प्रिय भाईयो और बहणों, भतीजों और भतीजियों आप सबको घणी रामराम ! हम आपकी सेवा में हाजिर हैं ताऊ पहेली 52 का जवाब लेकर. कल की ताऊ पहेली का सही उत्तर है शहीद 'यू कियांग नोंगबा का स्मारक ,मेघालय.
शहीद 'यू कियांग नोंगबा का स्मारक ,मेघालय
और इसके बारे मे संक्षिप्त सी जानकारी दे रही हैं सु. अल्पना वर्मा.
खासी, गारो तथा अंग्रेजी भाषाओं वाले इस राज्य की राजधानी शिलॉंग है.इस पहाड़ी राज्य के उत्तरी और पूर्वी सीमाएं असम से और दक्षिणी तथा पश्चिमी सीमाएं बंगलादेश से मिलती हैं.लगभग ८० प्रतिशत जनसंख्या आजीविका के लिए मुख्य रूप से खेती-बाड़ी पर निर्भर है.‘का पांबलांग-नोंगक्रेम’ ,शाद सुक मिनसीम, बेहदीनखलम जयंतिया तथा वांगला प्रमुख त्योहार हैं.
इस राज्य का एक मात्र हावई अड्डा उमरोई में हैं.
मुख्य पर्यटन स्थल हैं-शिलॉंग चोटी, वार्ड लेक, लेडी हैदरी पार्क, पोलो ग्राउंड, मिनी चिडियाघर, एलीफेंट जलप्रपात.यहां का गोल्फ कोर्स देश के बेहतरीन गोल्फ कोर्सों में से एक हैं.यहाँ की प्राकृतिक खूबसूरती देखते ही बनती है.पर्यटकों के रहने के लिए प्राइवेट ही नहीं सरकार के गेस्ट हाउस भी उपलब्ध हैं.अधिक जानकारी के लिए अधिकारिक वेब साइट देखीए-
http://meghalaya.nic.in/
आईए अब शहीद 'यू कियांग नोंगाबा 'के बारे में जानते हैं-
तोगान संगमा,यू तिरोत गाओ,यू कियांग नोंगाबा -
राज्य के इन तीन वीर शहीदों के नाम भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में
सुनहरे अक्षरों में लिखे गये हैं.यू कियांग नोंगा बा ने १८५७ में अंग्रेजों के खिलाफ सिपाही विद्रोह में मेघालय के आदिवासियों का नेतृत्व किया था.
राजा राजेंद्र सिंह जयन्तीयापुर के राजा थे,ब्रिटिश सरकार ने धोके से उनका मैदानी राज्य हथिया लिया था.और उन्हे पहाड़ी इलाक़े का प्रशसन देने का विकल्प रखा जिसे राजा ने ठुकरा दिया.
१८३५ से १८५३ तक जैसे तैसे सब चलता रहा लेकिन जब १८६० में अँग्रेज़ी हुकूमत ने निवासीओं पर गृह कर लगा दिए तब उनके सब्र का बाँध टूट गया और विरोध की आवाज़ें गूंजने लगीं.उसी साल जब गृह कर के साथ साथ आयकर भी लगा दिया गया और यह भी अफवाहें घूमने लगी की पॅयन और सुपारी की बिक्री पर भी सरकार टेक्स लगाने जा रही है तब स्थानीय लोगों ने गुट बनाए और विद्रोह के आयोजन का नेतृत्व और मार्गदर्शन किया युवक यू कियांग नोंगा बा ने !
१८६२ में उठी क्रांति की लहरें इतनी तेज़ थी कि सात रेजिमेंटों और सैनिकों की टुकड़ी इनके विद्रोह को दबाने के लिए लगवाई गयी.यू कियांग नोंगा बा बेहद चतुर था वा अपना सभी कार्य बहुत सफाई से करता था जिस से वह काफ़ी समय तक गिरफ्तारी से बचता रहा.यहाँ तक की ब्रिटिश गुप्तचर भी परेशान हो गये थे.मगर उसकी पहचान ना पा सके.दूसरा विद्रोह ३ सप्ताह चला और उस में बहुत से आदिवासी मारे गये.
३० दिसंबर ,१८६२ में यू कियोंग को धोखे से पकड़ लिया गया और सरे आम फाँसी दी गयी.यू कियांग ने फाँसी लगने से पहले साफ शब्दों में लोगों से कहा था कि फाँसी लगने के बाद रस्सी पर मेरा सिर अगर पूर्व की तरफ लटकता है तो यह देश १०० साल के भीतर आज़ाद हो जाएगा.और अगर यह पश्चिम की तरफ होता है तो यह देश अँग्रेज़ों से कभी आज़ाद नहीं हो पाएगा.
कितने सच उनके शब्द थे, उनके चेहरे के लिए पूर्व की ओर हो गया और भारत के एक सौ साल के भीतर मुक्त हो गया!
ऐसे वीर शहीदों को हमें कभी भूलना नहीं चाहीए जिनके बलिदान से ही आज हम खुली हवा में जी रहे हैं साथ ही अपनी इस आज़ादी को बचाए रखना और देश को एकता में बाँधे रखना भी बेहद आवश्यक है.
आज के सम्माननिय विजेता क्रमश: इस प्रकार हैं. सभी को हार्दिक बधाई!
निम्न महानुभावों के हम बहुत आभारी हैं जिन्होने इस अंक में भाग लेकर हमारा उत्साह बढाया. हार्दिक आभार.
श्री विवेक रस्तोगी
श्री ललित शर्मा,
श्री अविनाश वाचस्पति
सुश्री निर्मला कपिला
डा.रुपचंद्र शाश्त्री "मयंक,
श्री सुशील कुमार छौक्कंर
सुश्री वंदना
श्री रतनसिंह शेखावत
ब्लाग चर्चा मुन्नाभाई की
गौतम राजरिशी
श्री दिगम्बर नासवा
श्री मुरारी पारीक
श्री सैयद
अभिशेक ओझा
आप सभी का बहुत आभार !
और इसके बारे मे संक्षिप्त सी जानकारी दे रही हैं सु. अल्पना वर्मा.
बहनों और भाईयो नमस्कार. आईये अब आज के पहेली के स्थान के बारे में कुछ जानते हैं.
मेघालय अर्थात 'मेघों का घर'!
21 जनवरी, 1972 को मेघालय ,भारत देश के एक पूर्ण राज्य के रूप में अस्तित्व में आया. जनसंख्या 2,318,822 है.
खासी, गारो तथा अंग्रेजी भाषाओं वाले इस राज्य की राजधानी शिलॉंग है.इस पहाड़ी राज्य के उत्तरी और पूर्वी सीमाएं असम से और दक्षिणी तथा पश्चिमी सीमाएं बंगलादेश से मिलती हैं.लगभग ८० प्रतिशत जनसंख्या आजीविका के लिए मुख्य रूप से खेती-बाड़ी पर निर्भर है.‘का पांबलांग-नोंगक्रेम’ ,शाद सुक मिनसीम, बेहदीनखलम जयंतिया तथा वांगला प्रमुख त्योहार हैं.
इस राज्य का एक मात्र हावई अड्डा उमरोई में हैं.
मुख्य पर्यटन स्थल हैं-शिलॉंग चोटी, वार्ड लेक, लेडी हैदरी पार्क, पोलो ग्राउंड, मिनी चिडियाघर, एलीफेंट जलप्रपात.यहां का गोल्फ कोर्स देश के बेहतरीन गोल्फ कोर्सों में से एक हैं.यहाँ की प्राकृतिक खूबसूरती देखते ही बनती है.पर्यटकों के रहने के लिए प्राइवेट ही नहीं सरकार के गेस्ट हाउस भी उपलब्ध हैं.अधिक जानकारी के लिए अधिकारिक वेब साइट देखीए-
http://meghalaya.nic.in/
आईए अब शहीद 'यू कियांग नोंगाबा 'के बारे में जानते हैं-
तोगान संगमा,यू तिरोत गाओ,यू कियांग नोंगाबा -
राज्य के इन तीन वीर शहीदों के नाम भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में
सुनहरे अक्षरों में लिखे गये हैं.यू कियांग नोंगा बा ने १८५७ में अंग्रेजों के खिलाफ सिपाही विद्रोह में मेघालय के आदिवासियों का नेतृत्व किया था.
राजा राजेंद्र सिंह जयन्तीयापुर के राजा थे,ब्रिटिश सरकार ने धोके से उनका मैदानी राज्य हथिया लिया था.और उन्हे पहाड़ी इलाक़े का प्रशसन देने का विकल्प रखा जिसे राजा ने ठुकरा दिया.
१८३५ से १८५३ तक जैसे तैसे सब चलता रहा लेकिन जब १८६० में अँग्रेज़ी हुकूमत ने निवासीओं पर गृह कर लगा दिए तब उनके सब्र का बाँध टूट गया और विरोध की आवाज़ें गूंजने लगीं.उसी साल जब गृह कर के साथ साथ आयकर भी लगा दिया गया और यह भी अफवाहें घूमने लगी की पॅयन और सुपारी की बिक्री पर भी सरकार टेक्स लगाने जा रही है तब स्थानीय लोगों ने गुट बनाए और विद्रोह के आयोजन का नेतृत्व और मार्गदर्शन किया युवक यू कियांग नोंगा बा ने !
१८६२ में उठी क्रांति की लहरें इतनी तेज़ थी कि सात रेजिमेंटों और सैनिकों की टुकड़ी इनके विद्रोह को दबाने के लिए लगवाई गयी.यू कियांग नोंगा बा बेहद चतुर था वा अपना सभी कार्य बहुत सफाई से करता था जिस से वह काफ़ी समय तक गिरफ्तारी से बचता रहा.यहाँ तक की ब्रिटिश गुप्तचर भी परेशान हो गये थे.मगर उसकी पहचान ना पा सके.दूसरा विद्रोह ३ सप्ताह चला और उस में बहुत से आदिवासी मारे गये.
३० दिसंबर ,१८६२ में यू कियोंग को धोखे से पकड़ लिया गया और सरे आम फाँसी दी गयी.यू कियांग ने फाँसी लगने से पहले साफ शब्दों में लोगों से कहा था कि फाँसी लगने के बाद रस्सी पर मेरा सिर अगर पूर्व की तरफ लटकता है तो यह देश १०० साल के भीतर आज़ाद हो जाएगा.और अगर यह पश्चिम की तरफ होता है तो यह देश अँग्रेज़ों से कभी आज़ाद नहीं हो पाएगा.
कितने सच उनके शब्द थे, उनके चेहरे के लिए पूर्व की ओर हो गया और भारत के एक सौ साल के भीतर मुक्त हो गया!
ऐसे वीर शहीदों को हमें कभी भूलना नहीं चाहीए जिनके बलिदान से ही आज हम खुली हवा में जी रहे हैं साथ ही अपनी इस आज़ादी को बचाए रखना और देश को एकता में बाँधे रखना भी बेहद आवश्यक है.
अभी के लिये इतना ही. अगले शनिवार एक नई पहेली मे आपसे फ़िर मुलाकात होगी. तब तक के लिये नमस्कार।
आज के सम्माननिय विजेता क्रमश: इस प्रकार हैं. सभी को हार्दिक बधाई!
श्री काजलकुमार, अंक १०१ बधाई |
श्री प्रकाश गोविंद अंक १०० बधाई |
सुश्री सीमा गुप्ता अंक ९९ बधाई |
श्री मीत अंक ९८ बधाई |
श्री संजय बेंगाणी अंक ९७ बधाई |
सुश्री प्रेमलता पांडे अंक ९६ बधाई |
श्री उडनतश्तरी अंक ९५ बधाई |
प.श्री डी.के. शर्मा "वत्स", अंक ९४ बधाई |
निम्न महानुभावों के हम बहुत आभारी हैं जिन्होने इस अंक में भाग लेकर हमारा उत्साह बढाया. हार्दिक आभार.
श्री विवेक रस्तोगी
श्री ललित शर्मा,
श्री अविनाश वाचस्पति
सुश्री निर्मला कपिला
डा.रुपचंद्र शाश्त्री "मयंक,
श्री सुशील कुमार छौक्कंर
सुश्री वंदना
श्री रतनसिंह शेखावत
ब्लाग चर्चा मुन्नाभाई की
गौतम राजरिशी
श्री दिगम्बर नासवा
श्री मुरारी पारीक
श्री सैयद
अभिशेक ओझा
आप सभी का बहुत आभार !
अच्छा अब नमस्ते.सभी प्रतिभागियों को इस प्रतियोगिता मे हमारा उत्साह वर्धन करने के लिये हार्दिक धन्यवाद. ताऊ पहेली – 52 का आयोजन एवम संचालन ताऊ रामपुरिया और सुश्री अल्पना वर्मा ने किया. अगली पहेली मे अगले शनिवार सुबह आठ बजे आपसे फ़िर मिलेंगे तब तक के लिये नमस्कार.
काजल कुमार जी सहित सभी विजेताओं को बधाई ...
ReplyDeleteमेघालय और शहीदों के परिचय के लिए सीमाजी का बहुत आभार ....!!
कार्टूनिस्ट काजल कुमार सहित सभी प्रतिभागियों को बधाई!
ReplyDeleteकाजलकुमार जी और सभी विजेताओं को बधाई! जबान को पूरी कसरत देने वाला नाम याद रख सके। मैं तो चौबीस घंटों से सोच रहा था याद ही नहीं आया।
ReplyDeleteकाजल जी को स्नेहजल और
ReplyDeleteअन्य विजेताओं को विजयजल
से परिपूर्ण बधाई।
काजल जी बधाई ले लिजिये और मिठाई खिला दिजिये. :)
ReplyDeleteबाकी सब भी बधाई के पात्र हैं.
काजल कुमार जी सहित सभी विजेताओं को बधाई ...
ReplyDeleteमेघालय और शहीदों के परिचय के लिए अल्पना जी का आभार
regards
शायद इस बार की पहेली थोड़ा मुश्किल थी इसीलिए विजेताओं की संख्या कम रही.
ReplyDeleteसभी विजेताओं को बहुत बहुत बधाई.
और सभी प्रतिभागिओं को धन्यवाद.
अगली पहेली के लिए शुभकामनाएँ.
-आप के सुझावों का स्वागत है.
जानकारी के लिए आभार. सभी विजेताओं को बधाई.
ReplyDeleteकाजल कुमार जी को बधाई .......... और भी सब जीतने वालों को बधाई ........अल्पना जी की जानकारी पढ़ कर बहुत अच्छा लगा ..........
ReplyDeleteसलाम है ऐसे योद्धा को...
ReplyDeleteसच तो ये है की ऐसे योद्धाओ की क़ुरबानी आज बेकार होती जा रही है, यह देश आज आज़ाद होते हुए भी गुलाम सा लगता है...
मीत
काजल कुमार जी सहित सभी विजेताओं को बधाई ...
ReplyDeleteवो माराSSSS...
ReplyDeleteसभी को बधाई व समीर जी को मिठाई.
ओह ! मेघालय तो गया था मैं एकबार. फिर भी जवाब नहीं सुझा !
ReplyDeleteसभी विजेतागणों को बहुत बहुत बधाई।
ReplyDelete------------------
ये तो बहुत ही आसान पहेली है?
धरती का हर बाशिंदा महफ़ूज़ रहे, खुशहाल रहे।
sabhi vijetaon ko hardik badhayi.
ReplyDeleteकाजल जी सहित सभी विजेताओं को बधाइयाँ
ReplyDeleteकाजल कुमार जी सहित सभी विजेताओं को बधाई .
ReplyDeleteसभी विजेताओं को बधाई ...
ReplyDeleteबधाई । इस बहाने महत्वपूर्ण स्थानो से परिचय हो रहा है ।
ReplyDeleteकाजलकुमार को बधाई ...
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