दस बजे रात को लड़की घर से बाहर क्या कर रही थी?
ब्वॉय फ्रेंड के साथ रात को बाहर निकलेगी तो यही होगा.
पुलिस कहां तक संरक्षण देगी?
प्रतिरोध भी उसका दुस्साहस,
उन्होनें आगे कहा
कम से कम आंते निकालने की नौबत तो नहीं आती.
सुविधाओं और अधिकारों का महिलाओं ने गलत इस्तेमाल किया है.
इसलिए ऐसे मामलों में पुलिस का रवैया बिलकुल ठीक है.
असंवेदनशीलता का आलम यह रहा कि
इस भाषण पर वहां मौजूद ज्यादातर अफसर मौन रहे.
उपरोक्त विचार ताऊ के नही हैं. बल्कि एक बुद्धिजीवी महिला के हैं. अफ़्सोस जनक है कि ऐसा बेहूदा और डरपोक बयान एक महिला ने दिया है. आज सुबह सुबह ही अखबार के फ़्रंट पेज पर दिल्ली गैंग रेप पर यह खबर पढकर मन ग्लानि से भर गया. मध्यम प्रदेश यानि मध्य प्रदेश महिला दुष्कर्मों में अब्बल क्यों है? इसका जवाब प्रदेश के बुद्धिजीवियों की सोच ही लगती है. और दुख तब होता है जब ये विचार किसी महिला बुद्धिजीवी के हों.
(पूरी खबर यहां पढ सकते हैं)
जी करता है तेरा ताऊ-मार्शल करवा दूं...
ब्वॉय फ्रेंड के साथ रात को बाहर निकलेगी तो यही होगा.
पुलिस कहां तक संरक्षण देगी?
प्रतिरोध भी उसका दुस्साहस,
उन्होनें आगे कहा
हाथ पांव में दम नहीं, हम किसी से कम नहीं.
छह लोगों से घिरने पर लड़की ने चुपचाप समर्पण क्यों नहीं कर दिया? कम से कम आंते निकालने की नौबत तो नहीं आती.
सुविधाओं और अधिकारों का महिलाओं ने गलत इस्तेमाल किया है.
इसलिए ऐसे मामलों में पुलिस का रवैया बिलकुल ठीक है.
असंवेदनशीलता का आलम यह रहा कि
इस भाषण पर वहां मौजूद ज्यादातर अफसर मौन रहे.
उपरोक्त विचार ताऊ के नही हैं. बल्कि एक बुद्धिजीवी महिला के हैं. अफ़्सोस जनक है कि ऐसा बेहूदा और डरपोक बयान एक महिला ने दिया है. आज सुबह सुबह ही अखबार के फ़्रंट पेज पर दिल्ली गैंग रेप पर यह खबर पढकर मन ग्लानि से भर गया. मध्यम प्रदेश यानि मध्य प्रदेश महिला दुष्कर्मों में अब्बल क्यों है? इसका जवाब प्रदेश के बुद्धिजीवियों की सोच ही लगती है. और दुख तब होता है जब ये विचार किसी महिला बुद्धिजीवी के हों.
(पूरी खबर यहां पढ सकते हैं)
शेम...शेम....शेम....
================================================जी करता है तेरा ताऊ-मार्शल करवा दूं...
जब समाज में भेड़िए घूम रहे हों, तब यही कहा जाएगा ना। किसी में हिम्मत नहीं है कि यह कहे कि भेड़ियों को बन्द करो। समाज तो डरा हुआ है और इसे डराने का काम फिल्मवाले बखूबी कर रहे हैं। फिल्म की पुलिस या तो भ्रष्टाचारी है या फिर मसखरी है। प्रशासन और राजनेता डाकुओं से भी अधिक भयानक है। ऐसी छवि जब समाज में प्रतिष्ठापित हो जाएगी तब समाज डरेगा नहीं तो क्या करेगा? जंगल में जाते हैं तब रात को बाहर नहीं निकलते, क्योंकि जानवर शिकार के लिए रात को ही निकलते हैं। पहले समाज डर समाप्त करे फिर कोई उपदेश नहीं देगा।
ReplyDelete:( कुछ कहते नहीं बनता.
ReplyDeleteआवश्यकता है कि इन्हें कठोर सज़ा मिले जिससे औरों को सबक रहे ...
ReplyDeleteइससे ज्यादा शर्म क्या होगी ...
ReplyDeleteसीना जोरी भी है लोगों की ...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शुक्रवार (28-12-2012) के चर्चा मंच-११०७ (आओ नूतन वर्ष मनायें) पर भी होगी!
सूचनार्थ...!
Sharmnaak!!
ReplyDeleteबहुत गलत बोला मोहतरमा ने ।
ReplyDeleteयह बात तो समझ मेन आती है की अपनी सुरक्षा खुद की ज़िम्मेदारी है .... लेकिन समर्पण वाली बात जो कही गयी है वो निंदनीय है ... शर्मनाक बयान ।
ReplyDeleteऐसे बयान देनी वाली के लिए तो मेरे पास एक ही शब्द है जो इतना घटिया है कि यहाँ ब्लॉग पर लिख ही नहीं पा रहा हूँ !!
ReplyDeleteस्वागत है ताऊ
ReplyDeleteलगता है इब ही हाजिर हुए हैं
पुनर्जन्म लेकर।
Ye to Koi baat nahi ki ladki raat ko bhar kya kar rahi thee, ya usne kam kapde pahne the, lakde kabhi bhee aaie unhe to koi lakdi nahi pakdati , ya lakde nage ghoome tab bhee unhe koi nahi pakdta, agar aisa hone lage to saare lakde bina kapdo ke ghoome..to koi bhee kabhi bhee kahi bhee ja sakta hai ..
ReplyDeleteमानसिकता बदलने की जरूरत है, कपड़े बदलने की नहीं, किसी ने सही कहा है कि शिक्षा से आप अच्छे विचार दे सकते हैं, किंतु वास्तविकता में उसके संस्कार और अंदर के पशु को नहीं बदल सकते हैं ।
ReplyDeleteपता नहीं कैसे कैसे तर्क कुतर्क उछल कर सामने आ रहे हैं।
ReplyDelete" ए राजू !"
ReplyDeleteराजू :-- का मास्टर जी !
"जे हिरनियों को छोड़ने उल्लू जाएंगे तो जेइ होगा....."
कोई निहायत बेहूदा औरत जान पड़ती है। औरत के नाम पर कलंक है !
ReplyDeleteताऊजी, दोबारा लिखना कब से शुरू किया? पता भी नहीं चला।
ReplyDeleteवेलकम बैक।
समझ नहीं आता इन्होंने बच्चों को कैसे रखा होगा...बेचारे बच्चे !!:-(
ReplyDeleteएक महिला नेत्री के मुंह से ऐसी बातें!धिक्कार है ऐसी महिला प्रतिनिधियों पर जो इतना घटिया सोच सकती हैं.
ReplyDeleteये हमारे देश के तथाकथित बुद्धिजीवियों के दिमागी दिवालियेपन को दर्शाता है....
ReplyDeleteसार्थक प्रस्तुति।।।
नववर्ष की अग्रिम शुभकामनाएं।।।
देश की ये हालात देख कर अब तक तो शब्द भी मौन हो चुके हैं :(
ReplyDeleteप्रभावी लेखन,
ReplyDeleteजारी रहें,
बधाई !!
दिन तीन सौ पैसठ साल के,
ReplyDeleteयों ऐसे निकल गए,
मुट्ठी में बंद कुछ रेत-कण,
ज्यों कहीं फिसल गए।
कुछ आनंद, उमंग,उल्लास तो
कुछ आकुल,विकल गए।
दिन तीन सौ पैसठ साल के,
यों ऐसे निकल गए।।
शुभकामनाये और मंगलमय नववर्ष की दुआ !
इस उम्मीद और आशा के साथ कि
ऐसा होवे नए साल में,
मिले न काला कहीं दाल में,
जंगलराज ख़त्म हो जाए,
गद्हे न घूमें शेर खाल में।
दीप प्रज्वलित हो बुद्धि-ज्ञान का,
प्राबल्य विनाश हो अभिमान का,
बैठा न हो उलूक डाल-ड़ाल में,
ऐसा होवे नए साल में।
Wishing you all a very Happy & Prosperous New Year.
May the year ahead be filled Good Health, Happiness and Peace !!!
ताउ इसने कुछ ज्यादा हल्का फुल्का से लिया लेकिन मैँ एक बात सिरीयसली यहाँ जरुर कहना चाहुँगा कि सौ गलती लोहार कि हो लेकिन एक ना एक गलती लोहा का भी होता हैँ इसे आज कोइ देखना नही चाह रहा पर जो हैँ वो तो हैँ ना देखनेँ से बदलेँगी नही ..! दामिनी या इसके जैसे कई लडकिया कि खरब कब से न्यूज मेँ पढतेँ आ रहेँ हैँ वर्तमान की बात नही कर रहा मुझे बहुत पहले से पेपर पढने से डर लगनेँ लगा था कही आज भी ....
ReplyDeleteसडकोँ पर कितनेँ कंकड पडेँ रहतेँ हैँ तो क्या ये कहकर जुता ना पहनेँ कि ये सफाई कर्मचारी कि गलती हैँ ...कंकड हमेँ गडेँगा ,..कर्मचारी को नही इसलिए जुता हमेँ पहनना पडेँगा ..सेल्फ डिफेँस ..भी कोई चिज हैँ ये कराटेँ से नही हमारी ज्ञान से मिलेँगा हमारी संस्कृती से मिलेँगा ..आप समझ गयेँ ना मैँ क्या कहना चाहता हुँ ज्यादा लिँखुगाँ तो मेरे कमेँट आपकी पोस्ट से बडेँ हो जायेँगेँ ।
छह लोगों से घिरने पर लड़की ने चुपचाप
ReplyDeleteसमर्पण क्यों नहीं कर दिया?
ये कहने वाली एक औरत हैँ और इसमेँ एक माँ का दिल हैँ अपनी बेटी के मृत देखनेँ के डर से कल्पित एक रुदन का स्वर हैँ जिसे अपनी बेटी चाहिए ...