परिचयनामा : श्री नितिन व्यास

श्री नितिन व्यास से एक अंतरंग बातचीत

जैसा कि आप जानते हैं कि श्री नितिन व्यास ताऊ पहेली राऊंड प्रथम की मेरिट लिस्ट मे थे.  और इस दूसरे राऊंड मे भी चौथे स्थान पर  चल रहे हैं. हमने उनका साक्षात्कार किया यू एस के एमहर्तज़ में.

 

 

nitin-vyas एमहर्तज़ जाने के लिये हम बोस्टन एयर पोर्ट पहुंचे वहां नितिन जी को पहचानने में थोडी दिक्कत हुई क्योंकि अमेरिका में उनके जैसे खाते पीते घर के लोगों की कमी नहीं है, फिर भी हम जैसे ताऊ को उन्होने फट से पहचान लिया। वहां हमको लेने नितिन जी के साथ उनकी बिटिया निषिता भी आई थी.

 

नितिन जी ने कहा  कि ताऊजी आप बोस्टन आ ही गये हो तो आज बोस्टन की सैर करके शाम तक  एमहर्तज़ चलें तो कैसा रहेगा। ईंटर्व्यु तो शाम को घर पहुंच कर कर लेना. 

 

 

 

हमने कहा कि ठीक है भाई. जैसा आप उचित समझे,  और बन गया वहीं से बोस्टन घूमने का प्रोग्राम.

 

 

Boston DUKW                                                     

(DUKW यानि बतख गाडी)

 

एमहर्तज़ बोस्टन से करीब १०० मील की दूरी पर है। बोस्टन में घूमने के लिये इस बतख गाडी का प्रयोग किया जाता है.  हमे तो बडा आश्चर्य हुआ जब यही गाडी हमको सडक पर भी घुमाती रही और पानी मे भी घुमाती रही.

 

नितिन जी, निषिता और हम  इस गाडी (DUKW) में घूमे, जमीन और पानी में चलने वाली इस बतख की सवारी करके बहुत मजा आया. 

 

बतख की सवारी के बाद हम पहुंचे बोस्टन हार्बर, वहाँ से जहाज में बैठ कर व्हेल के दर्शन करने को निकले। लोग कहते हैं कि मौसम के मुताबिक व्हेल देवी कभी दर्शन देती है और कभी नहीं भी, लेकिन नितिन ने देवी जी से पहले से एपांइटमेंट लेकर रखा था यह कहकर कि देखना हमारा लठ्ठ और भैंस वाला  ताऊ आ रहा है सो उसका जोरदार स्वागत करना. 

 

whale                                                          

(व्हेल की कलाबाजियां)

 

हम तो वहां  उनके  इलाके में पहुंचते ही आश्चर्य चकित रह गये.  उन्होने कुछ ऐसे उछल ऊछल कर हमारा स्वागत किया कि हम तो मंत्रमुग्ध से रह गये. 

 

 

 

June 2008 124                                                    

(बोस्टन एक्वेरियम में पेंगुइन)

 

अब  निषिता ने  जिद करना शुरु करदी कि उसे तो  बोस्टन एक्वेरियम में  पेंगुइनो से भी मिलना है. सो उसकी जिद्द की वजह से हमे इन पेंगुईनों से मिलने का भी सौभाग्य मिला. काश रामप्यारी भी साथ आई होती तो उसको भी मजा आ जाता.

 

अब नितिन जी ने हमको बोस्टन में हार्वड विश्वविघालय और एम आई टी भी देख लेने का प्रस्ताव रखा तो  हमने कहा कि ये सब पढ़े लिखे लोगों के लिये है, हमारे जैसे लठ्ठधारी ताऊओं का ऐसी जगहों पर क्या काम?  हमको कौन सी यहां MBA की डिग्री लेनी है?

 

शाम तक बोस्टन में घूमने  के बाद  रास्ते में एक बडे लक्ष्मी जी के   मंदिर में भी दर्शन करने रुके.  , वहां से करीब एक  घंटे की ड्राईव के बाद एमहर्तज़ पहुंचे।

 

हमने घर पहुंचकर  तैयार हो कर साक्षात्कार का सिलसिला शुरु किया. 

 

ताऊ : हां तो नितिन जी, आप भारत मे कहां से हैं?

 

नितिन जी : फोटो देखकर तो कोई भी कह सकता है कि जंगल के अलावा मैं कहाँ से हो सकता हूँ, लेकिन फिर भी आप पूछ ही रहे हैं तो बताये देता हूँ मेरा जन्म चंद्रशेखर आज़ाद जी के जन्मस्थान भाबरा जिला झाबुआ (म.प्र.)  में हुआ।

 

ताऊ :  फ़िर तो आपकी शिक्षा दिक्षा भी वहीं झाबुआ मे हुई होगी?

 

नितिन जी : नही ताऊ जी, मैने  बचपन करीब-करीब पूरा  यूनुस जी के दमोह और उडन तश्तरी के जबलपुर में बिताया।

 

ताऊ : तो फ़िर आप अमेरीका कैसे आगये?

 

नितिन जी :  जबलपुर, अहमदाबाद, सूरत, पूना और मुम्बई की घास छीलने के बाद अमेरिकी घास खाने का मौका मिला तो बस आज से कुछ साल पहले अमेरिका आ गया।

 

ताऊ : तो यहां क्या करते हैं आप?

 

नितिन जी : यहाँ एक बड़ी कंपनी में साफ्टवेयर मेकेनिक के जैसे काम करता हूँ, काम के सिलसिले में गोरों से कम और देशियों से ज्यादा माथा-पच्ची करता हूँ।

 

ताऊ : फ़िर आप इस गांव जैसी जगह में कैसे आगये?

 

नितिन जी : आजकल पत्नी जी की पढ़ाई के चलते मसेचुसेट्स के एमहर्टस नामक गांव में रहता हूँ।

 

outside-nitinji's house                                         


एमहर्तज़ में नितिन जी के घर के बाहर का दृष्य

 

 

ताऊ : ओह..अब समझ आया यहां रहने का राज.. पर जगह बडी सुंदर लगी हमको तो.  खैर आप कोई आपके जीवन की अविस्मरणिय घटना बतायेंगें?

 

नितिन जी : अब तक पूरा जीवन ही अविस्मरणीय घटनाओं का पुलिंदा है, बहुत सी घटनायें है सुनाने के लिये आपने उलझन में डाल दिया है, क्या सुनाऊं क्या छोड़ दूं।

 

ताऊ : चलिये कोई एक ही सुनाईये.

 

नितिन जी : एक तो घटना तो यही कि उन्मुक्त जी जैसे वरिष्ठ ब्लागर ने मेरे बारे में इतना कुछ कह दिया, उनका और सारे उत्साहवर्धन करने वाले साथियों का बहुत बहुत शुक्रिया!!

 

ताऊ :  : नितिन जी आप ये बताईये कि  आपके शौक क्या हैं?

 

नितिन जी : स्वादिष्ट शाकाहारी खाने और बनाने का शौक प्रमुख हैं इसके अलावा इंटरनेट खंगालना, चिट्ठे पढ़ना, फोटोग्राफी, नुसरत फ़तेह अली ख़ान साहब और जगजीत सिंह साहब को सुनना और पहेलियाँ सुलझाना अच्छा लगता है।

 

ताऊ : आपको  सख्त ना पसंद क्या है? 

 

नितिन जी : स्वार्थ, संकीर्णता, अनुशासनहीनता और मक्कारी!

 

ताऊ : अब मैं आपसे पूछू कि आपको पसंद क्या है?

 

नितिन जी : बहुत कुछ.. सीधे सादे सच्चे लोग, ईमानदारी, शाकाहारी तीखा भोजन, कलात्मक सिनेमा, ईरानी फिल्में, व्यंग और लघु कथायें आदि आदि…

 

ताऊ : आपने कहा कि ईरानी फ़िल्में? कोई खास वजह?

 

नितिन जी : मुझे हमेशा से ही कलात्मक फिल्में पसंद आती रही है जो जीवन की वास्तविकता के करीब हो। ईरानी फिल्मों में आम जीवन की झलक मिलती है । मानवीय भावनाओं को दर्शाने में ईरानी फिल्मकारों का जवाब नहीं है यदि मौका मिले तो मजीद मजीदी की बचेहा‍‍-ए-आसमान या  मोहसेन मख्मलबफ की कंधार जरुर देखियेगा।

 

ताऊ :  आप हमारे  पाठको से कुछ कहना चाहें तो क्या कहना चाहेंगे?

 

नितिन जी : सारे के सारे पाठक बहुत ही समझदार हैं मै उन्हें क्या कह सकता हूँ, लेकिन आप बहुत जोर दे रहे हैं तो कुछ बातें

 

१. जैसे भगवान महावीर ने कहा था जियो और जीने दो!

२. बेटियों को बढ़ावा दें

३. चिट्ठों में बहस जरुर करें लेकिन मर्यादा का ध्यान रखें

४. चुनाव में वोट अवश्य दें।

 

क्यों ताऊ जी? हैं ना पूरे गुण नेतागिरी के मुझ में?

 

ताऊ : हां जी लग तो हमको भी यही रहा है. अब आप अपने छात्र जीवन की कोई यादगार बात बताईये.

 

नितिन जी : कालेज में, मैं मेकेनिकल विभाग की वार्षिक पत्रिका का संपादक था, हमारे विभागाध्यक्ष जी प्रूफरीडिंग पर बहुत जोर देते थे। एक वर्ष की पत्रिका में प्रूफरीडिंग की गलती की वजह से सारे शिक्षकों की लिस्ट की हेडिंग “List of Faculty Members” बजाय ““List of Faulty Members”रह गई थी।

 

ताऊ :  लगता है वो प्रूफ़ रीडींग वाला कोई हरयाणवी रहा होगा?   पर यह तो बडी गम्भीर गलती हो गई भाई?  पकड मे आई या फ़ेकल्टी मेम्बर्स फ़ाल्टी ही रहे?  हमने हंसते हुये पूछा.

 

नितिन जी :  हां ताऊजी,  . प्रधानाध्यापकजी द्वारा होने वाले विमोचन के २ घंटे पहले एक साथी ने इस ओर ध्यान दिलाया, फिर क्या था विभागाध्यक्ष जी के डर के मारे पूरे विभाग के छात्रों को काम पर लगा कर इस गलती पर स्टिकर चिपकवाये थे।

 

ताऊ : अब आप ये बताईय़े कि आप भारत मे मूलत:  कहां से  हैं? 

 

नितिन जी : मेरा पुश्तैनी गाँव मोहद जिला खरगोन मध्यप्रदेश है। १००-१५० परिवारों का यह गांव बहुत ही सुन्दर है आईये आपको वहां की कुछ  तस्वीरें दिखाऊं …

 

 

mohad-khargone                                                    

मोहद, नितिन जी का पैतृक गांव

 

 

ताऊ : वाह भई नितिन जी आप तो मेरे पास के ही रहने वाले निकले?

 

नितिन जी : आप कहां से हैं ताऊजी?

 

ताऊ :  भाई मैं आपके पास ही इन्दौर मे रहता हूं.

 

नितिन जी :  अरे ताऊ जी, यह भी क्या संयोग है?  रिटायरमैंट के बाद मेरे पेरेंट्स भी इंदौर मे ही रहते हैं.

 

ताऊ : वाह भई.  यानि हम तो दोनो एक ही जगह के निकले.  चलिये अब तो जब भी आपका आना होगा हमारी मुलाकात होती ही रहेगी.

 

ताऊ : नितिन? जी, क्या  आपका संयुक्त परिवार है

 

नितिन जी : जी हाँ मैं संयुक्त परिवार का सदस्य हूँ।

 

ताऊ : आपके हिसाब से संयुक्त परिवार के नफ़े नुक्सान क्या हैं?

 

नितिन जी : मेरा परिवार बहुत बड़ा है, इसके तो फायदे ही फायदे हैं नुकसान तो नगण्य हैं। सबसे बड़ा फायदा ये है कि शादी-ब्याह और अन्य पारिवारिक कार्यक्रमों में अपने घर के ही इतने सदस्य हो जाते है कि दूसरों को बुलाने की जरुरत ही नहीं पडती !

 

ताऊ :  आपकी नजर में  ब्लागिंग का भविष्य कैसा हैं?

 

नितिन जी : जीवन के विभिन्न क्षेत्रो के लोग जैसे वैज्ञानिक, कानूनविद , इंजीनियर, ग्रहणीयां , अकाउटेंट,विधार्थी, कवि, लेखक, पत्रकार, व्यवसायी और फुरसतिये सबके सब यहां योगदान दे रहे हैं, सबकी अलग विचारधारा, जीवन शैली और लेखन । विषय आधारित हिन्दी चिट्ठों की संख्या बढ़ रही है। मुझे तो लगता है कि ब्लागिंग का भविष्य बहुत उज्जवल है।

 

ताऊ : आप कब से ब्लागिंग मे हैं?

 

नितिन जी : जी मैं ब्लागिंग में फरवरी २००६ से हूँ.

 

ताऊ : आपका ब्लागिंग मे आना कैसे हुआ?

 

नितिन जी : ब्लागिंग में आना जीतू भाई, रवि रतलामीजी, ईस्वामी, और फुरसतिया जी जैसे दिग्गजों के लेखों को पढ़कर हुआ।

 

ताऊ : ब्लागिंग मे आपके अनुभव कैसे रहे?

 

नितिन जी : पिछले तीन सालों में बहुत कुछ सीखा ब्लागिंग से, बहुत से विवाद देखे पढ़े, बहुतों को टंकी पर चढ़ते और उतरते देखा, बहुत से गुरुजनों और ताऊओं से पारिवारिक सम्बन्ध बनाये ।

 

ताऊ :  आपका लेखन आप किस दिशा मे पाते हैं?

 

 

नितिन जी : ताऊ जी अगर इमानदारी से कहूं तो  मेरा लेखन  दिशाहीन ही लगता है। बहुत से मुद्दे हैं जिन पर लिखना चाहता हूं लेकिन विचारों को कतारबद्ध करने में खुद को असमर्थ पाता हूँ, मुझे लगता है कि मेरा पाठन कार्य ज्यादा होता रहेगा और लेखन कम…

 

ताऊ :  क्या राजनिती मे आप रुची रखते हैं? अगर हां तो अपने विचार बताईये?

 

नितिन जी : (हंसते हुये)   नाम में ही नीति है इसलिये राजनीति में बहुत रुचि है, लेकिन औरों की तरह नेताओं को गरियाने का मन बिलकुल नहीं करता है.

 

ताऊ : क्यों?

 

नितिन जी :  क्योंकि उन सब में वे गुण और अवगुण देखता हूँ जो खुद में नहीं है। सारे अपनी-अपनी जगह सही हैं सब अपनी क्षमता और जरुरतों के हिसाब से भोली भाली जनता को गुमराह करने में लगे हैं और पढ़े लिखे लोग वोटिंग ना करके इनके इरादों को पूरा करने में पूरी मदद करते हैं।

 

 

Nishita                                                               


नटखट निषिता

 

अभी हमारी बातें चल ही रही थी कि एक बच्ची फ़ेंसी ड्रेस पहन कर आगई. …….हमने चौंकते हुये पूछा.

 

ताऊ : अरे भाई ये कौन है?  किसकी बच्ची है? ये बिटिया तो बडी नटखट और शरारती लग रही है?

 

नितिन जी : जी ताऊ जी ये तो निषिता ही है  जो दिन भर से आपके साथ  थी, खा गये ना आप भी धोखा?  ये बहुत ही नटखट है, आपको भी बना दिया ना इसने?  सबको ऐसे ही उल्लू बनाती है.  आखिर कौन सी बेटी नटखट नहीं होती।

 

 

Nishita Beading                                                       


निषिता की बनाई बीडींग

 

ताऊ : हां भाई है तो बडी नटखट.  हम तो एक बार पहचान ही नही पाये.  और क्या क्या  विशेष नटखटपना है इसमे?

 

नितिन जी : हां ताऊजी, ये देखिये इसके बनाये चित्र….उसे चित्रकारी, बीडिंग का शौक बहुत है

 

ताऊ : अरे वाह..क्या लाजवाब चित्रकारी है? वाकई काबिले तारीफ़…बहुत होनहार बच्ची है ये. और क्या शौक हैं इनके?

 

नितिन जी : और इसके शौक हैं मेरे जैसे ही  कम्पयूटर से खेलना और मम्मी के जैसे नाचना बहुत पसंद है। ये देखिये ये रहे उसके कुछ कारनामे…

 

Nishita Painting                                                       


निषिता की बनाई पेंटिंग

 

अब हमने निषिता से बाते की. बहुत बाल सुलभ भाव से उसने बताया कि वो ये सब चीजे रामप्यारी के लिये बना रही है. हमारे यह पूछने पर कि रामप्यारी को वो कैसे जानती है?

 

निषिता ने बताया कि वो उससे पहेली वाले दिन मिलती है और पापा उसे रामप्यारी के बारे मे पढ कर सुनाते हैं. और रामप्यारी  उसको बहुत अच्छी लगती है.

 

निषिता ने हमसे पूछा : ताऊ जी , आप रामप्यारी को क्युं नही लेकर आये?

 

ताऊ : हमने कहा कि बेटा उसका पासपोर्ट ही नही बना अभी तक. और जब तुम इन्दौर आओगी तब हम तुमको रोज रामप्यारी से मिलवायेंगे..

 

अब हमने फ़िर से नितिन जी से बातचीत शुरु की.

 

ताऊ : नितिन जी अब आपकी जीवन संगिनी के बारे मे भी हमारे पाठकों को कुछ बताईये?

 

नितिन जी : ताऊ जी , आप तो श्वेता से मिल ही चुके हैं.  पेशे से ये मेरी डाक्टर है.

 

ताऊ : भई बात समझ मे नही आई हमारे? हमने तो सुना था कि श्वेता पशुओं की डाक्टर हैं?

 

नितिन जी :  आपकी जानकारी सही है ताऊजी.  ( हंसते हुये,,) पर मैं भी तो हाथी  हूं ना? 

 

ताऊ  :  ओह ..नितिन भतिजे..अब समझ आयी तुम्हारी बात…अरे वाह भई वाह..आपको  ब्लागिंग मे हाथी रिप्रेजेंट करता है, इसलिये?

 

नितिन जी : (हंसते हुये) जी आप अब ठीक समझे ताऊजी.

 

ताऊ : श्वेता की शिक्षा कहां से हुई?  और आजकल क्या कर रही हैं?

 

नितिन जी :  महू (इंदौर) के सरकारी कालेज से पढने और भोपाल में लोगों को दुनिया भर के विषय पढ़ाने के बाद आजकल पब्लिक हेल्थ में उच्च शिक्षा ले रही हैं।

 

ताऊ : क्या आपको भी ये पढाती हैं?

 

नितिन जी : जैसे सभी पत्नियां सारा जीवन पतियों को आदतें बदलने के लिये उन्हे टोकती रहती है, ये भी वही काम करती हैं और जब मैं कुछ थोड़ा बहुत बदल जाता हूँ तो कहती है तुम वो नहीं रहे…बहुत बदल गये हो।

 

ताऊ : आप हमारे पाठकों को कुछ कहना चाहेंगे? 

 

नितिन जी : अब और क्या कहूं और कुछ बोलूंगा तो आप बोलेंगे ये विशालकाय भतीजा बहुत बोलता है!

 

 

ताऊ : अक्सर पूछा जाता है कि ताऊ कौन? आपका क्या कहना चाहेंगे?

 

नितिन जी : ताऊ तो बस ताऊ ही हैं, जैसे ही खोज खत्म होगी आपको तुरंत बता देंगे, वैसे रामप्यारी की बातों से तो लगता है वे पिताजी से एक कदम आगे और काकाजी से दो कदम आगे हैं!

 

 

ताऊ : ताऊ साप्ताहिक पत्रिका के बारे मे क्या कहना चाहेंगे?

 

नितिन जी : साप्ताहिक पत्रिका हर अंक से साथ नये लेखों से हिन्दी ब्लाग जगत को समृध्द कर रही है, सभी संपादक और विशेष कर रामप्यारी  बधाई की पात्र है. 

 

ताऊ : भाई रामप्यारी विशेष कर क्यों?

 

नितिन  जी :  क्योंकि रामप्यारी ने सभी के दिलों में अपने लिये जगह बना ली है. रामप्यारी की बातूनी बच्चों की तरह बक बक करने की आदत अपने बच्चों की बरबस याद दिला देती है.  पता नही क्यूं?  मुझे रामप्यारी का बक बक करना,  बेसिर पैर की बातें करना…किसी को भी अंकल..आंटी..दीदी से संबोधित करना…एक अपना पन सा लगने लगा है.

 

 

ताऊ : अगर आपको भारत का विदेश मंत्री बना दिया जाये तो आप परिस्थियों से कैसे निपटेंगे?

 

नितिन जी : सबसे पहले तो रामप्यारी का पासपोर्ट बनवा कर दूंगा। फिर आपको यात्रा सलाहकार और समीर जी को वित्त सलाहकार बना कर साथ ले कर स्विटज़रलैंड की यात्रा पर निकल जाऊंगा।

 

वहाँ कौन सा खाता खुलवाना है ?  ये तो समीर जी जानते ही होंगे!  बाकी तो फिर बहुत है ही करने को, अब यहाँ सबके सामने कहूंगा तो आप जैसे ताऊ मुझे  इनीशियल ऐडवांटेज ...(हंसते हुये)  देने लग जायेंगे.

 

ताऊ : आपकी श्वेता से पहली मुलाकात कहां हुई?   आपकी अरेंज  मेरिज है? या लव मेरिज है?

 

नितिन जी :भला कोई डाक्टर अपने मरीज से लव करके मेरिज करेगा क्या?   हमारी पहली मुलाकात उनके  क्लीनिक (घर) पर ही हुई थी, उनके पिताजी ने मरीज तलाशा और मेरे घर वालो ने इस आपरेशन के लिये सहमति दे दी , बस फिर क्या था?  बज गई शहनाई.

 

 

अगले दिन वापस निकलने से पहले हमने विश्व की सबसे बडी मोमबत्तीयों की दुकान यांकी केंडल देखी, यहाँ बारह महीनों क्रिसमस का माहौल रहता है, रामप्यारी हमसे हमेशा पूछती थी कि सांता क्लाज अंकल क्रिसमस के बाद कहां रहते है, यहां जब उन से मुलाकात हुई तो पता चला कि ये साहब बाकी दिनों में मोमबत्तियों की इस बड़ी दुकान में डेरा जमाये रहते है।

 

तो ये थे श्री नितिन व्यास.  आपको कैसा लगा इनसे मिलना? अवश्य बताईयेगा.  और अगले सप्ताह आपको मिलवायेंगे ऐसी ही शानदार किसी दूसरी हस्ती से.

शेरू महाराज के सेक्रेटरी के लिये एक भी गीदड नही आया

पिछले भाग मे आप पढ चुके हैं कि शेरू महाराज का सेक्रेटरी गीदड ही होता है. जो उनकी हर तरह से देख भाल करता है.  जंगल मे एक भी गीदड नही बचा  था.  शेर को भूखे मरने की नौबत आगई थी. अत: शेर ने अपने महामंत्री भालूराम और विदेश मंत्री लोमडराम के कहने पर अखबार मे विज्ञापन दिया था.  अब आगे पढिये…

 

शेरू महाराज के विज्ञापन के एवज मे एक भी गीदड नही आया बल्कि तीन आदमी वहां पहुंचे.  उन तीनों से शेर ने पूछा कि एक भी गीदड क्यों नही आया?

 

उनमे से एक डाक्टर था और सबसे ज्यादा पढा लिखा और स्मार्ट सा था. उसने जवाब दिया : महाराज गीदडओं के पास आजकल काम बहुत ज्यादा है.  आजकल शहर मे चुनाव चल रहे हैं सो उनको फ़ुरसत नही है.  उनके लिये  शहर मे ही बहुत बडे बडे  पैकेज उपलब्ध हैं.

 

शेर सिंह जी नाराज होकर दहाडते हुये बोले  -  फ़िर  तुम यहां क्यों आये हो? 

 

वो बोला -  हुजुर मेरे पास कोई काम नही है सो मैं गीदड की जगह आपका सेक्रेटरी बनने आया हूं.

 

शेर बोला -  अरे हमने तो सुना है कि आदमी मे बडी अक्ल होती है?  फ़िर तुम जंगल मे क्युं आये हो?

 

अब शेर ने अपने इंटर्व्यु कमेटी के सदस्यों से  विचार विमर्श किया तो भालूराम और लोमडराम जी ने एक सुर से कहा कि – महाराज आप इन्हे तुरंत वापस भेज दिजिये.  ये आदमी की  जात है..इस पर विश्वास नही किया जा सकता. 

 

इतने मे ही वो तीनों आदमी चिल्लाने लगे कि महाराज हमको शहर वापस मत भेजो हम गीदड के सारे काम करने मे माहिर हैं हमें मौका दिया जाना चाहिये.

 

इस पर चालाक लोमड जी ने कहा – ठीक है. पर एक बात का ध्यान रहे की अगर तुमने कोई लापरवाही दिखाई तो तुमको दंडित किया जायेगा.

 

और उन तीनो मनुष्यों मे डाक्टर जैसा जीव सबसे समझदार दिखाई दे रहा था उसको गीदड की ड्युटी सौप दी गई.  उसने वनस्पति शाश्त्र मे Phd. कर रखी थी.

 

अब शेर ने उसको कहा कि अभी तुम आराम करो. कल दोपहर तक तुम जंगल मे घूम कर मेरे लिये शिकार तलाश करो.  जिससे मेरे लंच का प्रबंध हो सके और बाकी काम लंच करने के बाद.

 

अगले दिन सूबह ही वो डाक्टर शिकार खोजने निकल पडा.  शेर इंतजार करता रहा…दोपहर के दो…तीन..चार बज गये .  पर वो नही आया.  शेर भूखा मरता झल्लाता रहा…आखिर शाम को छ बजे के आसपास वो आदमी आया और बोला – महाराज चलिये आपके लिये बहुत शानदार भोजन मैने तलाश लिया है.

 

अब वो भूखे शेर को अपने साथ घुमाता घुमाता उबड खाबड रास्तो से एक हरे हरे मटर के खेत मे लेगया. 

 

वहां पहुंच कर शेर बोला -  अबे अब और कितनी दूर लेजायेगा भूखे प्यासे को?  बता कहां है मेरा शिकार?

 

वो आदमी बोला : महाराज ये सामने देखिये क्या बेहतरीन और स्वादिष्ट मटर का खेत  है?  आप खाईये इसे और मीठे मीठे मटरों का आनन्द लिजिये. ये बहुत गुणकारी और सेहत मंद होते हैं.

 

इतना सुनते ही शेर का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया और शेर बोला – अबे उल्लू के पठ्ठे…तुझको किसने डाक्टर बना दिया?  हैं..?  अब शेर को ये घास फ़ूस खाना पडेगा?

 

वो आदमी बोला – महाराज मैं आदमी या ढोरों का डाक्टर नही हूं. अगर वो होता तो यहां क्यों आता?  उनको तो एक बार नब्ज पकडने के ही हजार पंद्रह सौ मिल जाते हैं. मैने तो बाटनी मे डाक्टरी की है इसीलिये बेकारी में यहां चला आया.

 

जैसे जैसे वो बोलता गया वैसे वैसे भूखे शेर का गुस्सा बढता गया..अब शेर सिंह जी बोले – नामाकूल..साले आदमी की औलाद….तुझे शर्म नही आई…ये कहते हुये कि….मटर खालो?  अबे मनहूस…सारे दिन भूखा मार दिया.   तेरे को मालूम है -  शेर घास फ़ूस नही खाता…शेर को गोश्त लगता है खाने में?

 

और उस शेर ने उस आदमी को इनिशियल एडवांटेज मे दो झापड रसीद किये और उसकी मूंडी पकड कर तोड दी और उसको खा गया……इसके बाद अगले आदमी को शेर सिंह जी की सेवा मे लगा दिया गया जो कि कम पढा लिखा था…यानि ग्रेज्युट था…..और इसके बाद नम्बर आया ताऊ का..जो कि बिल्कुल ही अंगूठा छाप था.

 

अब अगले भाग मे पढिये…बचे हुये इन दोनों के साथ क्या क्या हुआ?  ताऊ कैसे फ़ंस गया…शेर सिंह जी ने ब्लागिंग मे क्या कमाल किया?  किस किस ब्लागर के साथ क्या क्या किया?  आपको भी अपना विवरण चाहिये तो शेर सिंह जी के पास अपना रजिस्ट्रेशन करवायें…..और भी बहुत कुछ पढिये अगले भागों मे……

 

 

 

 


इब खूंटे पै पढो :-

अक्सर ताऊ शब्द ये एहसास देता है कि ये ताऊ नाम का प्राणी उम्र मे पुकारने वाले के  पिताजी से भी बडा होना चाहिये. बात तो सही है कि हमारे यहां ताऊ पिताजी के बडॆ भाई को बोला जाता है. और बच्चों से ताऊ का रिश्ता दादा-बाबा (grandpa) जितना ही खुला होता है.  एक सहज रिश्ता..
बच्चे अपने पिताजी से कभी नही खुलेंगे पर ताऊ से वो ज्यादा हिल मिल जाते हैं.

यहां ताऊ नाम का ना तो कोई प्राणी है और ना कुछ और है.  यहां ताऊ एक विचार मात्र है.  असल
मे यहां पर ताऊ वो होता है जो ताऊ पने के यानि उल्टे सीधे काम करता है. ताऊ एक एहसास का नाम है. आप इसमे अपनापन तलाशेंगे तो अपनापन मिलेगा.  आप इसमे मुर्खता खोजेंगे तो वो भी मिलेगी. 

आप इसको जैसा महसूस करेंगे,  ताऊ वैसा ही आपको लगेगा.  कभी ताऊ आपको शातिर बदमाश लगेगा, कभी बिल्कुल भोला भाला और गांव का गंवार दिखाई देगा..जिसमे अक्ल नाम की कोई चीज नही होती.  यानि ताऊ को आप अपने विचारों की प्रतिकृति पायेंगे, अगर आपने महसूस किया तो.

और सुश्री रचना जी की पोस्ट में उनकी प्रतिटिपणि मे भी उन्होने इस बात को उठाया है. मैं कहना चाहुंगा की रचना जी इस हरियाणवी ताऊ के चरित्र की कोई उम्र नही है. इसको बालक से लेकर बुढ्ढे तक ताऊ ही बोलते हैं. इसकी उम्र खुद ताऊ को भी पता नही है.   आप ताऊ को जिस भी रुप मे देखना चाहें, सिर्फ़ आपकी भावना है.  आपने प्रतिटिपणी मे लिखा कि आज रामपुरिया जी भी
आये ..अहोभाग्य इस ब्लाग के…बहुत बहुत धन्यवाद रचनाजी.  ताऊ को आप जिस भी तरीके से
याद करेंगी..ताऊ अपनी बेवकुफ़ियों के साथ हमेशा आस पास ही दिखेगा.  हर छोटे बडॆ मे ताऊ बनने की प्रबल संभावना है.

तो आईये आज खूंटे पर इस ताऊ की एक और मुर्खता / भोलेपन  का मजा लिया जाये.


अब आपको यह तो कोई बताने वाली बात नही है कि ताऊ ने सरे आम राज भाटियाजी के १५ लाख रुपये डकार लिये और ना भी नही करता और देता भी नही.  समीर लाल जी भी इतने दिन भारत मे इसीलिये रुके कि किसी तरह उनके  दोस्त भाटिया जी के रुपये ताऊ से वसूल करवा दिये जायें.  और
आज दोनों जर्मनी मे मिल ही रहे हैं.  ताऊ सारी खबर रखता है.

खैर ताऊ इस जलालत और रोज रोज के तगादे से परेशान हो गया.  ताऊ ने अब मंदिर में जाकर भगवान से प्रार्थना  शुरु करदी कि हे भगवान  मेरी हालत बहुत खराब है । कृपा करके मेरी एक लाटरी लगा दो। आपकी बड़ी मेहरबानी होगी।''  मुझे एक बार ये भाटिया जी का कर्जा चुकता करना है.

अब ताऊ को एक ही काम कि रोज मंदिर जाना और रोज भगवान से प्रार्थना करना.. अब रोज लाटरी का रिजल्ट टीवी पर सुनाया जाता .  उसमे ताऊ का कहीं नाम निशान ही नही होता. ताऊ बहुत परेशान होगया.  थोडे बहुत पैसे धेले जो जेब मे थे वो भी मंदिर मे प्रसाद बांटने मे खर्च होगये.

फ़िर एक दिन गया मंदिर और शिवजी  को पकड लिया और जोर से हिलाकर बोला – अरे शिवजी बाबा
घणे दिन हो गये तू रोज भूल जाता है. पर आज तू ये लाटरी मेरे नाम ही निकलवा देना.  तेरे लिये कौन सा बडा काम है? तेरा जरासा काम और मेरी तकलीफ़ दूर हो जायेगी.

पर उस दिन भी ताऊ की लाटरी नही निकली. 

अब ताऊ को घणा छोह (गुस्सा) आगया और भोले बाबा की मुर्ती को हिलाकर बोला – देख ओ शिवजी बाबा..तेरे को साफ़ साफ़ बता रहा हू -  अब  मेरे पास आत्महत्या के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा है। अगर आज आपने मेरी लाटरी नहीं खोली तो मैं आत्महत्या कर लूंगा!''  और ये ताऊ हत्या का
पाप आपको लगेगा.

अब शिवजी बाबा ने आकाशवाणी की -  अरे बावलीबूच ताऊ..इतने दिन से मुझे परेशान कर रहा है?
अरे बेवकुफ़ मैं कैसे तेरे लाटरी खुलवाऊ?  मुर्ख ताऊ ..पहले जाके लाटरी का टिकट तो खरीद.

 

 

 

सूचना :  कल गुरुवार सुबह ५:५५ AM  पर परिचयनामा में श्री नितिन व्यास के साथ हमारी अंतरंग बातचीत पढना ना भुलियेगा.

"सोचता हूं"

सोचता हूं


sochata hoon 

जीवन को  मंजिल तक ले जाए
ऐसी राह कोई नजर आती नही
एक नज़र पीछे भी देखा तो सिर्फ़
मुरझाये फ़ूळ, झरे हुये पत्ते
sochata2
कांटे से भरी राहें अनगिनत और
एक लंबी सुनसान रात के बाद
सामने छटपटाती सी एक  सुबाह
सोचता हुं.....


रोज रोज की जलन से अच्छा है
सौ सुनार की और एक लुहार की
कहावत को ही मै सार्थक  कर लुं
और इस शरीर रूपी ताबुत मे
रात को दफ़न करने के पहले
म्रत्यु रूपी आखिरी कील ठोक दूं


(इस रचना के दुरूस्तीकरण के लिये सुश्री सीमा गुप्ता का हार्दिक आभार!)

ताऊ साप्ताहिक पत्रिका अंक - 19

प्रिय बहणों, भाईयो, भतिजियों और भतीजो आप सबका ताऊ साप्ताहिक पत्रिका के 19 वें अंक मे स्वागत है.

राऊंड दो के नौवें अंक की पहेली का सही जवाब थिरुवेल्लुवर स्टेच्यु कन्याकुमारी था. जिसके बारे मे आज के अंक मे विशेष जानकारी दे रही हैं सुश्री अल्पना वर्मा.

आज हमारा पर्यावरण बहुत नाजुक मोड पर है. बडे बडे काम जब होंगे तब होंगे. पर उनके भरोसे हमे अपने छोटे छोटे प्रयास बंद नही करने चाहिये. जो भी थोडा बहुत हम कर सकें उतना हमको अवश्य करना चाहिये.

अगर हम आज के तीन सुत्रों की बात करें तो मोटे तौर पर हमें इन तीन “ज” सुत्रों पर ध्यान देने की अति आवश्यकता है. और अपनी अपनी रुचि के अनुसार हम थोडा बहुत योगदान तो अवश्य ही दे सकते हैं. आईये संक्षेप मे इनके बारे मे जानें.

१. जल : आप जानते ही हैं कि हमारी सबसे महती आवश्यकता जल का क्या हाल है? जिस जल को हम प्याऊ लगवाकर प्यासों को पिलवाया करते थे वो अब १२ या १५ रुपया लीटर बिकने लगा है. आज भुमि का जल स्तर अनेक उपायों के बावजूद भी नही बढ रहा है. पानी सरंक्षण के उपाय करें. और जैसे आटे दाल का बजट तय होता है घर मे. उसी तरह जल का भी बजट बनाएं. हर तरह से पानी को संरक्षित किया जाना चाहिये.

२. जंगल : जंगलों को बडी बेरहमी से काट डाला गया है और उसी का खामियाजा हम अब भुगतने लगे हैं. अगर अब भी हम नही चेते तो आने वाली पीढियां हमे कभी माफ़ नही कर पायंगी. जंगलों के अलावा शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के पेड भी बडी बेरहमी से विकास के नाम पर साफ़ कर दिये गये हैं.

इन पेडों को हमे अपने बच्चों की तरह ही बचाना होगा. कमसे कम हम प्रण करें कि हम घर मे जितने लोग हैं उतने पेड तो अवश्य ही इस धरती पर हमारे द्वारा लगाकर पाले जान चाहिये. मित्रों छोटे छोटे प्रयास ही एक दिन बहुत वृहद आकार ले लेते हैं

३. जानवर : पशु सम्पदा हमे कितना कुछ देती है. पर अफ़्सोस हम आज भी उतना नही कर पा रहे हैं. गौ सरंक्षण के नाम पर अनेक अभियान चल रहे हैं हम भी अपने स्तर पर उनमे योगदान करें.

पशु पक्षी हमें जीवन के अंतिम क्षणों तक कुछ ना कुछ देते रहते हैं. बदले मे यह हमारा भी कर्तव्य है कि हम भी उनको कुछ लौटायें.

इन कुछ छोटी छोटी बातों मे से अपनी रुची अनुसार आप भी किसी से जुडे. और कुछ नही तो आप पानी का स्वयम का अपव्यय रोक कर ही इसमे योगदान दे सकते हैं. आपके साथ दो और लोगों को जोडे.

एक घंटा अगर हम बिजली बंद करके प्रकृति के साथ रहें तो यह भी बहुत श्रेष्ठ योगदान होगा. इसमे स्वयम की भी बचत है और पर्यावरण की तो है ही. यह धरती हम सब की है. आईये इसकी भी थोडी फ़िक्र पालें.

आइये अब चलते हैं सु अल्पनाजी के “मेरा पन्ना” की और:-

-ताऊ रामपुरिया


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"मेरा पन्ना" -अल्पना वर्मा


भारत के मस्तक पर मुकुट के समान सजे हिमालय के धवल शिखरों पर हमने आप को घुमाया और अब लिए चलते हैं, भारतभूमि के अंतिम छोर पर..अर्थात कन्याकुमारी .छुटपन में जब हम कन्याकुमारी घूमने गए तब बस से उतरते ही अपने जीवन में पहली बार समुन्दर देखा.दूर तक फैली हुई नीली चादर की तरह ,बहुत शांत बहता सा,इतना खूबसूरत लगा था कि वह नज़ारा अब तक आँखों में बसा है.


जानिए इस शहर के बारे में-


कन्या कुमारी तमिलनाडू प्रान्त के सुदूर दक्षिण तट पर बसा एक शहर है

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“ दुनिया मेरी नजर से” -आशीष खण्डेलवाल


सबसे छोटा कलाका


पिछले हफ्ते हमने दुनिया के सबसे लंबे इंसान को देखा था। आज बारी है दुनिया के सबसे छोटे कलाकार के बारे में जानने की। महज ढाई फीट (76 सेंटीमीटर) का यह कलाकार हिंदुस्तानी है और इसका नाम पिछले हफ्ते ही गिनीज बुक ऑफ वल्ड रिकॉर्ड्स में शुमार हुआ है। पढ़िए यह ख़बर..


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"मेरी कलम से" -Seema Gupta


जीवन के मूल्यवान पाठ


एक राजा था जो कला का एक बड़ा प्रशंसक था. वह अपने देश में सब से अधिक कलाकारों को प्रोत्साहित किया करता था और उन्हें कीमती उपहार देता था.


एक दिन एक कलाकार आया और राजा से कहा, "हे राजा मुझे अपने महल में एक खाली दीवार दो! और मुझे उस पर एक चित्र बनाने दो. चित्र इतना सुंदर होगा जिसे आपने पहले कभी नहीं देखा होगा. मै आपको निराश नहीं करूंगा ये मेरा वादा है. "


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हमारी संस्कृति संपादक सुश्री विनीता यशश्वी नै्नीताल के नंदा देवी मेले के बारे मे सचित्र जानकारी दे रही हैं । आईये अब उनसे जानते हैं नैनीताल के नंदा देवी मेले के बारे में.

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नमस्कार,
नैनीताल में 1918-19 से प्रति वर्ष नन्दा देवी मेले का आयोजन किया जाता है जो कि 3-4 दिन तक चलता है। मेले के धार्मिक अनुष्ठान पंचमी के दिन से प्रारम्भ हो जाते है। जिसके प्रथम चरण में मूर्तियों का निर्माण होता है। मूर्तियों के निर्माण के लिये केले के वृक्षों का चुनाव किया जाता है। केले के वृक्ष को लाने का भी अनुष्ठान किया जाता है।


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आईये आपको मिलवाते हैं हमारे सहायक संपादक हीरामन से. जो अति मनोरंजक टिपणियां छांट कर लाये हैं आपके लिये.


मैं हूं हीरामन

राम राम ! सभी भाईयों और बहनों को.

आज के प्रथम विदूषक का खिताब जाता है .......


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ट्रेलर : - पढिये : गुरुवार ता : ३० अप्रेल २००९ को  श्री नितिन व्यास से अंतरंग बातचीत

 

 

 

nitin-vyas कुछ अंश श्री नितिन व्यास  से अंतरंग बात चीत के…..

 

ताऊ : हां तो नितिन जी, आप भारत मे कहां से हैं?

 

 

नितिन जी  :  फोटो देखकर तो कोई भी कह सकता है कि जंगल के अलावा मैं कहाँ से हो सकता हूँ, लेकिन फिर भी आप पूछ ही रहे हैं तो बताये देता हूँ मेरा जन्म चंद्रशेखर आज़ाद जी के जन्मस्थान भाबरा जिला झाबुआ (म.प्र.) में हुआ।

  

ताऊ : तो फ़िर आप अमेरीका कैसे आगये?

 

नितिन जी :  रोज़ी रोटी कमाने के लिये भारत से अमेरिका आगया ।


ताऊ : भई बात समझ मे नही आई हमारे? हमने तो सुना था कि श्वेता ( श्रीमती नितिन)   पशुओं की डाक्टर हैं?

 

नितिन जी :  आपकी जानकारी सही है ताऊजी.  ( हंसते हुये,,) पर मैं भी तो हाथी  हूं ना?


……

और भी बहुत कुछ धमाकेदार बातें…..
इंतजार की घडियां खत्म…..आते गुरुवार मिलिये हमारे चहेते मेहमान श्री नितिन व्यास  से……..


 

 

 

अब ताऊ साप्ताहिक पत्रिका का यह अंक यहीं समाप्त करने की इजाजत चाहते हैं. अगले सप्ताह फ़िर आपसे मुलाकात होगी. संपादक मंडल के सभी सदस्यों की और से आपके सहयोग के लिये आभार.

संपादक मंडल :-

मुख्य संपादक : ताऊ रामपुरिया

विशेष संपादक : अल्पना वर्मा

संपादक (प्रबंधन) : Seema Gupta

संपादक (तकनीकी) : आशीष खण्डेलवाल

संस्कृति संपादक : विनीता यशश्वी

सहायक संपादक : बीनू फ़िरंगी एवम मिस. रामप्यारी

ताऊ पहेली राऊंड 2 अंक 9 का जवाब

प्रिय बहणों,  भाईयो, भतीजियों और भतीजों आप सबका पहेली के जवाबी अंक मे स्वागत है.

 

कल की पहेली का सही जवाब था तिरुवल्लुवर स्टेच्यू कन्याकुमारी... इसके बारे मे   कल सोमवार की ताऊ साप्ताहिक पत्रिका मे विस्तार से बता रही हैं सु अल्पना वर्मा.

 

इस पहेली की प्रथम विजेता रही हैं poemsnpuja  यानि कि सुश्री पूजा उपाध्याय और द्वितिय विजेता रहे हैं Smart Indian - स्मार्ट इंडियन यानि  श्री अनुराग शर्मा और तृतिय विजेता हैं हिंदी ब्लाग टिप्स वाले आशीष खण्डेलवाल (Ashish Khandelwal)   बधाई. 

 

हमारी परम्परा के अनुसार हमारी  आज की  सम्माननिय प्रथम विजेता सुश्री पूजा उपाध्याय को आंमंत्रण भेज रहे हैं ताऊ के साथ हरयाणवी कलेवा (breakfast) करने के लिये.

 

अब आज के रिजल्ट की तरफ़ बढने से पहले अनवर हुसैन अनवर साहब फ़रमाते हैं :

 

 

ना कोई खत ना खबर और ना कोई संदेशा

बिछडने   वाले गये तो    किधर   गये    आखिर

ताऊ रामपुरिया की तरफ़ से आपको बहुत  घणी रामराम.

 

 

 

 


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आदर्णीय देवियों और सज्जनों, ताऊ के भाइयो, बहणों, भतीजियों और भतीजो, समस्त संपादक मंडल के सदस्य गणों,   आप सबको बीनू फ़िरंगी का सादर प्रणाम.

और मिस रामप्यारी और हीरामन को  विशेष रामराम.

 

ताऊ पहेली राऊंड –२ के नौवें अंक का रिजल्ट घोषित करते हुये मुझे  अपार हर्ष हो रहा है. और मैं अपने आपको गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं कि मुझे ये मौका आज फ़िर  मिला. और जब तक ताऊ चाहेगा आगे भी मिलता रहेगा.

 

 

तो आईये अब चलते हैं रिजल्ट की तरफ़.  हमारी इस पहेली का सही जवाब तिरुवल्लुवर स्टेच्यू कन्याकुमारी,  जिस पर कल आपको ताऊ साप्ताहिक पत्रिका मे सु अल्पना वर्मा देगी बहुत ही विस्तृत जानकारी.

 

 

 

सर्वाधिक अंक प्रात किये १०१



poemsnpuja
घणी बधाई प्रथम स्थान के लिये. .सुश्री पूजा उपाध्याय

तालियां..... तालियां..... तालियां..... जोरदार  ….  तालियां

विशेष बधाई….

 



आज के उप विजेता  अंक १०० के साथ बधाई

smartindian


 श्री अनुराग शर्मा

 

 

आज के तृतिय विजेता अंक ९९ के साथ ...बधाई



ashish1


  आशीष खण्डेलवाल (Ashish Khandelwal) 

 

 

आईये अब अन्य माननिय विजेताओं के बारे में  क्रमश:  जानते हैं. जिनको ऊपर से नीचे के क्रम में ९८ से ७६ तक अंक दिये गये हैं.  सभी को हार्दिक बधाई.

 

 

 seema gupta अंक ९८

Udan Tashtari अंक ९७

  Shastri अंक ९६

  P.N. Subramanian अंक ९५

  प्रकाश गोविन्द अंक ९४

  अन्तर सोहिल अंक ९३

  मीत अंक ९२

हिमांशु । Himanshu अंक ९१
Pt.डी.के.शर्मा"वत्स" अंक ९०

  अभिषेक ओझा अंक८९

 ranjan 

  अंक ८८

  नितिन व्यास अंक ८७

  मुसाफिर जाट  अंक ८६

HEY PRABHU YEH TERA PATH अंक ८५
दिलीप कवठेकर अंक ८४

  दर्पण साह "दर्शन" अंक ८३

Vivek Rastogi अंक ८२

 

कलम का सिपाही अंक ८१

  आदर्श राठौर अंक ८०

  सतीश चंद्र सत्यार्थी अंक ७९


योगेश समदर्शी
अंक ७८

  Syed Akbar अंक ७७

Harkirat Haqeer अंक ७६

 

 

इसके अलावा निम्न महानुभाओं ने भी इस पहेली अंक मे शामिल होकर हमारा उत्साह बढाया. जिसके लिये हम उनके हृदय से आभारी हैं.

 

 

डा. रुप चन्द्र शाश्त्री,  श्री दिनेश राय द्विवेदी,  श्री अरविंद मिश्रा,  श्री दीपक तिवारी साहब,  श्री मकरंद, 

 

श्री संजय बैंगाणी,  श्री अनिल पूसदकर,  सुश्री लवली कुमारी,  श्री गौतम राजरिशी,  सुश्री विधु,  सुश्री सोनु,

 

श्री भैरव,  श्री मोहन वशिष्ठ,  श्री रतन सिंह शेखावत,  श्री काजल कुमार और   श्री नरेश सिंह राथौड.

 

बहुत धन्यवाद आप सभी का.

 

 

 

 


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रामप्यारी की क्लास मे :-

हैल्लो एवरी बडी..गुड आफ़्टर नून….

जैसा कि अब तो आपको मालूम पड ही गया होगा कि सही जवाब क्या है?  वो ना… वो ना…. 

स्वर्णलता आंटी ना…जबरन अप्सराओं मे घुस कर बैठ गई थी….

 

और मुझे सबसे पहले बताया नितिन व्यास अंकल ने…फ़िर ना वो पिट्स्बर्ग से अनुराग अंकल ने बिल्कुल सही सही बताया  …..और मालूंम है…उसी वक्त लंदन से समीर अंकल की मेल आगई कि

रामप्यारी क्या करूं?  ताऊ के ब्लाग पर तो कमेंट ही नही कर पा रहा हूं? और मैं तो रास्ते मे

हूं…..मैने भी कह दिया कि अंकल कोई बात नही आप का जवाब रामप्यारी तक पहुंच गया है…अब चिंता की कोई बात नही…

 

और बोलो..एक बात आपने देखी कि नही?  फ़िर आप कह दोगे..रामप्यारी तू भी फ़ालतू बकबास

करती रहती है  काम धाम कुछ करती नही है…

 

अब आप तो ऐसे ही बोलोगे ना..पर रामप्यारी को चारों तरफ़ नजर रखनी पडती है…..हां तो मैं फ़िर भूल गई ?  क्या कह रही थी मैं?   हां   याद आया…पहले तीनों सही जवाब NRI  के आये..अब ये

भी सोचने वाली बात है कि ये हुआ कैसे?  विचार करना पडॆगा…

 

हां फ़िर जयपुर वाले आशीष अंकल भी सही जवाब लेकर आगये…और फ़िर सीमा आंटी भी बिल्कुल सही जवाब लेकर आई….और मालूंम है…आंटी ने तो मेरी ड्रेस की तारीफ़ भी की..थैंक्यु आंटी..

 

फ़िर महक आंटी ने भी बिल्कुल सही जवाब दिया…और ना…और ना… महक आंटी ने तो मेरे को कहा कि रामप्यारी तू तो बदमाशी करती हुई ही अच्छी लगती है…थैंक्यु आंटी..जरा इन और लोगों को

भी समझाईये ना.

 

उसके बाद अनिल अंकल…...अंतर सोहिल अंकल,  आये.

 

और फ़िर ना..पहली बार आये मीत अंकल और उन्होने ही बताया कि ये स्वर्णलता जबरन घुस कर बैठ गई है. तब जाके मैने उसे बाहर किया…थैंक्यु अंकल……

 

 

फ़िर हे प्रभु ये तेरा पथ वाले अंकल आये…और फ़िर आज ना……वो अभिषेक ओझा अंकल भी बिल्कुल सही जवाब लेकर आये संस्कृत वाला…थैंक्यु अंकल..मेरी चाकलेट भिजवा देना..मुझे चाकलेट बहुत अच्छी लगती है .

 

फ़िर आये पंडित डी.के. शर्मा अंकल…..अंकल मेरी जन्मपत्री देखी क्या?

 

फ़िर रविकांत पांडे अंकल…..फ़िर आये दर्पण शाह दर्पण अंकल ..और दर्पण अंकल ने क्या किया?

बतादूं अंकल?  …?…हां दर्पण अंकल ने मैने जो गुलजार अंकल की नज्म “ मेरे यार जुलाहे”

लिखी थी ना उसकी पैरोडी बना कर चले गये ..” मेरे यार ब्लागर बता..”

 

फ़िर आये वो अशोक पांडे अंकल…हाय अंकल..कैसी चल रही है खेती बाडी..?

 

और फ़िर आई डाक्टर पूजा दीदी..अरे दीदी..लठ्ठ वठ्ठ मत मारना…देखो ना ..आज तो आपको प्रथम विजेता भी बनवा दिया मैने …आज तो लठ्ठ मत मारिये.. वो काम तो ताई ही बहुत अच्छी तरह कर लेती है…कभी कभी…ताऊ के साथ साथ मुझे भी पड जाते हैं.  आज तो मिठ्ठाई खिलाईये…कब आऊं इंटर्व्यु लेने?

 

फ़िर सतीश चंद्र सत्यार्थी अंकल आये….फ़िर प्रकाश गोविंद अंकल आये…अरे अंकल आप तो अबकी बार टीप कर पास हुये हो…आप कोई मेरी तरह बच्चे हो क्या? जो टीपते हो और सबको बता भी देते हो? और आपकी अप्सराओं से जरा दूर ही रहा किजिये…वो बहुत खतरनाक वाली अप्सराएं हैं.

 

फ़िर आई हरकीरत आंटी..हाय आंटी…जब मेरे हाथ मे सत्ता आजायेगी ना..तब तो मैं सब कुछ आऊट कर दूंगी…ठीक है ना आंटी.

 

और फ़िर आये सैयद अकबर अंकल….और बोले कि  रामप्यारी  ये जवाब तो लवि की मम्मी ने बताया

है..तो सही बात है ना अंकल..आंटी तो है ही बुद्धिमान…इसीलिये आप जीत भी गये..हाय लवि कैसी है तू?

तू नाराज मत होना,  अबकी बार ना .. जब मैं जयपुर आऊंगी ना…तब पक्के से तेरे से मिलूंगी.. विद्या माता की कसम..

 

और सबके आखिर मे आये दिलिप कवठेकर अंकल..हाय अंकल कहां हो आजकल?

 

हां तो अब मैने आप  सब  आंटियों , अंकलों और दीदीयों को पूरे ३० नम्बर दिलवा दिये हैं.

 

आप सबको बधाई और अब रामप्यारी आपको अगले शनीवार फ़िर मिलेगी इसी

ताऊ पहेली के अगले अंक में.

अब रामप्यारी को इजाजत दिजिये….. आप सबको घणी नमस्ते.. रामराम… .

 

 

 

 

पाठकों के विचार स्तम्भ मे आज फ़िर से हैं श्री महावीर बी. सेमलानी

 

 



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                                                     हे प्रभु यह तेरापन्थ

                                              महावीर बी सेमलानी " भारती'

 

 

भारतीय प्रायद्वीप के दक्षिणी छोर पर स्थित कन्याकुमारी अद्वितीय शहर है।

 

(कोची केरल मे सारथी के शास्त्रीजीजी का पेतृक गॉव है) लेकिन कन्याकुमारी वास्तव में तमिलनाडु राज्य का एक खास पर्यटन स्थल है।

 

आपको पता होगा,कन्याकुमारी दक्षिण भारत के महान शासकों चोल, चेर, पांड्य के अधीन रहा है। यहां के स्मारकों पर इन शासकों की छाप स्पष्ट दिखाई देती है।

 


यहां आए थे चैतन्य महाप्रभु

कुमारी अम्मन  मंदिर से कुछ दूरी पर सावित्री घाट, गायत्री घाट, स्याणु घाट एवं तीर्थघाट बने हैं
घाट पर सोलह स्तंभ का एक मंडप बना है। मंदिर के गर्भगृह में देवी की अत्यंत सौम्य प्रतिमा विराजमान है। विभिन्न अलंकरणों से सुशोभित प्रतिमा केवल दीपक के प्रकाश में ही मनोहारी प्रतीत होती है। देवी की नथ में जडा हीरा एक अनोखी जगमगाहट बिखेरता है। कहते हैं बहुत पहले की बात है, मंदिर का पूर्वी द्वार खुला होता था तो हीरे की चमक दूर समुद्र में जाते जहाजों पर से भी नजर आती थी, जिससे नाविकों को किसी दूरस्थ प्रकाश स्तंभ का भ्रम होता था। इस भ्रम में दुर्घटना की आशंका रहती थी। इसी कारण पूर्वी द्वार बंद रखा जाने लगा। अब यह द्वार बैशाख ध्वजारोहण, उत्सव, रथोत्सव, जलयात्रा उत्सव जैसे विशेष अवसरों पर ही खोला जाता है। माना जाता है कि चैतन्य महाप्रभु इस मंदिर में जलयात्रा पर्व पर आए थे

मंदिर में पुरुषों को ऊपरी वस्त्र यानी शर्ट एवं बनियान उतार कर जाना होता है।

 

Tirukkural बोल्ड विचारों वाले थे,उन्होंने जाति व्यवस्था को खारिज कर दिया।

एक महान और पुण्य कवि और दार्शनिक  तिरुक्कुल्लुर जो दक्षिण भारत के कृषक समुदाय मे जन्मे, अपनी जिविका कढाई-बुनाई करके यापित करते थे। तिरुक्कुल्लुर "है थिरू"+क्कुल्लुर, इसके नाम का दूसरा भाग छंद की कम लंबाई की वजह से दिया गया था।

"थिरू" शब्द पवित्रता का धोतक है +    क्कुल्लुर (Kural) हिंदू ग्रंथों के वेदों के बराबर माना जाता है.

 

तमिल कवि  भरतियार (Bharathiyar) के शब्दो मे कहु तो -" तमिलनाडु "तिरुक्कुल्लुर" के सार्वभौमिक नज्मो  के कारण प्रसिद्ध हो गया है.।"

 

इसके अमरता और सार्वभौमिकता असंदिग्ध है. एक दुनिया के विभिन्न भाषाओं में इसका व्यापक अनुवाद के कारणों के निर्विवाद तथ्य यह है कि नैतिकता और इसे वहन मूल्यों सभी धर्मों, सभी देशों और सभी समय पर लागू कर रहे हैं. यह रोमन कैथोलिक ईसाई और सार्वभौमिकता प्राचीन या आधुनिक समय के किसी भी साहित्यिक कार्यों के लिए एक अद्वितीय विशेषता है.

 

वैज्ञानिक के रूप में तमिल के कवियो के साथ ही तीन तमिल राज्य के राजा के दक्षिण भारत में Thirukkural की साहित्यिक महानता स्वीकार किया.   तिरुक्कुल्लुर ने ऐसे एक तीक्ष्ण अंतर्दृष्टि, संपूर्ण प्रभुत्व और समाप्ति कौशल आधुनिक मनोविज्ञान की सबसे सूक्ष्म अवधारणाओं अवशोषित के साथ, यह एक है मानव स्वभाव की जटिलताओं diagnoses उसकी झाड़ू और गहराई में सोच छोड़ दिया है.

आपको बता दू तमिलनाडु सरकार के मुख्यमन्त्री करुणाकरण रजनीकान्त को लेकर व होलिवुड के सहयोग से महान कवि के नाम पर "तिरुक्कुल्लुर" फिल्म बनाने जा रहे है जिस पर ५० से १०० करोड का खर्चा आऐगा।

 


घर्म सार कहता है कि स्वर्ग मॉ के चरणो मे,(पैर छुने से  व्यक्ती का जीवन धन्य हो जाता है पापो का क्षय होता है) तो फिर भारत माता के पैर छुने के लिऐ उनका आशिष लेने के लिऐ वास्तविक स्वर्गलोक जाने के लिऐ हमे कन्या कुमारी के दर्शन करने चाहिऐ आप शान्ती,का अनुभव करगे।

 

नोट- कुछ वरृतान्त मेरी यात्रा के अनुभवो पर आधारित है और कुछ खोजी यन्त्रो एवम साहित्यो से प्राप्त है।

प्रस्तुती -

महावीर बी सेमलानी "भारती'

 

हे प्रभु यह तेरापथ

 

 

 

अच्छा अब नमस्ते. कल सोमवार को ताऊ साप्ताहिक पत्रिका मे आपसे पुन: भेंट होगी.

 

सभी प्रतिभागियों को इस प्रतियोगिता मे हमारा उत्साह वर्धन करने के लिये हार्दिक धन्यवाद. इस दुसरे राऊंड की नौवीं  पहेली का आयोजन एवम संचालन ताऊ रामपुरिया और सुश्री अल्पना वर्मा ने किया.

 

संपादक मंडल :-

 

मुख्य संपादक : ताऊ रामपुरिया

 

विशेष संपादक : अल्पना वर्मा

 

संपादक (प्रबंधन) : seema gupta

 

संपादक (तकनीकी)  : आशीष खण्डेलवाल

 

संस्कृति संपादक :  : विनीता यशश्वी

 

सहायक संपादक : बीनू फ़िरंगी एवम मिस. रामप्यारी

 

सहायक संपादक : हीरामन