आखिर मिस समीरा ने रामप्यारे से कुछ जानने की सोची तब मालूम पडा कि रामप्यारे तो खुद छुपता फ़िर रहा है. इस खबर पर चौंकते हुये मिस टेढी ने कारण जानना चाहा तो रामप्यारी ने बताया कि ताऊ महाराज द्वारा रामप्यारे को ब्लाग का जिम्मा दिया गया था जिसमें रामप्यारे ने पहेली की जगह स्पेक्ट्रम स्पेक्ट्रम का खेल खेल डाला और आजकल ताऊ महाराज के प्रकट होने के डर से भागता फ़िर रहा है, और सुना है आजकल किसी अखबार में कालम लिख कर दिन काट रहा है.
इतनी ही देर में समीरा जी ने देखा कि महाराज ताऊ हाथ में समूचा चांद उठाये पर्वत शिखर पर प्रकट हो गये. महाराज ताऊ का यह सिद्ध रूप देखकर मिस समीरा टेढी ताऊ महाराज के सामने नतमस्तक होगई और साष्टांग प्रणाम किया, बदले में महाराज ने वरदान मांगने का आदेश दिया. मिस समीरा बोली : ताऊ महाराज, ईश्वर का दिया सब कुछ है मेरे पास, अगर आप ज्यादा ही प्रसन्न हैं तो मुझे आपसे कुछ जरूरी प्रश्न जानने हैं उनका उत्तर दे दिजिये.
ताऊ महाराज बोले - समीरा जी, हम सीधे प्रश्नों का जवाब तो कभी देते नही हैं पर हम आपसे और आपकी हाय हैल्लो से अति प्रसन्न हैं तो पूछिये कौन से प्रश्नों का जवाब जानना चाहती हैं आप?
मिस टेढी - महाराज सबसे पहला सवाल तो यही है कि आप दंडकारण्य का कहकर ब्लागिस्तान से गायब हुये थे और ठीक उसकी उल्टी दिशा में यहां हिमालय में बैठे हैं, यह क्या चक्कर है?
ताऊ महाराज - हम गये तो दंडकारण्य ही थे, पर वहां गर्मी बहुत थी तो श्री ताऊ आकाशगामी यंत्र के बल पर जब चाहे यहां वहां जाते रहते हैं?
मिस टेढी - ओह, अब समझ आया, ताऊ महाराज यह बताईये कि आजकल आपने चोरी डकैती, लूटमार व ठगी वाले धंधे क्यों बंद कर रखे हैं? अगर यह सब बंद है तो आपके खर्चे पानी कैसे चलते हैं?
ताऊ महाराज - जी आपने ठीक फ़रमाया समीरा जी. असल में हमको अब ये छोटी मोटी चोरी चकोरी, ठगी के धंधे करने में शर्म महसूस होने लगी है. आजकल बिना अक्ल लगाये लोग हजारों करोड सिर्फ़ घोटाले कर कर के कमा लेते हैं और हम अपनी पूरी अक्ल इस्तेमाल करके भी कभी दस बीस हजार से ज्यादा नही कमा पाये, इसलिये हमने तय कर लिया है कि दस बीस लाख करोड का दांव ही फ़िट बैठायेंगे.
मिस टेढी - हां महाराज, ये हुई ना आपकी शान के लायक बात, पर एक बात बताईये कि आपने पिछले दिनों क्या क्या किया?
ताऊ महाराज : समीरा जी, आप तो जानती ही हैं कि हमें ज्योतिष से बडा लगाव है, इसके लिये पिछली साधना में हमने श्री ताऊ चौबीसा यंत्र की रचना पाठकों और जनकल्याण के लिये की थी, अबकी बार हमने "आंग्ल ज्योतिष का इतिहास" ही लिख डाला, और आपको परम प्रसन्नता होगी कि हमको इस इतिहास लेखन के लिये सरकारी सम्मान से नवाजा गया है.
मिस टेढी - बधाई हो ताऊ महाराज आपको, अति प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है महाराजश्री, इस किताब के एक दो सूत्र वाक्य भी बता दे जिससे हमारे पाठक भी उससे कुछ लाभ उठा सकेंगे.
ताऊ महाराज :- अवश्य मिस टेढी अवश्य, आपकी बात हम भला कैसे टाल सकते हैं, ज्योतिष का एक मूल सूत्र हम आपके और जनता के कल्याण के लिये बता रहे हैं, अगर इस सूत्र को रट लिया तो साईंस ब्लागर एशोसियेशन वाले चाहे जितना माथा फ़ोड ले, पर ज्योतिष को गलत साबित नही कर पायेंगे.
मिस टेढी - ये तो सही है ताऊश्री, आप तो सूत्र बताईये, जिससे सबका कल्याण हो सके.
महाराज ताऊ : नोट किजिये मिस टेढी, नोट भी क्या, आप तो गांठ बांधिये, इस सूत्र वाक्य के फ़लादेश कभी गलत नही हो सकते,
वक्री चंद्रो विबलो वर्जितोयम शुभे सम:
अर्थात
नीच क्रूर ग्रह से युक्त, अस्तगत, शत्रु के घर में स्थित तथा वक्री चंद्र निर्बल होकर दु:ख एवम दारिद्रदायक होता है.
मिस टेढी - महाराज ताऊ श्री, कुछ समझ नही आया...ये चंद्र...अस्तगत...और वक्री....युं कि ये कौन सी ज्योतिष है महाराज श्री....?
ताऊ महाराज : बालिके ये ताऊ ज्योतिष है...और सरकारी सम्मान ऐसी ही सूत्र रचनाओं द्वारा मिलता है...हमको तो सम्मान चाहिये था सो मिल गया...अब नाम मिल गया है तो दाम भी कमा ही लेंगे.
मिस टेढी - पर महाराज ताऊ.....आप ऐसा कैसे कर सकते हैं?
ताऊ महाराज - समीरा जी आप परेशान ना हों...आप भी इस सूत्र को इस्तेमाल करिये, फ़िर देखिये मजा...अब हम प्रस्थान करेंगे.
मिस टेढी - पर महाराज मेरे दूसरे सवाल तो बाकी ही रह गये....उनका जवाब कब मिलेगा?
महाराज ताऊ श्री : समीरा जी, अभी तो हमें "लंदन इंटरनेशनल ब्लागर सम्मेलन" की रिपोर्टिंग करने जाना है, वर्ना हम पर ये आरोप लगेगा कि हम सिर्फ़ भारत में होने वाले ब्लागर सम्मेलनों की ही रिपोर्टिंग (छीछालेदर) करते हैं, हमें इंटरनेशनल ब्लागर सम्मेलन की अंदरूनी बातों से पाठकों को रूबरू करवाना है जो किसी को नही मालूम....आप अगले सप्ताह आईये ना समीरा जी.
लगता है इंटरनेशन ब्लागर सम्मेलन का भी होगया कल्याण.... मन ही मन यह सोचती हुई मिस समीरा टेढी बोली - जैसी आज्ञा महाराज.