प्रिय ब्लॉगर मित्रों , कुछ दिनों से मेरे ब्लॉग पर एक तकनीकी समस्या से जूझ रहा था ! फ़िर कल मैंने बहुत परेशान होकर एक अपील ब्लॉगर बंधुओं से की थी ! जिसके जवाब में मैं यह लिख रहा हूँ !
एक बात तो तय है की ये ब्लॉग जगत वाकई एक अलग ही दुनिया है ! यहाँ आप निजी रूप से भले एक दुसरे को कम ही जानते होंगे ! पर यहाँ एकांकी पन नही है ! और शायद यह इस विधा के उज्जवल भविष्य की और एक इशारा है !
मैं तो सोच रहा था की इस पर शायद ही कोई ध्यान देगा ! और मैं पिछले एक महीने से इतना परेशान था की पोस्ट पब्लिश करने में ३ - ३ घंटे का समय लग जाता था ! औरमैं सोच रहा था की ऐसी ब्लागरी भी क्या काम की ! मुझे बड़ा आश्चर्य हुवा की मेरी तीन लाइनों की अपील के एवज में तुंरत ही डा. अनुराग जी की सलाह आगइ की ये कर लीजिये ! लगे हाथ सतीश सक्सेना साहब की सलाह आगइ ! और माननीया मनविंदर जी भिम्बर ने भी दिलासा दे दी !
और अजब आश्चर्य हुवा की जिन से मेरा आज के पहले किसी तरह का कोई परिचय नही था ! उन माननीया रचना जी ने काफी सलाह दी ! और पूरी कोशीश की इस समस्या को हल करने में ! पर ताऊ का गम दूर नही हुवा !
अब आप जानते ही हैं की जब गम सताता है तो दुःख: की घडी में मित्र ही काम आते हैं ! अब चूँकी रात काफी होचुकी थी सो सोने का विचार कर ही रहा था की भाई योगिंदर मौदगिल जी प्रकट हो गए ! और उन्होंने एक से बढ़ कर एक सलाह दे डाली ! उनकी सलाहे आप उस पोस्ट की टिपणी कालम में पढ़ सकते हैं !
और एक बात तो बताना ही भूल गया की इस गम को सेयर करने के लिए महानविभूति श्री तिवारी साहब तो रात ८ बजे से हमारे पास ही बैठे थे ! आख़िर इतने बड़े दुःख की घडी में ताऊ को तिवारी साहब अकेला थोड़ी छोड़ सकते हैं ? अब यहाँ बैठ कर तिवारी साहब ने जो हमारी छाती पर मूंग दले हैं वो तो हम ही जानते हैं ! क्योंकि तिवारी महाराज का शाम का साथ अपने को नही जमता ! पर क्या करे ? गम में तो लोग बिना बुलाए चले आते हैं ! और यहाँ तो इनको निमंत्रण था ! आकरदो चार खरी खोटी और सुनाई की आपकी दूकान पर इतनी परेशानी चल रही थी तो बताना चाहिए था ना ? तिवारी साहब मर थोड़ी गए थे ? अरे हमको तो आपकीबीमारी का पता आपकी पोस्ट से चला ? तो आ गए आपके गम को बांटने ! अब तिवारी साहब का गम बांटने का तरीका तो राज भाटिया जी और मौदगिल जी कोअच्छी तरह मालुम है !
और रात १२ बजे प्रकट हुए आदरणीय भाटिया साहब ! इब एक हरयाणवी से एक हरयाणवी को क्या सलाह मिल सकती है ? भैंस, लट्ठ, और अनाडी नुस्खे !आपका भी ब्लॉग कभी भगवान ना करे परेशानी में आए , उसके पहले ही इनकी सलाह रूपी टिपणी का टीका लगावाले ! यह बेहतर रहेगा ! बड़ी मुश्किल से तिवारी महाराज को घर से बाहर निकाल कर उनकी गाडी में पटक कर आकर सो गए !
सुबह उठते पहले ही तरुण भाई साहब की सलाह मिली ! मैं बड़ा खुश था की अब तो काम हो गया ! पर उनकी जो सलाह थी वो ऎसी थी की उसमे हम कुछ भी नही कर सकते थे ! तकनीकी रूप से हम बिल्कुल अंगूठा छाप हैं ! सो सोचा की आफिस जाकरकिसी को पकड़ कर तरुण जी से सलाह लेंगे !
तरुण भाई की सलाह के बाद तुंरत परम मित्र पित्सबर्गिया एक साथ तीन सलाहले के आगये ! उनको भी कोशिश की पर काम नही बना ! मित्र आपकी तीसरी सलाह के लिए अलग से मेल करदी है ! आपने दूसरी सलाह ख़ुद ही आजमा ली !मतलब आपने ताऊ की बीमारी ठीक करण की पूरी कोशीश की !
फ़िर आए श्रीमान फ़न्डेबाज ! इनहोने पता नही सलाह दी है या दुश्मनी निकालने की सोची है ! आप सबसे अनुरोध है की इनकी भी टिपणी पढ़ने लायक है , आप अवश्य पढ़े ! ये तो इतने बड़े डाक्टर लगते हैं की भाई समस्या को जड़ से ही ख़त्म करने का उपाय बता दिया ! हे महामुनि आपको तो ताऊ प्रणाम करता है ! शायद इसीलिए आप मार्केटिंग के बादशाह कहलाते हैं ?
और फ़िर टिपणी आई हमारे गुरु समीरजी की ! जो लास वेगास से बहुत सारे डालर खींच कर लाये हैं ! उनहोने एक दांव वहा चेले के नाम से भी लगाया था और उसी एक दांव में लाखो का वारा न्यारा हो गया ! हमारा प्रसाद तो गुरुदेव हमको दे ही देंगे ! इसमे उनकी तरफ़ से कोई मनाही थोड़े ही है ? खुशी की बात है की आजकल जैसे कई जगह वर्षा का अकाल है उसी तरह टिपणियो का अकाल अबख़त्म ! और हमारे जैसे छुटभैये को जब तक आशीर्वाद नही मिले वो किसी काम कानही सो आज से हम भी काम के हो जायेंगे ! 5 दिनों से सब कुछ सूना सूना सा पडा है !मेरे को गुरुदेव ने पकड़ कर ब्लॉगर बनाया तब से यह शायद पहला मौका है की इतने समय समीरजी गायब हुए हों ! एक बार बीमारी के समय जरुर ऐसा हुवा था ! गुरुदेव आपकी यह बात जमी नही ! आपको जब भी जाना हो इसका उपाय करके जाया करना ! वाकई मुश्किल है आपके बिना जीना इस दुनिया में !
इस बीच हमने अपने आफिस के सहयोगी को पटा लिया था जो तरुण भाई के कहे अनुसार सब सेटिंग देख ले ! और कहाँ हड्डी पसली टूटी है ये तरुण भाई को बतादे !
यह आज ४ बजे शाम का समय था ! इतने में हमने ब्लॉग खोला तो माननीया सीमा गुप्ताजी की सलाह आ गई ! उस सलाह की भाषा ऎसी थी की मैंने अपने सहयोगी से कहा की भाई तू तो यो काम करदे ! और साहब सीमाजी की सलाह बिल्कुल सटीक बैठ गई ! महीनो की समस्या मिनटों में दूर हो गई ! अब सीमा जी सलाह रोमन में थी ! और आप ताऊ को जानते ही हो की ताऊ को अंग्रेजी आवै कोनी ! सो आपको भी जरुरत लग सकती है ! आप सीमाजी की सलाह को टिपणी में पढ़ ले !
मेरा सहयोगी कुछ फायर फॉक्स या ऐसा ही कुछ बोल रहा था ! मैंने उससे पूछा भी था की -अरे बावली बूच ये आग और लोमडी ? तू क्या बकन लाग रया सै ? वो बोल्या ताऊ काम करवाना सै तो चुप चाप बैठ्या रह ! सो भाई म्हारा तो काम होगया ! इब जैसे भी हो !
और अभी अभी भाई विक्रांत बेशरमा जी भी आ गए हैं ! धन्यवाद आपका ! आप भी कोशीश कर लीजिये ! एक्स्प्लोरर को बचाने की !
यह सब लिखने का मतलब ये है की इस दुनिया में जो अपनापन मिला है उसको मैंने इतने सालो क्यों गंवाया ? मैं आप सभी का एहसान मंद हूँ ! आप सबकी टिपनिया (सलाह ) कितने अपनत्व से भरी हैं ? मैं दिल से आप सबका आभारी हूँ !
और सीमाजी आपके ब्लॉग पर मैंने कहा था की आप चंद लफ्जों में बात कह जाती हैं और हमको पन्ने रंगने पड़ जाते हैं ! देख लीजिये उदाहरण ! मैंने ये सिर्फ़ आप लोगो को धन्यवाद देने के लिए ४ लाइन लिखने में कितने पन्ने रंग दिए की आप लोगो को धन्यवाद लेना भी सजा लग रही होगी ?
और अंत में गुरुदेव डा. अमर कुमार जी का नाम स्मरण करके मैंने यह सब लिख मारा है ! अगर आपको कुछ अच्छा लगे तो मेरे गुरु को बताना ! और अगर अच्छा ना लगे तो ताई को बताना ! वो दो लट्ठ मार लेगी ! लट्ठ खाए बिना नींद भी नही आती ! आदत सी हो गई है ! :)
आप सभी का ह्रदय से आभारी हूँ ! प्रणाम !
ताऊ बधाई हो ,अब तो मोजा ही मोजा, अब रंग बदल बदल के लिखो.धन्यवाद
ReplyDeleteचलिए संतोष हुआ आपकी समस्या दूर हुयी !
ReplyDeleteab firefox ki baat to hameny bhi kahii thee , shyaad sahii tarah nahin keh paaye par aap kaa kaam hogayaa is kii khishi haen . seema , lovely ityadi sab taknik ki guru haen kabhie bhii email kar lae aur naa suljhey to saagar bhai "saagar nahar" haen har mushkil ko aasan karney kae liyae yaa phir ravi ratlmi ji sae sampark karey
ReplyDeleteblog smaaaj mae help sab karegae
बधाई हो ताऊ। आखिर ब्लॉग का ऑपरेशन सफल हो ही गया:) लेकिन हमें अब यह चिंता सता रही है कि ब्लॉग की हड्डी जुडी देख कर ताई कहीं आपकी हड्डी न तोड़ दें :)
ReplyDeleteताऊ यार !
ReplyDeleteतुम जिस तरह से आगे भाग रहे हो मुझे लगता है कि गोल्ड मैडल ले जाओगे ! बहुत पॉपुलर हो रहे हो !
जीना इसी का नाम है !
शुभकामनाये
काश मैं भी कुछ सलाह दे पाता। नया-नया हूँ न! बहुत दिनों से किसी ने मुझे धन्यवाद नहीं कहा है।
ReplyDeleteचलिए एक घटिया सलाह देने की हिमाकत करता हूँ ताऊ जी। एक बार सेट हो जाए कलर तो दुबारा मत छेड़ियो। पीस्सी ने भी छो उठै सै।
ताऊ,
ReplyDeleteyou got colours back!
आज तो घनी खुशी का दिन सै. आपके ब्लॉग की सही सेटिंग हो गयी. आपकी फ़ोन वाली ईमेल तो मिली नहीं लगता है dead letter office में चली गयी. आप एक बार मुझे कमेन्ट में अपना नंबर लिख दीजिये. मैं नंबर संभाल कर आपका कमेन्ट रिजेक्ट कर दूंगा. इस तरह से आज के बाद हम मनःशक्ति से बातचीत कर सकेंगे.
वत्स!!! तुम्हारे प्रेम में भाव मगन होकर रो ही पड़ने को जी चाहता है. एक अकेला मैं और आकाल जैसी भीषण त्रासदी-क्या कर पाऊँगा...अपनी ही गजल का शेर याद आया:
ReplyDelete" रो रहा हूँ देखकर, सूखे हुए उस ताल को,
आँसूओं की धार से, कुछ तो नमी हो जायेगी. "
-बस, यही प्रयास है और आप लोगों का स्नेह है. बनाये रखिये.
बधाई हो ताऊ, अब तो क्या नीला नीला छाप रिये से। :)
ReplyDeleteक्या ताऊ तुम बोले थे कि ऊपर दिये गये सारे उपाय आजमा के देख लिये, उसमें फायर फॉक्स भी था। लेकिन शायद गलती हमारी ही है, हम लोगों को सोचना चाहिये था कि ये हरियाणवी ताऊ है, ABCD से शुरू करना चाहिये था। ;)
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ReplyDeleteचल ताऊ, तेरी समस्या तो गयी,
म्हारे को घणी खुसी हुई ।
पण भाया मेरे को गुरु बताके तन्ने तो घण्णै चाल्हे रौप राखें सै !
गुरुलोग कितने घणे हे-रामी सैं, भाई जानता कोनी ?
अपणे गुरुआं की लिस्ट रिवाइज़ कर डाल, देक्ख ले किम्में शरीफ़ आदमी तो ना घुसा गुरुआं की लिस्ट में ?
बाकी गुरुआं की तरफ़ मेरा ’ राम-राम ’ घुमा दे !
"Thankyou sir, kee aapne humaree baat maan lee or us pr kaam kiya or aapke problem solve ho gyee, hume khushee iss baat kee hai kee aap ka blog theek ho gya or setting bhee, or thanks ke koee bat nahee hai, ye humara frj tha jo humne pura kiya"
ReplyDeleteRegards
@ तरुण भाई साहब ! इब ताऊ ही हम इसी करके कहालावें सै !
ReplyDeleteहमने फायर फाक्स का मतलब निकाला आग और लोमडी !
इब थारी ताई बोली यो कुणसा प्रोग्राम सै ? आग त भी दूर
रहना चाहिए और लोमडी तो अपशगुन हौवे सै ! सो भाई
तरुण जी ताई के लट्ठ से डर कर हमने आपका आग और
लोमडी वाला फार्मूला नही अपनाया ! और यही सलाह
आ. रचना जी की आई थी ! और सीमा जी ने लिंक लगादिया
था !सो बटन दाब दिया हमने तो ! और हो गया ! पर भाई
आप सबका बड़ा धन्यवाद ! और ताऊ लायक कोई काम हो
लट्ठ या भैंस वगैरह का तो जरुर बताना ! लिखा पढी ताऊ
के बस का रोग नही सै !
लिखा पढी के काम आप करो और लट्ठ का कोई काम हो
तो ताऊ को बता देना ! :)
badhai ho tau aapki samasya hul ho gayi.main salah dene se chuk gaya,magar deta bhi to kya deta,apna hal bhi apke jaisa hi hai.ab phir puri raftar se maidan me aa jao,anant shubhkamnayen
ReplyDelete@ डा. अमर कुमार जी
ReplyDeleteगुरुदेव प्रणाम
म्हारे गुरु घणे "हे-रामी" नही सिर्फ़ "रामी" सै !
ताऊ के ब्लॉग जगत में दो ही गुरु सै ! यो बात
सारा ब्लॉग जगत जानै सै ! और जिस तरियां
बिगडैल घोडे पै हर कोई सवारी ना कर सकदा,
उसी तरियां किसी ताऊ का गुरु बनणा भी आसान
काम कोणी ! अगर किसी को संदेह हो तो किसी
ताऊ को चेला बना के देख सकता है ! ताऊ तो
सब काम खुले आम करया करै सै ! गुरुओ को
प्रणाम बाक़ी सब को राम राम !
पुनश्च : अगर कोई योग्य और भी गुरु हो , तो ताऊ तो
हमेशा शिष्य है ! स्वागत है गुरुओ का हमेशा ! अभी तो
छाती ठोक कर दो गुरु हैं ! आप तो चेले के गुण अच्छी
तरह जानते ही हो ! :)
agar smasya solve nahi huyi ho to e-mail bata den..agar ho gayi ho to jamkar taugiri karen :-)
ReplyDeleteतो कुल मिलाकर समस्या निबट गयी .......बस यही तो हम चाहवे थे
ReplyDeleteसमस्या जो रही हो, जैसे दूर हुई हो; बाकी यह पोस्ट-टिप्पणियां पढ़ने में बहुत मजा आया! ताऊ रामपुरिया ब्लॉगिन्ग के सफल तरीके जानने में आपको जबरदस्त इनसाइट है।
ReplyDeleteअब यह पता नहीं कि इनसाइट को हरयाणवी में क्या कहा जाता है! :-)
ताउ आपने जानकार के कन्ने मदद मांगी थी अपौन जानकार कोनी इसिलिये कुछ लिख ना सका कि "नीम हकिम खतरा ए जान "यदि हमारी सलाह मान लेते तो आपके ब्लाग की सारी संसारी बाधाओ से मुक्त हो परम शांती को पहुच जाता !! पर आखिर मे आपके जुकाम का इलाज तो हुआ ना "अब दागे जाओ रंग बिरंगी टिप्पणीया
ReplyDeleteताऊ के लट्ठ-प्रेम का कोई नहीं जवाब.
ReplyDeleteकितने ठोक्के ताई नै, रखता नहीं हिसाब.
टिप्पणियों पै टिप्पणी, ताऊ करै कमाल.
लट्ठ नै राक्खै बोच कै, दिल मैं नहीं मलाल.
म्हारा ताऊ ठाठिया, जगत-नमून्ना एक.
सभी ब्लागी कह रहे, ब्लाग पै मात्था टेक.