माननिय भाईयों, बहणों और बेटियो सबनै ताऊ की तरफ़ तैं २६ जनवरी गणतन्त्र दिवस की घणी बधाई और रामराम. ताऊ साप्ताहिक पत्रिका के अंक ६ में आपका हार्दिक स्वागत है. |
गणतन्त्र दिवस के बारे में आप खुद ही ताऊ से ज्यादा जानते हो, तो हम क्या बतायें? वैसे बालकों के काम की बात यानि बताशे खाने बचाने की बात मुसाफ़िर जाट ने बिल्कुल सही बताई हैं. |
आज के दिन हमे जो मौलिक अधिकार मिले, उसी की कृपा है कि आज हम ऐसी ऐसी बाते भी कर लेते हैं. शुक्र है इन्दिरा गांधी और आपातकाल नही है. :) वर्ना तो .... |
प्रथम भाग पर्यटन खंड :- |
साप्ताहिक पत्रिका के इस खंड मे आपको पहेली-६ मे पूछे गये सवाल यनि रणथम्भोर दुर्ग की कुछ जानकारी देते हैं.
आइये रणथम्भोर दुर्ग की कुछ तस्वीरे देखते हैं. इस तस्वीर मे आप साफ़ दुसरी पहाडी यानि रण नामक पहाडी देख पा रहे हैं और इस तस्वीर को पहेली मे लगाने के पीछे ये भी एक क्ल्यू था.
इस तस्वीर मे आप जो कुआं देख रहे हैं उसके ठीक सामने रणथम्भोर पार्क मे एन्ट्री वाला गेट है. और किले मे चढने का गेट तो साफ़ दिखाई दे ही रहा है.
दुर्ग मे चढते समय रास्ते मे पदने वाला एक और गेट.
पहाडी की चोटी पर काफ़ी समतल मैदान है. जहां की सब महलों इत्यादि का निर्माण है. यहां पर लंगूर बडि संख्या मे पाये जाते हैं. नजर चूकते ही आपके हाथ का खाने पीने का सामान इनके हाथों मे हो सकता है. हमारे साथ दो बार ऐसा हो चुका है.
ये हैं इस दुर्ग पर बने त्रिनेत्र भगवान गणेश जी के मन्दिर की मुर्ती. जन जन की आस्था का ये प्रतीक हैं. निजी रुप से हमारे यहां इन भगवान गणेश जी को शादी ब्याह, होली दिवाली का सबसे पहला पत्र इनको ही लिखा जाता है. रोज तो जाना नही होता और जाकर भी बुढौती मे दुर्ग पर अब चढा नही जाता, सो दुख सुख की सब बाते हम तो एक पत्र लिख कर डाक मे डाल देते हैं.
अगर आपको भी श्रद्धा हो और गणेश जी को निमंत्रण देना हो तो पता बिल्कुल सीधा साधा है. श्री गणेश जी महाराज, पोस्ट - रणथम्भोर. यकिन किजिये इतने से पते से ही आपका पत्र इन विघ्न विनाशक तक पहुंच जायेगा. और पुजारी जी बाकायदा इनको पढ कर सुना भी देगा. कभी आप वहां जायें तो देखेंगे कि पुजारी जी बाकायदा इनको डाक से आये पत्र पढ कर सुना रहे हैं.
ये हैं रणथम्भोर पार्क के दो मतवाले टाईगर. हमको एक बार तो बहुत नजदीक से देखने का मौका मिला जब ये हमारी जीप के सामने ही आकर हमसे नाम पता पूछने लगे- कहां से और क्यों आये हो ताऊ?
पार्क के अंदर का ये सनसेट आपको बार बार इस पार्क मे आने का निमंत्रण सा देता लगता है. आप सब कुछ भूल कर इस प्रकृति के नजारे में खो से जाते हैं.
अगर मौका लगे तो आप भी एक बार अवश्य जाये> भाई आप तो यहीं रहते हो. पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिन्टन साहब तो यहां छुट्टियां बिता कर गये हैं. यकीन किजिये आपको यहां आकर बहुत मजा आयेगा.
अब आपको यहां आना ही है तो ये नक्शा देख लिजिये. यहां रहने ठहरने के लिये हर स्तर के लाज, रिसोर्ट्स और होटल्स हैं. और नजदीकी रेल्वे स्टेशन है सवाई माधोपुर, और हवाई अड्डा है जयपुर.
हमारे वरिष्ठ मा. दिनेशराय जी द्विवेदी तो इस जगह के बिल्कुल नजदीक ही विराजते हैं.
(यहां कुछ चित्र गूगल सर्च से लिये गये हैं, किसी को आपति हो तो हटा दिये जायेंगे)
द्वितिय भाग - पहेली विजेता खंड :- |
"ताऊ की शनीचरी पहेली-६": के कुल १८ सही जवाब मिले. पहेली शुरु मे लग रहा था कि काफ़ी मुश्किल हो रही है. पर उम्मीद के विपरीत काफ़ी सही जवाब आये. हमने शनीवार रात १२ बजे के बाद ही सही जवाब वाली टीपणियां पबलिश की. और डिटेल वाली टिपणीयां रविवार सुबह १० बजे बाद. उसके बाद जो जवाब आये, उनकी कहानी खुद उन्ही की जबानी सुनेंगे.
आईये इस पहेली के सही विजेताओ से आपको मिलवाते हैं.
आज की प्रथम विजेता seema gupta said...
मुझे तो ये रणथम्भोर फोर्ट लग रहा है......
Regards - January 24, 2009 10:14 AM
घणी बधाई प्रथम स्थान के लिये. सर्वाधिक अंक प्रात किये १०१.
तालियां..... तालियां..... तालियां..... जोरदार तालियां.....
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२. Parul said...
ranthambore.fort January 24, 2009 11:10 AM अंक १००
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३. शुभम आर्य said...
मिल गया जवाब, पहले वाला जवाब बदल दे |
यह तो रणथम्भोर का किला अर्थार्त Ranthambhor फोर्ट है |
जो सवाई माधोपुर शहर , राजस्थान में है |
January 24, 2009 12:15 PM अंक ९९
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४. वरुण जायसवाल said...
रणथम्भोर फोर्ट. सवाई माधोपुर के निकट, राजस्थान
January 24, 2009 12:39 PM अंक ९८
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५. दीपक "तिवारी साहब" said...
ताऊ, ये तो रण्थम्भोर का किला है. मुझे तो तुम्हारे ब्लाग पर दाहिनी तरफ़ की गनेश जी की फ़ोटू देख कर समझ आरहा है.
यहां पर गणेश जी को लोग बाकायदा शादी ब्याह का निम्न्त्रण भेजते हैं डाक द्वारा और डाकिया इस किले जाकर सब डाक गनेश जी को देता है.
गनेश जी ने एक पुजारी भी इस काम के लिये रखा हुआ है जो उनको सारी चिठ्ठियां पढ कर सुनाता है.
आप तो लोक करो जी. क्युंकी रणथम्भोर के शेर भी दिख रहे हैं और वो की वो जगह है जी. हम गये हैं वहां पर.
January 24, 2009 1:19 PM अंक ९७
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६. अल्पना वर्मा said...
राजस्थान का 'रन्थम्बोर का किला है..जहाँ यह त्रिनेत्र गणेश जी हैं.और tiger खुले में घुमते हैं--यह जगह मेरी देखी हुई है --वहीँ ऐसे waterfall भी बरसात के मौसम में दिखते हैं... अब यह जवाब ही अन्तिम है.
January 24, 2009 1:45 PM अंक ९६
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७. राज भाटिय़ा said...
ताऊ जी यह तो मुर्ती है गणेश मंदिर माधोपुर की, बाकी समान भी यही होना चाहिये...
Ranthambhore
National Park
बाकी पता कर के लिखता हुं...:) January 24, 2009 2:25 PM अंक ९५
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८. makrand said...
ताऊजी, पिछले साल हम एक शादी मे गये थे भरतपुर। वहां से रणथम्भोर का बाघ क्षेत्र देखने गये थे। बाघ तो नही दिखे पर हिरण और लंगूर वहां खूब दिखे.
आपने जो साईड मे फ़ोटो लगाये हैं वो बाघ और जो कुये का फ़ोटो है, यह उसी के मेन गेट का है जहां से सफ़ारी मे ले जाने के लिये जीप मे बैठाया जाता है।
समयाभाव मे इस किले पर तो नही चढ पाये , पर है ये वो ही रणथम्भोर का किला।
लोक करो जी आप तो. आज पहला विजेता शायद मैं ही बनूंगा। :)
January 24, 2009 3:49 PM अंक ९४
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९. नितिन व्यास said...
ताऊ जी, आज तो मेरा जवाब पहला होना चाहिये
ये फोटो है रणथंभौर के किले का!
जानकारी विस्तार से दूसरी टिप्पणी में
January 24, 2009 4:38 PM अंक ९३
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१०. आशीष खण्डेलवाल said...
वाह ताऊ... खूब घुमाया... माथा पच्ची की इंतेहा गई.. पर तकनीकी ब्लॉगर हूं इसलिए तकनीक से तोड़ निकाला है...
जी यह जगह है रणथम्भौर ... हा हा हा...
पहली बार पहेली में भाग ले रहा हूं और सच मानो आपका सबसे पक्का भतीजा बनने की जुगत में हूं.. चापलूसी करूं तो मेरे नंबर बढ़ सकते हैं क्या??? ताऊ आप वाकई महान हो...
January 24, 2009 4:44 PM अंक ९२
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११. प्रवीण त्रिवेदी...प्राइमरी का मास्टर said...
Ranthambore fort
January 24, 2009 6:34 PM अंक ९१
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१२. रंजना [रंजू भाटिया] said...
Ranthambhore...रणथम्भौर है..याद आ गया ताऊ जी ..यहाँ जो मन्दिर है वह गणेश जी का है और यहाँ कभी कभी टाइगर देवता भी दिख जाते हैं ....यह कुछ दिन पहले डिस्कवरी चेनल पर भी आया था ..और बिल किलंटन ताऊ जी भी यहाँ गए थे ..
January 24, 2009 7:29 PM अंक ९०
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१३. दिलीप कवठेकर said...
पहली नज़र में ये औरंगाबाद का किला लगा. बिलकुल इसी तरह के चित्र है.
मगर टाईगर, और मंदिर नें फ़िर भरमा दिया.अब तस्वीर स्पष्ट है.
ये रणथंभोर का किला है.सवाई माधोपुर से करीब है. रणथंभोर का नेशनल टाईगर पार्क में प्रोजेक्ट टाईगर पर १९७२ से कार्य किया गया. यहां मंदिर भी है, मगर इसके बारे में पूरी जानकारी नही है.
असीरगढ के किले में मंदिर और टाईगर नहीं है. बांधवगढ में सफ़ेद टाईगर है, और किला नहीं.
अरावली और विंध्य पर्वत श्रेणी के बीच फ़ैले पर्वतों के बीच एक पर्वत के चोटी पर दसवीं शताब्दि में ये किला बनाया गया. राजपूत शैली के आर्किटेक्चर में बनें इस किले में मंदिर भी है. औरंगाबाद के किले में मंदिर नहीं या टाईगर भी नही.
राजस्थान और मालवा (म.प्र.) के बीच इस संरक्षित वन का नाम है Sawai Madhopur wildlife sanctury (1955). ये शायद वही गणेश मंदिर है, जहां एक पोस्ट ऒफ़िस भी है. यहां हर शादी पर पहला invitation भगवान को दिया जाता है.
January 25, 2009 12:19 AM अंक ८९
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१४. रंजन said...
ताऊ, आज तो मेरा जबाब भी बदल दो.. पता नहीं क्यों गच्चा खा गया.. पर आज बाकी जबाब पढ़ फिर से (री) सर्च मारी.. दायी और की सारी फोटो तो रणथम्बोर की है.. और पहेली वाली फोटो भी किसी जंगी किले की है... ्लॉक करो.."रणथम्बोर किला"..पर ये खुद का खोजा नहीं है... नकल से..
राम राम
January 25, 2009 9:02 AM अंक ८८
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१५. Pt.डी.के.शर्मा"वत्स" said...
लो जी एक बार ओर पलटी मार लेते हैं.
म्हारा भी नया जवाब "रणथम्बौर".
नोट कर लियो ताऊ..........
पोस्ट में दाहिने तरफ जो तस्वीरें लगा रखी हैं. ,उसमे सीढियों वाली तस्वीर, जिसमें दिवारों पर कुछ नाम वगैरह लिख रखे हैं, उस तस्वीर में दरवाजे के पास एक दिशा सूचक बोर्ड लगा हुआ है. जिस पर 'अंधेरी गेट' लिखा है.
बस उसी बोर्ड नें दिमाग में जगह बना ली.ओर मन महाराष्ट्र ओर मध्यप्रदेश में ही घूमता रहा.
January 25, 2009 10:37 AM अंक ८७
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१६. Udan Tashtari said...
ताऊ, इब क्या कहें..समय ही निकल गया १२ बजे का..तब जा कर पसीना बहाते ढ़ूंढ़ पाये कि यह तो रणथम्बौर है जी..हमारे दिनेश राय द्विवेदी जी घर के पास. सोच रखा है कि जब द्विवेदी जी के पास जायेंगे तो रणथम्बौर भी जायेंगे. मगर अभी तो फिस्स हो गये १२ बजे के समय के चक्कर में. १ या २ पाईंट मिल सकते हैं क्या साफ सफाई के. :)
बहुत मस्त पहेली रही भई.
January 25, 2009 2:25 PM गुरुजी एक दो क्यों ? पूरे लो जी. अंक ८६
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१७. purnima said...
ताऊ यह तो १- रणथम्भोर का किला हे राजस्थान में हे . २- इसमे त्रिनेत्र गणेश जी बिराजमान हे.
यह किला बहुत प्रसिद्ध हे. गणेश जी भगवन के मन्दिर में जो हमारी मुराद होती हे वह पुरी हो जाती हे
३- रणथम्भोर में ही sanctuary he.
जहा सभी शेर वगेरह देखने आते हे .
January 25, 2009 2:54 PM अंक ८५
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१८. प्रकाश गोविन्द said...my correct answer is :
Ranthambore fort January 25, 2009 5:29 PM अंक ८४
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निम्न भाइ बहणों ने भी इस पहेली अंक-५ मे किसी न किसी रुप मे टिपणी करके सहभागिता करके हमारा उत्साह वर्धन किया. आप सबका सादर हार्दिक आभार !
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तृतिय भाग - पाठकों द्वारा दी गई विविध जानकारी |
seema gupta said... "ताऊ जी ने आज ब्लॉग पर सुभाष चन्द्र जी की तस्वीर बदल कर सिहं की फोटो क्यूँ लगाई...ये सोचने वाली बात है....फ़िर रंजना जी की बात पर कुछ ध्यान दिया तो समझ आ रहा है की है तो ये राजस्थान ही का कोई मन्दिर या किला.....सिंह का चित्र और राजस्थान ये दोनों हिंट हैं इस पहेली के .... अब तो ये पक्का है मेरा जवाब लाक किया जाए ये रणथम्भोर फोर्ट ही है......बाकि जानकारी बाद में देती हूँ ...." |
seema gupta said... रणथम्भोर fort का निर्माण चौहान राजपूत शासको द्वारा सवाई माधोपुर शहर के पास राजस्थान सीमा पर ९४४ मे किया गया था . ७ किलोमीटर लम्बी दीवारों और घने जंगलों से घिरे ७०० फिट ऊँची पहाडी पर बने इस किले का नाम दो पहाडियों के नाम को जोड़ कर बना है, जिस पहाडी पर ये बना है उसका नाम है थम्भोर और साथ वाली पहाडी का नाम है रण...जिससे इसका नाम रणथम्भोर पडा.
इस किले के अंदर बहुत सारी इमारते हैं hammirs court, badal mahal, dhula mahal, and phansi ghar... जिनमे अधिकतर युद्ध और समय के साथ विध्वंस हो चुकी हैं...इस किले के अंदर एक बहुत पुराना भगवान् गणेश जी का मन्दिर है जहाँ बहुत से तीर्थ यात्री आतें हैं...इस मन्दिर के बारे मे ये कहा जाता है की आज भी लोग गणेश जी के नाम पत्र लिखते हैं और अपनी परेशानी और व्यथा उन तक पहुंचाते हैं और डाकिया आज भी उस मन्दिर तक ये पत्र पहुंचता है और मन्दिर का पुजारी कर पत्र को भगवन गणेश के सामने पढ़ कर सुनाता है....इस मन्दिर और रणथम्भोर नेशनल पार्क की वजह से जगह बहुत मशूहर है... |
अल्पना वर्मा said... पहली बार देखा था तो लगा था कि यह जगह रणथम्भोर तो नहीं [मन की आवाज़ को सुन लेना चाहिये]लेकिन ऐसा लगा Tau जी तो मध्य प्रदेश के बारे में ही पूछते हैं हमेशा -तो वहीँ ढूंढा जाए! |
अल्पना वर्मा said... राजस्थान --महान और वीर प्रतापी महाराजाओं और राजाओं का राज्य! त्रिनेत्र गणेश जी का मन्दिर यहीं है.वह मुख्य प्रवेश द्वार के पास है.इस मन्दिर की बहुत मान्यता है.गणेश चतुर्थी पर यहाँ बाघ खुले में घूमते भी देखे जा सकते हैं[?]ऐसा मैं ने वहां के लोगों से सुना था--ये बाघ कभी किसी को नुक्सान नहीं पहुंचते.किले के पूर्वी भाग में काफी जंगल है .प्रय्तकों को सलाह दी जाती है की वे किले के उस भाग में न जायें. यह किला कब बना--यह एक विवाद है.-माना जाता है की ८ वीं शताब्दी में चौहान राजपूत राजा सपलदक्ष नें ९४४ AD में बनवाना शुरू किया था. अन्तिम चौहान राजपूत राजा राव हमीर थे.अलाउद्दीन खिलजी ने १३०१ में इस पर कब्ज़ा कर लिया.१७६५ में यह सवाई मान सिंह के हाथोंमें वापस आई. --रणथम्भोर को बाघों की भूमि भी कहा जाता है.'रणथम्भोर राष्ट्रीय बाघ पार्क 'यहीं है. -कहा जाता है कि राजा हमीर और खिलजी के साथ चले [कई वर्षों तक हुए] युद्ध के समय राजा को सपने में भगवान गणेश जी ने दर्शन दिए और सुबह त्रिनेत्र वाले गणेश जी कि मूर्त किले कि एक दिवार पर छपी पाई गयी. सभी गोदाम भर गए..चमत्कार हुआ!वहीँ बना उनका मन्दिर--साथ में रिद्धि -सिद्धि [उनकी पत्नी]और पुत्र-शुभ और लाभ कि भी मूर्ति रखी गयी साथ में मूषक जी भी विराजे! रणथम्भोर बेहद खूबसूरत जगह है..बरसात के मौसम में जरुर dekhne जायें...जगह जगह गिरते जल प्रपात आज भी याद हैं मुझे.. |
अल्पना वर्मा said... आज सच में बहुत घूमी लेकिन नागपुर के रामटेक के बारे में काफी जानकारी मिली-शिवाजी के किले भी देखे--जय हो ताऊ जी की पहेलियाँ !! कितना कुछ है हमारे भारत में!
कई लोग पत्रों द्वारा ही अपनी व्यथा भगवान को लिख भेजते हैं, और कहते हैं कि गणेश जी उनकी व्यथा पत्र द्वारा सुनकर दूर कर देते हैं. लोगो मे ऐसी मान्यता है. |
नितिन व्यास said... राजस्थान में रणथंभौर का किला चौहान राजपूतों ने 944 ई. उस स्थान पर जहां रण और थंभौर नामक पर्वत मिलते है, बनवाया था। इस किले की परिधि करीब ७ किमी है इस किले के अंदर रामलला जी , गणेशजी, और शिव जी के मंदिर है इस किले के नाम पर ही राष्ट्रीय उद्यान का नाम रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान रखा गया। |
राज भाटिय़ा said... लो ताऊ जी हम दोवारा से भेज देते है इस का जबाब. Ranthambor Fort :- The history of Sawai Madhopur revolves around the Ramthambhor fort. Surrounded by Vindhyas and Aravalis, amidst vast and arid denuded tracts of Rajasthan, lies the oasis of biomass in an ecological desert, the Great Ranthambhor . No one knows when this fort was built. There are various places of historical interest inside the fort namely Toran Dwar, Mahadeo Chhatri, Sameton Ki Haveli, 32 pillared Chhatri, Mosque and the Ganesh Temple. |
‘रणथम्भौर’’ शब्द की व्युत्पत्ति ‘‘रण’’ व ‘‘थम्भौर’’ इन दो शब्दों के मेल से हुई है। ‘‘रण’’ व ‘‘थम्भौर’’ दो पहाडियां है। थम्भौर वह पहाडी है जिस पर रणथम्भौर का विश्व प्रसिद्घ किला स्थित है और ‘‘रण’’ उसके पास ही स्थित दूसरी पहाडी है। रणथम्भौर का किला लगभग सात किलोमीटर के विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है, जहां से रणथम्भौर राष्ट्रीय पार्क का विहंगावलोकन किया जा सकता है। उन्होनें बताया कि रणथम्भौर दुर्ग भारत के सबसे पुराने किलों में से एक माना जाता है। इस किले का निर्माण सन् 944 ए.डी. में चौहान वंश के राजा ने करवाया था।
इस दुर्ग पर अल्लाउदीन खिजली, कुतुबुद्दीन ऐबक, फिरोजशाह तुगलक और गुजरात के बहादुरशाह जैसे अनेक शासकों ने आक्रमण किये। यह मान्यता रही है कि लगभग 1000 महिलाओं ने इस किले में ‘जौहर’ किया था। ‘‘जौहर’’ (जिसके अंतर्गत किलों को अन्य शासक द्वारा जीत लेने पर वहां की निवासी राजपूत महिलाएं अपने ‘शील’ की रक्षा के लिए जलती आग में कूद कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर लिया करती थी।) उन्होंने तथ्यों का हवाला देते हुए बताया कि ग्यारहवीं शताब्दी में राजा हमीर ने और सन् 1558-59 में मुगल बादशाह अकबर ने इस दुर्ग पर अपना अधिकार जमाया था। अंततः यह दुर्ग जयपुर के राजाओं को लौटा दिया गया था, जिन्होंन दुर्ग के आस पास के जंगल को शिकार के लिए सुरक्षित रखा।
जंगल के संरक्षण की यही प्रवृत्ति बाद में रणथम्भौर राष्ट्रीय पार्क के अभ्युदय का कारण बनी और आज देश-विदेश से सैलानी यहां बाघ और अन्य वन्य प्राणियों को देखने आते हैं। |
रणथम्भौर- सवाई माधोपुर जिला मुख्यालय से 13 किमी. की दूरी पर स्थित रणथम्भौर का दूर्ग राजस्थान के महत्वपूर्ण दुर्गों में से एक हैं। ऊंची पहाडी पर स्थित इस दुर्ग में त्रिनेत्र गणेशजी का भव्य मंदिर स्थित हैं।
यहाँ देश के कौने-कौने से श्रृद्धालु आकर शादी-विवाह, फसल की बुवाई एवं अन्य मांगलिक अवसरों पर गणेशजी को प्रथम आमंत्रण देते हैं। गणेशजी के इस पवित्र स्थान पर वर्ष भर यात्रियों का तांता लगा रहता हैं तथा प्रत्येक बुधवार को यहाँ आने वाले यात्रियों की भीड लघु मेले का रूप ले लेती है।
रणथम्भौर दुर्ग अपनी प्राकृतिक बनावट तथा सुरक्षात्मक दृष्टि से भी अद्वितीय स्थान रखता हैं। ऐसा सुरक्षित, अभेद्य दुर्ग विश्व में अनूठा हैं।
दुर्ग क्षेत्र में गुप्त गंगा, बारहदरी महल, हम्मीर कचहरी, चौहानों के महल, बत्तीस खंभों की छतरी, देवालय एवं सरोवर ऐतिहासिक दृष्टि से महत्पवूर्ण हैं।
दुर्ग में स्थित हम्मीर महल में पुरातात्विक महत्व के हथियार जिरह बख्तर एवं अन्य महत्वपूर्ण सामग्री उपलब्ध हैं। |
चतुर्थ भाग : मौज मस्ती |
Arvind Mishra said... अजन्ता एलोरा ! पहला जवाब ,दूसरा जवाब पचमढी ,तीसरा जवाब नहीं मालूम !जो लाक करना है कर ले ताऊ ! |
मिश्राजी तीसरा जवाब लाक कर लिया जी. पूरा एक नम्बर आपका जमा. :) |
शुभम आर्य said... ताऊ इस स्मारक के बारे में कुछ हिंट तो दीजिये | अब मैं संपूर्ण भारत भ्रमण तो नही किया हूँ | |
देखना कही बिना वीजा पासपोर्ट चीन मे मत घुस जाना. साम्यवादी हैं वहां. :) |
देख भई ताऊ ऐसा है कि मध्य प्रदेश का "म" तक तो हमने देखा नही है और तू हमें ये टूटी सीढ़िया दिखा रहा है वो भी इतनी दूर से कि टेलिस्कोप से भी कुछ ना नजर आये। छुटपन में ऐसी एक ही जगह देखी थी, रामटेक मंदिर लेकिन वो नागपुर के पास है यानि महाराष्ट्र और तू ताऊ ना मध्य प्रदेश छोड़ेगा ना राज भाटिया (जी)।
इसलिये ये होना तो शायद मध्य प्रदेश में ही चाहिये, कुछ भी हो सकता है - ओरछा के चतु्र्भुजी मंदिर को जाने का रास्ता, या खजुराओ जाने का कोई पीछे का रास्ता जहाँ से ताऊ या उसकी भैंस ही जा सकती हो, दूसरा अमरकंटक भी तो कोई जगह है ना ताऊ हो सकता है वहीं का कुछ हो। ताऊ एक काम और कर ले थोड़ा पहले फोटु खींचना सीख आ, फोटु फोकस करके खींची जावे है ऐसे नही कि मध्य प्रदेश की फोटु खींचनी हो और ऐसा लगे कि दिल्ली पर बैठ के खींची है। (ऊपर के कमेंट के लिये इज्जत वाले suffix यहाँ से ले लेवें - नाम के पीछे जी, तू की जगह आप, तेरे की जगह आपकी) |
देख भाई तरुण जी, मध्यप्रदेश म्हारी कर्मभूमि और राज भाटिया म्हारा बड्डा भाई सै. तो इन दोनुआं नै क्युंकर छोडूंगा? :) इब थमनै यो खजुराओ दिखरया सै त म्ह के करूं?:) इब रही फ़ोटू खींचने वाली बात तो भाई सुण - इब थम एक रिटर्न टिकट थारै पास आणे का भेज दे और मन्नै ट्रेनिंग दिलवा दे उडै. इब ताऊ तो बुढौती म्ह ऐसी ही फ़ोटु खींचेगा. वैसे बतादूं कि मैने जिस हेलिकोप्टर से ये फ़ोटू लिया था तब उसका पायलेट थोडा अनाडी और सिखतोड था सो वो घणा हालण लाग रया था, और मन्नै रण और थम्भोर दोनू पहाडियां की फ़ोटू खींचणी थी. इस वजह से खराब आई. और हां भाई एक अच्छा सा हेलीकोप्टर भी दिलवा देना मेरे को. फ़िर बढिया फ़ोटू खींच के दिखाऊंगा. :) और इब सफ़िक्स लगाण आली बात. तो भाई सुण ले म्हारै आडै तो सफ़िक्स नाम की चिडिया होती कोनी. पर आडै तो किसी के नाम के आगे श्री नही लगाने पर ही लोग टांग खींच लेते हैं.:) और आपने तो यहां ५ / ६ किलो वजन के सफ़िक्स नही लगाये हैं. वैसे भाई ताऊ तो गोल और चिकना पत्थर सै. कोई धीरे २ सहलायेगा तो चिकना चिकना ठंडा २ आराम देगा. और कोई आकर खुद का सर ही दे मारेगा तो सर उसी का फ़ूटेगा. इसमे ताऊ का अपना कोई स्वभाव नही है. सो जिसको जैसा व्यवहार रखना हो रख ले. अपने को तो सफ़िक्स की कोई जरुरत नही सै. किसी को हो तो लगाले. |
संजय बेंगाणी said... किस मूँह से कहें कि पता नहीं, अतः मान लें हम यहाँ आए ही नहीं. :( |
ऐसे कैसे मान लें जी? आपको यहां आने का एक नम्बर भी दिया है. आप तो बस ऐसे आकर बच्चों का हौसला बढाते रहिये. आज मा. शाश्त्री जी भी आगये हैं. |
Anil Pusadkar said... फ़िर से कर देना ताऊजी। |
गलत जी, सोलह दुणी ४ होगा. :) (square root) . देखा, ताऊ भी पढा लिखा है. :) |
अल्पना वर्मा said... आज नहीं मिलता हल..कई जगह देख लिया..थोडी देर में फिर खोज करती हूँ--क्या होता है--जब एक नई जगह के बारे में मालूम होता है तो उसी के बारे में जानने में समय लग जाता है-जैसे रामधाम के बारे में नयी जानकारी मिली---दिमाग को कहीं बंद कर के -सोचूंगी थोडी देर बाद--पहले के सारे जवाब कैंसल कर दिए जायें--- |
अरे राम राम..आप दिमाग को कहीं बंद मत कर देना जी. वर्ना ये पहेली तो बैठ ही जायेगी. और आप जो जानकारी मुहैया कराती हैं उसका बोझ भी हमको ही ऊठाना पड जायेगा जी. :) |
रै ताऊ.. म्हारा कमेंट रो काईं हुयो.. मैं तन्ने लिख्यो कि यो रणथम्भौर है.. सवाई माधोपुर माय.. और ई जगह पर गणेशजी को मंदिर है और टाइगर को अभयारण्य भी है.. पर म्हारो कमेंट तो नजर ही कोनी आयो... |
रै भाई, थारा कमेंट अभयारण्य म्ह टाईगर धौरै चढ गया था, मुश्किल तैं बचा के ल्याया सूं. जा, जरा जल्दी तैं ताऊ की तरफ़ तैं इस खुशी म्ह रावत की मिश्री मावा खिलाकै मुंह मीठा करवादे सबका. :) और तैं भी खा लिये. |
Dilip Gour said... ताऊ, |
इब घुमण आले तो सारी दुनियां तैं आया करै सैं. कोई भी लिख कै जा सकै सै. पर थम आये जवाब दिया ये भी घणा चोखा काम सै. अगली शनीवार फ़ेर आजाईयो जी. |
Vidhu said... orchaa madhyprdesh lag rahaa hai |
नही जी, ये रणथम्भोर है जी. आपके पधारने का धन्यवाद. |
प्रकाश गोविन्द said... ताऊ आपने ये क्या किया ? |
अरे राम राम हमसे तो घोर पाप होग्या दिखै भाई. कोई बात ना जी, थम म्हारी तरफ़ तैं एक डुबकी गंगा जी म्ह लगा लियो जी. :) वैसे किसी को बताना मत, आपका ये कमेण्ट देख कर ही हमने असली कमेंट पबलिश किये थे आपको जितवाने के लिये. :) |
ताऊ ये तो सबसे मुश्किल पहेली थी.. न ही गुगल बाबा काम आये न हि विकी बहना..उपर से आपके हिटं.. एक को पकडे तो एक छोर और दुसरा ले जाये दुसरी और.. और तो और आपने मरवाने वाले काम भी करे.. "एक वरिष्ठ ब्लागर के घर से यह जगह ज्यादा से ज्यादा १०० किलोमीटर दूर है.".. अब यहां कितने वरिष्ठ है.. एक के घर के बगल ्वाली जगह बात दि तो दुसरा समझेगा.. अच्छा ये मुझे वरिष्ठ नहीं सम्झाता... मेरे घर के बगल में भी तो किला है..:) |
भाई मुश्किल म्ह भाई बहन कोई भी काम ना आया करैं. और भाई ताऊ ओ सिर्फ़ और सिर्फ़ लिखा पढी म्ह ये काम करै सै.:) इब तो थम जीतगे ना? |
गौतम राजरिशी said... ये सिंहगढ़ किला तो नहीं ताऊ |
इब तो आपके पसंद की पहेली का ही जुगाड करणा पडैगा. बताओ जी कहां की पूछें? आपने भाग लेकर हम सबका उत्साह बढाया ये भी जीत ही है जी. |
Udan Tashtari said... १२ बजे के पहले बता दे रहे हैं-ताऊ, जुगाड़ लगा देना भाई..तैं तो म्हारा अपणा है. :) |
देखो गुरुजी, आपको जितवा दिया है चेले ने. पर किसी को कानोंकान खबर ना होने पाये. जरा ध्यान रखियेगा. आपतो बस एक जवाब खिसका दिया करो. :) |
ताऊ..............मन्ने तो टाइम काड दिया सोचते सोचते..........इब देखीथारी टिप्पणी १२. बजे जवाब भेजण की, हम तो फ़ैल हो गए |
भाई कोई ये बात थोडी थी जी. आप जवाब देते तो हम तो रात को १२ बजे भी जितवा देते आपको.:) आगे से ख्याल रखना जी कि अंक तो कभी भी आने से दिये ही जायेंगे. |
Shastri said... चताऊजी, आज पता चला कि "दांतों तले पसीना आना" किसे कहते हैं. सौभाग्य से मुजसे पहले कई लोग पसीना कर खडे हैं. पुनश्च: ब्लागेरिया से एवं कर्नाटका के जंगलों से मुक्त होकर अब कोच्चि में वापस आ गया हूँ. |
आप आज की टिपणियों मे देखले कि ऐसा काम करने वालों मे हमारे गुरुजी आज अग्रणी हैं कहीं उन्होने आपके नाम से भी नही कर दी हो टिपणि. आप वापस आगये, बडी खुशी हुई. हमको भी इलाज करवाने जाना है. :) सैम से हमारा समझौता फ़िलहाल हो गया है. आगे के लिये ध्यान रखेंगे. :) |
पत्रिका का अंतिम भाग |
Smart Indian - स्मार्ट इंडियन said... ताऊ मन्नै तो यो शिवाजी महाराज का रायगढ़ का किल्ला दीखै सै! म्हारा इनाम कित सै इब? |
मित्र पित्सबर्गिया ने आज समयाभाव मे भी तीन प्रयत्न किये. आपके द्वारा की गई होसला अफ़्जाई से ही यह पहेली आयोजन सफ़लता की और बढ रहा है. मित्र इस आयोजन की सफ़लता ही आपका ईनाम हैं. आप पुर्ववत हमारी होसला अफ़्जाई करते रहें , आपसे यही उम्मीद है. |
अल्पना वर्मा said... आज नहीं मिलता हल..कई जगह देख लिया..थोडी देर में फिर खोज करती हूँ--क्या होता है--जब एक नई जगह के बारे में मालूम होता है तो उसी के बारे में जानने में समय लग जाता है-जैसे रामधाम के बारे में नयी जानकारी मिली---दिमाग को कहीं बंद कर के -सोचूंगी थोडी देर बाद--पहले के सारे जवाब कैंसल कर दिए जायें--- |
आज सू. अल्पना जी ने ५ गलत जवाब दिये और छठी बार सही जवाब के साथ विजेता बनी. आपके गलत जवाबॊं के चक्कर मे कई जवाब आज गलत हो गये. क्योंकी आपका असली जवाब हमने अंत तक छुपा कर रखा था. सब जगह पहेली मे लोग आपको निर्विवाद रुप से फ़ोलो करते हैं. लेकिन आज लोगों को मालूम पडा होगा कि आप कितने डेडीकेशन से पहेली का हल ढूंढती हैं. आपकी जितनी तारीफ़ की जाये कम हैं. आपका जितना सहयोग मिल रहा है. उससे हमको बहुत आसानी हो जाती है. ताऊ पहेली आपके द्वारा दिये सहयोग के लिये आपकी आभारी है. और हमारे इन दर्शनिय स्थलों के बारे मे लोगो को जागृत करने के काम मे आप जो सहयोग दे रही हैं, वो हमेशा याद किया जायेगा. आपसे भविष्य मे भी इसी सहयोग की अपेक्षा है. |
Udan Tashtari said... मुझे तो ओरछा मध्य प्रदेश ही लग रहा है. बाकी तो पचमढ़ी मैं अभी तक गया नहीं, इतना नजदीक है कि कभी जा ही नहीं पाये. |
गुरुदेव समीर जी, आपको नमन है. मान बढाने के लिये आपने ६ प्रयत्न करके ये पहेली जीती. आपका अमुल्य सहयोग इन धरोहरों के प्रति जन चेतना बढाने मे बहुत सहायक होगा. आपसे निवेदन है कि आपका सहयोग और मार्ग दर्शन मिलता रहेगा. |
और निम्न टिपणि कर्ताओं ने भी आकर हमारी खुंटे की और सैम को पसंद कर होसला अफ़्जाई की. आपका बहुत बहुत आभार और भविष्य मे भी हमारा होसला बढाते रहें. यही निवेदन है.
विवेक सिंह said... ताऊ जी आपका फाइव किक फॉर्मूलाजबरदस्त है ! |
आज की पहेली का चित्र हमारी समझ में नहीं आया। कहानी अच्छी है। सैम को बेचने का इरादा ही गलत था। सिक्का तो सिक्का होता है काम आता है, भले ही खोटा हो। |
Gyan Dutt Pandey said... यह तो साफ हो गया कि सैम बड़ा स्ट्रेटेजिस्ट और नेगोशियेटर है। इस इमेज को कायम रखियेगा। |
सुशील कुमार छौक्कर said... देखा हमने कहा था कि इस सैम को मत बेचो कभी भी काम आ जाऐगा देखा आज काम आ गया। अजी फाइव किक वाला फॉर्मूला बड़ा ही तगड़ा है। इस किक से कुछ याद आ गया पर फिर कभी। और हाँ पहेली, तो जी अपन नही जानते। हिंट तो लगता है काफी है। पर कोई भला मानस घुमा हो तब ना। वैसे जी आपको एक सलाह दे रहा हूँ जब ये पहेलियाँ खत्म हो जाए तो जिस जिस ने पहेलियों के जवाब गलत या नही दिये है उन्हें आपको घूमाने ले जाना चाहिए पहेली वाली जगहों पर। है ना अच्छी सलाह। हा हा हा ....। |
डॉ .अनुराग said... हम तो जी खूंटा पकड़ने के लिए आए थे .. |
हम तो खूंटे पर ही मगन हैं ताऊ! |
विक्रांत बेशर्मा said... ताऊ जी आपका "फाइव किक रुल" बड़ा ही शानदार लगा |
मोहन वशिष्ठ said... आप सभी को 59वें गणतंत्र दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं... जय हिंद जय भारत |
योगेन्द्र मौदगिल said... खूंटा ईबकै घणा लांबा होग्या पर किक कमाल की मारी ताऊ....... जै हो सैम बहादुर की.. |
और अंत मे आप सबका आभार. आपको इस साप्ताहिक पत्रिका का स्वरुप कैसा लगा? आपके सुझाव सर आंखों पर. कृपया अपने अमुल्य सुझाव जरुर देने की कृपा करे. धन्यावाद. |
छपते छपते :-
अभी हमने रविवार रात १० बजे यह पोस्ट पूरी करके मेरिट लिस्ट बनाने का जुगाड लगा रहे थे कि श्री प्रकाश गोविंद जी की निम्न टिपणि आगई है. उसको भी छाप रहे है.
प्रकाश गोविन्द said... दास्ताँ - ए - ताऊ पहेली :--
दीवारों पर लिखे अनेक नामों के January 25, 2009 8:51 PM |
इस अंक के बारे में अपनी राय अवश्य देवें आपकी राय हमारे लिये अमुल्य है.
इस साप्ताहिक अंक के, संपादक,प्रकाशक, मुद्रक यानि सब कुछ : ताऊ रामपुरिया
इब रामराम. कल मंगलवार को कविता के साथ मिलेंगे.
ताऊ
ReplyDeleteये जो कार्य आप कर रहे हैं और जिस तरह का समर्थन इस कार्य का बढ़ता जा रहा है, यह चिट्ठाकारी के इतिहास का एक स्वर्णिम पहल के रुप में हमेशा दर्ज रहेगा.
ऐतिहासिक धरोहरों से अन्तरजाल के माध्यम से खेल खेल में रुबरु कराने, उनके विषय में उम्दा जानकारी उपलब्ध कराने का इस बेहतर शायद ही कोई तरीका हो.
आप साधुवाद के पात्र हैं और मेरी बधाई एवं शुभकामनाऐं सदैव आपके साथ है.
आपसे बातचीत होना और आपके मन में अपने प्रति स्नेह देखना, यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है. बनाए रखिये.
अब आपको, ताई को और सैम एवं बीनू फिरंगी को गणतंत्र दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं.
ताऊ मेरा चानस तो इस बार भी गया -एक नबर से क्या होवे है -मैं इस किले को शायद देख भी चुका हूँ पर याद ही नही रहा !
ReplyDeleteताऊ , सीमा गुप्ता जी , पारुल जी और बाकि सभी विजेताओं को मेरी ओर से ढेरों शुभकामनाएं |
ReplyDeleteआज की पत्रिका का नया रूप अत्यन्त मनोरम बन पड़ा है , इसमें आपका असाध्य परिश्रम झलक रहा है |
पहेली बड़ी ही रोचक रही |
अंत में सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ||
आइये आज मेरे साथ गणतंत्र दिवस मनाते हैं .........................|
http://chitrvichitra.blogspot.com/2009/01/blog-post_26.html
धन्यवाद ||
गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं !
ReplyDeleteसभी विजेताओं को जीतने की बधाई !
आगे और पीछे से प्रथम आने वाले सभी विजेताओं को बहुत बहुत बधाई,
ReplyDeleteइस मंदी के दौर में रिटर्न टिकिट, हैलिकॉप्टर और कैमरा? ताऊजी फोटु तो बहुत ही बढ़िया था, एंगेल भी जबरदस्त तभी तो इतने लोगों ने पहचान लिया। लगता है अपनी ही आँखों में कुछ लोचा हुआ है।
राम राम ताऊ.. बहुत लम्बा रिस्लट छापा.. पढ़ कर मजा आया.. ये पहेली बहुत शानदार रही.. और इसने पल्टी मारने के नये रिकार्ड बनाये..
ReplyDeleteहम तो फ़िर फ़ेल हो गये ताऊजी। अगली बार फ़िर ट्राई करेंगे।
ReplyDelete'aap sbhi ko gantantr divas ki hardik subhkamnayen. Sbhi vijetaon ko bdahiyan... Tau je aadrniy sameer ji ke baat se hum bhi sehmat hain, ye pheli aayojn din ba din rochak hota ja rha hai or ghr baithe bharat darshan ho rha hai..' Regards
ReplyDeleteसीमा जी और बाकी जीतने वालो को बहुत बहुत बधाई ..नाम याद आया मुझे पर देर से :) बहुत मेहनत कर रहे हैं आप इस तरह के पहेली अंक में ..अच्छा यह है कि जब यहाँ एक बार कुछ देख लेते हैं और समझ लेते हैं तो वह भूल नही पाते फ़िर ....रोचक बढ़िया ..इस के लिए आप बधाई के पात्र है ...गणतंत्र दिवस की बधाई और यह तिरंगा झंडा हम अपने ब्लॉग की आज की पोस्ट पर लहराने को ले जा रहे हैं धन्यवाद :)
ReplyDeleteआज तो बस एक बात कहना चाहूँगा कि सच आप बहुत मेहनत कर रहे है पहेलीयों की पोस्ट बनाने में। आपका मेहनत को दिल से शुक्रिया। और विजेताओं को बधाई। और इतनी सारी जानकारी देने वाले साथियों का शुक्रिया। और जी आपके ब्लोग पर लगा तिरंगा हम अपने डेस्कटाप पर लगाने ले जा रहे है।
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं !
ReplyDeleteरणथम्भोर घुमाने के लिए धन्यवाद।
ReplyDeleteगणतन्त्र दिवस की आपको भी शुभकामनाएँ।
घुघूती बासूती
ताऊजी ! मजा आ गया!! (पिछली टिप्पणी में ताऊ के साथ एक च कट-पेस्ट की गलती से लग गया था)
ReplyDeleteआज सुबह से सफर कर रहा था, अत: इस बीच पता नहीं कैसे किसी आस्मानी जीव ने उडनतश्तरी में आकर मेरे मन के विचारों को "उठा" लिया.
निम्न को मेरा भी कथन माना जाये:
"ये जो कार्य आप कर रहे हैं और जिस तरह का समर्थन इस कार्य का बढ़ता जा रहा है, यह चिट्ठाकारी के इतिहास का एक स्वर्णिम पहल के रुप में हमेशा दर्ज रहेगा.
ऐतिहासिक धरोहरों से अन्तरजाल के माध्यम से खेल खेल में रुबरु कराने, उनके विषय में उम्दा जानकारी उपलब्ध कराने का इस बेहतर शायद ही कोई तरीका हो.
आप साधुवाद के पात्र हैं और मेरी बधाई एवं शुभकामनाऐं सदैव आपके साथ है."
आप ने हम सब को एक सूत्र में जो पिरोया है उसका हिन्दी जगत हमेशा आभारी रहेगा.
सस्नेह -- शास्त्री
पुनश्च: मुझे लगता है कि पहेली का गलत उत्तर मेरे नाम से कोई आपके चिट्ठे पर चेप गया था. ऐसी बातों की तरफ आप ध्यान न दिया करें.
सारे विजेताओं को बहुत बहुत शुभकामनायें!!
ReplyDeleteआगे और अधिक उत्साह से भाग लें. जिन लोगों ने अतिरिक्त जानकारी दी है उनका तो दिल से आभार. आगे भी ऐसा ही करते रहें.
सस्नेह -- शास्त्री
Tauji,
ReplyDeleteGanatantra Diwas kee shubhakamanaye.
apan to hamesha hee let latif rahe hai, isiliye is paheli me pichad gaye. Toor par jo rahate hai.
Koi baat nahee,agale shiniwar ko thiyaa nahee chodoongaa.
Seriously, this is amazingly entertaining as well as thought provoking quizz, and the amount of interest and knowledge it has generated ,has surpassed many a blogs.
So who says that masti karana bura hai? masti ki masti , gyaan ka gyaan, mera bhaarat mahaan!!
बचपन में पढाई से भागते रहे, GK वैसे ही कमजोर रही, इब ताऊ ने परेशान कर दिया है। हर हफते एक नया सवाल। फोटू भी ईसा कि कदी देखा भी न। सवाल के जवाब में कोरी कॉपी ही छोडनी पडै है। और ताऊ ने तो कत्ती फेल कर दिया है। एक नंबर भी न दे है भाई बंदी ते भी। Any way, आपको तथा आपके परिवार को गणतंत्र दिवस की ढेरों शुभकामनाएं। आपके आशीष की प्रत्याशा में। सादर सहित अतुल
ReplyDeleteहमें तो पता ही नहीं था. इसलिए किनारा कर लिया था. ज्ञान वर्धन के लिए आभार.
ReplyDeleteविवेक जी की पोस्ट पर पढ़ा की आप के बेटे का भी आज जन्मदिन है.
ReplyDeleteहमारे पूरे परिवार की तरफ़ से आप के छोटे बेटे को जनम दिन की ढेर सारी बधाईयाँ और शुभकामनायें.
पहेली के सभी विजेताओं को बधाई..परिणाम में भी भारी उलट फेर दिख रहा है.सीम्स जी को डबल बधाई एक प्रथम आने की और दूसरा अब top12 में आ गयीं हैं.
ताऊ जी, जानकारी जो भी मैं दे रही हूँ .वह सभी इन्टरनेट से विभिन्न साइट्स से इकट्ठा की हुई होती हैं..हाँ कट-कॉपी-पेस्ट नहीं होता है.पूरी तरह पढ़ कर कई जगह पर,और कुछ अगर व्यग्तिगत अनुभव जैसे इस पहेली में रहा..वह जोड़ कर compile कर के हिन्दी में लिख कर पोस्ट कर देती हूँ.इस में मुझे धन्यवाद नहीं चाहिये.हाँ और भी पाठक जानकारी दे रहे हैं पढ़कर अच्छा लग रहा है.
जो बात समीर जी ने कही ,वही मैं भी कह रही हूँ .इन पहेलियों के जरिए कई प्रयटक स्थलों के बारे में जान गई हूँ.
आप ने साप्ताहिक पत्रिका को तैयार करने में जो समय और मेहनत लगायी है उस के लिए आप को नमन.. जवाबी पोस्ट को रोचक और ज्ञानवर्धक बनाने के लिए आप के प्रयासों की जितनी सराहना की जाए कम है.
जब तक सम्भव होगा मैं आप के इस आयोजन में जरुर योगदान देती रहूंगी ,शनिवार होने की वजह से देर हो सकती है मगर प्रयास पूरा रहेगा..
आभार सहित-
यह तो लम्बोत्तम पोस्ट है। सब हैं और बार बार हैं! ऐसा पोस्ट रचन केवल ताऊ के बस का है! :)
ReplyDeleteजानकारीपूर्ण आलेख।
ReplyDeleteआदरणीय ताऊ जी, जो बात उड़नतश्तरी ने कही वही मैं भी कहता हूँ। और आपका इस बात के लिए बहुत बहुत आभार और धन्यवाद। आदरणीय सीमाजी और सभी अन्य विजेताओं को बहुत बहुत बधाई।
ReplyDeleteत्रिनेत्र भगवान गणेश जी के मन्दिर की मूर्ति बारे मेँ पहली बार सुना -अन्य ऐतिहासिक जानकारियाँ भी अद्भुत लगीँ
ReplyDelete~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
ताऊ जी शुक्रिया आपके ये पाठ सँजोकर रखने लायक हैँ
गणतँत्र दिवस की शुभेच्छाएँ :)
ReplyDeleteऔर सुना ताऊ. के हाल सैं ?
ये तो पूछ, कि बड़े दिनों में आया..
भई ताऊ, मन्नैं शनीचरी नाम से ही डर लाग्यै !
अगर पहेली में कूद गया, तो शर्तिया जीतूँगा या फिर सबको हराउँगा ।
बोल मंज़ूर ? मेरे को इस तरियों नम्बर दे तो मैं भी कूद पड़ूँ ।
अपना ही यह नमूना देख ले.. और पब्लिक को भी बता दे..
याद कर, एक बै मेरे कने तू आया सै ।
और सोच्या अक देखूं तै सही यह गुरुवा कुछ जाने सैं कि ना ।
तब मेरे तैं बोल्या - रै गुरु, दो अट्ठे (2 x 8कितणे होवैं सैं ?
मैं बोल्या - अठारह (18) .. क्यों ताऊ ठीक है ना ?
और ताऊ, तू बोल्या - "हाँ गुरु, लगभग ठीक सै" !
अगर समीर भाई को पूरे नम्बर फ़ोकट में..
तो मेरे ज़वाब पर यह लगभग वाला ही दे दिया कर ।
जयराम जी की ।
ढेर सारी जानकारियां देने वाली, अत्यन्त परिश्रमपूर्ण पोस्ट ने विस्मित ही किया। आपके परिश्रम को प्रणाम।
ReplyDeleteआप को गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteजियो ताऊ। शानदार पत्रिका निकाल के धर दी!
ReplyDeleteये शिकायत ताऊ के खिलाफ़ चिट्ठाचर्चा में दर्ज हो चुकी है:
ReplyDeleteपुनश्च: जब पोस्ट कर चुके तो पता चला कि २६ जनवरी के ही दिन ताऊ के बच्चे का भी जन्मदिन पड़ता है। सो ताऊ को भी बधाई उसके बच्चे को आशीर्वाद। ताऊ के लिये जुर्माना ब्लागर पब्लिक तय करे कि वे यहां आये और फ़िर भी बताया नहीं। वो तो कहो कि हम दुबारा ताऊ के ब्लाग पर गये वहां अल्पना वर्माजी के कमेंट से पता कि ताऊ ने विवेक के ब्लाग पर कमेंट करके बताया है कि उनके बच्चे का जनमदिन है। बहरहाल अब फ़िर से बधाई!
इती मेहनत..?????
ReplyDeleteताऊ को साष्टांग प्रणाम...
bhai taaoo,
ReplyDeleteaaj to bina ghoome hi ranthambhor me ghoom liya.
लाजवाब पोस्ट
ReplyDeleteकमाल कर रहे हैं ताऊ आप तो.
ReplyDeleteरणथम्भौर दुर्ग की जानकारी शानदार रही..
ReplyDelete