जैसा कि आप जानते हैं कि श्री नितिन व्यास ताऊ पहेली राऊंड प्रथम की मेरिट लिस्ट मे थे. और इस दूसरे राऊंड मे भी चौथे स्थान पर चल रहे हैं. हमने उनका साक्षात्कार किया यू एस के एमहर्तज़ में.
एमहर्तज़ जाने के लिये हम बोस्टन एयर पोर्ट पहुंचे वहां नितिन जी को पहचानने में थोडी दिक्कत हुई क्योंकि अमेरिका में उनके जैसे खाते पीते घर के लोगों की कमी नहीं है, फिर भी हम जैसे ताऊ को उन्होने फट से पहचान लिया। वहां हमको लेने नितिन जी के साथ उनकी बिटिया निषिता भी आई थी.
नितिन जी ने कहा कि ताऊजी आप बोस्टन आ ही गये हो तो आज बोस्टन की सैर करके शाम तक एमहर्तज़ चलें तो कैसा रहेगा। ईंटर्व्यु तो शाम को घर पहुंच कर कर लेना.
हमने कहा कि ठीक है भाई. जैसा आप उचित समझे, और बन गया वहीं से बोस्टन घूमने का प्रोग्राम.
एमहर्तज़ बोस्टन से करीब १०० मील की दूरी पर है। बोस्टन में घूमने के लिये इस बतख गाडी का प्रयोग किया जाता है. हमे तो बडा आश्चर्य हुआ जब यही गाडी हमको सडक पर भी घुमाती रही और पानी मे भी घुमाती रही.
नितिन जी, निषिता और हम इस गाडी (DUKW) में घूमे, जमीन और पानी में चलने वाली इस बतख की सवारी करके बहुत मजा आया.
बतख की सवारी के बाद हम पहुंचे बोस्टन हार्बर, वहाँ से जहाज में बैठ कर व्हेल के दर्शन करने को निकले। लोग कहते हैं कि मौसम के मुताबिक व्हेल देवी कभी दर्शन देती है और कभी नहीं भी, लेकिन नितिन ने देवी जी से पहले से एपांइटमेंट लेकर रखा था यह कहकर कि देखना हमारा लठ्ठ और भैंस वाला ताऊ आ रहा है सो उसका जोरदार स्वागत करना.
हम तो वहां उनके इलाके में पहुंचते ही आश्चर्य चकित रह गये. उन्होने कुछ ऐसे उछल ऊछल कर हमारा स्वागत किया कि हम तो मंत्रमुग्ध से रह गये.
अब निषिता ने जिद करना शुरु करदी कि उसे तो बोस्टन एक्वेरियम में पेंगुइनो से भी मिलना है. सो उसकी जिद्द की वजह से हमे इन पेंगुईनों से मिलने का भी सौभाग्य मिला. काश रामप्यारी भी साथ आई होती तो उसको भी मजा आ जाता.
अब नितिन जी ने हमको बोस्टन में हार्वड विश्वविघालय और एम आई टी भी देख लेने का प्रस्ताव रखा तो हमने कहा कि ये सब पढ़े लिखे लोगों के लिये है, हमारे जैसे लठ्ठधारी ताऊओं का ऐसी जगहों पर क्या काम? हमको कौन सी यहां MBA की डिग्री लेनी है?
शाम तक बोस्टन में घूमने के बाद रास्ते में एक बडे लक्ष्मी जी के मंदिर में भी दर्शन करने रुके. , वहां से करीब एक घंटे की ड्राईव के बाद एमहर्तज़ पहुंचे।
हमने घर पहुंचकर तैयार हो कर साक्षात्कार का सिलसिला शुरु किया.
ताऊ : हां तो नितिन जी, आप भारत मे कहां से हैं?
नितिन जी : फोटो देखकर तो कोई भी कह सकता है कि जंगल के अलावा मैं कहाँ से हो सकता हूँ, लेकिन फिर भी आप पूछ ही रहे हैं तो बताये देता हूँ मेरा जन्म चंद्रशेखर आज़ाद जी के जन्मस्थान भाबरा जिला झाबुआ (म.प्र.) में हुआ।
ताऊ : फ़िर तो आपकी शिक्षा दिक्षा भी वहीं झाबुआ मे हुई होगी?
नितिन जी : नही ताऊ जी, मैने बचपन करीब-करीब पूरा यूनुस जी के दमोह और उडन तश्तरी के जबलपुर में बिताया।
ताऊ : तो फ़िर आप अमेरीका कैसे आगये?
नितिन जी : जबलपुर, अहमदाबाद, सूरत, पूना और मुम्बई की घास छीलने के बाद अमेरिकी घास खाने का मौका मिला तो बस आज से कुछ साल पहले अमेरिका आ गया।
ताऊ : तो यहां क्या करते हैं आप?
नितिन जी : यहाँ एक बड़ी कंपनी में साफ्टवेयर मेकेनिक के जैसे काम करता हूँ, काम के सिलसिले में गोरों से कम और देशियों से ज्यादा माथा-पच्ची करता हूँ।
ताऊ : फ़िर आप इस गांव जैसी जगह में कैसे आगये?
नितिन जी : आजकल पत्नी जी की पढ़ाई के चलते मसेचुसेट्स के एमहर्टस नामक गांव में रहता हूँ।
एमहर्तज़ में नितिन जी के घर के बाहर का दृष्य
ताऊ : ओह..अब समझ आया यहां रहने का राज.. पर जगह बडी सुंदर लगी हमको तो. खैर आप कोई आपके जीवन की अविस्मरणिय घटना बतायेंगें?
नितिन जी : अब तक पूरा जीवन ही अविस्मरणीय घटनाओं का पुलिंदा है, बहुत सी घटनायें है सुनाने के लिये आपने उलझन में डाल दिया है, क्या सुनाऊं क्या छोड़ दूं।
ताऊ : चलिये कोई एक ही सुनाईये.
नितिन जी : एक तो घटना तो यही कि उन्मुक्त जी जैसे वरिष्ठ ब्लागर ने मेरे बारे में इतना कुछ कह दिया, उनका और सारे उत्साहवर्धन करने वाले साथियों का बहुत बहुत शुक्रिया!!
ताऊ : : नितिन जी आप ये बताईये कि आपके शौक क्या हैं?
नितिन जी : स्वादिष्ट शाकाहारी खाने और बनाने का शौक प्रमुख हैं इसके अलावा इंटरनेट खंगालना, चिट्ठे पढ़ना, फोटोग्राफी, नुसरत फ़तेह अली ख़ान साहब और जगजीत सिंह साहब को सुनना और पहेलियाँ सुलझाना अच्छा लगता है।
ताऊ : आपको सख्त ना पसंद क्या है?
नितिन जी : स्वार्थ, संकीर्णता, अनुशासनहीनता और मक्कारी!
ताऊ : अब मैं आपसे पूछू कि आपको पसंद क्या है?
नितिन जी : बहुत कुछ.. सीधे सादे सच्चे लोग, ईमानदारी, शाकाहारी तीखा भोजन, कलात्मक सिनेमा, ईरानी फिल्में, व्यंग और लघु कथायें आदि आदि…
ताऊ : आपने कहा कि ईरानी फ़िल्में? कोई खास वजह?
नितिन जी : मुझे हमेशा से ही कलात्मक फिल्में पसंद आती रही है जो जीवन की वास्तविकता के करीब हो। ईरानी फिल्मों में आम जीवन की झलक मिलती है । मानवीय भावनाओं को दर्शाने में ईरानी फिल्मकारों का जवाब नहीं है यदि मौका मिले तो मजीद मजीदी की बचेहा-ए-आसमान या मोहसेन मख्मलबफ की कंधार जरुर देखियेगा।
ताऊ : आप हमारे पाठको से कुछ कहना चाहें तो क्या कहना चाहेंगे?
नितिन जी : सारे के सारे पाठक बहुत ही समझदार हैं मै उन्हें क्या कह सकता हूँ, लेकिन आप बहुत जोर दे रहे हैं तो कुछ बातें
१. जैसे भगवान महावीर ने कहा था जियो और जीने दो!
२. बेटियों को बढ़ावा दें
३. चिट्ठों में बहस जरुर करें लेकिन मर्यादा का ध्यान रखें
४. चुनाव में वोट अवश्य दें।
क्यों ताऊ जी? हैं ना पूरे गुण नेतागिरी के मुझ में?
ताऊ : हां जी लग तो हमको भी यही रहा है. अब आप अपने छात्र जीवन की कोई यादगार बात बताईये.
नितिन जी : कालेज में, मैं मेकेनिकल विभाग की वार्षिक पत्रिका का संपादक था, हमारे विभागाध्यक्ष जी प्रूफरीडिंग पर बहुत जोर देते थे। एक वर्ष की पत्रिका में प्रूफरीडिंग की गलती की वजह से सारे शिक्षकों की लिस्ट की हेडिंग “List of Faculty Members” बजाय ““List of Faulty Members”रह गई थी।
ताऊ : लगता है वो प्रूफ़ रीडींग वाला कोई हरयाणवी रहा होगा? पर यह तो बडी गम्भीर गलती हो गई भाई? पकड मे आई या फ़ेकल्टी मेम्बर्स फ़ाल्टी ही रहे? हमने हंसते हुये पूछा.
नितिन जी : हां ताऊजी, . प्रधानाध्यापकजी द्वारा होने वाले विमोचन के २ घंटे पहले एक साथी ने इस ओर ध्यान दिलाया, फिर क्या था विभागाध्यक्ष जी के डर के मारे पूरे विभाग के छात्रों को काम पर लगा कर इस गलती पर स्टिकर चिपकवाये थे।
ताऊ : अब आप ये बताईय़े कि आप भारत मे मूलत: कहां से हैं?
नितिन जी : मेरा पुश्तैनी गाँव मोहद जिला खरगोन मध्यप्रदेश है। १००-१५० परिवारों का यह गांव बहुत ही सुन्दर है आईये आपको वहां की कुछ तस्वीरें दिखाऊं …
ताऊ : वाह भई नितिन जी आप तो मेरे पास के ही रहने वाले निकले?
नितिन जी : आप कहां से हैं ताऊजी?
ताऊ : भाई मैं आपके पास ही इन्दौर मे रहता हूं.
नितिन जी : अरे ताऊ जी, यह भी क्या संयोग है? रिटायरमैंट के बाद मेरे पेरेंट्स भी इंदौर मे ही रहते हैं.
ताऊ : वाह भई. यानि हम तो दोनो एक ही जगह के निकले. चलिये अब तो जब भी आपका आना होगा हमारी मुलाकात होती ही रहेगी.
ताऊ : नितिन? जी, क्या आपका संयुक्त परिवार है
नितिन जी : जी हाँ मैं संयुक्त परिवार का सदस्य हूँ।
ताऊ : आपके हिसाब से संयुक्त परिवार के नफ़े नुक्सान क्या हैं?
नितिन जी : मेरा परिवार बहुत बड़ा है, इसके तो फायदे ही फायदे हैं नुकसान तो नगण्य हैं। सबसे बड़ा फायदा ये है कि शादी-ब्याह और अन्य पारिवारिक कार्यक्रमों में अपने घर के ही इतने सदस्य हो जाते है कि दूसरों को बुलाने की जरुरत ही नहीं पडती !
ताऊ : आपकी नजर में ब्लागिंग का भविष्य कैसा हैं?
नितिन जी : जीवन के विभिन्न क्षेत्रो के लोग जैसे वैज्ञानिक, कानूनविद , इंजीनियर, ग्रहणीयां , अकाउटेंट,विधार्थी, कवि, लेखक, पत्रकार, व्यवसायी और फुरसतिये सबके सब यहां योगदान दे रहे हैं, सबकी अलग विचारधारा, जीवन शैली और लेखन । विषय आधारित हिन्दी चिट्ठों की संख्या बढ़ रही है। मुझे तो लगता है कि ब्लागिंग का भविष्य बहुत उज्जवल है।
ताऊ : आप कब से ब्लागिंग मे हैं?
नितिन जी : जी मैं ब्लागिंग में फरवरी २००६ से हूँ.
ताऊ : आपका ब्लागिंग मे आना कैसे हुआ?
नितिन जी : ब्लागिंग में आना जीतू भाई, रवि रतलामीजी, ईस्वामी, और फुरसतिया जी जैसे दिग्गजों के लेखों को पढ़कर हुआ।
ताऊ : ब्लागिंग मे आपके अनुभव कैसे रहे?
नितिन जी : पिछले तीन सालों में बहुत कुछ सीखा ब्लागिंग से, बहुत से विवाद देखे पढ़े, बहुतों को टंकी पर चढ़ते और उतरते देखा, बहुत से गुरुजनों और ताऊओं से पारिवारिक सम्बन्ध बनाये ।
ताऊ : आपका लेखन आप किस दिशा मे पाते हैं?
नितिन जी : ताऊ जी अगर इमानदारी से कहूं तो मेरा लेखन दिशाहीन ही लगता है। बहुत से मुद्दे हैं जिन पर लिखना चाहता हूं लेकिन विचारों को कतारबद्ध करने में खुद को असमर्थ पाता हूँ, मुझे लगता है कि मेरा पाठन कार्य ज्यादा होता रहेगा और लेखन कम…
ताऊ : क्या राजनिती मे आप रुची रखते हैं? अगर हां तो अपने विचार बताईये?
नितिन जी : (हंसते हुये) नाम में ही नीति है इसलिये राजनीति में बहुत रुचि है, लेकिन औरों की तरह नेताओं को गरियाने का मन बिलकुल नहीं करता है.
ताऊ : क्यों?
नितिन जी : क्योंकि उन सब में वे गुण और अवगुण देखता हूँ जो खुद में नहीं है। सारे अपनी-अपनी जगह सही हैं सब अपनी क्षमता और जरुरतों के हिसाब से भोली भाली जनता को गुमराह करने में लगे हैं और पढ़े लिखे लोग वोटिंग ना करके इनके इरादों को पूरा करने में पूरी मदद करते हैं।
नटखट निषिता
अभी हमारी बातें चल ही रही थी कि एक बच्ची फ़ेंसी ड्रेस पहन कर आगई. …….हमने चौंकते हुये पूछा.
ताऊ : अरे भाई ये कौन है? किसकी बच्ची है? ये बिटिया तो बडी नटखट और शरारती लग रही है?
नितिन जी : जी ताऊ जी ये तो निषिता ही है जो दिन भर से आपके साथ थी, खा गये ना आप भी धोखा? ये बहुत ही नटखट है, आपको भी बना दिया ना इसने? सबको ऐसे ही उल्लू बनाती है. आखिर कौन सी बेटी नटखट नहीं होती।
निषिता की बनाई बीडींग
ताऊ : हां भाई है तो बडी नटखट. हम तो एक बार पहचान ही नही पाये. और क्या क्या विशेष नटखटपना है इसमे?
नितिन जी : हां ताऊजी, ये देखिये इसके बनाये चित्र….उसे चित्रकारी, बीडिंग का शौक बहुत है
ताऊ : अरे वाह..क्या लाजवाब चित्रकारी है? वाकई काबिले तारीफ़…बहुत होनहार बच्ची है ये. और क्या शौक हैं इनके?
नितिन जी : और इसके शौक हैं मेरे जैसे ही कम्पयूटर से खेलना और मम्मी के जैसे नाचना बहुत पसंद है। ये देखिये ये रहे उसके कुछ कारनामे…
निषिता की बनाई पेंटिंग
अब हमने निषिता से बाते की. बहुत बाल सुलभ भाव से उसने बताया कि वो ये सब चीजे रामप्यारी के लिये बना रही है. हमारे यह पूछने पर कि रामप्यारी को वो कैसे जानती है?
निषिता ने बताया कि वो उससे पहेली वाले दिन मिलती है और पापा उसे रामप्यारी के बारे मे पढ कर सुनाते हैं. और रामप्यारी उसको बहुत अच्छी लगती है.
निषिता ने हमसे पूछा : ताऊ जी , आप रामप्यारी को क्युं नही लेकर आये?
ताऊ : हमने कहा कि बेटा उसका पासपोर्ट ही नही बना अभी तक. और जब तुम इन्दौर आओगी तब हम तुमको रोज रामप्यारी से मिलवायेंगे..
अब हमने फ़िर से नितिन जी से बातचीत शुरु की.
ताऊ : नितिन जी अब आपकी जीवन संगिनी के बारे मे भी हमारे पाठकों को कुछ बताईये?
नितिन जी : ताऊ जी , आप तो श्वेता से मिल ही चुके हैं. पेशे से ये मेरी डाक्टर है.
ताऊ : भई बात समझ मे नही आई हमारे? हमने तो सुना था कि श्वेता पशुओं की डाक्टर हैं?
नितिन जी : आपकी जानकारी सही है ताऊजी. ( हंसते हुये,,) पर मैं भी तो हाथी हूं ना?
ताऊ : ओह ..नितिन भतिजे..अब समझ आयी तुम्हारी बात…अरे वाह भई वाह..आपको ब्लागिंग मे हाथी रिप्रेजेंट करता है, इसलिये?
नितिन जी : (हंसते हुये) जी आप अब ठीक समझे ताऊजी.
ताऊ : श्वेता की शिक्षा कहां से हुई? और आजकल क्या कर रही हैं?
नितिन जी : महू (इंदौर) के सरकारी कालेज से पढने और भोपाल में लोगों को दुनिया भर के विषय पढ़ाने के बाद आजकल पब्लिक हेल्थ में उच्च शिक्षा ले रही हैं।
ताऊ : क्या आपको भी ये पढाती हैं?
नितिन जी : जैसे सभी पत्नियां सारा जीवन पतियों को आदतें बदलने के लिये उन्हे टोकती रहती है, ये भी वही काम करती हैं और जब मैं कुछ थोड़ा बहुत बदल जाता हूँ तो कहती है तुम वो नहीं रहे…बहुत बदल गये हो।
ताऊ : आप हमारे पाठकों को कुछ कहना चाहेंगे?
नितिन जी : अब और क्या कहूं और कुछ बोलूंगा तो आप बोलेंगे ये विशालकाय भतीजा बहुत बोलता है!
ताऊ : अक्सर पूछा जाता है कि ताऊ कौन? आपका क्या कहना चाहेंगे?
नितिन जी : ताऊ तो बस ताऊ ही हैं, जैसे ही खोज खत्म होगी आपको तुरंत बता देंगे, वैसे रामप्यारी की बातों से तो लगता है वे पिताजी से एक कदम आगे और काकाजी से दो कदम आगे हैं!
ताऊ : ताऊ साप्ताहिक पत्रिका के बारे मे क्या कहना चाहेंगे?
नितिन जी : साप्ताहिक पत्रिका हर अंक से साथ नये लेखों से हिन्दी ब्लाग जगत को समृध्द कर रही है, सभी संपादक और विशेष कर रामप्यारी बधाई की पात्र है.
ताऊ : भाई रामप्यारी विशेष कर क्यों?
नितिन जी : क्योंकि रामप्यारी ने सभी के दिलों में अपने लिये जगह बना ली है. रामप्यारी की बातूनी बच्चों की तरह बक बक करने की आदत अपने बच्चों की बरबस याद दिला देती है. पता नही क्यूं? मुझे रामप्यारी का बक बक करना, बेसिर पैर की बातें करना…किसी को भी अंकल..आंटी..दीदी से संबोधित करना…एक अपना पन सा लगने लगा है.
ताऊ : अगर आपको भारत का विदेश मंत्री बना दिया जाये तो आप परिस्थियों से कैसे निपटेंगे?
नितिन जी : सबसे पहले तो रामप्यारी का पासपोर्ट बनवा कर दूंगा। फिर आपको यात्रा सलाहकार और समीर जी को वित्त सलाहकार बना कर साथ ले कर स्विटज़रलैंड की यात्रा पर निकल जाऊंगा।
वहाँ कौन सा खाता खुलवाना है ? ये तो समीर जी जानते ही होंगे! बाकी तो फिर बहुत है ही करने को, अब यहाँ सबके सामने कहूंगा तो आप जैसे ताऊ मुझे इनीशियल ऐडवांटेज ...(हंसते हुये) देने लग जायेंगे.
ताऊ : आपकी श्वेता से पहली मुलाकात कहां हुई? आपकी अरेंज मेरिज है? या लव मेरिज है?
नितिन जी :भला कोई डाक्टर अपने मरीज से लव करके मेरिज करेगा क्या? हमारी पहली मुलाकात उनके क्लीनिक (घर) पर ही हुई थी, उनके पिताजी ने मरीज तलाशा और मेरे घर वालो ने इस आपरेशन के लिये सहमति दे दी , बस फिर क्या था? बज गई शहनाई.
अगले दिन वापस निकलने से पहले हमने विश्व की सबसे बडी मोमबत्तीयों की दुकान यांकी केंडल देखी, यहाँ बारह महीनों क्रिसमस का माहौल रहता है, रामप्यारी हमसे हमेशा पूछती थी कि सांता क्लाज अंकल क्रिसमस के बाद कहां रहते है, यहां जब उन से मुलाकात हुई तो पता चला कि ये साहब बाकी दिनों में मोमबत्तियों की इस बड़ी दुकान में डेरा जमाये रहते है।
तो ये थे श्री नितिन व्यास. आपको कैसा लगा इनसे मिलना? अवश्य बताईयेगा. और अगले सप्ताह आपको मिलवायेंगे ऐसी ही शानदार किसी दूसरी हस्ती से.







