ताऊ पहेली -102 (तेली का मंदिर, ग्वालियर फ़ोर्ट, ग्वालियर ) : विजेता श्री दिनेशराय द्विवेदी

प्रिय भाईयो और बहणों, भतीजों और भतीजियों आप सबको घणी रामराम ! हम आपकी सेवा में हाजिर हैं ताऊ पहेली 102 का जवाब लेकर. कल की ताऊ पहेली का सही उत्तर है तेली का मंदिर, ग्वालियर फ़ोर्ट, ग्वालियर

पहेली के विषय से संबंधित जरा सी जानकारी मिस. रामप्यारी आपको दे रही है.


हाय एवरी वन...गुड मार्निंग...मी राम की प्यारी...रामप्यारी.

अब सबसे पहले तो मैं पहेली के विषय में आपको दो शब्द बताऊंगी...दो से ज्यादा भी हो सकते हैं मैं गणित में जरा कमजोर हूं...गिनती आप ही लगा लिजियेगा. और उसके बाद मैं आपको विजेताओं के नाम बताऊंगी.




ताऊ पहेली 102 में आपको जो चित्र दिखाया था वो ग्वालियर किले में स्थित मंदिरों में 100 फ़ुट ऊंचाई वाला सबसे उंचा मंदिर है जिसे तेली का मंदिर कहते हैं और अंगरेजी मे इसे Oilman's Temple के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर से तेली शब्द जुडा होना कुछ अटपटा सा लगता है.


तेली का मंदिर, ग्वालियर


इसके बारे में कहा जाता है कि राष्ट्रकूट शासक गोविंदा III (793-814) ने 794 में ग्वालियर फ़ोर्ट पर अधिकार कर लिया और इस मंदिर का पूजा अर्चना कार्य तैलंग ब्राह्मणों को सौप दिया इस वजह से मंदिर का नाम यह पड गया. एक अन्य मतानुसार कुछ तेल के व्यापार करने वालों या तेली जाति के लोगों ने इस मंदिर के निर्माण की शुरूआत की थी इस वजह से इसका नाम तेली मंदिर पडा. पर ऐसा लगता है कि इसका संबंध तैलंगाना (आंध्र प्रदेश) से रहा होगा जो स्थानीय बोली में वक्त के साथ बदलकर वर्तमान में पुकारे जाने वाले नाम "तेली का मंदिर" में बदल गया होगा.


Gwalior Fort


खैर नाम में क्या रखा है पूरे उत्तर भारत में ग्वालियर किले में स्थित तेली मंदिर में आप द्रविड़ आर्य स्थापत्य शैली का अदभुत समन्वय देख सकते है. ग्यारहवीं शताब्दि में बना यह मंदिर ग्वालियर फ़ोर्ट में बना सबसे पुराना मंदिर है. गंगोला ताल के निकट बने इस मंदिर के शिखर ऊपर की तरफ़ संकरे एवं बेलन की तरह गोलाई लिये हुये है. तेली मंदिर का प्रवेश द्वार पूर्व दिशा की तरफ़ है. प्रवेश द्वार के एक ओर कछुए पर यमुना व दूसरी ओर मकर पर विराजमान गंगा की मानव आकृतियां हैं. अंदर आयताकार गर्भगृह में छोटा सा मंडप और निचले भाग में 113 छोटे देव प्रकोष्ठ हैं जिनमें देवी-देवताओं की मुर्तियां थीं. पर वर्तमान समय में यहां कोई मूर्ति नहीं है. यह एक विष्णु मंदिर था परंतु कुछ इतिहासविद इसे शैव मंदिर मानते हैं.


सास बहु का मंदिर, ग्वालियर


आर्य द्रविड़ शैली मिश्रित इस मंदिर का वास्तुशिल्प अद्वितीय है. मंदिर के बाहरी दिवारों पर चारों तरफ़ विभिन्न आकार प्रकार के फूल पत्तों, पशु पक्षियों और अनेको देवी देवताओं की अलंकृत आकृतियां हैं. कुछ जगहों पर आसुरी शक्तियों वाली आकृतियां एवं प्रणय निवेदन करती प्रतिमाए भी दिखाई देती हैं । मंदिर के शिखर के दोनों तरफ़ चैत्य गवाक्ष बने हुये हैं. अग्र भाग में ऊपर की तरफ़ बीच में गरूढ़ नाग की पूंछ पकड़े हुये है.

आर्य द्रविड़ शैली के इस मंदिर को सन 1231 में, यवन आक्रमणकारी इल्तुमिश द्वारा मंदिर का अधिकांश हिस्सा ध्वस्त कर दिया गया था. इसके उपरांत 1881--1883 ई. के मध्य अंग्रेज शासकों द्वारा मंदिर के पुरातात्विक महत्व के मद्देनजर मेजर कीथ के मार्गदर्शन में ग्वालियर किले पर स्थित अन्य मंदिरों, मान महल [मंदिर] के साथ-साथ तेली मंदिर का भी सरंक्षण करवाया. मेजर कीथ ने ही इधर-उधर बिखरे पड़े भग्नावशेषों को जुटाकर तेली मंदिर के सामने भव्य और आकर्षक द्वार भी बनवाया. द्वार के नीचे की तरफ़ लगे दो अंगरेजी भाषा के शिलालेखों में इस संरक्षण कार्य पर होने वाले खर्च का भी वर्णन मिलता है.

वर्तमान समय में मंदिर का केवल पूर्व का प्रवेश द्वार है. तेली मंदिर को दिल्ली के सुलतानों के शासन काल में ध्वस्त कर दिया गया था तत्पश्चात ब्रिटिश शासन काल में हुये मरम्मत कार्य से मंदिर का मूल स्वरूप नष्ट हो गया है, तथापि मेजर कीथ इन मंदिरों के संरक्षण व मरम्मत कार्य का बीड़ा उठाने के लिये साधुवाद के पात्र हैं.

ग्वालियर संगीत सम्राट तानसेन की जन्मभूमि (ग्राम - बेहट) है जिस के लिए कहावत प्रसिध्द है कि यहां बच्चे रोते हैं, तो सुर में और पत्थर लुढकते है तो ताल में. तानसेन की याद में राष्ट्रीय तानसेन संगीत समारोह संस्कृति परिषद के अंतर्गत उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत कला अकादमी (मध्यप्रदेश कला परिषद) के द्वारा आयोजित किया जाता है. भारतीय संगीत की कोई ऐसी ख्यातिनाम हस्ती नही है जो यहां ना आई हो और जिसने यहां आकर अपने आपको आकर धन्य ना समझा हो. भारत रत्न पंडित रविशंकर ने वर्ष 1989 के तानसेन समारोह में प्रस्तुति उपरांत कहा था कि यहां एक जादू सा होता है, जिसमें प्रस्तुति देते समय एक सुखद रोमांच की अनुभूति होती है.


Tansen-Tomb-Gwalior


आप भी अगर संगीत का शौक रखते हैं तो एक बार प्रतिवर्ष होने वाले तानसेन संगीत समारोह में आकर ख्यातिनाम संगीतज्ञों को यहां रूबरू सुनने का सौभाग्य अवश्य प्राप्त करें. आपको संगीत में वो नाद ब्रह्म सुनाई देगा जो आपके ड्राईंग रूम में बजती डीवीडी/सीडी से नही सुनाई दे सकता. यहां की संगीत सभाओं में बैठा शख्स एक अलौकिक दुनियां में पहुंच जाता है.

ग्वालियर रेल, रोड और हवाईजहाज से पूरे देश से जुडा हुआ है. ग्वालियर भ्रमण के लिये गर्मियों का मौसम टाल देवे क्योंकि यहा गर्मी के मौसम में लू चलती है. बाकी मौसम में कभी भी आप जा सकते हैं.

अब आपको ताऊ पहेली 102 के विजेताओं से मिलवाती हूं. सभी को हार्दिक बधाईयां.


आज के प्रथम विजेता हैं


प्रथम विजेता श्री दिनेशराय द्विवेदी अंक 101


आईये अब बाकी विजेताओं से आपको मिलवाती हूं.


ashish mishra

श्री आशीष मिश्रा अंक 100

darshan_jpg

श्री दर्शन लाल बावेजा अंक 99

indu-arora

सुश्री इंदू अरोडा अंक 98

My Photo

श्री P. N. Subramanian अंक 97

anil (1)

प. अनिल जी शर्मा अंक 96

pcg2

श्री पी.सी.गोदियाल, अंक 95

rps

श्री राणा प्रताप सिंह अंक 94

ajju5

Dr.Ajmal Khan अंक 93

pooja1

सु. POOJA R SHARMA अंक 92

somesh

श्री सोमेश सक्सेना अंक 91


श्री दिगम्बर नासवा अंक 90

vkarn

श्री विजय कर्ण अंक 89

gajendra singh

श्री गजेंद्र सिंह अंक 88

OSHO

श्री ओशो रजनीश अंक 87

bbup4

श्री बिग बास अंक 86

shekhar

श्री Shekhar Suman अंक 85

sugya-letest

श्री सुज्ञ अंक 84

श्री अविनाश वाचस्पति अंक 83

प. डी.के. शर्मा "वत्स", अंक 82

श्री मोहसिन अंक 81

tris1

सु. Trisha अंक 80

mverma

श्री M VERMA अंक 79

shamim

श्री शमीम अंक 78

upendra

श्री उपेन्द्र अंक 77

श्री रतन सिंह शेखावत अंक 76

ssb

श्री Surendra Singh Bhamboo अंक 75



अब उनसे रूबरू करवाती हुं जिन्होनें इस अंक में भाग लेकर हमारा उत्साह वर्धन किया


श्री Tarkeshwar Giri
सुश्री M.A.Sharma "सेहर"
श्री नीरज जाटजी
सुश्री निर्मला कपिला
श्री अंतरसोहिल
डाँ. अरुणा कपूर
सुश्री anshumala
श्री संजय भास्कर
सुश्री वन्दना
श्री नरेश सिंह राठौड
श्री Gagan Sharma
श्री महेंद्र मिश्र
सुश्री anju
श्री स्मार्ट इंडियन

सभी प्रतिभागियों का बहुत आभार प्रकट करते हुये रामप्यारी अब आपसे विदा चाहेगी अगली पहेली के जवाब की पोस्ट में मंगलवार सुबह 4:44 AM पर आपसे फ़िर मुलाकात के वादे के साथ, तब तक के लिये जयराम जी की.


ताऊ पहेली के इस अंक का आयोजन एवम संचालन ताऊ रामपुरिया और रामप्यारी ने किया. अगली पहेली मे अगले शनिवार सुबह आठ बजे आपसे फ़िर मिलेंगे तब तक के लिये नमस्कार.


सभी राजकुमारों ने रोहतक तिलयार झील पर पिकनिक के लिये जिद्द की!

महारानी ताई गांधारी और महाराज ताऊ धृतराष्ट्र अपने शयन कक्ष में जाने के लिये उठने ही वाले थे कि अचानक से बाल सेना (ब्लागपुत्रों) ने उनको घेर लिया और प्रणाम किया. अचानक इस तरह से बच्चों को आया जानकर महाराज और महारानी अत्यंत प्रसन्न हो गये. ये तो सभी जानते हैं कि आजकल बच्चे भी माता पिता के पास कोई जरूरत हो तभी जाते हैं वर्ना दूर ही रहते हैं.

सभी राजकुमार महाराज और महारानी से रोहतक जाने के लिये आज्ञा मांगते हुये

युधिष्ठर ने लाड से महाराज के गले में हाथ डालते हुये पूछा - तातश्री, कल हम सभी रोहतक तिलयार झील पर पिकनिक मनाने जाना चाहते हैं आपकी आज्ञा के लिये आये हैं.

ताऊ महाराज - नही नही वत्स, झील बहुत गहरी है और उसमें डूबने का खतरा भी होता है और उसी झील में वो मेंढक और मेंढकी भी रहती है जिसने हमको बुरी तरह लुटवा पिटवा दिया था....

महाराज की बात बीच में काटकर दुर्योधन बोला - अरे पिताश्री, आप भी किस जन्म की बात करते हैं? उस झील के सारे मेंढक मेंढकियों का तो मेडिकल कालेजों में कब का डिसेक्शन हो चुका...आजकल शेर बाघ तक नही बचे और आप मेंढकों से डर रहे हैं? अब हम कल जा रहे हैं तो जा रहे हैं...आपको आज्ञा तो देनी ही पडेगी.

दुर्योधन की बात पर महारानी गांधारी उसे डांटते हुये बोली - दुर्योधन...ये कौन सी भाषा में बात कर रहे हो? अपने पिताश्री से इस तरह की बदतमीजी? नही नही...ये नही चलेगा...और कल कोई भी रोहतक पिकनिक मनाने नही जायेगा...फ़िर कल तुम्हारा स्कूल भी है...पिछली बार भी तुम टर्म एक्जाम में फ़ेल हुये थे पुत्र?

इसी बीच अर्जुन बोला - ज्येष्ठ माताश्री, प्लीज..प्लीज...बस एक बार कल के लिये आज्ञा दे दिजिये ना...वहां बहुत सारे लोग आरहे हैं...बहुत मजा आयेगा...और दुर्योधन भैया की एक्जाम की तैयारी मैं खुद करवा दूंगा.

बालकों के इतने आग्रह के बाद महारानी गांधारी उनको पिकनिक पर भेजने को राजी तो हो गई पर उन्हें दुनियां भर की नसीहतें दे डाली और युधिष्ठर को संबोधित करते हुये बोली - बेटा युधिष्ठर, तुम सबमें बडे और समझदार हो. पर तुमको जुआ खेलने की बुरी लत लग चुकी है ऐसा तुम्हारी स्कूल की टीचर ने मुझे फ़ोन पर बताया था. अत: तुम वहां जुआ खेलने मत बैठ जाना ..... आजकल सार्वजनिक स्थलों पर जुआ खेलते पुलिस भी पकड लेती है.

युधिष्ठर - जी ज्येष्ठ माताश्री, मैं आपको वचन देता हूं कि मैं वहां जाकर जुआ नही खेलूंगा.

महारानी ताई गांधारी - मुझे तुमसे ऐसी ही उम्मीद थी वत्स. और एक बात का ध्यान रखना कि जुआ खेलने के अलावा सार्वजनिक स्थल पर पीना भी मत. मैं जानती हूं कि तू तो सार्वजनिक रूप से पीता नही है पर तेरे लघु भ्राता इस मामले में आर पार हैं. पीना ही हो तो घर पर लौट कर ही पीना, पिकनिक के दौरान नही क्योंकि आजकल बाहर का पानी शुद्ध नही होता.

युधिष्ठर - जी ज्येष्ठ माताश्री, तथास्तु!

महारानी ताई गांधारी - वहां अपने छोटे भाइयों का ख्याल रखना, इन्हें झील में नहाने मत देना और आपस में लडना झगडना भी मत. सब प्रेमपूर्वक रहना और समय से घर लौट आना.

युधिष्ठर - जी ज्येष्ठ माताश्री, मैं आपकी समस्त आज्ञाओं के अनुरूप ही कार्य करूंगा.

महारानी ताई गांधारी - और हां भीम का खाने पीने का विशेष ख्याल रखना और दुर्योधन के साथ इसको लडने मत देना.

युधिष्ठर - जी ज्येष्ठ माताश्री, ऐसा ही होगा.

महारानी ताई गांधारी - और आजकल डायरिया फ़ैला हुआ है...बुखार का भी मौसम है. खान पान का ख्याल रखना. वहां भोजनशाला में जो भी मिले उसके अलावा कुछ मत खाना वर्ना तबियत खराब हो गई तो बडी मुश्किल पडेगी क्योंकि आजकल अस्पतालों में कैश लेस मेडिक्लेम सुविधा भी बंद हो गई है....

इसी बीच भीम बोला - पर ज्येष्ठ माताश्री रोहतक जाकर बिल्लू के पकौडे नही खाये तो फ़िर क्या खाया? आप कुछ भी कहें पर मैं साफ़ कह देता हूं कि कल बिल्लू की दुकान के सारे पकौडे मैं अकेला खा जाऊंगा...किसी और को नही खाने दूंगा...

भीम की इस बात पर महाराज और महारानी सहित सभी राजकुमारों ने ठहाका लगाया और महारानी ने भीम को प्यार भरी चपत लगाते हुये सभी जरूरी हिदायते देकर अगली सुबह रोहतक तिलयार झील पर पिकनिक के लिये जाने की इजाजत दे दी. (क्रमश:)

(अगला भाग परसों सुबह 4 :44 AM पर पढिये:-)

ताऊ पहेली - 102

प्रिय बहणों और भाईयों, भतिजो और भतीजियों सबको शनीवार सबेरे की घणी राम राम.

ताऊ पहेली अंक 102 में आपका हार्दिक स्वागत है. अब से ताऊ पहेली का हिंट नही दिया जायेगा. और पहेली के जवाब की पोस्ट यथावत हर मंगलवार सुबह 4 :44 AM पर प्रकाशित की जायेगी.

विनम्र विवेदन

कृपया पहेली मे पूछे गये चित्र के स्थान का सही सही नाम बतायें कि चित्र मे दिखाई गई जगह का नाम क्या है? कई प्रतिभागी सिर्फ़ उस राज्य का या शहर का नाम ही लिख कर छोड देते हैं. जो कि अबसे अधूरा जवाब माना जायेगा.


ताऊ पहेली का प्रकाशन हर शनिवार सुबह आठ बजे होगा. ताऊ पहेली के जवाब देने का समय कल रविवार दोपहर १२:०० बजे तक या अधिकतम कमेंट सुविधा बंद करने तक है.

आजकल रामप्यारी अन्य कार्यों में व्यस्त है इसलिये कुछ दिनों तक उसके सवाल पूछने का सिलसिला बंद रहेगा. रामप्यारी जैसे ही समय मिलेगा.. रामप्यारी का बोनस सवाल पूछना फ़िर शुरू किया जायेगा.
जरुरी सूचना:-
टिप्पणी मॉडरेशन लागू है इसलिए समय सीमा से पूर्व केवल अधूरे और ग़लत जवाब ही प्रकाशित किए जाएँगे. सही जवाबों को पहेली की रोचकता बनाए रखने हेतु समय सीमा से पूर्व अक्सर प्रकाशित नहीं किया जाता.अत: आपका जवाब आपको तुरंत यहां नही दिखे तो कृपया परेशान ना हों.


नोट : यह पहेली प्रतियोगिता पुर्णत:मनोरंजन, शिक्षा और ज्ञानवर्धन के लिये है. इसमे किसी भी तरह के नगद या अन्य तरह के पुरुस्कार नही दिये जाते हैं. सिर्फ़ सोहाद्र और उत्साह वर्धन के लिये प्रमाणपत्र एवम उपाधियां दी जाती हैं. किसी भी तरह की विवादास्पद परिस्थितियों मे आयोजकों का फ़ैसला ही अंतिम फ़ैसला होगा.


मग्गाबाबा का चिठ्ठाश्रम
मिस.रामप्यारी का ब्लाग
ताऊजी डाट काम

ब्लागिंग में पी.एच.डी. सहित विभिन्न कोर्स उपलब्ध!

सभी लोगों के लिये आज का दिन महान और खुशखबर वाला है. काफ़ी समय से ब्लागजगत में लोग आते हैं और चले जाते हैं. कुछ चंद लोग जो बच जाते हैं वो महान मठाधीशों के बीच खेमेबाजी में बंट कर रह जाते हैं. आप लोग तो जानते ही हैं कि ब्लाग स्पेक्ट्रम का असली राजा तो ताऊ है जो खुद के साथ साथ सभी को रेवडियां खिलवाता ही रहता है.

पिछले कुछ समय से शिद्दत से यह महसूस किया जा रहा है कि कुछ ब्लागिंग के कोर्स शुरू किये जायें ताकि नयों के साथ साथ कुछ पुराने खूसट और घाघ (महाघाघ सिर्फ़ ताऊ है दूसरे इस पदवी की तरफ़ मुंह ना मारें) लोगों को भी ब्लागिंग की विभिन्न मनपसंद विधाओं में ट्रेनिंग देकर बाद में खुद ताऊ के निर्देशन में उनको डाक्टरेट करवाई जा सके.

"ताऊ युनिवर्सिटी आफ़ ब्लागिंग" के अंतर्गत निम्न कोर्स शुरू किये गये हैं जिनमें फ़ेकल्टी और नियमों की जानकारी नीचे दी जा रही है. कृपया अपने योग्य और मनपसंद कोर्स में एडमिशन लेकर अपना अध्ययन पूर्ण करें.


"ताऊ युनिवर्सिटी आफ़ ब्लागिंग"

वाइस चांसलर - ताऊ रामपुरिया अपने आफ़िस में

कोर्सेस का संक्षिप्त ब्यौरा :-

आदिकाल - राहुल सांकृत्यायन द्वारा आदिकाल को सिद्ध सामंत काल कहा गया है, जो कि हिंदी का शुरूआती काल है. इसी तरह ब्लागरी के शुरूआती काल के सभी कोर्सेस इस काल के अंतर्गत करवाये जायेंगे जिसके डीन
श्री समीरलाल ’समीर’ नियुक्त किये गये हैं.

आदिकाल कोर्सेस के डीन श्री समीर लाल

भक्तिकाल - तुलसीदास सूरदास जैसे भक्तों का काल रहा है और इस विषय के समस्त ब्लागिंग कोर्सेस के डीन - डा. अरविंद मिश्र नियुक्त किये गये हैं.

भक्तिकाल कोर्सेस के डीन डा. अरविंद मिश्र

रीतिकाल - बिहारी, सत्सैया रहीम का काल है , इसमें तीन तरह के कवि थे रीतिसिद्ध, रीतिबद्ध और रीतिमुक्त.. इस विधा मे समस्त ब्लागिंग कोर्सेस के डीन - डा. रूपचंद्र शाश्त्री "मयंक" नियुक्त किये गये हैं.

रीतिकाल कोर्सेस के डीन डा. रूपचंद्र शाश्त्री "मयंक"

आधुनिक काल - की शुरूआत ब्लागिंग में ताऊ के आगमन के साथ ही मानी गई है और इस विधा के समस्त ब्लागिंग कोर्सेस के डीन - श्री सतीश सक्सेना नियुक्त किये गये हैं.


आधुनिक काल कोर्सेस के डीन श्री सतीश सक्सेना

ब्लागिंग के आधुनिक काल के अंतर्गत निम्न कोर्सेस शुरू किये गये हैं.

प्रयोगवाद - के अंतर्गत, प्रणामवाद, धन्यवाद, नम्रवाद, ब्लागर मिलन वाद, रामराम वाद एवम अन्य कई कोर्सेस हैं.

इस विधा के हैड आफ़ डिपार्टमैंट श्री अंतरसोहिल नियुक्त किये जाते हैं.

छायावाद - के अंतर्गत अनामी बेनामी टिप्पणी ज्ञान, पोस्ट पब्लिश करने के बाद उसमें से कांट छांट ज्ञान? स्वयं अदृष्य रहकर दूसरों की खाट कैसे खडी करें का ज्ञान? किसी बेनामी की टिप्पणि किसी शरीफ़ ब्लागर के आईपी एडरेस का पता करके उसके मत्थे करने का ज्ञान इत्यादि....

इस छायावाद विधा की समस्त ब्लागर शिक्षा दीक्षा ताऊ रामपुरिया के निर्देशन में दी जायेगी पर इस विभाग के लिये एक सुयोग्य व्यक्ति की तलाश है जो कि इस विभाग का विभागाध्यक्ष बन सकें और ताऊ के इशारों पर चलकर स्पेक्ट्रम के कार्य को गति दे सके . पारिश्रमिक योग्यतानुसार देय होगा. चैतुआ यानि डेपुटेशन पर भी चलेगा. तुरंत संपर्क करें.

नारी विमर्श - के कोर्सेस अति शीघ्र तय किये जा रहे हैं. योग्य और कुशल नारी विभागाध्यक्ष की आवश्यकता है. कृपया इच्छुक उम्मीदवार तुरंत संपर्क करें . पारिश्रमिक योग्यतानुसार देय होगा.

दलित विमर्श - योग्य और कुशल पुरूष / नारी विभागाध्यक्ष की आवश्यकता है. कृपया इच्छुक उम्मीदवार तुरंत संपर्क करें . पारिश्रमिक योग्यतानुसार देय होगा.

"साधारण नियमावली"

१. "ताऊ युनिवर्सिटी आफ़ ब्लागिंग" के किसी भी कोर्स में दाखिले के लिये किसी भी योग्यता या अनुभव की आवश्यकता नही है सिवाय पी.एच.डी. को छोडकर.

२. प्रत्येक कोर्स की फ़ीस ४२,७००/ रूपये मात्र प्रति सेमेस्टर रखी गयी है.

३. सभी कोर्स आन लाईन करवाये जायेंगे. परंतु प्रत्येक सेमेस्टर की परीक्षा देने १० दिन के लिये युनिवर्सिटी कैंप्स मे ही आना पडेगा. प्रत्येक परीक्षार्थी को रेल का A.C. फ़र्स्ट क्लास का दोनों तरफ़ का किराया युनिवर्सिटी की तरफ़ से दिया जायेगा, बेडरूम ट्विन शेयरिंग करना होगा.

४. बुढऊ और खूसट ब्लागर अपनी दवाईयों के साथ साथ डाक्टर से स्वस्थता का प्रमाण पत्र अवश्य लाये. कोई अर्दली या अटेंडेंट कैंप्स मे अलाऊ नही किया जायेगा. ५ मील की नित्य दौड लगाना अनिवार्य होगा.

५. युनिवर्सिटी के नियम और कानून कायदे सब पर बंधन कारक रहेंगे.

६. युनिवर्सिटी प्रवास के दौरान बेड टी, लंच और डिनर सामुहिक रूप से करना अनिवार्य होगा.

७. किसी भी हालत में मच्छर भगाऊ अगरबत्ती का उपयोग अलाऊ नही होगा क्योंकि ताऊ युनिवर्सिटी जीव हत्या की घनघोर विरोधी है.

८. कोर्स की फ़ीस में सिर्फ़ ताऊ के खेमे वालों को या डीन लोगों के खेमेबाजों को ४० % की विशेष रियायत दी जायेगी.

९. अन्य खेमे के ब्लागर भी इन कोर्सेस में सादर आमंत्रित हैं. अगर उन्हें फ़ीस में छूट चाहिये तो वो अपना खेमा बदलकर छूट प्राप्त कर सकते हैं.

१०. एक बार "ताऊ युनिवर्सिटी आफ़ ब्लागिंग" से कोर्स करने के बाद कोई भी ब्लागर अपना खेमा नही बदल सकेगा. अगर खेमा बदलना ही होगा तो कोर्स में दी गई छूट का दस गुना दंड ब्याज वसूल किया जायेगा.

११. किसी भी तरह के विवाद की स्थिति में ताऊ का निर्णय ही सर्वमान्य और अंतिम होगा.

१२. सभी कोर्से की विस्तृत जानकारी के लिये रूपये २६५०/ भेजकर नियमावली और फ़ार्म बुलवाये.

१३. सभी कोर्सेस में सीटे बहुत ही सीमित हैं अत: तुरंत लपक लें वर्ना बाद में पछताना पड सकता है.

१४. सीटे फ़ुल होते ही रजिस्ट्रेशन बंद कर दिये जायेंगे.

नोट : "ताऊ युनिवर्सिटी आफ़ ब्लागिंग" से डबल पी.एच.डी. भी करवाई जाती है. जिसके लिये अपनी आर्थिक, मानसिक और शारीरिक स्थिति की रिपोर्ट सलंग्न करें उसके उपरांत ही मैनेजमैंट कमेटी आपके दाखिले पर कोई निर्णय ले सकेगी.

ताऊ ब्लागिंग विश्व विद्यालय की ओपनिंग पर विशेष बम्पर ऑफर:

-पी एच डी के लिए उपलब्ध विषय मय शोध पत्र के बेचे जा रहे हैं:

’साधुवाद टिप्प्णीकाल का उदय’
विक्रेता: समीर लाल


’नारी सशक्तिकरण: विरोध के स्वर एवं ताल’
विक्रेता: मनोनीत होना बाकी


’दलित विमर्श: एक नया ब्लॉगिया दृष्टिकोण’
विक्रेता: सेटिंग लगभग फाईनल हो गई है, अब जोर न लगायें.

-विश्व विद्यालय में उपलब्ध सुविधाओं का ब्यौरा:

-ब्लॉगर मिलन समारोह के लिए बड़े बड़े हाल सस्ते किराये पर उपलब्ध हैं. चाय पानी का खर्चा अलग से लिया जायेगा. चाय के गरम होने की हमारी कोई गारंटी नहीं है. रसीद आधे पैसे की दी जायेगी बाकी साथ में कैश लायें.

-विशेष प्रलोभन: हमारे युनिवर्सिटी क्षेत्र में मच्छर नहीं हैं.


ताऊ पहेली - 101 (Kiradu Temple, Barmer, Raj.) विजेता - श्री आशीष मिश्रा

प्रिय बहणों और भाईयो, भतीजियों और भतीजों आप सबको घणी रामराम ! हम आपकी सेवा में हाजिर हैं ताऊ पहेली 101 का जवाब लेकर. कल की ताऊ पहेली का सही उत्तर है Kiradu Temples, Barmer, Rajasthan

अब रामप्यारी किराडू देवालयों से संबंधित कुछ जानकारी आपको दे रही है.



हाय एवरी वन...गुड मार्निंग...मी राम की प्यारी...रामप्यारी.

अब सबसे पहले तो मैं पहेली के विषय में आपको दो शब्द बताऊंगी...दो से ज्यादा भी हो सकते हैं मैं गणित में जरा कमजोर हूं...गिनती आप ही लगा लिजियेगा. और उसके बाद मैं आपको विजेताओं के नाम बताऊंगी. क्योंकि आजकल हीरामन भैया भी छुट्टी पर चले गये हैं तो अब से सारी जिम्मेदारी मेरे मजबूत कंधों पर ही आ पडी है.



ताऊ पहेली 101 में हमने आपको जो चित्र दिखाया था वो किराडू मंदिर श्रंखला के पांच मंदिरों मे से ही था. किराडू को राजस्थान का खजूराहो भी कहा जाता है.

किराडू का प्राचीन नाम किरात कूप है. किरात जाति का महाभारत में भी उल्लेख है. शिव एवम पार्वती को आराध्य देव के रूप में पूजने वाली ये वनवासी जाति है. कहा जाता है कि एक बार किरातों का राजा धृतराष्ट्र के पुत्र दुर्योधन को पकड़ कर ले गया था. उस समय धर्मराज युधिष्ठर के कहने पर दुर्योधन को किरातों से भीम एवं अर्जुन ने ही छुड़वाया था. किरात कूप यानी आज के किराडू को उसी किरात जाति से संबंध की वजह से किरात कूप कहा जाने लगा.


Kiradu mountain backdrop


बाड़मेर से लगभग ३५ किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में हथमा गांव के पास पहाड़ी के नीचे ये किराडू के मंदिरों का समूह है.
इतिहास विदों का ऐसा मानना है कि इन देवालयों को धार के परमार वंशीय मुंज के भाई के पुत्र दु:शालराज ने या उसके वंश के बाद मे आये शासकों ने ग्यारहवीं शताब्दी में बनवाया होगा.


बाडमेर का नाम आते ही बंजर भूमि, तपती रेत, रूखापन और एक अजीब सी उदासी जैसा भाव ही मन में आता है. दिन में तपती रेत और आसमान से आग उगलते सूरज के बावजूद रात को ठंडी रेत के टीलों के मध्य जब बाड़मेर के लोक संगीत की स्वर लहरियां बज उठती हैं तो सारी उदासी और सूनापन गायब हो जाता है. मौसम की विषमताओं के बावजूद यहां के लोगों में उत्सवधर्मिता गहराई से समाई हुई है.



जब भी मौका मिले, जहां भी मिले, गीत संगीत की महफ़िल अभावों का एहसास भी नही होने देती. ऊपर के विडियो में देखिये कि यहां के लोग संगीत की महफ़िलें कैसे और कहां सजाते हैं? कितना स्वर्गिक संतोष इनके चेहरों पर दिखाई देता है. एक बार इस विडियो को अवश्य देखें, सारी शिकायते भूल जायेंगे और ये जान पायेंगे कि आनंद फ़ाईव स्टार होटलों की महफ़िलों में नही बल्कि असली आनंद तो यहां के लोग लेते हैं.

किराडू में पत्थर पर छेनी से उत्कीर्ण कलाकृतियां उकेरी गई हैं जो सब की सब बेमिसाल हैं. मंदिरों की शायद कभी यहां पूरी श्रृंखला रही होगी परन्तु आज केवल पांच मंदिरों के भग्नावशेष ही दिखाई देते हैं. एक भगवान विष्णु का और बाकी चार भगवान शंकर के मंदिर हैं.


Kiradu Temples Inside


चहुं और खंडहरों में विलक्षण शिल्प बिखरा पडा है, बाहरी भाग अब तक भी कलाकृतियों से पुर्णतया सुसज्जित है. अगर एक पंक्ति में कहना चाहुं तो नींव के पत्थर से लेकर छत तक में कला जैसे बारीकी से उकेरी गई है.

यहां के ४४ स्तम्भ आज भी अतीत को याद करते से लगते हैं. सोमेश्वर मंदिर के पास ही एक छोटा सा शिवालय भी है. यहां पत्थरों का सौन्दर्य पग—पग पर बिखरा पड़ा है. युद्ध कौशल के दृष्य, बिगुल, तुरही, नगाड़े इत्यादि. रामायण की अनेकों दृष्यावलियां..... जैसे सोच में पड़ी बंदर सेना... और एक जगह राम की जांघ पर अचेतावस्था में लक्ष्मण जी सोए हुए हैं.... संजीवनी बूटी के लिये पवनपुत्र समूचा पर्वत ही उठा लाए हैं....समीप ही महाभारत के अनेको दृश्य भी हैं.

बाडमेर घूमने के लिये अगस्त से मार्च तक का समय उपयुक्त रहेगा. बाडमेर रेल से जोधपुर से जुडा हुआ है. नजदीकी हवाई अड्डा भी जोधपुर ही है. यहां का बस-स्टेंड रेल्वे स्टेशन के नजदीक ही है जहां से जोधपुर, बालोतरा, जालोर, जैसलमेर, अहमदाबाद, माऊंट आबू, उदयपुर सहित राजस्थान के सभी प्रमुख शहरों के लिये बसे उपलब्ध रहती हैं.

अब आपको ताऊ पहेली १०१ के विजेताओं से मिलवाती हूं.

आज के प्रथम विजेता हैं


प्रथम विजेता श्री आशीष मिश्रा अंक 101


हार्दिक बधाईयाँ


आईये अब बाकी विजेताओं से आपको मिलवाती हूं.




अब उनसे रूबरू करवाती हुं जिन्होनें इस अंक में भाग लेकर हमारा उत्साह वर्धन किया


श्री दर्शन लाल बावेजा
श्री शेखर सुमन
सुश्री M.A.Sharma "सेहर"
सु. NEHA MATHEWS
श्री नीरज गोस्वामी
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
श्री देवेंद्र पांडे
श्री सोमेश सक्सेना
श्री संजय बेंगाणी
भारतीय नागरिक - Indian Citizen
श्री संजय भास्कर
सु.डाँ. अरुणा कपूर
सुश्री anshumala
श्री नरेश सिंह राठौड
श्री विवेक रस्तोगी
सुश्री वंदना
श्री दिगम्बर नासवा
श्री काजलकुमार
सुश्री anju
श्री तारकेश्वर गिरी
श्री गिरीश बिल्लोरे
डॉ. नूतन - नीति
प. डी. के. शर्मा "वत्स"
श्री प्रवीण त्रिवेदी
श्री मनोज कुमार
श्री बंटी चोर
श्री अविनाश वाचस्पति

सभी प्रतिभागियों का बहुत आभार प्रकट करते हुये रामप्यारी अब आपसे विदा चाहेगी अगली पहेली के जवाब की पोस्ट में मंगलवार सुबह 4:44 AM पर आपसे फ़िर मुलाकात के वादे के साथ, तब तक के लिये जयराम जी की.


ताऊ पहेली के इस अंक का आयोजन एवम संचालन ताऊ रामपुरिया और रामप्यारी ने किया. अगली पहेली मे अगले शनिवार सुबह आठ बजे आपसे फ़िर मिलेंगे.