शुक्रवार को शाम को हम रतनसिंह जी शेखावत के साथ घर के बरामदे में बैठे बैठे हुक्का पी रहे थे कि भतिजे खुशदीप सहगल का फ़ोन आया . बोले - ताऊ रामराम,
मैं बोल्या - भाई घणी रामराम...और सुणा के हाल चाल सैं?
खुशदीप : बस ताऊ नू समझ ले के हाल चाल तो ठीक ठाक सैं, बस तेरे तैं मिलना है. कब आजाऊं?
मैने कहा - यार मैं कौन सा तोपचंद हूं? मैं तो फ़ोकट चंद हूं जब तेरी मर्जी हो, आजा. ये भी तेराई घर सै.
और अगले ही दिन खुशदीप आ धमका.रामराम श्याम श्याम के बाद चाय वाय पी और फ़िर बात चीत शुरु हुई.
खुशदीप - ताऊ बात नू है कि मैं एक सीरीयल बणा रहा हूं "राज ब्लागर के पिछले जन्म के" बस इसी सिलसिले मे तेरे पास आया सूं. ताऊ नू समझ ले कि इसमे तेरा सहयोग मांगने ही आया सूं.
मैं बोल्या - भाई या तो घणीई बढिया बात सै. तू नू कर कि समीरलाल जी पै बणाले पहला ही एपिसोड... समझ ले कि सुपरहिट हो ज्येगा तेरा सीरीयल..और उसके बाद अरविंद मिश्रा जी को पकड ले.. मन्नै पक्का यकीन सै के दोनूआं के मूंह से ऐसे राज बाहर निकलेंगे कि तहलका मच जायेगा.
खुशदीप - अरे ताऊ , उन दोनों से बात की थी पर उनके पास शूटिंग के लिये समय नही है, और तू ठहरा बधाऊ (फ़ालतू) आदमी. तो यो पहला एपिसोड तेरे उपर ही बणा लेते हैं.
मैं बोल्या - यार खुशदीप, तू मेरे से क्युं दुश्मनी निकालण लागरया सै भाई? ताऊ नै तेरा के बिगाड राख्या सै? मेरे पीछे वैसे ही भतेरे कूंगर लागरे सैं. तेरे आगे दो जोडे हाथ... मन्नै माफ़ कर यार.
खुशदीप बोल्या - अरे ताऊ..तैं समझता कोनी..तेरा के बिगड ज्येगा? नू बता कि मूसल का मेह (बरसात) म्ह के भीजेगा ? बावलापन मतन्या करै. तन्नै पिस्से भी अच्छे दिलवा दूंगा प्रोड्युसर तैं.
इब भाई जब ये पता लगा कि पिस्से भी मिलेंगे तो हमने पूछा - अच्छा तो नू कह ना की कमाई आला काम सै? बता के दिलवा देगा?
खुशदीप बोल्या - ताऊ, देख तन्नै हवाईजहाज का तो रिटर्न टिकट दिलवा दूंगा. और दिल्ली पहुंच कै एक कार मिल ज्येगी घूमण खातिर. और के चहिये तन्नै? बता?
मैं बोल्या - भाई ये तो बात तेरी पसंद आई, पर नू बता कि कार कौन सी दिलवावेगा?
खुशदीप बोल्या - अरे ताऊ, कोई सी भी हो, जो बखत पै होगी वही भिजवा दूंगा. तन्नै कौन सी घर ल्यानी सै?
मैं बोल्या - अरे इब्बी तो तैं कहण लागरया था कि कार दिलवा देगा? इब के होगया? देख भाई , मेरे को तो वो लम्बी सी मारोती दिलवाता होये तो तेरे सीरीयल म्ह काम करुंगा नही तो नही.
खुशदीप बोल्या - अरे बावली बूच ताऊ, तू नू बता, के तू लाट साहब होरया सै? ना तू के दिलिपकुमार हो राख्या सै या अमिताभ बच्चन हो राख्या सै? मैं तो नू समझ के तेरे को काम दिलवा रहा था कि ताऊ आजकल बेकार ठाली (खाली) बैठ्या सै..दो पिस्से कमा लेगा..और तू तो भाव खावण लागरया सै?
बात बिगडती देख कर रतनसिंह जी शेखावत ने हमारा हाथ दबाकर इशारा किया कि ताऊ इस मौके को मत छोडना तो हम ने पूछा कि भाई साफ़ साफ़ बता कि के करना पडेगा? और कितने पिस्से दिलवा देगा?
खुशदीप बोल्या - देख ताऊ, साफ़ और सीधी बात सुण ले. तेरे को आवण जावण का जहाज का टिकट, और वहां दिल्ली का ठहरने और खाने पीने का सारा खर्च और साथ में डेढ लाख रुपये भी दिलवा दूंगा. और रुकने के लिये बिना मच्छरों वाले कमरे का इंतजाम भी मुफ़्त मे करवा दूंगा. हो मंजूर तो बोल ..नही तो तू जाने और तेरा काम.
अब डेढ लाख हाथ मे आने की बात तो दूर हमने कभी सोचा भी नही था कि - इस फ़ोकट से काम के कोई डेढ लाख रुपये और सारा खर्च भी देदेगा. और हवाईजहाज की सैर मुफ़्त में? बस सोचके ही मन हवा मे उडने लग गया. हमने तुरंत कहा - अरे भाई खुशदीप, इब तू भी के याद करेगा कि कोई ताऊ मिल्या था. इब नू बता के मन्नै के करना पडॆगा?
खुशदीप बोल्या - अरे ताऊ तन्नै कुछ भी ना करना सै? जो भी करेगा वो तो डाक्टर ही करेगा.
मैं बोल्या - भाई, यो सीरीयल बना रया सै या ताऊ का इलाज करवा रया सै? अरे डाक्टर का के काम इसमें?
खुशदीप बोल्या - ताऊ, तेरे को टेबल पै लिटा कर डाक्टर एक इंजेक्शन ठोकेगा...और फ़िर तेरे को तेरे पिछले जन्म म्ह लेजायेगा.
मैं बोल्या - यार, यो इंजेक्शन लगा के पिछले जन्म मे कोई किस तरियां ले जा सके सै? तेरी बात समझ म्ह नही आरही सै? तू कहीं मेरा नारको वारको करवाकै मेरी पोल खोल दे और बेइज्जती खराब करवादे मेरी?
खुशदीप बोल्या - ताऊ, ज्यादा समझण की जरुरत भी कोनी. तू तो यो पकड ५० हजार की गड्डी नगद एडवांस की और ये ले हवाईजहाज का टिकट...और सोमवार को दिल्ली आजाईयो..बाकी सब हम पर छोड दे. और काम पूरा होने पर तेरे को बाकी के पिस्से और दिलवा दूंगा.
और एक कांट्रेक्ट फ़ार्म सामने रखता हुआ खुशदीप बोला - ताऊ तन्नै अगर मंजूर हो तो ...यहां साईन मार और इब मैं चलूंगा..घणी देर हो ली सै इब.
अब जैसे ही खुशदीप ने ५० हजार की करारी गर्मा गर्म गड्डी हमारी हथेली पर रखी..हमारी हथेली उस गड्डी की गर्मी से जलने लग गई..क्योंकि इससे पहले हमने कभी ५०० का सिंगल नोट नही पकडा था. और ये तो पूरे सौ की कडक गड्डी थे..सो हमने कुछ आगा पीछा सोचे बिना उस कंट्रेक्ट फ़ार्म पर साईन मार दिये. और सोमवार को दिल्ली जाने की तैयारी करने लगे. ...
सोमवार को सबेरे सबेरे ही दिल्ली पहुंच गये. वहां पर हमको एक होटल मे ठहरा दिया गया. हम तैयार होकर स्टूडियो पहूंच गये. वहां खुशदीप ने हमारा सभी से परिचय कराया. उनमे एक हिप्नोटाईज करने वाला डाक्टर सरीखा भी था.
अब हमको वो एक स्टूडियो के अंदर लेगये. चारों तरफ़ वहां उपर कैमरे लगे थे. सामने एक टेबल जैसी थी. उस पर हमको लिटा दिया गया.
अब हमसे वो हिप्नोटाईज करने वाला बोला - ताऊ, मैं जैसे जैसे कहूं, वैसे वैसे करना...
मैं बोल्या - ठीक सै भाई. इब बोल के करना सै..
वो बोलने लगा -- ताऊ आंख बंद करले...
मैने आंखे बंद करली.
वो बोला - ताऊ थोडा पीछे की और लौटो.
मैं बोल्या - अरे बावलीबूच सै के तू? नू बता पीछे की और कित लौटू? आडे जगह दिख सै के तेरे इस जरा से स्टूडियो में...पीछे की और निरी दीवार तन्नै दिखै कोनी के?
वो बोला - अरे मेरे ताऊ...पीछे की और यानि तेरी जिंदगी मे पीछे की और..
मैं बोल्या - यार तो नू साफ़ साफ़ कह ना...ले लौट गया पीछे..और बता कितनी पीछे जाऊं...?
खुशदीप ने आदेश देने शुरु किये ...मैं करता रहा.....आखिर वो मुझे...मेरे बचपन के एक साल की अवस्था मे लौटा लेगया....और बोला - ताऊ अब तुम अपने पिछले जन्म मे लौटो...लौटो...कहां हो तुम?
मैं बोला - भाई..ये मैं तो जंगल मे आगया....मैं ...मैं...ये कहां आगया?
खुशदीप बोला - हां अब तुम कौन हो...?
मैं बोला - मैं...मैं सियार हूं....सियार....
खुशदीप ने पूछा - कौन सियार?
मैं बोला - अरे जानते नही क्या? मैं हूं जंगल का एक्स नेता सरपंच...और ब्लागर यानि कि झंडू नेता..
खुशदीप ने पूछा - हां और पीछे की लौटो...ये बताओ कि तुम ब्लागर कैसे बने?
मैं बोला - ये बहुत दुख: भरी लंबी कहानी है...
खुशदीप ने कहा - हां थोडा और पीछे ..और पीछे लौट चलो... हां अब सुनावो..
मैं बोला - लौट गया..अब जंगल मे शेर का राज है....चारों तरफ़....आजादी की लडाई चल रही है...मैं भी आजादी की लडाई मे शामिल हूं....सब अपनी तरह से आजादी की लडाई मे योगदान दे रहे हैं...मैं ब्लागिंग द्वारा योगदान दे रहा हूं.
खुशदीप बोला - हां अब ठीक है...यहां से हम सवाल पूछेंगे...तुम जवाब देते जाना...
खुशदीप ने पूछा - हां तो झंडू नेता जी, आप कहां के रहने वाले हो? घर मे कौन कौन हैं? अपना परिचय दिजिये नेताजी.
मैं बोला - झंडापुरम जंगल का...मेरा नाम झंडू नेता...हम घर मे चार भाई बहिन हैं...पिताजी राजा शेरसिंह जी के यहां सरकारी मुलाजिम हैं...मैं बागियों के साथ मिलकर जंगल को राजशाही से मुक्ति दिलाकर प्रजातंत्र स्थापित करने के लिये लडाई लड रहा हूं.....
(क्रमश:)
नोट : अगले भाग मे पढिये ..ताऊ के पिछले जन्म के गुप्त और सनसनीखेज राज..................
मैं बोल्या - भाई घणी रामराम...और सुणा के हाल चाल सैं?
खुशदीप : बस ताऊ नू समझ ले के हाल चाल तो ठीक ठाक सैं, बस तेरे तैं मिलना है. कब आजाऊं?
मैने कहा - यार मैं कौन सा तोपचंद हूं? मैं तो फ़ोकट चंद हूं जब तेरी मर्जी हो, आजा. ये भी तेराई घर सै.
और अगले ही दिन खुशदीप आ धमका.रामराम श्याम श्याम के बाद चाय वाय पी और फ़िर बात चीत शुरु हुई.
ताऊ, रतनसिंह शेखावत और खुशदीप बात करते हुये!
खुशदीप - ताऊ बात नू है कि मैं एक सीरीयल बणा रहा हूं "राज ब्लागर के पिछले जन्म के" बस इसी सिलसिले मे तेरे पास आया सूं. ताऊ नू समझ ले कि इसमे तेरा सहयोग मांगने ही आया सूं.
मैं बोल्या - भाई या तो घणीई बढिया बात सै. तू नू कर कि समीरलाल जी पै बणाले पहला ही एपिसोड... समझ ले कि सुपरहिट हो ज्येगा तेरा सीरीयल..और उसके बाद अरविंद मिश्रा जी को पकड ले.. मन्नै पक्का यकीन सै के दोनूआं के मूंह से ऐसे राज बाहर निकलेंगे कि तहलका मच जायेगा.
खुशदीप - अरे ताऊ , उन दोनों से बात की थी पर उनके पास शूटिंग के लिये समय नही है, और तू ठहरा बधाऊ (फ़ालतू) आदमी. तो यो पहला एपिसोड तेरे उपर ही बणा लेते हैं.
मैं बोल्या - यार खुशदीप, तू मेरे से क्युं दुश्मनी निकालण लागरया सै भाई? ताऊ नै तेरा के बिगाड राख्या सै? मेरे पीछे वैसे ही भतेरे कूंगर लागरे सैं. तेरे आगे दो जोडे हाथ... मन्नै माफ़ कर यार.
खुशदीप बोल्या - अरे ताऊ..तैं समझता कोनी..तेरा के बिगड ज्येगा? नू बता कि मूसल का मेह (बरसात) म्ह के भीजेगा ? बावलापन मतन्या करै. तन्नै पिस्से भी अच्छे दिलवा दूंगा प्रोड्युसर तैं.
इब भाई जब ये पता लगा कि पिस्से भी मिलेंगे तो हमने पूछा - अच्छा तो नू कह ना की कमाई आला काम सै? बता के दिलवा देगा?
खुशदीप बोल्या - ताऊ, देख तन्नै हवाईजहाज का तो रिटर्न टिकट दिलवा दूंगा. और दिल्ली पहुंच कै एक कार मिल ज्येगी घूमण खातिर. और के चहिये तन्नै? बता?
मैं बोल्या - भाई ये तो बात तेरी पसंद आई, पर नू बता कि कार कौन सी दिलवावेगा?
खुशदीप बोल्या - अरे ताऊ, कोई सी भी हो, जो बखत पै होगी वही भिजवा दूंगा. तन्नै कौन सी घर ल्यानी सै?
मैं बोल्या - अरे इब्बी तो तैं कहण लागरया था कि कार दिलवा देगा? इब के होगया? देख भाई , मेरे को तो वो लम्बी सी मारोती दिलवाता होये तो तेरे सीरीयल म्ह काम करुंगा नही तो नही.
खुशदीप बोल्या - अरे बावली बूच ताऊ, तू नू बता, के तू लाट साहब होरया सै? ना तू के दिलिपकुमार हो राख्या सै या अमिताभ बच्चन हो राख्या सै? मैं तो नू समझ के तेरे को काम दिलवा रहा था कि ताऊ आजकल बेकार ठाली (खाली) बैठ्या सै..दो पिस्से कमा लेगा..और तू तो भाव खावण लागरया सै?
बात बिगडती देख कर रतनसिंह जी शेखावत ने हमारा हाथ दबाकर इशारा किया कि ताऊ इस मौके को मत छोडना तो हम ने पूछा कि भाई साफ़ साफ़ बता कि के करना पडेगा? और कितने पिस्से दिलवा देगा?
खुशदीप बोल्या - देख ताऊ, साफ़ और सीधी बात सुण ले. तेरे को आवण जावण का जहाज का टिकट, और वहां दिल्ली का ठहरने और खाने पीने का सारा खर्च और साथ में डेढ लाख रुपये भी दिलवा दूंगा. और रुकने के लिये बिना मच्छरों वाले कमरे का इंतजाम भी मुफ़्त मे करवा दूंगा. हो मंजूर तो बोल ..नही तो तू जाने और तेरा काम.
अब डेढ लाख हाथ मे आने की बात तो दूर हमने कभी सोचा भी नही था कि - इस फ़ोकट से काम के कोई डेढ लाख रुपये और सारा खर्च भी देदेगा. और हवाईजहाज की सैर मुफ़्त में? बस सोचके ही मन हवा मे उडने लग गया. हमने तुरंत कहा - अरे भाई खुशदीप, इब तू भी के याद करेगा कि कोई ताऊ मिल्या था. इब नू बता के मन्नै के करना पडॆगा?
खुशदीप बोल्या - अरे ताऊ तन्नै कुछ भी ना करना सै? जो भी करेगा वो तो डाक्टर ही करेगा.
मैं बोल्या - भाई, यो सीरीयल बना रया सै या ताऊ का इलाज करवा रया सै? अरे डाक्टर का के काम इसमें?
खुशदीप बोल्या - ताऊ, तेरे को टेबल पै लिटा कर डाक्टर एक इंजेक्शन ठोकेगा...और फ़िर तेरे को तेरे पिछले जन्म म्ह लेजायेगा.
मैं बोल्या - यार, यो इंजेक्शन लगा के पिछले जन्म मे कोई किस तरियां ले जा सके सै? तेरी बात समझ म्ह नही आरही सै? तू कहीं मेरा नारको वारको करवाकै मेरी पोल खोल दे और बेइज्जती खराब करवादे मेरी?
खुशदीप बोल्या - ताऊ, ज्यादा समझण की जरुरत भी कोनी. तू तो यो पकड ५० हजार की गड्डी नगद एडवांस की और ये ले हवाईजहाज का टिकट...और सोमवार को दिल्ली आजाईयो..बाकी सब हम पर छोड दे. और काम पूरा होने पर तेरे को बाकी के पिस्से और दिलवा दूंगा.
और एक कांट्रेक्ट फ़ार्म सामने रखता हुआ खुशदीप बोला - ताऊ तन्नै अगर मंजूर हो तो ...यहां साईन मार और इब मैं चलूंगा..घणी देर हो ली सै इब.
अब जैसे ही खुशदीप ने ५० हजार की करारी गर्मा गर्म गड्डी हमारी हथेली पर रखी..हमारी हथेली उस गड्डी की गर्मी से जलने लग गई..क्योंकि इससे पहले हमने कभी ५०० का सिंगल नोट नही पकडा था. और ये तो पूरे सौ की कडक गड्डी थे..सो हमने कुछ आगा पीछा सोचे बिना उस कंट्रेक्ट फ़ार्म पर साईन मार दिये. और सोमवार को दिल्ली जाने की तैयारी करने लगे. ...
सोमवार को सबेरे सबेरे ही दिल्ली पहुंच गये. वहां पर हमको एक होटल मे ठहरा दिया गया. हम तैयार होकर स्टूडियो पहूंच गये. वहां खुशदीप ने हमारा सभी से परिचय कराया. उनमे एक हिप्नोटाईज करने वाला डाक्टर सरीखा भी था.
अब हमको वो एक स्टूडियो के अंदर लेगये. चारों तरफ़ वहां उपर कैमरे लगे थे. सामने एक टेबल जैसी थी. उस पर हमको लिटा दिया गया.
ताऊ को सम्मोहित करते हुये खुशदीप
अब हमसे वो हिप्नोटाईज करने वाला बोला - ताऊ, मैं जैसे जैसे कहूं, वैसे वैसे करना...
मैं बोल्या - ठीक सै भाई. इब बोल के करना सै..
वो बोलने लगा -- ताऊ आंख बंद करले...
मैने आंखे बंद करली.
वो बोला - ताऊ थोडा पीछे की और लौटो.
मैं बोल्या - अरे बावलीबूच सै के तू? नू बता पीछे की और कित लौटू? आडे जगह दिख सै के तेरे इस जरा से स्टूडियो में...पीछे की और निरी दीवार तन्नै दिखै कोनी के?
वो बोला - अरे मेरे ताऊ...पीछे की और यानि तेरी जिंदगी मे पीछे की और..
मैं बोल्या - यार तो नू साफ़ साफ़ कह ना...ले लौट गया पीछे..और बता कितनी पीछे जाऊं...?
अब खुशदीप बीच मे ही बोला - डाक्टर साब ..ये ताऊ बावली बूच है. इसको मैं ही सम्मोहित करुंगा. ये मेरी भाषा ही समझता है. सो अब ताऊ को सम्मोहित करने का काम खुशदीप ने संभाल लिया.
खुशदीप ने आदेश देने शुरु किये ...मैं करता रहा.....आखिर वो मुझे...मेरे बचपन के एक साल की अवस्था मे लौटा लेगया....और बोला - ताऊ अब तुम अपने पिछले जन्म मे लौटो...लौटो...कहां हो तुम?
मैं बोला - भाई..ये मैं तो जंगल मे आगया....मैं ...मैं...ये कहां आगया?
खुशदीप बोला - हां अब तुम कौन हो...?
मैं बोला - मैं...मैं सियार हूं....सियार....
खुशदीप ने पूछा - कौन सियार?
मैं बोला - अरे जानते नही क्या? मैं हूं जंगल का एक्स नेता सरपंच...और ब्लागर यानि कि झंडू नेता..
खुशदीप ने पूछा - हां और पीछे की लौटो...ये बताओ कि तुम ब्लागर कैसे बने?
मैं बोला - ये बहुत दुख: भरी लंबी कहानी है...
खुशदीप ने कहा - हां थोडा और पीछे ..और पीछे लौट चलो... हां अब सुनावो..
मैं बोला - लौट गया..अब जंगल मे शेर का राज है....चारों तरफ़....आजादी की लडाई चल रही है...मैं भी आजादी की लडाई मे शामिल हूं....सब अपनी तरह से आजादी की लडाई मे योगदान दे रहे हैं...मैं ब्लागिंग द्वारा योगदान दे रहा हूं.
खुशदीप बोला - हां अब ठीक है...यहां से हम सवाल पूछेंगे...तुम जवाब देते जाना...
खुशदीप ने पूछा - हां तो झंडू नेता जी, आप कहां के रहने वाले हो? घर मे कौन कौन हैं? अपना परिचय दिजिये नेताजी.
मैं बोला - झंडापुरम जंगल का...मेरा नाम झंडू नेता...हम घर मे चार भाई बहिन हैं...पिताजी राजा शेरसिंह जी के यहां सरकारी मुलाजिम हैं...मैं बागियों के साथ मिलकर जंगल को राजशाही से मुक्ति दिलाकर प्रजातंत्र स्थापित करने के लिये लडाई लड रहा हूं.....
(क्रमश:)
नोट : अगले भाग मे पढिये ..ताऊ के पिछले जन्म के गुप्त और सनसनीखेज राज..................
देखा ताऊ ! इसीलिए तो मैंने हाथ दबाया था | पिस्से भी मिल गए और पिछले जन्म की बातें भी पता चल जाएगी | और ताऊ ! हो सकता है पिछले जन्म की घटनाएँ हमें कोई सीख दे जाये |
ReplyDeleteभाई खुशदीप जी
ताऊ से पिछले जन्म का सब कुछ उगलवा लेना | एसा मौका बार बार नहीं आने वाला !
सार्थक शब्दों के साथ अच्छी चर्चा, अभिनंदन।
ReplyDeleteरोचक। अगली कड़ी का इन्तार है।
ReplyDeleteसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
हम तो बचे...ये खुशदीप न!! ताऊ बचना,,, धोती भी बचना मुश्किल ही समझो अब तो..जब से उसकी बजाज गई है...वो ऐसा ही कर रहा है.
ReplyDelete-------------
रुकने के लिये बिना मच्छरों वाले कमरे का इंतजाम भी मुफ़्त मे करवा दूंगा.............
--मार्निंग बेड टी का पता करना जरा?
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अगली कड़ी का इन्तजार!!
हा हा हा ताऊ जी! मन्ने भी अर्जी लगा राक्खी थी राज पिछ्ले जनम का मे। पण थारा लम्बर पहले आ ग्या। चलो कोई बात ना, आग्गे आग्गे ताऊ,पाछै पाछै भतीजा। आगे के होया, ईब देखेंगे बरेक के बाद्। बाट देखते रहेंगे। राम-राम
ReplyDeleteहा हा हा तो खुशदीप जी ने ये धन्धा भी शुरू कर दिया? ताऊ जी वैसे डरने की बात नहीं मगर सही राज़ उगलवाना उन्हें खूब आता है फिफ्टी फिफ्टी कर लेना फिर जो बात आप छुपाना चाहो वो छुपा लेंगे। मुझे लगता है पिछले जन्म मे सभी ब्लागर्ज़ एक ही परिवार के नाते-- रिश्तेदार होंगे। या फिर आपने खुशदीप जी की पोस्ट पर कमेन्ट नहीं दिये होंगे तब तो इस जन्म मे आपकी किरकिरी करने पर तुले हैं। देखते हैं क्या होता हैेआगे शुभकामनायें
ReplyDeleteअगले पोस्ट की प्रतीक्षा है।
ReplyDeleteमुझे पता नहीं था...... खुशदीप भैया यह भी करते हैं..... अबकी बार दिल्ली जाऊंगा तो जान के आऊंगा उनसे ..... कि मैं क्या था.....पिछले जन्म में....? भौं.... भौं...भौं.....
ReplyDeleteबहुत बढिया...अगली कड़ी(कढी के साथ चावल भी हो जाएँ तो मज़ा आ जाएगा)का इंतज़ार रहेगा
ReplyDeleteताऊ,
ReplyDeleteये मेरी जान को कौन लफड़ा करा दिया...अभी अमिताभ बच्चन का फोन आया था मेरे पास...नाराज़गी जता रहे थे लंबू बाबू...ये ताऊ एक बार टीवी पर आ गया तो मेरी रोज़ी रोटी का क्या होगा...सारे एड तो ताऊ ही ले जाएगा...
जय हिंद...
म्हानै तो पहलाँ ही बेरा सै के ताऊ नैह पिछले जन्म मैंह बी इसे ही ऊत्तपणे करे होंगें...:)
ReplyDeleteWah Tau Wah.....
ReplyDeleteib agle janm ki bi boojh liyo par teesre episode me....
maza aa gaya pad kar! sach me hume bhi Khushdeep ji se apne pichhle janm ka raaz pata karna hai...Ha ha ha ha aaaa
ReplyDeleteगजब का एपीसोड चालू किया है। इसकी तो कई हजार कडिय़ां बन जाएगीं। अब देखना पिछले जन्म का राज जानने के लिए कितने लोग ब्लागिंग-ब्लागिंग खेलने लगेंगे। ललित शर्मा जैसे न जाने कितने लोग नंबर लगा कर इंतजार करेंगे। खुशदीप जी थोड़ा बहुत ब्लागर तो पैसे लेकर नहीं देकर अपने पिछले जन्म का राज जानने को बेताब हैं। राज पिछले जन्म का दिखाने वाले टीवी चैनल वालों की वाट लग जाएगी।
ReplyDeleteताउ जबरदस्त लिखा आज तो, अब देखते हैं कि पिछले राज खुशदीप जी कितने उगलवा पाते हैं. पर यह श्रंखला रहेगी रोचक, यह कक्का है।
ReplyDeleteभूल सुधार
ReplyDeleteकक्का = पक्का
पढे।
ताऊ.. आप भी न सास बहु वाले सिरियल देखने लगे हो.. क्लाइमेस पर आकर बोलते हो.. ये जानने के लिये देखिये कल का एपिसोड..:)
ReplyDeleteलगता है ताऊ अबकी बार सही जगह फ़ंसे हैं. अगले एपिसोड मे राज खुलेंगे और ताई का मेड-इन-जर्मन चलेगा..तड तडा तड तड....:)
ReplyDeleteतभी केयूं के खुशदीप आखिर बिजी कां चल रया से ।
ReplyDeleteइब पता चाल गा ...यो तो ताऊ के राज खोल्लन लार रया है ...ताऊ ताई भी पिछले जनम से पीछे लागी थारी .....? यो बिल्लन रामप्यारी ,...खुशदीप भायो ...कुछ छूटे न ...एपिसोड चाहे कित्ते ही बढा लियो ...आराम ने ताऊ नूं बिहोश कर कर के पूछ डालो सब ॥
wah wah .........bahut hi rochak post.......agli kadi ka intzaar.
ReplyDeleteके ताऊ,
ReplyDeleteऐण मौके पै कमर्शियल ब्रेक ले लिया
इब आगली कडी तक बाट देखनी पडेगी
प्रणाम
ज्यादा बेहोश न करियो . नहीं तो इल्जाम बेहोशी वारे डागदर पे लागे
ReplyDeleteबहुत बढिया जी।
ReplyDeleteताऊ आगे क्या हुआ? जल्दी बताओ!
ReplyDeleteअरे ताऊ!
ReplyDeleteतेरा यही रंग तो हमें भाता है!
बढ़िया पोस्ट!
जवाब का इन्तजार है!
प्रमाणपत्र मिला या नही?
राज खुलने के पहले ही आज का एपिसोड ख़त्म हो गया !
ReplyDeleteयो के कर दिया ताऊ? राज तो अभी शुरू भी न हुआ और "रुकावट के लिए खेद" पहले ही आ गया. तब तक चेनल बदल दिया है. बीच बीच में आकर चेक करते रहेंगे.
ReplyDeleteअरे बावली बूच ताऊ, तू नू बता, के तू लाट साहब होरया सै? ना तू के दिलिपकुमार हो राख्या सै या अमिताभ बच्चन हो राख्या सै? मैं तो नू समझ के तेरे को काम दिलवा रहा था कि ताऊ आजकल बेकार ठाली (खाली) बैठ्या सै..दो पिस्से कमा लेगा..और तू तो भाव खावण लागरया सै
ReplyDeleteहा.. हा.. हा...
ताऊ मजा आ गया..
मीत
ताऊ थारे पिछली जिन्दगी के बारे मे जानने के लिये तो सारे ब्लोगर बैचैन हो रहे सै ।
ReplyDeleteइब ताऊ मन्ने तो ये बताओ आगे के होवेगा .........
ReplyDeleteहा हा हा हा हा हा हा हा हा अब खुलेगे सारे राज ताऊ जी के .......
ReplyDeleteregards
bahut sinon ke baad taau ke blog me aana hua...aate hee man prasann ho gaya....taau ko bahut bahut badhaiii.....
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