ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र, ब्लागिस्तान का सारा कार्यभार रामप्यारे के हवाले करके काफ़ी समय पूर्व ही दंडकारण्य के लिये प्रस्थान कर गये थे. अंधे होते हुये भी महाराज ताऊ धॄतराष्ट्र में शायद भविष्य में झांकने की असीम ताकत रही होगी जो समय रहते यहां से गमन कर गये. शायद उनको मालूम था कि अब सब घोटालों का पर्दा फ़ास होने का समय आ चुका है. हस्तिनापुर के सम्राट होने के नाते सारा ठीकरा तो आखिर उनके माथे ही फ़ूटना था.
महाराज को ढूंढने के अनेक लोगों ने प्रयास किये परंतु महाराज तो रामप्यारे के सींगों की तरह गायब हो गये थे. ऐसे में मिस समीरा टेढी को कहां चैन पडता सो अनेकों जगह ढूंढते ढूंढते मिस समीरा ने ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र को हिमालय की वादियों में जाकर ढूंढ ही लिया. मिस समीरा को देखते ही महाराज धॄतराष्ट्र खिल उठे और काफ़ी गर्मजोशी से उनका स्वागत किया.
आखिर मिस. समीरा टेढी ने ताऊ महाराज को खोज ही लिया
ताऊ महा घोटाला धाम के आसपास बिखरी पडी शुभ्र धवल बर्फ़ पर महाराज के साथ चहलकदमी करते हुये समीरा जी ने महाराज से राजकाज के प्रति उनकी बेरूखी का सबब जानना चाहा तो महाराज धॄतराष्ट्र आखिर बोल ही पडे - अब आप ही बताईये समीरा जी, हम क्या कर सकते हैं? हस्तिनापुर में हम सिर्फ़ नाम के महाराज रह गये थे. सब पक्ष विपक्ष के राजकुमार एक दूसरे की टांग खिंचाई में लगे थे, सरकारी अधिकारी, मंत्री, कर्मचारी किसी भी तरह अपना बैंक बैलेंस बढाने में लगे थे. तो हम वहां रह कर क्या करते?
मिस समीरा टेढी : पर महाराज, आपके इस तरह पलायन करने से तो आपके हस्तिनापुर में और घोर अव्यवस्था फ़ैल गई है, आपकी प्रजा दुखी है?
ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र : हम क्या कर सकते हैं समीरा जी? हम तो बस मंत्रि मंडल की कठपुतली भर रह गये हैं. हमारे राजकुमारों के अपने अपने खजाने भरने की महत्वाकांक्षाओं और भ्रष्टाचार के चलते हमारे लिये सांप छछूंदर जैसी हालात हो गई है, हमे ना चाहते हुये भी अपने राजकुमारों और मंत्रियों के गलत काम काज का बचाव और समर्थन करना ही पडता है.
समीरा जी : हां महाराज आपकी ये बात तो सही है, अब देखिये ना बाबा कामदेव और उनके सोते हुये शिष्यों पर आपके सिपहसालारों ने आंसू गैस और लाठियां पडवा दी, ये तो बहुत गलत बात हुई महाराज?
ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र : अब समीरा जी हमारे मंत्री और राजकुमार इतने बुरे भी नही है, आप जानती है ना कि बाबा कामदेव योगासन सिखाने के नाम पर वहां शासन के खिलाफ़ साजिश रच रहे थे? इसमे क्या बुरा किया? इस मसले में हमारे अधिकारियों ने राज धर्म का पालन किया है, हम उनको साजिश बेनकाब करने के लिये धन्यवाद देते हैं, आखिर शासन थोडी सख्ती के बिना नही चल सकता.
समीरा जी - पर महाराज आपके अधिकारी एवम मंत्री तो कन्ना साहेब के रोकपाल बिल के भी खिलाफ़ हैं. वो कहते हैं कि बिना चुनाव लडे कोई सिविल सोसाईटी थोडे ही बन सकती है? या तो राजवंश में पैदा होके दिखाये या चुनाव लडे, तब ठीक है, यूं ही बैठ गये अनशन पर और बन गये रोकपाल बिल के कर्ता धर्ता?
ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र : बिल्कुल सही कहा, आखिर प्रजा को प्रजा ही रहना चाहिये, हमने यहां से ही सख्त आदेश दे दिये हैं कि बगावत की कोशीशे हर स्तर पर नाकाम कर दी जानी चाहिये.
समीरा जी :- और महाराज आजकल आतंकवादी घटनाएं बढ गई है? आपकी इंटेलीजेंसिया नाकाम हो रही हैं? प्रजा रोज मर रही है.
ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र : अरे समीरा जी आप कहीं पत्रकारिता के पेशे में तो नही आ गई हैं? आप तो बाल की खाल निकाले जा रही हैं? अरे इतने सालों से जब आतंकवादी घटनाएं नही हुई तो उसका श्रेय आप हमारे शासन को नही दे रही हैं और कहीं दो चार बम फ़ूट गये, ट्रेनें पलटा दी गई तो आप आसमान सर पर उठा ले रही हैं? आपको मालूम है कि पडौस के मुल्कों में रोज आतंकवादी वारदातें होती हैं और हमारे यहां कभी कभी होती हैं. आतंकवादी घटनाओं को कोई भी नही रोक सकता, फ़िर आप उल्टे हमें दोष दे रही हैं? आपको तो हमारे मंत्री और अधिकारियों की पीठ थपथपानी चाहिये, उनका एहसानमंद होना चाहिये.
समीरा जी :- बस महाराज श्री एक बात और बता दिजिये कि डीजल, पेट्रोल, दवाई, स्कूल फ़ीस, खाना पीना सब कुछ महंगा हो गया है, अधिकतम जनसंख्या दो वक्त की रोटी और दूसरे संशाधन नही जुटा पा रही है. क्या आप इस के लिये कोई उपाय करेंगे?
ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र : देखिये समीरा जी, महंगाई का बढना बहुत जरूरी है, इससे अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी में हमारा रूतबा बढता है, इसलिये महंगाई को तो हम चाहकर भी कम नही करेंगे, अपना रूतबा बढाने के लिये हम चाहेंगे कि महंगाई अभी कम से कम दुगूनी तक बढ जाये तो हम विश्व बिरादरी के नंबरदार बनने की हैसियत वाले हो जायेंगे.
समीरा जी :- पर महाराज, अगर महंगाई दुगूनी तक बढ गई तो प्रजा भूखों मर जायेगी, कैसे जिंदा रहेगी प्रजा? कुछ तो सोचिये? बोलिये महाराज बोलिए?
ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र : समीरा जी हमारे हाथ में कुछ नही है. महंगाई तो नही रूकने वाली, अलबत्ता जो प्रजा जन इस महंगाई के साथ नही चल सकते उनके लिये हम कुछ उपाय अवश्य सोचेंगे.
समीरा जी ने तनिक खुश होते हुये पूछा - बताईये महाराज बताईये, प्रजा के लिये आपका क्या प्रोग्राम है?
ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र : समीरा जी, हम क्या कर सकते हैं? हमारे हाथ में कुछ नही है, हम तो बेबस तिकडमी सरकार के प्रधान हैं, हमारे हस्तिनापुर की प्यारी प्रजा रोज तिल तिल कर भूख प्यास से मरे, इसके बजाये हम सब्सीडी देकर सरकारी खजाने से मुफ़्त के जहर की बोरियां चौपाल में रखवा देंगे, जो तिल तिल कर मरने से डरता हो वो एक बार खाकर मर जाये.
ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र की ये बाते सुनकर मिस समीरा टेढी अवाक सी उनको देखती रह गयी.
महाराज को ढूंढने के अनेक लोगों ने प्रयास किये परंतु महाराज तो रामप्यारे के सींगों की तरह गायब हो गये थे. ऐसे में मिस समीरा टेढी को कहां चैन पडता सो अनेकों जगह ढूंढते ढूंढते मिस समीरा ने ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र को हिमालय की वादियों में जाकर ढूंढ ही लिया. मिस समीरा को देखते ही महाराज धॄतराष्ट्र खिल उठे और काफ़ी गर्मजोशी से उनका स्वागत किया.
ताऊ महा घोटाला धाम के आसपास बिखरी पडी शुभ्र धवल बर्फ़ पर महाराज के साथ चहलकदमी करते हुये समीरा जी ने महाराज से राजकाज के प्रति उनकी बेरूखी का सबब जानना चाहा तो महाराज धॄतराष्ट्र आखिर बोल ही पडे - अब आप ही बताईये समीरा जी, हम क्या कर सकते हैं? हस्तिनापुर में हम सिर्फ़ नाम के महाराज रह गये थे. सब पक्ष विपक्ष के राजकुमार एक दूसरे की टांग खिंचाई में लगे थे, सरकारी अधिकारी, मंत्री, कर्मचारी किसी भी तरह अपना बैंक बैलेंस बढाने में लगे थे. तो हम वहां रह कर क्या करते?
मिस समीरा टेढी : पर महाराज, आपके इस तरह पलायन करने से तो आपके हस्तिनापुर में और घोर अव्यवस्था फ़ैल गई है, आपकी प्रजा दुखी है?
ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र : हम क्या कर सकते हैं समीरा जी? हम तो बस मंत्रि मंडल की कठपुतली भर रह गये हैं. हमारे राजकुमारों के अपने अपने खजाने भरने की महत्वाकांक्षाओं और भ्रष्टाचार के चलते हमारे लिये सांप छछूंदर जैसी हालात हो गई है, हमे ना चाहते हुये भी अपने राजकुमारों और मंत्रियों के गलत काम काज का बचाव और समर्थन करना ही पडता है.
समीरा जी : हां महाराज आपकी ये बात तो सही है, अब देखिये ना बाबा कामदेव और उनके सोते हुये शिष्यों पर आपके सिपहसालारों ने आंसू गैस और लाठियां पडवा दी, ये तो बहुत गलत बात हुई महाराज?
ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र : अब समीरा जी हमारे मंत्री और राजकुमार इतने बुरे भी नही है, आप जानती है ना कि बाबा कामदेव योगासन सिखाने के नाम पर वहां शासन के खिलाफ़ साजिश रच रहे थे? इसमे क्या बुरा किया? इस मसले में हमारे अधिकारियों ने राज धर्म का पालन किया है, हम उनको साजिश बेनकाब करने के लिये धन्यवाद देते हैं, आखिर शासन थोडी सख्ती के बिना नही चल सकता.
समीरा जी - पर महाराज आपके अधिकारी एवम मंत्री तो कन्ना साहेब के रोकपाल बिल के भी खिलाफ़ हैं. वो कहते हैं कि बिना चुनाव लडे कोई सिविल सोसाईटी थोडे ही बन सकती है? या तो राजवंश में पैदा होके दिखाये या चुनाव लडे, तब ठीक है, यूं ही बैठ गये अनशन पर और बन गये रोकपाल बिल के कर्ता धर्ता?
ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र : बिल्कुल सही कहा, आखिर प्रजा को प्रजा ही रहना चाहिये, हमने यहां से ही सख्त आदेश दे दिये हैं कि बगावत की कोशीशे हर स्तर पर नाकाम कर दी जानी चाहिये.
समीरा जी :- और महाराज आजकल आतंकवादी घटनाएं बढ गई है? आपकी इंटेलीजेंसिया नाकाम हो रही हैं? प्रजा रोज मर रही है.
ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र : अरे समीरा जी आप कहीं पत्रकारिता के पेशे में तो नही आ गई हैं? आप तो बाल की खाल निकाले जा रही हैं? अरे इतने सालों से जब आतंकवादी घटनाएं नही हुई तो उसका श्रेय आप हमारे शासन को नही दे रही हैं और कहीं दो चार बम फ़ूट गये, ट्रेनें पलटा दी गई तो आप आसमान सर पर उठा ले रही हैं? आपको मालूम है कि पडौस के मुल्कों में रोज आतंकवादी वारदातें होती हैं और हमारे यहां कभी कभी होती हैं. आतंकवादी घटनाओं को कोई भी नही रोक सकता, फ़िर आप उल्टे हमें दोष दे रही हैं? आपको तो हमारे मंत्री और अधिकारियों की पीठ थपथपानी चाहिये, उनका एहसानमंद होना चाहिये.
समीरा जी :- बस महाराज श्री एक बात और बता दिजिये कि डीजल, पेट्रोल, दवाई, स्कूल फ़ीस, खाना पीना सब कुछ महंगा हो गया है, अधिकतम जनसंख्या दो वक्त की रोटी और दूसरे संशाधन नही जुटा पा रही है. क्या आप इस के लिये कोई उपाय करेंगे?
ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र : देखिये समीरा जी, महंगाई का बढना बहुत जरूरी है, इससे अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी में हमारा रूतबा बढता है, इसलिये महंगाई को तो हम चाहकर भी कम नही करेंगे, अपना रूतबा बढाने के लिये हम चाहेंगे कि महंगाई अभी कम से कम दुगूनी तक बढ जाये तो हम विश्व बिरादरी के नंबरदार बनने की हैसियत वाले हो जायेंगे.
समीरा जी :- पर महाराज, अगर महंगाई दुगूनी तक बढ गई तो प्रजा भूखों मर जायेगी, कैसे जिंदा रहेगी प्रजा? कुछ तो सोचिये? बोलिये महाराज बोलिए?
ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र : समीरा जी हमारे हाथ में कुछ नही है. महंगाई तो नही रूकने वाली, अलबत्ता जो प्रजा जन इस महंगाई के साथ नही चल सकते उनके लिये हम कुछ उपाय अवश्य सोचेंगे.
समीरा जी ने तनिक खुश होते हुये पूछा - बताईये महाराज बताईये, प्रजा के लिये आपका क्या प्रोग्राम है?
ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र : समीरा जी, हम क्या कर सकते हैं? हमारे हाथ में कुछ नही है, हम तो बेबस तिकडमी सरकार के प्रधान हैं, हमारे हस्तिनापुर की प्यारी प्रजा रोज तिल तिल कर भूख प्यास से मरे, इसके बजाये हम सब्सीडी देकर सरकारी खजाने से मुफ़्त के जहर की बोरियां चौपाल में रखवा देंगे, जो तिल तिल कर मरने से डरता हो वो एक बार खाकर मर जाये.
ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र की ये बाते सुनकर मिस समीरा टेढी अवाक सी उनको देखती रह गयी.
चलो यह बढ़िया हुआ ...
ReplyDeleteताऊ श्री आखिर आप खोज निकाले ही गए.
ReplyDeleteआप को जरा भी तरस नहीं अपनी मासूम प्रजा पर.
जो जहर की बोरियां आपने सब्सिडी देकर चौपाल में रखने की बात कही है, वे सब भी नकली हैं.घोटाला यहाँ भी पहले ही हो चुका है.
खाकर मरने के बजाय बीमार पड़ जायेंगे लोग.
अब आप जल्दी से मेरे ब्लॉग पर आकर 'रामजन्म'
और 'सीता जन्म' की बधाई दे दीजियेगा.कल्याण हो जायेगा आपकी समस्त प्रजा का.समीरा टेडी तो पहले ही पधार चुकी हैं.आपका इंतजार है.
हमारे हस्तिनापुर की प्यारी प्रजा रोज तिल तिल कर भूख प्यास से मरे, इसके बजाये हम सब्सीडी देकर सरकारी खजाने से मुफ़्त के जहर की बोरियां चौपाल में रखवा देंगे, जो तिल तिल कर मरने से डरता हो वो एक बार खाकर मर जाये.
ReplyDeleteवाह ...
क्या बात है !!
देर आए दुरूस्त आए ..
बहुत बढिया व्यंग्य !!
हमारे हस्तिनापुर की प्यारी प्रजा रोज तिल तिल कर भूख प्यास से मरे, इसके बजाये हम सब्सीडी देकर सरकारी खजाने से मुफ़्त के जहर की बोरियां चौपाल में रखवा देंगे, जो तिल तिल कर मरने से डरता हो वो एक बार खाकर मर जाये.
ReplyDeleteवाह ...
क्या बात है !!
देर आए दुरूस्त आए ..
बहुत बढिया व्यंग्य !!
महीनों बाद आपके ब्लॉग का अपडेट् मिला!
ReplyDeleteखुशखबरी है हमारे लिए तो यह!
मगर आपने तो मेल का जवाब भी नही दिया मुझे!
राम राम ताऊ...
ReplyDeleteदेर आये उलट वाणी सुने बहुत दिन हो गए थे...अब मत जाना ।
वाह ताऊ महाराज ! धन्य है आपकी सरकार |
ReplyDeleteमजा आ गया पढ़कर | मिस समीरा जी का हार्दिक आभार जो उन्होंने ताऊ महाराज को ढूंढ़ निकाला |
अच्छी खबर ,बधाई.
ReplyDeleteवनवास से लौट आये .
ReplyDeleteअब इतने दिनों में हालात तो बदलने ही थे .
वैसे खोजने की कोशिश तो बहुत लोगों ने की थी .
सार्थक व्यंग्य!
ReplyDeleteस्वागत है महाराज ....
ReplyDeleteआखिर आपके दर्शन तो हुए ...हम तो अनशन पर बैठने ही जा रहे थे !
शुभकामनायें !
ताऊ आ रहा हूं अट्ठारह को इन्दौर आपसे समक्ष में सुनुंगा
ReplyDeleteचलिये आप वापस तो लौटे. इन्दौर से मुम्बई (?) जाने के बाद तो आपने ब्लाग पर लिखना ही बन्द कर दिया.
ReplyDeleteबम विस्फोट की तो आदत डाल लेना चाहिये, ब्लैंक चेक तैयार ही रहता है, बस नाम पड़ना बाकी है..
बड़े दिनों बाद ! पहले ये तो बताइये कि गायब कहाँ थे ताऊजी ?
ReplyDeleteअरे महाराज !
ReplyDeleteकहां चले गए थे आप ?
बहुत सूना-सूना लग रहा था ब्लॉगजगत में आपके बिना …
अब समीराजी के साथ ही रहिएगा … … … :))
स्वागत है महाराज! धन्य भाग हमारे कि आप वापस पधारे। आपके अज्ञातवास के कारण प्रजा सूखती जा रही थी।
ReplyDeletebaap re...........
ReplyDeletekya ada hai sarkaar ki ....
हस्तिनापुर से भाग कर छुपने से क्या होगा... अव्यस्था तो पीछा कर ही लेगी :)
ReplyDeleteकिसी ज़माने में एक गाना बड़ा हिट हुआ था...
ReplyDeleteतू कहां गई थी, तेरा मर जाए सांवरिया....
अब ताऊ के लिए भी गाना पड़ेग...
तू कहां गया था...
जय हिंद...
ताऊ कुंडली के किस गृह में क्या बैठ गया थया जो आपका बलॉग जगत छूट गया | लगता है अब आपकी समस्या का समाधान हो गया है |
ReplyDeleteकहाँ गायब थे महाराज!
ReplyDeleteयहाँ तो कई लोग हमने आप को तलाश करने भेजे थे वे और गायब हैं।
अब जाके सांस में सांस आई है
ReplyDeleteअब दिल लगेगा ब्लॉग्स पढने में
प्रणाम स्वीकार करें
जो तिल तिल कर मरने से डरता हो वो एक बार खाकर मर जाये.
ReplyDeleteये तो जनता पर सरकार का आभार होगा
बढिया व्यंग्य
प्रणाम
देर आए दुरूस्त आए .
ReplyDeleteलेकिन नाराज़ तो हम अभी तक हैं
जय हो कहाँ थे आप ....मन प्रसन्न हो गया ताऊ जी ...
ReplyDeleteताऊ मिल गए और उनकी मजबुरियाँ जान कर मन हल्का हो गया. वे निर्दोष है, राज्य में लौट आएं, हम वैसे भी भुलक्कड़ प्रजा है.
ReplyDeleteलाजवाब प्रस्तुति...
ReplyDeleteहमें तो बस इसी बात की प्रसन्नता है कि आप मिल गये हैं।
ReplyDeletenice
ReplyDeleteमुसाफिर तू जाएगा कहां?
ReplyDeleteघड़ी भर दम ले कर, छांव तो यहीं पानी है।
ताऊ श्री आखिर आप खोज निकाले ही गए.स्वागत है महाराज!
ReplyDeleteस्वागत है...अब लौट भी आईये...थोड़ी मोटी चमड़ी करिये और अवाक ताकना बंद कर आँख झिलमिल करिये आखिर बड़ी उम्मीद लेकर समीरा जी आई हैं....:)
ReplyDeleteकितने दिनों का सूनापन आखिरकार आज दूर हुआ!
ReplyDeleteJai Ram Ji ki........Swagat hai Taushree.....
ReplyDeleteवेलकम बैक सर ताऊ जी ...बिना बताये गए और अचानक आये -
ReplyDeleteताऊ श्री,'सीता-जन्म' पर आपका त्वरित शुभाशीष मिला,
ReplyDeleteमन गदगद हो गया.
'रामजन्म' पर भी समय निकालकर पधारियेगा.
आभार.
सागत सै भई ताऊ....... भेल्कम...
ReplyDeleteसागत सै भई ताऊ....... भेल्कम...
ReplyDeleteएक लंबे अंतराल के बाद ब्लोगजगत में आप की उपस्थिति अच्छी लगी.
ReplyDeleteबहुत दिनों के बाद आपके ब्लॉग पर आकर नया पोस्ट पढ़ने को मिला! बहुत सुन्दर, सटीक और ज़बरदस्त व्यंग्य!
ReplyDeletebharat ???
ReplyDeleteबडे दिनों बाद आपने दर्शन दिये । स्वागत है आपका...
ReplyDeleteचलिए ताऊ जी दिखाई तो पड़े अब राजनीति से ज्यादा परेशां होने की ज़रूरत नहीं है यह अक्ल के अन्धें हैं |बस भगवान से प्रार्थना है की इन्हें सदबुद्धि दे |.
ReplyDeleteपधारो महाराज! धमाकेदार वापसी... ये तो होना ही था!!
ReplyDeleteसिर्फ एक पोस्ट पढ़कर मै भी
ReplyDeleteआपकी fan बन गई थी !
आभार फिर से आपकी पोस्ट पढने को मिली !
ताऊ जी! आखिर इस बहाने कम से कम पहाड़ों की सैर तो हुवी...
ReplyDeleteभाई जी घना दिन में नज़र आया...दिल की धड़कन अब सामान्य सी हुई है...आप हमेहा आते रहा करो..इत्ता लम्बा इंतज़ार भी कोई करवाता है क्या भला?\
ReplyDeleteनीरज
बहुत बढ़िया ताऊ,
ReplyDeleteविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
बहुत सही समाधान बतलाया है आपने. धन्यवाद.
ReplyDelete:-)
tere khooten pe khare hokar hi is jagat ki sair kari hai hamne tau...aise na anjane khooten khench liya kar tere balak pareshan ho jate hain tau....
ReplyDeletepranam.
महाराज ... कोशिश तो हमने भी की पर आपका पता ही नहीं चला ... मेल हमारी शायद दंडकवन में भटकती कर मर गयी ...
ReplyDeleteआशा है अब सब कुशल मंगल से होगा ... आपना समाचार जरूर देते रहें ...
राम राम ताऊ श्री ...
आप आये बहार आई. ढून्ढ तो हम भी रहे थे. दंदाकरान्य तो दक्षिण में है. हिमालय में कैसे पकडाए.
ReplyDeleteआ गये वापस? बडा इंतजार कराया।
ReplyDeleteताउजी राम -राम आपके मिल जाने से सबलोग बहुत खुश हैं अब छोड़ के मत जाइएगा.......कृपया मेरे पोस्ट पर फिर से पधारें
ReplyDelete