हरियाने का आदमी जब भी कुछ बोलता है तो ये लगता है की पत्थर मार रहा है ! पर ये हवा पानी का ही असर है ! हमारे महामहिम श्री बलराम जी झाखड साहब मोजुदा दौर के उन राजनीतिज्ञों में से हैं जो बहुत ही सुसंस्कृत और विद्वान् हैं ! और शायद ये कम ही लोगों को पता होगा की महामहिम संस्कृत के प्रकांड विद्वान् हैं ! इनके बोलने के अंदाज से आप ये मत समझ लेना की ये रूखे सूखे हैं ! इनके बराबरी का कोई राजनीतिज्ञ मुझे दिखाई नही देता जो इतना प्रकांड विद्वान् और सरल आदमी हो ! मैं तो इनके स्वभाव से बहुत पुराने जमाने से परिचित हूँ ! अपनी और से इन्होने नौकरशाही को सुधारने की बड़ी कोशिशें की हैं ! और इनका अंदाजे बयाँ देख कर आप भी दाद देंगे की आज भी कोई तो है, जो किसी से डरता नही ! और ऎसी बातें सिर्फ़ वही बोल सकता है जिसका ख़ुद का दामन पाक साफ़ हो !
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और
बस मे ज्यादा भीड़ हो रही थी और कुछ सवारियां दरवाजे के बाहर लटक रही थी ! कंडक्टर नै आके जोर से आवाज लगाई -- कृपया भीतर नै आके मर ल्यो ! नही तो बाहर ही टपक के मर ल्योगे !
आश्चर्य भरी खुशी हुई कि आज के राजनीतिज्ञों में भी ऐसे लोग मौजूद हैं जो खुदा की लाठी में यकीन रखते हैं.
ReplyDeleteपढ़कर आश्चर्य भरी खुशी हुई कि आज के राजनीतिज्ञों में भी ऐसे लोग हैं जिन्हें खुदा की लाठी में यकीन है.
ReplyDeleteबलराम जाखड़ जी के ज्ञान का आभास ही और मुलाकात भी.
ReplyDeleteवाकया मजेदार सुनाया.
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ReplyDeleteताउ यो ही तो हरयाणा का पानी सै !
ReplyDeleteपर भैंस के आगे चाहे बीन बजाओ या डंडे मारो ,
भैंस को कोई फर्क ना पडता !