अभी परसों की ही बात है ! अरे बिरादर की दुकान पर गुरुदेव समीर जी के नाम से किसी ने
छदम टिपणी की ! उपरोक्त छदम टिपणी की भाषा देख कर हमको भी कुछ अटपटा तो लगा !
पर हमने ज्यादा ध्यान नही दिया ! हमने सोचा शायद पू. गुरुमाता के स्वास्थ्य की वजह
से समय कम रहा होगा , इसलिये ऐसा लिख कर चले गये होंगे ! और साहब हमको
उस दिन कोई मिला नही सो हम आराम से वहां बैठे टिपिया रहे थे ! क्योंकि और कोई नई
पोस्ट जान पहचान वाले की दिखी नही और नई जगह मुंह मारने की अपनी आदत नही है !
सो सोचा आज इस बिरादर की बिरादरी ही देख लेते हैं कि अपने को झेल पाता है या नही !
फ़िर पता नही कहां से गुरुदेव को खबर लगी और आकर सकारात्मक रुप से उपरोक्त टिपणी का
अपनी आदत अनुसार सौम्य रुप से खन्डन भी कर गये !
अब पता नही गुरुजी को क्या गलत-फ़ेमिली.. अरे.. नही भाई... गलत फ़हमी हो गई कि गुरुजी ने
तुरन्त हमारे नाम के वारन्ट जारी करते हुये हाजिर होने के आदेश दे दिये ! अब हम क्या करते
सब काम काज छोड कर दरबार मे हाजिर हो गये ! वहां हमारे हाजिर होते ही पहले तो हमको
दो चार जबलपुरिया सुनाई और बोले - क्यों ताऊ ? तुम उस जगह मौजूद थे ! तुम वहां पर एक
मील भर की पोस्ट से भी बडी टिपणी लिख रहे थे ! वो कौन था ? जिसने मेरे नाम से छदम टीपणी
की ? तुमने उसको जरुर देखा होगा ? बताओ वो कौन था ? अब भाई हम क्या बोलते ? और सच मे
हमको कुछ मालूम भी नही था ! सो हम मना कर दिये कि हम कुछ नही जानते !
अब गुरु बोले - देखो ताऊ , तुम उसी क्षेत्र मे घूम रहे थे तो यह तो हो नही सकता कि तुमने उसको
देखा ही नही हो ? कहीं ऐसा तो नही की तुम मेरे साथ मक्कारी कर रहे हो ? क्योंकी मैने सुना है तुम
हरयाणवी पक्के आयाराम गयाराम होते हो ?
हम बोले - गुरुदेव आपकी बातों का जवाब देने की हमारी हैसियत तो नही है पर हम अपनी
सफ़ाई जरुर देना चाहेंगे ! आप हमको मक्कार की गाली तो दो मत ! हां अगर आपकी प्रेक्टीस
छूट गई है और जबलपुरिया जबान की प्रेक्टिस करनी है तो आप हमको चाहे जितनी जबलपुरिया
बोल लो ! हमको उससे खुशी होती है ! बुरा भी नही लगता ! और हरयाणवी का मतलब
आयाराम गयाराम तो जरुर होता है पर हम जब तक जिसके पाले मे रहते हैं तब तक
उसी के पाले मे रहते हैं ! आसानी से पाला नही बदलते ! और गुरुओं का पाला कभी नही छोडते !
यह अलग बात है कि गुरु ही हमको छोड जाये ! आप तो चेले को आदेश करिये कि समस्या क्या है
और अब किसकी लंका जलानी है ? हम तो आपके हनुमान हैं ! हमारा तो परमानेन्ट यही धन्धा है !
अब गुरु थोडा यकिन करके बोले - जाओ वत्स ! और तुरन्त पता लगा कर बताओ कि ये कौन उडन-
तश्तरी आई है जो हमारे साम्राज्य मे सेन्धमारी करना चाहती है ? हम बडे अधीर हो रहे हैं !
अब हम वहां से निकल कर जांच पडताल मे लग गये और पाया कि ये वाकई उन उडन तश्तरियों
का समूह था जिनको कई वैज्ञानिकों ने भी देखा था ! और उनमे से एक को ब्लाग जगत पसन्द
आ गया और उसने शायद अपने ब्लाग का नाम ही उडनतश्तरी रख लिया हो ! और उडन तश्तरी
की तरह टिपणी कर दी हो ! अब ताऊ ने जो जांच रिपोर्ट गुरुदेव को सौपीं है उसकी एक कापी
आप लोगो के लिये हमने स्केन करके लगा दी है ! आप भी देख ले और तय करे कि क्या
भविश्य मे ऐसा होना असम्भव होगा ?
ताऊ बातें बनाना तो कोई आपसे सीखे।
ReplyDeleteBahut accha tau ji.
ReplyDeleteख़बर तो सच्ची है. बाकी तो जांच के बाद ही पता चल पायेगा :-)
ReplyDeleteवाह भाई ताऊ तू तो बड्डो होसियार निक्कलो रे, थारी तो जुर्रत दिल्ली सरकार की ऐयारी टीम में हेगी। याँ ब्लागिंग में कै कर रियो हे?
ReplyDeleteभैया ,हमें तो सभी उड़न तश्तरियां फर्जी लगे हैं -यहाँ तक कि समीर भाई को मैं उनके नाम से जानना समझना ही ज्यादा अच्छा मानता हूँ -अब देखिये उड़न तश्तरी के खातिर वे भी आख़िर फर्जीवाडा झेल रहे हैं .विज्ञान वाले भी अब ऐसी चीजों को यू ऍफ़ ओ कहते हैं .उड़न तश्तरियां तो वे हैं जो नारी ब्लागों से कभी कभार लक्ष्य पर साध फेंक दी जाती हैं -उड़ती हुयी वे भी तश्तरियां लागे हैं .
ReplyDeleteजब वे रसोईं से निकलेंगी तो ताऊ तुम्हारा भी सब लट्ठ वत्थ धरा रह जायेगा -जैसा सुनने समझने में आ रहा है तुमकू भी घरवाली से सावधान हो जाना चाहिए या फिर रसोईं से सारी तश्तरियां हटा कर कुछ पत्तल दोना रखवा दो -नहीं तो कब कोई उड़न तश्तरी तुम्हारी ऑर लपक पड़े ,कौन जाने !
ताऊ !
ReplyDeleteइस उड़नतश्तरी पर मेरी बहुत दिनों से नज़र है !
भोत जोर की पोस्ट लिखी भाई...ऐसी पोस्ट कोई ताऊ ही लिख सकता है....और किसी की बस की ना है aesa लिखना...जय हो ताऊ जय हो...उड़न तश्तरियों का बेडा अगर ब्लॉग पे आ जाएगा तो तौ टिप्पणियों की बरसात हो जायेगी हर एक की पोस्ट पे...
ReplyDeleteनीरज
ताऊ कहां के लफ़डे मे फ़ंस गया तु, समीर भाई ओर अन्य को जो भी तंग कर रहे हे अपने आप ही भाग जायेगे तंग हो कर , आप सब प्ररेशान मत होये, दुखी आत्मा का काम हे ओरो को दुखी करना, आओ टिपाण्णियां खुब करे... लेकिन एक दो दिन मुझे लगे गे फ़िर से सही लाईने मे आने पर मेरे यहां से सारी टिपन्नीयो की लिस्ट मिट गई
ReplyDeleteताऊ धन्यवाद
udan tashtari to badhiya hai tau,
ReplyDeleteएक तश्तरी उड़ाने से
ReplyDeleteखबर बन सकती है
टिप्पणी लगाने से
लिंक जुड़ सकता है।
- अविनाश वाचस्पति
e mail avinashvachaspati@gmail.com
अपना ई मेल एड्रस ते लगा दे ताऊ।
.
ReplyDeleteपण ताऊ, सिरफ़ मेरे को ये भेद लाग्या कि तू तो उड़नतश्तरी में सैर करता देक्खा ग्या सै ।
मैं ना बोलता,
ब्लागर सणसणी वाले ने तेरी यू फोटो भेजी सै ।
अंग्रेज़ी के प्लीज़ की कसम, ताऊ यार.. मेरे को भी घुमवा दे, इक बारि !
प्रेत-नाशक के गालीगलौज की सौंगंध, टोकरा भर थैंक्यू - मेन्शन नाट के संग भेजूँगा ।
देख ले अपणी करणी ताऊ उड़नतश्तरी में सैर करता देखा गया
ताई के लग्गे फोटू भेज दूँ,
तो तेरे सिर पे फूल की तरियों झड़ेंगे... उनके लट्ठ
बोल.. इब तू के बोलता सै, ताऊ ?
घुमवायेगा सर्रर्रर्रररर के ना ?
ताऊ और ताऊ के लट्ठ के रहते मन्ने कोई चिन्ता नहीं कब्जे की...कितने भी आ जायें. ताऊ अकेला ही काफी है.
ReplyDeleteश्श्श्श्श! इस ख़बर को टी वी चैनल वालों से बच्चा के रखना वरना एक और प्रलय के पीछे पड़ जायेंगे!
ReplyDeleteऔर उनमे से एक को ब्लाग जगत पसन्द
ReplyDeleteआ गया और उसने शायद अपने ब्लाग का नाम ही उडनतश्तरी रख लिया हो ! और उडन तश्तरी
की तरह टिपणी कर दी हो ! "
ha ha great, ye to accha hua kee aapko khabar lg gyee koee undtasthree ke naam se comment kr rha hai, nahee to ptta bhee na chulta or vo apna kaam kr ke chla jata, tabhee to aap tau jee hain jo ek pal mey sara majra bhapn gye... ab aage dekhen janch padtaal se kya khanee smane aatee hai"
Regards
वैसे "उड़न तश्तरी" का प्रयोग टिप्पणियों पर कब्जा करने के लिये बहुत ब्लॉगर बन्धु करते हैं!
ReplyDeleteताऊ चिंता न करो....इस तश्तरी में कई ऑटोमेटिक राइफल लगी है .....वक़्त आने में पर धांसू फायर करती है....
ReplyDeleteअरे ताऊ मैं तो उड़न तश्तरी को ही भाई मानु हु... इब यु दूसरे भाई (उड़न तश्तरियां ) कहा ते आ मरे. .एक ही उड़न तश्तरी भतेरी है ब्लॉग जगत में...किसी और की गरज नाय. कही यु क्लोन फलोंन का चक्कर तो नाय. इब में असल भइया ने कैसे पहचानूंगी....
ReplyDelete@ विनीताजी , ताऊ भी चक्कर खाग्या था उसनै देखकै !ऊपर नकली उड़नतश्तरी की टिपणी भी हुबहू थी ! बाद म्ह असल टिपणी आई तब ताऊ कै समझ पडया ! इब थम ख़ुद जाकै चेक करल्यो ! :)
ReplyDeleteताऊ जी,
ReplyDeleteयहाँ लोग तश्तरी पर कब्जा करने की फिराक में रहते हैं, उड़न तश्तरी की तो बात ही निराली है. बहुत दूर की कौड़ी लाये हैं ताऊ जी.
याने ताउ जट्ट तो है पण इस जट्ट के पास दिमाग तगडा है !!ताउ एक बात और आप अपने ब्लाग संदेश मे पहले लाइन मे लिखते हो सच बोले और दुसरे मे झुठ बोलो ,जे क्या मामला है ताउ जी ?
ReplyDeleteदीपक जी ब्लॉग संदेश को तब तक पढ़ते जावो
ReplyDeleteजब तक समझ नही आ जाए ! कभी तो समझ
आ ही जायेगा ! आसान से समझ आ जाए वो
बात ही क्या ?
शीर्षक देखकर लगा कि शायद कब्जा हो गया, लेकिन आपका अलेख पढ जान में जान आई कि फिलहाल कोई स्वांगी है जो उडनतश्तरिया होने की कोशिश कर रहा है
ReplyDelete-- शास्त्री
-- समय पर दिया गया प्रोत्साहन हर मानव में छुपे अतिमानव को सबके समक्ष ला सकता है, अत: कृपया रोज कम से कम 10 हिन्दी चिट्ठों पर टिप्पणी कर उनको प्रोत्साहित करें!! (सारथी: http://www.Sarathi.info)
और अब किसकी लंका जलानी है ? हम तो आपके हनुमान हैं ! हमारा तो परमानेन्ट यही धन्धा है !
ReplyDeleteताऊ की जय हो ! ताऊ बस मेरी लंका मत जलाना ! बाक़ी तेरे जचे वो कर ! जिसकी लंका जलानी
हो जला और जिसकी छोड़नी हो उसको छोड़ ! डाइलाग बड़े धाँसू लिखे हैं !
ताऊ जी आपकी लिखने की शैली का जबाब नही , पढ़ने में बड़ा मजा आता है |
ReplyDeleteआपकी रींगस वाली स्कूल देखी है एक बार स्कूल से हम भी रींगस टूर्नामेंट खेलने गए थे तब उसी स्टेशन के पास वाली स्कूल में ठहरे थे |
अरे ताऊ, तेरे से फोंट क्या बिगड़े तूने तो उसके बाद दुकान का ही कायापल्ट कर दिया। अच्छी लागे है तरी ये दुकान मतलब ब्लोग।
ReplyDeleteये पोस्ट दिखाकर ऐय्यारी की जॉब के लिये ऐप्लाई कर दो, कम से कम आतंकवादियों का पता बम फोड़ने से पहले तो लगेगा।
हम से गलती हो गयी कै, हम प्रोत्साहत देते ना दिक्खे :D :D
आपने ये जो पोस्ट लिखी है इसका उद्देश्य क्या
ReplyDeleteप्रचार पाना नही है ? अगर उड़नतश्तरी के नाम
से कोई कमेन्ट कर भी गया तो आपके पेट में
क्यूँ दर्द हो रहा है |
ताऊ छोड इन बेनामियो को, इन के साथ हम भी अपना मुहं क्यो गन्दा करे, मस्त रहो
ReplyDeleteराम्पुरिया भाई कभी बात करे बताओ कब गुगल पे या अपना फ़ोन ना० भेज दो.
अब सोने चला शुभ रात्रि
पोस्ट की तह में हमें नहीं जाना...बस पढ़कर मज़ा आया!
ReplyDeleteTAU..................
ReplyDeleteJai Raam g ki...
Tau...
aaj baat karan ka mood koni....
Tau..
Mood ban bi sake...
ib laga andazaaaaaaa........
भाई का दिखै आडै आण का प्रोग्राम सै !
ReplyDeleteभाई स्वागत आपको ! बड़ी खुशी होगी !
कद का विचार सै , हम तो धन्य होजेंगा !
@Anonymous आपको अगर इतनी ही बात
ReplyDeleteपूछने की जिज्ञासा है तो आप नाम से सामने आवो ना !
इस तरह आपके कमेन्ट करने का क्या मतलब ?
बेहतर होगा आप मेल करे और पूछे फ़िर आपकी
बात का कोई औचित्य भी होगा ! अब आदमी किसको
जवाब दे ? आपको ? जिनका कोई अस्तित्व ही नही है !
aapke blog par me akasar aati hu. par tipani nahi karti. kyoki aap agar koi secrious baat bhi karte hai to aapke blog ki language pdhakar mujhe hasi aati hai. bhut hi alag anadaz hai aapka. very nice. jari rhe.
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