प्रिय भाईयो और बहणों, भतीजों और भतीजियों आप सबको घणी रामराम ! हम आपकी सेवा में हाजिर हैं ताऊ पहेली 66 का जवाब लेकर. कल की ताऊ पहेली का सही उत्तर है मुंडेश्वरी मंदिर, कैमूर (बिहार).
और इसके बारे मे संक्षिप्त सी जानकारी दे रही हैं सु. अल्पना वर्मा.
मुंडेश्वरी मंदिर
संसार में सबसे प्राचीन जीवंत हिन्दू मंदिर कौन सा है?
मुंडेश्वरी मंदिर??
भारत में सबसे प्राचीन पूर्ण जीवंत हिन्दू मंदिर कौन सा है?
मुंडेश्वरी मंदिर?
जब भी ये सवाल उठा है तब कई जवाब सामने आये हैं जबकि आकिर्योलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने माना है कि इतिहास के मद्देनजर यह भारत देश का सबसे पुराना मंदिर है.
भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा संरक्षित इस मंदिर के पुरुत्थान के लिए योजनायें बन रही है.यूनेस्को की लिस्ट में भी शामिल करवाने के प्रयास जारी हैं.इस मंदिर के बारे में मैं यहाँ संक्षेप में जानकारी दे रही हूँ.
अधिक जानकारी आप इस की साईट पर जा कर भी ले सकते हैं.http://mundeshwarimandir.org/history.html
मुंडेश्वरी देवी का यह मंदिर बिहार के कैमूर जिले के भगवानपुर अंचल में पवरा पहाड़ी पर 608 फीट की ऊंचाई पर स्थित है.
मुंडेश्वरी देवी
कैमूर जिले का नाम सुन कर आप को भी याद आ गया होगा जी हाँ ,यह वही कैमूर जिला है जहाँ हरशुब्रह्म धाम में हर साल चैत्र शुक्ल पक्ष के प्रारंभ होते ही नवरात्र के अवसर पर कथित तौर पर भूतों की अदालत लगती है और कुछ लोग कथित भूतों, डायनों और चुडैलों से मुक्ति दिलाते हैं.अब इस में क्या सच्चाई है हम नहीं जानते.
चलिए आप को इस देवी मंदिर के बारेमें बताते हैं .
स्थापना कब और किस ने करवाई -पुरातत्व विभाग को यहाँ ब्राह्मी लिपि में लिखित जो शिलालेख और श्रीलंका के महाराजा दुतगामनी की राजकीय मुद्रा मिली थीं. जिन पर किये ताज़ा पुरातात्विक शोधों के आधार पर इसे कुषाण युग में हुविश्क के शासनकाल में सन् 108 ईस्वी में उत्कीर्ण माना जा रहा है.किस ने बनवाया यह ज्ञात नहीं है.
इस मंदिर के आस पास अवशेषों में कई अन्य भगवानो की मूर्तियाँ आदि भी मिली हैं.मुख्यत देवी मुंडेश्वरी की पूजा होती है.यहाँ शिव और पार्वती की पूजा होते रहने के भी प्रमाण मिले हैं.
कुछ और रोचक तथ्य -
१-यहाँ एक चतुर्मुखी शिवलिंग है ,कहते हैं इसका रंग सुबह, दोपहर और शाम में अलग अलग दिखता है.
२-यहाँ बकरे की बलि नहीं दी जाती बल्कि बकरे को देवी के सामने लाया जाता है.उसपर मन्त्र वाले चावल पुजारी छिडकता है जिस से वह बेहोश हो जाता है और फिर उसे बाहर छोड़ दिया जाता है.
३-सालों बाद यहां तांडुलम भोग [चावल का भोग] और वितरण की परंपरा पुन: शुरू हो गई है.माना जाता है कि 108 ईस्वी में यहां यह परंपरा जारी थी.
४- यहां का अष्टाकार गर्भगृह तब से अब तक कायम है.
५- जानकार मानते हैं कि उत्तर प्रदेश के कुशीनगर और नेपाल के कपिलवस्तु का रूट मुंडेश्वरी मंदिर से जुड़ा था.
६ -वैष्णो देवी की तर्ज पर इस मंदिर का विकास किये जाने की योजनायें राज्य सरकार ने बनाई हैं.
७-इस मंदिर का संरक्षक एक मुस्लिम है.
मुंडेश्वरी मंदिर की प्राचीनता का महत्व इस दृष्टि से और अधिक है कि यहां पर पूजा की परंपरा १९०० सालों से अविच्छिन्न रही है और आज भी यह मंदिर पूरी तरह जीवंत है.
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आप सभी को रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ यह एक क्लू दिए चलते हैं कि अगली पहेली भगवान राम से सम्बंधित है. अभी के लिये इतना ही. अगले शनिवार एक नई पहेली मे आपसे फ़िर मुलाकात होगी.
सभी का बहुत आभार.
आयोजकों की तरफ़ से सभी प्रतिभागियों का इस प्रतियोगिता मे उत्साह वर्धन करने के लिये हार्दिक धन्यवाद.
और इसके बारे मे संक्षिप्त सी जानकारी दे रही हैं सु. अल्पना वर्मा.
आप सभी को मेरा नमस्कार,
पहेली में पूछे गये स्थान के विषय में संक्षिप्त और सारगर्भीत जानकारी देने का यह एक लघु प्रयास है.
आशा है, आप को यह प्रयास पसन्द आ रहा होगा,अपने सुझाव और राय से हमें अवगत अवश्य कराएँ.
मुंडेश्वरी मंदिर
संसार में सबसे प्राचीन जीवंत हिन्दू मंदिर कौन सा है?
मुंडेश्वरी मंदिर??
भारत में सबसे प्राचीन पूर्ण जीवंत हिन्दू मंदिर कौन सा है?
मुंडेश्वरी मंदिर?
जब भी ये सवाल उठा है तब कई जवाब सामने आये हैं जबकि आकिर्योलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने माना है कि इतिहास के मद्देनजर यह भारत देश का सबसे पुराना मंदिर है.
भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा संरक्षित इस मंदिर के पुरुत्थान के लिए योजनायें बन रही है.यूनेस्को की लिस्ट में भी शामिल करवाने के प्रयास जारी हैं.इस मंदिर के बारे में मैं यहाँ संक्षेप में जानकारी दे रही हूँ.
अधिक जानकारी आप इस की साईट पर जा कर भी ले सकते हैं.http://mundeshwarimandir.org/history.html
मुंडेश्वरी देवी का यह मंदिर बिहार के कैमूर जिले के भगवानपुर अंचल में पवरा पहाड़ी पर 608 फीट की ऊंचाई पर स्थित है.
कैमूर जिले का नाम सुन कर आप को भी याद आ गया होगा जी हाँ ,यह वही कैमूर जिला है जहाँ हरशुब्रह्म धाम में हर साल चैत्र शुक्ल पक्ष के प्रारंभ होते ही नवरात्र के अवसर पर कथित तौर पर भूतों की अदालत लगती है और कुछ लोग कथित भूतों, डायनों और चुडैलों से मुक्ति दिलाते हैं.अब इस में क्या सच्चाई है हम नहीं जानते.
चलिए आप को इस देवी मंदिर के बारेमें बताते हैं .
स्थापना कब और किस ने करवाई -पुरातत्व विभाग को यहाँ ब्राह्मी लिपि में लिखित जो शिलालेख और श्रीलंका के महाराजा दुतगामनी की राजकीय मुद्रा मिली थीं. जिन पर किये ताज़ा पुरातात्विक शोधों के आधार पर इसे कुषाण युग में हुविश्क के शासनकाल में सन् 108 ईस्वी में उत्कीर्ण माना जा रहा है.किस ने बनवाया यह ज्ञात नहीं है.
इस मंदिर के आस पास अवशेषों में कई अन्य भगवानो की मूर्तियाँ आदि भी मिली हैं.मुख्यत देवी मुंडेश्वरी की पूजा होती है.यहाँ शिव और पार्वती की पूजा होते रहने के भी प्रमाण मिले हैं.
१-यहाँ एक चतुर्मुखी शिवलिंग है ,कहते हैं इसका रंग सुबह, दोपहर और शाम में अलग अलग दिखता है.
२-यहाँ बकरे की बलि नहीं दी जाती बल्कि बकरे को देवी के सामने लाया जाता है.उसपर मन्त्र वाले चावल पुजारी छिडकता है जिस से वह बेहोश हो जाता है और फिर उसे बाहर छोड़ दिया जाता है.
३-सालों बाद यहां तांडुलम भोग [चावल का भोग] और वितरण की परंपरा पुन: शुरू हो गई है.माना जाता है कि 108 ईस्वी में यहां यह परंपरा जारी थी.
४- यहां का अष्टाकार गर्भगृह तब से अब तक कायम है.
५- जानकार मानते हैं कि उत्तर प्रदेश के कुशीनगर और नेपाल के कपिलवस्तु का रूट मुंडेश्वरी मंदिर से जुड़ा था.
६ -वैष्णो देवी की तर्ज पर इस मंदिर का विकास किये जाने की योजनायें राज्य सरकार ने बनाई हैं.
७-इस मंदिर का संरक्षक एक मुस्लिम है.
मुंडेश्वरी मंदिर की प्राचीनता का महत्व इस दृष्टि से और अधिक है कि यहां पर पूजा की परंपरा १९०० सालों से अविच्छिन्न रही है और आज भी यह मंदिर पूरी तरह जीवंत है.
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आप सभी को रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ यह एक क्लू दिए चलते हैं कि अगली पहेली भगवान राम से सम्बंधित है. अभी के लिये इतना ही. अगले शनिवार एक नई पहेली मे आपसे फ़िर मुलाकात होगी.
आचार्य हीरामन "अंकशाश्त्री" की नमस्ते!
प्यारे बहनों और भाईयो, मैं आचार्य हीरामन “अंकशाश्त्री” ताऊ पहेली के रिजल्ट के साथ आपकी सेवा मे हाजिर हूं. उत्तर जिस क्रम मे मुझे प्राप्त हुये हैं उसी क्रम मे मैं आपको जवाब दे रहा हूं. एवम तदनुसार ही नम्बर दिये गये हैं.
श्री उडनतश्तरी अंक 101 |
श्री हिमांशु । Himanshu अंक 100 |
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श्री प्रकाश गोविंद अंक 98 |
श्री रंजन अंक 97 |
सुश्री सीमा गुप्ता अंक 96 |
सुश्री संगीता पुरी अंक 95 |
सुश्री M. A. Sharma “सेहर” अंक 94 |
श्री दिनेशराय द्विवेदी अंक 93 |
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सुश्री रेखा प्रहलाद अंक 91 |
श्री संजय बेंगाणी अंक 90 |
श्री जीतेंद्र अंक 89 |
श्री अंतरसोहिल अंक 88 |
श्री रामकृष्ण गौतम अंक 87 |
प. श्री. डी. के. शर्मा “वत्स” अंक 86 |
श्री रजनीश परिहार अंक 85 |
सुश्री बबली अंक 84 |
श्री रतनसिंह शेखावत अंक 83 |
श्री विवेक रस्तोगी अंक 82 |
अब आईये आपको उन लोगों से मिलवाता हूं जिन्होने इस पहेली अंक मे भाग लेकर हमारा उत्साह वर्धन किया. आप सभी का बहुत बहुत आभार.
श्री मनोज कुमार
श्री भारतीय नागरिक - Indian Citizen
सभी का बहुत आभार.
अब अगली पहेली का जवाब लेकर अगले सोमवार फ़िर आपकी सेवा मे हाजिर होऊंगा तब तक के लिये आचार्य हीरामन "अंकशाश्त्री" को इजाजत दिजिये. नमस्कार!
आयोजकों की तरफ़ से सभी प्रतिभागियों का इस प्रतियोगिता मे उत्साह वर्धन करने के लिये हार्दिक धन्यवाद.
ताऊ पहेली के इस अंक का आयोजन एवम संचालन ताऊ रामपुरिया और सुश्री अल्पना वर्मा ने किया. अगली पहेली मे अगले शनिवार सुबह आठ बजे आपसे फ़िर मिलेंगे तब तक के लिये नमस्कार.
बधाइयां सभी विजेताओं को ढेरों बधाइयां
ReplyDeleteसभी पहेली विजेताओं को बधाई
ReplyDeleteसमीर लाल जी एवं सङी प्रतिभागियों को बधाई!
ReplyDeleteBADHAI HO BADHAI!!!
ReplyDeleteबधाइयां सभी को...........
ReplyDeleteसभी प्रतिभागियों को बधाई!
ReplyDelete११ पाईंट...एकाउन्ट!!
हिन्दी में विशिष्ट लेखन का आपका योगदान सराहनीय है. आपको साधुवाद!!
लेखन के साथ साथ प्रतिभा प्रोत्साहन हेतु टिप्पणी करना आपका कर्तव्य है एवं भाषा के प्रचार प्रसार हेतु अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें. यह एक निवेदन मात्र है.
अनेक शुभकामनाएँ.
आदरणीय समीर लाल जी सहित सभी विजेताओ को हार्दिक बधाई....
ReplyDeleteregards
समीर जी एवं सभी प्रतिभागियों को बधाई!
ReplyDelete11 अंक!!!! बहुत बड़ी खाई हो गई है. पाटना मुश्किल है. यही रिवाज है अतः आरोप लगाते है, चिटिंग हुई है. हाय हाय.... वगेरे वगेरे.... साथ ही अगली बार देख लेंगे की धमकी भी ठोकते है.... :)
ReplyDeleteसभी प्रतियोगियों को बधाई.
सभी पहेली विजेताओं को बधाई
ReplyDeleteसभी विजेतओ ओर प्रजोयको को बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteगोल्ड मैडलिस्ट और मैडलविहीन सभी विजेताओं को बहुत बधाई!!!
ReplyDeleteसभी पहेली विजेताओं को एवं प्रतिभागियों को बधाई!
ReplyDeleteसभी पहेली विजेताओं को बधाई
ReplyDeletevijetaon ko hardik badhayi
ReplyDeleteसमीर जी एवं सभी विजेताओं को हार्दिक बधाइयाँ!
ReplyDeleteSameer ji . Gold medal kee chamak yahan tak pahunch rahee hai...:))
ReplyDeleteGreat !!
Sabhee mitron ko bahut badhayiiii !!
Sameer ji . Gold medal kee chamak yahan tak pahunch rahee hai...:))
ReplyDeleteGreat !!
Sabhee mitron ko bahut badhayiiii !!
Sameer ji . Gold medal kee chamak yahan tak pahunch rahee hai...:))
ReplyDeleteGreat !!
Sabhee mitron ko bahut badhayiiii !!
nice
ReplyDeleteकैमूर में एक बहुत बड़ा डाकू भी हुआ था बचपन में किसी मैगजीन में पढ़ा था | जानकारी काफी रोचक थी जिसके लिए अल्पना जी को धन्यवाद | सभी विजेताओं को बधाई |
ReplyDeleteबहुत नजदीक पहुंच कर रह गये ! बस एक कदम और!
ReplyDeleteसमीर जी सहित सभी विजेताओं को बधाई !
कर्ण पुराण तो मैंने आज ही पढ़ लिया फीड में :)
ReplyDeleteइतने प्राचीन मंदिर के बारे में पढ कर मन खुश हो गया।
ReplyDeleteहुविश्क के काफी सिक्के हिन्दुस्तान में मिल चुके हैं। अब मदिर भी नजर आ गया है।
सस्नेह -- शास्त्री
हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है.
हर महीने कम से कम एक हिन्दी पुस्तक खरीदें !
मैं और आप नहीं तो क्या विदेशी लोग हिन्दी
लेखकों को प्रोत्साहन देंगे ??
http://www.Sarathi.info
कमाल है ताऊ. पहेली कैमूर की और विजेताओं में अशोक पाण्डेय जी (खेतीबारी वाले) का नाम भी नहीं! कमाल है! खैर, बाकी विजेताओं को बधाई!
ReplyDeleteJai maa mundeshwari . aap ne maa mundeshwari ke bare me jankare dekar hame kritarth kar diya .
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