प्रिय भाईयो और बहणों सबको घणी रामराम. आप सब सोच रहे होंगे कि ताऊ को ये गधा सम्मेलन में रिपोर्टिंग करने की क्या सुझ गई? तो इसके पीछे बहुत दुख भरी कहानी है. असल मे हमको इलाहाबाद सम्मेलन मे शिरकत करने का कोई न्योता नही मिला. और अफ़्सोस इस बात का की दूर दूर देशों और प्रांतो तक न्यौते भेजे गये, जैसे महाराज युद्धिष्टर ने राजसूय यज्ञ करने के लिये भेजे थे.
एक दिल जले ने हमको जलाने के लिये पूछा – ताऊ आप सम्मेलन मे इलाहाबाद नही गये क्या? या न्योता नही मिला. हमने झेंप मिटाते हुये कहा – अमां यार कैसी बाते करते हो? फ़ुरसतिया जी के रहते हुये हमको न्यौता नही मिले ऐसा कैसे हो सकता है? तो उस दिल जले ने असली दर्द ताड लिया, आखिर ब्लागर जो ठहरा और हमारे घावों पर नमक छिडकते
हुये बोला – वो ही तो मैं कहूं कि मुझे जब फ़ुरसतिया जी ने निमंत्रण भेजा है..फ़ोन किया है तो आपको तो भेजा ही होगा? हमने कहा भाई – वो तो फ़ुरसतिया जी का फ़ोन भी आया था , हमसे कह रहे थे कि ताऊ आपको तो आना ही पडेगा..और वो चीफ़ गेस्ट तो आपको ही बनना पडेगा..पर क्या करें? हमारी पीठ का दर्द सर्दी मे ज्यादा बढ गया सो हमने फ़ुरसतिया जी से माफ़ी मांग ली है और अगले सम्मेलन मे जाने की हामी भर दी है.
वो दिलजला भी पकका ताडू था सो हमको देखकर कुटिल हंसी मुस्कराया पर क्या करें भाई ? हम अपनी मूंछे या खींसे..निपोर कर रह गये.. रामप्यारी को मालूम पडा तो वो बोली – अरे ताऊ छोडो..काहे के सम्मेलन और काहे का निमंत्रण? गोली मारो..मैने आपका ताऊजी डाट काम वाला शोरुम चकाचक जमा दिया है वहां काम से फ़ुरसत ही नही है…तो हमने भी चैन की सांस ली. और अपने काम धंधे मे लग गये.
और रामप्यारी की यही शोरूम वाली बात उस दिलजले ताडू ने जाकर फ़ुरसतिया जी को नमक मिर्च लगा कर सुनादी और फ़ुरसतिया जी ने सारी पोल खोल कर रख दी. उन्होने रामप्यारी के बडबोले पन की धज्जियां उडाते हुये लिख डाला चिठ्ठा चर्चा की एक लाईना में…. रामप्यारी का सवाल : मुझे राष्ट्रीय संगोष्ठी में क्यों नहीं बुलाया गया? और वो भी सबसे पहले नंबर पर.
बस रामप्यारी ने तबसे सारा घर उठा लिया सर पर. इतने मे ही हमको अहमदाबाद हमारे भाई बंदो माफ़ किजियेगा गधे सम्मेलन का निमंत्रण मिला ..और हमने वहां का निमंत्रण कबूल कर लिया..इसी बीच उज्जैन वाले गधा सम्मेलन का भी निमंत्रण आगया..सो वहां भी जाना पड गया. सारी कथा बहुत लंबी है. सो हम इस लाईव कवरेज को आपको सुनाते रहेंगे…और यह कवरेज शुरु होगा..हमारी और रामप्यारी की यात्रा से.
गधा सम्मेलन की रिपोर्टिंग को जाते हुये ताऊ
हम और रामप्यारी घर से निकले सब सामान साथ लेकर….रामप्यारी ने कहा कि उसको अलग गधा चाहिये बैठने के लिये. वो हमारे साथ गधा शेयर नही करेगी. तो अब क्या करते? काठी वाला गधा तो हम खुद ले लिये और रामप्यारी को बैठा दिया बिना काठी वाले गधे पर, यानि बढिया जाली दार एसी रूम हमने कब्जियाया और रामप्यारी को मच्छर वाला टिकाये … बिना जाली का… और आगे बढे.
रामप्यारी गधा सम्मेलन की तरफ़ जाते हुये
जैसे ही उज्जैन के निकट पहुंचे…तो भांति भांति के, बच्चे बुड्ढे और जवान गधेडे और गधेडियां मिलने लगे. रास्ते मे सांवेर नगर पार करते ही खबर मिली की बालीवुड के सितारे गधेडे और गधेडियां जैसे की सलमान खान . ऐश्वर्या , अभिषेक और शाहिद कपूर भी … वहां पहुंच चुके हैं और रिपोर्टिंग के लिये आयोजक गण हमारा और रामप्यारी का ईंतजार कर रहे हैं. हमने और रामप्यारी ने अपने अपने गधों को कहा कि जल्दी चलो भाई. तो बिचारे वो भी हमारी तरह शरीफ़ थे ..पूरे दम के साथ भाग लिये.
दस किलोमीटर चलकर वो गधे रुक गये और बोले – ताऊ जरा पोहे जलेबी खिलवा दो…देखो वो सामने नाश्ते की दूकान भी आने वाली है? और हमको भी भूख लगी थी. फ़िर जलेबी का नाम सुनकर तो इलाहाबाद वाली जलेबिया याद आगई. इमान से मुंह मे तो उसी रोज पानी आगया था कि काश फ़ुरसतिया जी ने हमे भी न्यौता होता?. सो हमने जैसे ही एक जगह चाय पोहे जलेबी की दूकान दिखी तुरंत रुक गये और हमने चाय पानी के साथ जलेबी पोहा का नाश्ता किया. जलेबी तो खत्म हो चुकी थी. सो चाय पोहे से ही काम चलाया. हाय री किस्मत..ना इलाहाबाद वाली मिली ना यहां वाली.
जलेबियां नही मिलने पर रुठी गधी को मनाता गधा
इतनी देर मे एक गधा और गधी, जो कि सम्मेलन मे जारहे थे वो आये और दूकानदार से पोहे और जलेबी मांगी. दूकानदार के पास जलेबी खत्म हो चुकी थी. और उस गधे की गधी अड गई की उसे तो जलेबी ही खानी है….इस पर उस गधे ने उसको समझाया कि ---
अब हमको चलना है. इस गधेडे और गधेडी की प्रेमलीला का क्या हुआ? जलेबी नही मिलने पर इस गधेडी प्रेमिका ने इस गधेडे प्रेमी के साथ क्या बर्ताव किया..इसको अगली रिपोर्ट मे देखियेगा. और उसके बाद की रिपोर्टिंग होगी सीधे उज्जैन सम्मेलन स्थल से.
और हां अहमदाबाद से रिपोर्टींग करेंगे सबसे तेज चैनल के हमारे सहयोगी श्री संजय बेंगानी….जिनको हम नेट कनेक्शन मिलते ही तुरंत प्रसारित करेंगे…यह रिपोर्ट हम रामप्यारी के खिलौना लेपटोप से भिजवा रहा हूं सो क्वालीटी उतनी अच्छी नही है. कृपया सहयोग करें.
डिसक्लेमर : चल री सजनी अब क्या सोचे? यह हमारा स्वयम का मूल गाना नही है. अत: निवेदन है कि कोई इधर उधर जाकर टिप्पनीयों मे खुद की मौलिकता का रोना नही रोये. अगर पेट मे दर्द हो तो दवाई ले. और अगर आपका इस पर कापी राईट बनता है तो पोस्ट हटा ली जायेंगी. बेखटके सूचना दे सकते हैं.
नोट : जिनको भी इस प्रेमी प्रेमिका गधे की शुरुआत की प्रेम कहानी पढने की इच्छा हो वो हमारी पोस्ट "एक गधे की दुख भरी दास्तान" यहां पढे! धन्यवाद.
एक दिल जले ने हमको जलाने के लिये पूछा – ताऊ आप सम्मेलन मे इलाहाबाद नही गये क्या? या न्योता नही मिला. हमने झेंप मिटाते हुये कहा – अमां यार कैसी बाते करते हो? फ़ुरसतिया जी के रहते हुये हमको न्यौता नही मिले ऐसा कैसे हो सकता है? तो उस दिल जले ने असली दर्द ताड लिया, आखिर ब्लागर जो ठहरा और हमारे घावों पर नमक छिडकते
हुये बोला – वो ही तो मैं कहूं कि मुझे जब फ़ुरसतिया जी ने निमंत्रण भेजा है..फ़ोन किया है तो आपको तो भेजा ही होगा? हमने कहा भाई – वो तो फ़ुरसतिया जी का फ़ोन भी आया था , हमसे कह रहे थे कि ताऊ आपको तो आना ही पडेगा..और वो चीफ़ गेस्ट तो आपको ही बनना पडेगा..पर क्या करें? हमारी पीठ का दर्द सर्दी मे ज्यादा बढ गया सो हमने फ़ुरसतिया जी से माफ़ी मांग ली है और अगले सम्मेलन मे जाने की हामी भर दी है.
वो दिलजला भी पकका ताडू था सो हमको देखकर कुटिल हंसी मुस्कराया पर क्या करें भाई ? हम अपनी मूंछे या खींसे..निपोर कर रह गये.. रामप्यारी को मालूम पडा तो वो बोली – अरे ताऊ छोडो..काहे के सम्मेलन और काहे का निमंत्रण? गोली मारो..मैने आपका ताऊजी डाट काम वाला शोरुम चकाचक जमा दिया है वहां काम से फ़ुरसत ही नही है…तो हमने भी चैन की सांस ली. और अपने काम धंधे मे लग गये.
और रामप्यारी की यही शोरूम वाली बात उस दिलजले ताडू ने जाकर फ़ुरसतिया जी को नमक मिर्च लगा कर सुनादी और फ़ुरसतिया जी ने सारी पोल खोल कर रख दी. उन्होने रामप्यारी के बडबोले पन की धज्जियां उडाते हुये लिख डाला चिठ्ठा चर्चा की एक लाईना में…. रामप्यारी का सवाल : मुझे राष्ट्रीय संगोष्ठी में क्यों नहीं बुलाया गया? और वो भी सबसे पहले नंबर पर.
बस रामप्यारी ने तबसे सारा घर उठा लिया सर पर. इतने मे ही हमको अहमदाबाद हमारे भाई बंदो माफ़ किजियेगा गधे सम्मेलन का निमंत्रण मिला ..और हमने वहां का निमंत्रण कबूल कर लिया..इसी बीच उज्जैन वाले गधा सम्मेलन का भी निमंत्रण आगया..सो वहां भी जाना पड गया. सारी कथा बहुत लंबी है. सो हम इस लाईव कवरेज को आपको सुनाते रहेंगे…और यह कवरेज शुरु होगा..हमारी और रामप्यारी की यात्रा से.
गधा सम्मेलन रिपोर्टम शुरु
जैसे ही उज्जैन के निकट पहुंचे…तो भांति भांति के, बच्चे बुड्ढे और जवान गधेडे और गधेडियां मिलने लगे. रास्ते मे सांवेर नगर पार करते ही खबर मिली की बालीवुड के सितारे गधेडे और गधेडियां जैसे की सलमान खान . ऐश्वर्या , अभिषेक और शाहिद कपूर भी … वहां पहुंच चुके हैं और रिपोर्टिंग के लिये आयोजक गण हमारा और रामप्यारी का ईंतजार कर रहे हैं. हमने और रामप्यारी ने अपने अपने गधों को कहा कि जल्दी चलो भाई. तो बिचारे वो भी हमारी तरह शरीफ़ थे ..पूरे दम के साथ भाग लिये.
दस किलोमीटर चलकर वो गधे रुक गये और बोले – ताऊ जरा पोहे जलेबी खिलवा दो…देखो वो सामने नाश्ते की दूकान भी आने वाली है? और हमको भी भूख लगी थी. फ़िर जलेबी का नाम सुनकर तो इलाहाबाद वाली जलेबिया याद आगई. इमान से मुंह मे तो उसी रोज पानी आगया था कि काश फ़ुरसतिया जी ने हमे भी न्यौता होता?. सो हमने जैसे ही एक जगह चाय पोहे जलेबी की दूकान दिखी तुरंत रुक गये और हमने चाय पानी के साथ जलेबी पोहा का नाश्ता किया. जलेबी तो खत्म हो चुकी थी. सो चाय पोहे से ही काम चलाया. हाय री किस्मत..ना इलाहाबाद वाली मिली ना यहां वाली.
इतनी देर मे एक गधा और गधी, जो कि सम्मेलन मे जारहे थे वो आये और दूकानदार से पोहे और जलेबी मांगी. दूकानदार के पास जलेबी खत्म हो चुकी थी. और उस गधे की गधी अड गई की उसे तो जलेबी ही खानी है….इस पर उस गधे ने उसको समझाया कि ---
चल री सजनी अब क्या सोचे?
जलेबिया खत्म हो गई आते आते
पोहे खाले , समोसे खाले
यू ना रुठो चलते चलते
चल री सजनी….अब क्या सोचे?
अब हमको चलना है. इस गधेडे और गधेडी की प्रेमलीला का क्या हुआ? जलेबी नही मिलने पर इस गधेडी प्रेमिका ने इस गधेडे प्रेमी के साथ क्या बर्ताव किया..इसको अगली रिपोर्ट मे देखियेगा. और उसके बाद की रिपोर्टिंग होगी सीधे उज्जैन सम्मेलन स्थल से.
और हां अहमदाबाद से रिपोर्टींग करेंगे सबसे तेज चैनल के हमारे सहयोगी श्री संजय बेंगानी….जिनको हम नेट कनेक्शन मिलते ही तुरंत प्रसारित करेंगे…यह रिपोर्ट हम रामप्यारी के खिलौना लेपटोप से भिजवा रहा हूं सो क्वालीटी उतनी अच्छी नही है. कृपया सहयोग करें.
डिसक्लेमर : चल री सजनी अब क्या सोचे? यह हमारा स्वयम का मूल गाना नही है. अत: निवेदन है कि कोई इधर उधर जाकर टिप्पनीयों मे खुद की मौलिकता का रोना नही रोये. अगर पेट मे दर्द हो तो दवाई ले. और अगर आपका इस पर कापी राईट बनता है तो पोस्ट हटा ली जायेंगी. बेखटके सूचना दे सकते हैं.
नोट : जिनको भी इस प्रेमी प्रेमिका गधे की शुरुआत की प्रेम कहानी पढने की इच्छा हो वो हमारी पोस्ट "एक गधे की दुख भरी दास्तान" यहां पढे! धन्यवाद.
आप और हम इसी सम्मेलन से संतोष कर लेते हैं :)
ReplyDelete"गधा सम्मलेन" .... और हमको निमंत्रण नहीं !!!!!!??????
ReplyDeleteजे ठीक बात नहीं ताऊ !!!!
जे सम्मलेन भी कम ना है ...जलेबी नही मिलने पर इस गधेडी प्रेमिका ने इस गधेडे प्रेमी के साथ क्या बर्ताव किया...अब तो बस इसी रिपोर्ट का इन्तजार है ..!!
ReplyDeleteजे सम्मलेन भी कम ना है ...जलेबी नही मिलने पर इस गधेडी प्रेमिका ने इस गधेडे प्रेमी के साथ क्या बर्ताव किया...अब तो बस इसी रिपोर्ट का इन्तजार है ..!!
ReplyDeleteजलेबियो की कमी खर को खरक गई
ReplyDeleteखरकी की खोपड़ी भी सर से सरक गई
ताऊ जी आपने भी बड़ी नाइंसाफ़ी की
खरकी खर के उपर मेळे मे बरस गई
बड़े बनते हो सजना!जलेबियां नही खिला सकते
रामप्यारी का बोझ इतना है पग नही हिला सकते
वो तो मै ही थी जो यहां तक बिठाकर लाई हुँ
बड़े बनते हो मरद दो का बोझ नही उठा सकते
अरी मेरी खरकी ठरकी प्यारी लैला मधुबाला
तुझे खिलाउंगा रबड़ी जलेबी भर के प्याला
थोड़ा सबर कर बिल्लो रामप्यारी चाट जायेगी
तु खड़ी रह जायेगी जलेबियाँ ये खा जायेगी
हां मै समझ गई तुम्हारी बात प्राण नाथ
तभी तुम लगातार चले आ रहे थे म्रेरे साथ
मै समझी खर-खरकी को कहां अकल होती है
इसीलिए हमारी बिरादरी ही बोझा ढोती है
सजना! बड़े अकल वाले निकले तुम्हे बधाई
अब चल कर मेले मे हम-तुम खायेँगे मिठाई
युं ही रास्ते मे लड़ते रहे होगी हमारी रुसवाई
के खर ने खरकी को मेले मे जलेबी नही खिलाई
ताऊ मन्ने लागे से इब यो सम्मलेन अपनी टी.आर.पी. बडवा लेगा ........... असली ब्लोगेर सम्मलेन से ........... कम से मक यहाँ असली के तो हैं सब ......... राम राम .........
ReplyDeleteकौन सी पुस्तक का विमोचन हुआ? एक प्रति तो भिजवाइये! :)
ReplyDeleteनूतो म्हानें भी कोनी मिल्यो, अब काँई केव्हाँ? उस्याँ म्हाँ सोरसण की सोरती का गधा मेळा में घणी बैर्याँ हो आया। एक बार तो गैला में शेरनी भी मलगी छी।
ReplyDeleteहमारा निमंत्रण?? आपसे ऐसी उम्मीद न थी. :(
ReplyDeleteअहमदाबाद से तो आने से रहा...वहाँ तो जबरदस्ति ही जाना पड़ेगा..एक बार जा चुका हूँ. :)
सही रिपोर्टिंग.
और किसने भाग लिया... ताऊ एक और रिपोर्ट बनाऐं.. और भाषण और प्रजेंटेशन कि कॉपि भी..
ReplyDeleteराम राम
ताऊ जी आज फोटू घणी चोखी लगाईं :)
ReplyDeleteअरे ताऊ, उज्जैन के पास से गुजरे और गधेडे को दाल-बाफ़ला ना खिलाया? पाप पड़ेगो… :)
ReplyDeleteकमाल है! हमें तो पता ही नहीं चला कि ताऊ ने गधा सम्मेलन की आड में खूब रौनक लगा रखी है।
ReplyDeleteआपके ब्लाग की कल परसों से फीड नहीं मिल रही..वो तो अचानक घूमते फिरते सैर करते आ गए तो पता चला कि यहाँ तो सम्मेलन की तैयारियाँ हो रही हैं....अभी आकर ही आपकी कल वाली पोस्ट भी पढी ।
बाकी जब सम्मेलन में थारे तै ही नहीं बुलाया तो हम आपणा मलाल तो क्याहं कां करां ? अर यूँ बी उन्हाणै बाह्मणाँ तैंह बुला कै के ओठै पोथी पतरे बँचवाणे थे :)
@ Suresh Chiplunkar
ReplyDeleteअभी उज्जैन कहांपहुंचे हैं? अभी तो सांवेर और उज्जैन के बीच की कथा ही चल रही है. उज्जैन मे पहुंचकर इन प्रेमी गधों की भांग पीने की कहानी पहले आयेगी उसके बाद दाल बाफ़लों की. और आपसे भी तो मिलेंगे अभी.
रामराम.
अब ताऊ की बारी है ! हा हा ! गधों का मीनू भी बताईयेगा ! नाश्ता तो हो गया !
ReplyDeleterampyari bhi saath ho li samelan jaane:),gadhedi sajni ke liye gana bada achha laga:) waah
ReplyDeleteचलिए हम सब उज्जैन सम्मलेन को ही सफल बनाते हैं.
ReplyDeleteताऊ , ये तो ठीक ना हुआ , महिलाओं पर इस तरह अत्याचार ठीक नहीं है ..रामप्यारी के लिए मच्छर वाली गधेडी क्यूँ ???
ReplyDeleteTau ji,
ReplyDeleteaapne bhi dhokha diya...??
aap to aise na the !!!
गध सम्मलेन में अकेले जा रहे हैं !!! हमारा क्या होगा!!!अरे मैं तो जलेबी भी ले आता !! वैसे रामप्यारी को आपने गधेदी पे बिठाया कम से कम झूठे मन से ही याद कर लिया होता!!!
ReplyDeleteजय हो ताऊ जी .......क्या बात है आप रिपोर्टिंग करेगे ? अच्छा ये बताइये आप के गधे सम्मलेन में भाग लिए है ? अच्छा फिर भी ठीक है भाग तो गधे लिए है ना ...मै तो यहाँ तक देखा हु मुख्य अतिथि भी सम्मलेन में भाषण छोड़कर रिपोर्टिंग करना पसंद करते है ...............आप तो शौक सेकरो
ReplyDeleteताउश्री, गधी भले ही रूठी हो, लेकिन गधा -गधी में इंसानों से ज्यादा प्यार नज़र आ रहा है.
ReplyDeleteAAINA ILAAHABAD MANDAL KO ..HA,..HA !
ReplyDeleteताऊ छा गये आज तो रिपोर्टिंग करने मे भी. धो डाला.:)
ReplyDeletevah taau ab gadhe gulabjamun khate khate jalebI khane lag gaye kya?
ReplyDeleteताऊ हम तो अगले भाग का ईंतजार करते हैं, इस गधेडे और गधेडी मे जलेबी ना मिलने के बाद क्या हुआ? यही देखना है.
ReplyDeleteवाकई दिलचस्प पोस्ट. ताऊ इसीलिये आप ताऊ हो.
ReplyDeleteयह बढ़िया आयडिया है यह गधा सम्मेलन तो हर कही हो सकता है लेकिन उद्घाटन के लिये सही गधा ढूँढना पड़ेगा। गधे आदमी से उद्घाटन करवाने से तो रहे ।
ReplyDeleteदरसल तेरा बी कसूर कोनी ताऊ या उमर ए गधासम्मेलन मैं जाण की सै........
ReplyDeleteअच्छा व्यंग्य। जो घोड़ों के सम्मेलन में नहीं बुलाए जाते, उन्हें कम से कम गधों के सम्मेलन का न्यौता तो मिला। यहाँ हम जैसे बहुत से ब्लागर हैं जिन्हें ना तो घोड़ों का और ना ही गधों के सम्मेलन का न्यौता मिला है। अब हम एक "खामखा" सम्मेलन बुलाएंगे। क्योंकि ना तो हम घोड़े बने और ना ही गधे तो रह गए खामखा। जिस किसी को भी इस सम्मेलन में आना हो वह पहले से ही अपना पर्चा भर कर भेज दे। क्योंकि इस सम्मेलन में काफी बड़ी तादाद में खामखा लोगों के आने की सम्भावना है।
ReplyDeleteगघो का सम्मेलन !!!
ReplyDeleteताऊ और रामप्यारी की रिपोर्टीग!!!
ताऊ!!! रोचक बाते होने वाली है!!!! यह तो ताऊ ने ट्रेलर परोसा है- पिचर तो अभी बाकी है मेरे दोस्तो!!!!
देखना ना भूले बैगानी टीवी पर ताऊ राम्प्यारी की गघो का सम्मेलन कि एक्स्क्लुजिव रिपोर्टीग!!!
॒ अगर पेट मे दर्द हो तो दवाई ले...
ताऊ!! दर्द तो है... दवाई आप देगे.. या डाक्टर झट्का से लू ??
haha.....chaliye ..aage kee reporting kaa bhee intezaar ..:))))
ReplyDeletena na kartey bhee bade saj sawar kee chale Taau.....kya baat hai....raampyarai dear bhee hat hmmmm..
age -age dekhteyn hain hota hai kyaa...??:))
Yahee se raam raam bhee
आप भी कहां कहां की खोज कर लाते हो।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
ताऊ, हमें इस सम्मेलन लायक भी नहीं समझा? :(
ReplyDeleteवैसे संभलकर जाना, सुना है नरेन्द्र मोदी जी को स्वाइन फ्लू हो गया है!
घुघूती बासूती
कोई बात नहीं जलेबियाँ फिर कभी सही...
ReplyDeleteगाधी बेचारी को तो रूठना ही था, एक तो यह गधा सम्मेलन और उसे ही जलेबियाँ नहीं मिली...
हा.. हा.. हा..
राम राम ताऊ.. सुंदर है...
मीत
Tauji apne jo teer maara hai wo seedha nishane pe laga hai...
ReplyDeletebahut achha...
साथ में कुछ जलेबीयां ले जाते तो क्या बिगड जाता.
ReplyDeleteवैसे गधे तो गुलाब जामुन खाते हैं, अलाहाबाद में क्या मिठाई परोसी थी. उससे प्रेरणा लेकर उज्जैन और अह्मदाबाद में मेनु फ़िक्स करें...
चल री सजनी अब क्या सोचे?
ReplyDeleteजलेबिया खत्म हो गई आते आते
पोहे खाले , समोसे खाले
यू ना रुठो चलते चलते
चल री सजनी….अब क्या सोचे?
हमें तो ये गीत बहुत बढ़िया लगा ताऊ जी :)
- लावण्या
अरे....अरे.... अरे...!
ReplyDeleteवहाँ तो घास भी नही थी। आप जलेबियों की बात करते हो।
कमाल है....।
बढ़िया धमाल है।।।।