ताऊ कुछ सोच में बैठा हुआ था. अब क्या सोच रहा था यह तो खुद ताऊ जाने, भगवान इस लिये नही जान सकते कि उनको आजकल सोचने की फ़ुरसत ही नही है....अब भगवान भी कहां तक और किस किस की सोचें? इस समय ताऊ जरूर उतराखंड त्रासदी में अपना नफ़ा नुक्सान और वाहवाही के बारे में ही सोच रहा होगा....पर फ़िर भी ताऊ के दिमाग का कोई भरोसा नही......
अचानक रामप्यारे अपने दांत दिखाता हुआ ब्रांड न्य़ू मोटरसाईकिल पर प्रगट हुआ और बोला - ताऊ, आजकल फ़िर से ब्लागिंग को ठंड लग गई है. ट्विटर, फ़ेसबुक के साथ तुलनात्मक अध्ययन और शोध कार्य भी प्रारंभ हो चुका है. मुझे लगता है इससे भी ब्लागिंग की ठंड दूर होने वाली नही है..... स्थिति बडी दयनीय लग रही है..... किसी भी पोस्ट पर 100 विजिट्स पार होना मुश्किल हो रहा है.....
ताऊ ने उसे डांटते हुये कहा - अबे बेवकूफ़....ब्लागिंग को ठंड लग रही है तो तू क्यों कांप रहा है? तूने तो कपडे पहन रखे हैं ना, अरे सारा दिन मोटरसाईकिल पर ब्लागिंग...ब्लागिंग....के नारे लगाता चौकडी काटता रहेगा या ...कभी धंधे पानी की खोज खबर भी लेगा? सारा दिन फ़टफ़टी पर घूमता रहता है....बिना कमाये कैसे काम चलेगा? चुनाव सामने आ रहा है....कुछ तो सोच....
रामप्यारे ताऊ का मिजाज समझ गया सो चुप्पी लगा गया....इधर ताऊ ने पूछा - रामप्यारे ये ताऊ तेलों का भंडार क्यों कर रखा है? इन्हें बेचा क्यों नही? बैंक का ब्याज लगे जा रहा है.....आखिर तू चाहता क्या है? क्या ब्लागिंग से तेरा पेट भर जायेगा? बोल......
रामप्यारे बोला - ताऊ बात यह है कि मैच फ़िक्स तेल के अलावा कोई तेल नही बिक पाया और कीमत इतनी ज्यादा थी कि कोई खरीद दार नही मिला. आजकल जब से रूपया गिरा है बाजार में बहुत ही कम खरीद दार बचें हैं ज्यादातर फ़ेसबुक मेले में ही भीड रहती है.
ताऊ बोला - रामप्यारे, तू नु कर.....इन तेलों पर एक शानदार सी स्कीम चला दे, माल देखते देखते ही खत्म हो जायेगा....
रामप्यारे बोला - हां ताऊ ये तो ठीक है पर स्कीम में घाटा हो जायेगा. स्कीम का सारा माल खुद के पास से देना पडेगा....
ताऊ बोला - रामप्यारे, तू निरा गधा ही रहेगा.....स्कीम चलाकर यदि माल खुद के पास से देना पडा तो फ़िर हम काहे के और किसके ताऊ? जैसा मैं कहता हूं तू वैसा कर. मेले में एक्जीबिशन लगवा और लगातार घोषणा करते रहना कि ताऊ तेल की हर शीशी में ग्यारंटेड इनाम खुलेगा. और महंगी वाली 5 मोटर बाईक भी इनाम में खुलेंगी.... ..... और सुन ...ये तेरी नई मोटर साईकिल लाकर आज वहीं खडी करवा देना जिसे देखकर मोटर बाईक की आस में जनता सारा माल खरीद लेगी.
रामप्यारे बेचारा मुश्किल से Ducati की मोटरसाईकिल खरीद कर लाया था. ताऊ द्वारा इसी को इनाम में
दिये जाने की बात सुनते ही वह बिदक गया और बोला - ताऊ इसमे तो बहुत घाटा हो जायेगा.....और फ़िर मेरी बाईक ही इनाम में क्यों दे रहे हो? बडी मुश्किल से तो मैने ये खरीदी है.
ताऊ बोला - रामप्यारे घाटा कुछ नही होगा और तेरी बाईक भी तेरे पास ही रहेगी. अब जैसा मैं कहता हूं वैसा कर....गोदाम में पडा ताऊ तेल का सारा माल निकल जायेगा और ये समझले कि अगले चुनाव का खर्च भी इसी से निकल जायेगा. ....अबकी चुनाव में खर्चा भी बहुत ज्यादा होने वाला है.
रामप्यारे ने ताऊ के कहे अनुसार ताऊ तेल की हर शीशी के अंदर एक एक इनामी कूपन डलवा दिया जिसमें हर शीशी में दो दो रूपये वाले बिस्किट, कंघे, शेंपू की पुडिया इत्यादि का शर्तिया इनाम वाला कूपन डला था....पर उसमे किसी भी शीशी में मोटर बाईक वाला इनामी कूपन नही डलवाया.
मेले में यह घोषणा जोर शोर से की गई थी कि ताऊ तेल की शीशी में पांच Ducati मोटर बाईक भी इनाम में निकलेंगी, सो देखते ही देखते लोग बाग टूट पडे. एक की जगह दस दस शीशींया खरीद कर वहीं सील तोड कर अपनी इनाम का कूपन देखते पर बिस्किट, कंघे, शेंपू इत्यादि के अलावा इनाम में कुछ नही निकलता. मोटर साईकिल के लालच में लोगों ने जमकर ताऊ तेल खरीदा पर मोटरसाईकिल किसी को भी नही मिली....अब उसमें मोटर बाईक वाला कूपन डला होता तो बाईक निकलती....इस तरह जनता के लालच में ताऊ का आधा माल तो दोपहर तक बिक गया पर किसी को भी 2 रूपये से ज्यादा वाला इनामी कूपन नही खुला.
अब रामप्यारे आकर बोला - ताऊ आधा माल बिक गया पर अब जनता माल खरीदने नही आ रही है शायद जनता जान गई है कि इसमे मोटर बाईक वाला कूपन डला ही नही है.
ताऊ बोला - रामप्यारे, यदि तुझमें अक्ल होती तो तू ताऊ होता.....अब देख तमाशा....अब इनाम खुलेगा और फ़िर से भीड टूट पडेगी, शाम तक बाकी बचा माल भी खत्म हो जायेगा.
ताऊ ने रामप्यारी को बुलाकर उसके हाथ में मोटरबाईक वाला कूपन पकडाया और उसे जाकर ताऊ तेल की शीशी खरीदने को कहा और उसे अच्छी तरह समझा दिया कि शीशी खरीदते ही यह कूपन दिखाना... ...
रामप्यारी ने वैसा ही किया और चारों तरफ़ खबर फ़ैल गई कि मोटर बाईक इनाम में खुल गई...बस फ़िर क्या था, रामप्यारी को मोटर बाईक दे दी गई, मोटर बाईक थोडी देर बाद रामप्यारी पिछले दरवाजे से वापस ले आई और फ़िर से वहीं इनाम में खडी कर दी गई. शाम तक ताऊ के आदमियों को वही अकेली मोटर साईकिल पांच बार इनाम में खुली. इधर जैसे जैसे मोटरसाईकिल इनाम में खुलती रही, जनता दुगुने जोश से खरीदी करती रही, शाम तक ताऊ तेल की एक भी शीशी स्टाक में नही बच पाई.
ताऊ का हवाई दौरा और लंगर शुरू !
ताऊ टीवी फ़ोडके चैनल के मुख्य संवाद दाता रामप्यारे की ताऊ से इस बात पर झडप हो गयी कि रामप्यारे लाईव टेलिकास्ट के लिये घाटी नही जाना चाहता था बल्कि वो वहां पहुंचकर पीडितों की सेवा करना चाहता था. गुस्से गुस्से में ताऊ ने कह दिया कि सेवा ही करना है तो कहीं और जाकर नौकरी ढूंढ लो, यहां तो जो मैं कहूंगा वही करना पडेगा. तुम जाते हो तो ठीक वर्ना मैं कोई दूसरा इंतजाम कर लूंगा, तुम्हारे ना रहने से मेरा टीवी चैनल बंद तो नही हो जायेगा.
रामप्यारे बोला - ताऊ, देश में जब भी कोई बाढ आती है, भूकंप आ जाता है तो तुम इतने क्यों उचकने लगते हो? मुझे तुम्हारा व्यवहार समझ में नही आता. तुमको शर्म भी नही आती?
ताऊ बोला - अबे बेवकूफ़ रामप्यारे, तुम राजनिती और बिजनेस कभी नही समझोगे, तुम गधे हो और जीवन भर गधे ही रहोगे....जिसने की शर्म उसके फ़ूटे कर्म.....
रामप्यारे का अपने लिये गधा संबोधन उसको गुस्सा दिलाने के लिये काफ़ी था सो बीच मे ही बोला - ताऊ, उतराखंड की ये त्रासदी तो आम आदमी और वहां फ़ंसे हुये लोग झेल रहे हैं, इन सब प्राकृतिक आपदाओं के लिये आम इंसान तो जिम्मेदार है नही, बल्कि असली जिम्मेदार तो पर्यावरण को नष्ट भ्रष्ट करके प्रकृति का संतुलन बिगाडने वाले तुम जैसे राजनैतिक नेता और तुम्हारा व्यापारिक गठजोड ही जिम्मेदार है.
ताऊ बोला - अबे गधे के गधे, तू सिर्फ़ और सिर्फ़ गधा ही रहेगा, जा जल्दी से वहां जाकर ढाबा खुलवा दे....
रामप्यारे खुश होगया और बोला - वाह ताऊ, अब तुमने सही बात की है केदार घाटी मे ढाबा यानि लंगर खुलवाकर लोगों की मदद करने की.
ताऊ बोला - अबे उल्लू के चर्खे....सुन लंगर सिर्फ़ नाम का होगा...लंगर में कुछ मिलना नही चाहिये, सिर्फ़ वाहवाही के लिये....जिससे हमारा नाम हो जाये...असली खेल तो इसके पीछे यह करना है कि इसकी आड में वहां पानी 200 रूपये की एक बोतल, रोटी 75 रूपये की एक, बिस्किट का पेकेट 100 रूपये, कट चाय 80 रूपये, काफ़ी 100 रूपये बिकवावो.
रामप्यारे बोला - पर ताऊ यह तो अन्याय और नरक में जाने के काम हैं.....वहां लोगों के तन पर कपडे ही नही हैं तो उनसे रूपये कहां से वसूलोगे?
ताऊ बोला - अबे राम के प्यारे रामप्यारे, तू तो इसकी चिंता मत कर, वहां जाकर दुकान लगा और सामान बेचना शुरू कर दे. मेरे लठैत तेरे पीछे पीछे ही रहेंगे, यदि कोई पैसा नही दे पायेगा तो उनके जेवर अंगुठी उतरवा लेंगे. अब तू फ़टाफ़ट जा और हाथ आया मौका मत गंवा.....मैं जरा हैलीकाप्टर से वहां का दौरा करके आता हूं....चुनाव सामने हैं...जरा जनता को भी लगना चाहिये कि हम उनके साथ हैं.
रामप्यारे बोला - ताऊ, यदि जनता के साथ ही रहना चाहते हो तो हैलीकाप्टर से क्यों जा रहे हो? जैसे बाढ के समय आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री खुद पानी में उतरकर लोगों के साथ काम करने लग गये थे वैसे ही तुम भी लग जावो.
ताऊ बोला - रामप्यारे, तुम ज्यादा बकवास मत करो, ये आस्ट्रेलिया नही बल्कि भारत है और यहां नेता लोग जब तक हवाई दौरा नही करले तब तक नेता गिरी नही दिखती. तू जरा ढाबे का काम जल्दी शुरू करवा, कनमोहन सिंह और कोनिया बांधी तो कब के वहां 15,000 फ़ीट ऊपर चक्कर काट आये... और मैं अभी तेरे साथ ही सर फ़ोड रहा हूं...जरा देख..हैलीकाप्टर आ गया या नही? कहीं हवाई दौरे में हम और हमारी पार्टी पीछे ना रह जाये.
रामप्यारे अवाक खडा देख रहा था तभी ताऊ बोला - और हां अपनी "ताऊ कैट एयरवेज" के सारे हैलीकाप्टर भी वहां से लोगों को लाने में लगवा दो.
रामप्यारे बोला - ताऊ, ये तो तुमने बडी पुण्य कमाने की बात कही, वहां फ़ंसे बेसहारा लोगों को निकालने से बडा पुण्य क्या होगा? मैं अभी हैलीकाप्टर भिजवाने की व्यवस्था करता हूं और उनको कहता हूं कि लोगों को मुफ़्त में वहां से लेकर आयें.
ताऊ चिल्लाया - अबे गधे मुफ़्त में नही, सिर्फ़ उन्हीं माल दार लोगों को लाना है जो मुंह मांगा किराया हमें दे सकें....यही तो मौका है माल कमाने का.
रामप्यारे बोला - ताऊ, देश में जब भी कोई बाढ आती है, भूकंप आ जाता है तो तुम इतने क्यों उचकने लगते हो? मुझे तुम्हारा व्यवहार समझ में नही आता. तुमको शर्म भी नही आती?
ताऊ बोला - अबे बेवकूफ़ रामप्यारे, तुम राजनिती और बिजनेस कभी नही समझोगे, तुम गधे हो और जीवन भर गधे ही रहोगे....जिसने की शर्म उसके फ़ूटे कर्म.....
रामप्यारे का अपने लिये गधा संबोधन उसको गुस्सा दिलाने के लिये काफ़ी था सो बीच मे ही बोला - ताऊ, उतराखंड की ये त्रासदी तो आम आदमी और वहां फ़ंसे हुये लोग झेल रहे हैं, इन सब प्राकृतिक आपदाओं के लिये आम इंसान तो जिम्मेदार है नही, बल्कि असली जिम्मेदार तो पर्यावरण को नष्ट भ्रष्ट करके प्रकृति का संतुलन बिगाडने वाले तुम जैसे राजनैतिक नेता और तुम्हारा व्यापारिक गठजोड ही जिम्मेदार है.
ताऊ बोला - अबे गधे के गधे, तू सिर्फ़ और सिर्फ़ गधा ही रहेगा, जा जल्दी से वहां जाकर ढाबा खुलवा दे....
रामप्यारे खुश होगया और बोला - वाह ताऊ, अब तुमने सही बात की है केदार घाटी मे ढाबा यानि लंगर खुलवाकर लोगों की मदद करने की.
ताऊ बोला - अबे उल्लू के चर्खे....सुन लंगर सिर्फ़ नाम का होगा...लंगर में कुछ मिलना नही चाहिये, सिर्फ़ वाहवाही के लिये....जिससे हमारा नाम हो जाये...असली खेल तो इसके पीछे यह करना है कि इसकी आड में वहां पानी 200 रूपये की एक बोतल, रोटी 75 रूपये की एक, बिस्किट का पेकेट 100 रूपये, कट चाय 80 रूपये, काफ़ी 100 रूपये बिकवावो.
रामप्यारे बोला - पर ताऊ यह तो अन्याय और नरक में जाने के काम हैं.....वहां लोगों के तन पर कपडे ही नही हैं तो उनसे रूपये कहां से वसूलोगे?
ताऊ बोला - अबे राम के प्यारे रामप्यारे, तू तो इसकी चिंता मत कर, वहां जाकर दुकान लगा और सामान बेचना शुरू कर दे. मेरे लठैत तेरे पीछे पीछे ही रहेंगे, यदि कोई पैसा नही दे पायेगा तो उनके जेवर अंगुठी उतरवा लेंगे. अब तू फ़टाफ़ट जा और हाथ आया मौका मत गंवा.....मैं जरा हैलीकाप्टर से वहां का दौरा करके आता हूं....चुनाव सामने हैं...जरा जनता को भी लगना चाहिये कि हम उनके साथ हैं.
रामप्यारे बोला - ताऊ, यदि जनता के साथ ही रहना चाहते हो तो हैलीकाप्टर से क्यों जा रहे हो? जैसे बाढ के समय आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री खुद पानी में उतरकर लोगों के साथ काम करने लग गये थे वैसे ही तुम भी लग जावो.
ताऊ बोला - रामप्यारे, तुम ज्यादा बकवास मत करो, ये आस्ट्रेलिया नही बल्कि भारत है और यहां नेता लोग जब तक हवाई दौरा नही करले तब तक नेता गिरी नही दिखती. तू जरा ढाबे का काम जल्दी शुरू करवा, कनमोहन सिंह और कोनिया बांधी तो कब के वहां 15,000 फ़ीट ऊपर चक्कर काट आये... और मैं अभी तेरे साथ ही सर फ़ोड रहा हूं...जरा देख..हैलीकाप्टर आ गया या नही? कहीं हवाई दौरे में हम और हमारी पार्टी पीछे ना रह जाये.
रामप्यारे अवाक खडा देख रहा था तभी ताऊ बोला - और हां अपनी "ताऊ कैट एयरवेज" के सारे हैलीकाप्टर भी वहां से लोगों को लाने में लगवा दो.
रामप्यारे बोला - ताऊ, ये तो तुमने बडी पुण्य कमाने की बात कही, वहां फ़ंसे बेसहारा लोगों को निकालने से बडा पुण्य क्या होगा? मैं अभी हैलीकाप्टर भिजवाने की व्यवस्था करता हूं और उनको कहता हूं कि लोगों को मुफ़्त में वहां से लेकर आयें.
ताऊ चिल्लाया - अबे गधे मुफ़्त में नही, सिर्फ़ उन्हीं माल दार लोगों को लाना है जो मुंह मांगा किराया हमें दे सकें....यही तो मौका है माल कमाने का.
"अंतर्राष्ट्रीय ब्लोगर शिरोमणि अवार्ड" - 2013 आयोजित
ताऊ टीवी फ़ोडके चैनल की ब्रेकिंग न्यूज में मैं रामप्यारे आपको एक सनसनी खेज खबर दे रहा हूं...दिल थाम के बैठिये. हमें विश्वसनीय सुत्रों से पता चला है कि इस बार "अंतर्राष्ट्रीय ब्लोगर शिरोमणि अवार्ड" समारोह आयोजित किया गया है....और खास बात यह है कि ये समारोह विश्व सुंदरी प्रतियोगिता की तर्ज पर दुनियां की तीन शानदार जगहों पर किया जायेगा.
हमारे विश्वसनीय सूत्रों ने यह खबर दी है कि निम्न तीन स्थानों पर विभिन्न समारोह और हिंदी की सेवा के लिये अखिल ब्रह्मांड से ब्लागर जुटेंगे. आप इंतजार किजीये......एक छोटा सा ब्रेक और उसके बाद हम आपको आगे का टेलीकास्ट लाइव दिखायेंगे.....बस पार्टी प्रवक्ता श्री खुशदीप सहगल किसी भी समय समस्त जानकारी देने मंच पर आने ही वाले हैं.......
ब्रेक के बाद मैं रामप्यारे आपका पुन: स्वागत करता हूं....और लिजीये मिडिया को संबोधित करने पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता श्री खुशदीप सहगल आ चुके हैं.....सुनिये...वो क्या कह रहे हैं.....तालियों की गडगडाहट के बीच कुछ सुनाई नही दे रहा है.....पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता खुशदीप सहगल माईक के सामने बोलने को उठ खडे हुये हैं....
भाईयो और बहनों, मुझे यह घोषणा करते हुये अत्यंत हर्ष हो रहा है कि ब्लाग पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों ने आम सहमति और एक स्वर से हमारे सबसे बुजुर्ग, अनुभवी व वरिष्ठ नेता श्री सतीश सक्सेना को आजीवन अध्यक्ष चुन लिया है. मुझे आशा ही नही बल्कि पूर्ण विश्वास है कि उनके सफ़ल नेतृत्व में हिंदी ब्लाग जगत पार्टी सफ़लता के नये सोपान तय कर सकेगी और इंशाल्लाह अगले चुनाव में फ़तेह हमारी ही होगी. सभी कार्यकर्ताओं से अनुरोध है कि नये आजीवन अध्यक्ष महोदय के अनुभवों का लाभ उठायें और पार्टी को सशक्त करने में जुट जायें.
पार्टी की अगली रणनिती तय करने और हिंदी ब्लागिंग को गति देने के लिये हमारे अनुभवी आजीवन अध्यक्ष महोदय ने "अंतर्राष्ट्रीय ब्लोगर शिरोमणि अवार्ड" समारोह का आयोजन किया है जो कि हमारी पार्टी के अनन्य भक्त और सेवा भावी सदस्यों द्वारा निम्नानुसार प्रायोजित किया गया है.
इस समारोह का प्रथम सत्र दुबाई में 3 दिन के लिये होगा और इसको प्रायोजित किया है पार्टी के निष्ठावान फ़ायनेंसर और हिंदी सेवी श्री दिगंबर नासवा ने. पार्टी का दूसरा सत्र 7 दिन के लिये कनाडा में होगा जिसके प्रायोजक हैं अनन्य हिंदी सेवक और निष्ठावान आजीवन कमेटी मेंबर श्री समीर लाल . कनाडा के बाद तीसरा सत्र पिट्सबर्ग (अमेरिका) में 7 दिन के लिये होगा जिसके प्रायोजक हैं प्रख्यात हिंदी सेवी, कवि और पार्टी के आजीवन कमेटी मेंबर श्री अनुराग शर्मा .
पार्टी की परंपरानुसार उक्त तीनों जगहों का समस्त खर्च प्रायोजक गण ही उठायेंगे. किसी भी जाने वाले ब्लागर को कोई खर्च नही देना होगा. इसके अतिरिक्त समारोह में हिस्सा लेने वाले प्रत्येक ब्लागर को हर समारोह में पाकेट मनी के लिये 500 डालर भी प्रायोजकों द्वारा भेंट स्वरूप दिये जायेंगे. अत: मैं आपसे निवेदन करूंगा कि असुविधा से बचने के लिये आप तुरंत अपना रजिस्ट्रेशन ताऊश्री रामपुरिया से संपर्क करके करवा लेवें. अन्य नियम/शर्तों, सुविधाओं एवम कार्यक्रम एजेंडा इत्यादि की समस्त जानकारी के लिये आपको एक छपा हुआ प्रपत्र अभी वितरित किया जायेगा, उसके अनुसार ही समस्त कार्यक्रम होंगे.
भाईयों और बहनों, अब मैं आपसे आज्ञा चाहुंगा और अगले माह होने वाले "अंतर्राष्ट्रीय ब्लोगर शिरोमणि अवार्ड" समारोह में आपसे फ़िर मुखातिब होऊंगा....जय हिंद...जय ब्लाग जगत...जय हिंदी.
सभी को एक छपा हुआ प्रपत्र दिया गया जिसमे निम्नानुसार नियम, कायदे, कानून व अन्य जानकारियां दी गई थी........
1. दुबाई, कनाडा व पिट्सबर्ग में यह समारोह क्रमश: आयोजित होगा. समस्त भाग लेने वाले ब्लागर्स को सुचित किया जाता है कि यह यात्रा तीन सप्ताह में पूरी की जायेगी. यात्रा अधूरी छोडकर आने की परमिशन किसी भी हालत में नही दी जायेगी.
2. इन तीनों जगह की यात्रा ताऊ कैट एयरवेज (कार्टून श्री काजलकुमार जी के सौजन्य से) के एयरक्राफ़्ट से करवाई जायेगी. इस एयरक्राफ़्ट से ताऊ की मरखनी भैंस चंपाकली भी साथ जायेगी जिससे किसी भी यात्री को दूध की कमी ना हो.
इसके अतिरिक्त यात्रियों की सुरक्षा एवम हैंगर में एयरक्राफ़्ट की देखभाल व तकनीकी सुधार का कार्य भी चंपाकली ही देखेगी यानि चंपाकली ही फ़्लाईट इंजीनियर का भी दायित्व संभालेगी.
3. यात्रा के दौरान खाने में श्री अभिषेक ओझा की तरफ़ से "चिकन आलाफ़ूस" (निरामिष) आवश्यक तौर पर परोसा जायेगा जिसे खाना कंपलसरी होगा, इसके सेवन से बीमार पडने की संभावना खत्म हो जायेगी. अपनी पसंद का खाना आप रजिस्ट्रेशन के समय ही लिखवा देवें. खाने का यह मेन्यू सुश्री रचना जी के सौजन्य से प्राप्त हुआ है और उन्हीं को इसका प्रायोजन दिया गया है. अपनी पसंद का खाना आप यहां पर मेन्यू देखकर सलेक्ट कर सकते हैं.
4. इस सम्मेलन में भाग लेने वाले ब्लागरों में से ही किसी को सर्वसम्मति से "अंतर्राष्ट्रीय ब्लोगर शिरोमणि अवार्ड" दिया जायेगा. इसकी एक विशेषता यह होगी कि यह अवार्ड श्री खुशदीप सहगल वाले मक्खन के हाथों प्रदान किया जायेगा जो कि बडे सौभाग्य की बात होगी.
5. भाग लेने वाले हर ब्लागर के लिये किसी ना किसी तरह के सम्मान की व्यवस्था आवश्यक रूप से की गई है, अत: यह मौका हाथ से ना जाने दें.
6. वर्किंग कमेटी और केंद्रीय कमेटी का गठन भी समारोह के दौरान ही किया जायेगा.
7. "अंतर्राष्ट्रीय ब्लोगर शिरोमणि अवार्ड" समारोह के टेलिकास्ट के आजीवन अधिकार "ताऊ टीवी फ़ोडके चैनल" को दे दिये गये हैं.
8. ताऊ की "कैट एयरवेज" इस समारोह की आजीवन एयर लाईन रहेगी.
9. इस समारोह में ताऊ सद साहित्य प्रकाशन की पुस्तकों एवम ताऊ ब्रांड दवाओं की बिक्री भी की जायेगी. अन्य कोई ब्रांड का सामान नही बिकेगा.
10. "अंतर्राष्ट्रीय ब्लोगर शिरोमणि अवार्ड" समारोह इस साल से प्रति वर्ष आयोजित किया जाना तय हुआ है. अगले साल के लिये इस समारोह को प्रायोजित करने वाले इच्छुक लोग फ़ीस इत्यादि के लिये ताऊ श्री रामपुरिया से संपर्क करके जानकारी प्राप्त सकते हैं. एक से ज्यादा प्रायोजक होने की स्थिति में प्रायोजक का चुनाव बोली लगवा कर किया जायेगा, जो ज्यादा बोली लगायेगा, उसी के यहां अगला समारोह आयोजित होगा. अगले साल के समारोह स्थल की घोषणा, पिटसबर्ग सम्मेलन के दौरान कर दी जायेगी.
11. यदि आप भी अपनी किसी पुस्तक का विमोचन इस समारोह में करवाना चाहें तो "ताऊ सद साहित्य प्रकाशन" के व्यवस्थापक श्री रामप्यारे से अविलंब संपर्क कर लें क्योंकि समारोह पुस्तिका सहित इस समारोह के आजीवन विमोचन अधिकार भी ताऊ सद साहित्य प्रकाशन को दिये गये हैं.
शेष अगले भाग में.......
(क्रमश:)
हमारे विश्वसनीय सूत्रों ने यह खबर दी है कि निम्न तीन स्थानों पर विभिन्न समारोह और हिंदी की सेवा के लिये अखिल ब्रह्मांड से ब्लागर जुटेंगे. आप इंतजार किजीये......एक छोटा सा ब्रेक और उसके बाद हम आपको आगे का टेलीकास्ट लाइव दिखायेंगे.....बस पार्टी प्रवक्ता श्री खुशदीप सहगल किसी भी समय समस्त जानकारी देने मंच पर आने ही वाले हैं.......
ब्रेक...ब्रेक...ब्रेक... ब्रेक...ब्रेक...ब्रेक...ब्रेक...ब्रेक...ब्रेक...
पार्टी प्रवक्ता श्री खुशदीप सहगल
भाईयो और बहनों, मुझे यह घोषणा करते हुये अत्यंत हर्ष हो रहा है कि ब्लाग पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों ने आम सहमति और एक स्वर से हमारे सबसे बुजुर्ग, अनुभवी व वरिष्ठ नेता श्री सतीश सक्सेना को आजीवन अध्यक्ष चुन लिया है. मुझे आशा ही नही बल्कि पूर्ण विश्वास है कि उनके सफ़ल नेतृत्व में हिंदी ब्लाग जगत पार्टी सफ़लता के नये सोपान तय कर सकेगी और इंशाल्लाह अगले चुनाव में फ़तेह हमारी ही होगी. सभी कार्यकर्ताओं से अनुरोध है कि नये आजीवन अध्यक्ष महोदय के अनुभवों का लाभ उठायें और पार्टी को सशक्त करने में जुट जायें.
आजीवन पार्टी अध्यक्ष श्री सतीश सक्सेना
पार्टी की अगली रणनिती तय करने और हिंदी ब्लागिंग को गति देने के लिये हमारे अनुभवी आजीवन अध्यक्ष महोदय ने "अंतर्राष्ट्रीय ब्लोगर शिरोमणि अवार्ड" समारोह का आयोजन किया है जो कि हमारी पार्टी के अनन्य भक्त और सेवा भावी सदस्यों द्वारा निम्नानुसार प्रायोजित किया गया है.
इस समारोह का प्रथम सत्र दुबाई में 3 दिन के लिये होगा और इसको प्रायोजित किया है पार्टी के निष्ठावान फ़ायनेंसर और हिंदी सेवी श्री दिगंबर नासवा ने. पार्टी का दूसरा सत्र 7 दिन के लिये कनाडा में होगा जिसके प्रायोजक हैं अनन्य हिंदी सेवक और निष्ठावान आजीवन कमेटी मेंबर श्री समीर लाल . कनाडा के बाद तीसरा सत्र पिट्सबर्ग (अमेरिका) में 7 दिन के लिये होगा जिसके प्रायोजक हैं प्रख्यात हिंदी सेवी, कवि और पार्टी के आजीवन कमेटी मेंबर श्री अनुराग शर्मा .
पार्टी की परंपरानुसार उक्त तीनों जगहों का समस्त खर्च प्रायोजक गण ही उठायेंगे. किसी भी जाने वाले ब्लागर को कोई खर्च नही देना होगा. इसके अतिरिक्त समारोह में हिस्सा लेने वाले प्रत्येक ब्लागर को हर समारोह में पाकेट मनी के लिये 500 डालर भी प्रायोजकों द्वारा भेंट स्वरूप दिये जायेंगे. अत: मैं आपसे निवेदन करूंगा कि असुविधा से बचने के लिये आप तुरंत अपना रजिस्ट्रेशन ताऊश्री रामपुरिया से संपर्क करके करवा लेवें. अन्य नियम/शर्तों, सुविधाओं एवम कार्यक्रम एजेंडा इत्यादि की समस्त जानकारी के लिये आपको एक छपा हुआ प्रपत्र अभी वितरित किया जायेगा, उसके अनुसार ही समस्त कार्यक्रम होंगे.
भाईयों और बहनों, अब मैं आपसे आज्ञा चाहुंगा और अगले माह होने वाले "अंतर्राष्ट्रीय ब्लोगर शिरोमणि अवार्ड" समारोह में आपसे फ़िर मुखातिब होऊंगा....जय हिंद...जय ब्लाग जगत...जय हिंदी.
सभी को एक छपा हुआ प्रपत्र दिया गया जिसमे निम्नानुसार नियम, कायदे, कानून व अन्य जानकारियां दी गई थी........
1. दुबाई, कनाडा व पिट्सबर्ग में यह समारोह क्रमश: आयोजित होगा. समस्त भाग लेने वाले ब्लागर्स को सुचित किया जाता है कि यह यात्रा तीन सप्ताह में पूरी की जायेगी. यात्रा अधूरी छोडकर आने की परमिशन किसी भी हालत में नही दी जायेगी.
2. इन तीनों जगह की यात्रा ताऊ कैट एयरवेज (कार्टून श्री काजलकुमार जी के सौजन्य से) के एयरक्राफ़्ट से करवाई जायेगी. इस एयरक्राफ़्ट से ताऊ की मरखनी भैंस चंपाकली भी साथ जायेगी जिससे किसी भी यात्री को दूध की कमी ना हो.
इसके अतिरिक्त यात्रियों की सुरक्षा एवम हैंगर में एयरक्राफ़्ट की देखभाल व तकनीकी सुधार का कार्य भी चंपाकली ही देखेगी यानि चंपाकली ही फ़्लाईट इंजीनियर का भी दायित्व संभालेगी.
3. यात्रा के दौरान खाने में श्री अभिषेक ओझा की तरफ़ से "चिकन आलाफ़ूस" (निरामिष) आवश्यक तौर पर परोसा जायेगा जिसे खाना कंपलसरी होगा, इसके सेवन से बीमार पडने की संभावना खत्म हो जायेगी. अपनी पसंद का खाना आप रजिस्ट्रेशन के समय ही लिखवा देवें. खाने का यह मेन्यू सुश्री रचना जी के सौजन्य से प्राप्त हुआ है और उन्हीं को इसका प्रायोजन दिया गया है. अपनी पसंद का खाना आप यहां पर मेन्यू देखकर सलेक्ट कर सकते हैं.
4. इस सम्मेलन में भाग लेने वाले ब्लागरों में से ही किसी को सर्वसम्मति से "अंतर्राष्ट्रीय ब्लोगर शिरोमणि अवार्ड" दिया जायेगा. इसकी एक विशेषता यह होगी कि यह अवार्ड श्री खुशदीप सहगल वाले मक्खन के हाथों प्रदान किया जायेगा जो कि बडे सौभाग्य की बात होगी.
5. भाग लेने वाले हर ब्लागर के लिये किसी ना किसी तरह के सम्मान की व्यवस्था आवश्यक रूप से की गई है, अत: यह मौका हाथ से ना जाने दें.
6. वर्किंग कमेटी और केंद्रीय कमेटी का गठन भी समारोह के दौरान ही किया जायेगा.
7. "अंतर्राष्ट्रीय ब्लोगर शिरोमणि अवार्ड" समारोह के टेलिकास्ट के आजीवन अधिकार "ताऊ टीवी फ़ोडके चैनल" को दे दिये गये हैं.
8. ताऊ की "कैट एयरवेज" इस समारोह की आजीवन एयर लाईन रहेगी.
9. इस समारोह में ताऊ सद साहित्य प्रकाशन की पुस्तकों एवम ताऊ ब्रांड दवाओं की बिक्री भी की जायेगी. अन्य कोई ब्रांड का सामान नही बिकेगा.
10. "अंतर्राष्ट्रीय ब्लोगर शिरोमणि अवार्ड" समारोह इस साल से प्रति वर्ष आयोजित किया जाना तय हुआ है. अगले साल के लिये इस समारोह को प्रायोजित करने वाले इच्छुक लोग फ़ीस इत्यादि के लिये ताऊ श्री रामपुरिया से संपर्क करके जानकारी प्राप्त सकते हैं. एक से ज्यादा प्रायोजक होने की स्थिति में प्रायोजक का चुनाव बोली लगवा कर किया जायेगा, जो ज्यादा बोली लगायेगा, उसी के यहां अगला समारोह आयोजित होगा. अगले साल के समारोह स्थल की घोषणा, पिटसबर्ग सम्मेलन के दौरान कर दी जायेगी.
शेष अगले भाग में.......
(क्रमश:)
काश हम ताऊ ना होकर मामा होते !
बाबाश्री ताऊ महाराज आश्रम में उदास से बैठे हुये थे कि इतने में परम भक्त सतीश सक्सेना जी प्रकट हुये. ताऊ महाराज को उदास देखकर वो बडे चिंतित हुये और स्वाभाविक रूप से जिज्ञासा प्रकट करना चाहकर भी कुछ बोल नही पाये, क्योंकि ताऊश्री उस समय बेहद गंभीर चिंतन की मुद्रा में थे. सतीश जी ने इससे पहले बाबाश्री को इस तरह गंभीर मुद्रा में कभी नही देखा था सो चुपचाप अपना आसन ग्रहण कर किया.
कुछ देर बाद बाबाश्री से सतीश जी ने पूछा - ताऊ श्री आज आप उदास से क्यों हैं? क्या परेशानी खडी हो गयी?
ताऊ महाराज बोले - भक्त, हमारे साथ बहुत बडा छल हुआ है. त्रेता युग में माता सीता ने हमे जबरन ताऊ बना दिया था. आज पता चला कि ताऊ बनने में कोई फ़ायदा नही हुआ. इतने युगों से हम बस फ़ोकट के ताऊ बने घूमते हैं और मिला क्या? छोटी मोटी चोरी चकोरी के अलावा? कोई बडा हाथ नही मार पाये आज तक. और ना ही हमारे भतीजों के लिये कुछ कर पाये. काश हम मामा होते तो हम और हमारे भांजे आज मलाई मार रहे होते. काश हम मामा होते तो अपने भांजो को मौज करवाते..अपनी जेब से ना सही जनता की जेब ही करवाते. हाय...हम मामा क्यों ना हुये......
सतीश जी ने आश्चर्यचकित होकर पूछा - महाराज श्री आपको कहीं सन्निपात तो नही हो गया है? आप क्या बोल रहे हैं यह आपको मालूम भी है?
ताऊ महाराज तैश में आते हुये बोले - भक्त हम पूरे होशोहवाश में हैं. माता सीता ने हमें ताऊ होने का वरदान देकर वैसे ही छला है जैसे भोलेनाथ ने भस्मासुर को छला था. हमें ताऊ बनकर क्या मिला? बस दस बीस टिप्पणियां? या कोई भला ब्लागर हो तो ताऊ के साथ बस जी लगा देता है.......
सतीश सक्सेना - पर ताऊश्री, आप इतना उबाल क्यों खा रहे हैं? हुआ क्या है आखिर?
ताऊ श्री बोले - सतीश जी, यदि माता सीता हमें ताऊ की जगह मामा बनने का वरदान दे देती तो आज हम भी क्या बडी बडी कोठियों में ना रहते? हमारे पास भी निजी जेट-प्लेन ना होता? इतने युगों बाद भी हमारे पास क्या है? सिर्फ़ ये टूटा फ़ूटा झौंपडेनुमा आश्रम? और थोडे बहुत ब्लागर भक्त....जो ताऊ समझकर दस बीस रूपये (टिप्पणियां) की भेंट दक्षिणा चढा देते हैं और हमें उनसे ही गुजारा करना पडता है?
सतीश जी - तो ताऊ श्री, आपको अच्छी इज्जत मान मर्यादा मिली हुई है...अब और क्या चाहिये?
ताऊ श्री तैश में आते हुये बोले - भाड में गयी ऐसी इज्जत और मान मर्यादा....आपको मालूम है मामा बनने के कितने फ़ायदे है? पौराणिक काल से मामा भांजों की जुगलबंदी चलती है...कभी ताऊ भतीजे की जुगलबंदी सुनी आपने? काश माता सीता ने हमें मामा बना दिया होता.
सतीश जी बोले - ताऊ श्री, लगता है आज आपका दिमाग सटक गया है.....आपको मालूम भी है हमारे दिल्ली के पास शाहपुर जट इलाके में तो मामा शब्द को गाली समझा जाता है और आप हैं कि मामा बनने पर तुले हुये हैं?
बाबाश्री बोले - सतीश जी, हमें ताऊ बनकर माया मिली ना राम वाली कहावत याद आ रही है. त्रेता में रावण का मामा मारीच था ना, कितने मजे किये मामा ने भांजे के साथ मिलकर? इतिहास में अमर हो गया? राम रावण युद्ध का श्रेय भी मामा मारीच को मिला...हमें क्या मिला?
सतीश जी कुछ बोलते इसके पूर्व ही ताऊ श्री ने उनको रूकने का इशारा करते हुये बोलना चालू रखा - हां तो, त्रेता के बाद द्वापर में मामा कंस को देख लिजीये. मामा कंस ने ही भांजे कृष्ण को अवतारी कृष्ण बनवा दिया, ना मामा कंस होता और ना साधारण सा ग्वालिया अवतारी कृष्ण होता. यहां भी मामा कंस को ही सारा श्रेय जाता है. यहां भी मामा भांजे की जुगलबंदी ने दोनों को इतिहास पुरूष बना दिया.
सतीश जी बोले - ताऊश्री, आप को मामा कंस की स्वयं से तुलना नही करनी चाहिये, आप आदरणीय ताऊ हैं और कंस एक अत्याचारी.....
बीच में ही बात काटते हुये ताऊश्री बोले - सतीश जी, आप दुनियादारी और इतिहास की बात समझते नही हैं. इतिहास मामा गाथाओं से भरा पडा है. आप मामा शकुनि और भांजे दुर्योधन को ही देख लिजीये, मामा के सहयोग के बिना क्या दुर्योधन की ताकत थी कि पांडवों को जुए में हरा देता? महाभारत युद्ध में मामा शल्य और उनके भांजे कर्ण की जुगलबंदी देख लिजीये.....
सतीश जी का सर चकराने लगा सो सर पकड कर टुकुर टुकुर ताऊ श्री की तरफ़ देखते रहे और ताऊश्री का भाषण चालू रहा - सतीश जी, सारे इतिहास को छान लिजीये, सभी कामों का श्रेय कहीं ना कहीं मामा भांजों की जुगलबंदी को ही जाता है, ताऊ भतीजों को नही. महाभारत युद्ध के पश्चात मामा कृपाचार्य ने भांजे अश्वत्थामा द्वारा ही द्रौपदी के पांच पुत्रों का सर कलम करवा दिया था......मामा माहिल के कारण ही आल्हा-ऊदल जैसे भाई एक दूसरे के बैरी होकर जंग करने लगे......
सतीश जी बीच में ही बोले - पर ताऊश्री, ये तो सब निगेटिव करेक्टर माने जाते हैं...फ़िर आप मामा बनने के लिये इतने व्यग्र क्यों हो रहे हैं?
बाबा ताऊश्री बोले - करेक्टर कैसा भी हो, माल और मलाई तो मामा भांजे की जुगल बंदी में ही आती है. नाम भी बडा होता है, कहीं मामा-भांजे की कब्र पर झाड फ़ूंक होती है, कहीं मामा - भांजे के मंदिर बनते हैं पर ताऊ भतीजों के आज तक सुनने में नहीं आये.
सतीश जी बोले - ताऊश्री यदि नाम और माल का इतना ही शौक है तो किसी भतीजे को साथ लेकर आप भी जुगलबंदी कर लो, इसमें कौन सी बडी बात है? आप कहें तो मैं किसी भतीजे से आपकी सेटिंग बैठवा देता हूं....
ताऊश्री बोले - सतीश जी, आप यही बात तो समझ नही रहे हैं.......ताऊ भतीजे की जुगलबंदी बैठ ही नही सकती, क्योंकि दोनों का एक ही सरनेम होता है. मान लिजिये मामा बंसल अपने किसी बेटे भतीजे के साथ जुगलबंदी करता तो वो भतीजा भी बंसल ही होता ना. मामा बंसल ने असली मामा होने का परिचय दिया और भांजे सिंगला के साथ जुगलबंदी करके माल ऐसे ही कूटा, जैसे रोड कूटते हैं.... ये तो बुरा हो इन सत्यानाशी सरकारी एजेंसियों का जिन्होने मामा बंसल और भांजे सिंगला का रिश्ता पकड लिया वर्ना हिंदुस्थान में सिंगला नाम की कोई प्रजाति रहती है यह भी कोई नही जान पाता, और मामा भांजों की यह जुगलबंदी इस सरकार के रहने तक तो चलती ही रहती......
सतीश जी भी ताऊश्री की बातों के आगे निरूत्तर होगये और इधर बाबाश्री का संध्या भजन का समय हो चला था सो वो अपनी मौज में भजन गाने लगे......
कसम खुदा की हमने कैसे देश को लूट के खाया है !!
मामू तेरे राज
में हमको
कुछ बेनिफिट
आया है !
आज रात ही
मुझको
चेयरमैन का
सपना आया है !
एक नौकरी में
ही मामू एक
करोड़ कमाया है !
मगर कसम से
मामू मेरा, पेट न
इससे भरता है
जब तक तू हैं
मंत्री पद पर
घर तो हमारा
भरता है !
प्लाट ख़रीदे
फ्लैट ख़रीदे
मज़ा न मुझको आता है
बड़े बड़े है पैसे वाले
हमको मज़ा न आता है
कोई ऐसा काम बताओ
जो धन का अम्बार लगे
बरसों खाएं खूब लुटाएं
घर में धन का पेड़ लगे ,
कुछ देर बाद बाबाश्री से सतीश जी ने पूछा - ताऊ श्री आज आप उदास से क्यों हैं? क्या परेशानी खडी हो गयी?
ताऊ महाराज बोले - भक्त, हमारे साथ बहुत बडा छल हुआ है. त्रेता युग में माता सीता ने हमे जबरन ताऊ बना दिया था. आज पता चला कि ताऊ बनने में कोई फ़ायदा नही हुआ. इतने युगों से हम बस फ़ोकट के ताऊ बने घूमते हैं और मिला क्या? छोटी मोटी चोरी चकोरी के अलावा? कोई बडा हाथ नही मार पाये आज तक. और ना ही हमारे भतीजों के लिये कुछ कर पाये. काश हम मामा होते तो हम और हमारे भांजे आज मलाई मार रहे होते. काश हम मामा होते तो अपने भांजो को मौज करवाते..अपनी जेब से ना सही जनता की जेब ही करवाते. हाय...हम मामा क्यों ना हुये......
सतीश जी ने आश्चर्यचकित होकर पूछा - महाराज श्री आपको कहीं सन्निपात तो नही हो गया है? आप क्या बोल रहे हैं यह आपको मालूम भी है?
ताऊ महाराज तैश में आते हुये बोले - भक्त हम पूरे होशोहवाश में हैं. माता सीता ने हमें ताऊ होने का वरदान देकर वैसे ही छला है जैसे भोलेनाथ ने भस्मासुर को छला था. हमें ताऊ बनकर क्या मिला? बस दस बीस टिप्पणियां? या कोई भला ब्लागर हो तो ताऊ के साथ बस जी लगा देता है.......
सतीश सक्सेना - पर ताऊश्री, आप इतना उबाल क्यों खा रहे हैं? हुआ क्या है आखिर?
ताऊ श्री बोले - सतीश जी, यदि माता सीता हमें ताऊ की जगह मामा बनने का वरदान दे देती तो आज हम भी क्या बडी बडी कोठियों में ना रहते? हमारे पास भी निजी जेट-प्लेन ना होता? इतने युगों बाद भी हमारे पास क्या है? सिर्फ़ ये टूटा फ़ूटा झौंपडेनुमा आश्रम? और थोडे बहुत ब्लागर भक्त....जो ताऊ समझकर दस बीस रूपये (टिप्पणियां) की भेंट दक्षिणा चढा देते हैं और हमें उनसे ही गुजारा करना पडता है?
सतीश जी - तो ताऊ श्री, आपको अच्छी इज्जत मान मर्यादा मिली हुई है...अब और क्या चाहिये?
ताऊ श्री तैश में आते हुये बोले - भाड में गयी ऐसी इज्जत और मान मर्यादा....आपको मालूम है मामा बनने के कितने फ़ायदे है? पौराणिक काल से मामा भांजों की जुगलबंदी चलती है...कभी ताऊ भतीजे की जुगलबंदी सुनी आपने? काश माता सीता ने हमें मामा बना दिया होता.
सतीश जी बोले - ताऊ श्री, लगता है आज आपका दिमाग सटक गया है.....आपको मालूम भी है हमारे दिल्ली के पास शाहपुर जट इलाके में तो मामा शब्द को गाली समझा जाता है और आप हैं कि मामा बनने पर तुले हुये हैं?
बाबाश्री बोले - सतीश जी, हमें ताऊ बनकर माया मिली ना राम वाली कहावत याद आ रही है. त्रेता में रावण का मामा मारीच था ना, कितने मजे किये मामा ने भांजे के साथ मिलकर? इतिहास में अमर हो गया? राम रावण युद्ध का श्रेय भी मामा मारीच को मिला...हमें क्या मिला?
सतीश जी कुछ बोलते इसके पूर्व ही ताऊ श्री ने उनको रूकने का इशारा करते हुये बोलना चालू रखा - हां तो, त्रेता के बाद द्वापर में मामा कंस को देख लिजीये. मामा कंस ने ही भांजे कृष्ण को अवतारी कृष्ण बनवा दिया, ना मामा कंस होता और ना साधारण सा ग्वालिया अवतारी कृष्ण होता. यहां भी मामा कंस को ही सारा श्रेय जाता है. यहां भी मामा भांजे की जुगलबंदी ने दोनों को इतिहास पुरूष बना दिया.
सतीश जी बोले - ताऊश्री, आप को मामा कंस की स्वयं से तुलना नही करनी चाहिये, आप आदरणीय ताऊ हैं और कंस एक अत्याचारी.....
बीच में ही बात काटते हुये ताऊश्री बोले - सतीश जी, आप दुनियादारी और इतिहास की बात समझते नही हैं. इतिहास मामा गाथाओं से भरा पडा है. आप मामा शकुनि और भांजे दुर्योधन को ही देख लिजीये, मामा के सहयोग के बिना क्या दुर्योधन की ताकत थी कि पांडवों को जुए में हरा देता? महाभारत युद्ध में मामा शल्य और उनके भांजे कर्ण की जुगलबंदी देख लिजीये.....
सतीश जी का सर चकराने लगा सो सर पकड कर टुकुर टुकुर ताऊ श्री की तरफ़ देखते रहे और ताऊश्री का भाषण चालू रहा - सतीश जी, सारे इतिहास को छान लिजीये, सभी कामों का श्रेय कहीं ना कहीं मामा भांजों की जुगलबंदी को ही जाता है, ताऊ भतीजों को नही. महाभारत युद्ध के पश्चात मामा कृपाचार्य ने भांजे अश्वत्थामा द्वारा ही द्रौपदी के पांच पुत्रों का सर कलम करवा दिया था......मामा माहिल के कारण ही आल्हा-ऊदल जैसे भाई एक दूसरे के बैरी होकर जंग करने लगे......
सतीश जी बीच में ही बोले - पर ताऊश्री, ये तो सब निगेटिव करेक्टर माने जाते हैं...फ़िर आप मामा बनने के लिये इतने व्यग्र क्यों हो रहे हैं?
बाबा ताऊश्री बोले - करेक्टर कैसा भी हो, माल और मलाई तो मामा भांजे की जुगल बंदी में ही आती है. नाम भी बडा होता है, कहीं मामा-भांजे की कब्र पर झाड फ़ूंक होती है, कहीं मामा - भांजे के मंदिर बनते हैं पर ताऊ भतीजों के आज तक सुनने में नहीं आये.
सतीश जी बोले - ताऊश्री यदि नाम और माल का इतना ही शौक है तो किसी भतीजे को साथ लेकर आप भी जुगलबंदी कर लो, इसमें कौन सी बडी बात है? आप कहें तो मैं किसी भतीजे से आपकी सेटिंग बैठवा देता हूं....
ताऊश्री बोले - सतीश जी, आप यही बात तो समझ नही रहे हैं.......ताऊ भतीजे की जुगलबंदी बैठ ही नही सकती, क्योंकि दोनों का एक ही सरनेम होता है. मान लिजिये मामा बंसल अपने किसी बेटे भतीजे के साथ जुगलबंदी करता तो वो भतीजा भी बंसल ही होता ना. मामा बंसल ने असली मामा होने का परिचय दिया और भांजे सिंगला के साथ जुगलबंदी करके माल ऐसे ही कूटा, जैसे रोड कूटते हैं.... ये तो बुरा हो इन सत्यानाशी सरकारी एजेंसियों का जिन्होने मामा बंसल और भांजे सिंगला का रिश्ता पकड लिया वर्ना हिंदुस्थान में सिंगला नाम की कोई प्रजाति रहती है यह भी कोई नही जान पाता, और मामा भांजों की यह जुगलबंदी इस सरकार के रहने तक तो चलती ही रहती......
सतीश जी भी ताऊश्री की बातों के आगे निरूत्तर होगये और इधर बाबाश्री का संध्या भजन का समय हो चला था सो वो अपनी मौज में भजन गाने लगे......
कसम खुदा की हमने कैसे देश को लूट के खाया है !!
मामू तेरे राज
में हमको
कुछ बेनिफिट
आया है !
आज रात ही
मुझको
चेयरमैन का
सपना आया है !
एक नौकरी में
ही मामू एक
करोड़ कमाया है !
मगर कसम से
मामू मेरा, पेट न
इससे भरता है
जब तक तू हैं
मंत्री पद पर
घर तो हमारा
भरता है !
प्लाट ख़रीदे
फ्लैट ख़रीदे
मज़ा न मुझको आता है
बड़े बड़े है पैसे वाले
हमको मज़ा न आता है
कोई ऐसा काम बताओ
जो धन का अम्बार लगे
बरसों खाएं खूब लुटाएं
घर में धन का पेड़ लगे ,
भले साकी न दे, ताले बिना एक मयकदा दे दे !
वक्त इक मौज का दरिया है, आता है चला जाता
ले मौज तू दुनिया की, गुजरा समय नहीं आता !
*****
खुदा से चार दिन लेकर , तेरी औकात ही क्या है ?
अगर कट जाएँ मौजों में, भला सौगात ही क्या है !
*****
मज़े हैं जिंदगानी के,कि जब तक सांस चलती है
जिन्हें लेना है मौजें वे, भगे हालात से कब हैं !
*****
वह मांगते सौ साल , अपनी उम्र के, रब से
हमें रब खूबसूरत एक लम्हा ही,अता कर दे !
*****
अँधेरी रात में मौला , मेरे दामन में कुछ दे दे !
भले साकी न दे, ताले बिना एक मयकदा दे दे !

ताऊ टीवी का "पति पीटो रियलीटी शो"
ताऊ डाट इन की एक पोस्ट "ताऊ टीवी का पति पीटो रियलीटी शो" मेट्रो टच के जून 2013 अंक में प्रकाशित हुई है जिसकी स्केन कापी नीचे दी है. स्केन कापी में छोटे अक्षरों की वजह से दिक्कत हो सकती है अत: पूरी मूल पोस्ट नीचे दी गई है.
नमस्कार बहनों और भाईयों! मैं रमलू सियार ताऊ टीवी का चीफ़ रिपोर्टर सुबह 4:44 के ताजा तरीन बुलेटिन में आपका हार्दिक स्वागत करता हूं.
13. सभी प्रतियोगियों का हाऊस में प्रवेश से पूर्व डाक्टरी परीक्षण अनिवार्य रूप से किया जायेगा. पुरूष प्रतियोगियों का परीक्षण डाँ. झटका द्वारा किया जायेगा और सभी महिला प्रतियोगियों का परीक्षण डाँ. रामप्यारी करेंगी. डाक्टरी परीक्षण में फ़ेल हुये प्रतियोगियों को किसी भी हालत में शो में भाग नही लेने दिया जायेगा.
ताऊ टीवी का "पति पीटो रियलीटी शो"
जैसा की आप जानते हैं कि ताऊ टीवी हमेशा ही अपने अनोखे और नये नये कार्यक्रमों के लिये कुख्यात है. ठीक उसी श्रंखला में हम अबकि बार आपके लिये ले आये हैं एक दम अनूठा "पति पीटो रियलिटी शो" तो आईये अब मैं इस खास और गर्मागर्म शो की कुछ जानकारी आपको देता हूं.
इस पति पीटो रियलिटी शो का अनूठा आईडिया हम खास आपके मनोरंजन के लिये लाये हैं. जैसे हमारे पिछले रियलिटी शो "पत्नि को पीटकर मजा आ गया" में हमने पत्नि पीटूओं का कांपीटीशन करवाया था अबकि बार ठीक इसका उल्टा थीम है हमारे शो "पति पीटो रियलिटी शो" का.
ताऊ टीवी के इस पति पीटो रियलिटी शो के मदारी....मेरा मतलब शो के निर्णायक होंगे श्रीमान रामप्यारे उर्फ़ "प्यारे". जिनकी काबिलियत और इमानदारी पर किसी को कोई शक नही है और ना आपको होगा.
इस शो की विशेषता है कि इस शो के दो बास होंगे. जी हां दो बास हमने इस लिये रखे हैं जिससे विजेता के निर्णय में कोई गडबड नही हो. वैसे तो रामप्यारे ही सक्षम हैं इस काम के लिये. पर कोई विवाद खडा होता है तो अंतिम निर्णय इन दोनों बास का ही माना जायेगा.
आईये अब आपको मिलवाते हैं इन बास लोगों से...जी हां ये हैं ताऊ बास और काजल बास....आईये स्वागत किजिये इस अनूठे शो "पति पीटो रियलिटी शो" के कर्ता धर्ता इन दोनों बास लोगों का.
1. इस प्रतियोगिता में सिर्फ़ वही पुरुष हिस्सा ले सकता है जो शादीशुदा हो. तलाक शुदा और विधुर भी चलेगे यानि जो पुरूष एक बार पतित्व को प्राप्त होचुका हो पर कुंआरे लडके इस प्रतियोगिता में हिस्सा नही ले सकते. कृपया प्रमाण पत्र साथ लावें.
2. महिलाओं पर कोई प्रतिबंध नही है. उनका शादीशुदा होना जरूरी नही है.
3. इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाली महिलाओं को लठ्ठ चलाने का अभ्यासी होना जरूरी है. जो महिला दो मिनट में 20 लठ्ठ मार सकती हो, कृपया वही आवेदन करे. अगर दो मिनट में इससे ज्यादा लठ्ठ चला सकती हो तो यह अतिरिक्त योग्यता मानी जायेगी. बदलाव के लिये अगर महिला प्रतियोगी चाहे तो लठ्ठ की जगह चार किलो वजन का हथोडा भी पुरुष प्रतियोगी के सर पर मार सकती है.

2. महिला प्रतियोगी पुरुष के सर पर हथोडा मारते हुये
4. इस प्रतियोगिता में एक पुरुष को एक बार में एक महिला ही पीट सकती है. एक साथ दो महिलाएं नही पीट सकती.
5. पुरुष प्रतियोगी हाऊस के अंदर महिलाओं को नही पीट सकता. वह सिर्फ़ पिट सकता है. इस खेल में मायनस मार्किंग का रूल लागू रहेगा. जैसे किसी महिला प्रतियोगी ने कितने लठ्ठ मारे और पिटने वाले पुरुष प्रतियोगी ने उसके कितने वार बचा लिये? शो का अंतिम फ़ैसला इस आधार पर होगा.
6. महिला प्रतियोगी जब तक चाहे इस प्रतियोगिता में बनी रह सकती है. लेकिन जब तक वो कम से कम एक हजार लठ्ठ विभिन्न पुरूष प्रतियोगियों को नही मार लेती तब तक उसे हाऊस में ही रहना पडेगा, यानि 1000 लठ्ठ मारे बिना उसे हाऊस से बाहर किसी भी हालत में नही जाने दिया जायेगा.
7. पुरुष प्रतियोगी कृपया ध्यान देवें - पुरूष प्रतियोगियों को किसी भी हालत में हाऊस से बाहर निकलने का उपाय नही होगा. अत: सोच समझकर इंट्री लेवें. अगर एक बार हाऊस में घुस गये तो सिर्फ़ बास लोगों की परमिशन से ही बाहर निकल सकते हैं. और बास लोगों को भी सिर्फ़ उसी पुरुष प्रतियोगी को बाहर जाने की इजाजत देने का अधिकार होगा जो प्रतियोगी पिटते पिटते मरणासन्न होकर ताऊ धाम पहुंचने की स्थिति में आ चुका होगा. ऐसे पुरुष प्रतियोगियों का डाक्टर झटका द्वारा परिक्षण किया जाकर उन्हें प्रतियोगिता में अक्षम घोषित किया जाना जरूरी होगा.
8. "पति पीटो रियलीटी शो" में कदम कदम पर कैमरे लगे होंगे. रसोईघर, बाथरूम, हाल, इत्यादि के अलावा खाने पीने के बर्तनों, नहाने के साबुन, टुथब्रश, पढने की मैगजीन्स, आपके पहनने के कपडों तक में कैमरे लगे होंगे. अत: आप बेईमानी करने का सोचें भी नही. इस शर्त का पालन हर प्रतियोगी के लिये अनिवार्य होगा एवम सहमति पत्र पर दस्तखत करके देने होंगे.
9. महिला प्रतियोगियों को आठ किलो वजन वाला मेड-इन-जर्मन लठ्ठ चलाने का अभ्यासी होना जरूरी है. प्रवेश सिर्फ़ उन्हीं महिलाओं को दिया जायेगा जो एक बार में उक्त लठ्ठ से कम से कम 51 लठ्ठ एक बार में मारने की क्षमता रखती हों. इस नियम में कोई छूट नही दी जायेगी. इस बारे में अन्य विशेष नियमों की जानकारी रोजमर्रा स्तर पर आपको हाऊस में दी जाती रहेगी.
10. पुरुष और महिला प्रतियोगियों से निवेदन है कि निराशा से बचने के लिये कृपया तुरंत अपना रजिस्ट्रेशन करवा लें.
11. इस प्रतियोगिता में भाग लेने की कोई फ़ीस नही है अत: ठगों से बचकर रहें.
12. बास लोगों को किसी को भी वाईल्ड कार्ड इंट्री देने का अधिकार होगा.
इस पति पीटो रियलिटी शो का अनूठा आईडिया हम खास आपके मनोरंजन के लिये लाये हैं. जैसे हमारे पिछले रियलिटी शो "पत्नि को पीटकर मजा आ गया" में हमने पत्नि पीटूओं का कांपीटीशन करवाया था अबकि बार ठीक इसका उल्टा थीम है हमारे शो "पति पीटो रियलिटी शो" का.
ताऊ टीवी के इस पति पीटो रियलिटी शो के मदारी....मेरा मतलब शो के निर्णायक होंगे श्रीमान रामप्यारे उर्फ़ "प्यारे". जिनकी काबिलियत और इमानदारी पर किसी को कोई शक नही है और ना आपको होगा.
इस शो की विशेषता है कि इस शो के दो बास होंगे. जी हां दो बास हमने इस लिये रखे हैं जिससे विजेता के निर्णय में कोई गडबड नही हो. वैसे तो रामप्यारे ही सक्षम हैं इस काम के लिये. पर कोई विवाद खडा होता है तो अंतिम निर्णय इन दोनों बास का ही माना जायेगा.
आईये अब आपको मिलवाते हैं इन बास लोगों से...जी हां ये हैं ताऊ बास और काजल बास....आईये स्वागत किजिये इस अनूठे शो "पति पीटो रियलिटी शो" के कर्ता धर्ता इन दोनों बास लोगों का.
1. ताऊ बास और काजल बास के मध्य हैं नीर क्षीर निर्णायक "रामप्यारे"
पति पीटो रियलीटी शो के नियम
1. इस प्रतियोगिता में सिर्फ़ वही पुरुष हिस्सा ले सकता है जो शादीशुदा हो. तलाक शुदा और विधुर भी चलेगे यानि जो पुरूष एक बार पतित्व को प्राप्त होचुका हो पर कुंआरे लडके इस प्रतियोगिता में हिस्सा नही ले सकते. कृपया प्रमाण पत्र साथ लावें.
2. महिलाओं पर कोई प्रतिबंध नही है. उनका शादीशुदा होना जरूरी नही है.
3. इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाली महिलाओं को लठ्ठ चलाने का अभ्यासी होना जरूरी है. जो महिला दो मिनट में 20 लठ्ठ मार सकती हो, कृपया वही आवेदन करे. अगर दो मिनट में इससे ज्यादा लठ्ठ चला सकती हो तो यह अतिरिक्त योग्यता मानी जायेगी. बदलाव के लिये अगर महिला प्रतियोगी चाहे तो लठ्ठ की जगह चार किलो वजन का हथोडा भी पुरुष प्रतियोगी के सर पर मार सकती है.
4. इस प्रतियोगिता में एक पुरुष को एक बार में एक महिला ही पीट सकती है. एक साथ दो महिलाएं नही पीट सकती.
5. पुरुष प्रतियोगी हाऊस के अंदर महिलाओं को नही पीट सकता. वह सिर्फ़ पिट सकता है. इस खेल में मायनस मार्किंग का रूल लागू रहेगा. जैसे किसी महिला प्रतियोगी ने कितने लठ्ठ मारे और पिटने वाले पुरुष प्रतियोगी ने उसके कितने वार बचा लिये? शो का अंतिम फ़ैसला इस आधार पर होगा.
6. महिला प्रतियोगी जब तक चाहे इस प्रतियोगिता में बनी रह सकती है. लेकिन जब तक वो कम से कम एक हजार लठ्ठ विभिन्न पुरूष प्रतियोगियों को नही मार लेती तब तक उसे हाऊस में ही रहना पडेगा, यानि 1000 लठ्ठ मारे बिना उसे हाऊस से बाहर किसी भी हालत में नही जाने दिया जायेगा.
7. पुरुष प्रतियोगी कृपया ध्यान देवें - पुरूष प्रतियोगियों को किसी भी हालत में हाऊस से बाहर निकलने का उपाय नही होगा. अत: सोच समझकर इंट्री लेवें. अगर एक बार हाऊस में घुस गये तो सिर्फ़ बास लोगों की परमिशन से ही बाहर निकल सकते हैं. और बास लोगों को भी सिर्फ़ उसी पुरुष प्रतियोगी को बाहर जाने की इजाजत देने का अधिकार होगा जो प्रतियोगी पिटते पिटते मरणासन्न होकर ताऊ धाम पहुंचने की स्थिति में आ चुका होगा. ऐसे पुरुष प्रतियोगियों का डाक्टर झटका द्वारा परिक्षण किया जाकर उन्हें प्रतियोगिता में अक्षम घोषित किया जाना जरूरी होगा.
8. "पति पीटो रियलीटी शो" में कदम कदम पर कैमरे लगे होंगे. रसोईघर, बाथरूम, हाल, इत्यादि के अलावा खाने पीने के बर्तनों, नहाने के साबुन, टुथब्रश, पढने की मैगजीन्स, आपके पहनने के कपडों तक में कैमरे लगे होंगे. अत: आप बेईमानी करने का सोचें भी नही. इस शर्त का पालन हर प्रतियोगी के लिये अनिवार्य होगा एवम सहमति पत्र पर दस्तखत करके देने होंगे.
9. महिला प्रतियोगियों को आठ किलो वजन वाला मेड-इन-जर्मन लठ्ठ चलाने का अभ्यासी होना जरूरी है. प्रवेश सिर्फ़ उन्हीं महिलाओं को दिया जायेगा जो एक बार में उक्त लठ्ठ से कम से कम 51 लठ्ठ एक बार में मारने की क्षमता रखती हों. इस नियम में कोई छूट नही दी जायेगी. इस बारे में अन्य विशेष नियमों की जानकारी रोजमर्रा स्तर पर आपको हाऊस में दी जाती रहेगी.
10. पुरुष और महिला प्रतियोगियों से निवेदन है कि निराशा से बचने के लिये कृपया तुरंत अपना रजिस्ट्रेशन करवा लें.
11. इस प्रतियोगिता में भाग लेने की कोई फ़ीस नही है अत: ठगों से बचकर रहें.
12. बास लोगों को किसी को भी वाईल्ड कार्ड इंट्री देने का अधिकार होगा.
13. सभी प्रतियोगियों का हाऊस में प्रवेश से पूर्व डाक्टरी परीक्षण अनिवार्य रूप से किया जायेगा. पुरूष प्रतियोगियों का परीक्षण डाँ. झटका द्वारा किया जायेगा और सभी महिला प्रतियोगियों का परीक्षण डाँ. रामप्यारी करेंगी. डाक्टरी परीक्षण में फ़ेल हुये प्रतियोगियों को किसी भी हालत में शो में भाग नही लेने दिया जायेगा.
14. दर्शकों के लिये हर एपिसोड में एक सवाल होगा. उस सवाल के सही जवाब देने वालों को ड्रा के जरिये प्रति दिन एक दर्शक को इस प्रतियोगिता में भाग लेने का दुर्लभ अवसर दिया जायेगा. डाक्टरी परीक्षण एवम अन्य शर्तें पूरी करना आवश्यक होगा.
और अब खुश खबरी....इस पति पीटो प्रतियोगिता के लिये काहुल कहाजन और मिस. समीरा टेढी ने वाईल्ड कार्ड इंट्री मांगी थी. बास लोगों ने काहुल कहाजन और मिस. समीरा टेढी को वाईल्ड कार्ड इंट्री दे दी है. काहुल कहाजन बहुत जल्दी हाऊस में पहुचने वाले हैं. और मिस. समीरा टेढी हाऊस में पहुंच चुकी हैं.
हाऊस में पहुंचने पर मिस. टेढी का ताऊ बास, काजल बास और रामप्यारे ने हार फ़ूल पहना कर स्वागत किया और इस पति पीटो रियलिटी शो की चेंपियन बनने कि अग्रिम बधाई भी दी. इसके बाद मिस समीरा टेढी ने हाऊस के जिम में जाकर 15 किलो वजन वाले मेड-इन-जर्मन-लठ्ठ को लगातर तीन घंटे चलाने का अभ्यास किया. इसके बाद आधा घंटे का विश्राम लेकर 10 किलो वजन वाले हथौडे को लगातार तीन घंटे चलाकर अभ्यास किया. इस अभ्यास की रिकार्डिंग की कुछ क्लिप्स आप आज रात 9 बजे ताऊ टीवी पर देख सकेंगे.

4. मिस. समीरा टेढी तैयार हैं काहुल कहाजन का स्वागत करने के लिये.
इसके बाद मिस. समीरा टेढी को प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मिडिया के संवाद दाताओं से मिलवाया गया. और मिस. टेढी भी आज पूरे मूड में थी. उन्होने किसी को भी निराश नही किया. सभी संवाददाताओं के सवालों के जवाब दिये. लेकिन एक पत्रकार द्वारा ऐसा सवाल पूछ लिया गया कि मिस समीरा टेढी का दिमाग सिरे से ही उखड गया.
आईये अब मिस. टेढी के हाऊस में पहुंचने की कुछ झल्कियां ...
हाऊस में पहुंचने पर मिस. टेढी का ताऊ बास, काजल बास और रामप्यारे ने हार फ़ूल पहना कर स्वागत किया और इस पति पीटो रियलिटी शो की चेंपियन बनने कि अग्रिम बधाई भी दी. इसके बाद मिस समीरा टेढी ने हाऊस के जिम में जाकर 15 किलो वजन वाले मेड-इन-जर्मन-लठ्ठ को लगातर तीन घंटे चलाने का अभ्यास किया. इसके बाद आधा घंटे का विश्राम लेकर 10 किलो वजन वाले हथौडे को लगातार तीन घंटे चलाकर अभ्यास किया. इस अभ्यास की रिकार्डिंग की कुछ क्लिप्स आप आज रात 9 बजे ताऊ टीवी पर देख सकेंगे.
इसके बाद मिस. समीरा टेढी को प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मिडिया के संवाद दाताओं से मिलवाया गया. और मिस. टेढी भी आज पूरे मूड में थी. उन्होने किसी को भी निराश नही किया. सभी संवाददाताओं के सवालों के जवाब दिये. लेकिन एक पत्रकार द्वारा ऐसा सवाल पूछ लिया गया कि मिस समीरा टेढी का दिमाग सिरे से ही उखड गया.
अब सवाल ये उठता है कि ....
1. वो सवाल क्या था? जिससे मिस टेढी का दिमाग उखड गया?
2. वो सवाल पूछने वाला पत्रकार कौन था? या पत्रकार के रूप में वो कोई खुन्नस खाया हुआ ब्लागर था?
3. क्या मिस टेढी ने उस सवाल का जवाब दिया?
4. क्या उस पत्रकार ने वो सवाल जानबूझकर पूछा था? या किसी के इशारे पर ये साजिश रची गई थी?
5. क्या उस पत्रकार को मिस टेढी के हाथों लठ्ठ खाने पडे? या बच गया?
ऐसे अनेकों सवाल खडे हो गये हैं. तो बहनों और भाईयो.....इन सब सवालों का जवाब हम आपको देंगे अगले एपिसोड में... इंतजार करते रहिये.....
पत्रकार वार्ता के बाद मिस समीरा टेढी ने सीधे हाऊस में जाकर आराम फ़रमाया. शाम को चाय पीने के बाद मिस टेढी मूड फ़्रेश करने के लिये "पति पीटो रियलिटी शो" के शानदार बगीचे में सैर करने को निकल पडी.

5. पत्रकार वार्ता के बाद पति पीटो रियलिटी शो के बगीचे में सैर करती हुई मिस टेढी
चूंकी हाऊस में आज पहले दिन मिस समीरा टेढी अकेली ही पहुंची हैं सो आठ बजे रात के भोजन के बाद वो सोने चली गई. रात को क्या कुछ हुआ? ये पति पीटो रियलिटी शो के कैमरों में रिकार्ड हो चुका है जो हम आपको अगले एपिसोड में दिखायेंगे कि रात 12 बजे से सुबह 3 बजे के बीच मिस समीरा टेढी ने क्या क्या गुल खिलाये? कौन आया था रात 2 बजे उनसे मिलने? यह सब देख कर आप चौंक जायेंगे..... इंतजार करते रहिये.......हम यूं जायेंगे....और कब आयेंगे?....इसका अंदाजा लगाते रहिये......
आज का सवाल
ऊपर चित्र नं 2 में महिला एक पुरुष के सर पर हथोडा मार रही है.
बताईये कि वो पुरूष कौन है?
सही नाम बताने वाले को पति पीटो रियलिटी शो में वाईल्ड कार्ड इंट्री दी जायेगी.
बीमार पडना नेमत है जी भर के बीमार पडिये !
सौ नेमतों की एक नेमत है बीमार पडना. अब ताऊ को कहीं ना जाना हो तो तुरंत बीमार पड जाता है. पिछले सालों में कितने ही ब्लागर सम्मेलनों के न्योते आये, कईयों ने तो सम्मान तक देना पहले से ही आफ़र कर दिया था कि ताऊ बस आप तो चले आवो, आपको सदी का महानतम सम्मान "उल्टी खोपडी टेढी अक्ल" सम्मान से नवाज देंगे.
ताऊ का बीमार पडने का फ़ार्मुला बडा अचूक है जो उसके हर जगह काम आता है. ताऊ किसी उलटे सीधे धंधे यानि चोरी डकैती बेईमानी, जालसाजी में पकडाते ही बीमार पड जाता है और हवालात की बजाये सीधे उसे हास्पीटल में भर्ती करवाना पडता है. पुलिस भी बेचारी क्या करे? उसे ताऊ के माल की वजह से ताऊ सचमुच का बीमार नजर आता है और तरस खाकर उसे लाक अप में ना डालते हुये सीधे किसी अस्पताल के एयरकंडीशंड वार्ड में दाखिल करवाना पडता है.
नेता गिरी में भी ताऊ के यही हाल है. जहां ताऊ को लगता है कि इस सम्मेलन में किसी के पक्ष में खडा होना ही पडेगा तो तुरंत ताऊ को हार्ट अटेक आ जाता है और तुरंत हास्पीटल में भर्ती का बहाना...पार्टी गई तेल लेने. अभी गोवा सम्मेलन में तो ताऊ के इस फ़ार्मुले को कईयों ने आजमाया. यानि बीमार पडना नेमत है जी भर के बीमार पडिये और मजे में रहिये.
ताऊ ने सीधे कभी भी, किसी को भी आने से मना नही किया पर ऐन वक्त पर बीमार जरूर पड गया. ताऊ के पास बीमार पड जाने वाला हथियार जो है. मजाल है जो कभी यह हथियार कहीं भी फ़ेल हुआ हो? अब सामने वाला भी क्या करे? बीमार को बुलवा कर अपना फ़ंक्शन कौन खराब करवाये?
पर एक किस्सा इसका अपवाद जरूर है जब ताऊ के बीमार पडने का फ़ार्मुला काम नहीं आया. हुआ यूं था कि अभी दो साल पहले समीर लाल जी के छोटे बेटे आशु की दिल्ली में शादी थी. समीर लाल जी ने निमंत्रण पत्र तो काफ़ी पहले ही भिजवा दिया था. एक महिने पहले ही फ़ोन करके भी याद दिलाया कि ताऊ शादी में आना है. ताऊ ने अपनी आदत मुताबिक कहा कि आप बेफ़िक्र रहिये मैं पहुंच जाऊंगा. ताऊ के पास तो बीमार पडने वाला अचूक फ़ार्मुला है सो किसी को मना कभी नही करता.
उसी फ़ोन पर समीर जी ने ताऊ से इसी मसले पर राय मांगी कि यार ताऊ मैने एक सम्मेलन में जाने की हां भर दी है और मुझे वहां जाना नहीं है, वो लोग मानेंगे भी नही, क्या करूं? ताऊ बोला - इसमे इतना चिंतित होने की क्या बात है? जिस दिन सम्मेलन है उस दिन सुबह आयोजकों को फ़ोन कर दीजिये कि साहब मेरी बडी इच्छा थी आप लोगों से सम्मेलन में भेंट करने की. पर क्या करूं मुझे आज सुबह सुबह ही ये कमबख्त लूज मोशन हो गये हैं, ये जबलपुरिया पानी आजकल कुछ ठीक नही लग रहा है. मैं क्षमा चाहता हूं और सम्मेलन की सफ़लता की शुभकामनाएं देता हूं.
ताऊ के मुंह से ये नायाब फ़ुल प्रूफ़ फ़ार्मुला सुनते ही समीर जी तो उछल पडे और बोले - वाह ताऊ, तुमने तो मेरी सारी चिंता दूर कर दी, मान गये तुमको, चेला हो तो ऐसा, अपने गुरू का खूब नाम रोशन करोगे.
दो दिन बाद समीरलाल जी का वापस फ़ोन आया कि ताऊ मुझे ऐसा क्यों लगता है कि तुमने मुझे जो फ़ार्मुला दिया है वह मुझ पर नही आजमावोगे? तुम ऐन वक्त पर बीमार पडने का बहाना तो नही मारोगे? लगता है तुमने अभी तक टिकट भी बुक नही करवायें होंगे. ताऊ ने हंसकर कहा कि इरादा तो यही था पर अब आपने पकड लिया है तो ठीक है.
समीर जी बोले नही मुझे विश्वास नही है, तुम्हारी खोपडी जबरदस्त रूप से उल्टी है, तुम्हारे पास कुछ और भी फ़ार्मुला होगा, मैं टिकट करवाकर भिजवाता हूं. ताऊ बोला - अब आप चिंता मत किजीये, टिकट मैं करवा रहा हूं. जब तक उनको टिकट की स्केन कापी नही भेजी तब तक समीर जी याद दिलाते रहे. और इस तरह ताऊ दिल्ली में इस शादी की वजह से पहली बार किसी ब्लागर कुंभ में शरीक हुआ जहां अनेक गणमान्य ब्लागर्स से मुलाकात हुई.
उस समय गूजर आंदोलन चल रहा था सो रेल्वे सहित एयर ट्रेफ़िक भी गडबडाया हुआ था. रात को ढाई बजे कोहरे में जैसे तैसे फ़्लाईट लैंड हुई, किसी तरह दिल्ली की कडकडाती सर्दी में होटल पहूंचे जहां शादी की पहली रात होने वाला संगीत समारोह चल रहा था. गेट पर ही समीरलाल जी मिले, देखते ही दोनों गुरू चेले गले मिल गये, इसमे परिचय की जरूरत ही नही लगी. पीछे पीछे साधना भाभी जी भी आ गई और समीर जी ने पूछा कि इन्हें पहचानती हो क्या? छूटते ही भाभी जी बोली - ये ताऊ के अलावा और कोई नही हो सकता. ताऊ ने सोचा कि शायद इन्होने क्राईम पेट्रोल का मोस्ट वांटेड कार्यक्रम वाला ताऊ एपीसोड देखा हुआ है.
अंदर नृत्य संगीत के कार्यक्रम में सब डांस कर रहे थे. एक जवान कपल काफ़ी देर से डांस कर रहा था और बहुत ही खूबसूरती से. ताऊ की नजरें उन पर टिक गई. समीर जी ने धीरे से बताया कि ये दिगंबर नासवा दंपति हैं. थोडी देर बाद श्रीमती और श्री दिगंबर नासवा आकर हमारे और समीर जी के साथ बैठ गये. हमारे बारे में समीर जी ने उनसे पूछा कि इन्हें जानते हो क्या? नासवा जी मना कर दिया. ताऊ ने चैन की सांस ली की चलो ये तो क्राईम पेट्रोल नही देखते वर्ना झंझट खडी हो जाती. नासवा जी को हमारा परिचय देने के पहले हमने उन्हें ताऊ पहेली की तरह कई क्ल्यू दिये पर उनको नहीं पहचानना था सो नही पहचाना. आखिर समीर जी ने काफ़ी मजे लेकर परिचय कराया और सारी रात गप्पें चलती रही. अगले दिन की रिपोर्टिंग अगले भाग में, जब गणमान्य ब्लागर्स से मुलाकात का सौभाग्य मिला.
(शेष अगले भाग में...)
ताऊ का बीमार पडने का फ़ार्मुला बडा अचूक है जो उसके हर जगह काम आता है. ताऊ किसी उलटे सीधे धंधे यानि चोरी डकैती बेईमानी, जालसाजी में पकडाते ही बीमार पड जाता है और हवालात की बजाये सीधे उसे हास्पीटल में भर्ती करवाना पडता है. पुलिस भी बेचारी क्या करे? उसे ताऊ के माल की वजह से ताऊ सचमुच का बीमार नजर आता है और तरस खाकर उसे लाक अप में ना डालते हुये सीधे किसी अस्पताल के एयरकंडीशंड वार्ड में दाखिल करवाना पडता है.
नेता गिरी में भी ताऊ के यही हाल है. जहां ताऊ को लगता है कि इस सम्मेलन में किसी के पक्ष में खडा होना ही पडेगा तो तुरंत ताऊ को हार्ट अटेक आ जाता है और तुरंत हास्पीटल में भर्ती का बहाना...पार्टी गई तेल लेने. अभी गोवा सम्मेलन में तो ताऊ के इस फ़ार्मुले को कईयों ने आजमाया. यानि बीमार पडना नेमत है जी भर के बीमार पडिये और मजे में रहिये.
ताऊ ने सीधे कभी भी, किसी को भी आने से मना नही किया पर ऐन वक्त पर बीमार जरूर पड गया. ताऊ के पास बीमार पड जाने वाला हथियार जो है. मजाल है जो कभी यह हथियार कहीं भी फ़ेल हुआ हो? अब सामने वाला भी क्या करे? बीमार को बुलवा कर अपना फ़ंक्शन कौन खराब करवाये?
पर एक किस्सा इसका अपवाद जरूर है जब ताऊ के बीमार पडने का फ़ार्मुला काम नहीं आया. हुआ यूं था कि अभी दो साल पहले समीर लाल जी के छोटे बेटे आशु की दिल्ली में शादी थी. समीर लाल जी ने निमंत्रण पत्र तो काफ़ी पहले ही भिजवा दिया था. एक महिने पहले ही फ़ोन करके भी याद दिलाया कि ताऊ शादी में आना है. ताऊ ने अपनी आदत मुताबिक कहा कि आप बेफ़िक्र रहिये मैं पहुंच जाऊंगा. ताऊ के पास तो बीमार पडने वाला अचूक फ़ार्मुला है सो किसी को मना कभी नही करता.
उसी फ़ोन पर समीर जी ने ताऊ से इसी मसले पर राय मांगी कि यार ताऊ मैने एक सम्मेलन में जाने की हां भर दी है और मुझे वहां जाना नहीं है, वो लोग मानेंगे भी नही, क्या करूं? ताऊ बोला - इसमे इतना चिंतित होने की क्या बात है? जिस दिन सम्मेलन है उस दिन सुबह आयोजकों को फ़ोन कर दीजिये कि साहब मेरी बडी इच्छा थी आप लोगों से सम्मेलन में भेंट करने की. पर क्या करूं मुझे आज सुबह सुबह ही ये कमबख्त लूज मोशन हो गये हैं, ये जबलपुरिया पानी आजकल कुछ ठीक नही लग रहा है. मैं क्षमा चाहता हूं और सम्मेलन की सफ़लता की शुभकामनाएं देता हूं.
ताऊ के मुंह से ये नायाब फ़ुल प्रूफ़ फ़ार्मुला सुनते ही समीर जी तो उछल पडे और बोले - वाह ताऊ, तुमने तो मेरी सारी चिंता दूर कर दी, मान गये तुमको, चेला हो तो ऐसा, अपने गुरू का खूब नाम रोशन करोगे.
दो दिन बाद समीरलाल जी का वापस फ़ोन आया कि ताऊ मुझे ऐसा क्यों लगता है कि तुमने मुझे जो फ़ार्मुला दिया है वह मुझ पर नही आजमावोगे? तुम ऐन वक्त पर बीमार पडने का बहाना तो नही मारोगे? लगता है तुमने अभी तक टिकट भी बुक नही करवायें होंगे. ताऊ ने हंसकर कहा कि इरादा तो यही था पर अब आपने पकड लिया है तो ठीक है.
समीर जी बोले नही मुझे विश्वास नही है, तुम्हारी खोपडी जबरदस्त रूप से उल्टी है, तुम्हारे पास कुछ और भी फ़ार्मुला होगा, मैं टिकट करवाकर भिजवाता हूं. ताऊ बोला - अब आप चिंता मत किजीये, टिकट मैं करवा रहा हूं. जब तक उनको टिकट की स्केन कापी नही भेजी तब तक समीर जी याद दिलाते रहे. और इस तरह ताऊ दिल्ली में इस शादी की वजह से पहली बार किसी ब्लागर कुंभ में शरीक हुआ जहां अनेक गणमान्य ब्लागर्स से मुलाकात हुई.
उस समय गूजर आंदोलन चल रहा था सो रेल्वे सहित एयर ट्रेफ़िक भी गडबडाया हुआ था. रात को ढाई बजे कोहरे में जैसे तैसे फ़्लाईट लैंड हुई, किसी तरह दिल्ली की कडकडाती सर्दी में होटल पहूंचे जहां शादी की पहली रात होने वाला संगीत समारोह चल रहा था. गेट पर ही समीरलाल जी मिले, देखते ही दोनों गुरू चेले गले मिल गये, इसमे परिचय की जरूरत ही नही लगी. पीछे पीछे साधना भाभी जी भी आ गई और समीर जी ने पूछा कि इन्हें पहचानती हो क्या? छूटते ही भाभी जी बोली - ये ताऊ के अलावा और कोई नही हो सकता. ताऊ ने सोचा कि शायद इन्होने क्राईम पेट्रोल का मोस्ट वांटेड कार्यक्रम वाला ताऊ एपीसोड देखा हुआ है.
अंदर नृत्य संगीत के कार्यक्रम में सब डांस कर रहे थे. एक जवान कपल काफ़ी देर से डांस कर रहा था और बहुत ही खूबसूरती से. ताऊ की नजरें उन पर टिक गई. समीर जी ने धीरे से बताया कि ये दिगंबर नासवा दंपति हैं. थोडी देर बाद श्रीमती और श्री दिगंबर नासवा आकर हमारे और समीर जी के साथ बैठ गये. हमारे बारे में समीर जी ने उनसे पूछा कि इन्हें जानते हो क्या? नासवा जी मना कर दिया. ताऊ ने चैन की सांस ली की चलो ये तो क्राईम पेट्रोल नही देखते वर्ना झंझट खडी हो जाती. नासवा जी को हमारा परिचय देने के पहले हमने उन्हें ताऊ पहेली की तरह कई क्ल्यू दिये पर उनको नहीं पहचानना था सो नही पहचाना. आखिर समीर जी ने काफ़ी मजे लेकर परिचय कराया और सारी रात गप्पें चलती रही. अगले दिन की रिपोर्टिंग अगले भाग में, जब गणमान्य ब्लागर्स से मुलाकात का सौभाग्य मिला.
(शेष अगले भाग में...)
रामप्यारी व ताई का आगमन तथा लठ्ठ हस्तांतरण
पिछले भागों में आपने पढा कि ताऊ का अवतरण कैसे हुआ? उसके बाद के भाग बाबाश्री ताऊ महाराज चरितावलि -2 में भगवान श्रीराम का यह लोक छोडकर जाना, श्रीकृष्णावतार व उनका मथुरा छोडकर रणछोड दास बनना, और श्रीकृष्ण द्वारा भविष्य के अनुसार योजना बनाना.
अब आज के प्रवचन में बाबाश्री बता रहे हैं. उनके जीवन में रामप्यारी व ताई का आगमन, तथा ताई को लठ्ठ हस्तांतरण परम पुनीत पावन प्रसंग, जिसके श्रवण मनन से समस्त पाप ताप दूर होकर अनंत भौतिक सुखों की प्राप्ति बैठे बिठाये बिना मेहनत किये ही हो सकेगी.
बाबाश्री ने श्रीकृष्ण के साथ आये दल का यथोचित स्वागत सत्कार करते हुये उन लोगों को माखन रोटी खिलाई तत्पश्चात भगवान श्री कृष्ण और बाबाश्री ने भविष्य की योजनाओं पर गुप्त मंत्रणा की. मंत्रणा पश्चात बाबाश्री ने अपने आश्रम से नाथद्वारा तक श्रीकृष्ण के पहूंचने के लिये एक गुप्त मार्ग का निर्माण करवाया, जिसके द्वारा श्रीकृष्ण अपने दल सहित नाथद्वारा के लिये प्रस्थान कर गये.
समय बीतने के साथ साथ बाबाश्री के आश्रम में आस पास के गांवों से भक्त नित्य दर्शन के लिये आने लगे. भेंट स्वरूप सब अपने साथ फ़ल मिठाईयां और तरह तरह के पकवान लाया करते थे. आश्रम में चहल पहल काफ़ी बढ गयी थी. पर रात को बाबाश्री अपने आश्रम में किसी को भी रुकने नही देते थे. सूर्य डूबने से पहले सभी को आश्रम छोडना पडता था.
इन्हीं भक्तों में से एक भक्त सतीश सक्सेना भी नित्य प्रति दर्शन हेतु आने लगे. अपनी निष्ठा और सत्यशील विचारों की वजह से उन्होंने बाबाश्री के दिल में एक विशेष स्थान बना लिया. बाबाश्री अक्सर अपनी गुप्त बातें और भविष्य की योजनाएं भी उनसे डिस्कस कर लेते थे.
एक दिन सुबह सबेरे ही सतीश सक्सेना आ पहुंचे और बाबाश्री ताऊ महाराज को चिंता मग्न देखकर पूछ बैठे - बाबाश्री आज आपके चेहरे पर मुझे चिंता की लकीरें दिखाई दे रही हैं? कुछ खास बात हुई है क्या? किसी ने गलत सलत टिप्पणी कर दी या कोई बेनामी आपके खिलाफ़ कोई पोस्ट लिख गया? आप आदेश करें...मैं सबकी ऐसी तैसी कर दूंगा......
बीच में टोकते हुये बाबाश्री ताऊ महाराज बोले - नही नही वत्स...जैसा तुम सोच रहे हो वैसी कोई बात नही है. असल समस्या यह है कि यहां आश्रम में अब भक्तों का खाना पीना होने लगा है जिसकी वजह से यहां चूहे हो गये हैं और हमारे पास एक दो लंगोटियां ही हैं जो चूहे कुतर गये हैं. हम इसी को लेकर चिंतित हैं.
सतीश सक्सेना बोले - बाबाश्री, आप इतने बडे ज्ञानी होकर इतनी छोटी सी बात से डर रहे हैं. मैं आपके लिये जाकी कम्पनी को आर्डर देकर दर्जनों लंगोटियां बनवा देता हूं..आप निश्चिंत रहिये. अगले ही दिन भक्त सतीश सक्सेना एक दर्जन लंगोटियां और साथ में एक बिल्ली भी ले आये.
बाबाश्री ने बिल्ली को देखकर पूछा - भक्त, ये बिल्ली क्यों लाये हो?
सतिश सक्सेना बोले - महाराज श्री, यह बिल्ली अब यहां रहेगी और चूहों का खात्मा कर देगी. अब आप चूहों की तरफ़ से निश्चिंत होकर हस्तिनापुर वाले प्लान के बारें सोचिये. यह छोटी मोटी बाते आप मुझ पर छोड दिजीये.
बाबाश्री ने खुश होकर भक्त को आशिर्वाद दिया. धीरे धीरे बिल्ली ने अपना काम करना शुरू कर दिया. बाबाश्री की लंगोटियां भी सुरक्षित रहने लगी. बाबाश्री को अब बिल्ली से स्नेह हो गया और वो प्यार से उसे रामप्यारी के नाम से बुलाने लगे. भक्त गण भेंट स्वरूप रामप्यारी के लिये दूध भी अवश्य लाते थे. बाबाश्री के साथ ही आश्रम में रामप्यारी की भी पूजा होने लगी, वह भी एक अवतार समझी जाने लगी. आश्रम में सब काम व्यवस्थित चलने लगा.
वर्षा के दिनों में भक्त रास्ते में पडने वाले नदी नालों की वजह से पहाड पर स्थित बाबाश्री के आश्रम में नही पहुंच पाते थे सो रामप्यारी के दूध की समस्या आने लगी. जितने भी चूहे थे उनको तो रामप्यारी ने पहले ही सफ़ाचट कर दिया था. एक समय लगातार दस दिन तक कोई भी भक्त दूध लेकर नही आया तो रामप्यारी के प्राणों पर बन आयी. बाबाश्री तो अवतारी पुरूष थे सो उन्हें कोई भूख प्यास नही लगती थी...पर रामप्यारी का क्या करें?......
किसी तरह रास्ते खुले तो तुरंत सतीश सक्सेना दूध की बाल्टी लिये हुये आ पहुंचे. अब रामप्यारी की जान में जान आयी. सतीश सक्सेना ने रामप्यारी की मरियल हालत और बाबाश्री की बेचैनी देखते हुये तुरंत एक मुर्रा भैंस लाकर आश्रम में बंधवा दी. अब क्या था...आश्रम में दूध का भी पक्का इंतजाम हो गया और फ़िर से अमन चैन बहाल हो गया.
अब बाबाश्री का सारा ध्यान रामप्यारी और भैंस का चारा पानी का इंतजाम करते हुये बीतने लगा. उधर बाबाश्री ने हस्तिनापुर में महाराज धृतराष्ट्र के रूप में भी जन्म ले रखा था सो इस भैंस की वजह से हस्तिनापुर के राजकाज में भी बाधा पडने लगी. बाबाश्री का सारा दिन भैंस के लिये चारा पानी जुटाने, गोबर साफ़ करने, दूध निकालने, दूध को गर्म करके रामप्यारी को देने इत्यादि में ही पूरा होने लगा.
इस समय तक सतीश सक्सेना बाबाश्री के परम खास भक्त बन चुके थे सो उन्होनें बाबाश्री के सामने प्रस्ताव रखते हुये कहा कि - बाबाश्री अब इस तरह तो काम नही चलेगा, आप यदि भैंस की सेवा में ही लगे रहे तो फ़िर आश्रम और हस्तिनापुर कौन संभालेगा? वैसे आपकी आज्ञा हो तो आश्रम के काम धंधे तो मैं भी संभाल लूंगा पर भैंस के गोबर इत्यादि का काम मेरे वश का नही है.
बाबाश्री किसी भी कीमत पर आश्रम का प्रबंध किसी और को देने के पक्ष में नही थे सो उन्होंने कोई जवाब नही दिया. बाबाश्री ताऊ महाराज को मौन देखकर सतीश सक्सेना ने कहा - बाबाश्री मेरे दिमाग में एक लाजवाब आईडिया आया है. आप विवाह कर लिजीये. सारी समस्या हल हो जायेगी.
बाबश्री ताऊ महाराज ने भृकुटियां तानते हुये कहा - ये क्या कह रहे हो भक्त? जानते नही हो हम त्रेता से अब तक बाल ब्रह्मचारी हैं? और तुम हमारा ब्रह्मचर्य तुडवाने का कह रहे हो?
सतीश सक्सेना बोले - बाबाश्री, अब इसके अलावा कोई उपाय भी नही है. और विवाहित रहते हुये भी आप ब्रह्मचारी बने रह सकते हो. आप तो महान तपस्वी हैं और फ़िर कितने ही ऋषि मुनियों ने आश्रम व्यवस्था के नाम पर राजकन्याओं से विवाह रचाये थे यह क्यों भूल जाते हैं? आप तो आज्ञा दिजीये.
भक्त सतीश सक्सेना के तर्कों के सामने बाबाश्री ताऊ महाराज निरूत्तर हो गये और विवाह के लिये रजामंदी दे दी. भक्त सतीश सक्सेना ने ताऊ के समकक्ष ताई नाम की एक योग्य कन्या को ढूंढ निकाला. यही कन्या गांधार नरेश की राजकुमारी गांधारी का दूसरा प्रतिरूप थी जिसने इसी लिये यह दूसरा रूप धारण किया था जिससे हस्तिनापुर व आश्रम में दोनों जगह साथ रह सके.
इस तरह बाबाश्री के साथ ताई का विवाह संपन्न होगया और आश्रम में फ़िर चहल पहल हो गयी. अब ताई सारा दिन खेतों में काम करती और भैंस के चारे पानी व आश्रम का रख रखाव करती. बाबाश्री अब सारा दिन भजन सत्संग और भक्तों का कल्याण करने में बिताने लगे.
ताई जब खेतों में काम करती तो वहां उन्हें जंगली जानवरों का खतरा रहता था सो एक दिन यह समस्या बताकर ताई ने बाबाश्री ताऊ महाराज से अपनी रक्षार्थ वह प्रभु श्रीराम प्रदत लठ्ठ मांग लिया. समस्या को देखते हुये मजबूरी मे सकुचाते हुये यह लठ्ठ बाबाश्री ताऊ महाराज ने ताई को हस्तांतरित कर दिया.
प्रभु श्रीराम ने जब यह लठ्ठ ताऊ महाराज को दिया था तब कहा था कि इसे हमेशा अपने साथ ही रखना यदि किसी दुसरे को यह लठ्ठ हस्तांतरित किया तो इसका उपयोग तुम्हारे खिलाफ़ ही होगा. और प्रभु श्रीराम के यह वचन सत्य सिद्ध हुये. वो जादुई लठ्ठ इस कलियुग के ब्लाग युग में भी ताई द्वारा बाबाश्री की पीठ पर बरसता ही रहता है.
(क्रमश:)
अब आज के प्रवचन में बाबाश्री बता रहे हैं. उनके जीवन में रामप्यारी व ताई का आगमन, तथा ताई को लठ्ठ हस्तांतरण परम पुनीत पावन प्रसंग, जिसके श्रवण मनन से समस्त पाप ताप दूर होकर अनंत भौतिक सुखों की प्राप्ति बैठे बिठाये बिना मेहनत किये ही हो सकेगी.
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| दूध की बाल्टी लिये सतीश सक्सेना, बाबाश्री ताऊ आश्रम की सीढियां चढते हुये |
बाबाश्री ने श्रीकृष्ण के साथ आये दल का यथोचित स्वागत सत्कार करते हुये उन लोगों को माखन रोटी खिलाई तत्पश्चात भगवान श्री कृष्ण और बाबाश्री ने भविष्य की योजनाओं पर गुप्त मंत्रणा की. मंत्रणा पश्चात बाबाश्री ने अपने आश्रम से नाथद्वारा तक श्रीकृष्ण के पहूंचने के लिये एक गुप्त मार्ग का निर्माण करवाया, जिसके द्वारा श्रीकृष्ण अपने दल सहित नाथद्वारा के लिये प्रस्थान कर गये.
समय बीतने के साथ साथ बाबाश्री के आश्रम में आस पास के गांवों से भक्त नित्य दर्शन के लिये आने लगे. भेंट स्वरूप सब अपने साथ फ़ल मिठाईयां और तरह तरह के पकवान लाया करते थे. आश्रम में चहल पहल काफ़ी बढ गयी थी. पर रात को बाबाश्री अपने आश्रम में किसी को भी रुकने नही देते थे. सूर्य डूबने से पहले सभी को आश्रम छोडना पडता था.
इन्हीं भक्तों में से एक भक्त सतीश सक्सेना भी नित्य प्रति दर्शन हेतु आने लगे. अपनी निष्ठा और सत्यशील विचारों की वजह से उन्होंने बाबाश्री के दिल में एक विशेष स्थान बना लिया. बाबाश्री अक्सर अपनी गुप्त बातें और भविष्य की योजनाएं भी उनसे डिस्कस कर लेते थे.
एक दिन सुबह सबेरे ही सतीश सक्सेना आ पहुंचे और बाबाश्री ताऊ महाराज को चिंता मग्न देखकर पूछ बैठे - बाबाश्री आज आपके चेहरे पर मुझे चिंता की लकीरें दिखाई दे रही हैं? कुछ खास बात हुई है क्या? किसी ने गलत सलत टिप्पणी कर दी या कोई बेनामी आपके खिलाफ़ कोई पोस्ट लिख गया? आप आदेश करें...मैं सबकी ऐसी तैसी कर दूंगा......
बीच में टोकते हुये बाबाश्री ताऊ महाराज बोले - नही नही वत्स...जैसा तुम सोच रहे हो वैसी कोई बात नही है. असल समस्या यह है कि यहां आश्रम में अब भक्तों का खाना पीना होने लगा है जिसकी वजह से यहां चूहे हो गये हैं और हमारे पास एक दो लंगोटियां ही हैं जो चूहे कुतर गये हैं. हम इसी को लेकर चिंतित हैं.
सतीश सक्सेना बोले - बाबाश्री, आप इतने बडे ज्ञानी होकर इतनी छोटी सी बात से डर रहे हैं. मैं आपके लिये जाकी कम्पनी को आर्डर देकर दर्जनों लंगोटियां बनवा देता हूं..आप निश्चिंत रहिये. अगले ही दिन भक्त सतीश सक्सेना एक दर्जन लंगोटियां और साथ में एक बिल्ली भी ले आये.
बाबाश्री ने बिल्ली को देखकर पूछा - भक्त, ये बिल्ली क्यों लाये हो?
सतिश सक्सेना बोले - महाराज श्री, यह बिल्ली अब यहां रहेगी और चूहों का खात्मा कर देगी. अब आप चूहों की तरफ़ से निश्चिंत होकर हस्तिनापुर वाले प्लान के बारें सोचिये. यह छोटी मोटी बाते आप मुझ पर छोड दिजीये.
बाबाश्री ने खुश होकर भक्त को आशिर्वाद दिया. धीरे धीरे बिल्ली ने अपना काम करना शुरू कर दिया. बाबाश्री की लंगोटियां भी सुरक्षित रहने लगी. बाबाश्री को अब बिल्ली से स्नेह हो गया और वो प्यार से उसे रामप्यारी के नाम से बुलाने लगे. भक्त गण भेंट स्वरूप रामप्यारी के लिये दूध भी अवश्य लाते थे. बाबाश्री के साथ ही आश्रम में रामप्यारी की भी पूजा होने लगी, वह भी एक अवतार समझी जाने लगी. आश्रम में सब काम व्यवस्थित चलने लगा.
वर्षा के दिनों में भक्त रास्ते में पडने वाले नदी नालों की वजह से पहाड पर स्थित बाबाश्री के आश्रम में नही पहुंच पाते थे सो रामप्यारी के दूध की समस्या आने लगी. जितने भी चूहे थे उनको तो रामप्यारी ने पहले ही सफ़ाचट कर दिया था. एक समय लगातार दस दिन तक कोई भी भक्त दूध लेकर नही आया तो रामप्यारी के प्राणों पर बन आयी. बाबाश्री तो अवतारी पुरूष थे सो उन्हें कोई भूख प्यास नही लगती थी...पर रामप्यारी का क्या करें?......
किसी तरह रास्ते खुले तो तुरंत सतीश सक्सेना दूध की बाल्टी लिये हुये आ पहुंचे. अब रामप्यारी की जान में जान आयी. सतीश सक्सेना ने रामप्यारी की मरियल हालत और बाबाश्री की बेचैनी देखते हुये तुरंत एक मुर्रा भैंस लाकर आश्रम में बंधवा दी. अब क्या था...आश्रम में दूध का भी पक्का इंतजाम हो गया और फ़िर से अमन चैन बहाल हो गया.
अब बाबाश्री का सारा ध्यान रामप्यारी और भैंस का चारा पानी का इंतजाम करते हुये बीतने लगा. उधर बाबाश्री ने हस्तिनापुर में महाराज धृतराष्ट्र के रूप में भी जन्म ले रखा था सो इस भैंस की वजह से हस्तिनापुर के राजकाज में भी बाधा पडने लगी. बाबाश्री का सारा दिन भैंस के लिये चारा पानी जुटाने, गोबर साफ़ करने, दूध निकालने, दूध को गर्म करके रामप्यारी को देने इत्यादि में ही पूरा होने लगा.
इस समय तक सतीश सक्सेना बाबाश्री के परम खास भक्त बन चुके थे सो उन्होनें बाबाश्री के सामने प्रस्ताव रखते हुये कहा कि - बाबाश्री अब इस तरह तो काम नही चलेगा, आप यदि भैंस की सेवा में ही लगे रहे तो फ़िर आश्रम और हस्तिनापुर कौन संभालेगा? वैसे आपकी आज्ञा हो तो आश्रम के काम धंधे तो मैं भी संभाल लूंगा पर भैंस के गोबर इत्यादि का काम मेरे वश का नही है.
बाबाश्री किसी भी कीमत पर आश्रम का प्रबंध किसी और को देने के पक्ष में नही थे सो उन्होंने कोई जवाब नही दिया. बाबाश्री ताऊ महाराज को मौन देखकर सतीश सक्सेना ने कहा - बाबाश्री मेरे दिमाग में एक लाजवाब आईडिया आया है. आप विवाह कर लिजीये. सारी समस्या हल हो जायेगी.
बाबश्री ताऊ महाराज ने भृकुटियां तानते हुये कहा - ये क्या कह रहे हो भक्त? जानते नही हो हम त्रेता से अब तक बाल ब्रह्मचारी हैं? और तुम हमारा ब्रह्मचर्य तुडवाने का कह रहे हो?
सतीश सक्सेना बोले - बाबाश्री, अब इसके अलावा कोई उपाय भी नही है. और विवाहित रहते हुये भी आप ब्रह्मचारी बने रह सकते हो. आप तो महान तपस्वी हैं और फ़िर कितने ही ऋषि मुनियों ने आश्रम व्यवस्था के नाम पर राजकन्याओं से विवाह रचाये थे यह क्यों भूल जाते हैं? आप तो आज्ञा दिजीये.
भक्त सतीश सक्सेना के तर्कों के सामने बाबाश्री ताऊ महाराज निरूत्तर हो गये और विवाह के लिये रजामंदी दे दी. भक्त सतीश सक्सेना ने ताऊ के समकक्ष ताई नाम की एक योग्य कन्या को ढूंढ निकाला. यही कन्या गांधार नरेश की राजकुमारी गांधारी का दूसरा प्रतिरूप थी जिसने इसी लिये यह दूसरा रूप धारण किया था जिससे हस्तिनापुर व आश्रम में दोनों जगह साथ रह सके.
इस तरह बाबाश्री के साथ ताई का विवाह संपन्न होगया और आश्रम में फ़िर चहल पहल हो गयी. अब ताई सारा दिन खेतों में काम करती और भैंस के चारे पानी व आश्रम का रख रखाव करती. बाबाश्री अब सारा दिन भजन सत्संग और भक्तों का कल्याण करने में बिताने लगे.
ताई जब खेतों में काम करती तो वहां उन्हें जंगली जानवरों का खतरा रहता था सो एक दिन यह समस्या बताकर ताई ने बाबाश्री ताऊ महाराज से अपनी रक्षार्थ वह प्रभु श्रीराम प्रदत लठ्ठ मांग लिया. समस्या को देखते हुये मजबूरी मे सकुचाते हुये यह लठ्ठ बाबाश्री ताऊ महाराज ने ताई को हस्तांतरित कर दिया.
प्रभु श्रीराम ने जब यह लठ्ठ ताऊ महाराज को दिया था तब कहा था कि इसे हमेशा अपने साथ ही रखना यदि किसी दुसरे को यह लठ्ठ हस्तांतरित किया तो इसका उपयोग तुम्हारे खिलाफ़ ही होगा. और प्रभु श्रीराम के यह वचन सत्य सिद्ध हुये. वो जादुई लठ्ठ इस कलियुग के ब्लाग युग में भी ताई द्वारा बाबाश्री की पीठ पर बरसता ही रहता है.
(क्रमश:)
ताऊ महाराज धृतराष्ट्र का हस्तिनापुर की जनता के नाम संदेश
चारों तरफ़ आर्थिक विकास दर को लेकर हल्ला मचा हुआ है. शेरसिंह जी (शेयर मार्केट) लंगडा आम हो गये हैं. ऐसे में सबने महान शासक व अर्थशाश्त्री ताऊ धृतराष्ट्र को घेर कर आरोप लगाना शुरू कर दिया है. आप जानते हैं कि ताऊ धृतराष्ट्र महाराज ना कभी गलत बोलते हैं और ना ही कभी गलत करते हैं. और गलत देखना तो महा पाप समझते हैं, इसीलिये आंखों पर प्रभु श्रीराम द्वारा प्रदत काला चश्मा हमेशा चढाये रहते हैं. जो भी बोलते हैं, करते हैं, देखते हैं वो सब इमानदारी से, कहीं कोई बेईमानी का भाव नही हैं.
पर महाराज की नीतियों की आलोचना होते देखकर महारानी ने उन्हें डांटते हुये जनता के सामने बयान देने को बाध्य कर दिया. अत: महाराज ने महल की प्राचीर से जनता को संबोधित करते हुये कहा:-
मेरी प्यारी प्यारी आंखों की दुलारी जनता, मैं आपका सेवक हूं और आने वाले युगों तक आपका सेवक ही रहूंगा. विपक्ष बिना सोचे समझे, सिर्फ़ मुझे बदनाम करने की नियत से हो हल्ला मचाता है. हम विकास दर कैसे बढायें? इसकी राह में सबसे बडा रोडा विपक्ष है, वो संसद चलने ही नही देता फ़िर असली विकास तो दूर बल्कि विकास की बात ही नही हो सकती.
प्यारे भाईयो, वैसे भी आप भुलावे में नही आयें, मैं जो कुछ भी बोल रहा हूं वह सौ प्रतिशत सच बोल रहा हूं, प्रभु श्रीराम का भक्त हूं, बिल्कुल रामराज्य जैसा शासन चला रहा हूं. मुझे यह बताईये कि जब विकास दर 9/10 प्रतिशत थी तब क्या सबको रोटी, कपडा, मकान, बिजली पानी और सडक मिली थी? मुझे यह स्वीकारने में कोई हिचक नही है कि देश की अधिकतर जनता तब भी भूखी थी और आज पांच प्रतिशत विकास दर में भी भूखी है.
पुरातन काल में जब दस फ़ीसदी के आसपास विकास दर थी तब बडी बडी गगनचुंबी इमारते, महंगी कारें, ऐशोआराम के कीमती सामान आ गये. पर उस समय भी मजदूर और काम वाली बाईयां आज के ही हालात में थी. यानि उनकी जो हालत दस फ़ीसदी विकास दर में थी वही आज पांच फ़ीसदी में भी है तो फ़िर यह हल्ला क्यों?
मेरी प्यारी जनता, आप यह समझ लें कि यह हस्तिनापुर अमीरों के लिये अमीर ही चलाते हैं. आप जानते हैं कि हमने विकास दर बढाने के लिये आपकी जमीने कब्जे में लेकर एयरपोर्ट और सडकें मुहैया करवायी जिनके चलते विकास दर बढी थी. मुझे यह स्वीकार करने में खुशी हो रही है कि हमने उच्च विकास दर हासिल करने के लिये पुल, सडके, ऐशो आराम की हर चीज आपको उपलब्ध करवायी है. यह अलग बात है कि इस उच्च विकास दर की वजह से प्याज सिर्फ़ चालीस पचास रूपये किलो और आलू पच्चीस तीस रूपये किलो ही हुआ है. नकली दूध की समस्या को दूर करने के लिये हमने मिल्क पाऊडर उपलब्ध करवाया है. इस मिल्क पाऊडर ने भी विकास दर बढाने में काफ़ी मदद की है, यह अलग बात है कि गरीब बच्चों के मुंह से दूध का घूंट छिन गया है. पर उच्च विकास दर प्राप्त करने के लिये देश के बच्चों को इतनी सी कुर्बानी तो देनी ही पडेगी.
प्यारी जनता, हमें मालूम है कि नक्सल वाद या अन्य क्राईम में बढोतरी हुई है और इसका मूल कारण खेती बाडी का खात्मा करके आलीशान इमारते सडकों का निर्माण कर पाई गई उच्च विकास दर ही थी.
प्यारी जनता आप चिंता नही करें, ये विकास दर के आंकडे मात्र छलावा हैं, इन्हें जब चाहे, जैसे चाहे, लोगों को बरगलाने के लिये किया जाता है. यदि थोडे समय के लिये ये आंकडे यहीं पडे रहें तो भी आपकी सेहत पर कोई असर पडने वाला नही है.
प्यारे प्रजा जनों, इस विकास दर से गम या खुशी मनाने का कोई कारण नही है यह तो सिर्फ़ लोगों को बेवकूफ़ बनाने का एक तरीका मात्र है. इससे डरने या मातम मनाने की कोई आवश्यकता नही है.
प्यारे प्रजा जनों, आपकी जो स्थिति महान लेखक प्रेमचंद के पात्रों होरी धनिया व भीकू की थी, मैं आपकी वही स्थिति हमेशा बरकरार रखूंगा, यह मैं आपसे वादा करता हूं, आप निश्चिंत रहें और हस्तिनापुर निर्माण के अपने अपने कार्य में लग जायें, यानि जो चोरी करता है वो चोरी करे, डकैत ड्कैती डालें, भ्रष्टाचारी भ्रष्टाचार करें, सट्टे वाले सट्टा करें, ट्क्स चोर कर की चोरी करें, रिश्वत खोर जम कर रिश्वत खोरी करें....पर सब काम बिल्कुल इमानदारी से करें जिससे हमारे प्यारे हस्तिनापुर का नाम इस दुनियां में रोशन हो जाये और सब हमारी मिसाल देतें रहें.
जय हस्तिनापुर...जय ताऊ महाराज.
पर महाराज की नीतियों की आलोचना होते देखकर महारानी ने उन्हें डांटते हुये जनता के सामने बयान देने को बाध्य कर दिया. अत: महाराज ने महल की प्राचीर से जनता को संबोधित करते हुये कहा:-
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| ताऊ महाराज धृतराष्ट्र महल की प्राचीर से प्यारी जनता को संबोधित करते हुये |
मेरी प्यारी प्यारी आंखों की दुलारी जनता, मैं आपका सेवक हूं और आने वाले युगों तक आपका सेवक ही रहूंगा. विपक्ष बिना सोचे समझे, सिर्फ़ मुझे बदनाम करने की नियत से हो हल्ला मचाता है. हम विकास दर कैसे बढायें? इसकी राह में सबसे बडा रोडा विपक्ष है, वो संसद चलने ही नही देता फ़िर असली विकास तो दूर बल्कि विकास की बात ही नही हो सकती.
प्यारे भाईयो, वैसे भी आप भुलावे में नही आयें, मैं जो कुछ भी बोल रहा हूं वह सौ प्रतिशत सच बोल रहा हूं, प्रभु श्रीराम का भक्त हूं, बिल्कुल रामराज्य जैसा शासन चला रहा हूं. मुझे यह बताईये कि जब विकास दर 9/10 प्रतिशत थी तब क्या सबको रोटी, कपडा, मकान, बिजली पानी और सडक मिली थी? मुझे यह स्वीकारने में कोई हिचक नही है कि देश की अधिकतर जनता तब भी भूखी थी और आज पांच प्रतिशत विकास दर में भी भूखी है.
पुरातन काल में जब दस फ़ीसदी के आसपास विकास दर थी तब बडी बडी गगनचुंबी इमारते, महंगी कारें, ऐशोआराम के कीमती सामान आ गये. पर उस समय भी मजदूर और काम वाली बाईयां आज के ही हालात में थी. यानि उनकी जो हालत दस फ़ीसदी विकास दर में थी वही आज पांच फ़ीसदी में भी है तो फ़िर यह हल्ला क्यों?
मेरी प्यारी जनता, आप यह समझ लें कि यह हस्तिनापुर अमीरों के लिये अमीर ही चलाते हैं. आप जानते हैं कि हमने विकास दर बढाने के लिये आपकी जमीने कब्जे में लेकर एयरपोर्ट और सडकें मुहैया करवायी जिनके चलते विकास दर बढी थी. मुझे यह स्वीकार करने में खुशी हो रही है कि हमने उच्च विकास दर हासिल करने के लिये पुल, सडके, ऐशो आराम की हर चीज आपको उपलब्ध करवायी है. यह अलग बात है कि इस उच्च विकास दर की वजह से प्याज सिर्फ़ चालीस पचास रूपये किलो और आलू पच्चीस तीस रूपये किलो ही हुआ है. नकली दूध की समस्या को दूर करने के लिये हमने मिल्क पाऊडर उपलब्ध करवाया है. इस मिल्क पाऊडर ने भी विकास दर बढाने में काफ़ी मदद की है, यह अलग बात है कि गरीब बच्चों के मुंह से दूध का घूंट छिन गया है. पर उच्च विकास दर प्राप्त करने के लिये देश के बच्चों को इतनी सी कुर्बानी तो देनी ही पडेगी.
प्यारी जनता, हमें मालूम है कि नक्सल वाद या अन्य क्राईम में बढोतरी हुई है और इसका मूल कारण खेती बाडी का खात्मा करके आलीशान इमारते सडकों का निर्माण कर पाई गई उच्च विकास दर ही थी.
प्यारी जनता आप चिंता नही करें, ये विकास दर के आंकडे मात्र छलावा हैं, इन्हें जब चाहे, जैसे चाहे, लोगों को बरगलाने के लिये किया जाता है. यदि थोडे समय के लिये ये आंकडे यहीं पडे रहें तो भी आपकी सेहत पर कोई असर पडने वाला नही है.
प्यारे प्रजा जनों, इस विकास दर से गम या खुशी मनाने का कोई कारण नही है यह तो सिर्फ़ लोगों को बेवकूफ़ बनाने का एक तरीका मात्र है. इससे डरने या मातम मनाने की कोई आवश्यकता नही है.
प्यारे प्रजा जनों, आपकी जो स्थिति महान लेखक प्रेमचंद के पात्रों होरी धनिया व भीकू की थी, मैं आपकी वही स्थिति हमेशा बरकरार रखूंगा, यह मैं आपसे वादा करता हूं, आप निश्चिंत रहें और हस्तिनापुर निर्माण के अपने अपने कार्य में लग जायें, यानि जो चोरी करता है वो चोरी करे, डकैत ड्कैती डालें, भ्रष्टाचारी भ्रष्टाचार करें, सट्टे वाले सट्टा करें, ट्क्स चोर कर की चोरी करें, रिश्वत खोर जम कर रिश्वत खोरी करें....पर सब काम बिल्कुल इमानदारी से करें जिससे हमारे प्यारे हस्तिनापुर का नाम इस दुनियां में रोशन हो जाये और सब हमारी मिसाल देतें रहें.
जय हस्तिनापुर...जय ताऊ महाराज.
बाबाश्री ताऊ महाराज चरितावली - भाग 2
पिछले भाग "क्या है ताऊ का अस्तित्व और हकीकत" में आपने पढा कि ताऊ कैसे अस्तित्व में आया. माता सीता ताऊ को अरावली पर्वत श्रंखला के शेखावाटी व हरियाणा प्रदेश के मनोरम भू भाग पर आशीर्वाद देकर छोड गयी थी. पिछले भाग में अनेक भक्तगणों ने यह जिज्ञासा प्रकट की थी कि ताई कैसे आगई जीवन में?.. ताई के हाथ में लठ्ठ कैसे आगया?.... रामप्यारी कहां से आ गयी?... काला चश्मा कहां से आया.... इत्यादि इत्यादि विभिन्न बातें.
भक्त गणों, आप निराश ना हों. उपरोक्त सभी प्रश्न एक दूसरे के सापेक्ष हैं. बाबाश्री ताऊ महाराज आप सब पर अति प्रसन्न हैं इसलिये आपकी समस्त जिज्ञासाओं का शमन क्रमश: अपने प्रवचनों में करते चलेंगे. बस आप धर्यपूर्वक श्रवण करते रहें.
भक्त गणों, आप निराश ना हों. उपरोक्त सभी प्रश्न एक दूसरे के सापेक्ष हैं. बाबाश्री ताऊ महाराज आप सब पर अति प्रसन्न हैं इसलिये आपकी समस्त जिज्ञासाओं का शमन क्रमश: अपने प्रवचनों में करते चलेंगे. बस आप धर्यपूर्वक श्रवण करते रहें.
ढोसी के पहाडों में तपस्या लीन बाबाश्री ताऊ महाराज
माता सीता और भगवान राम तो हनुमान जी सहित ताऊ को छोडकर अयोध्या के लिये प्रस्थान कर गये. माता के वियोग में ताऊ कुछ काल तक तो शोक मग्न रहा. यह माता सीता के सानिंध्य का ही प्रभाव था कि ताऊ का मन भक्ति में रम गया. अनेक काल तक यानि कई हजार वर्ष तक ताऊ तपस्या करता रहा. निर्जन वन और पहाड, निर्मल पानी के बहते चश्में, आसपास खतरनाक शेर चीते जैसे जंगली जीवों के साथ रहते रहते ताऊ जानवरों की भाषा भी सीख गया. इसी वजह से आज भी शेरू महाराज, रमलू सियार, रामप्यारी जैसी बिल्ली और ताई जैसी बंदरिया के साथ रहते हुये बाबाश्री ताऊ महाराज को कोई परेशानी नही आई. समस्त त्रेता युग खत्म होने तक ताऊ तपस्या में लीन रहा.
यह वह समय आ पहुंचा था जब भगवान श्रीराम इस लोक से विदा लेने वाले थे. एक दिन अचानक भगवान श्रीराम स्वयं आये और बोले ताऊ अब मेरा रामलीला से विदा लेने का समय आ गया है. तुम मेरे अनन्य भक्त हो इसीलिये तुमको एक काम सोंप रहा हूं. द्वापर युग में जब यह धरती पापियों से आक्रांत हो जायेगी तब मैं पुन: कृष्ण के रूप में जन्म लूंगा. मुझे इस काम में तुम्हारी सहायता चाहिये.
ताऊ बोला - प्रभो, आप तो आदेश करें.
भगवान राम बोले - ताऊ, आने वाले समय में महाभारत का युद्ध करवाना जरूरी होगा, मुझे उसका प्रारूप तैयार करना है. इस युद्ध की धुरी तुम्हें ही बनना है. यानि तुम्हें हस्तिनापुर के कौरव राजवंश में महाराज धृतराष्ट्र के रूप में जन्म लेना होगा और उसमे यह साबित कर देना होगा कि तुमसे बडा अंधा, स्वार्थी, अनीतिवान व पुत्रमोही अन्य कोई भी नही है और यही महाभारत युद्ध का बहाना बनेगा.
ताऊ बोला - प्रभु जैसी आपकी आज्ञा. आपके लिये तो मैं जो कहें वह कर सकता हूं.
प्रसन्न होकर प्रभु श्रीराम ने ताऊ को अपने हाथों से एक काला चश्मा पहनाते हुये कहा - हे भक्त शिरोमणी ताऊ, अब से अपनी आंखों पर यह काला चश्मा पहन लो. तुम्हें आने वाले समय में अंधे धृतराष्ट्र के रूप में जन्म लेना होगा, तुम दुनियां के लिये अंधे रहोगे पर तुम्हें इस चश्में की मदद से सब कुछ दिखाई देता रहेगा. मैं तुमसे अति प्रसन्न हूं, तुमको जो वरदान मांगना हो वह मांग लो.
ताऊ बोला - प्रभु मैं क्या मांगू? मुझे तो आप बैठे बिठाये ही सब कुछ दे देते हैं. पहले पगडी और लठ्ठ दे दिया था अब यह दिव्य काला चश्मा दे दिया.
ताऊ के इस कथन पर प्रभु श्रीराम ने कहा - हे ताऊ, तुम बहुत ही विनम्र पर अति चालाक भक्त हो. मैं जानता हूं तुम्हें अपना यह बंदर मुख अति प्रिय है, इसलिये मैं तुम्हें वरदान देता हूं कि तुम्हारा यह शरीर इस सृष्टि के अंत तक युं ही रहेगा पर तुम जब चाहो जिस रूप में चाहो, इस शरीर के अलावा भी जन्म ले सकोगे, कलयुग में जब ब्लागिंग शुरू होगी तब अनामी बेनामी लेखक व टिप्पणी बाज बन सकोगे. तुम अन्यत्र जन्म लेकर भी इसी शरीर में इसी मनोरम आश्रम में रहते हुये प्रवचन करते रहोगे. जो भी तुम्हारे प्रवचन सुनेगा, तुम्हारे गुणगान गायेगा वो अति सुख पायेगा. कलियुग में तुम्हारे अनुसरण से ही सबके पाप ताप कट जायेंगे. यह कहकर प्रभु श्रीराम चले गये.
देखते देखते त्रेता युग समाप्त होने को आया. प्रभु श्रीराम ने अपनी लीलाएं समेट ली. उनके वियोग से दुखी आत्माओं ने आकर बाबाश्री ताऊ महाराज के आश्रम में शांति पाई, वहीं पर बाबाश्री के प्रवचन सुनते हुये ज्ञान प्राप्त किया और परम भक्त बने जिनके बल से आगे एक भक्तिकालीन युग का भी सुत्रपात हुआ.
द्वापर युग ने अपने आने की दस्तक देनी शुरू कर दी....अपने आने वाले रोल को ध्यान में रखते हुये बाबाश्री ताऊ महाराज ने ढोसी के पहाड पर एक मनोरम आश्रम स्थापित कर लिया. जिससे आने वाले समय में आसानी रहे. समय आने पर प्रभु श्रीराम की आज्ञानुसार बाबाश्री ताऊ महाराज ने अपने योगबल से कौरव राजवंश के होनहार चिराग धृतराष्ट्र के रूप में जन्म ले लिया. लेकिन इस आश्रम पर भी यथावत विराजमान रह कर भक्त गणों मार्ग दर्शन और उनको उपदेश करते रहे.
इसी परम पावन पवित्र आश्रम से बाबाश्री ने अपनी तपस्या के बल पर सारी कृष्ण लीला देखी. कृष्ण जन्म से लेकर कृष्ण के रणछोड बनने तक.
एक दिन अचानक योगेश्वर कृष्ण बाबाश्री ताऊ महाराज के आश्रम आ पहुंचे. बाबाश्री ताऊ महाराज तो सब पहले से ही जानते थे. अपने आराध्य श्री राम को इस रूप में देखकर बाबाश्री कृतार्थ हो गये. भगवान रणछोड कर मथुरा से भाग रहे थे तब इसी ढोसी के परम पवित्र पहाड पर बाबाश्री ताऊ आश्रम में कुछ दिन फ़रारी काट कर बाद में ताऊ महाराज द्वारा सुझाये गये अनुसार नाथद्वारा प्रस्थान किया था.
बाबाश्री ने श्रीकृष्ण से इस तरह युद्ध से भागने का कारण पूछा तो श्री कृष्ण ने कहा - हे ताऊ महाराज, मैं आगे की योजना तुम से डिस्कस करने ही छुपते छुपाते यहां तक आया हूं. अब तुम मेरे लिये माखन रोटी का इंतजाम करो, बडी भूख लगी है. उसके बाद में आगे की योजना तुम्हें बताता हूं.
यह सुनकर बाबाश्री ताऊ महाराज ने उनके लिये उचित प्रबंध करने के लिये भक्तों को निर्देश दिये.
(क्रमश:)
यह वह समय आ पहुंचा था जब भगवान श्रीराम इस लोक से विदा लेने वाले थे. एक दिन अचानक भगवान श्रीराम स्वयं आये और बोले ताऊ अब मेरा रामलीला से विदा लेने का समय आ गया है. तुम मेरे अनन्य भक्त हो इसीलिये तुमको एक काम सोंप रहा हूं. द्वापर युग में जब यह धरती पापियों से आक्रांत हो जायेगी तब मैं पुन: कृष्ण के रूप में जन्म लूंगा. मुझे इस काम में तुम्हारी सहायता चाहिये.
ताऊ बोला - प्रभो, आप तो आदेश करें.
भगवान राम बोले - ताऊ, आने वाले समय में महाभारत का युद्ध करवाना जरूरी होगा, मुझे उसका प्रारूप तैयार करना है. इस युद्ध की धुरी तुम्हें ही बनना है. यानि तुम्हें हस्तिनापुर के कौरव राजवंश में महाराज धृतराष्ट्र के रूप में जन्म लेना होगा और उसमे यह साबित कर देना होगा कि तुमसे बडा अंधा, स्वार्थी, अनीतिवान व पुत्रमोही अन्य कोई भी नही है और यही महाभारत युद्ध का बहाना बनेगा.
ताऊ बोला - प्रभु जैसी आपकी आज्ञा. आपके लिये तो मैं जो कहें वह कर सकता हूं.
प्रसन्न होकर प्रभु श्रीराम ने ताऊ को अपने हाथों से एक काला चश्मा पहनाते हुये कहा - हे भक्त शिरोमणी ताऊ, अब से अपनी आंखों पर यह काला चश्मा पहन लो. तुम्हें आने वाले समय में अंधे धृतराष्ट्र के रूप में जन्म लेना होगा, तुम दुनियां के लिये अंधे रहोगे पर तुम्हें इस चश्में की मदद से सब कुछ दिखाई देता रहेगा. मैं तुमसे अति प्रसन्न हूं, तुमको जो वरदान मांगना हो वह मांग लो.
ताऊ बोला - प्रभु मैं क्या मांगू? मुझे तो आप बैठे बिठाये ही सब कुछ दे देते हैं. पहले पगडी और लठ्ठ दे दिया था अब यह दिव्य काला चश्मा दे दिया.
ताऊ के इस कथन पर प्रभु श्रीराम ने कहा - हे ताऊ, तुम बहुत ही विनम्र पर अति चालाक भक्त हो. मैं जानता हूं तुम्हें अपना यह बंदर मुख अति प्रिय है, इसलिये मैं तुम्हें वरदान देता हूं कि तुम्हारा यह शरीर इस सृष्टि के अंत तक युं ही रहेगा पर तुम जब चाहो जिस रूप में चाहो, इस शरीर के अलावा भी जन्म ले सकोगे, कलयुग में जब ब्लागिंग शुरू होगी तब अनामी बेनामी लेखक व टिप्पणी बाज बन सकोगे. तुम अन्यत्र जन्म लेकर भी इसी शरीर में इसी मनोरम आश्रम में रहते हुये प्रवचन करते रहोगे. जो भी तुम्हारे प्रवचन सुनेगा, तुम्हारे गुणगान गायेगा वो अति सुख पायेगा. कलियुग में तुम्हारे अनुसरण से ही सबके पाप ताप कट जायेंगे. यह कहकर प्रभु श्रीराम चले गये.
देखते देखते त्रेता युग समाप्त होने को आया. प्रभु श्रीराम ने अपनी लीलाएं समेट ली. उनके वियोग से दुखी आत्माओं ने आकर बाबाश्री ताऊ महाराज के आश्रम में शांति पाई, वहीं पर बाबाश्री के प्रवचन सुनते हुये ज्ञान प्राप्त किया और परम भक्त बने जिनके बल से आगे एक भक्तिकालीन युग का भी सुत्रपात हुआ.
द्वापर युग ने अपने आने की दस्तक देनी शुरू कर दी....अपने आने वाले रोल को ध्यान में रखते हुये बाबाश्री ताऊ महाराज ने ढोसी के पहाड पर एक मनोरम आश्रम स्थापित कर लिया. जिससे आने वाले समय में आसानी रहे. समय आने पर प्रभु श्रीराम की आज्ञानुसार बाबाश्री ताऊ महाराज ने अपने योगबल से कौरव राजवंश के होनहार चिराग धृतराष्ट्र के रूप में जन्म ले लिया. लेकिन इस आश्रम पर भी यथावत विराजमान रह कर भक्त गणों मार्ग दर्शन और उनको उपदेश करते रहे.
इसी परम पावन पवित्र आश्रम से बाबाश्री ने अपनी तपस्या के बल पर सारी कृष्ण लीला देखी. कृष्ण जन्म से लेकर कृष्ण के रणछोड बनने तक.
एक दिन अचानक योगेश्वर कृष्ण बाबाश्री ताऊ महाराज के आश्रम आ पहुंचे. बाबाश्री ताऊ महाराज तो सब पहले से ही जानते थे. अपने आराध्य श्री राम को इस रूप में देखकर बाबाश्री कृतार्थ हो गये. भगवान रणछोड कर मथुरा से भाग रहे थे तब इसी ढोसी के परम पवित्र पहाड पर बाबाश्री ताऊ आश्रम में कुछ दिन फ़रारी काट कर बाद में ताऊ महाराज द्वारा सुझाये गये अनुसार नाथद्वारा प्रस्थान किया था.
बाबाश्री ने श्रीकृष्ण से इस तरह युद्ध से भागने का कारण पूछा तो श्री कृष्ण ने कहा - हे ताऊ महाराज, मैं आगे की योजना तुम से डिस्कस करने ही छुपते छुपाते यहां तक आया हूं. अब तुम मेरे लिये माखन रोटी का इंतजाम करो, बडी भूख लगी है. उसके बाद में आगे की योजना तुम्हें बताता हूं.
यह सुनकर बाबाश्री ताऊ महाराज ने उनके लिये उचित प्रबंध करने के लिये भक्तों को निर्देश दिये.
(क्रमश:)
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