अब घर मे बचे मैं और ताऊ. सो ताऊ अपने आफ़िस मे व्यस्त है. अब ताऊ मुझसे बोले कि – रामप्यारी अब तो तेरे को भी सब जानने लगे हैं. मैं जरा व्यस्त हूं तो आज की पोस्ट तू ही लिख देना. तो मैं लिखने बैठ गई. अब क्या लिखूं?
आज सूबह सूबह ही एक मजेदार बात हो गई. ताऊ सूबह ऊठते ही आजकल अपनी चाय बना कर पी लेता है. क्योंकि चाय बनाने वाला बीनू फ़िरंगी तो ताई के साथ आऊट आफ़ स्टेशन है. ताऊ चाय ठीक ठाक बना लेता है. मुझे भी बनी बनाई मिल जाती है तो मुझे क्या पागल सैम या बीनू फ़िरंगी ने काटा है जो मैं चाय बनाना सीखूं?
आज ताऊ ने ऊठते ही अपने लेपटोप को खोल के देखा. वहां आदरणीया लावण्या आंटी ने काफ़ी के बारे मे बताया था आज. बस ताऊ को भूत सवार हो गया कि रामप्यारी आज तो हम काफ़ी ही पियेंगे.
मैने कहा कि ताऊ काफ़ी कहां रखी है? ताई के हाथ की रखी हुई चीज आप सात जन्म मे नही ढूंढ सकते. पर सीधे तरह मान जाये तो ताऊ ही क्या?
बहुत ढूंढने पर भी काफ़ी नही मिली तो मुझे सौ का नोट पकडा कर ताऊ ने कहा कि जा पास की किसी दुकान से ले आ एक डिब्बा काफ़ी का.
मैं सीधे लाला की दुकान पर गई और ३० रुपये का काफ़ी का डिब्बा खरीदा और एक ४५ रुपये वाली डेरी-मिल्क की चाकलेट लेकर वहीं खा गई. वापस आकर काफ़ी का डिब्बा और २५ रुपये ताऊ को पकडा दिये और ७५ रुपये का काफ़ी का डिब्बा बता दिया.
अब ताऊ ने काफ़ी बनाना शुरु किया. पहले पानी और दुध चाय की तरह उबाले. फ़िर शक्कर डाली फ़िर ४/५ चम्मच काफ़ी की डाली और दस मिनट उबाली. फ़िर दो कप मे डाली. एक मुझे दी.
मैने जैसे ही मुंह मे एक घूंट ली..मुझे तो ऐसा लगा की कोई जहर मुंह मे दे दिया हो? ताऊ का भी मुंह बस एक घूंट लेते ही देखने लायक था.
अब ताऊ खिसिया कर बोले – रामप्यारी रहने दे अपन तो चाय ही बना लेते हैं. ये काफ़ी के तो चोचले दिखते हैं बडे लोगों के.मैने मन ही मन कहा – नाच ना जाने आंगन टेडा..
अब ये ताउ और ताई भी अजब गजब है…एक दिन ताऊ और ताई होटल मे खाना खाने गये और कभी कभी मुझे भी ले जाते हैं सो उस दिन मुझे भी साथ लेगये थे.
खाना बडा लजीज था. खाना खाते खाते ताई एक दम रुक गई और मेरी तरफ़ देखने लग गई. मैने पूछा – ताई क्या बात है? आप इस तरह क्यों देख रही हो मेरी तरफ़?
ताई बोली – तेरी तरफ़ नही देख रही हूं बेवकुफ़..हर समय बेवकूफ़ की तरह चपर चपर करती रहती हो. मैं तो ये सोच रही थी कि जो आदमी इतना बढिया और लजीज खाना बनाता है उसकी बीबी कितनी सुखी रहती होगी?
अरे बाप रे . मैने तो ताऊ और ताई की कुछ ज्यादा ही पोल खोल दी. आप बताना मत. वर्ना मेरी पिटाई हो जायेगी.
अगर आपने ये बात बताई तो याद रखना कल का बोनस सवाल मैं बहुत ही कडक पूछने वाली हूं. और अगर आपने मेरी शिकायत नही की तो सीधा सा पूछूंगी. तो आप सोच लिजियेगा.
और हां एक बात तो मैं आपको बताना भूल ही गई. लोग अक्सर मुझसे पूछते हैं कि रामप्यारी तू इतनी कामचोर क्यों है? तो मैं क्या करुं? मुझे तो ताऊ यही शिक्षा देता है कि रामप्यारी “काम दुनिया में सबसे बड़ी चीज है, इसलिये हमें चाहिये कि हमेशा कल के लिये भी कुछ काम बाकी रहने दिया करें।” तो मैं ताऊ की बात कैसे टाल सकती हूं?
अच्छा तो अब कल बोनस सवाल मे रामप्यारी आपको मिलेगी. तब तक वो क्या कहते हैं गुड मोर्निंग या गुड इवनींग..जो भी आपके वहां हो वो ही समझ लिजियेगा., मेरी तरफ़ से.
इब खूंटे पै पढो:- अभी प्रशांत प्रियदर्शी यानि अपने PD साहब की खबर मिली कि टांग मे सूजन है. अब ये समझ मे नही आया कि टांग मे सूजन क्यों आई? होली के मौसम मे टांग मे सूजन सिर्फ़ मेड-इन-जर्मन लठ्ठ से ही आ सकती है. सोचने वाली बात यह है कि PD साहब ने अभी खुद के लठ्ठ खाने का इंतजान किया ही नही है. अकेलेराम को कौन लठ्ठ मारेगा? हो सकता है मोटर सायकिल वाली बात सही हो? या आप हम सोच रहे हैं वो सही हो? खैर साहब उम्र और मौसम का तकाजा है, सो हो सकता है कुछ उल्टा सीधा भी हुआ हो तो आपको हमको क्या लेना देना? सवाल ये है कि जनाब डाक्टर के पास गये. और डाक्टर ने कह दिया कि कुछ नही है. बस PD भाई साहब तो निराशा मे आकंठ डूब गये. पोस्ट पर पोस्ट लिख मारी. आप जानते होंगे कि इन्सान डाक्टर के पास जाये और अगर डाक्टर कहदे कि तुमको कुछ बीमारी नही है तो उस समय इन्सान को घोर निराशा होती है. कम से कम हाई ब्लड-प्रेशर तो डाक्टर को बताना ही चाहिये ना? अब PD साह्ब ने ताऊ को फ़ोन किया कि बात ऐसी है क्या करें? ताऊ बोला – भाई देख. जैसे आपकी नई मोटर सायकिल किसी भी पुरानी मोटर सायकिल से बेहतर है वैसे ही डाक्टर भी नया ज्यादा अच्छा होता है. पुराना डाक्टर किसी काम का नही होता तभी तो आपको टांग मे कुछ बीमारी नही बताई. आप तो एक काम करो अभी तुरंत डाकटर पूजा उपाध्याय के पास चले जाओ. बिल्कुल नई डाक्टर है. अभी ३ मार्च को ही डाक्टरी पास की है. उनको दिखालो आपकी टांग की तबियत बिल्कुल बढिया आपके मन माफ़िक हो जायेगी. PD को सलाह जंची और तुरंत अपाईंटमैंट लेकर डाक्टर साहिबा के पास पहुंच गये. वहां डाक्टर पूजा उपाध्याय ने टांग का मुआयना किया और फ़रमाया – मुझे तो टांग की हालत ज्यादा गंभीर दिख रही है. कूछ जांचे करवानी पडेगी. मैं लिख देती हूं. PD साहब मन ही मन राजी होते हुये उपर से मायुसी दिखाने लगे और डाक्टर साहिबा बोली – आप सीधे डाक्टर ताऊ अस्पताल के पैथोलोजी विभाग मे जाकर अपनी टांग का ब्लड-प्रेशर, कार्डियोग्राम और लिपिड प्रोफ़ाईल कराओ. और कुछ एक्सरे और फ़िर वहीं पर केट-स्केन भी करवा लेना. उसके बाद आगे का इलाज होगा. अब PD भाई साहब तो खुश हो गये . मन ही मन सोचा – वाह डाक्टर हो तो ऐसी. आज तक किसी डाक्टर ने टांग का कार्डियोग्राम, लिपिड प्रोफ़ाईल और ब्लड प्रेशर नही चेक करवाया और केट-स्केन उपर से. वाकई ये डाक्टर तो बहुत ही समझदार है. ताऊ ने बिल्कुल सही राय दी थी. PD साहब सीधे ताऊ अस्पताल आये. पर्चा दिया. उनकी टांग की जांचे शुरु हो गई और अंत मे केट-स्केन के लिये रामप्यारी के केबिन मे गये तो रामप्यारी ने टेबल पर लिटाकर उनकी टांग पर कूदना शुरु किया. PD साहब दर्द से चिल्लाते रहे. पांच मिनट की ऊछल कूद के बाद मिस रामप्यारी अपनी टेबल पर बैठ कर केट-स्केन की रिपोर्ट लिखने बैठ गई और वहीं से डाक्टर पूजा उपाध्याय को फ़ोन लगाया – हैल्लो डाक्टर…हैल्लो…हैल्लो….डाक्टर…. आवाज आ रही है…? मैं… म्याऊं.. म्याऊं…मैं मिस रामप्यारी बोल रही हूं. उधर से डाक्टर पूजा उपाध्याय की आवाज आई – हां रामप्यारी बोलो..बोलो..क्या बात है? मैने एक मरीज भेजा था..उसका केट-स्केन कर लिया क्या? उसकी रिपोर्ट बताओ मेरे को. रामप्यारी – हां मैडम..कर लिया और उसी के लिये आपको फ़ोन किया है. टांग की हालत ज्यादा ही सिरीयस है आप कहें तो भर्ती कर लेती हूं. यो भी अस्पताल के सब कमरे खाली पडे हैं. ज्यादा बीमार भी आ नही रहे हैं. और ये मरीज भी मालदार और पैसे खर्च करने को उत्सुक दिखाई दे रहा है. और PD साहब भर्ती कर लिये गये. केट-स्केन वगैरह के नाम पर १५ हजार का बिल थमा दिया और बाकी २० हजार भर्ती होने का एडवांस डिपाजिट कराने का कह दिया गया. और PD साहब खुश थे कि असली अस्पताल और डाक्टर तो ये हैं. सही बात है जब तक मरीज को लम्बा चौडा बिल नही दिया जाये उसकी बीमारी ही ठीक नही होती. असल मे बीमारी ना तो दवा से ठीक होती है और ना ही डाक्टर से. ये सब तो एक बहाना है. बीमारी असल मे ठीक होती है लम्बे चोडे बिल से. इसी लिये महंगे डाक्टर और महंगे अस्पतालों मे मरीज जल्दी स्वास्थ्य लाभ करता है. अगले दिन सूबह ही राऊंड पर डाक्टर उपाध्याय आई और मरीज का मुआयना शुरु किया. सारी जांच रिपोर्ट्स और केट-स्केन के पेपर देखे और PD से कहने लगी – देखिये PD साहब. आपकी टांग का आपरेशन करना पडॆगा तुरंत.और कोई उपाय नही है. अब आपरेशन का नाम सुनकर अभी तक जो मन ही मन PD साहब खुश थे अब जरा घबराये. और बोले – डाक्टर मुझे तो बडा डर लग रहा है. मैने आज तक कोई आपरेशन नही कराया है. ये मेरा पहला ही आपरेशन होगा. डाक्टर पूजा उपाध्याय बोली- अरे आप घबडाते क्यों है? मेरा कौन सा यह दुसरा आपरेशन है? मेरा भी तो यह पहला ही आपरेशन है. |
सूचना :- ताऊ पहेली राऊंड दो के अंक दो का प्रकाशन कल सूबह ७.०० बजे होगा. आपका सादर स्वागत है. कृपया समय का ध्यान रखियेगा.
खुदा खैर करे!
ReplyDeleteमिस रामप्यारी की ब्लागजगत में स्वागत है। डा.पूजा से अनुरोध कि वे पी.डी. की दोनों टांगों का आपरेशन एक साथ कर दें। चोट का क्या है लग जायेगी दूसरी में भी।
ReplyDeleteखूंटे पर चमक दिखी !
ReplyDeleteपूजा जी ने टांग वगैरह आपरेट करने की डाक्टरी की है. ये जान कर यह सोच रहा हूं कि पिछली किसी पोस्ट में उन्होंने ब्लागिंग पर थीसिस टीप कर टाक्टरी मिली थी. इन दोनों में असली कौन सी है.? क्योंकि टांग ठीक करने वालों की तो आजकल श्रीलंका में बहुत जरूरत है...
ReplyDeleteजय राम जी की..!!!!
ताऊ,
ताई के पाच्छै खूब मौज होरी सै..
रोज होरी सै..
मन्नैं तो न्यूं लाग्गै ऒवरडोज होरी सै..
अर इधर पानीपत म्हं ..
म्हारी घरआली मैके क्यों नहीं जाती..
इस पै खोज होरी सै......
हमारी भी मिस रामप्यारी जी को राम राम कहियेगा ताऊ जी
ReplyDeleteपहले ओपरेशन क़ी शुभकामनाए बीमार ओर तीमार दोनो को
ReplyDeleteरामप्यारी जी को बहुत बहुत शुभकामनाएं. स्वागत करते है.
ReplyDeleteरामप्यारी जितनी प्यारी है भाई उत्ती ही प्यारी बातां भी करती है...काफी के बारे खूब कही रे...
ReplyDeleteनीरज
खुदा खैर करे मरीज़ की भी और डॉ की भी :) रामप्यारी की बाते लगी प्यारी न्यारी
ReplyDeleteलगै रामप्यारी तो ताऊ की सारी पोल पटियां खोल कै धर दे गी.......खूंटा एकदम जोरदार
ReplyDeleteRampyari ji ki baaten su ke to maza hi aa gaya...
ReplyDeleteताऊ को कॊफ़ी पीनी थी तो हमसे पूछ लेते. पिछली बार ताऊ के डेन में मिले थे तो अंधेरे में शकल नही देख पाया था, सिर्फ़ डॊन की तरह रामप्यारी के ऊपर हाथ फ़िराते हुए दिखे थे.
ReplyDeleteअब की बार फ़िर कोशिश करूंगा.राज भाटिया जी के पहुंचने से पहले.
वाह, आज करे सो काल कर; काल करे सो परसों। --- जब जीना है बरसों।
ReplyDeleteबहुत गूढ़ दर्शन है रामप्यारीत्व में।
ताऊ
ReplyDeleteराम राम, इब ऐसी पोस्ट क्यूँ लिखी, और उस में "मेड-इन-जर्मन लठ्ठ" के बारे में क्यूँ बताया, म्हारी बीबी ने थारी पोस्ट पढ़ ली और लट्ठ की डिमांड कर ली तो म्हारा क्या होगा...........कोन सा डाक्टर दुबई में आएगा. खेर.........जोरदार पोस्ट.
होली की सब को बधाई आप को पीला रंग ........खूब जमेगा
ताऊ आप रामप्यारी से ओवर टाइम करवाते हो एक तरफ तो कैट स्कैन करती है और अब पोस्ट लिखने भी बैठा दिया...कुछ एक्स्ट्रा देते हो की नहीं? मौदगिल जी को पता नहीं है की हम स्प्लिट personality disorder से ग्रस्त हैं इसलिए ये दोनों थीसिस मैंने ही की है. रामप्यारी को थैंक यू मेरे पहले मरीज के पहले ऑपरेशन के लिए..ताऊ की कृपा है आज एक मरीज आया है...मिल के ऐसे ही काम करेंगे और क्या...और भला हो उस मोटर साइकिल वाले का की पीडी को ठोका :)
ReplyDeleteवाह जी वाह ये हुई ना कोई बात। बहुत खूब।
ReplyDeleteराम राम ताऊ
ReplyDeleteखुटां मस्त पर PD की टांग छोड दो प्लिज..:)
"कल का बोनस सवाल मैं बहुत ही कडक पूछने वाली हूं. "
ReplyDeleteताऊ की काफी से तो कड़क नहीं न होगा:)
ताऊ जी राम-राम।
ReplyDeleteआज आपके ब्लॉग पर दूसरी बार आई हूं,सुबह पढ़ा तो लगा ये कौन आ गया ताऊ जी के राज में पहले तो दूसरी तस्वीर लगी थी अब बिल्ली.. माफ कीजिए....रामप्यारी कहां से आ गई। रामप्यारी का इस ब्लॉगजगत में बहुत बहुत स्वागत है।
खूंटे में टंगे लेख को पढा़ तो PD का हाल भी पता चला। चलो आपने उन्हें अच्छे डॉ.का पता दिया है,
पैर क्या पूरे के पूरे ठीक होकर ही घर पहुंचेंगे। हमारी तो यही दुआ है भगवान से।
वाह ताऊ.. जे हुई ना बात.. क्या तगड़ा जगह भेजे थे, ठीक से सब इलाज हुआ.. मगर ऑपेरेशन के बाद मुझे अपना टांग ही कहीं नहीं दिख रहा है.. कहीं रामप्यारी तो लेकर नहीं भाग गई? :(
ReplyDeleteकहीं खूंटे पर ही तो नहीं टांग दिये हैं? :D
ha ha rampyari ar tau ji maza kar rahe tainahi hai to aur pdji,apni poojadoctor seilaj karwa rahel ,waah,doc poojaji aur pdji dono ko best luck:),bahut achhi ost rahi rampyari ji.
ReplyDeleteha ha ha..PD bhaiya ki khair kare bhagwaan
ReplyDeleteवाह रामप्यारी केट स्कैन के बाद ब्लोगिंग भी !
ReplyDeleteअरे ताऊ पी डी को ्तो मेने सलाह दी थी डा० ताऊ के पास जाने की, अब मोटा मुर्गा भेजा तो मेरी कमीशन मत डकारो, वरना अर्विन्द जी योगेन्दर जी, महेन्दर जी इस सब को बता दुगां वो मोटर साईकल ठोकने वाला कोन था पी डी के. ता कि यह पहले ही बच जाये,
ReplyDeleteपीडी जी को तो अब भगवान् ही बचाए.
ReplyDeleteरामप्यारी को भी ब्लोगिंग की बीमारी लग गयी?
rampyari ko ram ram..
ReplyDeletebahut achcha lga tum se mil kar.
blog jagat mein tumhari entry se rauknak to badh gayi hai..
कोफी के बहाने हमेँ याद किया -शुक्रिया ( अभी अभी इसे देखा :)
ReplyDelete- लावण्या