पिछले भाग मे आप पढ चुके हैं कि नौकरी के लिये इंटर्व्यु दिलवाने ताऊ को लेकर राज भाटिया जी बादशाह अकबर के दरबार मे पहुंचे और ताऊ वहां की शानौशौकत देख कर अचंभित रह गया. अब आगे पढिये.
बादशाह सलामत तो एक दम ही मुगलेआजम वाले गेट अप मे सोफ़े पर पसरे हुये इंटर्व्यु ले रहे थे...ताऊ भी अपना नंबर आने पर डरता डरता ऊठा ..और भाटिया जी का हाथ पकडे पकडे जिल्ले-इलाही के सामने खडा हो कर आदाब बजाते हुये बोला - लामलाम... सलदाल....लामलाम...
( असल मे ताऊ बादशाह के दरबार मे पहले बार गया था सो घबरा गया और घबराहट मे रामराम को लामलाम बोल गया और ताऊ की शोले का असर उस पर अभी बाकी था सो बादशाह सलामत की जगह सरदार बोल गया और वो भी तुतला कर सलदाल..कह गया. )
बादशाह अकबर - हूं..ये कौन सी भाषा बोल रहे हो बरखुरदार तुम? और भाटिया जी की तरफ़ प्रश्नवाचक दृष्टि से देखा.
भाटिया जी ने आदाब बजाते हुये कहा - जहांपनाह...ये आपकी पुरानी सल्तनत दिल्ली के पास रोहतक का रहने वाला है हुजुर...आपको वो सल्तनत छोडे मुद्दतें हुई..अब आप जर्मनी मे जन्म लेकर वो भाषा भूल चुके हैं....ये आपको आपकी पुरानी सल्तनत की याद दिलाते हुये वहीं की हरयाणवी भाषा में कह रहा था...जहांपनाह का पुराना रुतबा वापस कायम हो....
बादशाह अकबर - वाह ..वाह..हमे ऐसे ही आदमी की आवश्यकता है...पुराना रुतबा तो आज भी हमारे सपनों मे रह रह कर आता है...अब जर्मनी मे रहकर नौ रत्न रखना तो हम अफ़ोर्ड नही कर सकते पर एक रत्न तो रख ही सकते हैं. हमारा मन भी लगा रहेगा. हां तो तुम्हारा नाम क्या है?
ताऊ - हुजुर मुझे ताऊ कहते हैं.
बादशाह सलामत तो एक दम ही मुगलेआजम वाले गेट अप मे सोफ़े पर पसरे हुये इंटर्व्यु ले रहे थे...ताऊ भी अपना नंबर आने पर डरता डरता ऊठा ..और भाटिया जी का हाथ पकडे पकडे जिल्ले-इलाही के सामने खडा हो कर आदाब बजाते हुये बोला - लामलाम... सलदाल....लामलाम...
( असल मे ताऊ बादशाह के दरबार मे पहले बार गया था सो घबरा गया और घबराहट मे रामराम को लामलाम बोल गया और ताऊ की शोले का असर उस पर अभी बाकी था सो बादशाह सलामत की जगह सरदार बोल गया और वो भी तुतला कर सलदाल..कह गया. )
बादशाह अकबर - हूं..ये कौन सी भाषा बोल रहे हो बरखुरदार तुम? और भाटिया जी की तरफ़ प्रश्नवाचक दृष्टि से देखा.
भाटिया जी ने आदाब बजाते हुये कहा - जहांपनाह...ये आपकी पुरानी सल्तनत दिल्ली के पास रोहतक का रहने वाला है हुजुर...आपको वो सल्तनत छोडे मुद्दतें हुई..अब आप जर्मनी मे जन्म लेकर वो भाषा भूल चुके हैं....ये आपको आपकी पुरानी सल्तनत की याद दिलाते हुये वहीं की हरयाणवी भाषा में कह रहा था...जहांपनाह का पुराना रुतबा वापस कायम हो....
बादशाह अकबर - वाह ..वाह..हमे ऐसे ही आदमी की आवश्यकता है...पुराना रुतबा तो आज भी हमारे सपनों मे रह रह कर आता है...अब जर्मनी मे रहकर नौ रत्न रखना तो हम अफ़ोर्ड नही कर सकते पर एक रत्न तो रख ही सकते हैं. हमारा मन भी लगा रहेगा. हां तो तुम्हारा नाम क्या है?
ताऊ - हुजुर मुझे ताऊ कहते हैं.
बादशाह अकबर - अरे वाह ...ताऊ..वाह..मा बदौलत को नाम पसंद आया...हमे ऐसा ही नाम वाला आदमी चाहिये था...आज से तुम हमारी सेवा मे सरकारी मुलाजिम हुये.....
ताऊ मन लगाकर जहांपनाह की सेवा करने लगा.. अब बादशाह सलामत तो ठहरे बादशाह सलामत... जो भी उटपटांग सवाल मन मे उठता उसका जवाब मांगते...जवाब देने पर इनाम नही तो हर बात मे ताऊ को या तो फ़ांसी चढवा दूंगा या..देश निकाला दे दूंगा की धमकी मिलती..ताऊ भी इन सबका अभ्यस्त हो चुका था.
कुछ दिन बाद .........बादशाह सलामत सोफ़े पर पसरे पडे हैं...ताऊ आदाब अर्ज की मुद्रा मे खडा है... जींस की पैंट पहने दो आधुनिक सेविकायें चाय नाश्ते की ट्रे लिये आरही हैं.....
अकबर -- हां तो ताऊ, हमको कुछ दिन से यह विचार आरहा है कि इस दुनियां मे सर्वश्रेष्ठ क्या है? बताओगे? वर्ना हम तुम्हारा जर्मनी से बाहर युगांडा ट्रांसफ़र करवा देंगे...
अब ताऊ ने सोचा कि आज फ़ंस गये...ताऊ ने सोचने के लिये २४ घंटे की मोहलत मांगना उचित समझा...और बोला - हुजुर, दुनियां की सर्वश्रेष्ठ चीज कल सुबह ही आपकी खिदमत मे पेश कर दी जायेगी....हुजुर. अब मुझे आज्ञा दिजिये...मैं वो चीज लेकर कल सुबह आऊंगा.
अब बहुत सोच समझकर ताऊ ने आशीष खंडेलवाल जी से कहकर एक की-बोर्ड का इंतजाम करवाया और अगले दिन ताऊ वह कंप्युटर का की-बोर्ड लाल कपडे में लपेट कर बगल मे दबाये दबाये दरबार मे पेश हुआ और आदाब अर्ज बजाने के बाद उसे जहांपनाह को देते हुये बोला - हुजुर ये लिजिये दुनियां की सर्वश्रेष्ठ चीज.
बादशाह अकबर - ये क्या लाये हो ताऊ? क्या है इसमे ?
ताऊ - माई बाप...इसमे कंप्युटर का की-बोर्ड है हुजुर...
बादशाह सलामत की त्योरियां चढ गई और बुरी तरह से गुस्सा होकर अपनी पुरानी आदत अनुसार अकबरी तलवार खींचकर बोले - खामोश बद दिमाग ताऊ...हमसे मजाक करता है? तेरी हिम्मत कैसे हुई? मत भूल की हम अब भी बादशाह अकबर हैं. एक की-बोर्ड दुनियां की सर्वश्रेष्ठ वस्तु कैसे हो सकती है? अब आज अकबरी प्रकोप से तुझको कोई नही बचा सकता.
ताऊ बोला - गुस्ताखी माफ़ हो हुजुर..असल मे आजकल जीभ का काम की-बोर्ड से होने लगा है....जैसे जीभ से किसी के लिये अच्छा और मधुर बोलकर किसी का प्यार और प्रसंशा पाई जा सकती है हुजुर...वैसे ही आजकल ब्लागिंग मे इसी की-बोर्ड से सुंदर और मधुर लिखकर परम आनंद प्राप्त किया जा सकता है. यानि सबसे दोस्ती निभाई जा सकती है...सबकी आंखों का तारा बना जा सकता है अत: हे बादशाह श्रेष्ठ..आज के युग मे यह की-बोर्ड ही सर्वश्रेष्ठ है.
ताऊ के इस उत्तर पर बादशाह सलामत अति प्रशन्न हुये और बोले - ताऊ, तेरे उत्तर से हमारी तबियत गार्डन से भी बडा गार्डन हुई...मुगलिया सल्तनत का दौर होता तो आज हम तुमको दस बीस गांव की जागीर अता कर देते..पर फ़िल्हाल तुम ये १० हजार युरो की थैली स्वीकार करो. और अब हमको ये बताओ कि दुनियां मे सबसे निकृष्ट चीज क्या है?
ताऊ मन ही मन भुनभुनाते हुये बोला -- हुजुर निकृष्ट चीज भी कल सुबह आपकी पेशे खिदमत करुंगा. और ताऊ वहां से सोचते हुये निकल लेता है.
अगले दिन ताऊ फ़िर एक की-बोर्ड आशीष खंडेलवाल जी से मंगवा कर, लाल कपडे मे बांध कर बादशाह सलामत के पेशे खिदमत करता है और कहता है कि जहांपनाह यही है दुनियां की निकृष्ट चीज. फ़िर से की-बोर्ड देखकर बादशाह सलामत का पारा सातवें आसमान पर पहुंच जाता है.
अकबर बादशाह लाल पीले होते हुये चिल्लाए - दारोगा-ए-जिंदान....फ़ौरन से पेश्तर इस नामाकूल इंसान को ले जाकर अंधेरी कोठरी मे डाल दिया जाये. ये हमसे मजाक करने की जुर्रत कर रहा है? इस दो चव्वन्नी के ताऊ की हिम्मत तो देखो? अरे कल जिस चीज को सर्वश्रेष्ठ बता रहा था आज उसको ही निकृष्ट बता रहा है?
(ताऊ मन ही मन सोचता है कि राज भाटिया जी और समीर जी ने भी मुझसे क्या दुशमनी निकाली है? कैसे आदमी के पास नौकरी दिलवाई है? अगर इसका बस चले तो ये दिन मे तीन बार मुझे अनारकली की तरह दीवार मे चुनवादे?)
तभी बीच मे ही अपना हैट उतारते हुये महारानी जोधाबाई बोली - अय हुजुर..आप ये क्युं भूल जाते हैं कि ये हमारी दिल्ली वाली सल्तनत का समय नही है? ये जर्मनी है और यहां कोई किसी को काल कोठरियों मे नही डलवा सकता. आपको अपने बादशाह होने का शौक पूरा करना है तो तरीके से किया किजिये. पहले ताऊ की बात तो सुनिये पूरी तरह से....और ताऊ से मुखातिब होते हुये महारानी जोधा बाई बोली - हां तो ताऊ, बताओ कि ये की-बोर्ड कैसे दुनियां की निकृष्ट चीज है?
ताऊ - महारानी साहिबा की जय हो..आपका इकबाल बुलंद हो महारानी साहिबा...आपको जल्दी ही शहजादे सलीम की प्राप्ति हो....( महारानी जोधा ने जैसे ही शहजादे सलीम की प्राप्ति की दुआ सुनी तो जोधा बाई ने अपने गले का हार उतार कर ताऊ की तरफ़ बढा दिया)
ताऊ सर झुका कर हार लपकते हुये बोला - हुजुर..जहांपनाह, आजकल ब्लागिंग हो रही है जमकर..और यही वो चीज है की-बोर्ड.. जिससे चाहे जिसके खिलाफ़ जहर उगला जाता है.... और आदमी इस की-बोर्ड से जहर उगलकर...और मोटी मोटी गालियां देकर ... सबकी नफ़रत का पात्र बन जाता है... और कभी कभी ...आई. पी. एडरेस पकड मे आने पर बहुत ही तबियत से जूते भी खाता है.... और कई बार गलती से सांप के बिल मे भी हाथ डाल देता है. यानि ये समझ लिजिये हुजुर...कि इसी सत्यानाशी की-बोर्ड की वजह से अच्छा भला आदमी अपनी दुर्गति करवा लेता है. बहुत गंदी चीज है ये की बोर्ड जहांपनाह....
अत: हुजुर इससे बढकर आज की दुनियां मे कोई दूसरी निकृष्ट चीज हो ही नही सकती. और अगर आपको यकीन ना हो तो हिंदी ब्लागजगत मे दरियाफ़्त करवा लिजिये हुजुर....आजकल तो चारों तरफ़ यही मंजर है....कोई सरेआम किसी को गालियां देरहा है ..तो कोई बेनामी के नाम से शौक पूरा कर रहा है....चारों तरफ़ माहोल खराब है हुजुर....
ताऊ की बात सुनते सुनते ही बादशाह सलामत का गुस्सा आसमान पर चढ गया और चिल्ला कर बोले - दारोगा-ए-जिंदान... इन बेनामियों को पकडकर हमारे सामने पेश किया जाये....
ताऊ मन लगाकर जहांपनाह की सेवा करने लगा.. अब बादशाह सलामत तो ठहरे बादशाह सलामत... जो भी उटपटांग सवाल मन मे उठता उसका जवाब मांगते...जवाब देने पर इनाम नही तो हर बात मे ताऊ को या तो फ़ांसी चढवा दूंगा या..देश निकाला दे दूंगा की धमकी मिलती..ताऊ भी इन सबका अभ्यस्त हो चुका था.
कुछ दिन बाद .........बादशाह सलामत सोफ़े पर पसरे पडे हैं...ताऊ आदाब अर्ज की मुद्रा मे खडा है... जींस की पैंट पहने दो आधुनिक सेविकायें चाय नाश्ते की ट्रे लिये आरही हैं.....
अकबर -- हां तो ताऊ, हमको कुछ दिन से यह विचार आरहा है कि इस दुनियां मे सर्वश्रेष्ठ क्या है? बताओगे? वर्ना हम तुम्हारा जर्मनी से बाहर युगांडा ट्रांसफ़र करवा देंगे...
अब ताऊ ने सोचा कि आज फ़ंस गये...ताऊ ने सोचने के लिये २४ घंटे की मोहलत मांगना उचित समझा...और बोला - हुजुर, दुनियां की सर्वश्रेष्ठ चीज कल सुबह ही आपकी खिदमत मे पेश कर दी जायेगी....हुजुर. अब मुझे आज्ञा दिजिये...मैं वो चीज लेकर कल सुबह आऊंगा.
अब बहुत सोच समझकर ताऊ ने आशीष खंडेलवाल जी से कहकर एक की-बोर्ड का इंतजाम करवाया और अगले दिन ताऊ वह कंप्युटर का की-बोर्ड लाल कपडे में लपेट कर बगल मे दबाये दबाये दरबार मे पेश हुआ और आदाब अर्ज बजाने के बाद उसे जहांपनाह को देते हुये बोला - हुजुर ये लिजिये दुनियां की सर्वश्रेष्ठ चीज.
बादशाह अकबर - ये क्या लाये हो ताऊ? क्या है इसमे ?
ताऊ - माई बाप...इसमे कंप्युटर का की-बोर्ड है हुजुर...
बादशाह सलामत की त्योरियां चढ गई और बुरी तरह से गुस्सा होकर अपनी पुरानी आदत अनुसार अकबरी तलवार खींचकर बोले - खामोश बद दिमाग ताऊ...हमसे मजाक करता है? तेरी हिम्मत कैसे हुई? मत भूल की हम अब भी बादशाह अकबर हैं. एक की-बोर्ड दुनियां की सर्वश्रेष्ठ वस्तु कैसे हो सकती है? अब आज अकबरी प्रकोप से तुझको कोई नही बचा सकता.
ताऊ बोला - गुस्ताखी माफ़ हो हुजुर..असल मे आजकल जीभ का काम की-बोर्ड से होने लगा है....जैसे जीभ से किसी के लिये अच्छा और मधुर बोलकर किसी का प्यार और प्रसंशा पाई जा सकती है हुजुर...वैसे ही आजकल ब्लागिंग मे इसी की-बोर्ड से सुंदर और मधुर लिखकर परम आनंद प्राप्त किया जा सकता है. यानि सबसे दोस्ती निभाई जा सकती है...सबकी आंखों का तारा बना जा सकता है अत: हे बादशाह श्रेष्ठ..आज के युग मे यह की-बोर्ड ही सर्वश्रेष्ठ है.
ताऊ के इस उत्तर पर बादशाह सलामत अति प्रशन्न हुये और बोले - ताऊ, तेरे उत्तर से हमारी तबियत गार्डन से भी बडा गार्डन हुई...मुगलिया सल्तनत का दौर होता तो आज हम तुमको दस बीस गांव की जागीर अता कर देते..पर फ़िल्हाल तुम ये १० हजार युरो की थैली स्वीकार करो. और अब हमको ये बताओ कि दुनियां मे सबसे निकृष्ट चीज क्या है?
ताऊ मन ही मन भुनभुनाते हुये बोला -- हुजुर निकृष्ट चीज भी कल सुबह आपकी पेशे खिदमत करुंगा. और ताऊ वहां से सोचते हुये निकल लेता है.
अगले दिन ताऊ फ़िर एक की-बोर्ड आशीष खंडेलवाल जी से मंगवा कर, लाल कपडे मे बांध कर बादशाह सलामत के पेशे खिदमत करता है और कहता है कि जहांपनाह यही है दुनियां की निकृष्ट चीज. फ़िर से की-बोर्ड देखकर बादशाह सलामत का पारा सातवें आसमान पर पहुंच जाता है.
अकबर बादशाह लाल पीले होते हुये चिल्लाए - दारोगा-ए-जिंदान....फ़ौरन से पेश्तर इस नामाकूल इंसान को ले जाकर अंधेरी कोठरी मे डाल दिया जाये. ये हमसे मजाक करने की जुर्रत कर रहा है? इस दो चव्वन्नी के ताऊ की हिम्मत तो देखो? अरे कल जिस चीज को सर्वश्रेष्ठ बता रहा था आज उसको ही निकृष्ट बता रहा है?
(ताऊ मन ही मन सोचता है कि राज भाटिया जी और समीर जी ने भी मुझसे क्या दुशमनी निकाली है? कैसे आदमी के पास नौकरी दिलवाई है? अगर इसका बस चले तो ये दिन मे तीन बार मुझे अनारकली की तरह दीवार मे चुनवादे?)
तभी बीच मे ही अपना हैट उतारते हुये महारानी जोधाबाई बोली - अय हुजुर..आप ये क्युं भूल जाते हैं कि ये हमारी दिल्ली वाली सल्तनत का समय नही है? ये जर्मनी है और यहां कोई किसी को काल कोठरियों मे नही डलवा सकता. आपको अपने बादशाह होने का शौक पूरा करना है तो तरीके से किया किजिये. पहले ताऊ की बात तो सुनिये पूरी तरह से....और ताऊ से मुखातिब होते हुये महारानी जोधा बाई बोली - हां तो ताऊ, बताओ कि ये की-बोर्ड कैसे दुनियां की निकृष्ट चीज है?
ताऊ - महारानी साहिबा की जय हो..आपका इकबाल बुलंद हो महारानी साहिबा...आपको जल्दी ही शहजादे सलीम की प्राप्ति हो....( महारानी जोधा ने जैसे ही शहजादे सलीम की प्राप्ति की दुआ सुनी तो जोधा बाई ने अपने गले का हार उतार कर ताऊ की तरफ़ बढा दिया)
ताऊ सर झुका कर हार लपकते हुये बोला - हुजुर..जहांपनाह, आजकल ब्लागिंग हो रही है जमकर..और यही वो चीज है की-बोर्ड.. जिससे चाहे जिसके खिलाफ़ जहर उगला जाता है.... और आदमी इस की-बोर्ड से जहर उगलकर...और मोटी मोटी गालियां देकर ... सबकी नफ़रत का पात्र बन जाता है... और कभी कभी ...आई. पी. एडरेस पकड मे आने पर बहुत ही तबियत से जूते भी खाता है.... और कई बार गलती से सांप के बिल मे भी हाथ डाल देता है. यानि ये समझ लिजिये हुजुर...कि इसी सत्यानाशी की-बोर्ड की वजह से अच्छा भला आदमी अपनी दुर्गति करवा लेता है. बहुत गंदी चीज है ये की बोर्ड जहांपनाह....
अत: हुजुर इससे बढकर आज की दुनियां मे कोई दूसरी निकृष्ट चीज हो ही नही सकती. और अगर आपको यकीन ना हो तो हिंदी ब्लागजगत मे दरियाफ़्त करवा लिजिये हुजुर....आजकल तो चारों तरफ़ यही मंजर है....कोई सरेआम किसी को गालियां देरहा है ..तो कोई बेनामी के नाम से शौक पूरा कर रहा है....चारों तरफ़ माहोल खराब है हुजुर....
ताऊ की बात सुनते सुनते ही बादशाह सलामत का गुस्सा आसमान पर चढ गया और चिल्ला कर बोले - दारोगा-ए-जिंदान... इन बेनामियों को पकडकर हमारे सामने पेश किया जाये....
दारोगा साहब आदाब बजाते हुये डर के मारे बोले - जो हुक्म ..मेरे आका...फ़ौरन से पेश्तर हुक्म की तामिली करवाता हूं और दारोगा साहब बेनामियों को हथकडी लगाने चल पडे...और ताऊ को फ़िर से दस हजार यूरो की थली इनाम मे देकर बादशाह सलामत ने अगला सवाल पूछा....... (क्रमश:)
जिल्ले-इलाही लाम लाम लमस्कार हमाली तलफ से भी
ReplyDeleteअच्छा किया आपका खूंटा पढ़ लिया ... इब गर्ल फ्रेंड नहीं बनानी ......... कम से कम २५ रूपये में तो कम चल जाएगा ......
ReplyDeleteताऊ श्रेष्ठ और निकृष्ट चीज के बारे में जानकर तसल्ली हुई और सतर्क होगये. और गर्लफ़्रेण्ड के बारे मे भी अच्छी शिक्षा ले ली. ऐसी गलती मैं तो नही करुंगा .
ReplyDeleteआज तो जबरदस्त पोस्ट और उससे भी सवाया खूंटा गाड दिया ताऊ। जय हो ताऊ महाराज की।
ReplyDeleteबस ऐसा ही कामकाज चालू रहे।
सवाल जवाब जोरदार हैं।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
इस बादशाह सलामत की तरफ से इस पोस्ट पर दस हजार असर्फियाँ दी जायेंगी. जगह है ताऊ का खूंटा. इब खूंटे पै मिलते हैं अगली बार फिर. :) अगर तब तक गर्ल फ्रेंड बन गयी तो फिर तो हो गया काम !
ReplyDeleteवाह अकबर का ज़माना अधुनिकिया दिया पर बेनामियों कब हाजिर करेंगे ! इस की बोर्ड को उंचा और निचा दोनों कर दिया लगता है, अबकी बार जिल्ले इलाही कुछ और पूछेंगे ?? भाई आशीष जी के बोर्ड का इन्तजाम भरपूर रखियो ताउजी आधा इनाम आपको पकड़ते रहेंगे !! वैसे भी ताऊ की हालत में अभी सुधार आ रहा है पर वापस ये गर्ल फ्रेंड का चक्कर बुर्गेर खिलाने का फंदा वापस कंगाल कर देगा!!! भई बहुत बढिया ताउजी मजा आ गया !!
ReplyDeleteताऊ अब कल बेनामी ओर नर ओर नारियो की
ReplyDeleteलिस्ट भी यहां छाप दो... कसम से मजा आ जायेगा, मै ५० नही सॊ रुपये दुंगा साथ मै प्रेमिका के बच्चो को भी बर्गर खिलाना:)
जगताऊ जी।
ReplyDeleteये नये-नये आइडिया आपके दिमाग में
कहाँ से आते हैं?
बुड़ापे में ये हाल है तो जवानी में तो
उड़ती चिड़िया जरूर पकड़ते होगे।
तुम अकबर के रत्नों के टोडरमल जरूर रहे होंगे।
तभी तो तुमने अकबर को तलाश कर लिया।
बहुत बधाई!
अगली कड़ी का इन्तजार है।
हा हा हा हा हा आनंद आ गया ताउजी बहुत सुन्दर ...
ReplyDeleteताऊ सुना है कि बादशाह अकबर सभी धर्मों का बहुत सम्मान किया करता था ओर उसने अपने दरबार में सभी धर्मों से संबंधित लोगों को स्थान दिया हुआ था । अगर उसके दरबार में राजपुरोहित की जगह खाली हो तो म्हारा ख्याल जरूर रख लियो :)
ReplyDeleteha ha key board ka zamana hai:)waah,khunte pe bhi mazedar raha.
ReplyDeleteआजकल ब्लागिंग हो रही है जमकर..और यही वो चीज है की-बोर्ड.. जिससे चाहे जिसके खिलाफ़ जहर उगला जाता है.... और आदमी इस की-बोर्ड से जहर उगलकर...और मोटी मोटी गालियां देकर ... सबकी नफ़रत का पात्र बन जाता है... और कभी कभी ...आई. पी. एडरेस पकड मे आने पर बहुत ही तबियत से जूते भी खाता है..
ReplyDeleteताऊ श्री ! अवांछित तत्वों पर जोर का जूता मारा है आज !
खूंटे पर तो हंसी ही नहीं रुक रही |
वाह मज़ा आ गया .... हम भी बेनामियों को हथकडी लगे हुए देखना चाहते हैं ...
ReplyDeleteवो आदमी बोला - कमाल है..भिखारियों की भी गर्ल फ़्रेंड होती हैं?
ReplyDeleteताऊ - अरे बावली बूच...गर्ल फ़्रेंड तो पहले से ही थी.... भिखारी तो उसने बाद मे मुझे बना दिया....जैसे अब तू बनेगा.
वाह ताऊ आज तो बहुत जोरदार खूंटा...हंस हंस कर बुरा हाल है.:)
वो आदमी बोला - कमाल है..भिखारियों की भी गर्ल फ़्रेंड होती हैं?
ReplyDeleteताऊ - अरे बावली बूच...गर्ल फ़्रेंड तो पहले से ही थी.... भिखारी तो उसने बाद मे मुझे बना दिया....जैसे अब तू बनेगा.
वाह ताऊ आज तो बहुत जोरदार खूंटा...हंस हंस कर बुरा हाल है.:)
bahut behatrin taauji
ReplyDeleteलाजवाब पोस्ट आज तो मजा आगया बीरबल साहब.:)
ReplyDeleteमन लट्टू हो गया।
ReplyDeleteबादशाह और जोधाबाई भी आ गए चक्कर में ताऊ और ब्लागिंग के।
ReplyDelete"अरे बावली बूच...गर्ल फ़्रेंड तो पहले से ही थी.... भिखारी तो उसने बाद मे मुझे बना दिया....जैसे अब तू बनेगा"
ReplyDeleteही हा हा हा हा हा
बहुत ही रोचक प्रस्तुति...
ReplyDeleteअंत में भिखारी वाला प्रसंग भी मज़ेदार है...
अरे वाह !! ये तो नयी फिल्म शुरू हो गए... मजेदार ...
ReplyDeleteभिखारी तो उसने बाद मे मुझे बना दिया
ReplyDeleteमस्ते है!
आधुनिक अकबर को ताऊ ही ढंग सा जवाब दे सके है ...
ReplyDeleteपर ताऊ ...ये क्या....गर्ल फ्रेंड भिखारी बना देती है ...आगे ये भी जोडो ...अगर घर में पत्नी होते हुए भी गर्ल फ्रेंड बनाई तो ...!!
बहुत चटक जबाबी है ताऊ..श्रेष्ट और निकृष्ट...दोनों एक साथ एक ही में..सही है..दिया हाथ में आया है...चाहो तो घर रोशन कर लो और चाहो तो आग लगा दो.
ReplyDeleteखूंटे से मस्त रहा!!
हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा अरे बावली बूच...गर्ल फ़्रेंड तो पहले से ही थी.... भिखारी तो उसने बाद मे मुझे बना दिया....जैसे अब तू बनेगा. हा हा हा हा हा हा हा हा बेहद रोचक और मजेदार...
ReplyDeleteregards
दारोगा-ए-जिदान को किन-किन के नामों की फेहरिस्त सौंपनी है, ताऊ ये भतीजा इस काम में मदद करे क्या आपकी...
ReplyDeleteजय हिंद...
सही है जी की-बोर्ड से बूरा कुछ भी नहीं.
ReplyDeleteLajwaab post...aur khunt to behtreen hai...
ReplyDeleteबहुत बढिया मजेदार :-)
ReplyDeletewah wah.....padhkar mazaa aa gaya........dono hi kisse mazedar hain.
ReplyDeleteलगता है जोधा बाई तो ताऊ आपकी फेन हो गई है...
ReplyDeleteहा.. हा.,. हा..
मजा आ गया...
बढ़िया पोस्ट लिखी है/...
मीत
ये ताऊ वाकई कमाल के है। हँसी रुकती नही।
ReplyDeletewah wah taau ji....
ReplyDeleteaapko diwali ki ghani ghani ram ram :)
akbar se jara bachke rahiyega kahin sachmuch diwar mein na lagwa de... love u !!
इस शानदार , जानदार और ज़बरदस्त पोस्ट के लिए बधाइयाँ!
ReplyDeleteसाच्ची बात तै खूंटा गाड़ राख्या... साधुवाद....
ReplyDelete;-) ताऊ जी , आपके जाल घर पर आते ही
ReplyDeleteचेहरे पे , मुस्कराहट खिल जाती है
- लावण्या
की बोर्ड की ऐसी जैसी
ReplyDeleteतैसी वैसी कर दी कैसी कैसी
अब इस की बोर्ड का राग का
खटकारा कौन चटकाएगा।
कीबोर्ड की मनभावन कथा
बेनामियों के नाम
नामधारियों के परवान
भी घोषित कर दिए जाते
तो कितने ही फूले न समाते।
कीबोर्ड की ऐसी जैसी
ReplyDeleteतैसी वैसी कर दी कैसी कैसी
बेनामियों के कर देते नाम जाहिर
नामधारियों के परवान हाजिर।
कीबोर्ड कथा खटरागी रही।
सवाल जवाब के माध्यम से आपने हास्य-व्यंग्य की पुरानी शैली को जीवंत किया है।
ReplyDeleteहमारी कामना है कि यह सिलसिला यूँ ही चलता रहे और पाठकों को रोचक सामग्री पढ़ने को मिलती रहे।
चुटकुला सुना हुआ है। प्रयास करें कि नए चुटकुले पढ़ने को मिलें।
सवाल जवाब के माध्यम से आपने हास्य-व्यंग्य की पुरानी शैली को जीवंत किया है।
ReplyDeleteहमारी कामना है कि यह सिलसिला यूँ ही चलता रहे और पाठकों को रोचक सामग्री पढ़ने को मिलती रहे।
चुटकुला सुना हुआ है। प्रयास करें कि नए चुटकुले पढ़ने को मिलें।
haha.....
ReplyDelete:))))
Kahna kya hai ..bas :))))
वाह...वाह...ताऊ ये गर्ल फ्रैंड का नुस्खा तो पहली बार पता चला .....काश हम भी बन पाते कभी .....!!
ReplyDelete