बाड़ी' की है जो उदयपुर में है. अंक ८७ |
१६. poemsnpuja said... ये तो सहेलियों की बाडी है, उदयपुर में. पहली बार किसी पहेली का जवाब देने की कोशिस की है...पता नही गलत है या सही.
यहां पर एक म्युजियम भी है.जब गई थी तो सारे फ़व्वारे चल रहे थे. अब का पता नही ताऊ...निगेतिव मार्किंग तो नही है ना रोंग आन्सर के लिये? February 7, 2009 11:43 AM अंक ८६
ताऊ उवाच : आप तो बस जवाब दे दिया करिये, फ़िर ताऊ गलत को भी सही कर देता है. और ताऊ की क्लास मे रात को दस बजे नकलपट्टी होती है जमकर. तो गलत जवाब भी हो तो काफ़ी चांस है बदल कर सही के लिये.:)
और नम्बर में आप से नीचे तो बहुत भरे पडे हैं. आपने तो खाता ही सीधे ८६ नम्बर से खोला है. सो फ़िक्र नही करना. बस पहले नम्बर पर आने की कोशीश चालु रहे. वैसे एक दो दिन में पूरी मेरिट लिस्ट लगने वाली है, उससे मालूम पडेगा कि आप कौन से नम्बर पर हैं. ( आपके रोमन जवाब का हिंदी अनुवाद कर दिया गया है,) |
१७. दीपक "तिवारी साहब" said... ताऊ मैं तो आज शनीवार को सोकर ही १२ बजे ऊठा हूं। ये कौन सा मकबरा लगा दिया आज? तो आज की जीत हमारी पक्की समझूं? जितवा देना यार ताऊ, नही तो हमारी पण्डताईन भी ताई से कम नही है।:) February 7, 2009 12:40 PM अंक ८५ |
१८. makrand said... उदयपुर सहेलियों की बाडी है. हम यहां घूम के आ चुके हैं। सौ प्रतिशत पक्का . यहीं पर लेक पैलेस होटल भी है. February 7, 2009 12:48 PM अंक ८४ |
१९. HEY PRABHU YEH TERA PATH said... "ताऊ की शनीचरी पहेली - ८" February 7, 2009 3:59 PM अंक ८३ |
२०. Arvind Mishra said... यह उदयपुर की सहेलियों की बाडी है ! February 7, 2009 6:25 PM अंक ८२ |
21. jitendra said... sahalion ki bari udaipur rajasthan February 7, 2009 6:56 PM अंक ८१ |
२२. Rudra Tiwari said... Tau ye photo "Sahelion Ki Baari" ki hai. Rajsthan ke Udaipur sahar me hai.
अंक ८० |
२३. प्रकाश गोविन्द said... ताऊ जी नमस्कार February 7, 2009 7:41 PM अंक ७९ |
२४. दिवाकर प्रताप सिंह said... ताऊ जी, ये सहेलियों की बारी, उदयपुर, राजस्थान की फोटो है | February 7, 2009 10:25 PM अंक ७८ |
२५. PD said... सहेलियों की बारी ,उदयपुर
अंक ७७
ताऊ उवाच : बहुत सही जा रहे हो. एकदम ताऊ के पद चिन्हों पर चल रहे हो. मुझे तो तुम्हारे लक्षण ताऊ होने के लग रहे हैं. कहीं तुम ही तो ताऊ नही हो? |
२६. Anil Pusadkar said... सहेलियों की बारी ,उदयपुर का चित्र है ये। February 7, 2009 11:13 PM
अंक ७६ |
२७. राज भाटिय़ा said... ताऊ भई इतनी आसान पहेली मत ना पुछया कर ,रात २,३० बजे मेने आप की पहेली पढी, ओर देख कर बहुत हंसी आई कि कितनी आसान पहेली पुछ रहा है ताऊ, जबाब लिखने लगा की मेरी लुगाई मेरे धोरे आ गई, फ़िर सोचा की अगर मे ने इसे **सहेलियो की बाडी** लिखा तो, नाशता कोन देगा,
यही नही तो यह लो मै लालू की कसम खा के कहता हुं, अरे अभी भी यकीन नही तो इस बार मै सोनिया की कसम खा के कहता हुं, मुझे इस का जबाब तो दो सप्ताह पहले ही पता था,
फ़िर दोपहर को लिखने लगा, फ़िर आ गई हमारे दिल की चेन, फ़िर डर के मारे नही लिख पाया, ओर अब वो एकता कपुर के नाटक देख रही है सोचा जलदी से लिख दुं... कि यह तो मेरी सहेलियो की बाडी है, जहां हम स्कुल से भाग कर सब खेला करते थे, February 8, 2009 1:22 AM
अंक ७५ |
२८. नितिन व्यास said... सब दोस्त और सहेलियां कह ही रही हैं तो फिर सहेलियों की बाडी ही होगी! ये ही मेरा भी जवाब। February 8, 2009 6:31 AM अंक ७४ |
२९. प्रवीण त्रिवेदी...प्राइमरी का मास्टर said... सहेलियों की बावड़ी!! February 8, 2009 8:51 AM अंक ७३
ताऊ उवाच : बिल्कुल डंके की चोट आप सही कह रहे हैं. आखिर ताऊ की संगत का असर दिखाई पडने लग गया.:) |
30. Udan Tashtari said... सहेलियो कि बाड़ी, उदयपुर.
ताऊ उवाच : आप चिन्ता ही मत करो जी. नम्बरों मे सब घाल घुसेड कर दूंगा. :)
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निम्न सभी सभी भाई, बहनों, भतीजों और भतिजियों का आभार, जिन्होने किसी ना किसी रुप मे यहां आकर हमारा हौंसला बढाया.
योगेन्द्र मौदगिल , अनिल कान्त : , काजल कुमार Kajal Kumar , mehek ,
Shastri , परमजीत बाली , mamta , दिगम्बर नासवा , गौतम राजरिशी ,
आपका ताऊ मैं हूं , indrani , Bhairav , Science Bloggers Association ,
सुशील कुमार छौक्कर , मोहन वशिष्ठ , कुश , मुसाफिर जाट , pallavi trivedi ,
तृतिय भाग - पाठकों द्वारा दी गई विविध जानकारी |
आईये इस भाग मे हम देखते हैं कि दोलताबाद के किले के संबंध मे हमारे माननिय पाठको ने क्रमवार क्या जानकारी दी है?
ताऊ, इस बार कोई संशय नहीं.. झिलों के शहर उदयपुर में सुखाडि़या सर्कल के पास.. फतेह सागर के रास्ते में यह जगह है.. सहेलियों की बाड़ी..ये फव्वारा और पीछे दिखते लाल फूल.. और ये १८ वी सदी में महाराजा संग्राम सिह में बनाया ्रानीयों के लिये.. और उन्होने खुद ही इसका डिजाइन बनाया... क्योकीं उनकी रानी दहेज में ४८ दासीयां लाई थी.. तो उनकी मौज मस्ती के लिये बना दी "सहेलियों की बाड़ी".. ताऊ ये पहेली भी आपकी नं १ जैसी सरल थी.. कुछ ढुढ़्ने की जरुरत नही..:).. |
फतेहसागर झील के किनारे 1734 में महाराणा संग्राम सिंह द्वितीय द्वारा सहेलियों की बाड़ी रानी व उनकी 48 सहेलियों / दासियों के सम्मान में बनाई गई थी। यह एक सजा-धजा बाग है। इसमें, कमल के तालाब, फव्वारे, संगमरमर के हाथी और कियोस्क बने हुए हैं। |
Tarun said...
सहेलियों की बाड़ी - गार्डन आफ रॉयल लेडीज Saheliyon ki Bari lies just beneath the Fateh Sagar Lake. Maharana Sangram Singh II designed this garden in the early 18th century purely as a pleasure garden and a summer palace for the 48 young maids that formed a part of the prince’s dowry.
It is also said that the garden was presented as a peace offering from the Emperor of Delhi. Inside the garden is a reservoir surrounded by four black marbled cenotaphs in its four corners and one white marbled one in the centre.
The terraces of these cenotaphs have water fountains shaped like birds from whose beaks water gushes out in thin sprays like the singing rain – producing a wonderful sight. The Maharanas entertained themselves around the four ornamental pools and the five fountains.
These fountains were imported from England in 1889. Maharana Bhopal Singh specially was very fond of this place and built a rain fountain, so that it looked like rain dancing on the dancing maids. |
seema gupta said...
SAHELIYON-KI-BARI - Udaipur |
seema gupta said...
Saheliyon Ki Bari उदैयपुर का सबसे खुबसुरत बाग़ है. ये बाग़ अपने हरियाली बडे बडे लॉन अद्भुत कला और फव्वारों के लिए मशुर है . English translation of Saheliyon Ki Bari means "Garden of maids". ये बाग़ फतह सागर झील के किनारे बना है.जो १८ century में महाराणा संग्राम सिंह ने royal ladie के लिए बनवाया था.
कहा जाता है ये बाग़ महाराणा द्वारा ख़ुद ही डिजाईन किया गया था और उन्होंने ये बाग़ अपनी रानी को गिफ्ट किया था. दरसल रानी के विवाह के समय उनके साथ ४८ मैड्स उनके साथ आई थी...और उन सब को राजनीती और महल के माहोल से दूर कुछ खुबसुरत लम्हे बिताने के लिए ये बाग़ बनाया गया था. ये बाग़ चार पानी के झरने और अनेको फव्वारों और संगमरमर के हाथियों से सुस्जित है अपनी इस कला और संगमरमर के गलियारे बडे बडे हरियाली से भरे लॉन , पक्षियों के घोंसले एक रूमानियत भरे माहोल का आभास देते हैं. Garden of Maids is actually a place to visit by any visitor to this city. The crystalloid fountains, lotus pool, marbled elephants sprinkling water and many more attractions provide truly a picturesque sight to behold. |
seema gupta said...
उदयपुर, राजस्थान का झीलों और बागो का शहर जाना जाता है. विलक्षण मनोहर झीलों , हरे भरे विशाल उद्यानों का सौन्दर्य और फिजा अनायास ही पर्यटको को अपनी और आकर्षित करते हैं. उष्णदेशीय वातावरण और झीलों के कारण यहाँ इतने बडे पमाने पर बागों को निर्मित करना आसान है.गुलाब बाग़ और सज्जन निवास बाग़ अपने असाधारण गुलाब के फूलो के लिए विख्यात है.
Nehru Island बाग़ , गुरु गोविन्द सिंघ बाग़ (Rock Garden) ,अरावली वाटिका , मीरा बाग़ , माणिक्य लाल वर्मा पार्क , Nehru Municipal Children's Park, पंडित दीन दयाल उपाध्याय पार्क और मोती मगरी पार्क उदयपुर के कुछ मशहुर बाग़ और पर्यटन स्थल है. जिनमे मोती मगरी बाग़ और माणिक्य लाल वर्मा बाग़ अपने सूर्य अस्त के नज़ारे के लिए विख्यात हैं. Regards
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चतुर्थ भाग : मौज मस्ती |
नीचे कुछ मनोरंजक टिपणियां और खूंटा प्रेमियों की विशेष टिपणियां दे रहे हैं.
Ratan Singh Shekhawat said... ताऊ थारी पहेली तो घणा ज्ञानवर्धन करा रही है धीरे धीरे भारत के कई स्थानों की जानकारी इस पहेली प्रतियोगिता के माध्यम से हो जायेगी !
और खूंटे का तो कोई जबाब ही कोनी ! |
योगेन्द्र मौदगिल said... या फोटू किसी न किसी मकबरे की सै... सब से अधिक गलत जवाब देने वाले के लिये भी इनाम होना चाहिये... |
अनिल कान्त : said... ताऊ मजे आ गए .....सेंडिल का किस्सा सुन |
Shastri said... वाह ताऊ जी, वाह क्या चित्र दिया है. हम तो पहचानने की कोशिश करते करते हैरान हो गये. हमारे शहर ग्वालियर में तो नुक्कड नुक्कड पर इस तरह के ढांचे नजर आ जाते है -- सिंधिया राज में यह शैली वहां बहुत आम हो गई थी. इस कारण चित्र तो एकदम देखा लगता है, लेकिन अब पता नहीं ग्वालियर की किस गली का होगा. |
Anil Pusadkar said... ताऊ फ़िर आऊंगा अभी थोड़ा माहौल बना नही है। पढ-लिख कर आता हूं
और स्पेलिंग भी चेक कर लूंगा आई एम सारी की वर्ना कहीं अप्……………॥ |
नीरज गोस्वामी said... ताऊ जी राम राम...हमें अभी तक समझ नहीं आया की आप ने हमारी टिपण्णी को काहे छुपा लिया है जबकि हम सब से पहले बता दिए थे की ये उदयपुर में इस्तिथ "सहेलियों की बाड़ी" का चित्र है
...कोई राज दीखता मन्ने इस छुपाने के पीछे...आप को जकीन न आ रहा होगा की क्लास में पीछे बैठने वाला छोरा सही जवाब कैसे दे रहा है...है ना? |
अल्पना वर्मा said... आज की पहेली बहुत ही आसान लगी.विवरण शाम को दे पाऊँगी.धन्यवाद. खूंटा हमेशा की तरह मजेदार है. धन्यवाद |
taau..............manne को न bera से.......... |
गौतम राजरिशी said... चलिये ताऊ इस एक पहेली का जवाब तो पता है मुझे,क्योंकी ये मेरे ही देहरी पे लगा फव्वारा है |
देख ताऊ, भाई ताऊ तूने भी खूब ही चाल्हे पाड दिये. लितर खाकै।:) |
सुशील कुमार छौक्कर said... जगह तो घणी सुधरी है। जी करण लागा है कि यही घर बना कर रहने लगूँ।
और खूंटा तो हर बार की तरह अच्छा है।
और आज तो उसमें एक स्माईली भी लगा रखा है। बहुत खूब। |
राज भाटिय़ा said... अरे ताऊ जबाब तो आता कोनी, पर युं ताई भीझण लाग रही है, इस ने कोई छतरी वतरी दे दे बीमार पड गई तो रोटी कोन बनावैगा? |
मोहन वशिष्ठ said... ताऊ राम राम |
कुश said... khoonta khoonta khoonta.... laaya laaya laaya... |
मुसाफिर जाट said... ताऊ रामराम, |
Ratan Singh Shekhawat said... अर ताऊ.. एक सुझाव... |
किसी प्रोब्लम के कारण हम चित्र तो नहीं देख पा रहे हैं!
लेकिन खूंटा पढ़कर हंस जरूर लिए! |
अभिषेक ओझा said... सरेंडर किए दे रहे हैं. अब गेस करने का कोई फायदा तो है नहीं इसमें :( |
प्रकाश गोविन्द said... वाह ताऊ वाह अगर आपको ज्यादा जानकारी चाहिए हो तो
अन्य टिपणी :
प्रकाश गोविन्द said... ताऊ आप सबका इम्तिहान लेते रहते हो , आज मैं आपका इम्तिहान लेना चाहता हूँ ! नीचे जो जानकारी अंग्रेजी में लिखी है आप उसका हिन्दी में अनुवाद करके बताओ :
ताऊ उवाच : ताऊ की अंगरेजी घणी कमजोर सै. आज का खूंटा पढलो. सारी (sorry) की अंगरेजी तो ताऊ को आती नही , फ़िर इत्ती बडी अंगरेजी का अनुवाद क्युंकर कर सकता है ताऊ? |
मैंने सोरी की स्पेलिंग रट ली है |
अब अगले सप्ताह फ़िर मिलते हैं. तब तक के लिये नमस्ते. आपके सुझाओं का स्वागत है.
प्रधान संपादक, मुद्रक, प्रकाशक -ताऊ रामपुरिया सलाहकार संपादक (पर्यटन) -सु.अल्पना वर्मा |
Oye Tau, Aaz ka khunta kahan hai??
ReplyDeleteAlpna ji ko Sampadak hone ki badhai.
ताऊ सबसे पहले तो प्रथम विजेता रंजन जी को बधाई ! और सु. अल्पना वर्माजी को सहेलियों की बाड़ी के साथ महाराणा संग्राम सिंह जी के बारे में एतिहासिक जानकारी देने के लिए हार्दिक धन्यवाद !
ReplyDeleteइस पहेली के माध्यम से राजस्थान के पर्यटन केन्द्र उदयपुर के बारे में अच्छी जानकरी मिली !
विजेता को बधाई! ताऊ हम ने तो सवाल भी यहीं आ कर देखा है।
ReplyDelete"पहेली के प्रथम विजेता रंजन जी को बधाई , अल्पना वर्माजी को सहेलियों की बाड़ी के साथ महाराणा संग्राम सिंह जी के बारे में एतिहासिक जानकारी देने के लिए धन्यवाद और मेरा पन्ना के संचालन के लिए शुभकामनाये "
ReplyDeleteRegards
विजेताओं की लिस्ट मे नाम देखकर,बहुत मज़ा आता है,चाहे वो नकल मारकर ही क्यों न आया हो।एक बात और है ताऊ मेरे जैसे ताकू-झांकू बहुत सारे हैं इसलिये बिना शर्माए कह रह हूं कि जिनकी सहेलियों की बाडी है वे असलची है और जिनकी सहेलियों की बारी है मेरे जैसी वो तो अब मैं अपनी और अपन्र भाईयो की तारीफ़ क्या करूं……………॥मज़ा आ जाता है इसी बहाने।बधाई आपको पहेली की लगातार बढती लोकप्रियता की।
ReplyDeleteहमने तो पहेली में भाग ही नही लिया था. कौन नाक कटाए. अल्पना जी का उअदैपुर के बारे में वर्णन अत्यधिक प्रभावी रहा. आभार.
ReplyDeletesabhi vijetaon ko ghani badhai
ReplyDeleteवाह ताऊ.. अब बस हरयाणवी सिखा दो.. मैं भी ताऊ के दौर में आ जाऊंगा.. :)
ReplyDeleteसभी विजेताओं/अविजेताओं/प्रयोजकों को हार्दिक बधाई.
ReplyDeleteवाह ताऊजी वाह्! बहुत जानकारी से भरपूर उत्तर.
ReplyDeleteसारे विजेताओं को बहुत बधाईया!!
आजकल तो आप एक वटवृक्ष के समान फैलते ही जा रहे हैं. हमारी शुभकामनाये! ताऊ नही फैलेंगे तो क्या चाचा फैलेंगे!!
सस्नेह -- शास्त्री
विजेता रंजन जी को बहुत बहुत बधाई.
ReplyDeleteऔर सभी ३० विजेताओं को भी बधाई.
प्रथम पहेली विजेता 'स्मार्ट इंडियन[अनुराग जी]के साक्षात्कार की प्रतीक्षा रहेगी.
प्रथम विजेता के लिए प्रमाण पत्र बहुत अच्छा है.
इसे विजेता अपने ब्लॉग पर भी लगा सकते हैं.
**ताऊ जी आप ने तो मुझे 'पर्यटन सलाहाकार 'बना कर मेरी जिम्मेदारी तो बढ़ा दी है लेकिन जो सम्मान दिया है ,उस के लिए मैं आप की आभारी हूँ..पहले मैं जानकारियां लिखते समय थोड़ा सचेत रहती थी की कहीं डुप्लीकेट या बहुत ज्यादा न हो जाएँ!
अब मुझे एक पन्ना दिया है ,पूरा प्रयास करुँगी की दी गई जानकारियां रोचक और ज्ञानवर्धक हों और जरुरत पड़ने पर references भी दिए जाएँ.
मगर मैं पहेलियों में पहले की तरह भाग लेती रहूंगी,क्योंकि उन्हें बूझने के बाद ही 'मेरा पन्ना' लिख पाऊँगी.
'ताऊ साप्ताहिक पत्रिका' हेतु बहुत सी शुभकामनाएं!
विजेता को बधाई। ये जगह तो घणी सुथरी स। ऐसा लागे से कि यहाँ तो जाना ही पड़ॆगा। समय की कमी है पोस्ट नही पढ पाया बस फोटो ही देखे है।
ReplyDeleteआप की' ताऊ साप्ताहिक पत्रिका 'की updated फीड किसी भी ब्लॉग पर नहीं दिख रही है.
ReplyDelete[पिछले २ हफ्तों से मैं ने यह नोट किया है.] बाकि सभी दिन जो भी aap ki नई पोस्ट होती है वह हमारे ब्लॉग पर आ जाती है.
केवल 'सोमवार 'की पोस्ट की फीड अपडेट नहीं हो रही है ,कृपया जांच करवा लिजीयेगा.
वाह ताऊ, बहुत मेहनत हो रही है आजकल! सब तुम्हारा प्यार है!
ReplyDelete---
चाँद, बादल और शाम
अल्पना जी को बधाई...और इतनी जानकारी देने के लिए धन्यवाद. चलो पहले अटेम्प्ट में पास तो हो गए. वैसे इस पहेली का जवाब के लिए तो थैंक्स मेरे पापा को जाता है, अगर हम उदयपुर नहीं घूमने गए होते तो ये जवाब भी हमें नहीं आता. :) ओपनिंग तो अच्छी रही मेरी. थैंक्स ताऊ.
ReplyDeleteरंजन जी को बधाई ..अल्पना जी ने 'मेरा पन्ना "बहुत ही बेहतरीन ढंग से लिखा है ..उनको मेरा पन्ना के संचालन के लिए बहुत बहुत शुभ कामनाये .यह पन्ना भविष्य में इतिहास में जानकारी रखने वालो के लिए वो भी हिन्दी में बहुत उपयोगी साबित होगा ..आशीष जी ने बहुत अच्छा प्रमाण पत्र बनाया है ..यह जीतने वालों के लिए एक अच्छी याद के रूप में साथ रहेगा ..अब अगली पहेली का इन्तजार शुरू .ताऊ जी तो बधाई के पात्र हैं ही इस रोचक ज्ञानवर्धक पहेली श्रृंखला के लिए ..
ReplyDeleteउदयपुर में दिलचस्पी बढ़ा दी है अल्पना जी ने ..जयपुर -जोधपुर तो घूम चुका हूँ...पर अब लगता है यहाँ भी घूमा पड़ेगा...वैसे हारने वालो के लिए किसी इनाम की घोषणा की बात सुनी थी
ReplyDelete@अनुराग जी,मैं ख़ुद उदयपुर कभी नहीं गई..
ReplyDeleteहाँ ..मेरे[मायके]परिवार के सभी सदस्य वहां हो आए हैं,शाही परिवार से भी मिल चुके हैं.विदेश में रहने के कारण मैं उन मौकों से चूक गई.
ईश्वर ने चाहा तो अगली छुट्टियों में वहां जाएंगे.
- इस पत्रिका का उद्देश्य ही यह है कि ज्यादा से ज्यादा इन्टरनेट उपयोगकर्ता 'भारत ,के पर्यटक स्थलों को जाने और उन में रूची जागे.
हारने वाल इनाम तो हमे ही मिलेगा जी..
ReplyDeleteताऊ का खूँटा चोरी हो गया.. बल्ले बल्ले
इस बार हम वंचित रह गए. जरा यात्रा पर थे.
ReplyDeleteखूंट्टा पाड़ कै लेग्या झोट्टा.
ReplyDeleteताऊपोस्ट म्हं पड़ग्या टोट्टा.
ढूंढ ल्या ताऊ, जल्दी वर्ना...
जरमन वाला लट्ठ सै मोट्टा.
यार भाटिया छौ म्हं आग्या,
फेंक रहया लास्सी का लोट्टा.
किते अल्पना-सीमा जी भी,
ताई बांधेगी इब जोट्टा.
जानकारी के लिए धन्यवाद
ReplyDeleteये लो मैं तो उदयपूर मेम एक साल रहा हूं--वहां के एकलिंग गढ़ कैंटोनमेंट में और शायद यहां गया भी था दो-एक बार..
ReplyDeleteचलो,ये जीतते जीतते रह गया
राम राम ताऊ.. सभी विजेताओं को बधाई.. और भाग लेने वालों को भी... आपने अल्पना जी को मेरा पन्ना का संपादक बना नेक काम किया.. सारी जानकारी सटीक रूप से मिलेगी.. मेहनत तो वो टिप्पणी में करती हैं.. ये बहुत अच्छा रहा.. ताऊ हर बार कुछ नया लाते हो..
ReplyDeletefeed वाली समस्या तो है.. भतीजे को पकड़ो..
राम राम
ताऊ वो तेरा खुंटा भेंस तुडवाके भाग गई क्या, ओर सुनो कई दिनो से आप क फ़ीड मेरे किसी भी ब्लांग पर नही आ रहा,क्या बात है
ReplyDeleteओर सभी जीतन आलो को बहुत बहुत बधाई.
राम राम जी की
अरे अल्पना जी को भी बहुत बहुत बधाई
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