श्रावण का पवित्र महीना है !
इसमे माँ गौरी और भोलेनाथ की लीलाओं
का अभिनय करते इन बालकों की नाट्य कला
का आनंद लें !
और इनका भी उत्साह वर्धन करे एवं जोर से बोले
जय माता गौरी ! जय बम भोले !
श्रावण का पवित्र महीना है !
इसमे माँ गौरी और भोलेनाथ की लीलाओं
का अभिनय करते इन बालकों की नाट्य कला
का आनंद लें !
और इनका भी उत्साह वर्धन करे एवं जोर से बोले
जय माता गौरी ! जय बम भोले !
घण्णे दिन हो गये इधर उधर की बात करते हुये !
कभी ताई, कभी बाबू और कभी दोस्त की
बात करते हुये ! इन चक्करों मे पडकर ताई नै
तो म्हारी जोर दार पूजा पाठ कर दी सै !
सरदार जी नै अभी खबर नही सै कि ब्लाग पै
उनके गुण गाण हो राखें सैं !
मालूम पडैगा तो वो भी किम्मै कसर छोडण
आला नही सै !
ताऊ कै पास पहले एक बन्दर हुआ करता था,
वो भी नाराज होकर कितै भाज लिया !
और अकेले आदमी का इब दिमाग भी हो गया सै
किम्मै ऊंदा सुंदा ! सो ताऊ इक्कल्ला बैठया
बैठया मक्खी सी मारण लाग रया था !
बैठे बैठे ताऊ को पोकरे की याद आ गई अपने
बचपन के दोस्त की ! यो पोकरा गाम की स्कूल मै
ताऊ की साथ ही पढया करता था !
इस पोकरे के दो तीन किस्से याद आ गये !
थम भी सुण लो !
स्कूल मे वार्षिक उत्सव मै पोकरा ने भी एक
नाटक मे फ़ुफ़ा का पार्ट करया था और बुआ (फ़ुफ़ी)
का पार्ट करया एक छोरी नै, जिसका नाम था पताशी !
नाटक हो लिया और नाटक मे बुआ का पार्ट करने
के कारण पताशी को सब छोरे छोरियां बुआजी
बुआजी कहण लग गये ! और ज्यों ज्यों
वो चिढती गई , वैसे वैसे पूरे स्कूल के
छोरे छोरीयां उसको और ज्यादा बुआजी के
नाम तैं बुलाण लग गये !
और पोकरा को भी सब फ़ुफ़ा फ़ुफ़ा कहण लाग गये !
खैर साब यो हीं मामला चलता रहा !
और कुछ दिन बाद एक नये मास्टर जी गणित
पढाने वाले बच्चनसिंघ जी ट्रान्सफ़र हो के
हमारी स्कूल मे आये ! और पहले ही दिन
क्लास मे आकर परिचय लेना शुरु किया !
प्रत्येक छात्र खडा हो कर अपना परिचय दे रहा था !
पतासी का नम्बर आया और वो खडी हुई ही थी कि
छोरे छोरियां चिल्लाण लाग गे - बुआजी .. बुआजी !
मास्टरजी कै कुछ समझ नी आया कि क्या बात है ?
पताशी नै अपणा नाम बताया और बैठ गई !
थोडी देर बाद पोकरा का नम्बर आया और वो खडा
हुआ -- इब पोकरा बोला- जी मास्टरजी वैसे तो
मेरा नाम पोकरा चौधरी सै ! पर मैं अण सारे
छोरे छोरियां का फ़ुफ़ा लागू सूं !
पूरी बात मालूम पडनै पर सारी क्लास के साथ साथ
मास्टर जी भी हन्स पडे !
और इस सारे मामले की खास बात ये है कि
ये दोनो एक ही जाति से थे सो दोनो के घर वालों
ने आपस मे तय करके थोडे समय बाद इनको असली
जीवन मे भी फ़ुफ़ा फ़ुफ़ी बना दिया !
आज भी जब कभी गान्व जाने पर इनसे
मिलना होता है तो इन किस्सों को याद कर
करके बहुत आनन्द लेते हैं !
दो चार दिन बाद ही इन्ही मास्टर जी की क्लास मे से तडी मारने
की वजह से मास्टर जी नाराज थे ! आते ही मास्टर जी दहाडे-
पोकरा खडा हो जा ! अच्छा पोकरा थोडा हाजिर जवाब था
और चुन्कि गाम के चोधरी का बेटा था सो दबंग भी था !
पोकरा- ने तुरन्त जबाव दिया- जी मास्टर जी ..और खडा हो गया !
मास्टर जी -- तुम कल स्कूल क्यूं नही आये ?
पोकरा- जी मास्टर जी , कल म्हारी झोठडी (भैंस) ब्याई थी !
और उसने ने काटडा (नर बच्चा) दिया था !
मास्टर जी - तो इसमै कौन सी विशेष बात हुई ?
पोकरा बोल्या- तो मास्टर जी थम काटडा दे के दिखा दो !
और इस बात पर मास्टर जी ने पोकरा की अच्छी कुटाई
कर डाली पर पोकरा कभी भी नही सुधरा ! जब तक स्कूल
मे रहा यही सब उल्टे सीधे कारनामे करता रहा !
यही कोई दस दिन पहले ही ताऊ किसी काम तैं बम्बई"धन से मुझे ऊब हो गई है ! बीमार और भूखों को देख कर मेरा
मन दुखी हो जाता है " ये शब्द करीब एक वर्ष पहले बिल गेट्स
ने कहे थे ! और इस व्यक्ति के लक्षण मुझे उसी समय से कुछ अच्छे नही
दिखाई दे रहे थे ! और इस व्यक्ति के बारे मे मैं हर खबर पर
नजर लगाए रखता था ! मुझे उन्ही दिनों लग गया था की एक और
सिद्धार्थ अपनी पत्नी यशोधरा और राजकुमार राहुल को छोड कर
वन गमन कर सकता है ।
इतना आसान भी नही है अगर आपके पास तकरीबन सौ अरब डालर
हों और आप सैकिंडो के हिसाब से धन का उत्पादन कर रहे हों ।
ऐसे मे आपका लक्ष्य दौ सो अरब डालर की तरफ़ बढने का होगा !
इस उंचाई पर अचानक आप अपना सब कुछ बिमार , भुखों के लिए
छोड देने का फ़ैसला कर ले तो इसे क्या कहेंगे ? धनवान होना
कोई गुनाह नही है लेकिन राजा से फ़कीर बन जाने का फ़ैसला
कर लेना कोई आसान खेल नही है ! और आज तक के हमारे मानव
इतिहास मे कितने धनिक ऐसा कर पायें हैं ?
एक दिन बिल गेट्स अपनी पत्नी मेलिंडा के साथ उनके दोस्त
वारेन बफ़ेट के घर पहुंचते हैं और वारेन साहब के साथ किसी समारोह
मे शामिल होने चल पडते हैं ! समारोह स्थल पर पहुंचते ही, सैकडों
बच्चों ने जिनके कि हाथ मे माइक्रोसाफ़्ट का झ्न्डा लहरा रहा था ,
उन तीनों का स्वागत किया ! और वे तीनों, बच्चों से हाथ मिलाते हुये
आगे बढने लगे ! इतने मे वारेन बफ़ेट की तरफ़ देख कर एक काला
आठ नौ साल का बच्चा हंसने लगा ! कन्जूस वारेन को उसका हंसना कुछ
अटपटा लगा और वो उस बच्चे से पूछ बैठा की वो क्युं हन्स रहा है ?
बालक ने हंसते हुये ही जबाव दिया - क्योंकि मैं बहुत खुश हूं !
वारेन साहब को उस बच्चे के इन शब्दों ने जैसे आसमान से नीचे गिरा
दिया ! उसने कभी हंसना भी नही जाना ! वो तो सिर्फ़ पैसा कमाने की
मशीन भर बन गया था ! वहीं एक तरफ़ ले जाकर, वारेन ने बिल
से कहा - बिल मेरे पास करीब ३८ अरब डालर हैं इसमे से मैं
तुम्हारे फ़ाउन्डेशन को ३४ अरब डालर देता हूं !
इस जरा से बच्चे ने मेरी आंखे खोल दी हैं ! बल्कि
मुझे हंसना सिखा दिया है ! इसने मुझे मशीन से इन्सान बना दिया है ।
आज मैं हंसना सीख गया हूं अब तुम पूरी दुनियां के बच्चों को हंसाना ।
बिल ने कुछ भी जबाव नही दिया और तत्क्षण घोषणा कर दी - मैं
माइक्रोसाफ़्ट छोड रहा हूं ! दोनों पके हुये फ़ल थे यानि पिछले जन्मों
के तपस्वी रहे होंगे ! पल भर मे क्रान्ति घट गई ! हो गये दोनो बुद्ध !
बिल ने जो किया है सन्सार मे रहते हुये , उसकी मिसाल शायद ही
मिल पायेगी ! पुरी दुनियां को एक माइक्रोचिप लेकर जिसने एक
कटोरे मे बैठा दिया वो बिल जिस आखिरी दिन माइक्रोसाफ़्ट के आफ़िस
मे पहुंचा तो उसका पूरा स्टाफ़ रो रहा था और वो सब चाहते थे
कि बिल इस तरह से वैराग्य लेकर ना जायें ! पर भला किसी सिद्धार्थ
को राजमहल त्यागने से कोई चीज रोक पाई है ?
बिल तो जीते जी अमरता को प्राप्त संत हो गये हैं ! पर इस बुद्ध के
पद चिन्हो पर चलने के लिये क्या धन का त्याग जरुरी है ?
और अगर किसी के पास धन हो ही नही तो ? हम मे से बहुतों के
पास फ़टी जेब है तो क्या करे ? सवाल बडा मार्मिक है !
पर मेरे दोस्तो ! आप ये क्यों नही सोचते कि बिल के अरबों डालर
आपके चन्द रुपियों के सामने फ़ीके हैं अगर आपने उसी के भाव
से ५०० रुपिये भी किसी अनाथ गरीब की सेवा मे दिये हों ।
इन इक्कीसवीं सदी के बुद्धों से कुछ सीखना ही है तो ये मत सोचना
की आप धन का त्याग करके ही बुद्ध बन पायेंगे ! और सच तो ये है
कि बुद्ध बना नही जाता बल्कि कर्म करते करते आदमी कब बुद्ध शुद्ध
हो गया उसे ही नही मालूम चलता !
दोस्तों किसी प्रण की जरुरत नही है ! इस दुनिया को सुखी बनाने
के लिये धन से भी जरुरी बहुत समस्याएं हैं ! आज महिलाओं पर
इतने अत्याचार हो रहे हैं क्या हम किसी मा, बहन या बेटी की
मदद नही कर सकते ? किसी एक मासूम बेसहारा के जीवन यापन
या किसी बालिका की शिक्षा का बोझ हम नही उठा सकते ? हम जिस
क्षेत्र मे भी कार्यरत हैं उसी क्षेत्र की सहायता उनकॊ नही दे सकते ?
क्या हम साप्ताहिक रूप से एक दो घन्टे किसी संस्था को नही दे सकते ।
क्या हम जल सरंक्षण के उपाय़ नही अपना सकते ?
क्या हम ट्रेफ़िक के नियम पालन नही कर सकते ?
क्या हम पेड कटने से नही रोक सकते ?
हम ये सारे काम कर सकते हैं ! आइये हम अपनी अपनी काबलियत
के अनुसार कुछ ना कुछ करने की ठान ले ! दोस्तों धन कुबेरों
मे बिल, वारेन और नारायण मूर्ति तो सदियों मे होते हैं ! बाकी धन
कुबेरो से आप भली भांति परिचित हैं ! इनके या दुसरे के सहारे
अपनी इस प्यारी सी धरा को मत छोडिये ! समाज की सताई हुई बेसहारा
मजबूर बच्चियों को मत छोडिये । ये हम सबकी सामुहिक जिम्मेदारी है ।
सिर्फ़ बहस से कूछ नही होगा ! आपका कुछ समय ही इनको दिजिये
उसकी कीमत भी अरबों डालर से कम नही होगी ।
और कुछ नही तो इस धरती पर एक पेड ही लगा कर अपना योगदान
दे सकते हैं ! हम और कुछ ना कर सके तो किसी अच्छे काम
मे अपना समर्थन तो दे सकते हैं ! फ़िर देखिए ये धरती कैसे स्वर्ग
बनती चली जायेगी ! और आप खुद अपने मे ही परम शान्ति का
अनुभव कर पायेंगे ! आज के अशान्त माहोल मे हम सुखी होने का दिखावा
भले ही कर ले पर इतनी असन्गतियों के बीच हम सुखी नही हो
सकते ! आखिर हम सबका अस्तित्व तो एक ही है !
गाडी चाल पडी हाय रे गाडी चाल पडी
गाडी चाल पडी , मरगे, गाडी चाल पडी
हो गाडी डाट जरा हाय गाडी डाट* जरा
हो गाडी डाट जरा हाय गाडी डाट जरा ॥
मेरे यार खडे खडे रोंवै गाडी डाट जरा
हाय रे गाडी डाट जरा रे गाडी डाट जरा
मेरे यार खडे खडे रोंवै गाडी डाट जरा
हाय गाडी डाट जरा ॥
हो लीलू मत रोवै हाय लीलू मत रोवै
हो लीलू मत रोवै हाय लीलू मत रोवै
मैं दस दन* भीतर आल्युं* हो लीलू मत रोवै
हाय रे लीलू मत रोवै रे लीलू मत रोवै
मैं दस दन* भीतर आल्युं* हो लीलू मत रोवै
हाय ओ लीलू मत रोवै ॥
हो कन्घा भूल्याई हाय मैं शीशा भूल्याई
हाय रे कन्घा भूल्याई हाय रे शीशा भूल्याई
यारां की सेज पै कन्घा शीशा भूल्याई
हाय रे कन्घा भूल्याई हाय रे शीशा भूल्याई ॥
हो डिबीया स्याही* की हाय डिबीया स्याही की
हो डिबीया स्याही* की हाय डिबीया स्याही की
छाज्जू के चौबारे मै भूल्याई डिबीया स्याही की
हाय रे डबीया स्याही की हाय रे डबीया स्याही की
छाज्जू के चौबारे मै भूल्याई डिबीया स्याही की
हाय डिबीया स्याही की ॥
हो चप्पल बाटा की हाय चप्पल बाटा की
हो चप्पल बाटा की हाय चप्पल बाटा की
पाले के घेर मै रहगी चप्पल बाटा की
हाय रे चप्पल बाटा की रे चप्पल बाटा की
पाले के घेर मै रहगी चप्पल बाटा की
हाय चप्पल बाटा की ॥
रे गोरी तेरे यार घणे* हाय रे गोरी तेरे यार घणे
रे गोरी तेरे यार घणे* हाय रे गोरी तेरे यार घणे
मेरा कोन्या* ढूंढ* बसावै रे गोरी तेरे यार घणे
हाय रे गोरी तेरे यार घणे ॥
हो पिया मैं तेरी सूं*हाय पिया मैं तेरि सूं
हो पिया मैं तेरी सूं*हाय पिया मैं तेरि सूं
मेरे सिन्गपरये भरतार* सिर्फ़ मैं तेरी सूं
हाय पिया मैं तेरी सूं
मेरे सिन्गपरये भरतार* सिर्फ़ मैं तेरी सूं
हाय पिया मैं तेरी सूं हां पिया मैं तेरी सुं ॥
हाय रे गाडी चाल पडी रे गाडी चाल पडी
हाय रे गाडी चाल पडी रे गाडी चाल पडी
तेरे इकले* रहगे यार रे गाडी चाल पडी
हाय रे गाडी चाल पडी रे गाडी चाल पडी
हाय रे गाडी चाल पडी रे गाडी चाल पडी
हाय रे गाडी चाल पडी रे गाडी चाल पडी
हाय रे गाडी चाल पडी रे गाडी चाल पडी ॥
( कुछ मित्रों के फ़ोन आये हैं ! जिन्होने इस गाने को बहुत
पसन्द किया है ! कुछ ने टेक्शट के लिये आग्रह किया है
एवम कुछ ने थोडे से शब्दों का अर्थ जानने की इच्छा प्रकट
की है ! अत: इस गाने मे आये हरयानवी शब्दों का अर्थ
दे रहा हूं ! इससे आपका आनन्द द्विगुणित हो जायेगा !)
डाट = रोक, दन = दिन, आल्युं = वापस आजाउंगी,
स्याही = काजल, पाले = बेर की छोटी झाडी के पत्ते जो
मुख्यतया ऊंट को खिलाई जाती हैं , घेर = ढेर,
कोन्या = नहीं, ढूंढ = घर, सूं = हूं, भरतार = पति,
इकले = अकेले ।
ताऊ का शहर के अस्पताल मे आपरेशन हुया था ! सो ताई
को शहर जाणा था ! सो ताई चढ ली शहर जाण आली बस मै !
बस मै घणी ठाडी भीड हो री थी ! बैठण की जगह कितै भी नही थी !
आगे आगे की सब सीटों पै कालेज जाण आले छोरे बैठे थे !
ताई को अनदेखी सी करके सारे छोरे सीटों पै जमे ही रहे !
कोई भी ना उठया ! ताई नै थोडी देर तो इन्तजार किया फिर
वहीं बस के बोनट पर बैठ गई !
थोडी देर बाद दो तीन कालेज जाण आली छोरियां अगले स्टाप
से बस मै चढी ! उन छोरीयां के चढते ही बैठे हुये लडकों ने
उनके लिये सीट खाली कर दी और अपनी सीटों पर उन छोरियों
को बैठा लिया और खुद खडे हो लिये ! ये देख कर ताई को
किम्मै छोह (गुस्सा) सा आगया ! ताई उन लडकों से तो किम्मै
ना बोली पर उन छोरियां तैं बोली - इतना इतराणै (गुरुर) क्युं
लाग री हो ? आज नही तै कल थमनै भी इसी बोनट पै आणा सै !
शहर पहुंच कै ताई बस तै उतर ली और अस्पताल की तरफ़ चाल
पडी ! रास्ते मै चोराहा पार करणा था सो ताई नै लाल पीली
लाइट का किम्मै बेरा था नही सो वो तो चाल पडी मूंह ठा के !
लाल लाइट मै चोराहा पार करते देख कै, ट्रेफ़िक होलदार सीटी
मारण लाग ग्या ! पर ताई तो सीधी ही चाली जावै थी ! फ़िर
दोड कै होलदार साब नै ताई को रोका !
और बोला- क्युं ताई मरण का सोच कै आई सै के ?
ताई- अरे बेटा मैं क्युं मरण लागी ! तैं ढंग सै नही बोल सकदा के ?
या तनै बात करण की तमीज नही सिखाई तेरे घर आला नै ?
होलदार-- ताई मैं इतनी देर तैं सीटी मारण लाग रया सूं अर तैं तो
रुकदी ही नही ?
ताई बोली-- अरे तेरी के अक्ल खराब हो राखी सै ?
इब मेरी या उम्र के तन्नै सीटी पर रुकण की दिखै सै ?
अपनै जमानै मै तो मै एक सीटी पर ही रुक जाया करै थी !
और छोह मै आके ताई नै होलदार के दो कान तले बजा दिये !
एक बार एक ताऊ अपनै छोरे के पास अपना ईलाज करानै
शहर चला गया ! वहां ताऊ का छोरा बडा सरकारी अफ़सर
था ! सरकारी गाडी बन्गला नौकर चाकर सब मिल राखे थे !
शहर मे उसके छोरे नै और उसकी बहू नै ताऊ की घणी सेवा करी !
और डाक्टर भी ताऊ के छोरे का पहचान का था सो उसनै ताऊ की
जान्च वान्च करके बताया की उसके प्रोस्टेट का आपरेसन करणा
पडैगा ! ताऊ को असपताल मै भर्ती करा दिया ! और सब जांच वांच
करकै डाक्टर बोल्या-- ताऊ थारा सुबह एक छोटा सा आपरेशन
कर देन्गे ! कोई चिन्ता मत करियो ! आप बिल्कुल ठीक हो जाओगे !
और इब आप बीडी चिलम मत पीना !
ताऊ बोल्या -- ठिक सै भाई ! जैसी थम कहो !
अगले दिन ताऊ का आपरेशन हो गया ! इसके बाद एक दिन
तो ताऊ नै बिना चिलम बीडी कै निकाल दिया ! पर इब उसतैं रहा
नही जावै था ! चिलम की तलब घणी होण लागरी थी ! और ताऊ नै
वार्ड बाय़ वगैरह सब आजमा के देख लिये , पर बात बणी नही !
इब ताऊ स्टाफ़ को चकमा देके असपताल के सामनै की पान की
दुकान पर पहुंच के बीडी पीके आगया ! और बस घुमण का
बहाना मार के ताऊ बीडी पीके वापस अपने बिस्तर पर आजाया
करै था !
शाम को डाक्टर आया राउन्ड लेता हुआ ! और उसनै ताऊ को
लिटा कै उसकी पेशाब की जगह पट्टि वट्टी
बदलनै लग गया ! और ताऊ सै बात भी करता जावै था !
इब डाक्टर नै पूछी-- ताऊ बीडी सिगरेट तो नही पी थी ना !
ताऊ बोल्या-- क्युं भाइ डागदर साब ? उडे के धुंआ निकलण लागरया सै ?
तन्नै क्युं कर बेरा पाटया के मन्नै बीडी पी थी ?



