पुराने कहानी किस्से गांव की चौपाल पर मनोरंजन का साधन हुआ करते थे. उन पर यदि गौर करें तो आज वाकई हालात वही हैं. हर राजनैतिक पार्टी का मूल मंत्र हो गया है "मीठा मीठा गप और कडवा कडवा थू.. थू.." जिस तरह से आजकल राजनैतिक पाटियों के तेवर दिखाई दे रहे हैं उनसे तो लगता यही है कि ये सारे तो सरपंच ताऊ के भी ताऊ हैं. लिजीये एक किस्सा शुद्ध देशी हरयाणवी भाषा में पढिये और खुद ही अंदाज लगा लीजिये कि हमारी सभी राजनैतिक पार्टियां आखिर चाहती क्या हैं?
गांव का दर्जी मर गया और सारे ही गाम आले वहाँ पर इक्कठ्ठे हो गये अफ़्सोस प्रकट करण कै लिये.
दर्जी की घर आली को सारे गाम आले तसल्ली देण लाग रे थे. और दर्जी की बीबी जोर जोर तैं रोये जावै थी. तभी सियासी नेताओं की तरह सरपंच ताऊ भी वहां अपने चेले चपाटों के साथ पहुंच गया.
गांव का दर्जी मर गया और सारे ही गाम आले वहाँ पर इक्कठ्ठे हो गये अफ़्सोस प्रकट करण कै लिये.
दर्जी की घर आली को सारे गाम आले तसल्ली देण लाग रे थे. और दर्जी की बीबी जोर जोर तैं रोये जावै थी. तभी सियासी नेताओं की तरह सरपंच ताऊ भी वहां अपने चेले चपाटों के साथ पहुंच गया.
इब ताऊ ने दर्जी की बीबी को ढाढस बंधाते हुये कहा - इब रोना धोना बंद करो और बच्चों को संभालो. इब रोने से तेरा घर आला तो वापस आवैगा कोनी.
तो दर्जिन बोली - अर ओ ताऊ ! रोवूं क्युं ना ? अरे वो मेरा खसम था... कोई पराया थोडे ही था? जब तू मरेगा तब तो मैं रोवूं कोनी. और मेरा रोने का कारण एक दुसरा भी है.
तो दर्जिन बोली - अर ओ ताऊ ! रोवूं क्युं ना ? अरे वो मेरा खसम था... कोई पराया थोडे ही था? जब तू मरेगा तब तो मैं रोवूं कोनी. और मेरा रोने का कारण एक दुसरा भी है.
अब वहां मौजूद सभी लोग चौंके कि भई यो रोवण का दुसरा कारण कुण सा सै ?
इब ताऊ ने पूछा - हां तो बता, तू क्युं कर रौवै सै इतनी जोर तैं ?
इब दर्जिन बोली - ताऊ मैं तो न्युं करके घणी रौवू सुं कि इबी मरने के तीन दिन पहले ही वो मोटर साइकिल
इब ताऊ ने पूछा - हां तो बता, तू क्युं कर रौवै सै इतनी जोर तैं ?
इब दर्जिन बोली - ताऊ मैं तो न्युं करके घणी रौवू सुं कि इबी मरने के तीन दिन पहले ही वो मोटर साइकिल
हीरो होन्डा आली खरीद कै ल्याया था. इब उस मोटर साइकल नै कुण चलावैगा ? और फ़िर दहाड मार कै रोण लाग गी.
ताऊ बोल्या - अरे तैं भी के बावली बात करै सै ? अरे मैं गाम का सरपंच सूं.... वो जो काम बाकी छोड ग्या सै...उन सबको मैं पूरा करुंगा. बावली तू चिंता ही मत कर.... मोटर साइकल मैं चलाउंगा....और तेरे दर्जी की आत्मा की तसल्ली की खातर उसमै पेट्रोल तू भरवा दिया करणा, तेरे जी को भी तसल्ली रहवैगी.
ताऊ बोल्या - अरे तैं भी के बावली बात करै सै ? अरे मैं गाम का सरपंच सूं.... वो जो काम बाकी छोड ग्या सै...उन सबको मैं पूरा करुंगा. बावली तू चिंता ही मत कर.... मोटर साइकल मैं चलाउंगा....और तेरे दर्जी की आत्मा की तसल्ली की खातर उसमै पेट्रोल तू भरवा दिया करणा, तेरे जी को भी तसल्ली रहवैगी.
इब वो दर्जिन फ़िर तैं दहाड मारके रौवण लाग गी !
ताऊ ने फ़िर पूछा की - इब के हुया ? इब तूं क्यु रौवै सै ?
ताऊ ने फ़िर पूछा की - इब के हुया ? इब तूं क्यु रौवै सै ?
दर्जिन बोली - अरे ताऊ इब के बताऊं. मैने उसके लिये परसों ही देशी घी के गौन्द के लडडु बनाए थे, इब वो लडडु कुण खावैगा ?
ताऊ बोल्या - अरे तू बावली बात मत कर. अरे जब मैं गाम का सरपंच सूं..... तो ये सारे काम भी मैं ही करुंगा, तू फ़िकर ना कर, वो लडडु भी मैं ही खा ल्युंगा.... पर इब तू रौवै मना.
ताऊ की बात सुनकै, इबकै दर्जिन नै किम्मै जोर तैं रुक्का मारया... और रौवण लाग गी....
ताऊ - इब के होग्या, इतनी जोर तैं क्यूं रुक्कै मारण लागरी सै ? तन्नै कह तो दिया कि तेरे दर्जी के छोडे हुये बाकी सारे काम मैं पूरे करूंगा....चल इब रुक्कै मारणा बंद कर...और टाबरां नै संभाल.
इबकै ताऊ की बात सुनकै दर्जिन उठकर खडी हुई और घणी जोर तैं रुक्कै मारती हुई बोली - अरे ताऊ इब के बताऊं ? दर्जी तो मरग्या.... पर मेरे माथे पै पचास हजार रुपये का कर्जा छोडग्या.... इब मैं न्युं करकै घणी
रौवूं सुं कि वो कर्जा कौण चुकावैगा ?
दर्जिन की बात सुनकर ताऊ ने वहां बैठे गांव वालों की तरफ़ मुंह करके कहा - अरे भई गांव वालो... इतनी देर से इस गरीब विधवा के सारे काम मैं अकेला ही कर रहा हू...तुम चुपचाप बैठे हो...कुछ तो शर्म करो... क्या सारा काम सरपन्च के जिम्मै ही होवै सै ?
ताऊ की बात सुनकर वहां तीसरे मोर्चे (थर्ड फ़्रंट) की तरह बैठे गांव वाले ताऊ का मुंह देखने लगे.
गांव वालों को इस तरह हक्के बक्के देखकर ताऊ फ़िर बोला - गांव वालों...सुनो... पहले के सारे काम मैने निपटाने का वादा कर लिया है. इब ये जो आखिरी काम बचा है ये तुम लोग निपटा दो....आखिर गांव मे किसी पर विपदा आई है तो मिलजुल कर ही काम करने पडेंगे....तुम भी कुछ पुण्य कमालो... अकेला ताऊ ही सारा पुण्य कमाए...इसके लिये मेरी आत्मा गवाही नही देती.
ताऊ की बात सुनकर वहां तीसरे मोर्चे (थर्ड फ़्रंट) की तरह बैठे गांव वाले ताऊ का मुंह देखने लगे.
गांव वालों को इस तरह हक्के बक्के देखकर ताऊ फ़िर बोला - गांव वालों...सुनो... पहले के सारे काम मैने निपटाने का वादा कर लिया है. इब ये जो आखिरी काम बचा है ये तुम लोग निपटा दो....आखिर गांव मे किसी पर विपदा आई है तो मिलजुल कर ही काम करने पडेंगे....तुम भी कुछ पुण्य कमालो... अकेला ताऊ ही सारा पुण्य कमाए...इसके लिये मेरी आत्मा गवाही नही देती.
मजेदार ....!! सच ही कहा ताऊजी एक आदमी अकेले कितना करेगा.... आखिर गांव के इज्जत की बात है ....
ReplyDeleteमीठा मीठा गप और कडवा कडवा थू.. थू.. यही तो राजनीति है ....राम राम....
ReplyDeleteलाजबाब प्रस्तुति...!
RECENT POST -: पिता
सही बात है, देश के विकास के प्रयास में सबका सहयोग हो।
ReplyDeleteसही है , ताऊ सही कह रहा है !!
ReplyDeleteआदमी अकेले कितना करेगा...सही
ReplyDeleteकोई पार पा सकता है भला, ताऊ से !
ReplyDeleteबिल्कुल भागीदारी तो बनती ही है .....
ReplyDeleteताऊ की आत्मा बड़ी पुण्यशाली है !
ReplyDeleteएकदम मस्त सार्थक है आपकी यह पोस्ट !
ReplyDeleteवाह .. के बात से ताऊ ... चोखो माल जेब मां ... इस समझ आया थारी तरक्की का राज ...
ReplyDeleteराम राम से तन्नू ...
ताऊ राम-राम। आपकी बात सोलहों आने सही है। अकेले ताऊ को सारा पुण्य बटोरकर बेईमान कहलाना है क्या :)
ReplyDeleteबड़ा ही रोचक किस्सा है।
ReplyDeleteMaan gaye Taau ka to dimaag badaa hi tez hai.
:):) ताऊ जैसा दिमाग कहाँ किसी के पास ?
ReplyDeleteरोचक...
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