प्रिय भाईयो और बहणों, भतीजों और भतीजियों आप सबको घणी रामराम ! हम आपकी सेवा में हाजिर हैं ताऊ पहेली 70 का जवाब लेकर. कल की ताऊ पहेली का सही उत्तर है मुरुदेश्वर मंदिर [कर्णाटक].
और इसके बारे मे संक्षिप्त सी जानकारी दे रही हैं सु. अल्पना वर्मा.
मुरुदेश्वर मंदिर [कर्णाटक]
कर्णाटक में मेंगलोर से १६५ किलो मीटर दूर उत्तर कन्नडा की भटकल तहसील में यह मंदिर अरब सागर के बहुत ही सुन्दर एवं शांत तट के किनारे बना हुआ है.
मुरुदेश्वर बीच [समुद्र तट]कर्णाटक के सब से सुन्दर तटों में से एक है .पर्यटकों के लिए यहाँ आना दोहरा लाभ देता है एक और इस धार्मिक स्थल के दर्शन और दूसरी तरफ प्राकृतिक सुन्दरता का नज़ारा भी हो जाता है.
कन्दुका पहाड़ी पर ,तीन ओर से पानी से घिरा यह मुरुदेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है.यहाँ भगवान शिव का आत्म लिंग स्थापित है.जिस की कथा रामायण काल से है.अमरता पाने हेतु रावण जब शिव जी को प्रसन्न करके उनका आत्मलिंग अपने साथ लंका ले जा रहा था.तब रास्ते में इस स्थान पर आत्मलिंग धरती पर रख दिए जाने के कारण स्थापित हो गया था.गुस्से में रावण ने इसे नष्ट करने का प्रयास किया उस प्रक्रिया में , जिस वस्त्र से आत्म लिंग ढका हुआ था वह म्रिदेश्वर [अब मुरुदेश्वर कहते हैं ]में जा गिरा .इस की पूरी कथा आप सब को मालूम ही होगी .
पहेली में हमने जो चित्र दिखाया गया था वह गोपुरा का था .दक्षिण में मंदिर के प्रवेश द्वार को गोपुरा कहा जाता है.'राजा गोपुरा '/राज गोपुरम विश्व में सब से ऊँचा गोपुरा माना जाता है.यह २४९ फीट ऊँचा है.इसे वहीँ के एक व्यवसायी आर.एन शेट्टी ने बनवाया था .द्वार पर दोनों तरफ सजीव हाथी के बराबर ऊँची हाथी की मूर्तियाँ देखी जा सकती हैं.
मुरुदेश्वर मंदिर के बाहर बनी शिव भगवान की मूर्ति दुनिया की सब से ऊँची शिव मूर्ति है इसकी ऊँचाई १२३ फीट है.अरब सागर में बहुत दूर से इसे देखा जा सकता है.इसे बनाने में दो साल लगे थे और शिवमोग्गा के काशीनाथ और अन्य मूर्तिकारों ने इसे बनाया था.
इसका निर्माण भी श्री आर एन शेट्टी ने करवाया और लगभग ५० मिलियन रुपयों की लागत आई थी.मूर्ति को इस तरह बनवाया गया है कि सूरज की किरणे इस पर पड़ती रहें और यह चमकती रहे.
कैसे जाएँ-बंगलौर तक जा रहे हैं तो इस खूबसूरत स्थल पर जाना न भूलें बेंगलोर से यह ५०० किलोमीटर दूर है और आप बस या रेल ले सकते हैं.कोकण मार्ग पर मेंगलोर-गोवा-मुम्बई में मुरुदेश्वर स्टेशन आता है.
नजदीकी हवाई अड्डा गोवा है और मेंगलोर हवाई अड्डा भी शहर के पास है.
कब जाएँ--वर्ष पर्यंत घूमने जा सकते हैं .
कहाँ रुकें -यहाँ रहने के लिए सरकारी गैर सरकारी यात्री निवास,होटल आदि उपलब्ध हैं.
[अगली पहेली [७१] ,एक पुराने महत्वपूर्ण किले से सम्बन्धित है और दक्षिण भारत से नहीं है]
अभी के लिये इतना ही. अगले शनिवार एक नई पहेली मे आपसे फ़िर मुलाकात होगी.
अब आईये आपको उन लोगों से मिलवाता हूं जिन्होने इस पहेली अंक मे भाग लेकर हमारा उत्साह वर्धन किया. आप सभी का बहुत बहुत आभार.
डा.रुपचंद्रजी शाश्त्री "मयंक,
श्री अविनाश वाचस्पति
श्री सुशील कुमार छौंक्कर
श्री संजय भास्कर
सुश्री अन्नपुर्णा
श्री आशीष खंडेलवाल
डा. महेश सिन्हा
श्री अनिल पूसदकर
सुश्री वंदना
श्री तारकेश्वर गिरी
श्री दीपक
श्री Nirbhay Jain
आयोजकों की तरफ़ से सभी प्रतिभागियों का इस प्रतियोगिता मे उत्साह वर्धन करने के लिये हार्दिक धन्यवाद. !
और इसके बारे मे संक्षिप्त सी जानकारी दे रही हैं सु. अल्पना वर्मा.
आप सभी को मेरा नमस्कार,
पहेली में पूछे गये स्थान के विषय में संक्षिप्त और सारगर्भीत जानकारी देने का यह एक लघु प्रयास है.
आशा है, आप को यह प्रयास पसन्द आ रहा होगा,अपने सुझाव और राय से हमें अवगत अवश्य कराएँ.
मुरुदेश्वर मंदिर [कर्णाटक]
कर्णाटक में मेंगलोर से १६५ किलो मीटर दूर उत्तर कन्नडा की भटकल तहसील में यह मंदिर अरब सागर के बहुत ही सुन्दर एवं शांत तट के किनारे बना हुआ है.
मुरुदेश्वर बीच [समुद्र तट]कर्णाटक के सब से सुन्दर तटों में से एक है .पर्यटकों के लिए यहाँ आना दोहरा लाभ देता है एक और इस धार्मिक स्थल के दर्शन और दूसरी तरफ प्राकृतिक सुन्दरता का नज़ारा भी हो जाता है.
कन्दुका पहाड़ी पर ,तीन ओर से पानी से घिरा यह मुरुदेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है.यहाँ भगवान शिव का आत्म लिंग स्थापित है.जिस की कथा रामायण काल से है.अमरता पाने हेतु रावण जब शिव जी को प्रसन्न करके उनका आत्मलिंग अपने साथ लंका ले जा रहा था.तब रास्ते में इस स्थान पर आत्मलिंग धरती पर रख दिए जाने के कारण स्थापित हो गया था.गुस्से में रावण ने इसे नष्ट करने का प्रयास किया उस प्रक्रिया में , जिस वस्त्र से आत्म लिंग ढका हुआ था वह म्रिदेश्वर [अब मुरुदेश्वर कहते हैं ]में जा गिरा .इस की पूरी कथा आप सब को मालूम ही होगी .
पहेली में हमने जो चित्र दिखाया गया था वह गोपुरा का था .दक्षिण में मंदिर के प्रवेश द्वार को गोपुरा कहा जाता है.'राजा गोपुरा '/राज गोपुरम विश्व में सब से ऊँचा गोपुरा माना जाता है.यह २४९ फीट ऊँचा है.इसे वहीँ के एक व्यवसायी आर.एन शेट्टी ने बनवाया था .द्वार पर दोनों तरफ सजीव हाथी के बराबर ऊँची हाथी की मूर्तियाँ देखी जा सकती हैं.
मुरुदेश्वर मंदिर के बाहर बनी शिव भगवान की मूर्ति दुनिया की सब से ऊँची शिव मूर्ति है इसकी ऊँचाई १२३ फीट है.अरब सागर में बहुत दूर से इसे देखा जा सकता है.इसे बनाने में दो साल लगे थे और शिवमोग्गा के काशीनाथ और अन्य मूर्तिकारों ने इसे बनाया था.
इसका निर्माण भी श्री आर एन शेट्टी ने करवाया और लगभग ५० मिलियन रुपयों की लागत आई थी.मूर्ति को इस तरह बनवाया गया है कि सूरज की किरणे इस पर पड़ती रहें और यह चमकती रहे.
कैसे जाएँ-बंगलौर तक जा रहे हैं तो इस खूबसूरत स्थल पर जाना न भूलें बेंगलोर से यह ५०० किलोमीटर दूर है और आप बस या रेल ले सकते हैं.कोकण मार्ग पर मेंगलोर-गोवा-मुम्बई में मुरुदेश्वर स्टेशन आता है.
नजदीकी हवाई अड्डा गोवा है और मेंगलोर हवाई अड्डा भी शहर के पास है.
कब जाएँ--वर्ष पर्यंत घूमने जा सकते हैं .
कहाँ रुकें -यहाँ रहने के लिए सरकारी गैर सरकारी यात्री निवास,होटल आदि उपलब्ध हैं.
[अगली पहेली [७१] ,एक पुराने महत्वपूर्ण किले से सम्बन्धित है और दक्षिण भारत से नहीं है]
अभी के लिये इतना ही. अगले शनिवार एक नई पहेली मे आपसे फ़िर मुलाकात होगी.
आचार्य हीरामन "अंकशाश्त्री" की नमस्ते!
प्यारे बहनों और भाईयो, मैं आचार्य हीरामन “अंकशाश्त्री” ताऊ पहेली के रिजल्ट के साथ आपकी सेवा मे हाजिर हूं. उत्तर जिस क्रम मे मुझे प्राप्त हुये हैं उसी क्रम मे मैं आपको जवाब दे रहा हूं. एवम तदनुसार ही नम्बर दिये गये हैं.
श्री पी.एन. सुब्रमनियन अंक 101 |
श्री स्मार्ट इंडियन अंक 100 |
श्री प्रकाश गोविंद अंक 99 |
श्री युगल मेहरा अंक 98 |
सुश्री रेखा प्रहलाद अंक 97 |
सुश्री सीमा गुप्ता अंक 96 |
श्री विवेक रस्तोगी अंक 95 |
श्री काजलकुमार अंक 94 |
श्री नीरज गोस्वामी अंक 93 |
श्री संजय बेंगाणी अंक 92 |
|
श्री पी.सी.गोदियाल, अंक 90 |
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प. श्री. डी. के. शर्मा “वत्स” अंक 88 |
श्री सैयद | Syed अंक 87 |
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श्री राज भाटिया अंक 85 |
श्री उडनतश्तरी अंक 84 |
श्री रतनसिंह शेखावत अंक 83 |
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श्री राजेंद्र स्वर्णकार अंक 81 |
श्री अभिषेक ओझा अंक 80 |
सुश्री बबली अंक 79 |
सभी को हार्दिक बधाई एवम शुभकामनाएं. |
अब आईये आपको उन लोगों से मिलवाता हूं जिन्होने इस पहेली अंक मे भाग लेकर हमारा उत्साह वर्धन किया. आप सभी का बहुत बहुत आभार.
डा.रुपचंद्रजी शाश्त्री "मयंक,
श्री अविनाश वाचस्पति
श्री सुशील कुमार छौंक्कर
श्री संजय भास्कर
सुश्री अन्नपुर्णा
श्री आशीष खंडेलवाल
डा. महेश सिन्हा
श्री अनिल पूसदकर
सुश्री वंदना
श्री तारकेश्वर गिरी
श्री दीपक
श्री Nirbhay Jain
अब अगली पहेली का जवाब लेकर अगले सोमवार फ़िर आपकी सेवा मे हाजिर होऊंगा तब तक के लिये आचार्य हीरामन "अंकशाश्त्री" को इजाजत दिजिये. नमस्कार!
आयोजकों की तरफ़ से सभी प्रतिभागियों का इस प्रतियोगिता मे उत्साह वर्धन करने के लिये हार्दिक धन्यवाद. !
ताऊ पहेली के इस अंक का आयोजन एवम संचालन ताऊ रामपुरिया और सुश्री अल्पना वर्मा ने किया. अगली पहेली मे अगले शनिवार सुबह आठ बजे आपसे फ़िर मिलेंगे तब तक के लिये नमस्कार.
सुब्रमनियन जी को हार्दिक बधाई!
ReplyDeleteसभी विजेताओं को बधाई ....और इस जानकारी के लिए आपका आभार ...!!
ReplyDeleteसभी विजेताओं को बधाई!
ReplyDeleteसभी प्रतिभागियों और विजेताओं को बधाई!
ReplyDeleteसुब्रमनियम जी को बहुत बधाई एवं अन्य विजेताओं को भी.
ReplyDelete----
अच्छा लगता है जब मित्रों को आगे बढ़ते देखता हूँ. यह खेल भी खूब है. :)
विजेताओं को हार्दिक बधाई और आयोजको का हार्दिक आभार ज्ञान वर्धन के लिए |
ReplyDeleteधन्यवाद ताऊ जी, उत्साहवर्द्धन तो हम ही करते हैं। बाकी तो सब जीतने के लिए आते हैं। विजेताओं को बधाई, इससे भी उनका उत्साहवर्द्धन ही होता है। एक बार फिर शुक्रिया अपने उत्साहनवर्द्धन का श्रेय हमें देने के लिए। क्या इससे बड़ी जीत भी कोई हो सकती है ? विचारिए उत्साहवर्द्धकों की सूची में शामिल होने वाले सभी बंधु/बांध्वियों।
ReplyDeletesabhi vijetao ko badhai
ReplyDeleteaur tau ji se ek baat kahna chunga mere blog ka link apne galat diya hai
pls. agli baar jab bhi mere blog ka link de to wo ye raha
http://masthindi.blogspot.com/
@ Nirbhay Jain
ReplyDeleteआपका ब्लाग लिंक सुधार दिया गया है. ध्यान दिलाने के लिये आपका आभार.
-आयोजक गण
सुब्रमनियन जी और सभी विजेताओं को हार्दिक बधाई
ReplyDeleteregards
सुब्रमनियन जी सहित सभी विजेताओं को बधाई!!
ReplyDeleteविजेताओं को हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteसुब्रमनियन जी जब मैदान में हो तो ऐसी पहेली के विजेता वे ही हो सकते है. घणी घणी बधाई.
ReplyDeleteकिसी उदारमना से कभी कभी चन्द अंक ज्यादा पा जाना अच्छा लगता है. :)
जीतने वालों को बधाई ...
ReplyDeleteसभी विजेताओं को बधाई!
ReplyDeleteसुब्रमनियन Sir जी सहित सभी विजेताओं को बधाई.
ReplyDelete@महेश सिन्हा जी ने बहुत मेहनत की जवाब तलाशने में..आप से अनुरोध है कि संशय की स्थित में एक बार क्लु की पोस्ट देख लिया करीए.
ReplyDeleteऔर चित्र पर क्लीक करते तो शिव जी की मूर्ति दिख जाती .अंदाजा लगा सकते थे..की इसकी कुछ खासियत होगी.[biggest statue of lord Shiva in the world]तब आराम से जवाब मिल जाता.
मयंक जी और निर्भय जैन जी ने अपने सही जवाब को ग़लत कर दिया...निर्भय जी ने तो सही लिंक भी दिया फिर भी न जाने क्या confusion उन्हें हुआ कि ग़लत जवाब दे दिया.
रामप्यारी ने बताया भी की ध्यान दें..कोई बात नहीं अगली बार से सचेत रहियेगा.
Best wishes!:)
श्री पी.एन.सुब्रमनियन जी एवं समस्त जुझारू प्रतियोगियों को बहुत-बहुत बधाई !
ReplyDelete-
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ताऊ जी !
ये समीर जी और संजय बेंगाणी जी के मध्य 'छाया-युद्ध' कब तक जारी रहेगा ! एक पहेली सिर्फ इन दोनों के लिए ही आयोजित की जाए :)
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हमेशा की तरह अल्पना जी द्वारा सुन्दर और ज्ञानवर्धक जानकारी !
[कभी भी पर्यटन स्थल तक पहुँचने की जानकारी दिल्ली, मुंबई...बंगलौर से ही बताती हैं ......लखनऊ से कभी नहीं बतातीं ...आखिर लखनऊ वाले किस रास्ते से जाएँ]
#प्रकाश जी ,मुझे तो इन दोनों प्रतिभागियों का छाया युद्ध बहुत रोचक लगता है..चाहूंगी कि यह कभी ख़तम न हो :D
ReplyDeleteऔर रही बात लखनऊ से कैसे जाएँ..तो बहुत आभार कि आप ने इतने ध्यान से पोस्ट पढ़ी..दूसरे अब से इस बिंदु पर विशेष ध्यान दिया जायेगा.सारे रूट पहले लखनऊ से ही ले जाए जायेंगे.
-धन्यवाद.
श्री पी.एन. सुब्रमनियन जी एवं सभी विजेताओं को बधाई हो
ReplyDeleteसभी विजेताओं को बधाई हो
ReplyDelete________________
'पाखी की दुनिया' में इस बार सभी विजेता माउन्ट हैरियट की सैर करना न भूलें !!
सुब्रमनियन जी एवं सभी विजेताओं को बहुत बहुत बधाई!
ReplyDelete