अहम् सवाल : दोषी कौन

मुम्बई  के आतंकवादी  हमले के बारे में अमेरीकी समाचार पत्रों और टी.वी. चैनलों पर अच्छा खासा कवरेज़ था ! उनके हिसाब से वर्तमान सरकार को आने वाले चुनावों में इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है !

 

यहाँ मैं वाल स्ट्रीट जर्नल के सम्पादकीय का जिक्र करना चाहूँगा ! इसमे स्पष्ट रूप से  आर्थिक राजधानी मुम्बई पर हुए हमले के लिए यु.पी.ऐ. सरकार की अक्षमता को दोषी ठहराया गया है और कांग्रेस को आने आले चुनाव में इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है !

 

सम्पादकीय में आगे लिखा गया है की कल प्रधान मंत्री मन मोहन सिंह ने कहा था की दोषियों के ख़िलाफ़ सख्त कारवाई की जायेगी ! और उन्ही की पार्टी कांग्रेस इस मामले में उलजलूल बयान दे रही है ! कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियों ने पिछले पाच साल में आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ने के लिए कुछ नही किया है ! यु.पी.ऐ. सरकार अभी तक इस तरह के हमलो से निपटने में नाकाम रही है और ये उसके लिए अच्छे संकेत नही है !

 

आगे और लिखा गया है की -- जिस देश में आतंक वादी हमले जगह जगह होते रहते हैं, उन्हें रोकने के लिए सरकार ने पाँच सालो में कौन से ऐसे कदम उठाये हैं, जिससे ये हमले रोके नही जा सके ! देश के कई शहरों में बम धमाके हुए है और मुम्बई की घटना ने तो भारत की सुरक्षा एजेंसियों की भी पोल खोल दी है !

पाकिस्तानी एजेंसी ने भारतीय सरकार को पहले ही यह चेतावनी दे दी थी की कराची से कुछ आतंकवादी समुद्र के रास्ते मुम्बई रवाना हो गए हैं , और वो किसी बड़े हमले की तैयारी में हैं, लेकिन भारतीय एजेंसियों ने उस पर ध्यान नही दिया ! और परिणाम स्वरुप मुम्बई पर इतना बड़ा आतंकवादी हमला हो गया !

 

तो ये था वाल स्ट्रीट जर्नल का सम्पादकीय ! अब हम युद्ध युद्ध,  और हम पर हमला होगया,  का राग अलाप  रहे थे ! यहाँ ब्लॉग जगत में भी कहा गया की सब एक मत नही है ! पर मैं ऐसा नही समझता ! सभी में आक्रोश है ! अपनी अपनी स्टाईल में सबने व्यक्त किया है ! कुछ लोगो की भाषा परिष्कृत थी और कुछ मेरे जैसे लंठ भी थे ! भावना सभी की एक ही थी ! 

 

पर हद तो महाराष्ट्र के गृह मंत्री आर.आर. पाटिल साहब ने करदी !  उन्होंने अपनी सरकार का बचाव करते हुए कहा की -- आप इस घटना को पुरी तरह से सुरक्षा एजेंसियों का फेल्योर मत मानिए ! इतने बड़े शहर में ये छोटी मोटी घटनाए तो हो ही जाती है !

 

और आप लोग युद्ध हो गया ..युद्ध हो गया.. चिल्ला रहे हो ? कुछ तो आपको सोचना चाहिए ! जबरन सरकार के पीछे पड़े हो आप लोग ! अब मुम्बई के गृहमंत्री कह रहे हैं तो ग़लत थोड़े ही कह रहे होंगे ?

 

 

इब खूंटे पै पढो :-

 

 

मैंने यह अनुवाद मेरी योग्यता के अनुसार किया है ! अन्ग्रेज़ी, हिन्दी, बंगला और संस्कृत भाषाए मैं कामचलाऊ ही जानता हूँ ! मैं इन भाषाओं का कोई अधिकृत विद्वान् नही हूँ ! पहले भी बिल गेट्स की कुछ पंक्तियों के अनुवाद में एक स्वामीजी मुझे ज्ञान बाँट कर गायब हो गए थे ! और उनको मेल करने पर भी आज तक वापस प्रकट नही हुए !  अत: आपसे निवेदन है की अनुवाद की ग़लती लगे तो सुधार कर पढ़े ! मेरी कोई जिम्मेदारी नही है ! और ना ही अब मैं कोई ज्ञान प्राप्त करने की इच्छा रखता हूँ !

 


हमारी आबरू पर आतंकी हमला

मुम्बई में आतंकियों के हमले २६ नवम्बर रात करीब १० बजे शुरू हुए और जब मैं ये लिखने बैठा हूँ तब २४ घंटे हो चुके हैं ! अभी तक भी तथाकथित युद्ध या मुठभेड़ जारी है ! आज सारे दिन से दिमाग आम भारतीय की तरह मेरा भी खराब था ! हमारे यहाँ चुनाव की वजह से छुट्टी थी पर मैं चूँकि  शेयर मार्केट से जुडा हूँ अत:  हमारा  अवकाश नही था !

 

कल जब आतंकी हमले शुरू हुए तब इनकी भयावहता का अनुमान नही था ! लेकिन जैसे जैसे रात बीतती गई स्थितियां बदतर होती गई ! अपनी आदत के अनुसार वर्तमान आर्थिक हालातो के परिपेक्ष्य में भी इस हमले को देखता रहा !

 

सुबह जल्दी ही ख़बर आई की आज शेयर मार्केट बंद रहेगा ! एक्स्चेंजेस तो मार्केट ऑपरेशंस के लिए अपने को तैयार बता रहे थे पर सेबी ( रेग्युलेटर ) ने मार्केट बंद रखने का आदेश दिया  ! महीने का आखिरी गुरूवार हमारे यहाँ डेरेवेटिव्ज कन्ट्रेक्ट्स की चालू माह की एक्सपाईरी का महत्त्व पूर्ण दिन होता है ! इस दिन का महत्त्व शेयर बाजार में कुछ ज्यादा ही होता है ! उम्मीद है कल,  जब ये पोस्ट आप पढेंगे तब तक काम शुरू हो चुका होगा ! 

 

ये हमला कुछ अलग तरह का सुनियोजित हमला है ! पहले के हर हमले से अलग ! आज जब सारी दुनिया मंदी से जूझ रही है ! ऐसे में ये हमला भारत को आर्थिक रूप से तोड़ने की खतरनाक साजिश का हिस्सा है ! आज जब डालर उतरोत्तर वापस जा रहा है ! ऐसे में भारत को कमजोर या अस्थिर दिखाने की साजिश है  ये हमला ! जिससे यहाँ से लौट रहे फिरंगी निवेशक तेजी से अपना धन निकाल कर जाए और नया कोई निवेश यहाँ ना आए !

 

हमला  होता है ताज  पर ! जी हाँ पुराने ताज पर जो एक तरह से टाटा की मिलकियत और मुम्बईकरों की शान  ही नही बल्कि हर भारतीय की शान है जैसे ट्विन टावर हर अमेरिकी की भावनाओं से जुडा था !

 

इतना शानदार होटल जहाँ एक बार जाना भी अपने आपको धन्य कर जाता है ! इस जगह सारे विदेशी धनकुबेर ही ठहरते हैं ! यानी पुरी तरह से इसका सम्बन्ध विदेशियों से है ! १९०३ में बने इस होटल से हिन्दुस्तानियों की  भावनाए जुडी हुई हैं ! ये कहानी फ़िर कभी !

 

दूसरा ट्राईडेंट ओबेराय पर हुआ -- यहाँ भी सब हाई प्रोफाईल विदेशी धनकुबेर ! और जहाँ पर हमले के समय तो एक अंतर्राष्ट्रीय हाई प्रोफाईल इन्डस्ट्रियलिस्ट की मिटींग भी चल रही थी ! यहाँ भी पुरी तरह हमारे विदेशी हाईप्रोफाईल  मेहमान ठहरते हैं !

 

ताज और ओबेराय हमारे अर्थ जगत की शान में जड़े नगीने हैं ! आज इन नगीनों को उखाड़ फेंकने की कोशीश हुई है ! यानी सीधे सीधे विदेश जगत में हमारी इज्जत खराब करने की साजिश !

 

तीसरी जगह नारीमन हाउस -- जो  जग जाहिर है यहूदी धनकुबेरों  का पसंदीदा ठीकाना है ! 

 

सिर्फ़ और सिर्फ़ ये सिद्ध करने की कोशीश की भारत एक अस्थिर देश है जहाँ कुछ भी सुरक्षा नही है ! आज देश के सामने मंदी की समस्या है और यकीन मानिए अगर किसी  व्यक्ती से दुश्मनी निकालनी हो उसकी कमाई का साधन बंद कर दो वो अपने आप ही  खत्म हो जायेगा ! और दुश्मन की यही रणनीति है ! आपके काम धंधे चोपट हो जाए और नया निवेश आपको नही मिले तो अपने आप ही कमर टूट जायेगी !

 

और इसी को सिद्ध करने के लिए उन्ही विदेशी मेहमानों को टार्गेट बनाया गया जिससे सीधा संदेश जा सके ! भारत की छवि बिगाड़ने की सीधी कोशीश ! दुनिया में संदेश ये गया की भारत एक सॉफ्ट टार्गेट देश है जहाँ के पाँच/सात सितारों होटलों में भी उसकी फोर्सेस से कई घंटो तक लड़ा जा सकता है ! यानी विदेशी वहाँ बिल्कुल सुरक्षित नही है ! वहाँ बिल्कुल अराजकता है !

 

हम क्यो इतने सॉफ्ट टार्गेट बन गए हैं ? ट्विन टावर हमले के बाद अमेरिका में होमलैंड सिक्युरिटी कानून बना ! इसमे दो लाख लोगो की सेवाए ली गई ! ८० हजार फ़िन्गरप्रिन्ट लिए गए ! संदिग्ध लोगो की लिस्ट बनाई गई ! जनता को इस कार्यक्रम में शामिल किया गया ! राष्ट्रपति बुश भले ही आँख की किरकरी बन गए,  पर उनके रहते किसी की दुबारा अमेरिका की तरफ़ देखने की हिम्मत नही हुई !

 

एक तरफ़ हम हैं ! मुझे एक हिन्दी फ़िल्म का डायलोग याद आ रहा है की हमको कोई भी आता है और घंटे की तरह बजा कर चला जाता है ! क्यों ? जवाब सीधा सा है ! इसकी पूरी तरह से जिम्मेदार है हमारे राजनैतिक दलों की क्षुद्र  महत्वाकांक्षा   !

 

एक दल पोटा लगाता है दूसरा दल सता में आते ही अपने स्वार्थ के लिए हटा देता है ! कोई सक्षम कानून नही है ! इस देश के लचर कानून की वजह से ही ये आतंवाद पनप रहा है ! एक छोटा सा चोर अगर भूख से मरते रोटी चोरी करता पकडा जाए तो पुलिस और जनता उसे पीट पीट कर मार डालती है और आतंकी सुरक्षित पैसेज से बाहर हो जाता है ! क्या कानून है ?

 

किसी को बुरा लगता हो तो सौ बार लगे पर मुझे यह कहने में कोई शर्म  या दुःख नही है की हमारे राजनीतिक दल एक  नंबर के बेशर्म और गैरजिम्मेदार है ! जिनको सिर्फ़ अपनी सता के लिए इस देश के जिस्म को बेचने में भी शर्म नही है !

 

कैसे एक राष्ट्र में महाराष्ट्र हो सकता है ?  ठाकरे बंधू क्या कर रहे हैं ? सिर्फ़ सता का सुख भोगने के लिए "आमचा महाराष्ट्र  आमची मुम्बई"  का राग अलापते  हैं और उनको शर्म भी नही आती ? कहाँ छुपे बैठे हैं ये शेर ? आज वहाँ आतंकियों की गोली खाने एक हिन्दुस्तानी ही सामने हैं भले वो महाराष्ट्र का, यु.पी. या बिहार का ही है ! ठाकरे साहब क्यों नही आए आगे ?

 

असल में मुम्बई को मराठी और उतर भारतीय के बीच बांटने की साजिश भी आतंकियों के होसले बढाती है ! संदेश यही जाता है की जब ये भारतीय ही मराठी और उतर भारतीय   में बँटे हुए हैं तो कोई हमारा  क्या  कर लेगा ? रोंद डालो भारत की आत्मा को ! इससे सस्ता शिकार कहीं नही मिलेगा !

 

क्या शासक  दल से ये नही पूछा जाना चाहिए की क्यो पोटा हटाया गया ? और क्यों राज ठाकरे पर पोटा नही लगाया जाता ? आख़िर इनकी भी मिली जुली नूरा कुश्ती है ! जब ठाकरे सता में होंगे तो इनको बचाएंगे ! और अब ये उनको बचा रहे हैं !

बेशर्म और कमीने लोग ! अगर ठाकरे जैसे चंद लोगो को ५/७ साल अन्दर पटक दीजिये ! फ़िर देखिये ! वरना तो ये   हिन्दुस्तान को बेच खाएँगे  ! और छोडा ही क्या है ? आज स्विस बैंको में सबसे ज्यादा धन का आंकडा तो इन्ही कमीने राजनीतिज्ञों के  धन का है ! वो कौन सा टेक्स पेड़ मनी है ?

 

आप चाहे इसे शोक कहले , चाहे युद्ध कहले , चाहे आक्रोश कहले ! असल में आपके हमारे हाथ में तब तक कुछ नही है जब तक हमारे हाथ एक साथ नही होंगे ! अकेला चना कुछ नही कर सकता ! आईये हम ब्लागर्स तो कम से कम एक सुर में बोले ! हम कुछ मुट्ठी भर लोग ही एक साथ हो गए तो धीरे धीरे कारवाँ  तो बन ही जायेगा !

 

मैं तो रचना जी की टिपणी और सीमाजी की पोस्ट से सहमत हूँ ! आप भी सहमत होंगे तो हमारी ताकत बढेगी और हम इस युद्ध को सही में जीत कर इस तंत्र को उखाड़ फेंकेंगे ! पहले आप इकट्ठा तो होईये ! अकेले कैसे युद्ध लडेंगे ? और आपको पहला युद्ध तो आपके इन गंदे राजनीतिज्ञों  से ही लड़ना है ! इनको जीत लिया तो कोई दुश्मन आपकी तरफ आँख भी नही उठाएगा ! यकीन कीजिये यह हमला बहुत ही खतरनाक ढंग का है ! इसकी भयावहता देख कर अगला हमला कैसा होगा ? कल्पना मात्र से दिल दहल उठता है !


ये नए तरह का पहला हमला हुआ है ! अगर समय रहते हम नही चेते तो कोई ताज्जुब नही अगला हमला जैविक हथियारों से होगा !  


 

इब खूंटे पै पढो :-


shok
समस्त शहीदों को श्रद्धांजलि !

शोक ! शोक !! शोक !!!



shok

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एक दिन हम सब 

सिर्फ़ और सिर्फ़ 

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प्रेरणा और चित्र 

सीमा गुप्ता जी के 

ब्लॉग से 

आभार सहित !

















ताऊ ने चाँद पर कालोनी काटी : बुकिंग शुरू

ताऊ को जब से यमराज जी ने चाँद वरदान में दिया तब से सभी ब्लागर्स की अनंत शुभकामनाएं और बधाईयाँ आई है ! सभी खुश हैं ! आईये उस पोस्ट पर किसने क्या कहा ? संक्षिप्त में देखते हैं ! भाई कुश ने चिंता दिखाई की चाँद पर अब भाटिया जी के ठेले का क्या होगा ? डॉ .अनुराग जी की जिज्ञासा है की  वहाँ पर प्लाट कब काटे जायेंगे ? PALLAVI TRIVEDI जी को चाँद पर घुमने की सहूलियत मिलने से खुशी थी !

 

आ.GYAN DUTT PANDEY जी यमराज के हाईटेक ना होने से ताऊ की जान बचने से खुश थे ! दिनेशराय द्विवेदी DINESHRAI DWIVED जी को चम्पाकली के ना लौटने का दुःख था की अब उनको चम्पाकली का दूध कैसे मिलेगा   ? मान.लावण्यम्` ~ अन्तर्मन् जी को ब्लागर्स के लिए मांगे गए वरदान और चांद पर कब्जे की खशी थी  ! गौतम राजरिशी जी को चांद पर चम्पाकली का तबेला देखने की इच्छा थी ! अशोक पाण्डेय जी और RATAN SINGH SHEKHAWAT जी  शेखावत ताऊ के बचने की खुशी में प्रशन्न थे !

 

अल्पना वर्माजी को अब भी भरोसा  नही की चाँद को ताऊ पूरा का पूरा डकार गया ! वो लिखती हैं चाँद ताऊ का है -Breaking news hai. ! अल्पना जी यकीन करिए यह ब्रेकिंग न्यूज नही है बल्कि हकीकत है !

 

लवली कुमारी / LOVELY KUMAR जी को चम्पाकली के बिछुड़ जाने का मलाल था ! रंजना [रंजू भाटिया]  जी को वरदान और चाँद पर कब्जे की  खुशी थी ! PN SUBRAMANIAN जी को पुरे प्रकरण में ही आनंद आया ! PT. D.K.SHARMA "VATSA" जी को ताऊ के ख़िलाफ़ देवताओं की  साजिश की ख़बर लग चुकी थी वो उसका ईलाज करने की तैयारी कर रहे थे ! ABHISHEK जी को ताऊ के शेयर ब्रोकर होने की खुशी थी !

 

 POEMSNPUJA  को वरदान की खुशी और चाँद पर कब्जे की इतनी खुशी थी की  खुशी का पारावार नही था ! जैसे बच्चे ने चाँद को मुठ्ठी में बंद कर लिया हो ! देखिये उन्ही के शब्दों में - ये आपने बहुत अच्छा किया ताऊ जो चाँद मांग लिया, अब मैं लिखूंगी और कोई मुझे चाँद को नीला पीला करने को कहेगा तो बोल दूंगी मेरे ताऊ का चाँद है, मेरा जैसा मन रंगुंगी...कोई आपका थोड़े है, सो ठंढ रखो. 

 

 कुछ दिन पहले पूजा जी को कोई चाँद को काला पीला ना करने की सीख  दे गया था ! अब करलो जिसको जो  करना हो ! अब पूरा चाँद ही उनके ताऊ का है तो जाहिर है उनका ही  है !  अब कोई झंझट ही नही बचा  ! 

ताऊ ब्लागरो  के लिए चाँद तो क्या सूरज को भी हथिया लेगा ! खबरदार सीख देने वालो ! अब सूरज से दुश्मनी मत निकालना !   विष्णु बैरागी  जी चंद्र यात्रा और यमराज संवाद सुनकर बिल्कुल फ्रेश हो गए  थे !

 

SEEMA GUPTA जी को डर था की कही ताऊ ने, नटवर लाल ने जैसे ताजमहल  बेच खाया था उस तरह का कोई कारनामा नही कर दिया हो पर वरदान की बात पढ़ कर तसल्ली हो गई ! और चांद पर जाने की सुविधा मिल जाने से बड़ी खुश थी !

 

ZAKIR ALI 'RAJNEESH' साहब ताऊ को पटा कर रखने की जोगाड़ में थे ! जाकिर साहब, ताऊ को  ज़रा खांटी चिलम कानपुरिया चाहिए पटने के लिए, वैसे लखनवी तम्बाकू भी चलेगी ! :)  CMPERSHAD भी आश्चर्यचकित थे ! यमराज के चक्कर में आने से जीवन सफ़र भी बहुत खुश !

 

 मोहन वशिष्‍ठ जी ने बड़ी काम की बात कही पर भाई आप थोडा लेट हो गए ! आप  अगर ये हमेशा तीन वरदान मांगने की सलाह पहले दे देते तो हम सब ब्लागरिए हमेशा के लिए सुखी हो जाते ! अबकी बार चंगुल में चढ़ने दो यमराज को ! बस यही वरदान मान्गुगा !

 

अभिषेक ओझा जी तो प्रशन्नता वश ताऊ के शिष्य भी बनने को राजी और कोचिंग भी लेने को तैयार ! धन्यवाद भाई ओझा साहब ! आप भी बैंकर हैं ! अत: आप तो ट्रेंड ही हैं !  हम जल्दी ही चाँद पर एक अन्तर ब्रहमान्डिय  मेनेजमेंट ट्रेनिंग कोर्स शुरू करने वाले हैं ! आप अमेरिकन असाईन्मैन्ट पूरा करके वहाँ का काम संभालिये ! अभी वहाँ पर चम्पाकली अकेली है ! सब रिक्रुट्मैन्ट आपको ही देखना है !

 

कविता वाचक्नवी जी तो बहुत ही खुश हैं ! उन्ही के शब्दों में - ईब आपणै वरदाण म्हारी खात्तिर भी माँग्या ही होगा कि चंगू-मंगू तै .... बचै रह्वैं, सो म्हणै भी थैन्क्यू क्हैण का मौका देणा बणै आपका!
थारे धोरे टोकरा-भर थैन्क्यू देणा बणता है जी म्हारा। स्वीकारो।

बहुत शुक्रिया कविता जी ! योगेन्द्र मौदगिल  जी ने तो यमराज की ऎसी तैसी करके चार बार ताऊ की जय बोल दी !

 
 मेरे प्यारे ब्लागियों
म्हारे होते होये ताऊ की कोए पूंझड़ बी नी पाड़ सकता
यमराज की के बिसात सै
प्रेम से बोलो
ताऊ जिंदाबाद

नीरज गोस्वामी  जी कहते हैं :- 

मोदगिल भाई के साथ मैं भी ताऊ की जय बोल रहा हूँ लेकिन मुहं नीचा कर के...क्या पता कब ताऊ की भैंस चाँद पे पोठा (गोबर) गिरा दे जो सीधा मुहं पे आ गिरे...रे ताऊ अब तो चाँद को ताकने काबिल भी न रहे रे...

नीरज जी आप नाहक चिंता कर रहे हैं ! चम्पाकली निहायत ही जहीन और खानदानी और विद्वान् भैंस है ! उसका ताल्लुक राजा भोज के दरबार से है ! जिनको पता नही हो उनकी जानकारी के लिए बता देते हैं की ये भैंस ताऊ को राजा भोज ने दी थी ! श्री योगीन्द्र मोदगिल अच्छी तरह परिचित हैं इससे ! और ये काव्य की भी बड़ी गहरी पकड़ रखती है ! आप आराम से चाँद को ताकिये ! 

 

राज भाटिय़ा  जी भी बड़े खुश हैं ताऊ की जान बचने से ! भाटिया जी आपको कहीं जाने की जरुरत नही है ! आपका ठेला वहीं रखिये ! मार्स पर यमराज का झौठा और चम्पाकली कब्जे की जुगत भिडा रहे हैं!

 

अनुपम अग्रवाल जी को ताऊ के लौटने की खुशी है पर उनको ये डर भी सता रहा है की अगर ताऊ चाँद पर शिफ्ट हो गए तो यहाँ ब्लागारियों को बिगाड़ने का काम कौन करेगा ? अनुपम जी आप चिंता मत करिए ! हम वहाँ का काम शुरू करने के लिए यहाँ का काम अधूरा नही छोडेंगे !

 

अनूप शुक्ल  जी क्या शान जमाई ताऊ की। वाह। ताऊ हो तो ऐसा चाहे एक ही हो।

शुक्ल जी भी बड़े प्रशन्नचित  है ! NITISH RAJ जी को फिक्र है की ताई ने आपको पीटा क्यों नही ? लो बोलो - ताऊ अच्छा करे या बुरा ! ताऊ नही मन्दिर का घंटा होगया जो आप सुबह शाम ताई से बजवाते रहो ! JAYAKA  जी बड़ी प्रशन्न हैं ताऊ के लौटने से ! अब हंसाने का सुखा नही पडेगा ! MUSAFIR JAT जी ने कहा की नरक का राज ही मांग लेते जिससे स्वर्ग के बजाये हम हमेशा नरक मांगते और हमेशा के लिये मौज हो जाती ! भई चिंता मत करो ! ताऊ जहां भी रहेगा , अपने लिये नर्क का निर्माण स्वयम कर लेगा !

 

MAKRAND और दीपक "तिवारी साहब"  जी भी प्लाट काटने जैसी बात करते हैं !

फ़न्डेबाज   और DR. NAZAR MAHMOOD साहब  बधाई देते हैं !

 

 PREETI BARTHWAL  भी खुश होकर  कहती हैं कि ताऊ की अक्ल के आगे यमराज क्या चीज है !


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कुल मिलाकर सारे ब्लागर्स इतने खुश थे की जैसे चाँद उनको ही मिल गया हो ! सही है जब ताऊ ही आपका है तो चाँद तो आपका है ही ! चाँद पर एक ताऊ शाला का निर्माण करवा दिया गया है ! इसमे ७ स्टार से भी बेहतरीन ठहरने की व्यवस्था है ! वहाँ आप ब्लागर्स का खाने पीने का इंतजाम भाटिया जी के ७ स्टार ठेले से होगा ! ये सब सुविधाए आपके लिए बिल्कुल मुफ्त हैं ! ताऊ के खेमे वालो के अतिथि भी फ्री में इन सुविधाओं का लाभ ले सकेंगे ! बाकी लोगो को नोमिनल चार्जेस देने पड़ेंगे ! ट्रांसपोर्टेशन के लिए समीर जी से आप लोग सीधे बात कर ले !  

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आईये अब हम इस विषय में कुछ जरुरी घोषणाए कर देते हैं ! चाँद पर हमने बहुत तेजी से एक कालोनी का काम शुरू कर दिया है ! चम्पाकली द्वारा वहाँ पर  एक मीठे पानी की झील खोज ली गई है उसी झील के पास यह कालोनी बसाई जा रही है  ! यह सर्वसुविधायुक्त कालोनी होगी  !    इसके निर्माण के पैमाने इन्टर्गेलिक्टिक होंगे ! इतनी उन्नत प्रोद्योगिकी इस्तेमाल की जारही है की आप आश्चर्यचकित हो जायेंगे ! आपकी कल्पना से बाहर होगा इसका निर्माण !

 

जितने भी ब्लॉगर भाई और बहने हैं उन सबको ताऊ की तरफ़ से एक एक प्लाट, जिसकी साईज एक लाख स्कवेयर फीट है, वह रजिस्ट्री सहित फ्री दिए जायेंगे ! यानी आपको कोई पैसा नही देना पडेगा ! और एक बात जो ब्लॉगर ताऊ के खेमे के हैं उनको एक एक प्लाट इसी साईज का और फ्री ! अब खेमा ताऊ को भी नही मालुम ! आप इसे शास्त्री जी से प्रमाणित करवा ले  और   अपना खेमाकरण करवा ले ! आपसे निवेदन है की अपने अपने  प्लाट वगैरह के कागज़ आप शास्त्री जी से यथासम्भव शीघ्रता से प्राप्त कर ले ! आपको इसके अलावा प्लाट चाहिए तो उसकी आप बुकिंग  करवाले !

 

इस कालोनी की विशेषता है की इस में पेंटिंग के लिए १० स्कवेयर मील का एरिया छोडा गया है जहाँ आप अपनी मन मर्जी से पेंटिंग कर सकते हैं ! अर्थात चाँद को आप अपनी मनमर्जी के रंग से पेंट  कर सकते हैं ! इस जोन में चाँद आपको मना नही करेगा ! 


दूसरा एक जोन १०० स्कवेयर मील का  कवियो और शायरों के लिए है ! इस जोन में नदी , पहाड़ , झरने , बगीचे और पशु पक्षी यानि पूरा प्राकृतिक वातावरण है ! इस जोन में घुसते ही कविताए अपने आप फूट पड़ेगी !  


और भी बहुत से फायदे हैं ! मसलन इस  कालोनी में ज्यादातर पृथ्वी ग्रह के वासियों को जगह दी गई है अन्यथा सभी अन्य ग्रह वासियों  की भी कालोनिया काटी जा रही हैं ! एक कालोनी एलियंस  के लिए भी काटी जा रही है अगर आपको उसमे चाहिए तो हम आपको उसमे भी प्लाट दे सकते हैं ! ज़रा जल्दी करे ! 

 

और एक जरुरी सूचना :- चाँद पर जाने और आने  के लिए आप समीर जी से बात करले ! पृथ्वी से चाँद तक उनकी सर्व सुविधायुक्त Intergalactic Udantashtari Service उपलब्ध है ! एक मात्र यही उड़नतश्तरी सर्विस है जिसमे मुफ्त भारतीय खाने का शानदार प्रबंध है !  और वो आजकल सुना है भारत में ही आए हुए हैं इसी  की बुकिंग को लेकर ! सो आप अपना आने जाने का ईयरली पास बनवा ले ! काफी फायदे में रहेंगे !

 

 

इब खूंटे पै पढो :-

 

योगीन्द्र मोदगिल साहब  - मेरे परदादा गुजरे तब आठ मकान, ४ बैल, १० झौठी और ५० किले जमीन छोड़ कर गए थे !

 

राज भाटिया साहब - अरे ये तो कुछ भी नही ! मेरे परदादा गए तब ४ मकान, २५ दूकान,  ८ फेक्ट्री और ७० किलो सोना छोड़ कर गए थे !

 

ताऊ - अरे भाई पूछो ही मत ! ये तो कुछ भी नही था ! न्यू समझ ल्यो की मेरे परदादा तो सारी की सारी दुनिया ही छोड़ कर गए थे !

 

 

  

ताऊ को चूना लगा गया फेरी वाला

बात थोड़ी पुरानी सै ! आपमें से कईयों को बचपन की याद होगी जब गाँव में  फेरी वाले दूकानदार आया करते थे ! और गाँव वाले अपनी जरुरत का सामान सब इन्ही लोगो से खरीदा करते थे !

 

ये लोग दैनिक उपयोग में आने वाला सामान जैसे  चड्डी  बनियान, ओरतो की गोटा किनारी, काजल बिंदी आदि बेचने आया करते थे ! कुछ सर पर गठरी रख कर , कुछ साईकिल और कुछ फेरीवाले अपने घोडो पर सामान बेचने आया करते थे !

 

सब सामान अनाज के बदले खरीदा जाता था ! गाँवों में उस समय रुपये पैसे कुछ नही होते थे ! सब्जी खरीदना हो, कपड़े लेना हो , कोई भी किराने का सामान लेना हो वह सब अनाज के बदले ही खरीदा जाता था !

 

नगद रुपये की हालत यह थी की छपनिये के प्रसिद्द अकाल के समय लोग पेडो के छिलके उखाड़ कर खा गए थे ! लेकिन उस समय  ज्वार  एक रुपये की   ५६ सेर  थी ! यानी नकद मुद्रा का उन दिनों नितांत अभाव था ! ( यह अकाल संवत १९५६ यानी आज से तकरीबन १०९ साल पहले मारवाड़ और आस पास के इलाको में बहुत भीषण रूप में पडा था जिसे पुराने लोग आज भी किस्से कहानियों में याद किया करते हैं !)

 

ताऊ की एक खासियत होती है की अगर किसी को गलती या बदमाशी करते देख लिया तो उसको ५/७ लट्ठ जरुर मारेगा और कान के नीचे भी ३/४ जरूर बजायेगा ! ख़ुद का चाहे कितणा भी नुक्सान क्यूँ ना हो जाए !

 

इस घटना से आप समझ पायेंगे की ताऊ वाकई भोले भाले इंसान होते हैं ! अपनी अक्ल साबित करने  के लिए ख़ुद का नुक्सान भी हो जाए तो परवाह नही पालते !

 

 taau in khet वर्षा कभी भी हो सकती थी सो ताऊ खेतों  को तैयार करने में व्यस्त रहता था ! घर गृहस्थी का सामान ताई ही ले लिया करती थी उन फेरी वालो से ! ताऊ ने देखा की एक बोरी अनाज की जो अभी ५ दिन पहले ही भरी हुई थी आज अचानक खाली खाली सी दिखने लग गई !

 

उसने ताई से पूछा की इसका अनाज कहाँ गया ? और आजकल तो चम्पाकली भी चाँद पर गई हुई है ! फ़िर इतनी जल्दी ये खाली कैसे हो गई ?  ताई ने बताया की बिसायती ( फेरी वाला ) आया था उससे कुछ कपडे लत्ते और बच्चो की चड्डी बनियान ली थी ! तुम्हारी बनियान वो कल ले के आयेगा !

 

ताऊ समझ गया माजरा क्या है ? अगले दिन ताऊ खेत में बुवाई करने निकल गया हल लेकर ! उधर साईकिल पर  फेरी वाला आगया !

 

फेरी वाला - ताई ले ये पकड़ ताऊ की बनियान ! बड़ी मुश्किल तैं ढुन्ढ कै ल्याया सूं !  इत्ती बड़ी बनियान ही फेक्ट्री आले ना बनाते आजकल !

 

ताई तो बनियान देख कै खुश हो गई ! 0

 

ताई बोली - रे बिसायती के ! बता कितणा नाज  (अनाज) घालणा सै ?

 

ये फेरी वाले बड़े तेज होते हैं ! वो बोला - ताई डाल दे जितना डालना हो !

 

ताई ५/६ कचोलै ( बड़ा कटोरा टाईप ) अनाज के डाल कै बोली - बस हो गया के ?

 

अब वो बिसायती किम्मै बोल्या कोनी !  ताई समझी कुछ कम रह गया ! सो ताई नै उठा कै दो कचोलै नाज के और डाल दिए !

 

उधर ताऊ ने इसको आते देख लिया था ! सो उधर खेत से इसके ऊपर ही नजर लगा कै देख रहा था ! जब उसने देखा की इसने तो आज ताई को फ़िर लूट लिया है ! तो खेत से जल्दी जल्दी घर की तरफ़ आने लगा !

 

और इधर फेरी वाले ने देखा की ताऊ घर की तरफ़ ही आ रहा है तो वो फट से अपनी अनाज और सामान की पोटली साईकिल पर रखण  लाग गया !

 

अब ताऊ नै देखी की ये तो सामान उठाके भागने की फिराक में है तो ताऊ ने लंबे लंबे पाँव उठाये और घर की तरफ़ अपना लट्ठ उठाये दौड़ता सा आने लगा !

 

फेरी वाले ने समझ लिया की ताऊ आज मारे बिना नही छोडेगा ! सो वो भी साईकिल उठाके भाग लिया ! अब आगे आगे साईकिल पै गठरी लादे लादे फेरी आला भाग रहा था और पीछे पीछे लट्ठ लेके ताऊ भागा जावे था !

 

गठरी लादे लादे फेरी वाला भाग नही पा रहा था ! और ताऊ बहुत तेजी से पास आता जा रहा था ! फेरी वाले ने सोची की आज तो ग़लत जगह फंस लिए ! बहुत मुश्किल है बचना !

 

सो उसने सोचा की ये अनाज की गठरी यहीं पटक कर भागता हूँ जिससे इस ताऊ को इसका अनाज वापस मिल जायेगा तो ये अपना पीछा छोड़ देगा ! और उसने अनाज की गठरी वहीं पटक दी और भाग लिया !

 

थोड़ी देर में उसने पलट कर देखा ! ताऊ तो अब भी लट्ठ उठाये उसकी तरफ़ दौडा आ रहा था ! उसने सोचा - ये अच्छे मुर्ख ताऊ से पाला पडा ! ये बिना पीटे नही छोडेगा ! अब क्या करू ? और ताऊ का  लट्ठ देख कै डर गया !

 

फ़िर उसने अक्ल लगाई और अपनी कपडे की गठरी वहीं पटक दी और अब साईकिल को लेके भागने लगा !

 

थोड़ी देर बाद फ़िर पलट के देखा तो ताऊ फ़िर उसे पीछे पीछे आता दिखा ! उसको अब लग गया की इस मुर्ख ताऊ से बच पाना मुश्किल काम है ! आज  ये लट्ठ से मारेगा जरुर ! ताऊ लगातार उसके पीछे लगा हुआ था !

 

अब फेरी वाले ने अपनी साईकिल भी पटक दी और पुरी ताकत से दौड़ लगा दी ! पर कच्चे गाँव के रास्तो में वो क्या ताऊ से बच सकता था  ?

 

थोड़ी दूर जाकै ताऊ नै उसको पकड़ लिया ! और ५/७ तो मारे लट्ठ , और उसके ३/४ कान के नीचे बजा कर बोला - तेरे को बीरबानिया ( ओरतों ) नै लूटते शर्म कोनी आवै ? बावली बूच कहीं का !

 

चल आज तो तेरा सामान उठा लेजा और आईंदा कभी मत लूटिये  गाम आली बीरबानियाँ नै ! और वो फेरीवाला अपनी गठरी , अनाज की पोटली और साईकिल ले के भाज लिया !

 

 

इब खूंटे पै पढो :-

 

ताऊ ने अपनी शादी का विज्ञापन इस तरह दिया था  :-

 

"पच्चीस वर्षीय युवक के लिए एक ऐसी वधू चाहिए, जो विवाह के बाद भी सुसंस्कृत, सुशील, मिलनसार और मृदुभाषी बनी रहे।"

 

जवाब में ताऊ के ससुर साहब ने आवेदन किया :- मैं सिर्फ़  ६ महीने की वारंटी दे सकता हूँ ! गरीब आदमी हूँ इससे ज्यादा की मेरी हैसियत नही है ! और शादी के ठीक ६ महीने बाद उन्होंने "मेड इन जर्मन" लट्ठ अपनी बेटी को गौने में दे कर विदा कर दिया !


कुछ ख़बर चुनाव क्षेत्र से : संवाद दाता ताऊ

चुनाव दृश्य न.१


नागनाथ पार्टी अध्यक्ष की तीन पत्नियां,
टिकट दिलवा दिया तीसरे नंबर की जानू को,
बड़ी और मझली ने कोप भवन संभाल लिया,
सौतन  के प्रचार में जाने से मना कर दिया,

चुनाव प्रचार में उलटा असर पड़ते देख,
कार्यकर्ताओं ने और ग्रामीणों  ने पूछा,
तो आदत अनुसार नेताजी बोले,
नही ऎसी कोई बात नही है, एकता बरकरार है

अभी बड़ी और मझली पटेलन को बुलवाता हूँ
घर फोन से बात की , और आने का आदेश दिया
केन्द्रीय नेता की सार्वजनिक सभा समाप्त होगई
पर दोनों पटेलन तो मिटींग में नही आई !

 

चुनाव दृश्य न.२

 

सांपनाथ पार्टी के प्रत्यासी की हैं चार बीबीयाँ
आजकल चारो बीबीयों के साथ वोट मांगने निकलते हैं !
चार होने के बावजूद सम्पूर्ण एकता और तालमेल है
गजब का चुनाव प्रबंधन है

पहली पटेलन, चारों के मायको  के गाँवों को संभाल रही है

दूसरी ससुराल के गाँवों को संभाल रही है
तीसरी सारे कार्यकर्ताओं और अर्थ प्रबंधन देख रही है
चौथी ने , रण ( चुनाव ) क्षेत्र में,

पति के कंधे से कंधा लगा रक्खा है

 

आप ही बताईये किसकी विजय होगी ?


इब खूंटे पै पढो :- 

आदिवासी समाज में आज भी बहुपत्नी प्रथा का चलन है ! म.प्र. के निमाड़ और मालवा के कुछ जिलो में रहने वाले भील,  भीलाला और दूसरी जन जातियों में इसे अघोषित रूप से मान्यता मिली हुई है ! उपरोक्त दोनों चुनाव समाचार आजकल के अखबारों में चर्चा में का विषय हैं ! और दोनों ही शीर्षस्थ पार्टियों से ताल्लुक रखते हैं ! 


ऋणं कृत्वा घृतं पिवेत भस्माभूत देही पुनर्जन्म कुत: ताऊ

bearमर्ज बढ़ता गया, ज्यों ज्यों दवा की ! अभी तो यही कहावत चरितार्थ होती दिख रही है !  जी-२० देशों की बैठक वाशिंगटन डी.सी. में हुई ! जहाँ पहली बार इन्डोनेशिया,भारत और ब्राजील जैसे देशो की बात को तवज्जो दी गई ! और ये सिर्फ़ इतराने की बात हो सकती है ! राष्ट्राध्यक्ष किसी भी राष्ट्र के हो उनको आर्थिक मामलों की समझ नही के बराबर होती है  और वो एक आर्थिक सलाहकार नाम का प्राणी अपने बेडे में रखते हैं जो ऐसे मौको के लिए उनको तकरीर लिख देता है ! और ये नेतागण उसको ऎसी बैठको में पढ़ कर वाह वाही लूटने की कोशीश करते है ! हमारे पी.एम. साहब भले इस श्रेणी के नही हो, पर ऐसा संयोंग यदा कदा ही देखने को मिल सकता है ! और यह संयोंग भी किसी राजनैतिक मजबूरी का हिस्सा था ! वरना अर्थशाष्त्री राजनैतिक गलियारों में भले दिख जाए पर  इन  पदों पर कम ही देखे गए हैं !

 

नए ताऊ ओबामा ने इसमे भाग नही लिया ! और बुढे ताऊ बुश  अब नाम के राष्ट्राध्यक्ष हैं ! यानी कोई ठोस कदम इस बैठक में नही दिखे ! यूरोप के १५ देश पहले ही मंदी की घोषणा कर चुके हैं ! और अपनी वितीय संस्थाओं को बचाने के लिए झोलिया फैलाने को तैयार बैठे हैं ! जब इस संकट की जड़ अमेरिका में है और वहीं से कोई ठोस पहल नही हो रही तो दुसरे समृद्ध देशो को क्या पडी है ! और बुढे ताऊ बुश  कुछ ठोस उपाय दिखाते तो अब उनकी बात सुनने वाला भी कौन है !

 

इस सम्मलेन में नियम कानून, पारदर्शिता  और वितीय संस्थाओं के काम काज में सुधार जैसे ओचित्य हीन मुद्दों पर बात  हुई ! ठीक है भई ! मान लिया की भारत और चीन जैसे लिजलिजे राष्ट्रों में इनकी जरुरत है पर आप फिरंगी राष्ट्र तो काफी इमानदार और नियम पालन करने वाले थे फ़िर आप क्यों दिवालिया हो रहे हो ? क्यों भयंकर मंदी के शिकार होकर लोगो को नौकरियों से निकाल रहे हो ? तुम्हारे बैंक क्यों दिवालिया हो रहे है ? 

 

असल में दोस्तों, इस बीमारी की जड़ में उपभोक्तावाद का किटाणु घुसा हुआ है ! और इस तरफ़ किसी ने उंगली भी नही उठाई ! इन पश्चिमी  फिरंगी  राष्ट्रों का रोमरोम कर्ज में डूबा हुआ है !   इनको हर चीज में ऋण लेने की आदत है ! अकेले अमेरिका पर ९/१० खरब डालर का कर्ज है ! हर नागरिक कर्जदार है ! और नागरिक भी सिर्फ़ मकान ही नही बल्कि छुट्टी के मौज मजे, खाने -पीने,  घूमने,  कार और यहाँ तक की कर्ज चुकाने के लिए भी कर्ज लेने की आदत के शिकार है ! यानि  "ऋणं कृत्वा घृतं पिवेत भस्माभूत  देही पुनर्जन्म कुत: " का परम सूत्र देने वाले ब्रह्मऋषि चार्वाक के असली अनुयायी ये ही  हैं , भले चार्वाक भारत भूमि की शान थे ! शायद ऋषि के इन्ही फार्मूलों ने इन कंपनियों को ये लोन का धंधा करने के लिए उकसाया होगा !

 

और इन सब नागरिको को ये आदत वहाँ की वितीय संस्थाओं ने ही लगाई ! मतलब ऋण लेने के लिए भी प्रलोभन देकर उकसाया गया ! आज इसी आदत का शिकार होकर कितने ही लोगो के घर और नौकरिया छीनी जा चुकी हैं और वो खुले आसमान के नीचे रात बिताने को मजबूर हैं !

 

मैंने पहले भी कहा था की जिस रोज क्रेडिट कार्ड का भूत बोतल से बाहर आयेगा उस रोज ना जाने कितनी ही कंपनिया दिवालिया हो जायेंगी ! जिस आदमी की जीरो हैसियत है उसे भी असंख्य क्रेडिट कार्ड दे दिए गए हैं ! टोपी घूम रही है ! इस टोपी घूमने का किस्सा आप नीचे खूंटे पर पढ़ लेना !  और माफ़ करिएगा , ये ख़तरा हम सब  पर  बना हुआ है ! आप ये मत सोचना की आप इस व्यवस्था से बाहर हैं !

 

भारत में भी बहुत क्रेडिट कार्ड प्रेमी और इ.एम्.आई प्रेमी बसते हैं ! और कई तो ऐसे हैं जिन्होंने क्रेडिट कार्ड से लोन  ३/४ % प्रतिमाह का लेकर , वो पैसा शेयर बाजार की भठ्ठी में झोंक दिया है ! जब उनकी टोपी घूमना बंद हो जायेगी तब क्या होगा ?

 

असल में इन्ही फिरंगियों ने इराक़ अफगानिस्तान में जो अरबो खरबों डालर फूंक कर  नंगा नाच किया है उसका खामियाजा आख़िर कभी ना कभी तो भुगतना ही था ! और ये बेशर्म आज भी करोडो डालर वहाँ रोज फूंक रहे हैं ! "घर में नही दाने  और अम्मा चली भुनाने" ! आख़िर पाप का घडा कभी तो फूटना ही था !

 

आज  मजे की बात की चीन जैसे देश ने भी छह सौ बिलियन डालर अपने उद्योगों की मदद के लिए ढीले किए हैं ! सभी अपने अपने हिसाब से सैन्य प्रबंधन में लगे हैं ! मेरा सोचना है की इन नकद प्रबंधनों के द्वारा कुछ नही होगा ! आज भी जरुरत है की हमको अपनी चादर जितने ही पैर पसारने की ! हमें इस उपभोक्तावाद की संस्कृति के बारे में नए सिरे से सोचना होगा ! आप सोचे या ना सोचे ! अभी आने वाले समय की डगर मुझे बहुत कठिन नही तो कठिन तो अवश्य ही दिखाई दे रही है ! कुछ समय बाद आपको मानना ही पडेगा की "बहुत कठिन है डगर पनघट की" !

 

आज भी भारत के ८०/८५ करोड़ लोग १५/२० रुपये रोज में अपना पेट पालते है ! उस राष्ट्र के राष्ट्राध्यक्ष को इन फिरंगियों द्वारा बुलवाया जाना सम्मानजनक भले ही दिखता हो ! पर क्या इस तरह की आबादी के नेता उन मोटे पेट के राष्ट्रों को सलाह देने के काबिल भी हैं ? यहाँ भी उनको इसलिए सम्मान दिया गया है की "सनम हम तो ड़ूब चुके हैं अब हम तुम्हारे कंधे पर लटक कर तुमको भी डूबोयेन्गे" ! और हमारे प्रधानमंत्री और मीडिया इसे इज्जत बख्शना समझ रहे हैं ! मुझे इसका मकसद ही फिरंगियों द्वारा अपना भविष्य का उल्लू सीधा करना दिखाई दे रहा है !

 

 

इब खूंटे पै पढो :-

 

टोपी ऐसे घुमाई जाती है !

 

एक बार ताऊ ने पचास हजार रुपये का कर्ज ले लिया ज्ञानदत्तजी से ! उसे समय पर लौटाने के लिए अगला कर्ज लिया शुक्ल जी से , उनको लौटाया डा. अनुराग जी से लेके, इनको लौटाया भाटिया जी से लेके, इनको लौटाया मित्र पित्सबर्गिया से लेके , फ़िर इनको लौटाया डा. अरविन्द मिश्रा से लेके ! सबको समय पर पैसा पहुंचा ! ताऊ हो गया साख दार आसामी ! अब आखिरी पैसा लिया गया था डा. अरविन्द मिश्रा जी से ! इनको पुन: लौटाने के लिए फ़िर ज्ञानदत्तजी से लेके दिया और यह चक्र यूँ ही चलता रहा ! अब इसमे ब्याज बढ़ता रहा ! और अब ये सलमे सितारे वाली  टोपीबाजी चलते चलते, कुछ समय बाद यही  ५० हजार का कर्ज हो गया १ लाख का ! पर समय पर चुकाने की वजह से ताऊ की साख बढ़ती गई ! सब ताऊ को पैसे माँगने के पहले ही उसके घर पहुंचा देते थे ! गाँव दुनिया की नजर में ताऊ हो गया , मालदार आसामी , जबकि था वो एक असली  कर्जदार !

 

अब इतने समय बाद ताऊ का भी दिमाग ख़राब हो गया ! रोज इससे लो और उसको दो ! अच्छी आफत खडी हो गई ! ताऊ हो गया त्रस्त ! आख़िर जब काबू से बाहर काम हो गया तो उसने एक दिन सारे ऋण दाताओं को सुचना भेज दी की आप आपस में ही मेरे बिहाफ पर एक दुसरे को रुपये देते लेते रहो !  जब जिसका नंबर हो दे दो और तुम्हारी कमाई और मेरा कर्ज चुकता होता रहेगा ! अब मैं कहाँ रोज रोज झंझट में पडू ?

 

अर्थ जगत और खासकर देशी भारतीय अर्थ जगत में हम इसे पुराने समय में मजाक के तौर पर कहा करते थे , पर आज ये ही बोतल का जिन्न बन चुका है ! बात बहुत गहरी है ! सोच के देखिये ! मैंने ऊपर आप सब महानुभाओं  के नाम बात समझाने  के लिए लिए हैं ! कृपया अन्यथा नही ले !

 

 

यमराज ने ताऊ को सजा के बदले दिए वरदान

जैसा की आप जानते ही हैं की चम्पाकली यानि राजा भोज द्वारा ताऊ को दी गई विद्वान् भैंस, योजनानुसार यमराज जी के भैंसे को लेकर चंपत हो गई तो सबके लिए मुश्किल खड़ी हो गई ! बिना झौठे के  यमराज जी वहाँ चाँद से कैसे जाए ? और सबसे बड़ी समस्या तो यह की इस ताऊ का क्या किया जाए ! चाँद पर इन सब बातो को लेकर घमासान मचा हुआ था !

 

यमराज ने जलते नेत्रों से ताऊ की तरफ़ देखते हुए कहा - मुझे तुम्हारी साजिश दिखाई दे रही है  इसमे ! मेरा इतना सीधा सच्चा भैंसा ऐसे कैसे गायब हो सकता है ?

 

ताऊ : यमराज जी महाराज ! इब या तो थम ही जाण सको हो !

 

यमराज : तुम क्या सोच रहे हो ? इस तरह तुम मरने से बच जाओगे !

 

ताऊ : यमराज जी , हम तो पैदायशी मरे हुए हैं ! अब क्या दुबारा मारोगे ?

 

यमराज जी ने नाराज होते हुए कहा : अरे मुर्ख ताऊ ! ज्यादा ज्ञान मत बघार ! अभी तुझको खोलते तेल के कडाव में डलवाउन्गा तब मालुम पडेगा तुझे !

 

इतनी देर में चित्रगुप्त का फोन आता है यमराज जी के पास, और वो बताता है की -

 

आपके भैंसे को ताऊ की चम्पाकली नाम की झौठ्डी के पीछे पीछे  मंगल ग्रह की तरफ़ जाते देखा गया है ! और यह सुनकर तो यमराज आग बबूला हो गए ! और उन्होंने चित्रगुप्त से कहा की उस चम्पाकली की खाल खिंचवा ली जाए !

 

अब ताऊ बोला - यमराज जी , ये कोई अनारकली नही है जो आप उसकी खाल खिंचवा लेंगे ! वो चम्पाकली है , उसका आप कुछ नही बिगाड़ सकते !

 

यमराज ने दहकते अंगारों जैसी आँख से ताऊ को देखा ! तभी उनका मोबाईल घनघना उठा !

 

उधर से चित्रगुप्त ने बताया की - महाराज   मरे हुए लोग आ आकर लाइन लगा कर खड़े हैं और उनको सजा देने में देर हो रही है ! आप जल्दी आए !

 

यमराज - अब हम आए कैसे ? पता नही वो महिषराज कहाँ मुंह काला पीला करते फ़िर रहे हैं ! हम अब इसको हमारे विश्वस्त वाहन स्वरूप नही रक्खेंगे ! हमारे लिए  किसी दूसरी गाडी या वाहन का प्रबंध किया जाए !

 

चित्रगुप्त ने बताया की - महाराज ये आपके और मेरे वश में नही है ! ये वाहन  तो आपको  अलोकेट किया हुआ है शुरू से ही ! आप इसमे कुछ रद्दोबदल नही कर सकते !

 

यमराज - तभी चित्रगुप्त ! अब मेरे समझ में आया की हमारे झौठे ने क्यों हमसे बगावत करने का साहस किया ! शायद वो भी ये बात जानता है ! इसलिए उसकी मण्डी आजकल बहुत तेज है ! खैर अब क्या किया जाए ? इतनी देर में ताऊ बोल पडा बीच में --

 

ताऊ - महाराज आप कहे तो आपके लिए एक उड़नतश्तरी का इंतजाम करवा दूँ ? समीर जी की Intergalactic Udantashtari Service से चार्टर उड़नतश्तरी का कह देते हैं ! और अभी वो भारत पहुंचे ही  हैं ! आपके ये चंगू मंगू (यमदूत) हमें यहाँ पकड़ लाये हैं , इसी चक्कर में गुरुदेव हमारी खोज ख़बर करने भारत आए हैं !

 

महाराज आपको यमलोक छोड़ कर हम भी उसी उड़नतश्तरी से लौट जायेंगे ! हमें भी अपने गुरु का स्वागत करने जाना चाहिए की नही ?

 

यमराज अब गुर्राए - अरे मूर्ख ताऊ ! तू  मौत के मुंह में खडा है और हमको होशियारी दिखा रहा है ?

 

इतनी देर में चित्रगुप्त का फोन आगया ! उसने बताया की महाराज आपके लिए आज की कोर्ट लगाने का इंतजाम वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये चाँद पर ही करवा दिया है ! छोटे मोटे केस में तो यहाँ पर  मैं ही सजा सूना दूंगा ! एक बड़ा केस आया है किसी बाबा का ! बड़े सिद्ध बता रहे हैं अपने आपको और कह रहे हैं की हम खड़े खड़े इंतजार नही कर सकते ! हम बहुत पुण्यात्मा है ! हमने बहुत प्रभु भक्ति की है सो हमें तुंरत स्वर्ग का वीसा दिया जाए !  कुछ और है ! और एक ये ताऊ का केस भी आप वहीं से निपटा दीजियेगा ! सुना है ये बड़ा जंगली लंगूर ताऊ है !

 

yamaraj चाँद पर यमराज जी के लिए टेंट हाउस में शानदार दरबार का इंतजाम कर दिया गया ! और  अब वीडियो कांफ्रेंसिंग शुरू होती है और एक बड़े जटाजूट धारी बाबा स्क्रीन पर दिखाई देने लगते हैं !

 

यमराज ने उनसे सब सवाल जवाब किए और यमदूतों को तुंरत उन्हें नर्क में डालने का आदेश सुना दिया , वो भी बामशक्कत ! बाबा बड़े हैरान हुए ! उन्होंने जिरह की,  की उनको शायद गलत समझा जा रहा है ! इतने लोगो को प्रभुभक्ति सिखलाने का यही इनाम दिया जा रहा है ? 

 

यमराज बोले - अरे मुर्ख ! तू क्या प्रभुभक्ति सिखलाएगा ? वहाँ प्रभु का प्रतिनिधि बन कर तू ख़ुद ही प्रभु बन गया ? मेरे नाम से  सबसे ख़ुद के  पाँव पकडवाता रहा  ! और  सारा माल दक्षिणा मेरे नाम पे लेके ऐश करता रहा ? मेरे तक किसी एक को भी नही आने दिया ! और मैं यहाँ भक्तो के लिए तरसता रह गया ?   चल जल्दी नर्क में  जा ! नही तो उससे भी बड़ी सजा तेरे को दे देंगे ! यमदूत ले गए उसे नर्क में !

 

अब यमराज ताऊ की तरफ़ मुखातिब हुए यह सोचते हुए की इस ताऊ को तो सीधे खोलते हुए गर्म तेल में डालने की सजा सुनाऊंगा !

 

ताऊ का सारा प्रोफाईल ऊपर से चित्रगुप्त सुनाता रहा ! और यमराज नोट लगाते रहे बीच बीच में सजा के हिसाब से ! फ़िर उधर से चित्रगुप्त ने  बताया की ताऊ का मुख्य काम लोगो को  बिगाड़ने का है ! तो यमराज के माथे पर बल पड़ गए ! उसको लगा की ये तो बच जायेगा ! फ़िर जब चित्रगुप्त ने बताया की ताऊ तो शेयर ब्रोकर है ! बस यमराज तो तुंरत उठे और आकर ताऊ को गले लगा लिया !

 

यमराज बोले - ताऊ , पहले बताना था ना की तुम शेयर ब्रोकर हो ? अरे तुम तो पृथ्वी लोक में हमारे सच्चे सेवक और प्रतिनिधी हो ! तुम वहाँ लोगो को इतना दारुण दुःख देते हो की लोग सीधे हमको ही याद करते हैं ! तुम्हारे द्वारा दिए गए कष्टों  की वजह से वो सीधे  राम नाम पुकारने लगते हैं ! यानि लुट पीटकर मेरी शरण आ जाते हैं ! तुम मेरे सच्चे भक्त हो ताऊ ! आजकल पृथ्वी लोक में सिर्फ़ तुम्हारी वजह से ही लोग हमको याद करते हैं वरना तो ये बाबा लोग ख़ुद ही भगवान् बन बैठे हैं ! वहा किसी को हमारी जरुरत ही नही रह गई लगती है !

 

अगर तुम उनको दुःख ना दो तो वो हमको याद ही नही करे ! तुम्हारी वजह से ही हमारी दूकान दारी चल रही है ! नही तो आजकल ये बाबा लोग ख़ुद ही भगवान् बन कर लोगो को हम तक आने से रोक लेते हैं ! तुम तो सीधे स्वर्ग के अधिकारी हो ! और तुमसे तो हम बहुत प्रशन्न हुए ! मांग लो तीन वरदान तुम तो ताऊ ! तुम भी क्या याद करोगे की किसी यमराज से मुलाक़ात हुई थी !

 

और ताऊ ने - पहला वरदान माँगा  , मेरे लिए ब्लागीवूड ही स्वर्ग है ! जब तक मेरी इच्छा हो मुझे वहीं रहने दिया जाए !


यमराज - तथास्तु !

 
दूसरा वरदान ताऊ ने माँगा - मेरे संगी साथी ब्लागरो पर आपके ये चंगूमंगू (यमदूत) , बिना उनकी मर्जी के नजर नही डाले !

 
यमराज - तथास्तु !


ताऊ - और तीसरा वरदान दीजिये की मेरी चम्पाकली और अनारकली की  आप ना तो खाल खिंचवायेंगे और ना उनको जिंदा दीवार में चुन्वायेंगे ! और अगर आपका भैंसा उनको पसंद आ गया तो उनकी शादी में आप रोडा नही अटकाएंगे !

 

यमराज - ताऊ ये ज़रा मुश्किल काम है ! फ़िर हम पैदल हो जायेंगे !

 

ताऊ ने कहा - महाराज आप की सेवा में महिष राज हमेशा प्रस्तुत रहेंगे ! आप चिंता मत कीजिये !

 

यमराज - वाह ताऊ वाह मैं तुमसे बहुत प्रशन्न हूँ ! एक वरदान और मांग लो !

 

ताऊ ने सोचा - इसको बड़ी वरदान देने की चढी है ! ताऊ की एक बार तो इच्छा हुई की इनको कहे - आप नर्क का राज्य मेरे को दो और आप संन्यास लेके निकल लो ! पर फ़िर कुछ सोच कर चुप रह गया ! 

 

फ़िर ताऊ बोला - महाराज आप इतना आग्रहपूर्वक कह रहे हैं तो और एक मांग लेता हूँ ! मेरे बाप का क्या बिगड़ने वाला है ? ये चाँद का पट्टा मेरे नाम करवा दीजिये !

मेरी भैंसों को यहाँ चाँद पर रखूंगा ! एक तो पृथ्वी पर प्रदुषण बहुत ज्यादा है ! इस वजह से मेरी नाजुक भैंसे बहुत जल्दी सर्दिया और जुखामियाँ जाती है !


यमराज - तथास्तु !

 

इतनी देर में गुरुदेव की उड़नतश्तरी आ गई और यमराज को नर्क के दरवाजे तक छोड़ कर ताऊ उसी उड़नतश्तरी से पृथ्वी लोक लौट आया ! अब चूंकी चाँद ताऊ का है सो चम्पाकली वहा रहे या यहाँ !  क्या फर्क पङता है ? दोनों ही उसके घर हैं !

 

इब खूंटे पै पढो :-                                                                                 

 

ताऊ के हाथ पैर जगह जगह से सूजे हुए थे !  कहीं  से पिट कर आया था !
सहानुभूति जताते हुए भाटिया साहब और  मोदगिल साहब  आए और बोले - अरे ताऊ , तेरे को किस कमीने ने मारा ? अरे कीडे  पड़े उस मारने वाले दुष्ट को ! सत्यानाश हो उस हरामी का ! अरे उस बदमाश....

 

अब ताऊ बीच में ही बोल पडा - बस बस भाटिया साहब ! ताई के लिए अब मैं और ज्यादा गालियाँ नही सहन कर सकता !



ताऊ की अकबरी साम्राज्य हड़पने की साजिश नाकाम !

ताऊ की उटपटांग हरकतों और फालतू की बकवास को देखते हुए एक नया साथी,  ताऊ तैं बुझण लाग गया  की ताऊ तुम ये भैंस क्यो साथ में लिए फिरते हो ? आख़िर इससे इतना प्रेम क्यूँ हैं ? ठीक है लट्ठ हाथ में रखते हो वहाँ तक तो ठीक है पर छोडो ये भैंस वैन्स को अब ! अब तुम शरीफ लोगो में बैठने लग गए हो ! तो शरीफों जैसी बात करो और शरीफों की तरह रहो ! और ये लट्ठ और भैंस की बातें करके तुम समाज का कुछ भला नही कर सकते ! कुछ ढंग का काम करो ! जिससे दुसरे का भी भला हो !

 

ताऊ को ये बात सुनकर बड़ी तकलीफ हुई !

 

ताऊ किम्मै छोह म्ह आकै  बोला - अरे बावलीबूच ! तेरे को ये कोई साधारण भैंस दिखै सै के ? तू  इब्बी नया सै , इस वास्ते तेरे को मालूम कोनी !  ये भैंस तो ताऊ को राजा भोज ने दी थी ! और इतने विद्वान् राजा द्बारा दी गई भैंस कोई कम विद्वान्  होगी  क्या ? ये बड़ी चमत्कारी भैंस सै ! लोक - परलोक का ऐसा  कोई काम नही जो ये नही कर सकती हो ?  आजकल ये राजा भोज द्वारा प्रदत चम्पाकली नाम की भैंस  चाँद पर ताऊ की जान बचाने में लगी हुई है !

 

वो बोला - ताऊ ग़लती होगई ! आप नाराज मत हो ! आप तो ये बताओ की अब आपका आगे का क्या प्रोग्राम है ? आप तो मर कर यमदूतो के साथ चले गए थे फ़िर यहाँ कैसे आप रोज पोस्ट लिख रहे हो ? उसने टान्ट  करते  हुए कहा !

 

ताऊ - अरे बावलीबूच जैसी बात ना करया कर ! ये सब उस चमत्कारी अनारकली की वजह से है !

 

वो  बोला - अब ये अनारकली  कौन है और कहाँ से आगई  ? अभी तो आप उसका नाम चम्पाकली बता रहे थे !

anarkali ताऊ : अरे बेकूफ , तन्नै इतना भी ना  बेरा के ? अरे यो अनारकली ताऊ की उस भैंस का नाम सै जो बादशाह अकबर ने ताऊ को दी थी ! मालूम वालूम कुछ सै कोनी ! और चला आया ताऊ को अक्ल देने ? अरे अक्ल देने का जिम्मा ताऊ का सै ! तेरे को ताऊ से अक्ल लेनी हो तो ले नही तो अपनी राधा को खिला ! और ताऊ नै अपने लट्ठ की तरफ़ देखा !

 

अब उस नए नए दोस्त ने माथा पीट लिया की इस उत ताऊ से कैसे पीछा छुड़वाए ?  फ़िर लट्ठ की तरफ़ देखते ताऊ की तरफ़ देखा ! और सोचने लगा की अगर मजाक में भी एक टिक गया खौपडिया पर तो मैं  जिंदा नही बचूंगा  ! 

 

वो समझ रहा था की ताऊ के पास एक ही भैंस होगी ! और वो गई हुई है चंद्र यात्रा पर ! सो कोई खतरा नही होगा !   अब यहाँ दूसरी भी विराज रही है ! अब कुछ उलटा सीधा बोले तो लट्ठ पास ही रक्खा था ! और लट्ठ की जरुरत ही नही ! ताऊ का इशारा पाते ही उसकी ये चमत्कारी भैंस पूंछ को सुदर्शन चक्र की तरह घुमा कर गला काट डाले ! गोबर वोबर करना तो बांये हाथ का खेल है ! 

 

अब वो ताऊ का नया दोस्त भी  कोई कम घाघ नही था ! उसने सोचा की ताऊ की अक्ल तो घुटने में होती है सो इसके घुटनों की प्रसंशा करके ही यहाँ से राजी खुशी निकल पाउँगा ! तो चापलूसी करते हुए बोला - ताऊ इस अनारकली वाला किस्सा भी सुनाओ ना ! आपकी अनारकली तो बिल्कुल हीरोईन की तरह सुंदर और खूबसूरत लगती है !

 

ताऊ भड़क गया ! बोला - मन्नै बेरा सै ! तू मेरे को चने के पेड़ पै चढाण लाग रया सै ! चल निकल ले इब ! घणी बार होगई सै इब ! और इधर म्हारे धौरै घणा ही ज्ञान भरया पडया सै ! ताऊ नै बेरा सै की उसको  के करना सै और के नही करना सै ? इब थम लोग तय करोगे की ताऊ भैंस पाले या डकैती डाले और ताऊ नै अपना लट्ठ उठा लिया ! 

 

और वो बेचारा डर के मारे बोला - नही ताऊ आपसे अक्लमंद तो कोई दुनिया में है ही नही ! आपतो साक्षात बुद्धि के अवतार हैं कलयुग में !  पोने दो तो आप ही हो बल्कि पोने दो भी कम ही पडेगा,  आप तो एक सेर और चौदह छटांक हो ! बाकी पूरी दुनिया दो छटांक में है !

 

और ताऊ की अक्ल सही में घुटने में ही होती है ! उस आदमी की बातो में आगया ताऊ ! सही है ताऊ को अपने वश में करना हो तो बडाई करो ! झगडा करोगे तो आख़िर तक नही हार मानेगा ! और आपके पीछे लग लेगा !

 

ताऊ की अक्ल सिर्फ़ उसकी शरीर की  ताकत होती है !  बुद्धि से कोई लेना देना नही होता ! ताऊ की ताकत से बुद्धि ही जीत सकती है वरना बात और लात दोनों में ताऊ ही भारी पड़ेंगे ! आप अगर बुद्धि का इस्तेमाल कर सकते हो तो ताऊ से घर की गोबर बुहारी भी करवा लो और उल्टे पैसे भी लेलो !

 

अब ताऊ के उस घाघ दोस्त ने ताऊ को उचकाया तो ताऊ बताने लगा की उन दिनों बादशाह अकबर का राज था ! और वो दुष्ट बीरबल उसका मंत्री हुआ करता था ! अगर बीरबल नही होता तो मैं आज सिर्फ़ भैंस और लट्ठ के साथ  नही होता बल्कि पूरा अकबरी साम्राज्य ताऊ का होता ! ताऊ ने बड़ी पीडा पूर्वक बताया !

 

अब उस दोस्त के चौकने की बारी थी ! उसने कंधे उचका कर पूछा - ताऊ बताओ , की ये अकबरी साम्राज्य फ़िर आपका होने से कैसे रह गया ?

 

hanuman today ताऊ बोला - भाई सुन ! उस समय में ताऊ पहलवानी किया करै था ! और आगे पीछे भी कोई था नही ! कोई चिंता फ़िक्र नही ! जंगल के रास्ते में एक हनुमान मन्दिर था ! बस वही पडा रहता और दंड पेला करता था ! अकबरी राज का कोई भी पहलवान ऐसा नही था जो मुझे जीत सकता हो !

 

तब बादशाह अकबर ने खुश होकर ये अनारकली नाम की झौठडी मेरे को इनाम में  दे दी ! और इसका सीधा सम्बन्ध शाही खान दान से हैं ! इसी की बहनों और भतीजियों के दूध  ने आगे ओरंगजेब तक के सारे मुग़ल बादशाहों को पाल पोस कर बड़ा किया था !  और इसी अनारकली का दूध पी पी के मैं इतना ताकत वर हो गया की दुसरे राज्यों के पहलवानों को भी हराने  लग गया ! बस मैं और अनारकली तब से उसी मन्दिर पर रहते थे !

 

अब धीरे धीरे मेरे अन्दर इतना बल आगया की मैं अगर हाथी की पूंछ पकड़ कर खडा हो जाऊं तो हाथी आगे नही बढ़ सकता था ! बड़े २ सेठ साहूकारों को  भी मैं उनके हाथी घोडो की पूंछ पकड़ कर रोक लिया करता और मजाक उडाता था ! और एक दिन तो हद ही हो गई जब मैंने बादशाह अकबर का  सेनापति  जब  हाथी पर निकल रहा था तब उसके हाथी की पूंछ पकड़ कर खडा  हो गया  ! उसने बहुत हाथ पैर मारे ! पर हमारे सामने सब बेकार ! 

 

उसने जाकर शिकायत करदी बादशाह सलामत से ! जिल्ल्लै इलाही   को भरोषा नही आया तो वो स्वयं देखने आगये ! अब हमारी तो आदत थी सो हमने उनके हाथी की भी  पूंछ पकड़ ली और हाथी बिचारा हवा में लटकता रह गया ! बादशाह सलामत तो मारे शर्म के जमीन में गड़ क्या गए बल्कि धंस ही गए !

 

akbar birbal अब बादशाह सलामत या कोई भी उधर से डर के मारे नही निकलता था ! और हमसे छुटकारा पाने के उपाय सब किया करते थे !

 

प्रत्यक्ष में जनता हमारे साथ थी सो जिल्ले इल्लाही सीधा हुक्म भी राज्य छोड़ने का नही दे पाये ! अब बीरबल से मंत्रणा करने लगे !

 

एक दिन बहुत  विचार के बाद बीरबल ने कहा की महाराज मैंने इस ताऊ का बहुत बारीकी से अध्ययन किया है ! इसकी सफलता है सिर्फ़ बेफिक्री ! जब तक ये बेफिक्र रहेगा इसको कोई नही हरा पायेगा ! और ऐसे ही बेफिक्र रहा तो ये आपका राज्य भी  जीम जायेगा !

 

और भाई ये सलाह अगर बीरबल नही देता तो उसका क्या बिगड़ जाता ? हमारे  साथ दुश्मनी निकाल ली उसने !

 

हमने बीरबल को कहा भी था की बीरबल तुमको यह बात हमें पहले बतानी चाहिए थी ! अरे हम तुम्हे उसमे से आधा राज्य दे देते ! ये बादशाह तुमको क्या ख़ाक देगा ? ज्यादा से ज्यादा २ या ५ सौ स्वर्ण मुद्राए ! बीरबल कुछ नही बोला !

 

इसी से लगता है की ताकतवर होने के साथ बुद्धिमान भी होना चाहिए ! नही तो बादशाहों की तरह एक बीरबल भी रख लो ! अगर हमने ये सोच लिया होता तो आज आप मुगलिया सल्तनत के इतिहास की बजाये ज्ञानदत्त जी द्वारा रिकमंड की हुई "ताऊलॉजिकल स्टडीज़"  पढ़ रहे होते ! और हमारी इस छोटी सी भूल की वजह से हमारी वर्तमान पीढी हमको आज तक ताने मारती है ! और हम ख़ुद जिल्लेइलाही की बजाये ताऊ बने घूम रहे हैं ! अगर हमने झूँठी ताकत के अंहकार में बुद्धि की अवहेलना ना की होती तो आज इतिहास ही कुछ और होता !

 

खैर आगे की कहानी सुनो !

 

बीरबल के ऐसा कहने पर घबराकर बादशाह बोले - की बीरबल उपाय बताओ !

 

बीरबल बोले - उपाय महँगा है !

 

बादशाह : हमारे राज्य से तो महँगा नही ?

 

बीरबल  - नही जहाँपनाह ! मेरे रहते आपके राज्य पर किसी की नजर नही पड़ सकती !बस आप तो खजाने का मुंह खोलकर रखिये ! बाक़ी सब मेरे ऊपर छोडिये ! आख़िर इन्ही लोगो की अक्ल और लालच  की बदौलत तो ये शहंशाह बन के टिके हुए थे ! और ताउओ को ठीकाने लगाने का काम भी इन्ही के जिम्मे था ! वरना जिल्ले इलाही तो हिंद के गली कूचे भी नही जानते थे !

 

elephant-tail-psd अब बीरबल मेरे पास आए और बोले - ताऊ बादशाह सलामत को ज्योतिषी ने बताया है की उनके राज्य पर खतरा है ! उपाय स्वरुप इस मन्दिर में दिया जलाना है !  यहाँ के पुजारी जी छुट्टी जा रहे हैं ! सो उनके आने तक यह काम तुम कर देना ! और बदले में एक सोने की मोहर तुमको रोज मिलेगी ! और दिया ठीक शाम और सुबह  ६ बजे जल जाना चाहिए ! समय का विशेष ध्यान रखना ! ठीक ६ बजे यानी ६ बजे !

 

ये कौनसा मुश्किल काम था ! मैं उस सोने की  मोहर  की फिराक मे ये काम करने लगा और बीरबल रोज मुझे एक सोने की मोहर देने लगे !

 

धीरे २ मैं इसके बंधन में हो गया ! कभी मैं चौंक कर जल्दी उठ जाता दिया जलाने के चक्कर में ! कभी बाहर से शाम को जल्दी लौटता शाम के ६ बजे के चक्कर में ! मेरी बेफिक्री जाती रही ! अनमना सा रहने लगा ! एक गुलामी सी हो गई समय की !

 

काफी समय हो गया ! मैं काफी अस्त व्यस्त हो चुका था ! वो मस्ती जा चुकी थी ! एक दिन बीरबल के साथ बादशाह सलामत भी आए ! और मुझे नियमानुसार सोने की मोहर दी !

 

जहाँ पहले मुझे सिर्फ़ पहलवानी के सपने आते थे अब सोने की मोहर के आने लग गए ! पहले मैं अबलाओं की बला से बचा हुआ   था ! अब उन अबलाओं के माता - पिता   भी उनको मेरे गले बाँधने की फिराक में रहने लगे ! क्योंकि उनको ख़बर लग चुकी थी की मैं रोज एक सोने की मोहर कमाता हूँ ! रोज अपनी सुंदर २ कन्याओं विवाह प्रस्ताव लेकर पधारने लगे ! 

 

और बीरबल बोले - सुनो ताऊ , अब  जहाँपनाह का राज बच गया है ! कल से तुम दिया मत जलाना ! अब उसकी जरुरत नही रही ! और बादशाह बोले - ताऊ तुम हमारे हाथी की पूंछ पकड़ कर रोक के दिखाओ ! अगर रोक पाये तो सारा राज्य तुम्हारा ! हमने कोशीश की ! पर बेकार ! नही रुका हाथी तो ! बल्की हमें कागज़ के पूतले की तरह घसीट ले गया ! हमारी बड़ी जग हसाई हुई ! पर क्या कर  सकते हैं ? किसी भी तरह का बंधन या चिंता  आदमी को दीमक की तरह खा  जाती है !

 

 

इब खूंटे पर पढो :-

 

एक बार ताऊ अपने पड़ोसी के बच्चे के साथ बाजार चला गया !  वहाँ रास्ते में एक मोटे पेट का अनजान  आदमी दिख गया !

पड़ोसी के बच्चे ने पूछा - ताऊ ये कौन है ? ताऊ ख़ुद बावलीबूच ! क्या जवाब दे ?
बार २  बच्चे के जिद्द करने पर सोचकर  ताऊ बोला - बेटे , ये है उद्योगपति !

 

थोड़ी देर बाद एक  पूरे समय की गर्भवती बीरबानी ( औरत ) देख कर उस बच्चे ने फ़िर वही सवाल दोहराया  !

अब ताऊ क्या जवाब दे ?  अब ताऊ उसको जितना ही टालने की कोशीश करता वो उतना ही ज्यादा पूछने लगा ! ताऊ ने सोचा की ये आज पिटवा कर ही छोडेगा ! 

 

आख़िर थक हार कर ताऊ बोला - बेटे ये पति उद्योग है !

ताई, सात बच्चे और सात ताऊ

 

यह बालदिवस की सत्य घटना है ! यह परिवार इतनी  आर्थिक तंगी से गुजर रहा था की खाना तो दूर , घर में चाय का सामान भी नही था !    नाम  बदल गए हैं ! पता नही क्यों ? मैं तय नही कर पा रहा हूँ की गाँव की चौपाल पर बैठे लोगो ने उसे क्यों नही बचाया ? आप ही तय करे ! 

 

एक दिन एक ताई का, अपने पति  ताऊ से
चाय बनाने के सवाल पर, झगडा हो गया
घर में ना चाय , ना दूध और ना शक्कर
बस इसी बात पर  दोनों में होगई टक्कर !



water-well 



ताई   जाकर        गाँव के    पटेल के     कुए की    मुंडेर पर,
आत्मोसर्ग करने पाँव लटका कर  कूदने के लिए बैठ गई
गाँव की चौपाल पर         बैठे     सात ताउओ ने भी देखा
बचाने कोई नही गया,        करते रहे अपना लेखा जोखा  !



बिजली   गुल थी ,   ट्यूशन पढ़कर,   टॉर्च की रोशनी      में लौटते सात बच्चे
ताई को         पैर लटकाए देख, ठिठके,       माजरा     समझने में निकले अच्छे
सातों ने आहिस्ता से, ताई को बातो में लगा कर,  मुंडेर से पीछे खींच लिया
बात जब ताई के समझ आई  तो जान देने निकली ताई ने माथा पीट लिया !



गाँव के     ताउओ से पूछा गया,     तुम देख कर भी क्यों अनजान रहे ?
सातो ताऊ बोले - ताकि कुए में धकेलने का इल्जाम हम पर ना लगे !
बच्चो को तो बालदिवस पर   स्कूल कमेटी से  सम्मानित होना ही था
अगर बच्चों की जगह सातो ताऊ होते तो ..........................................?

अब पंछी क्यों नही आते ?

Peafowl_3इस बार दीपावली के अवसर पर प्रदुषण का स्तर पिछले सालो के मुकाबले काफी कम बढ़ा !  असल  में हम जैसे सुबह जल्दी घुमने जाने वाले लोगो को इन दिनों सूर्योदय के बाद घुमने जाने की सलाह दी जाती है ! कारण सूर्योदय के पहले का प्रदुषण स्तर  ज्यादा होना !  वैसे  भी मैंने महसूस किया की दीपावली की रात इस बार ज्यादा शुकून भरी बीती अन्य पिछली सालो के मुकाबले ! उतना शोर पटाखों का नही था ! कारण पता करने पर मालुम पडा की इस बार पटाखे काफी मंहगे थे ! ये एक कारण हो सकता है पर ज्यादा बड़ा कारण आर्थिक मंदी से ही जुडा हुआ बताया जा रहा indian roller है ! खैर साहब हर बुराई में भी अच्छाई होती है सो कम से कम इस मंदी का ये तो सीधा और तुंरत फायदा हुआ समझिये  !

 

मेरे शहर के बीच में से आगरा-मुम्बई नॅशनल हाईवे गुजरता है ! जैसे २ इस पर दबाव बढ़ा इसके पेरेलल रिंग रोड बना ! फ़िर बायपास बन गया ! फ़िर भी इस पर शहर के  ट्रेफिक का दवाब बढ़ता  ही गया ! पिछले साल इसके  चोडीकरण के नाम इस पर लगे अनेकों साल पुराने और सैकडो वृक्षों को काट डाला गया ! कुछ एक वृक्षों को भी ट्रांसप्लांट के नाम पर इधर उधर कर दिया गया  लोग दिखावे के लिए !

 

ये कुछ पक्षी मैंने मेरे घर या उसके आस पास देखे  हैं ! इनमे से ज्यादा तर पक्षी मेरे आपके  घर बच्चो की तरह आते थे ! छत पर रखे पानी से दिन भर पानी पीते देखे जा सकते थे ! Coucal सुबह सुबह छत पर दाना खाने ये सारे पक्षी आते थे ! कुछ तो इतने शैतान पक्षी होते थे की जब घर के आँगन मे किसी छुट्टी के दिन आम के वृक्ष के नीचे बैठकर  धूप सेकते हुए नाश्ता करते थे तब प्लेट में से ये पक्षी नाश्ता उठा लिया करते थे ! कौवा महाराज तो दिन भर बच्चो के हाथ से खाना छिनने की ताक में रहते थे !


यकीन मानिए अब तो श्राद्ध में भी कौवे नही दिखते ! मन समझाने को कौवे के नाम का श्राद्ध भोजन छत पर रखवा दिया जाता है !

 

धीरे २ ये पक्षी कम होते गए ! लेकिन इनमे से अनेको पंछी पिछले २/३ सालो तक घर की छतो पर आकर गाने गाते रहे हैं ! घर के ghursali लिए जब साल भर का गेंहू ख़रीदते थे तब 2 बोरी ज्वार साल भर के लिए पक्षियों के लिए भी ख़रीदते थे ! पर आज वो खाने वाले ही नही रहे या उनको हमने रहने नही दिया ?

 

मेरे घर के बिल्कुल पास ही कैदी बाग़ था ! यहाँ सजा याफ्ता कैदी श्रम करने आते थे ! सैकडो बीघा जमीन पर खेती होती थी ! लंगडा, हापूस और दशहरी आदि नस्ल के  सैकडो आम के पेड़ थे ! जब तक ये बगीचा रहा ! हम लोगो ने इसके सिवाय और कहीं से आम नही खरीदे ! रोज सुबह बगीचे में घुमने जाते समय अपनी जरुरत से जो भी आम चाहिए वो बतादो ! इसका ठेकेदार बिल्कुल डाल पाक आम हमको दे देता था ! अब डाल पाक आम का स्वाद जिसने खाया हो वही जान सकता है ! कार्बाईड में पके आम क्या स्वाद देंगे ?

 

फ़िर इसी भूमि  को सीमेंट के जंगल में बदलने की कवायद की गई ! पर प्रबुद्ध नागरिको के घोर विरोध के कारण बगीचा  शासन की मंशा के अनुरूप सीमेंट के जंगल में तो तब्दील नही हो पाया !  पर बच भी नही पाया ! और  वो जमींन जू अथोरिटी ( चिडिया घर ) के हवाले कर दी गई ! जहाँ से अधिकतर पेड़ और हरियाली तो खत्म हो गई ! हाँ ,  अब जिस जगह पक्षियों का बसेरा था उस जगह पर पशुओ को कैद करके रखने के लिए सीमेंट के पिंजरे बन गए हैं !

 
bird इस बगीचे में ये सारे पक्षी मैंने देखे हैं ! ये बिल्कुल बच्चो जैसी शैतानियाँ करते मैंने देखे हैं ! आज सिर्फ़ फोटो में रह गए हैं !

 

विकास के नाम पर शहर के सब पेड़ काट डाले गए ! ये पक्षी कहा रहने गए होंगे ?  पिछले साल इक्कठे सैकडो पेड़ कटे थे ! उन पर रहने वाले पक्षी कुछ दिन शाम को अंधेरे में  इधर उधर अपना आशियाना ढूंढ़ते देखे गए ! पर उसके बाद नही ! मैं सोचता हूँ क्या इस तरह हमारा घर कोई तोड़ डाले तो हम पर क्या बीतेगी ? क्या ये परिंदे भी वैसा ही 

birds-of-india1 सोचते होंगे ! आज मेरे घर की छत पर २ मुठ्ठी ज्वार रोज डालते हैं ! पर यकीन कीजिये एक भी परिंदा नही आता वहाँ पर  ! अब परिंदे देखना हो तो बर्ड सेंक्चुरी जाना पड़ता है ! उन्ही परिंदों को जो हमारे साथ हमारे पास ही बच्चो जैसे रहते थे ! मैं वाकई  बहुत दुखी हूँ !

 

क्या हमारी आने वाली पिढीया इस बात का विश्वास करेंगी की ये पक्षी हमारे घरो के आस पास कभी रहते थे और हमारे घर के पेडो पर इनका बसेरा हुआ करता था ? इन परिंदों की आवाज की जगह आज हमारे घरो में या घर के आँगन में सिर्फ़ ट्रेफिक की आवाज या टी.वी. सेटों की आवाज गूंजती रहती है ! याद करिए शाम को घर लौटते इन परिंदों का कलरव ? शायद आप आपकी  अगली पीढी को इसके बारे में बताएँगे तो वो पूछेंगे की ये  कलरव क्या होता है ? तो स्वाभाविक रूप से  वे शब्द कोष की सहायता लेंगे ! और इसके स्पष्ट रूप से दोषी हम ही हैं ! विकास के नाम पर हमने अपनी जड़ो को काट डाला है !

 

 

इब खूंटे पै पढो :-

 

यह  बात ताऊ कच्ची पहली कक्षा में पढता था तब की है !


मास्टर जी :- बेटा ताऊ , बता हिमालया पहाड़ कित सै ? 
ताऊ :- जी,  उसका तो बेरा कोनी मास्टरजी ! 
मास्टर जी :-  उल्लू के पठ्ठे , क्लास के सबतैं पाछली बेंच पै जाकै खडया हो ज्या ! 
ताऊ :-  मास्टरजी, क्यूँ मगज पै देण लागरे हो ? उसपै खडे होण तैं के हिमालय दीखण  लाग ज्यएगा ?

 

ताऊ की भैंस से यमराज के भैंसे का इश्क परवान चढ़ा !

अब वहाँ चाँद पर से यमदूतो के साथ ताऊ चलने लगा तो भाटिया साहब की आँखे भर आई ! और दौड़ कर आकर ताऊ के गले लग गए ! ताऊ भी काफी भावुक हो गया ! फ़िर भाटिया जी बोले भाई तू इब हमेशा के लिए जावै सै  ! एक बार ताजा लस्सी  और पीले और उसके बाद हुक्का पीके चले जाना ! तेरे को आज के बाद  वहाँ हुक्का चिलम कुछ नही मिलेगा ! इब भाटिया साहब बोले - ताऊ तुम चिंता मत करना ! तुम मुझे ख़बर करवा देना की तुमको ये कौन से नर्क में ले गए हैं !

 

अपने तिवारी साहब और भूतनाथ वहीं पर नरको में सजा देने के ठेके आज कल लेते हैं ! और उनकी बॉस भी जर्मनी वाली यूनिटी ही है ! और मेरी उससे काफी गहरी जान पहचान है ! और तिवारीसाहब से तो तेरी पहचान है ही और भूतनाथ भी समझ ले अपना ख़ास आदमी है ! मेरे कहने के बाहर नही वो !  सो मैं ऐसा इंतजाम कर दूंगा की तुमको वहाँ कोई तकलीफ नही हो !

 

Yamaraj vahan इतनी देर में ताऊ की भैंस जोर जोर से रेंकने लग गई ! सबने देखा तो सामने से झौठे ( भैंसे ) पर बैठे यमराज चले आ रहे थे ! आते ही उन यमदूतो पर बरस पड़े ! तुम लोग निक्कमे और काम चोर हो गए हो ! तुमको ज़रा भी शर्म  नही है ! अगर एक आदमी को लाने में इतनी देर लगाओगे तो नर्क का काम काज कैसे चलाऊंगा मैं ? और उन्होंने भैंसे की पीठ से उतर कर ताऊ की तरफ़ देखा ! जैसे किसी मच्छर की तरफ़ देखते हैं !

 

ताऊ और उसकी प्यारी भैंस पृथ्वी  से चलते समय एक प्लान  बना कर निकले  थे ! अब लगता  है उसका  कार्यान्वन का समय आ गया था !

 

ताऊ चुपचाप अपनी भैंस के पास गया और धीरे से उसको बता दिया की अब मेरी जान तेरे हाथ है ! बहुत होशियारी से सब काम करना है ! अगर सफल रहे तो ब्लागीवूड में वापस,  नही तो यहाँ नर्क में ही मरना है !

 

भैंस बोली -- ताऊ आप चिंता ही मत करो ! मैं मेरे प्राण रहते तक आपके प्राण संकट में नही पड़ने दूंगी ! हम दोनों ही इनके चंगुल  से लौट कर वापस चलेंगे ! आख़िर मुझे भी तो ब्लागीवूड की हिरोईन बनना है !


ताऊ अपनी भैंस की पीठ थप थपा कर बोला -  शाबास , मुझे तुझसे यही उम्मीद थी !

 

बस जैसे ही ताऊ ने अपनी भैंस की तरफ़ एक इशारा भर किया और ताऊ की प्यारी भैंस तुंरत समझ गई ताऊ की भाषा ! इब ताऊ की भैंस ने यमराज के झौठे की तरफ़ बड़े प्यार से देखा ! जैसे फ़िल्म नया दौर में वैजयंतीमाला ने दिलीप कुमार की तरफ़ देखा था ! बस यमराज का झौठा महाराज तो ताऊ की झौठडी पै मर मिटा ! आख़िर ताऊ की झौठडी किसी हिरोईन से कम नही  थी !  

 

इब ताऊ और भैंस की योजना के मुताबिक  भैंस धीरे धीरे पीछे खिसकना शुरू हुई ! इधर यमराज अपने यमदूतो यानी अपने एजेंटो को डांटने में लगा था ! और उधर ताऊ की झौठडी अपने इरादों में सफल हो गई !

 

काफी दूर निकलने के बाद झौठडी बिल्कुल इठला इठला कर हिरोईन की तरह चलने गई !  जैसे ही झौठा राम पास आते ,  वो तेज तेज दौड़ लगा देती ! उनका यह लुका छिपी का दौर काफी देर चलता रहा !

 

 

yam-bhainsa आख़िर झौठाराम के काफी अनुनय विनय के बाद वो एक पेड़ के नीचे रुक गए ! और घंटो एक दुसरे की आँखों में खोये रहे ! दोनों में प्यार हो गया !

 

भैंसा : आप का नाम क्या है ? आपका परिचय देने की कृपा करे ! हे महिषनि जी   मैं अब आपके बिना जिंदा  बिना जिंदा नही रह पाउँगा !

 

भैंस : हे महिष राज ! कहाँ मैं और कहाँ आप ? आप साक्षात महिषासुर अवतार हैं और मैं एक सीधी साधी पृथवी लोक में  एक ताऊ के घर रहने वाली गाँव की भैंस हूँ ! आपकी मेरी क्या बराबरी ?


भैंसा : हे महिष्नन्दिनी ! प्रिये ! आप इस तरह के वचन मत बोलिए ! हम आपके लिए आकाश पाताल एक कर देंगे ! हमने आपके जैसी अनिन्ध्य सुन्दरी और रूपवती कोई दूसरी राजमहिषी नही देखी ! आज से आप हमारे दिल की रानी हैं ! हम आपसे अभी और इसी वक्त शादी करना चाहते हैं !

 

भैंस : ये आपकी जर्रानवाजी है मेरे सरताज ! और बड़े प्रेम से उसकी तरफ़ निहारा ! और चलने लगी ! दोनों चलते चलते काफी दूर निकल गए ! और प्यार की पींगे बढाते हुए गाने गाते हुए हरी हरी घास खाने में मगन हो गए ! भैंस उसको ज्यादा से ज्यादा दूर लेकर निकलना चाहती थी !

 

yamraj उधर ताऊ का नर्क में प्रवेश का समय निकलता जा रहा था ! यमराज अपने दूतों से बोले :  अरे नालायको , अभी और तुंरत निकलो यहाँ से ! और मेरा भैंसा कहाँ है ? सब भैंसे को देखने लगे ! भैंसा हो तो मिले ! इब ताऊ मन ही मन मुसकराने लगा !


एक ताऊ को छोड़ कर किसी को नही मालुम था की क्या हुआ ? बहुत देर हो गई ! यमराज परेशान दिखाई देने लगे ! उनको काफी तेज तेज गुस्सा आने लगा ! उन्होंने तुंरत चित्रगुप्त , अपने सेक्रेटरी से संपर्क किया और उसको सारी बात बताई ! उधर से चित्रगुप्त बोला - महाराज आप दो मिनट इंतजार करिए मैं आपको पता लगाके फोन करता हूँ !

 

दो मिनट यमराज जी के लिए दो युगों के बराबर साबित हुए ! यमराज बड़ी व्यग्रता से चक्कर काट रहे थे ! जैसे ही उनके मोबाईल की घंटी बजी उन्होंने तुंरत फोन उठाकर कहा  - हेल्लो , हाँ .. चित्रगुप्त .. मैं बोल रहा हूँ ! क्या ..? क्या कहा तुमने ..?

नही ...नही .. ! ऐसा नही हो सकता ! वो मुझे धोखा नही दे सकता ! अब मैं कैसे लौटूंगा ?

 

इधर ताऊ मन ही मन मुसकरा रहा था ! भाटिया जी को कुछ समझ नही आरहा था ! उधर यमदूत दांत पीस रहे थे ताऊ के ऊपर ! और भैंस को साथ लाने का मतलब भी उनके अब समझ आया ! अगर ये भैंस सहित नरक में प्रवेश पा गया तो वहाँ की सब व्यवस्थाए ही ध्वस्त कर देगा ! और लगा की अब उनकी नौकरी गई और ताऊ की तरफ़ जलती नजरो से देखने लगे !

 

भैंस और ताऊ की योजना यहाँ तक तो सही काम कर गई ! और ताऊ का दिमाग  अब तेजी से आगे की योजनाओं में उलझ गया ! और ताऊ को ये चिंता भी सताने लग गई की कहीं उसकी प्यारी भैंस किसी परेशानी में ना फंस जाए ! पता नही वो यमराज का दुष्ट झौठा उसे कहाँ ले कर गया होगा ? 


पर ताऊ को अपनी भैंस की बुद्धि पर पूरा यकीन था !  आख़िर ताऊ के साथ रहते रहते उसने भी काफी दांव पेच सीख लिए थे ! बस ताऊ के दो ही तो संगी साथी रह गए थे बिल्कुल भरोसे मंद , पहला  लट्ठ और दूसरी ये भैंस !



 

        इब खूंटे पै पढो :-

 

        तीन प्रकार के मित्रों से बचना चाहिए !

 

        १. झूँठी वाहवाही करके जब तक कुछ मिले वह "ताली मित्र"
        २. दारु की प्याली जब तक मिले वह "प्याली मित्र"
        ३. खाने को जब तक मिले वह "थाली मित्र"


यमदूत ताऊ को लेकर चाँद पर पहुंचे

ताऊ को जब यमराज के एजेंट आकर बोले - ओये ताऊ चल उठ खडा हो और हमारे साथ चल ! 

ताऊ एक बार तो कुछ समझा कोनी ! फ़िर अपना साफा बाँध कर लठ्ट उठाया और भैंस को खोल कर उनकै साथ चल दिया ! 

इब उनमै तैं एक घणा काला सा हब्शी जैसा एजेंट था वो बोल्या - अरे ओ ताऊ के ! तेरे को किम्मै दिखै कोनी के ? 

अरे हम यमराज के दूत हैं और तेरे को नरक ले जाने आए हैं ! तू ये लट्ठ और भैंस खोल कर कहाँ जावै सै ?

चल हमारे साथ , सीधी तरह से !  इब ताऊ कै समझ म्ह आया की असली माजरा क्या है ?

ताऊ बोला - देख भाई कालिए ! ताऊ अपने लट्ठ और भैंस क बिना तो घर सै बाहर भी नही निकलता है ! 

और लट्ठ तान कर किम्मै छोह (गुस्सा ) म्ह आके बोल्या -  नही तो निकल ले यहाँ से !

असल में यमराज जी के एजेंटो को भी हमारे यहाँ के बैंक वसूली एजेंटो की तरह ऎसी बात सुनने की आदत ही नही थी ! और जैसे बैंक वसूली एजेंटो को देख कर कर्ज दार छुप जाया करता है वैसे ही यम् एजेंटो को देख कर आदमी थर थर कांपने लगता है ! यम् दूतो को कुछ करना नही पड़ता वो तो उनके भय से ही आदमी मर जाता है ! बिना मेहनत की कमाई खाते हैं आजकल यमदूत भी !   और कुछ यमदूत तो इतने सयाने हैं की उन्होंने बैंक वसूली एजेंटो को ठेका दे रखा है ! इसीलिए बैंक वसूली  एजेंट कर्जदारों को इतना परेशान करते हैं की वो ख़ुद ही आत्महत्या कर लेते हैं ! इधर बैंक से वसूली कमीशन मिल जाता है और उधर यमदूतो से भी तगडा कमीशन झटक लेते हैं ! आम के आम और गुठलियों के दाम ! असल में यमदूतो ने अपना ये काम आउट सोर्स कर रखा है इनको ! 

अब वो ताऊ की जिद्द से परेशान होके बात कर रहे थे की इसको कैसे ले चले ? ये आदमी कुछ उलटा सीधा ही है ! उनमे से एक बोला - ऐसा करो ,  इस ताऊ की सुपारी किसी बैंक के वसूली  एजेंट को दे दो ! इसको वाया आत्महत्या ही आने दो ! अगर ये भैंस और लट्ठ ले के नरक में घुस गया तो हमारी रेप्युटेशन की बारह बज जायेगी ! और हमारी सी.आर. खराब होगी अलग से !

पता लगाओ इस ताऊ ने कौन से बैंक का लोन ले रखा है ! उन लोगो ने सब जगह मोबाईल से पता किया पर कोई भी बैंक का लोन नही बाक़ी था ! अब बाक़ी नही था या लिया ही नही था ! अब ये अलग बात थी की बैंक वालो ने ताऊ के चाल चलन की वजह से ताऊ को लोन  दिया ही नही था ! क्योंकि ताऊ का प्रोफाईल ही लोन देने लायक नही था ! क्यों नही था ?  वो आपको अगली पोस्ट में पता लग जायेगा !   और मुश्किल बढ़ गई ! और उनमे से एक  यमदूत बोला - देखना , इस पागल ताऊ से संभलके रहना ! यह देखने में बावलीबूच जरुर लगता है पर है नही ! ये होशियार आदमी है ! अगर होशियार ना होता तो बैंक का लोन इसपे जरुर  होता !  ये कैसे सम्भव है की इसपर बैंक का लोन भी ना हो ! बिना बैंक के लोन वाला आदमी खतरनाक होता है ! इसकी झौठडी भी बिना लोन की है इसी लिए ये उससे भी प्रेम करता है ! और अपने साथ ही नर्क ले जाना चाहता है !   और वो बिचारे चिंता में पड़ गए ! ऐसे करते २ चाँद तक पहुँच गए !

वहाँ चाँद पर  भाटिया जी के ठेले पर जाकर ताऊ रुक गया ! अपनी भैंस को बाँध दी ! ख़ुद ने भी पानी पीया और उन यमदूतो को भी पिलवाया ! वहाँ मालुम पडा की नीचे से योगीन्द्र भाई का फोन आया था की ताऊ की फोटो उठावने में रखने के लिए चाहिए ! भाटिया जी बोले - ताऊ मैं तो तेरी गमी के लिए घर जा ही रहा था ! बस यहाँ का ठेला का काम काज निपटाने आया था ! अच्छा हुआ तुम यहाँ से होके आगये ! तुमसे मिलना भी हो गया ! चल इब तेरी फोटू खिंचवा देता हूँ ! मैं ही साथ लेता जाउंगा ! कोरियर का खर्चा भी बचेगा !

चाँद पर स्टूडियो आले ने फोटू खिंची तो उसमे जूते कोनी आवै थे ! अगर जूते आते फोटू में तो सर नही आ रहा  था ! और ताऊ जिद्द पर अड़ गया की मेरे सर के साथ साथ  मेरे नए जूते जरुर आने चाहिए फोटू म्ह ! उधर यमदूत परेशान हो रहे थे की इसे ले जाने में देर हो रही है और इधर भाटिया जी परेशान की नीचे धरती पर ताऊ को फूकने ( अर्थी निकालने में ) में देर हो री सै ! हार थक कै भाटिया जी नै ताऊ से कही - अरे ताऊ एक काम कर, तेरे जूते उतार ले और उनको सर पर बाँध ले  और फ़िर फोटू म्ह तेरा सर भी आजावैगा और तेरे जूते भी आजावैंगे ! 

ताऊ बोल्या - वाह वाह भाई साहब क्या बढिया आईडिया दिया आपने ! इसीलिए तो आप हम सब भाईयो म्ह सबसे बुद्धिमान हो ? इनको एक घंटा हो गया बावली बूचो को , मुझ मरे हुए को परेशान करते हुए ! और डांटते हुए उन यमदूतो को बोला - चलो रे बावली बूचो,   जल्दी से, नही तो  देर हो जायेगी ! हम भी थारे नर्क का तमाशा देखेंगे ! ( नरक में ताऊ के साथ क्या हुवा ? यह अगली बार )

                   

इब खूंटे पै पढो :-

(रमकुडी - झमकुडी)

रमकुडी  - यो ताऊ के हौवे सै ?
झमकुडी - ऐ छोरी इब सोज्या ना ! यो ताऊ तो बालकां नै 
             डराण के काम आवै सै ! असल मे यो किम्मै ना होता ! 
             कोरा मन का बहम हौवे सै !