
दीपक तिवारी जी (DNTW6) बैठे थे ! ताऊ को उदास सा देख कै थानेदार
साहब नै पूछ्या -- ताऊ के बात सै ? क्यूं ? परेशान सा दिखै सै किम्मै ?
ताऊ-- हां भई थानेदार जी, बात ही किम्मै इसी ही होगी सै !
थानेदार बोल्या-- अर ताऊ किम्मै बता तो सही !
ताऊ-- भई थानेदार जी , बात यो सै कि म्हारै घर मै हो गी सै चोरी !
तो थम म्हारी रपट लिख ल्यो !
थानेदार बोल्या-- ताऊ या बता के चोरी कुणसे बखत (समय) हुई थी ?
ताऊ बोल्या-- भाई थानेदार साहब बखत तो किम्मै घणा ही माडा था जो ऐसे
काम हो गये !
थानेदार बोल्या -- ताऊ या बता उस बखत बाज्या के था ?
ताऊ बोल्या--के बताऊं थानेदार साब ? एक लठ्ठ तो म्हारे सर पै बाज्या अर
एक लठ्ठ तेरी ताई कै सर पै मारया चोरों नै !
थानेदार साहब किम्मै छोह (गुस्सा) मे आग्ये ! फ़िर भी थोडा गुस्सा
काबू मै करते हुये बोल्या--अर ताऊ न्युं बता के घडी पै के बाज्या था ?
ताऊ बोल्या -- अर थानेदार साब , घडी पै तो एक ही लठ्ठ बाज्या था ! वो तो
एक मै ही टुट कै बिखर ली थी !
थानेदार बोल्या-- अर ताऊ मेरे बाप ! तु सिर्फ़ ये बतादे कि टेम के होया था ?
इब ताऊ नै घणा छोह आग्या और वो जोर तैं बोल्या-- अर थानेदार इतनी
देर होगी ! तन्नै इतना भी ना बेरा कि चोर कदे टेम बता कर ना आया करते !
और ताऊ नाराज होता सा घर आगया ! घर आकै देख्या तो ताई नही
दिखाई दी ! सब जगह ढुन्ढ ली पर वो तो नही मिली ! ताऊ फ़िर
से थाणे मै पहुन्च लिया ! तुरन्त ही ताऊ नै वापस आया देखकै
थानेदार साब का खोपडा तो फ़िर खराब होग्या ! उसनै सोच्या यो
डाकी ताऊ इब फ़ेर माथा खावैगा !
वहां पहुंचते ही ताऊ बोल्या-- अर थानेदार भाई सुण ! म्हारा तो बखत
किम्मै घणा ही माडा चाल रया सै !
थानेदार बोल्या-- ताऊ सीधी तरियां बता ! इब मन्नै दुसरे काम भी करनै सै !
ताऊ बोल्या--बात यो सै थानेदार के तेरी ताई खो गई सै ! सो रपट लिख ले !
थानेदार-- ताऊ या बता के उसका हुलिया कैसा है ! मेरा मतलब उम्र, रन्ग रूप
आदि... !
ताऊ बोल्या-- भई थानेदार उम्र तो यो ही होगी कोई पचास वर्ष और
भई रन्ग होगा काला स्याह बिल्कुल कोयल सरीखा ! और कद होगा कोई
साडे चार फ़ीट का ! दांत किम्मै लाम्बे लाम्बे और बाहर दिखै सै !
और बायीं आन्ख थोडी सै बन्द सै ! और उसनै रन्तोन्धी भी आया करै सै !
थानेदार बोल्या-- बस बस ताऊ डट ज्या जरा ! फ़िर ताऊ न्युं बता तू
उसनै क्यूं ढुन्ढण लाग रया सै ?
ताऊ बोल्या-- अर थानेदार कुण ढुढै सै ? भई मैं तो यो कहण आया सूं
कि कभी वो हान्डती फ़िरती मिल भी ज्या तो थम ही रख लियो उसनै !
और ढुन्ढनै की तो कोशिश भी मत करियो !
पुनःश्च : (सुरेश जी आपने तिवारी जी का नंबर तो पहचान ही लिया होगा ! )
वाह जी क्या लिखा है...लेकिन नंबर तो हमें भी पता चल गया...थोड़ी कठिनाई जरूर हुई पर मजा आगया..।हरियाडवी तो थोडी थोडी म्हारे को भी आवे है ताऊ, पर पूरी नहीं।
ReplyDeleteताई का ब्यौरा पढ़कर तो धन्य हुए.
ReplyDeleteताई का ब्यौरा सुनकर तो सकते में आ गये..!!धन्य हो!
ReplyDeleteहा हा हा
ReplyDeleteवाह ताऊ.
बहुत खूब होई बिचारा थानेदार का साग तो.
ताऊ तिवारी जी से क्यों दुश्मनी निकालने
ReplyDeleteलग रहे हो ? ताई बिचारे थानेदार का के
हाल करेगी ? कभी सोचा क्या ?
मजा आगया ..........और लिखो .......
ताई जिंदाबाद !
गुरुदेव ( समीर जी ) ताऊ की हिम्मत की भी
ReplyDeleteतो दाद दो थोड़ी बहुत !
ताऊ बोल्या--के बताऊं थानेदार साब ? एक लठ्ठ तो म्हारे सर पै बाज्या ..
ReplyDeletebahut majaa aayaa ! super hit....
ताऊ पेट दुखण लाग राया सै ! ताई
ReplyDeleteमिली के नही ? नही तो हम ढुढण जावें !
इत बंगलोर मैं तो ना दिखी सै म्हाने !
मैं तो ताई को सारे किस्से इबकी बार
आउंगा तब बताण आला सूं ! :) :)
वाक्कैईईई गजज्ज्ज्ज्ज्ज्जब लिखा !
ताऊ की जै बोलने लाग रे से
ReplyDeleteताऊ बस ऐसे ही परमानंद देते रहो |
ReplyDeleteसब गम टेन्सन थोड़ी देर दूर ..
धन्यवाद !
ताऊ मेरे ज्यादा मजे मत लो ! मेरा दिमाग
ReplyDeleteसटक गया तो ताई को ढुन्ढ ढान्ढ के वापस
आपके घर पहुंचा दूंगा ! फ़िर रोते रहना मेरे नाम को ! :)
मज़ा आ गया. हँसते-हँसते पेट में बल पड़ गए.
ReplyDeleteताऊ बताना भूल गया कि घड़ी में अलारम बजा था.
ताऊ मजा तो खुब आया थारी पोस्ट पढ कर लेकिन , पर लगे अब तुमहे मजा आये गा , यु ताई आप को ढुढती ढुढती यहां आ गई इसे भेज रहा हु टेक्सी मे,अब पता नही यह उसी हुलिये वाली ताई हे या दुसरी? जेसी भी हो समभाल लियो
ReplyDeleteभाई भाटिया जी इस तरियां दुश्मनी मत काढो !
ReplyDeleteइबी चार दिन पहले ही तो थमनै मित्र दिवस की
बधाई दी थी ताऊ नै ! और थम इस तरियां बदले
काढण लाग रे हो ? या आछी बात ना सै !
एक लठ्ठ तो म्हारे सर पै बाज्या अर्.....
ReplyDeleteघडी पै तो एक ही लठ्ठ बाज्या था ! ....
बहुत अच्छे ताऊ ! हरयाणवी तो हरयाणवी ही है |
समझ आए या ना आए पर मजे की पुरी गारंटी
है | मजा आ गया ताऊ |
ताऊ भागो ...ताई आ रही है .....
ReplyDeleteताऊ वो दीपक तिवारी जी को ताई के हुलिए की
औरत को लेकर पुलिस जीप में आपके घर की
तरफ़ आते मैंने देखा है ! :) ..... संभलना ज़रा ....
.
ReplyDeleteऒऎ ताऊ,
यो भली बात तो ना दिक्खै से म्हारे को ?
अब तेरे भतीजे इतने भतीजे बी ना रये कि बाप ना
बण पाये, यो DNTW6 का ख़ुल्लासा करदे, म्हारी
टिप्पण को कोई मुफ़्फ़त का माल मत समझियो कि
दारोगा के रोब में ठेल दूँ ! दारोगा तो घेले में भी मिल
जावेगा। यो DNTW6 तो ज़रूर से नवी इन्टरनेसनल
किसिम की घणी सिक्रेट से, बता दे अब्भी सड़े खड़े
और 1000 टिप्पण की चोक्खी एडवान्स चेक लेले ।
बता भी दे, क्यों मजे लेण लग रिया से ?
hahaha bahut sahi tauji, taaiji ka babhut achha chitran diya hai aur thanedaar ko time bhi ghana sundar bataya hai..
ReplyDeleteडाकदर साब आज चेले धोरे फंस लिए आप तो !
ReplyDeleteजवाब तैं पहले थारा यो वचन याद रखियो "बता दे अब्भी सड़े खड़े और 1000 टिप्पण की
चोक्खी एडवान्स चेक लेले ।"
दीपक-नाथ-तिवारी-वाशिमवाला और सिक्स इनका
हाउस नंबर सै ! गुरुदेव मिलग्या खड़े खड़े जवाब ?
कित गए ताऊ? इब तो घनी देर हो ली थाणे मैं!
ReplyDeletetauji ko ram ram.....ye lekh agar kahin tai ne padh liya to aapki khair nahi.
ReplyDeletehamesha ki tarah...mazedaar