बात थोड़ी पुरानी सै ! आपमें से कईयों को बचपन की याद होगी जब गाँव में फेरी वाले दूकानदार आया करते थे ! और गाँव वाले अपनी जरुरत का सामान सब इन्ही लोगो से खरीदा करते थे !
ये लोग दैनिक उपयोग में आने वाला सामान जैसे चड्डी बनियान, ओरतो की गोटा किनारी, काजल बिंदी आदि बेचने आया करते थे ! कुछ सर पर गठरी रख कर , कुछ साईकिल और कुछ फेरीवाले अपने घोडो पर सामान बेचने आया करते थे !
सब सामान अनाज के बदले खरीदा जाता था ! गाँवों में उस समय रुपये पैसे कुछ नही होते थे ! सब्जी खरीदना हो, कपड़े लेना हो , कोई भी किराने का सामान लेना हो वह सब अनाज के बदले ही खरीदा जाता था !
नगद रुपये की हालत यह थी की छपनिये के प्रसिद्द अकाल के समय लोग पेडो के छिलके उखाड़ कर खा गए थे ! लेकिन उस समय ज्वार एक रुपये की ५६ सेर थी ! यानी नकद मुद्रा का उन दिनों नितांत अभाव था ! ( यह अकाल संवत १९५६ यानी आज से तकरीबन १०९ साल पहले मारवाड़ और आस पास के इलाको में बहुत भीषण रूप में पडा था जिसे पुराने लोग आज भी किस्से कहानियों में याद किया करते हैं !)
ताऊ की एक खासियत होती है की अगर किसी को गलती या बदमाशी करते देख लिया तो उसको ५/७ लट्ठ जरुर मारेगा और कान के नीचे भी ३/४ जरूर बजायेगा ! ख़ुद का चाहे कितणा भी नुक्सान क्यूँ ना हो जाए !
इस घटना से आप समझ पायेंगे की ताऊ वाकई भोले भाले इंसान होते हैं ! अपनी अक्ल साबित करने के लिए ख़ुद का नुक्सान भी हो जाए तो परवाह नही पालते !
वर्षा कभी भी हो सकती थी सो ताऊ खेतों को तैयार करने में व्यस्त रहता था ! घर गृहस्थी का सामान ताई ही ले लिया करती थी उन फेरी वालो से ! ताऊ ने देखा की एक बोरी अनाज की जो अभी ५ दिन पहले ही भरी हुई थी आज अचानक खाली खाली सी दिखने लग गई !
उसने ताई से पूछा की इसका अनाज कहाँ गया ? और आजकल तो चम्पाकली भी चाँद पर गई हुई है ! फ़िर इतनी जल्दी ये खाली कैसे हो गई ? ताई ने बताया की बिसायती ( फेरी वाला ) आया था उससे कुछ कपडे लत्ते और बच्चो की चड्डी बनियान ली थी ! तुम्हारी बनियान वो कल ले के आयेगा !
ताऊ समझ गया माजरा क्या है ? अगले दिन ताऊ खेत में बुवाई करने निकल गया हल लेकर ! उधर साईकिल पर फेरी वाला आगया !
फेरी वाला - ताई ले ये पकड़ ताऊ की बनियान ! बड़ी मुश्किल तैं ढुन्ढ कै ल्याया सूं ! इत्ती बड़ी बनियान ही फेक्ट्री आले ना बनाते आजकल !
ताई तो बनियान देख कै खुश हो गई !
ताई बोली - रे बिसायती के ! बता कितणा नाज (अनाज) घालणा सै ?
ये फेरी वाले बड़े तेज होते हैं ! वो बोला - ताई डाल दे जितना डालना हो !
ताई ५/६ कचोलै ( बड़ा कटोरा टाईप ) अनाज के डाल कै बोली - बस हो गया के ?
अब वो बिसायती किम्मै बोल्या कोनी ! ताई समझी कुछ कम रह गया ! सो ताई नै उठा कै दो कचोलै नाज के और डाल दिए !
उधर ताऊ ने इसको आते देख लिया था ! सो उधर खेत से इसके ऊपर ही नजर लगा कै देख रहा था ! जब उसने देखा की इसने तो आज ताई को फ़िर लूट लिया है ! तो खेत से जल्दी जल्दी घर की तरफ़ आने लगा !
और इधर फेरी वाले ने देखा की ताऊ घर की तरफ़ ही आ रहा है तो वो फट से अपनी अनाज और सामान की पोटली साईकिल पर रखण लाग गया !
अब ताऊ नै देखी की ये तो सामान उठाके भागने की फिराक में है तो ताऊ ने लंबे लंबे पाँव उठाये और घर की तरफ़ अपना लट्ठ उठाये दौड़ता सा आने लगा !
फेरी वाले ने समझ लिया की ताऊ आज मारे बिना नही छोडेगा ! सो वो भी साईकिल उठाके भाग लिया ! अब आगे आगे साईकिल पै गठरी लादे लादे फेरी आला भाग रहा था और पीछे पीछे लट्ठ लेके ताऊ भागा जावे था !
गठरी लादे लादे फेरी वाला भाग नही पा रहा था ! और ताऊ बहुत तेजी से पास आता जा रहा था ! फेरी वाले ने सोची की आज तो ग़लत जगह फंस लिए ! बहुत मुश्किल है बचना !
सो उसने सोचा की ये अनाज की गठरी यहीं पटक कर भागता हूँ जिससे इस ताऊ को इसका अनाज वापस मिल जायेगा तो ये अपना पीछा छोड़ देगा ! और उसने अनाज की गठरी वहीं पटक दी और भाग लिया !
थोड़ी देर में उसने पलट कर देखा ! ताऊ तो अब भी लट्ठ उठाये उसकी तरफ़ दौडा आ रहा था ! उसने सोचा - ये अच्छे मुर्ख ताऊ से पाला पडा ! ये बिना पीटे नही छोडेगा ! अब क्या करू ? और ताऊ का लट्ठ देख कै डर गया !
फ़िर उसने अक्ल लगाई और अपनी कपडे की गठरी वहीं पटक दी और अब साईकिल को लेके भागने लगा !
थोड़ी देर बाद फ़िर पलट के देखा तो ताऊ फ़िर उसे पीछे पीछे आता दिखा ! उसको अब लग गया की इस मुर्ख ताऊ से बच पाना मुश्किल काम है ! आज ये लट्ठ से मारेगा जरुर ! ताऊ लगातार उसके पीछे लगा हुआ था !
अब फेरी वाले ने अपनी साईकिल भी पटक दी और पुरी ताकत से दौड़ लगा दी ! पर कच्चे गाँव के रास्तो में वो क्या ताऊ से बच सकता था ?
थोड़ी दूर जाकै ताऊ नै उसको पकड़ लिया ! और ५/७ तो मारे लट्ठ , और उसके ३/४ कान के नीचे बजा कर बोला - तेरे को बीरबानिया ( ओरतों ) नै लूटते शर्म कोनी आवै ? बावली बूच कहीं का !
चल आज तो तेरा सामान उठा लेजा और आईंदा कभी मत लूटिये गाम आली बीरबानियाँ नै ! और वो फेरीवाला अपनी गठरी , अनाज की पोटली और साईकिल ले के भाज लिया !
इब खूंटे पै पढो :-
ताऊ ने अपनी शादी का विज्ञापन इस तरह दिया था :-
"पच्चीस वर्षीय युवक के लिए एक ऐसी वधू चाहिए, जो विवाह के बाद भी सुसंस्कृत, सुशील, मिलनसार और मृदुभाषी बनी रहे।"
जवाब में ताऊ के ससुर साहब ने आवेदन किया :- मैं सिर्फ़ ६ महीने की वारंटी दे सकता हूँ ! गरीब आदमी हूँ इससे ज्यादा की मेरी हैसियत नही है ! और शादी के ठीक ६ महीने बाद उन्होंने "मेड इन जर्मन" लट्ठ अपनी बेटी को गौने में दे कर विदा कर दिया ! |
ठीक ही हुआ ताऊ को चूना लग गया . जब ताऊ को कोई चूना न लगाए तो ताऊ किसी न किसी को लगा देता है .
ReplyDeleteताऊ फेरी वाले बिसायती तो अब भी गांवों में आते है हाँ सामान के बदले आनाज(वस्तु विनिमय) वाला चलन अब सिर्फ़ गांव की कुछ दुकानों तक सिमित हो गया है |
ReplyDeletetau ram ram,ab feri wala to raha hee nahi hoga. hamari tai to thik hogi, abhee gurantee time me hai kya. narayan narayan
ReplyDeleteअब क्या कहूं ताऊ..हाथ आया सारा माल जाने दिया..फेरीवाला भी समझ गया होगा कि जैसी ताई वैसा ताऊ। खैर, ये आप खेत जोत रहे हो या बैलों को ओलंपिक दौड़ में जाने का रियाज करा रहे हो..अपने हीरा मोती के साथ इतनी कूद फांद मचायी है कि फोटु में गुबार ही गुबार दिख रहा है :)
ReplyDeleteताऊ कभी किसी को छोड़ता नही -यह तो जाहिर हो गया .मगर मैं तो ताऊ औरतों के पचडों में पड़ता ही नहीं !
ReplyDeleteताऊ इतना भागने की जरूरत क्या थी। तीनों चीज अपने यहाँ रख लेते तो फेरी वाला या तो वापस आता तो वहीं हिसाब निपटा लेते या वह आता ही नहीं तो काम बन गया था।
ReplyDeleteथोड़ी दूर जाकै ताऊ नै उसको पकड़ लिया ! और ५/७ तो मारे लट्ठ , और उसके ३/४ कान के नीचे बजा कर बोला - तेरे को बीरबानिया ( ओरतों ) नै लूटते शर्म कोनी आवै ? बावली बूच कहीं का !
ReplyDelete" ha ha ha ha ha tau jee phaire wale ne kafee mehnet kra dalee aapse.... vaise vo tubewell pe jo dubne gyee thee char aurten unko to aapne nace bchaya tha??? ab kabhe kabhee to jaise to taisa vale khavt sharthk hotee hee hai na.... ab chand tk pe kabja kr ke batihe hain aap, kabhee kabhee khud ko bhee chuna lgee to hisaab brabr rehta hai na.... so take it esy.."
regards
ताऊ तो बहुत सीधा निकला...वाकई.
ReplyDeleteसब सामान जब्त कर लेता तो फेरीवाले की समझ आती.
मेड इन जर्मन लट्ठ का ठेका तो भाटिया जी का है ऐसा सुना है.
गुस्से मे पिछा कर रहे ताउ से बचकर तो कार्ल लुइस भी नही बच सकता.असली है हमारे ताउ का भोलापन.
ReplyDeleteताऊ को तो पीटने का मन था लूटने का नहीं । भूतणी तो कौने नईं दिक्ख रयी ताऊ !
ReplyDeleteघुघूती बासूती
ताऊ का हर कारनामा हंसी का फव्वारा छोडता है।...पढकर मजा आ गया।
ReplyDeleteवाह ताऊ! पांच लठ के बदले साइक्ल, चावल,कपडे मुफ्त!!! अचछा सौदा है। बधाई।
ReplyDeleteथोड़ी दूर जाकै ताऊ नै उसको पकड़ लिया ! और ५/७ तो मारे लट्ठ , और उसके ३/४ कान के नीचे बजा कर बोला - तेरे को बीरबानिया ( ओरतों ) नै लूटते शर्म कोनी आवै ? बावली बूच कहीं का !...........ताऊ को कौन माई का लाल है जो ठग सके .लेकिन ताऊ जी आपको पढ़ कर मज़ा आता है .हमारे यहाँ अभी भी यही रिवाज़ गांव में चल रहा है .यहाँ पर इस किस्म के फेरी वालों को बिसारती कहा जाता है .
ReplyDeleteमजा आ गया, हंस हंस के अत तक पेट दुख रहा है। पर ताऊ तो ताऊ ही है पीट भी और माल भी दे दिया फेरीवाले को
ReplyDeleteये भी खूब रही.
ReplyDeleteताऊ जी का लट्ठ मेड इन जर्मन है, इसीलिए सब डरते हैं. वैसे मैंने सुना है कि लट्ठ बनाने वाली जर्मन कंपनी किसी प्राइवेट इक्विटी वाले की थी. अब बेचने पर उतारू है. कहें तो क्रीप-इन अक्विजिशन किया जाय. लट्ठ में वैल्यू एडिशन करके मार्केट बढाया जायेगा. ...:-)
ताऊ जी,गजब कर दिया महाराज... धांसू है कम से कम बीस बार पूरा पढ़ा सच्ची पेट दर्द करने लगा यार हंस-हंस कर अब बस वरना हास्य-अटैक आकर निकल न पड़ूं....
ReplyDeleteताऊ के कारनामे रोते को भी हँसना सीखा दे .कमाल का लेखन है आपका ..:)
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा आपने,
ReplyDelete"मेड इन जर्मन" लट्ठ पढ़कर मज़ा आ गया...
क्षमा करें भूतनी वाले पेड पर पहले नजर न पडी . यह पेड ही तो भूतनी है जो टाँग उठाए खडा है . दोनों हाथ पीछे की तरफ ताने है .
ReplyDeleteनये साल के रिजॉल्यूशन के रूप में वजन कम कर ताऊ से तेज दौड़ने का रिकार्ड बनाना है, जिससे ताई को ठग कर निकल लिया जा सके! :-)
ReplyDeleteआपकी प्रस्तुति को नमन
ReplyDeleteहे ताऊश्री कमाल के दृष्टान्त लाते हैं आप
भाई अभी तो पढ़ के लोटपोट हो रहा हूँ...कमेन्ट बाद में करूँगा...
ReplyDeleteनीरज
आपके कारनामे पढते जा रहे हैँ
ReplyDeleteहमारी ताईजी, भोली भाली हैँ !
- लावण्या
वाह, विवेक सिंह जी ने खूब सही कहा । अब देखा तो वैसा ही दिख रहा है ।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
ताउ का शादी का विज्ञापन बहुतै जोरदार रहा। बधाई इस रोचक पोस्ट का।
ReplyDeleteबहुत ही मजेदार प्रसंग रहा.
ReplyDeleteसन ५६ की बातें आप ने बताईं..सोचते हैं कैसा रहा होगा वो कठिन समय भी?
ताऊ कैसे इतने दरियादिल हो गए कि उसे सामान सब ले जाने दिया ,सस्ते में छोड़ दिया फेरी वाले को!हाथ आया था फेरी वाला-लेकिन जान बूझ कर ताऊ ने छोड़ दिया [सिर्फ़ थोडी पिटाई कर के-]तो चूना कहाँ लगा]
अनाज उठा लेते साथ में सायकील भी छोड़ रहा था--लेकिन ताऊ की लीला ताऊ जाने!
ताऊ मजे आगये ! आपको क्या फर्क पडेगा एक बोरी अनाज में ? आप तो फ़िर कहीं बड़ा हाथ मारोगे ! :)
ReplyDeleteऔर हाँ, अब आपकी भूतनी का डांस आज दिखा है इतने दिन में ! ये तो पूरा पेड़ ही भूतनी बन कर नाच रहा है ! कमाल है ! वाकई लाजवाब !
"ताऊ वाकई भोले भाले इंसान होते हैं ! अपनी अक्ल साबित करने के लिए ख़ुद का नुक्सान भी हो जाए तो परवाह नही पालते !"
ReplyDeleteताऊ जमी MDH मसाल्या बरगी 16 आणे खरी बात कही.ईसी बात पै एक चुटकला पेश है
"दो ताऊ खडे बात करे थे
पहला बोल्या- अरे बेरा है के हनुमान जी भी हरयाणवी ताऊ था
दुसरा बोल्या- तने क्युकर बेरा पाट्या
पहले आला - लुगाई तो राम जी की खो गई थी, अर आग हनुमान जी नै अपणी पूछ मै लगवा ली, ईस्या काम तै कोई "ताऊ" ई कर सकै है "
mujhe lagta hai mere blog par koi bhoot woot aa gaya hai, taau aap ek bar jara uspar apna jarman latth maar do. post dikha hi nahin raha tha blog list me.
ReplyDeletebadhiya kahani hai, par wo pitne ke baad bhi wapas aaya apna saaman lene. bada himmati tha :)
नैतिकता का सबक कोई ताउ से ही सीखे । मुनाफे पर नजर होती तो फेरीवाले का सामान कब्जे कर घर लौट आते । लेकिन बात तो प्रिन्सिपल की थी -गांव की महिलाओं को लूटनेवाले को सबक सिखाना ।
ReplyDeleteसच में, ताउ नफा-नुकसान नहीं देखता,प्रिन्टर देखता है जी ।
"पच्चीस वर्षीय युवक के लिए एक ऐसी वधू चाहिए, जो विवाह के बाद भी सुसंस्कृत, सुशील, मिलनसार और मृदुभाषी बनी रहे।"
ReplyDeleteभाई मे भी यो ही विज्ञापन दूगा और गारंटी कम से कम ५ साल की लूगा , फिर चाहे मेड इन जर्मनी बजे या मेड इन हरयाणा
ताऊ आपने सारा सामान अपने पास न रखके ताऊ-गौरव में चार चाँद लगा दिए.
ReplyDeleteभाई हमारा तऊ इसी लिये सीधा है. ताई की (एक ऐसी वधू चाहिए, जो विवाह के बाद भी सुसंस्कृत, सुशील, मिलनसार और मृदुभाषी बनी रहे।") गारंटी इन बातो की छ महीने थी, बस फ़िर ताई के बाबु ने हमारे से लठ्ठ मंगवा कर ताई को थमा दिया, ओर ताऊ सीधा हो गया.
ReplyDeleteधन्यवाद आज ताई कॊ
सूचनार्थ - आपकी इस सदाबहार मुस्कुराती रचना को अपने फेसबुक पेज पर साझा किया है -
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