ज्यादा पढा लिखा नही होने के बावजूद भी ताऊ एक सरकारी स्कूल में मास्टर बन गया. उन दिनों में वैसे भी आठवीं पास को सरकारी स्कूल में मास्टर की नौकरी आराम से मिल जाती थी. काम भी कोई ज्यादा नही होता था, बस स्कूल पहुंचकर बच्चों का हाजिरी रजिस्टर भरो और जो मर्जी में आये वो पढा दो. बच्चे भी पढने में कोई ज्यादा रूचि रखने वाले नही होते थे. कुल मिलाकर आराम का काम था. बच्चों को कुछ भी काम देकर आराम से कुर्सी पर बैठकर नींद में खर्राटे लेता और शाम को वापस घर पहुंच जाता था.
यह जिस साल की बात है उस साल एक छात्र कक्षा में नया नया आया था और वह छात्र कुछ ज्यादा ही जिज्ञासु प्रवृति का था. ताऊ से वो सवाल पर सवाल पूछता ही जाता था. अब ताऊ कुछ जानता हो तो उसको बताये भी. उल्टे सीधे जवाब देकर उसे टाल दिया करता था. क्योंकि वो सवाल पूछकर ताऊ की नींद में भी खलल डालता था.
एक रोज वो छात्र खडा होकर सवाल पूछने लगा और ताऊ उसके कुछ भी उल्टे सीधे जवाब देता रहा. अंत में उस छात्र ने पूछा - मास्टर जी, ये बताईये कि गाय और बकरी क्या है?
अब ऐसे सवाल कोई ताऊ से पूछे तो इनका जवाब देना उसके बांये हाथ का काम था सो ताऊ ने तुरंत जवाब दिया - तुमको इतना भी नही मालूम कि ये दोनों ही पशु हैं.
छात्र ने पूछा - तो मास्टर जी, ये बताओ कि जब ये दोनों ही पशु हैं तो गाय को चार थन (दूध देने वाले) और बकरी को सिर्फ़ दो ही थन क्यों होते हैं?
अब ताऊ मुश्किल में पड गया. जवाब कुछ सूझा नही सो ताऊ ने उसका कान मरोडते हुये कहा - चल चुपचाप बैठ.. बावलीबूच कहीं का...तेरे को कौन सा पशु विभाग का निर्देशक बनना है, जो इतनी जानकारी ले रहा है? छात्र बेचारा चुपचाप अपना कान सहलाता हुआ बैठ गया.
ताऊ के इस व्यवहार व स्कूल में नींद निकालने की शिकायत ऊपर विभाग में भी पहूंच चुकी थी. कई बार स्कूल निरीक्षक भी आया लेकिन ताऊ इतना शातिर और हाजिर जवाब था कि कभी भी पकडा नही गया और स्कूल के छात्र ताऊ के डर की वजह से कुछ बोलते नही थे.
एक दिन सर्दियों के दिन बाहर धूप में ताऊ ने क्लास लगवाई और बच्चों को कुछ काम देकर खुद कुर्सी पर बैठ कर नींद निकालने लगा. थोडी देर में खर्राटे भी लेने लगा. तभी स्कूल निरीक्षक वहां आ पहूंचा और बोला - ताऊ, आज तो तुम रंगे हाथों सोते हुये पकडे ही गये...अब तुमको सस्पेंड करवाऊंगा.
ताऊ ने बडे ही सहज भाव से उत्तर दिया - अरे इंस्पेक्टर जी....मैं सो नही रहा था, मैं तो बच्चों को प्रेक्टिकल करके बता रहा था.
अब स्कूल निरीक्षक भी चौंका और पूछा कि ये कौन सा प्रेक्टीकल करवा रहे थे?
ताऊ बोला - मैं बच्चों को बता रहा था कि सोते समय खर्राटे कैसे लिये जाते हैं.
स्कूल निरीक्षक ने बच्चों से भी पूछा तो डर के मारे बच्चों ने भी ताऊ की बात का ही समर्थन किया. स्कूल निरीक्षक अपना सर धुनता हुआ वापस चला गया.
स्कूल में पढाता हुआ ताऊ
एक रोज वो छात्र खडा होकर सवाल पूछने लगा और ताऊ उसके कुछ भी उल्टे सीधे जवाब देता रहा. अंत में उस छात्र ने पूछा - मास्टर जी, ये बताईये कि गाय और बकरी क्या है?
अब ऐसे सवाल कोई ताऊ से पूछे तो इनका जवाब देना उसके बांये हाथ का काम था सो ताऊ ने तुरंत जवाब दिया - तुमको इतना भी नही मालूम कि ये दोनों ही पशु हैं.
छात्र ने पूछा - तो मास्टर जी, ये बताओ कि जब ये दोनों ही पशु हैं तो गाय को चार थन (दूध देने वाले) और बकरी को सिर्फ़ दो ही थन क्यों होते हैं?
अब ताऊ मुश्किल में पड गया. जवाब कुछ सूझा नही सो ताऊ ने उसका कान मरोडते हुये कहा - चल चुपचाप बैठ.. बावलीबूच कहीं का...तेरे को कौन सा पशु विभाग का निर्देशक बनना है, जो इतनी जानकारी ले रहा है? छात्र बेचारा चुपचाप अपना कान सहलाता हुआ बैठ गया.
ताऊ के इस व्यवहार व स्कूल में नींद निकालने की शिकायत ऊपर विभाग में भी पहूंच चुकी थी. कई बार स्कूल निरीक्षक भी आया लेकिन ताऊ इतना शातिर और हाजिर जवाब था कि कभी भी पकडा नही गया और स्कूल के छात्र ताऊ के डर की वजह से कुछ बोलते नही थे.
एक दिन सर्दियों के दिन बाहर धूप में ताऊ ने क्लास लगवाई और बच्चों को कुछ काम देकर खुद कुर्सी पर बैठ कर नींद निकालने लगा. थोडी देर में खर्राटे भी लेने लगा. तभी स्कूल निरीक्षक वहां आ पहूंचा और बोला - ताऊ, आज तो तुम रंगे हाथों सोते हुये पकडे ही गये...अब तुमको सस्पेंड करवाऊंगा.
ताऊ ने बडे ही सहज भाव से उत्तर दिया - अरे इंस्पेक्टर जी....मैं सो नही रहा था, मैं तो बच्चों को प्रेक्टिकल करके बता रहा था.
अब स्कूल निरीक्षक भी चौंका और पूछा कि ये कौन सा प्रेक्टीकल करवा रहे थे?
ताऊ बोला - मैं बच्चों को बता रहा था कि सोते समय खर्राटे कैसे लिये जाते हैं.
स्कूल निरीक्षक ने बच्चों से भी पूछा तो डर के मारे बच्चों ने भी ताऊ की बात का ही समर्थन किया. स्कूल निरीक्षक अपना सर धुनता हुआ वापस चला गया.
मास्टर साब इसीलिए मास्टर साब होते हैं :-)
ReplyDeleteबाल मन जिज्ञासु तो होता ही है ....
बहुत रोचक
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (18-02-2014) को "अक्ल का बंद हुआ दरवाज़ा" (चर्चा मंच-1527) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
ताऊ की क्लास में और क्या होना था ?
ReplyDeleteसच है, कि पाठ्यक्रम में कुछ भी सिखा सकते हैं।
ReplyDeleteलाजबाब !वाह ताऊ आपके दिमाग को दाद देता हूँ ....! राम राम
ReplyDeleteRECENT POST -: पिता
बहुत अच्छा प्रक्टिकल है ताऊ !
ReplyDeletelatest post प्रिया का एहसास
ताऊ, मुझे शक हो रहा है ये आज के नेता ही कही आपके उस स्कूल के आपके ही पढ़ाये लिखाये हुए छात्र लगते है, और उस जिज्ञासु छात्र के पास आज भी बहुत सारे अनसुलझे सवाल है सिर्फ सवाल जिसका एक भी सटीक जवाब नहीं मिलता :) !
ReplyDeleteबढ़िया पोस्ट है !
ताऊ, मुझे शक हो रहा है ये आज के नेता ही कही आपके उस स्कूल के आपके ही पढ़ाये लिखाये हुए छात्र लगते है, और उस जिज्ञासु छात्र के पास आज भी बहुत सारे अनसुलझे सवाल है सिर्फ सवाल जिसका एक भी सटीक जवाब नहीं मिलता :) !
ReplyDeleteबढ़िया पोस्ट है !
सुमन जी की बात से सहमत !:)
Deleteये हुई न कुछ बात ,व्यंग्य की लात पड़ी इंस्पेकटर पर। बढ़िया चित्रण स्कूल का,पूरे परिवेश का।
ReplyDeleteबहुत ही रोचक रचना .....
ReplyDeleteराम राम ताऊ ! रोचक....
ReplyDeleteआज कल भी ऐसे मास्टर होते हैं क्या ? वैसे ताऊ मास्टर का जवाब नहीं .
ReplyDeleteदूर दराज के गांवों में इससे भी महान मास्टर आज भी पाये जाते हैं.:)
Deleteरामराम.
तब तो ताऊ जैसा कोई नहीं..
ReplyDeletevo mastar hi kya jo apni bat samjha na sake ...kya bat hai..
ReplyDeleteताऊ जैसा मास्टर हो तो हो गया भारत निर्माण!
ReplyDeleteयो ताऊ उस ताऊ के स्कूल मे के डोक्की लेण गया था ! :)
ReplyDeleteगाव के स्कूल में आज भी एइसे मास्टर है जो बच्चों को लेख लिखने का काम देकर घर का काम भी करके आ जाते है .....कृपया मेरे ब्लॉग पर भी आये http://pratibimbprakash.blogspot.in/
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