हरयाणवी लोगो के जवाब में भी एक प्रश्न् छुपा होता है और यही इस भाषा की खूबसूरती है ! ताऊ आज कल भुट्टे बेच रहा है ! एक ग्राहक को बाक़ी रुपये वापस किए तो एक दस का नोट कुछ सड़ा गला था ! ग्राहक ने कहा - यह नोट बदल दे ताऊ ! अब ताऊ ने नोट बदल कर देते हुए पूछा - क्यों इस नोट की.. आँख दुखणी आ री सै के ? |
ताऊ किसी काम से शहर गया हुवा था ! वापसी मे बस मे काफ़ी भीड भाड थी !
ताऊ किसी तरह जबरदस्ती करता हुवा अपने लठ्ठ को लेके बस मे चढ तो लिया !
पर बैठण की जगह मिली कोनी ! ताऊ का माथा दिन भर की परेशानी से कुछ गर्म
तो था ही सो चुप चाप बस का डन्डा पकड कै खडा हो गया !
असल मे ताऊ शहर मे अपने लडके की स्कूल मे गया था ! क्योन्की ताऊ के छौरै नै
स्कूल म मास्टरनीजी तै किम्मै उटपटांग हरकत कर दी थी ! सो मास्टरनीजी ताऊ कै
छोरै पै किम्मै ज्यादा ही भडक ली थी और उस बालक नै स्कूल तैं निकालण की
जुगत भिडावै थी ! और इसीलिये ताऊ को स्कूल मे बुलवाया था ! इब ताऊ भी ताऊ
ही था ! वो भी जाकै मास्टरनी जी तैं भिड लिया !
मास्टरनी जी ने ताऊ को अन्ग्रेजी मे कुछ गालियां दे दी ! वो तो गनीमत की ताऊ का
अन्ग्रेजी से कुछ उधार लेना बाकी नही था सो ताऊ कुछ समझा नही ! और ताऊ को
मुर्ख समझ कै मास्टरनी जी किम्मै ज्यादा ही चटर पटर करण लाग री थी !
अब आप तो जानते ही हैं कि अन्ग्रेजी बोलनै वाले को कोई गांव का ताऊ मिल जाये
तो अपनी अन्ग्रेजी का सारा ज्ञान उसी पर उंडेल देते हैं !
तब ताऊ नै भी अपणी देशी जबाण मे किम्मै उलटा सीधा बोल दिया !
तब मास्टरनी जी चिल्लाई - सिक्युरिटी..सिक्युरिटि... असल मै वो सिक्युरिटी वाले को
बुलवा कर ताऊ को बाहर निकलवाना चाहती थी ! जब वो सिक्युरिटी..सिक्युरिटि...
चिल्लावण लाग री थी तब ताऊ नु समझ्या के यो बोल री सै .. सेक रोटी.. सेक रोटी..!
इब ताऊ का तो पारा चढ लिया और ताऊ बोला - अर मास्टरनी मै क्यूं रोटी सेकूं ?
रोटी सेक तू ! हम तो मर्द आदमी सैं ! रोटी नी सेक्या करते ! और मास्टरनी जी नै
ताऊ को बाहर का रास्ता दिखा दिया ! और ताऊ किसी तरह भूखा प्यासा घर आ गया !
घर लौट कर ताऊ की इच्छा हलवा खावण की हो री थी ! और ताई किम्मै
बणा कै देण आली नही थी ! सो ताऊ नै जोगाड लगाते हुये कहा -
अर भागवान सुण .. जरा ! आज त हल्वा बणा तू !
ताई बोली - क्यूं के काम करकै आया सै ? जो तेरे लिये हलवा बणाऊं ?
ताऊ बोल्या - अर मैं रामलाल तैं शर्त जीत कै आया सूं !
ताई बोली - कुण सी शर्त जीती सै तन्नै ! जरा हमनै भी बता !
ताऊ - मैं बोल्या, ऊंटनी कै दुध आले ३ थन होवैं सै ! रामलाल बोल्या
- कि नही ४ होवैं सै !
ताई - तो तू क्यूं कर जीत गया ? सारी दुनियां जानै सै कि ऊंटनी कै ४
ही थण होवैं सै !
ताऊ बोल्या - नही ३ होवैं सै ! तू मान जा !
ताई - मैं मान ही नही सकती ! झूंठी बात किस तरियां मानी ज्यागी !
ताऊ नै पूछी - इब भी सोच ले ! मानैगी या नही ?
ताई बोली - जा जा फ़ालतू बात ना करया करै ?
इब ताऊ नै किम्मै छोह (गुस्सा) सा आग्या घणे दिनों मै ! और राज भाटियाजी
नै ताऊ को कल ही दो लठ्ठ भेजे थे जरमनी तैं ! सो ताऊ नै तो उठा कै
ताई कै मार दिये कई लठ्ठ ! और ताई तो आज ताऊ का रूप देख कै रोती रोती
एक तरफ़ मै बैठगी ! और आज ताऊ कै हाथ मे मेड इन जर्मनी लठ्ठ देखकै
बोली -- हां बिल्कुळ मानगी थारी बात ! ऊंटनी कै दूध आले ३ ही थन होवैं सैं !
ताऊ बोल्या - सही कह री सै ! रामलाल भी इसी तरह लट्ठ खाकै ही मान्या था !
आप जो बॉक्स देख रहे हैं उसकी जानकारी मुझे डा. अनुराग जी ने उपलब्ध करवाई है , भाई अभिषेक जी ओझा की मेल द्वारा ! और इस ब्लॉग का नया डिजाइन मुझे भरत मुदगल (stockmode.com/tech) ने सुझाया ! मैं, आप तीनो महानुभावों का आभारी हूँ ! |
Bahut accha likha hai.
ReplyDeleteताऊ, मैं तै बिनाए लट्ठ खाये मान् ग्या! बड्डे-बुड्यॉं का ल्यहाज न करुँ तो कित जॉं।
ReplyDeleteताऊ ऎसे ही लठ्ठ मे चन्दु लाल जी कॊ देना चाहता हू, ताकि उस का घर बस जाये, लेकिन अभी उस का कोई जवाव ही नही आया, चन्दु लाल वो ही....
ReplyDeleteभाई आप का लेख बहुत अच्छा लगा, ओर आप का यह बांलग का नमुना भी खुब पसंद आया, कल मे भी अपनी घरवाली से पुछुगां बता ऊंटनी के कितने दुध आले थन होवे से......
राम राम भाई
भाटिया साहब मेरी मानो तो आप भरजाई जी तैं मत पूछियो के भैंस के कितने थण होवें सै ?
ReplyDeleteक्यूं की म्हारे गेल्यां तो थारै भेज्योड़े लट्ठ सें ! आप कै धोरै के सै ? देखा देखी म्ह किम्मै
उलटा सीधा काम ना होज्या ! :)
ताऊ जी, हम भी मान गए बगैर लटठ खाए। अच्छी लगती हैं यह जबान। कभी दिल्ली में कोई मिल जाता इस जबान को बोलता हुआ तो सुनने लगता हूँ। या कभी कोई गाँव से आ जाता है तब। पहले भी पढा था आपका ब्लोग पर फिर ध्यान से उतर गया। पर अब बुकमार्क कर लिया है। रोज आऐगे आपके घर अगर लटठ से स्वागत ना हो।
ReplyDeleteरामलाल भी इसी तरह लट्ठ खाकै ही मान्या था!
ReplyDeleteक्या बात है ताऊ. लट्ठ के आगे तो बड़े बड़े भूत भी दम हिलाते हैं रामलाल की तो बिसात ही क्या है.
मैं तो वैसे ही मानता हूं - तीन ही थन होते हैं। कौन ताऊ और लठ्ठ से पंगा ले। कहें तो दो थन में भी काम चल सकता है।:)
ReplyDeleteपर हलुवे का क्या हुआ?
.
ReplyDeleteमन्ने लाग्ये ताऊ का मूड इब कुझ ठिक्क
होग्या सै !
पण ताऊ, नाइंसाफ़ी मेरे से बरदास ना होती,
झाड़ खायी मस्टराणी से, लट्ठ खायी ताई ने ?
बोल के ज़वाब देगा ?
" ha ha ha ha great, the style and language used is fantastic and it really attracts every one to enjoy the incedents posted over here. but tau jee kee zid or bhugtnaa becharee taee jee ko pda, ab ye to shee nahee hua naa, kya aapka jor unpr hee chultta hai jub dekho un pr hee aap apna gussa utarteyn hain..."
ReplyDeleteRegards
@ डा. अमर कुमार जी ! गुरूजी , मास्टरनी तो अन्ग्रेज़ी म्ह गाली बक कर बड़ गी भीतर नै !
ReplyDeleteऔर ताऊ कै दिमाग म्ह चढरया सै गुस्सा ! तो ताई पै एक बार त निकाल
लिया ! इब ताई धौरे भी लट्ठ सै , वो रोज रोज तो गुस्सा निकालण नही
देगी ! सो ताऊ भी बैठ ग्या सै मास्टरनी क स्कुल क बाहर ! कभी तो बाहर
निकलेगी ही ! इब ताऊ कितै भाग थोड़ी रहा सै ? गुरु के आदेश का पालन नही
करे उस शिष्य को डूब कर मर जाना चाहिए ! हम उस तरह के शिष्य नही है !
आपके आदेश का पालन होगा !
@ आदरणीय दादागुरुजी ज्ञान दत्तजी पाण्डेय, प्रणाम ! सर उस वक्त तो हलवा मिल ग्या पर बाद म्ह के के नही हुवा ? आपको क्या बताये ? बहुत पलट लट्ठ पड़े हम पर ! :)
ReplyDeleteओ मेरे ताऊ जीओ ! आज आया सै ताऊ असली फार्म मे ! बिचारे रामलाल को भी लट्ठ से ठोक बजाके शर्त जीत ली ! पर ताऊ एक बात समझ में नही आई की ताई ने कैसे लट्ठ खा लिए ? रोज तुमको लट्ठ मारने वाली ताई इतनी सीधी कैसे हो गई ? ताऊ सच बतादे की आपने ताई को लट्ठ मारे या ताई ने आपको लट्ठ मारे ?
ReplyDeleteऔर हाँ खबरदार ताई को कुछ कहा तो ! मैं अभी महिला उत्पीडन वालियों का मोर्चा भेजता हूँ ? :)
ताऊ नु समझ्या के यो बोल री सै .. सेक रोटी.. सेक रोटी..!
ReplyDeleteइब ताऊ का तो पारा चढ लिया और ताऊ बोला - अर मास्टरनी मै क्यूं रोटी सेकूं ?
रोटी सेक तू ! हम तो मर्द आदमी सैं ! रोटी नी सेक्या करते !
ताऊ बहुत दिनों बाद ये हरयाणवी लट्ठ बजा है | मजा आगया |
ग्राहक ने कहा - यह नोट बदल दे ताऊ ! अब ताऊ ने नोट बदल कर देते हुए पूछा - क्यों इस नोट की.. आँख दुखणी आ री सै के ?
ReplyDeleteताऊ, कमाल के होते हैं हरयाणवी भी ? नोट की भी कभी आँख दुखती है क्या ? पर भाई ताऊ तो कुछ भी कर सकते हैं ! आपकी पोस्ट पढ़ने के बाद टिपणी भी पढ़कर मजा आ जाता है !
जय हो लट्ठ वाले ताऊ की...... |
ताऊ तुमने ख़ुद कबूल किया है तुमने ताई को लट्ठ मारे हैं !अब मैं तुम्हारी रिपोर्ट महिला उत्पीडन समिति को दे आया हूँ !
ReplyDeleteअब देखना मजे ! तिवारी साहब से उलझने के और मजे लेना अब ! बस एक बार ताई गवाही देने को राजी हो जाए, फ़िर समझो की तुम्हारा इलाज हो गया ! फ़िर थाने से बैठ कर पोस्ट लिखना की वहाँ कितने डंडे खाए ! एक बार पहले भी तुम ताई से मार पीट के इलजाम में अन्दर हो चुके हो ! फ़िर थाने वालो से कहते फिरोगे की मुझे क्या मालुम था ? ये (ताई) तुम्हारी बहन
लगती है ? :)
बहुत अच्छे ताऊ ! बढिया चल रहे हो !
ReplyDeleteहरयाणवी पढ़ पढ़ के मजे भी आ रहे है !
भुट्टे मूंगफली कब तक बेचोगे ? ज्यादा
कमाई हो रही है क्या इसमे ? और तिवारी
साहब वाला कटोरा कहाँ गया ? :)
है क्या बात है ताउ आपको को तो हम बछिया के ताउ समझ रहे थे पर लठ्ठ देख के ही हम सब समझ गये है मन्ने मारने की जरुरत कोनी ॥वो लठ्ठ टुट जाये तो बताइयेगा हम क्रुड आयल पिया हुआ मेड इन अरब का लठ्ठ भेज देंगे ॥
ReplyDeleteअब आप तो जानते ही हैं कि अन्ग्रेजी बोलनै वाले को कोई गांव का ताऊ मिल जाये
तो अपनी अन्ग्रेजी का सारा ज्ञान उसी पर उंडेल देते हैं !बहुत अच्छा व्यंग है !!आपका ब्लाग बडा सुंदर लग रहा है !!
बड़ी उत्सुकता हो तही थी कि उंटनी के ३ थन कैसे होते हैं, पर लेख की अन्तिम लाईन पढ़ते ही जोरदार हंसी आ गई, और यह भी पता चल गया कि वाकई उंटनी के ३ थन ही होवैं सैं।
ReplyDeleteहम तो दो पे भी हां कह देंगे ताऊ! हलवा खिलायेंगे अलग से।
ReplyDeleteहा हा अच्छा वाक़या सुनाया पर कुछ जिज्ञासा रह गयी -क्या सेक्योराटी वाले आपको निकाले या फिर आप पहले ही फूट लिए और मर्दानगी घर वाली पर दिखा गए ?
ReplyDeleteआपका लट्ठ और जादू की छड़ी ...कुछ भी करवा सकते हैं !!!!!!!!!
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