ताऊ नीत गठबंधन (TDA) सरकार का ब्लाग बजट पेश

माननिय ब्लाग संसद के अध्यक्ष महोदय, ताऊ नीत गठबंधन (TDA) की अम्माजी और पिताजी, TDA के समस्त भाई बंधुओं एवम विरोधी खेमे के आंख में किरकिरी करने वाले सदस्यों, आप सभी को सादर नमन करते हुये मैं ताऊ सरकार का मुख्य वित मंत्री ताऊ महाराज इस साल के लिये अपना ब्लाग बजट पेश करता हूं.

माननिय अध्यक्ष महोदय एवम सदस्य गणों जैसा कि आप जानते हैं कि रेवडी जब अपने हाथ में हो तो अपने वालों को ही बांटी जाती है और ये सदियों से होता आया है. अत: इन पुरातन मर्यादाओं का पालन करते हुये मैं आज का बजट आपके पेशे खिदमत करता हूं.

अध्यक्ष महोदय, ताऊ नीत गठबंधन के सदस्य बहुत ही कमजोर स्थिति में है. उनके पास विरोधी खेमे जितने ब्लागिंग के साधन नही हैं इसलिये TDA के ब्लाग बिना टिप्पणी सूने पडे रहते हैं, एडवांस तकनीक के अभाव में गठबंधन के सदस्यों के ब्लाग पर कोई भी बेनामी टिप्पणी कर जाता है. साधन एवं तकनीक के अभाव में गठबंधन के सदस्य जवाब भी नही दे सकते. इसलिये मैं TDA के सदस्यों के लिये निम्न योजनाएं प्रस्तुत करता हूं.

१ . TDA के प्रत्येक सदस्य के लिए Apple कंपनी के दो दो लेपटोप (एक आफ़िस और एक घर के लिये) देने के लिये बजट का 5 प्रतिशत खर्च किये जाने का प्रस्ताव करता हूं.

२. TDA के प्रत्येक सदस्य को आज तक कुछ नही मिला है इस को मद्देनजर रखते हुये उनकी माली हालत सुधारने के लिए उनके दैनिक भत्ते आवास निवास के लिये बजट का 15 फ़ीसदी हिस्सा खर्च किये जाने का प्रस्ताव रखता हूं.

३. अध्यक्ष महोदय, सारी दुनिया जानती है कि TDA के प्रत्येक सदस्य को रोज बसों और लोकल ट्रेनों में धक्के खाते हुये आफ़िस जाना पडता है इस वजह से उनको ब्लागिंग करने के लिये समय नही मिल पाता और विरोधी खेमा उन पर हमेशा हावी रहता है अत: TDA के प्रत्येक सदस्य को एक एक BMW कार दिये जाने के लिये बजट का 8.50 प्रतिशत खर्च करने का प्रस्ताव रखता हुं.

इसी बीच विरोधी सदस्य शेम शेम ताऊ ...के नारे लगा कर हुंटिंग करने....पर मुख्य वित मंत्री ताऊ महाराज का बजट भाषण चालू रहा.....

अध्यक्ष महोदय.....जब रेवडी विरोधियों के हाथ में थी तब हमने कोई शोरगुल नही किया...तो अब उन्हीं की नीति अनुसार हम रेवडी बांट रहे हैं तो वो हल्ला क्यों मचाते हैं?...अध्यक्ष महोदय मेरा चौथा प्रस्ताव है कि TDA के प्रत्येक सदस्य को घर एवम आफ़िस में हाईस्पीड अनलिमिटेड इंटरनेट कनेक्शन, दो दो डाटा कार्ड सरकारी खर्चे पर उपलब्ध कराये जायें. इसके लिये मैं बजट का 5.5 प्रतिशत खर्च किये जाने का प्रस्ताव रखता हुं.

विरोधी खेमे की लगातार टोकाटोकी और शोरगुल के बीच ताऊ महाराज अपना बजट भाषण चालू रखते हैं.

माननिय अध्यक्ष महोदय, TDA के सदस्य तकनीकी ज्ञान में कमजोर पडते हैं और आप जानते हैं कि जो तकनीक में पिछड गया वो वर्तमान युग में उन्नति नही कर सकता अत: मैं TDA के प्रत्येक सदस्य को विदेश में तकनीकी ट्रेनिंग दिलाने के लिये बजट का 22.5 प्रतिशत खर्च किये जाने का प्रस्ताव रखता हुं. इस के तहत TDA के प्रत्येक सदस्य को कम से कम तीन बार वर्ल्ड टूर पर भेजा जायेगा.

अध्यक्ष महोदय, TDA के सदस्यों के लिये एक कार्यकारी योजना और प्रस्तावित करता हुं. इस योजना के तहत TDA के प्रत्येक सदस्य के बच्चों को विदेश में पढाये जाने, सदस्यों के परिवार वालों की बिमारी एवम उनके अनलिमिटेड विदेश भ्रमण का समस्त खर्चा उठाने के लिये बजट का 17.5 फ़ीसदी खर्च किये जाने का प्रस्ताव करता हूं.

इस घोषणा के होते ही TDA के सदस्य मेजे थपथपाकर और तालियां बजाकर प्रस्ताव का स्वागत करते हैं और विरोधी खेमा शेम..शेम..शेम..के नारे लगाते हुये सदन से वाक आऊट करने की तैयारी करता है..... ताऊ महाराज TDA के सदस्यों द्वारा अभिव्यक्त खुशी को अभिवादन स्वरूप स्वीकार करने के लिये हाथ उठाकर शुक्रिया कहने का इशारा करते हुये अपना बजट भाषण चालू रखते हैं...

अध्यक्ष महोदय, ये बहुत खेद की बात है कि जब पिछली बार विरोधी खेमे ने बजट प्रस्तुत किया था तब हमने कुछ नही कहा...और जब हमारी बारी है बजट प्रस्तुत करने की तब विरोधी लगातार हुटिंग करके व्यवधान पैदा कर रहे हैं. महोदय इन विरोधियों को सदन से उठाकर बाहर फ़िकंवा दिया जाये...और अध्यक्ष महोदय मैं ब्लागर सम्मेलन के लिये बजट का 5.25 प्रतिशत खर्च किये जाने का प्रस्ताव रखता हूं. इस ब्लागर सम्मेलन में सिर्फ़ TDA के सदस्य ही शिरकत कर सकेंगे..

इस प्रस्ताव के आते ही विरोधियों ने हल्ला गुल्ला शुरू करते हुये टेबल कुर्सियां फ़ेंकना शुरू कर दिया पर ताऊ महाराज का बजट भाषण चालू रहा....अध्यक्ष महोदय, अभी तक मैने बजट के 79.25 प्रतिशत को खर्च किये जाने के प्रस्ताव रख दिये हैं. विरोधी खेमे ने उनके समय की सरकार के समय भले ही हमें कुछ ना दिया हो पर हम ऐसा नही करेंगे.... मैं अब विरोधियों के लिये कल्याण कारी योजना प्रस्तुत कर रहा हुं....यह सुनते ही विरोधी भी एक दम चुप होगये और सदन में सन्नाटा छा गया कि अब क्या घोषणा होने वाली है?

अध्यक्ष महोदय, विरोधियों को एक मौका देते हुये मैं बजट का 15.75 प्रतिशत हिस्सा इस बात के लिये प्रस्तावित करता हूं कि जो भी विरोधी खेमे का सदस्य विरोधी खेमा छोडकर ताऊ नीत गठबंधन (TDA) में शामिल होगा उसके लिये समस्त सुविधायें इस रकम से जुटाई जायेंगी. यानि विरोधी खेमा छोडकर ताऊ नीत गठबंधन में शामिल होने वालों को भी TDA के सदस्यों जैसी ही सुविधायें उपलब्ध करवाई जायेंगी.

इस घोषणा से मुख्य वित मंत्री ताऊ महाराज ने विरोधी खेमे में दरार डालने के बीज बो दिये. और विरोधी सदस्यों के दिमाग के अंदर खलबली सी मच गई कि अब क्या करें?

ताऊ महाराज का बजट भाषण चालू रहा.....अध्यक्ष महोदय, मैं इस साल के बजट भाषण का 95 प्रतिशत हिस्सा अब तक रास्ते लगाने के प्रस्ताव दे चुका हूं. हमारे साधन बहुत ही सीमित हैं....बजट घाटा ज्यादा ना बढाने की हमारी सरकार की नीति के तहत कार्य करते हुये अब मेरे हाथ में बजट का सिर्फ़ 5 प्रतिशत ही बचा है जिसे मैं अपनी प्यारी जनता के कल्याण कार्यों में खर्च किये जाने का प्रस्ताव रखता हुं.....और इसी के साथ समस्त सदन के सदस्यों से निवेदन करता हुं कि इस कल्याणकारी बजट को सर्वानुमति से पास करवाने में अपना महती योगदान दें.

ताऊ पहेली - 115

प्रिय बहणों और भाईयों, भतिजो और भतीजियों सबको शनिवार सबेरे की घणी राम राम.

ताऊ पहेली के अंक 115 में आपका हार्दिक स्वागत है. नीचे दिखाये गये चित्र को ध्यान से देखिये और बताईये कि यह कौन सी जगह का चित्र हैं? हमेशा की तरह पहेली के जवाब की पोस्ट मंगलवार सुबह 4:44 AM पर प्रकाशित की जायेगी.



ताऊ पहेली का प्रकाशन हर शनिवार 1:00 AM से 11:00 PM के मध्य कभी भी किया जा सकता है. ताऊ पहेली के जवाब देने का समय कल रविवार शाम 6:00 PM तक या अधिकतम कमेंट सुविधा बंद करने तक है.

जरुरी सूचना:-
टिप्पणी मॉडरेशन लागू है. समय सीमा से पूर्व ग़लत या सही दोनों ही तरह के जवाब प्रकाशित किए जा सकते हैं. जरूरी नही कि प्रकाशित किये गये जवाब गलत ही हैं. और रोचकता बनाये रखने के लिये गलत जवाब भी रोके जा सकते हैं. अत: अपना जवाब सोच समझकर देवें.

नोट : किसी भी तरह की विवादास्पद परिस्थितियों मे आयोजकों का फ़ैसला ही अंतिम फ़ैसला होगा.


मग्गाबाबा का चिठ्ठाश्रम
मिस.रामप्यारी का ब्लाग
ताऊजी डाट काम
रामप्यारे ट्वीट्स

मिस समीरा टेढ़ी को उनकी स्लिम एवं जीरो साईज उपन्यासिका के लिए ताऊ की अंतिम चेतावनी

मैं ताऊ टीवी का होनहार खोजी संवाद दाता रामप्यारे आपका इस सुबह सबेरे के न्यूज बुलेटिन में स्वागत करता हूं. आज की मुख्य और बडी खबर ये है कि आज थक हार कर मिस समीरा टेढ़ी को उनकी स्लिम एवं जीरो साईज उपन्यासिका के लिए ताऊ ने एक चेतावनी भरा फरमान जारी कर ही दिया.

पूरी खबर इस प्रकार है कि विगत २१ फरवरी को प्रसिद्ध स्लिमट्रीम चिट्ठाकार, कवि, व्यंग्यकार, कथाकार, उपन्यासकार, गीतकार, शैलीकार, अदाकार, ...कार, ....कार...और बस कार मिस समीरा टेढी़ की स्लिम एवं जीरो साईज उपन्यासिका ’देख लिया, अब जाओ’ के विमोचन का एक माह पूर्ण हो गया.

इस भव्य एवं स्मरणीय अवसर पर एक भड़कीले समारोह में ताऊ के "इन्वेस्टिगेशन एवं स्टेस्टिकल इन्सटिट्यूट ( ISI ) ने जो रपट ताऊ महाराज को पेश की, उसके अनुसार: निम्न निष्कर्ष निकल कर आये हैं. जरा मुलाहिजा फ़रमाया जाये.



कुल पुस्तक प्रकाशित : ५० नग
कुल पुस्तक मुफ्त वितरित : ३० (११ ब्लॉगर्स को एवं १९ नॉन ब्लॉगर्स को) (अतः नोट ओनली फार ब्लॉगर्स)
भारतीय डाक की कृपा से पोस्ट में गुम : ३ (तीनों ब्लॉगर्स को भेजी हुई)
स्टॉक में बची मुफ्त वितरण की राह तकती : १०
बिक्री/मुफ्त वितरण के डिसिजन के बीच झूलती : ६
बिक्री हेतु आरक्षित : २
प्रकाशक की सुरक्षित प्रति : १ (विशिष्ट परिस्थितियों में इसे भी मुफ्त वितरण हेतु मान्य समझा जाये, प्रकाशक खुद के लिए बिक्री वाली में से एक खरीद लेगा)
लेखक की सुरक्षित प्रति : १ (विशिष्ट परिस्थितियों में इसे भी मुफ्त वितरण हेतु मान्य समझा जाये, लेखक खुद के लिए बिक्री वाली में से एक खरीद लेगा)


विमोचन से एक माही आयोजन के बीच का अंतराल : ३१ दिन
समीक्षायें प्रकाशित : ४३ (नित १.३९ समीक्षा (४३/३१))
समीक्षा की आड़ में व्यक्तिगत भड़ास : १
समीक्षा कम इन्वेस्टिगेशन ज्यादा : १
समीक्षा के नाम पर पुस्तक के अंश : ३
समीक्षा के बदले स्तुतिगान : ३३
समीक्षा के नाम पर अबूझ लेखन : ४
लेखक परिचय : १

सबसे पहले तो इस समारोह के अवसर पर दो शब्द कहते हुए सजल नयनों से स्लिम एवं जीरो साईज उपन्यासिका के पन्नों की संख्या से दोगुनी पन्नों की संख्या पार कर चुकी समीक्षाओं के लिए मिस समीरा टेढ़ी को दो मिनट का मौन रख कर बधाई एवं शुभकामनाएँ दी गई. इसके बाद ताऊ द्वारा यह याद दिलाया गया कि बार बार स्मरण कराने पर भी आज तारीख तक किताब नही पहुँची, वैसे इसकी महति आवश्यक्ता भी नहीं क्योंकि उपरोक्त ४३ समीक्षाओं जिसमें एक इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट भी शामिल है, के आधार पर समीक्षा एवं ब्लॉग पर लिंक्स पढ़कर किताब में छपे से ज्यादा किताब ताऊ ऑलरेडी पढ़ चुका है और उसी के आधार पर किसी भी अच्छे खाँ से बेहतर समीक्षा/ इन्वेस्टिगेशन/भड़ास उगाली कर सकता है. जिसका एक छोटा सा नमूना यहां आप पढ ही रहे हैं.

बहुत ही अफ़्सोसजनक और मोस्ट इम्पोरटेन्ट बात यह है कि आज तक समीक्षा करने की फ़ीस भी नही भेजी गई है. अत: जैसा की ताऊ महाराज का सिद्धांत है कि फ़ीस के अभाव में सिर्फ़ जलागरत्व गुण प्रधान वाली समीक्षा ही एक मात्र उपाय बचती है.

अतः ताऊ इस भाषण एवं पोस्ट के माध्यम से एक बार पुनः आगाह करता है कि सात दिन के भीतर अगर रकम अदायगी की रस्म पूरी न की गई तो किसी भी प्रकार की समीक्षा जो कि जलागरत्व गुण से सजी होगी एवं किताब की बिक्री को पुनः एक बार रोकने की पुरजोर कोशिश होगी (पूर्व मे किसी अन्य द्वारा की गई इस कोशिश की नाकामी को मानक न माना जाये) और इसके लिए ताऊ को जिम्मेदार न ठहराया जाये. वैसे ठहरा कर भी ताऊ का क्या बिगाड लोगे, जब आज तक कोई कुछ नहीं बिगाड पाया.

यह ताऊ की शराफ़त है जो जलागरत्व गुण प्रधान समीक्षा छापने के पूर्व इस पोस्ट के माध्यम से चेतावनी दे रहा है कि जल्दी से जल्दी फ़ीस की रकम भेजी जाये वर्ना ताऊ अपनी मनमर्जी की समीक्षा छापने के लिये स्वतंत्र है और आप सब पाठक इस बात के गवाह होंगे कि ताऊ ने पीठ पीछे से वार नही किया ब्लकि पीठ की जगह पेट में छुरा भौकंने के लिये सात दिन का महती समय प्रदान करने की कृपा की.

अन्य सभी गणमान्य लेखक/लेखिकाओं से अनुरोध है कि वे अपनी अपनी पुस्तकों की समीक्षा करवाने की फ़ीस तुरंत भिजवायें और ताऊ को जलागरत्व गुण प्रधान छीछालेदर करने का मौका ना दें.


ताऊ पहेली - 114 (रणथंभोर दुर्ग, राजस्थान, Ranthambhor fort) : विजेता : सुश्री सीमा गुप्ता

प्रिय भाईयो और बहणों, भतीजों और भतीजियों आप सबको घणी रामराम ! हम आपकी सेवा में हाजिर हैं ताऊ पहेली अंक - 114 का जवाब लेकर. कल की ताऊ पहेली का सही जवाब है रणथंभोर दुर्ग, सवाईमाधोपुर, राजस्थान

पहेली के विषय से संबंधित थोडी सी जानकारी मिस. रामप्यारी आपको दे रही है.


हाय एवरी वन...गुड मार्निंग...मी राम की प्यारी...रामप्यारी.

अब सबसे पहले तो मैं पहेली के विषय में आपको दो शब्द ताऊ के यात्रा वृतांत से सीधे ही कापी करके बताऊंगी...दो से ज्यादा भी हो सकते हैं मैं गणित में जरा कमजोर हूं...गिनती आप ही लगा लिजियेगा. और उसके बाद मैं आपको विजेताओं के नाम बताऊंगी.



खेतडी से रवाना होते समय ही तय कर लिया था कि आज का रात्रि विश्राम जयपुर में नही करना है बल्कि सवाई माधोपुर में करना है. जयपुर पार करते समय हमने रावत की दुकान से मावा मिश्री खरीदी. फ़िर आगे चोखी ढाणी मे लंच के लिये रूक गये. इस तरह रूकते रूकते हुये आराम से गाडी चलाने की वजह से सवाई माधोपुर पहूंचते पहुंचते काफ़ी रात हो गई. हम सवाई माधोपुर शहर पार करके एक रिसार्ट मे रूक गये. अगले दिन हमको रणथंभोर अभयारण्य में बाघों से मिलने जाना था. पर यहां पहूंचते पहूंचते ही रात के दो बज गये सो हमने यह तय किया कि अगले दिन हम रणथंभोर फ़ोर्ट में त्रिनेत्र गणेश जी के दर्शन करेंगे और उसके अगले दिन अभयारण्य मे जायेंगे.

सुबह देर से सोकर उठने के बाद चाय नाश्ता करके दोपहर का लंच पैक करवा कर हम रणथंभोर दुर्ग पहूंच गये. वहां गाडी पार्क की. दाहिने हाथ को दुर्ग पर जाने के लिये सीढियां थी और बांयी तरफ़ ही अभयारण्य में प्रवेश करने का द्वार था. हमने सीढियां चढनी शुरू की, वाकई यह बहुत ही दुर्गम दुर्ग है. हमने जितना आसान समझा था उतना आसान रास्ता नही था. कई जगह रूकते बैठते नौलखा, हाथीपोल, गणेशपोल एवं त्रिपोलिया गेट पार करते हुये किले पर पहुंचे. ऊपर बिल्कुल समतल पहाडी है जिस पर हमीर महल, बादल महल, सुपारी महल, बत्तीस खंबा छतरी, महादेव छतरी, चामुंडा मंदिर इत्यादि तत्कालीन स्थापत्य कला के अनूठे राजप्रासाद हैं. सबसे पुराने राजप्रासादों मे से एक हमीर महल मुख्य आकर्षण है.


किले के अंदर भग्न अवशेष


लेकिन हमीर महल सहित अन्य सभी भवन वर्तमान में भग्नावशेष जैसे ही दिखाई पडते हैं. पहेली मे दिखाया गया चित्र त्रिनेत्र गणेश जी के मंदिर की तरफ़ जाते समय रास्ते में लिया गया था. इसके दाहिनी तरफ़ बहुत गहरी खाई है इस तरफ़ पहाडी बिल्कुल सपाट खडी है. शायद इसी के चलते यह दुर्ग अजेय कहलाया. कुतुबुद्दिन ऐबक से लेकर बादशाह अकबर तक यहां लगातार आक्रमण करते रहे. १२०९ में मुह्म्मद गौरी ने भी इसे प्राप्त करने के लिये युद्ध किया.


किले में गणेश मंदिर की तरफ़ जाते हुये


कालांतर में अल्तुतमीश, रजिया सुल्तान, बलबन, जलालुद्दीन खिलजी, अलाऊद्दीन खिलजी, फ़िरोजशाह तुगलक, मुहम्म्द खिलजी, महाराणा कुम्भा, गुजरात के बहादुर शाह, शेरशाह सुरी ने भी इस दुर्ग को प्राप्त करने के लिये निरंतर आक्रमण किये, अंतत: १५६९ मे इस दुर्ग पर दिल्ली के बादशाह अकबर ने आक्रमण कर आमेर के राजाओ के माध्यम से यहां के शासक राव सुरजन हाड़ा से संधि कर ली.


किले के अंदर भग्न अवशेष


यह दुर्ग चितोड के महाराणाओं के आधिपत्य में भी रहा और खानवा युद्ध में घायल राणा सांगा का इलाज भी यहीं हुआ. यहीं राणा सांगा की रानी कर्मावती द्वारा शुरू की गई उनकी अधूरी छतरी भी है. आजादी के बाद रणथंभोर दुर्ग सरकार के स्वामित्व में आ गया जो कि १९६४ से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के नियंत्रण मे है.

गणेश जी के दर्शन करके हम कहीं बैठकर भोजन करने की उपयुक्त जगह तलाश कर ही रहे थे कि तभी अचानक एक घटना या दुर्घटना घट गई जिसका हमें सपने में भी अंदाज नही था. हमारे साथ जो खाने पीने के सामान की थैली थी उसे हम हाथ मे पकडे चल रहे थे. हमारा ध्यान दुर्ग से दूर दिखाई देती दृष्यावली पर चला गया और इतने में ही एक ताऊ (बंदर) ने आकर हमारे हाथ से खाने वाली थैली बडे आराम से बिना हमसे पूछे ही छीन ली और पास की एक खंडहर जैसी दिवार पर बैठ कर खाने लगा. उसके दूसरे साथी संगी भी आ गये. हम और ताई बच्चों के साथ हंसे जा रहे थे. हमने जयपुर से रावत की मिठाई की दुकान से जो मावा मिश्री खरीदी थी, वो भी इस थैली में रखी थी. वह मिठाई का डिब्बा भी बंदर परिवार के शानदार लंच का हिस्सा बन गया. हमारे पास सिवाय हंसने और देखते रहने के कोई उपाय नही था. सभी पाठकों से अनुरोध है कि जब भी इस दुर्ग पर जायें, अपना खाने पीने का सामान इन बंदरों से बचाकर रखें वर्ना आपका हाल भी हमारे जैसा होने के प्रबल चांस हैं.


रणथंभोर फ़ोर्ट में बंदर


ऊपर दुर्ग में खाने पीने की कोई उपयुक्त व्यवस्था नही दिखी. भूख भी लग आई थी. गनीमत थी की पानी की बोटल वाली थैली हमारे पास बच गई थी सो पानी पीकर हम तेजी से नीचे उतरने लगे. नीचे उतर कर एक चाय की गुमटी जैसी दुकान पर चाय पीकर गाडी स्टार्ट की और फ़टाफ़ट तेजी से होटल की तरफ़ निकल पडे क्योंकि बच्चों का भूख और थकान के मारे बुरा हाल हो चुका था. वापस होटल पहुंच कर खा पीकर आराम किया. (ताऊ यात्रा वृतांत से)

आईये अब मिलते हैं आज के विजेताओं से :-

आज की प्रथम विजेता हैं "सुश्री सीमा गुप्ता"

प्रथम विजेता सुश्री सीमा गुप्ता अंक 101


आईये अब बाकी विजेताओं से आपको मिलवाती हूं.

डाँ रूपचंद्र शाश्त्री "मयंक"
श्री उडनतश्तरी

अब उनसे रूबरू करवाती हुं जिन्होनें इस अंक में भाग लेकर हमारा उत्साह वर्धन किया

श्री संदीप पंवार (जाट देवता)
डाँ नूतन डिमरी गैरोला - नीति
श्री काजल कुमार
श्री अविनाश वाचस्पति
श्री अंतर सोहिल
श्री विजय कुमार सप्पात्ति
सुश्री वन्दना
श्री संजय भास्कर
श्री नीरज गोस्वामी
श्री पी.सी.गोदियाल "परचेत"
श्री गगन शर्मा "कुछ अलग सा"
श्री दर्शन लाल बवेजा
श्री राज भाटिया
श्री दीपक तिवारी साहब
श्री मकरंद
श्री राकेश कुमार
सुश्री अंजू
डाँ मनोज मिश्र
श्री विवेक रस्तोगी
सुश्री निर्मला कपिला
श्री देवेंद्र पाण्डेय
हे प्रभु ये तेरा पथ
श्री सैयद
सभी प्रतिभागियों का हार्दिक आभार प्रकट करते हुये रामप्यारी अब आपसे विदा चाहेगी. अगली पहेली के जवाब की पोस्ट में मंगलवार सुबह 4:44 AM पर आपसे फ़िर मुलाकात के वादे के साथ, तब तक के लिये जयराम जी की.


ताऊ पहेली के इस अंक का आयोजन एवम संचालन ताऊ रामपुरिया और रामप्यारी ने किया. अगली पहेली मे अगले शनिवार 1:00 AM से 11:00 PM के मध्य कभी भी आपसे फ़िर मुलाकात होगी तब तक के लिये नमस्कार.


मग्गाबाबा का चिठ्ठाश्रम
मिस.रामप्यारी का ब्लाग
ताऊजी डाट काम
रामप्यारे ट्वीट्स

ताऊ की पुस्तक समीक्षा (छीछालेदर) की पुरातन दुकान का शुभारंभ

हाय एवरी वन, मैं ताऊ टीवी का चीफ़ रिपोर्टर रामप्यारे शाम के मुख्य न्यूज बुलेटिन में आपका स्वागत करता हूं.

आज की मुख्य और खास एवं एक मात्र खबर यह है कि ताऊ महाराज ने आज ब्लॉगरों की पुस्तक समीक्षा यानि कि उनकी छीछालेदर करने की अपनी दुकान का खुद ही उदघाटन किया. इस शुभ अवसर पर एक विशाल एवं विराट आयोजन के दौरान मात्र एवं मात्र एक ब्लागर महोदय पधारे, अतः यह कहा जा सकता है कि यह आयोजन फार द ब्लॉगर, आफ द ब्लागर एवं बाई द ब्लॉगर यानि शुद्ध लोकतांत्रिक रहा. उनके विशिष्ट एक मात्र अथिति कम ब्लॉगर कम रिपोर्टर टाईप गणमान्य और ताऊ महाराज के मध्य हुये वार्तालाप के चुनिंदा अंश आपके सामने प्रस्तुत हैं.

ब्लागर : ताऊ महाराज, ये बताईये कि आपने ये काहे की दुकान खोली है?

ताऊ महाराज - वत्स, निरे मूर्ख लगते हो? देख नही रहे हो कि ये नई पुस्तकों की छीछालेदर...ओह सारी..सारी...मेरा मतलब नई पुस्तकों की समीक्षा करने की दुकान है?

ब्लागर : पर ताऊश्री, आपको पुस्तकों की समीक्षा का अनुभव कहां है?

ताऊ महाराज - अनुभव की क्या पूछते हो वत्स? किसी की छीछालेदर करने के लिये अनुभव और ज्ञान आवश्यक नही होता और हम तो यूं भी पढे लिखे PFWRBFRPS डिग्री होल्डर हैं.

ब्लागर - ताऊ महाराज, ये डिग्री कौन सी है और कहां से प्राप्त की है? कभी इसका नाम सुना नही है?

ताऊ महाराज - अरे बावलीबूच, यहां कोई पढा लिखा तो है नही, अगर पढोगे लिखोगे तब ही डिग्रीयों के बारे में जानोगे. इस डिग्री का फ़ुल फ़ार्म " पांचवीं फ़ेल विद राज भाटिया फ़्राम रोहतक प्राईमरी सकूल" है. एक भी बंदा इतना क्वालिफ़ाईड नही है इस ब्लाग जगत में.

ब्लागर - जी ताऊ महाराज, अब ये बताईये कि आप किस आधार पर इन पुस्तकों की समीक्षा करेंगे?

ताऊ महाराज - समीक्षा का कोई आधार नही होता, हम तो सीधी साधी समीक्षा में विश्वास रखते हैं. बात को उलट पुलट कर नही कहते.

ब्लागर - ताऊ महाराज मैं कुछ समझा नही...तनिक विस्तार से इस पर रोशनी डाल देते तो लोगों को कुछ सहुलियत होती.

ताऊ महाराज - वत्स, हमने पहले ही कहा था कि ये प्रकृति तीन गुणों के आधार पर चलती है. और समीक्षक भी इन्हीं तीन गुणों के आधीन समीक्षा करता है. अलबता हम ज्यादा पढे लिखे हैं तो किसी भी पुस्तक की छीछालेदर हम वजन के हिसाब से कर देते हैं.

ब्लागर महोदय तनिक आश्चर्यचकित होते हुये बोले - ताऊश्री, ये वजन वाली बात कहां से आगई? यानि पुस्तक के वजन और समीक्षा में क्या संबंध है?

ताऊ महाराज - अरे बावलीबूच, बिना वजन के दुकान कैसे चल सकती है? हमने समीक्षा यानि छीछालेदर करने की दुकान खोली है कोई धर्मादे की दुकान नही खोली है.




ब्लागर - ताऊ श्री जरा इस पर भी विस्तार पूर्वक रोशनी मार दें तो समीक्षा करवाने वालों को सहुलियत रहेगी.

ताऊ महाराज - हां अब सुबह से ये पहली बार तुमने कायदे की बात पूछी है. बात ऐसी है कि हम किसी के साथ भेदभाव नही करते. सबको एक ही आंख से देखते हैं. अत: हमने रेट फ़िक्स कर दिये हैं.

ब्लागर - रेट फ़िक्स कर दिये हैं? मतलब पुस्तक समीक्षा करने के? यानि आप पुस्तक समीक्षा रूपये लेकर करेंगे?

ताऊ महाराज - हां भई हां, आखिर आर्थिक युग है और हमको भी बाल बच्चे पालने हैं.

ब्लागर - ये रेट किस प्रकार से फ़िक्स किये हैं? जरा वो भी बता देते तो बडी कृपा होती.

ताऊ महाराज - वत्स, अगर किसी को अपनी पुस्तक की ब्लागरत्व गुण प्रधान समीक्षा करवानी हो तो उसकारेट २१,०००/ रूपया और ताऊत्व गुण प्रधान का रेट १५,०००/ रूपया रखा है.

ब्लागर - जी ताऊ महाराज, और जलागरत्व गुण प्रधान समीक्षा का क्या रेट रखा है ताऊश्री?

ताऊ महाराज - नही जलागरत्व गुण प्रधान समीक्षा का हम कोई चार्ज नही लेते.

ब्लागर - क्या मतलब ताऊश्री? बात कुछ समझ में नही आई.

ताऊ महाराज - जलागरत्व गुण प्रधान समीक्षा में समीक्षा कम छीछालेदर ज्यादा करनी पडती है और जो लेखक हमको नगद नारायण नही भेजता या हमारे संप्रदाय का सदस्य नही होता उसकी पुस्तक की छीछालेदर हम जलागरत्व गुण प्रधान तत्व के आधीन करते हैं. या कहले कि ये लेखक समुदाय को डराने के काम आती है जिससे वो हमारे मठ के सदस्य बनकर हमको नगद नारायण वाला लिफ़ाफ़ा भिजवा दिया करें.

ब्लागर - ताऊश्री, अब ये आपके मठ और सदस्य वाली बात कहां से आगई?

ताऊ महाराज - अरे यार तुम हर बात मेरे ही मुंह से क्यों कहलवाना चाहते हो? तुम कहीं विरोधी खेमे के जासूस तो नही हो?

ब्लागर - नही नही ताऊ महाराज, मैं तो आपका शिष्य हुं. आप चिंता नही करें. मेरी बात का जवाब दें.

ताऊ महाराज - बात ऐसी है कि जो हमारे मठ का सदस्य बनेगा, हमारी पोस्ट पर थोक के भाव में कमेंटकरेगा, हमारे संप्रदाय को बढायेगा, उसको हम समीक्षा में १५ प्रतिशत का स्पेशल डिस्काऊंट देते हैं.

ब्लागर - ताऊ श्री ये बताईये कि अगर आपको किसी ने किताब ही नही भेजी तो फ़िर समीक्षा कैसे करोगे?

ताऊ महाराज - अरे तू निरा मूर्ख है, मेरा शिष्य होने लायक योग्यता नही है तुझमें....इतनी सी बात नही समझ पाया कि किताब कोई भेजे या नही भेजे, किसी से लेलो या बाजार से सौ दो सौ रूपये में खरीद लो...और बिना करवाये ही पहले उसकी जलागरत्व गुण प्रधान छीछालेदर करके मेल करदो कि ये समीक्षा छाप रहा हूं......फ़िर फ़ोन लगालो...सामने वाला आपके हाथ जोडेगा और तुरंत ब्लागरत्व गुण प्रधान समीक्षा की फ़ीस भेज देगा.

ब्लागर - वाह ताऊ महाराज वाह. बहुत खूब. आपका कोई और संदेश...जो आप नवीन पुस्तक लेखकों को देना चाहें?

ताऊ महाराज - अवश्य बालक अवश्य....हम उन लेखकों से ये सीधी तरह से निवेदन करना चाहेंगे जिन्होने हमको समीक्षा के लिये पुस्तकें तो भेज दी हैं पर फ़ीस नही भेजी हैं. वो कृपया फ़ीस तुरंत भेजे और ताऊ की छीछालेदर करने वाली दुकान के खुलने की खुशी में अर्ली बर्ड डिस्काऊंट प्राप्त करें या फ़िर अपनी पुस्तक की जलागरत्व गुण प्रधान चर्चा झेलने को तैयार रहें.



फ़्रेंचाईजी लेने के इच्छुक जन भी संपर्क कर सकते हैं. उचित डिपाजिट लेकर फ़्रेंचाईजी दी जायेगी.

ताऊ पहेली - 114

प्रिय बहणों और भाईयों, भतिजो और भतीजियों सबको शनिवार सबेरे की घणी राम राम.

ताऊ पहेली के अंक 114 में आपका हार्दिक स्वागत है. नीचे दिखाये गये चित्र को ध्यान से देखिये और बताईये कि यह कौन सी जगह का चित्र हैं? हमेशा की तरह पहेली के जवाब की पोस्ट मंगलवार सुबह 4:44 AM पर प्रकाशित की जायेगी.



ताऊ पहेली का प्रकाशन हर शनिवार 1:00 AM से 11:00 PM के मध्य कभी भी किया जा सकता है. ताऊ पहेली के जवाब देने का समय कल रविवार शाम 6:00 PM तक या अधिकतम कमेंट सुविधा बंद करने तक है.

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नोट : किसी भी तरह की विवादास्पद परिस्थितियों मे आयोजकों का फ़ैसला ही अंतिम फ़ैसला होगा.


मग्गाबाबा का चिठ्ठाश्रम
मिस.रामप्यारी का ब्लाग
ताऊजी डाट काम
रामप्यारे ट्वीट्स

ब्लागरत्व, जलागरत्व और ताऊत्व गुण प्रधान समीक्षक

गुड मार्निंग एवरीबड्डी, ताऊ टीवी के सुबह सबेरे के बुलेटिन में मैं रामप्यारे आपका हार्दिक स्वागत करता हूं और आपको एक मुख्य खबर की और लिये चलता हूं.

कल ताऊ के पास एक ब्लागर (नाम उनके आग्रह पर नही बता रहा हूं) का फ़ोन आया था. प्रस्तुत हैं दोनों की बात चीत के कुछ कतरे हुये अंश..

ब्लागर महोदय बोले - हैल्लो ताऊजी रामराम... ताऊ मैं एक सुझाव आपको देना चाह रहा था और फ़ोन भी इसीलिये किया है कि आप किताबों की समीक्षा क्यों नही लिखते? आजकल ये फ़ैशन में भी है और इससे आप बुद्धिजीवी भी माने जाने लगोगे. अभी तो लोग बाग आपको ठग, बेईमान, उठाईगिरा, निरा मूर्ख और गंवार ही समझते हैं. सो ये मौका हाथ से मत जाने दिजिये.

ताऊ बोला - देख भाई , पहले तो अपने ज्ञान में सुधार करले कि ठगी बेईमानी, चोरी उठाईगिरी मेरा कोई मजबूरी का या छुपे भेडिये वाला पेशा नही है बल्कि ये मेरा इमानदारी का पेशा है जिसे मैं खुलेआम करता हूं किसी से छुपाकर नही करता . और ना ही मैं किसी बडे लेखक व्यंगकार को बार बार कोट करके अपने आपको बुद्धिजीवी साबित करने के चक्कर में पडता हूं. मैं तो जो भी काम करता हूं डंके की चोट करता हूं. रही बुद्धिजीविता साबित करने की बात तो सुन ले ताऊ जितने बुद्धिमान आलोचक समीक्षक भूतकाल में तो कुछ हुये हैं और भविष्यकाल में भी हो सकते हैं पर वर्तमान में ताऊ जितना पढा लिझा धुरंधर आलोचक इस ब्लागिस्तान में तो पैदा भी नही हुआ है. आखिर ताऊ और राज भाटिया ने रोहतक की प्राईमरी सकूल से एक साथ पांचवी फ़ेल होने की डिग्री पाई है. है कोई तेरी निगाह में पांचवी फ़ेल की डिग्री वाला पढा लिखा ब्लागर?

ताऊ की क्वालिफ़िकेशन सुनकर उधर से ब्लागर महोदय की सिट्टी पिट्टी गुम होगई और नम्र स्वर में आवाज आई - वाह ताऊजी, हमको तो आज ही मालूम पडा कि आप इतने पढे लिखे हो? अब कुछ आलोचना समीक्षा के गुर मुझे भी सिखा दिजिये जिससे मैं भी किसी की किताब की आलोचना करके प्रसिद्धि को प्राप्त हो जाऊं.

ताऊ बोला - बेटा सुन, ये समीक्षा करने का काम और जब ब्लागर ही लेखक हो और ब्लागर ही समीक्षक हो तो, अति कठिन और दुरूह हो जाता है. इसके लिये तुमको समीक्षा करने का प्राथमिक ज्ञान प्राप्त करना होगा उसके बाद ही कुछ सिखाया जा सकेगा.

ब्लागर महोदय उधर से बोले - ताऊ मुझे मंजूर है, आज से आप मेरे गुरू और मैं आपका चेला. आप तो मुझे सिखा दिजिये.

ताऊ ने कहा - सुनो वत्स, ये प्रकृति त्रिगुणात्मक है. जैसे अलग अलग मनुष्य का स्वभाव तमोगुण, रजोगुण और सतोगुण में से किसी एक की प्रधानता वाला होता है वैसे ही एक आलोचक समीक्षक का स्वभाव भी ऐसी ही त्रिगुणात्मक शक्तियों के आधीन रहता है और वो उन्हीं गुणों के आधीन होकर समीक्षा करता है.

ब्लागर महोदय थोडा अधीर होते हुये बोले - हे ताऊ महाराज, मैं आपसे पुस्तकों की आलोचना करने का गुर पूछ रहा हूं और आप बाबा श्री ताऊ महाराज की तरह उपदेश देने लगे?

ताऊ एकदम से बाबाश्री ताऊ महाराज जैसी आवाज मे बोले - बालक इतने अधीर मत होवो, ये कोई दो टके का ज्ञान नही है कि तेरी अक्ल में दो मिनट मे घुस जायेगा, इसे जरा विधि विधानपूर्वक तेरी खोपडी में विस्तार से घुसेडना होगा. अब मन लगाकर सुन. और बीच में टोकना मत वर्ना हमारी लय बिगड गयी और हमें गुस्सा आ गया तो तू इस जन्म में समीक्षा करना तो दूर बल्कि ब्लाग लिखना भी भूल जायेगा.

ब्लागर डरते हुये बोला - जी बाबा श्री ताऊ महाराज, जैसी आपकी आज्ञा.

ताऊ बोला - बालक, अब मन लगाकर श्रवण कर और इस ब्रह्मज्ञान को सुन कर नाम और दाम दोनों कमा. जैसे मनुष्य ईश्वर की त्रिगुणात्मक शक्ति के आधीन रहता है वैसे ही समीक्षक भी त्रिगुणात्मक शक्तियों के प्रभाव में रहता है.

ब्लागर - जी महाराज, आप कृपया बताये कि ये कौन कौन सी त्रिगुणात्मक शक्तियां हैं?

ताऊ महाराज बोले - सुन बच्चा, अब मैं तुझे इन तीनों शक्तियों के नाम और उनके भेद उदाहरण सहित समझाऊंगा, ध्यान लगाकर सुन. समीक्षक का मन मुख्यतया ब्लागरत्व, जलागरत्व और ताऊत्व इन तीन शक्तियों के अधीन काम करता है यानि हर समीक्षक इन्हीं में से किसी के तत्व से प्रभावित रहता है और उसी के आधीन अपना कर्म करता है.

ब्लागर बोला - जी ताऊ महाराज, समझ गया. अब कृपा कर के आप मुझे इनका भेद विस्तार से समझायें.

ताऊ महाराज बोले - अवश्य बालक अवश्य, तेरे प्रश्न से हम अति प्रसन्न हुये, अब आगे सुन, जो समीक्षक ब्लागरत्व गुण प्रधान होता है वो मन से अति कोमल और किसी भी पुस्तक की अपनी समीक्षा में अति उदार होता है. वो जगह जगह पुस्तक और लेखक की वाह वाह करता हैं. किसी भी लेखक का मन नही दुखाता बल्कि उसकी प्रसंशा ही करता हैं जिससे वो अगली पुस्तक की रचना कर सके. उदाहरण के लिये ऐसा समझ लो जैसे की वाह वाह, बहुत खूब, लाजवाब, अति सुंदर जैसी टिप्पणी की मानिंद उसकी समीक्षा होती है. और पुस्तक की रेटिंग पांच में से कम से कम साढे चार स्टार तो देता ही है.

ब्लागर बोला - जी ताऊ जी समझ गया, अब आगे बताईये.

ताऊ बोला - अब दुसरे प्रकार का समीक्षक जलागरत्व गुण प्रधान होता है. ये जलागरत्व प्रधान गुण वाले समीक्षक बहुत ही जलन वाले होते हैं. इनका हृदय हमेशा ही लेखक के प्रति ईर्ष्या और द्वेष से भरा होता है. जलागरत्व गुण प्रधान वाला समीक्षक छिद्रान्वेशी होता है और अपने आपको बुद्धिमान साबित करने में लगा रहता है. इनकी खुद की बुद्धि घुटने में होती है पर अन्य बडे लोगों के नाम का सहारा लेकर अपनी विद्वता साबित करने में लगे रहते हैं. इनका कुल जमा हिसाब ये होता है कि "तेरा वजन मुझसे ज्यादा क्यों?" बस यही दुर्भावना इन्हें घेरे रहती है और ये मूर्ख इतना भी नही समझते कि सामने वाले ने अपना वजन बढाने के लिये रबडी मलाई का सेवन किया है. वो चाहे तो खुद भी रबडी मलाई खाकर वजनदार बन सकता है. पर जलागरत्व गुण प्रधान समीक्षक इस मामले में दुर्भाग्यशाली होता है.

ब्लागर बोला - जी ताऊ महाराज, इस बात को थोडा स्पष्ट कर देते तो मेरी बुद्धि इसे ग्रहण कर लेती, थोडा विस्तार पूर्वक बताने की कृपा करें.

ताऊ बोला - वत्स अवश्य, अब तुम्हें बताना शुरू किया है तो अवश्य पूरी बात समझाकर ही छोडेंगे तुझे, अब तू इस बात को एक उदाहरण से समझ..... बात बहुत पुरानी है. उस समय हम रोहतक नगरी में रहते थे और राज भाटिया हमारे परम मित्र हुआ करते थे. मित्र तो अब भी हैं पर उस समय बचपन की दोस्ती थी और निस्वार्थ थी जबकि आजकल टोपीबाजी की वजह से वो हमसे जरा सतर्क ही रहते हैं और बहुत दिनों से उन्होने हमसे कोई टोपी नही पहनी है.

एक रोज राज भाटिया जी को उनके चाचा की ससुराल में किसी शादी में जाना था जहां भाटिया जी को भी लडकी वाले देखने आने वाले थे. उस जमाने मे आने जाने के इतने साधन नही हुआ करते थे. कहीं बस में, कहीं रेल में... थोडी दूर पैदल.... इस तरह जाना पडता था. सो भाटिया जी ने ताऊ को भी साथ चलने का आग्रह किया और कहा कि तू वहां सबसे मेरी बडाई करना, जिससे लडकी वाले मुझे पसंद करलें

ताऊ ने भी लड्डू जलेबी खाने के शौक में हां कर दी. समस्या तब आई जब भाटिया जी ने कहा कि यार ताऊ मेरे पास कपडे तो हैं पर मुड्डे (जूते) नही हैं सिर्फ़ फ़टी चप्पल हैं और लडकी वाले मुझे फ़टी चप्पलों में देखेंगे तो मेरी कुडमाई (सगाई) कैसे होगी सो तेरे नये वाले मुड्डे मुझे पहन लेने दे तू मेरी फ़टी चप्पल पहन ले. वहां सगाई तो मेरी होनी है तुझे कोई फ़र्क नहीं पडेगा. जब तुझे लडकी वाले देखने आयें तो तू मेरी नई कमीज और पैजामा पहन लेना.

दोस्ती की खातिर ताऊ तैयार हो गया पर मन में जलागरत्व गुण सवार होगया. रास्ते में जहां भी कोई पूछे कि भाई कहां के हो और कहां जा रहे हो तो ताऊ परिचय में बोले - अजी ये मेरा यार राज भाटिया है, पांचवी में एक नंबर का फ़ेल है मैं दूसरे नंबर का फ़ेल हूं. और ये जो मुड्डे (जूते) पहने हुये है ये मेरे हैं बाकी सब कपडे लत्ते इसी के हैं.

राज भाटिया ने एक दो बार तो मजाक में बात हंसकर टाल दी पर हर जगह यही बात सुन सुन कर बोले - ताऊ, तू ये बार बार क्यों कहता है कि मुड्डे मेरे हैं...अगर लडकी वालों को पता लग गया कि मैने मांगे हुये मुड्डे पहने हैं तो क्या मेरी सगाई होगी? तेरे हाथ जोडूं यार, वहां ये बात मत कहना. ताऊ बोला - ठीक है, तू चिंता मत कर, अब मैं जबान संभाल कर बोलूंगा.

दोनों अपने गंतव्य पर पहुंच गये. भाटिया जी ठहरे गोरे चिट्टे, नया पैजामा, नई कमीज और गले में गमछा, पैरों में नये मुड्डे...लडकी और लडकी वाले तो उनको देखते ही लट्टू हो गये.....तभी एक नाई जो कि लडकी वालों की तरफ़ से था वो लडकी वालों से बोला कि लडका तो बिल्कुल सोलहों आने है पर इसकी शक्ल के अलावा गुणों का और घर बार के बारे में भी पता करना चाहिये. सो वो आकर ताऊ से पूछताछ करने लगा.

ताऊ बोला - जी, ये मेरा दोस्त है और बहुत बडे घर का है. पांचवी फ़ेल तक मेरे साथ ही पढा है. ये नई कमीज, नया पैजामा और गमछा भी इसी का है पर ये नही बताऊंगा कि इसने जो नये मुड्डे पहने हुये हैं वो मेरे से मांग कर पहने हैं.

ब्गलार बोला - वाह ताऊ जी वाह, मैं समझ गया जलारत्व गुण प्रधान समीक्षक के स्वभाव को. ये कहानी डायरेक्ट मेरी खोपडी मे घुस गई है अब आप कृपा कर ताऊत्व गुण प्रधान समीक्षक के बारे में और बतादें.

ताऊ बोले - वाह बच्चा वाह, तू बडा कुशाग्र है. अब सुन तुझे मैं ताऊत्व गुण प्रधान समीक्षक के बारे मे बताता हूं.

ब्लागर बोला - जी ताऊ महाराज,

ताऊ महाराज बोले - सुन बच्चा, ताऊत्व गुण प्रधान समीक्षक ठीक उसी मनोदशा का होता है जैसे सतोगुण प्रधान मनुष्य होता है. उसे समीक्षा करते समय अपने पराये का भान नही रहता, उसको अच्छाई अधिक नजर आती है. इसलिये ताऊत्व गुण प्रधान व्यक्ति अच्छा समीक्षक नही होता और इसी वजह से हम स्वयं महाराज ताऊ किसी पुस्तक की छीछालेदर नही करते.

ब्लागर ने पूछा - ताऊश्री इसका मतलब तो ये हुआ कि ताऊत्व गुण प्रधान व्यक्ति किसी काम का नही होता? मेरा मतलब समीक्षा के काम से है.

ताऊ बोला - बालक, अभी हमने तुझे सारे गुण नही सिखाये हैं इसलिये इतना मत उछल. ताऊत्व गुण को जरा इस उदाहरण से समझने की कोशीश कर कि ये ताऊत्व कितना मारक प्रहार करके सामने वाले का कचरा कर देता है?

ब्लागर खिसियाता हुआ बोला - जी महाराज श्री.

ताऊ महाराज बोले - बालक, ये पिछले साल दिसंबर माह की बात है. हम समीर साहब के बालक की शादी में शरीक होने इंद्रप्रस्थ गये थे. उस रात भयानक ठंड थी, हमारा पुष्पक विमान रात्रि को एक बजे लडखडाता हुआ वहां पहूंचा, भयानक कोहरे के कारण विमान एक घंटे तक हवा में लटका रहा, तदुपरांत हवाईअड्डे पर यातायात सघन होने की वजह से हवा में लटक कर चक्कर काटता रहा. मुश्किल से पुष्पक धरती पर उतर पाया, उसके बाद हम रात्रि को पार्टी में पहूंचे तो वहां संगीत का कार्यक्रम चालू था. सभी नृत्य संगीत में मशगूल थे, डीजे पर सभी के पांव थिरक रहे थे. खाना पीना चल रहा था.

वहां पर खाने के दौरान समीर साहब ने पूछा कि - ताऊ खाना कैसा लगा?

ताऊ बोला - वाह समीर साहब वाह, खाना बडा लजीज है, मजा आगया...बस पनीर वाली सब्जी और बिरयानी में थोडा नमक और होता तो आनंद आ जाता. अब समीर साहब मायूस होगये कि इतने बढिया खाने का इंतजाम किया उसमें भी कमी निकाल दी. अरे नमक ज्यादा तो नही था ना..कम ही था तो जरा सा और डाल लेते...सबके सामने ये कहने की क्या जरूरत थी? पर ताऊत्व गुण प्रधान व्यक्ति बहुत ही बारीकी से छीछालेदर करते हैं. अत: ताऊत्व गुण प्रधान व्यक्ति से लेखकों को विशेष सावधान रहना चाहिये वर्ना उनका कचराकरण होना पक्का समझो.

और इसी बीच सामने वाले ब्लागर महोदय का मोबाईल बेलेंस शायद खत्म हो गया क्योंकि अचानक फ़ोन कट गया और ताऊ महाराज हैल्लो हैल्लो करते ही रह गये.

अईजे ताऊ आमि भोस बाबू बोलछि....

बात थोडी पुरानी है. ताऊ ने राज भाटिया जी को टोपी पहनाई उसके बाद एक बंगाली बोस बाबू से उनका घनिष्ठ याराना हो गया. ताऊ की टोपीबाजी की पुरानी आदत थी, शायद कई जन्मों की. बातों बातों में एक दिन बोस बाबू को भी ताऊ ने शानदार सलमे सितारे वाली टोपी पहना दी.

हुआ यो कि ताऊ को कुछ रूपयों की जरूरत पड गई. ताऊ को जन्मों से सारी दुनिया जानती है सो कोई रूपये पैसे उसको उधार देता नही था. और बोस बाबू से उसकी नई नई दोस्ती हुई थी. बोस बाबू अभी ताऊ की करामातों से परिचित नही थे. सो आगये ताऊ के झांसे में.

ताऊ ठहरा खेला खाया इंसान, हर आदमी की रग रग पहचानता है तभी तो कैसे जैसे करके उसका टोपीबाजी का धंधा चलता रहता है. ताऊ जानता था कि बोस बाबू के पास नगद रूपये तो मिलेंगे नही सो एक दिन जब बोस बाबू ताऊ के घर आये तो ताऊ ने बाहर चौक में से ही ताई को आवाज लगाई.

ताऊ - अरे भागवान देख कौन आये हैं?

ताई : अरे क्यूं रुक्के मारण लागरया सै? इसा कुण आग्या?

ताऊ : अरे बोस बाबू आये हैं जरा तेरे मायके से जो मिठाई आई है वो तो खिला इनको...

ताई : जरा डटज्या...भैंस नै तूडा गेरकर ल्याऊं सूं.

थोडी देर बाद ताई एक प्लेट में डोडा मिठाई ले कर आई जिसे खाकर बोस बाबू बडे आनंदित हुये और चाय का कप उठाते हुये बोले - मिष्ठि तो बहुत आच्छा है ताऊ किस बात का लिये आया है?

ताऊ बोला - अजी बोस बाबू, मेरे साले के लडके की सगाई होने वाली है उसी की खुशी में ये मिठाई आई है. पर एक परेशानी भी खडी हो गई है?

बोस बाबू बोले - हमरा रहते हुये किस बात का परेशानी? हम है ना तुम्हरा पक्का बोंधू..... हमरा लायक काम हो तो हमको बतावो ताऊ. हम आपका काम कर देगा.

ताऊ बोला - अजी बोस बाबू, काम तो जरा सा है. साले के लडके की सगाई में लडकी को रोकने के लिये उसको सोने का हार पहनाना है और गोटू सुनार को हार बनाने का आर्डर दिया था, उसने अभी तक बनाया नही.

बोस बाबू बोले - इसमे काहे का परेशानी ताऊ? ताई के पास भी हार तो होगा ना, वो वाला पहना दिजिये, नया हार बनके आयेगा तब बदल लेना.

ताऊ बोला - अजी बोस बाबू, मेरा प्लान तो यही था पर ताई बोलती है कि सगाई के फ़ंक्शन में उसको भी वही हार पहनना है. अब बडी मुसीबत खडी हो गई, ताई को ज्यादा बोलूंगा तो वो मेड-इन-जर्मन उठा लेगी. ताऊ ने रोनी सूरत बनाकर कोने में खडे मेड-इन-जर्मन की तरफ़ देखा.

बोस बाबू बोले - ताऊ तुम भोस बाबू के रहते काहे को चिंता कोरता है? हमरा बीबी अभी कोलकाता गया हुआ है उसका हार हम कल बैंक का लोकर से लाकर तुमको दे देगा. वो अभी एक महिना बाद वापस लौटेगा तब तक तुम अपना काम निकाल कर हार हमको लौटा देना. तब हम वापस लोकर में पहूंचा देगा.

ताऊ ने मन ही मन सोचा कि ये बंगाली मछली कांटा तो निकल गई है बस किसी तरह ये हार देने तक कांटा निगले रहे. अगर इसको कहीं पता लग गया तो फ़िर ये हार नही देगा. सो ताऊ ने बोस बाबू को देर रात तक वहीं बातों में उलझाये रखा और रात का खाना चकाचक खिला पिलाकर विदा किया.

अगले दिन ताऊ के साथ बैंक जाकर बोस बाबू ने उनकी बीबी का दस तोले का सोने का हार ताऊ के हवाले कर दिया. ताऊ ने बोस बाबू को बहुत धन्यवाद दिया और घर आगया और हार को बेच कर नगद खडे कर लिये. और बोस बाबू से अब दूरी बनाने लग गया. बोस बाबू जैसा सीधा साधा आदमी ताऊ जैसे शातिर जालिम सिंह की चाल क्या समझता सो उसने कोई विशेष ध्यान नही दिया.

कुछ समय तो बोस बाबू ने यह समझकर तकादा नही किया कि ताऊ बहुत ही शरीफ़, इमानदार और जबान का पक्का है सो वादे के अनुसार सोने का हार लौटा देगा. परंतु ताऊ का महान सिद्धांत "लेकर दिया कमाकर खाया, धी की ऐसी तैसी जो दुनियां में आया", उसको मालूम नहीं था. सो ताऊ को रोज तगादा करने लगा पर ताऊ ने सोने का हार लौटाने के लिये थोडी ही लिया था जो वापस लौटाता? वो तो उसने बेच खोच कर ठिकाने लगा दिया था .

अंतत: डरते डरते बोस बाबू ने इधर उधर गली मोहल्ले मे जिक्र किया, ताऊ के व्यवहार के बारें में पता किया तब राज भाटिया जी जैसे ताऊ के शिकारों ने उसको बताया कि बोस बाबू अब हार को भूल जावो.

बोस बाबू बोला - अगर हमको हार नही मिला तो हमरा बीबी हमको मार डालेगा. पर अब क्या हो सकता था?

अब बोस बाबू ताऊ के घर चक्कर काटने लगे. और हार वापस पाने का तकादा करने लगे कि उनकी बीबी का गला सूना है और हार तुरंत वापस चाहिये. पर ताऊ तो उन्हें मिले ही नही, ताई से मना करवा दे...ताई लठ्ठ लेकर बाहर आकर मना करदे...बोस बाबू ताई के हाथ में लठ्ठ देखकर वैसे ही पसीने में भीग जाये. बोस बाबू फ़ोन करे तो ताऊ कभी उठाये नही. आखिर क्या करें बोस बाबू....

एक दिन राज भाटिया जी ने बोस बाबू को सलाह दे डाली कि किसी दूसरे के फ़ोन से ताऊ को फ़ोन लगा तब वो उठा सकता है. सो बोस बाबू ने एक दिन पडौसी के फ़ोन से फ़ोन लगाया तो ताऊ ने उठा लिया.

ताऊ - हल्लो जी. हल्लो जी....

उधर से बोस बाबू बोले - अईजे ताऊ आमि भोस बाबू बोलछि....

इधर आवाज सुनते ही ताऊ असली माजरा पहचान गया और लडकी की आवाज में बोला - ये ताऊ मेरिज ब्यूरो की आटोमेटेड फ़ोन सर्विस है. हिंदी के लिये एक दबायें, अंगरेजी के लिये दो दबाये, हरयाणवी के लिये तीन दबाये, पंजाबी के लिये चार दबायें, तामिल के लिये पांच दबायें.....

बीच में ही बोस बाबू ने पूछा - बांगला के लिये कोतो नंबर दबाने होगा?

ताऊ बोला - क्षमा किजिये, अभी बंगला सर्विस और बंगाली का हार उपलब्ध नही है.

उधर से बोस बाबू ने हिंदी के लिये एक दबाया तब इधर से ताऊ ने बोलना शुरू किया - लडका देखने के लिये एक दबाये, लडकी देखने के लिये दो दबायें, सगाई के लिये तीन दबायें, शादी के लिये चार दबायें.

उधर से यह सब खटराग सुनते सुनते बोस बाबू झल्ला गये और पूछ बैठे - दुसरी शादी करने के लिये क्या करने होगा?

इधर ताऊ भी भूल गया कि वो आटोमेटेड मशीन बनकर जवाब दे रहा है और बोल पडा - अरे बावलीबूच, दूसरी शादी करने के लिये पहली वाली का गला दबा दे फ़िर हार की जरूरत भी नही रहेगी.

"ब्लेक बूट एवार्ड ट्राफ़ी" आफ़ ब्लागर जूतमपैजारियता - 2011 की त्रि सदस्यीय समिति की मैराथान बैठक

ताऊ टीवी के सुबह सबेरे के इस ताजा न्यूज बुलेटिन में मैं रामप्यारे आपका स्वागत करता हूं. ब्लेक बूट एवार्ड -2011 के लिये प्राप्त नामांकनों पर विचार करने के लिये "ब्लेक बूट एवार्ड ट्राफ़ी" आफ़ ब्लागर जूतमपैजारियता - 2011 की त्रि सदस्यीय समिति की मैराथान बैठक आज शुरू हुई. कमेटी गठन के पूर्व की शर्तों के अनुसार चाय और मच्छरों से बचने के लिये कछुआ छाप मच्छर भगावो अगरबत्ती जलाई गई. कुछ जलकूक्कड टाइप जलागरों की दुष्ट नजरों से बचाव के लिये उनके नाम की लाल मिर्च की धूनी दी गई तत्पश्चात मिटिंग शुरू हुई.

"ब्लेक बूट एवार्ड ट्राफ़ी 2011" की त्रि सदस्यीय कमेटी मिटिंग


"ब्लेक बूट एवार्ड ट्राफ़ी" आफ़ ब्लागर जूतमपैजारियता - 2011 के लिये आहूत नामांकनों मे मुख्य रूप से माननिया अजीत गुप्ता ने यह टिप्पणी की थी. ["समिति के सदस्‍यों को नोमिनेट कर सकते हैं तो पहले इन्‍हें ही कर लें। Friday, February 11, 2011 8:55:00 AM"] और आज की बहस का मुख्य मुद्दा भी यही रहा.

उपरोक्त प्रस्ताव पर बोलते हुये ताऊ रामपुरिया ने कहा - वाह यह तो बहुत बढिया बात है. हम तीनों के अलावा इस एवार्ड का दूसरा कोई हकदार होना भी नही चाहिये. संयुक्त रूप से हम तीनों ही इसे रख लेते हैं.

अरविंद मिश्र बोले - ताऊ आई स्ट्रिक्टली आबजेक्ट दिस प्रपोजल....अगर हमने खुद ही यह एवार्ड रख लिया तो हममें और उनमे क्या फ़र्क रह जायेगा? वो अपने अपनों को रेवडी बांटते हैं और तुम यहां खुद को ही रेवडी बांटना चाहते हो? लोग क्या कहेंगे?

ताऊ बोला - अजी मिश्र जी, अगर आप सटरिकटली रेवडी में हिस्सा नही लेना चाहते तो कोई बात नही. आप मत लिजिये, हम और सतीश सक्सेना जी संयुक्त रूप से रख लेते हैं. क्यों सक्सेना साहब?

सतीश सक्सेना बोले - नो ताऊ, मेरी राय से मिश्र जी सही कहते हैं. और मैं मिश्र जी की बात का समर्थन करता हूं.

ताऊ बोला - तो ठीक है फ़िर बात ही खत्म. आप दोनों मिलकर यह "ब्लेक बूट एवार्ड ट्राफ़ी" मुझे दिलवा दिजिये, आखिर मुझसे ज्यदा हकदार और कौन होगा? बस झगडा ही खत्म.

अरविंद मिश्र बोले - ताऊ मैं आपके प्रस्ताव को वीटो करता हूं. आप यह ट्राफ़ी नहीं ले सकते क्योंकि आप इस साल इसके अध्यक्ष हो.

ताऊ बोले - यार हद हो गई, जब गधा सम्मेलन होता है तब लोग ना सिर्फ़ अपने अपनों को रेवडी बांटते हैं बल्कि विरोधी खेमे को चाय भी नही पिलवाते और मच्छरों से अलग कटवाते हैं और यहां जब सिर्फ़ हम तीनों का ही नामिनेशन हुआ है और कोई मैदान में नही है, आप दोनों लेना नही चाहते तो इस एवार्ड का अकेला अधिकारी ही मैं बचता हूं, फ़िर आपको आप्पति क्या है? मौका हाथ लगा है तो इस साल की रेवडी मुझे ही खा लेने दिजिये ना.

इस बात पर मिश्र जी और सक्सेना जी ने एक स्वर से ताऊ की बात को नकार दिया और बोले - ताऊ अगर आपने उन लोगों की तरह ही ये रेवडी बाजी का खेल किया तो हम दोनों आपकी इस समिती से रिजाइन कर देंगे. अब तुम उन रेवडी बांटने वालों को ही इस समिती का सदस्य बना लो और ले लो ब्लेक बूट ट्राफ़ी. हम तो इस नूरा कुश्ती में आपका साथ नहीं दे सकते.



इसके बाद ताऊ थोडा ढीला पड गया और सर्व सम्मति से यह तय हुआ कि ये एवार्ड समिती के सदस्यों को नहीं दिया जा सकेगा और तीनों सदस्य अपनी अपनी पसंद का एक एक नाम इस एवार्ड के लिये नामित करेंगे. इसके बाद तीनों सदस्यों ने अपनी अपनी पसंद का एक एक नाम गुप्त रूप से प्रस्तावित कर दिया.

इसके बाद सैंडिल पैजारियता एवार्ड का एक सुझाव श्री राकेश कुमार का आया हुआ था, उस पर विचार हुआ. सैंडिल पैजारियता एवार्ड को समिति ने एक मत से अगले साल से लागू करने का प्रस्ताव पास किया. तत्पश्चात एक बार फ़िर से चाय का दौर शुरू हुआ और बची हुई मच्छर अगरबत्ती अगली मिटिंग के लिये बुझाकर रख दी गई.

जब भी समिती की अगली मिटींग होगी आपको मिटिंग के पश्चात इसकी पूरी जानकारी दी जायेगी.

तो इंतजार किजिये कि इस साल होली पर यह प्रतिष्ठित एवार्ड यानि "ब्लेक बूट एवार्ड ट्राफ़ी " आफ़ ब्लागर जूतमपैजारियता - 2011 किसको मिलता है?

ताऊ पहेली - 113 (सत्ताधार गुजरात, satadhar gujrat) : विजेता : श्री सुशील बाकलीवाल

प्रिय भाईयो और बहणों, भतीजों और भतीजियों आप सबको घणी रामराम ! हम आपकी सेवा में हाजिर हैं ताऊ पहेली अंक - 113 का जवाब लेकर. कल की ताऊ पहेली का सही जवाब है गीगा बापू समाधि स्थान, सताधार, गुजरात

पहेली के विषय से संबंधित थोडी सी जानकारी मिस. रामप्यारी आपको दे रही है.


हाय एवरी वन...गुड मार्निंग...मी राम की प्यारी...रामप्यारी.

अब सबसे पहले तो मैं पहेली के विषय में आपको दो शब्द ताऊ के यात्रा वृतांत से सीधे ही कापी करके बताऊंगी...दो से ज्यादा भी हो सकते हैं मैं गणित में जरा कमजोर हूं...गिनती आप ही लगा लिजियेगा. और उसके बाद मैं आपको विजेताओं के नाम बताऊंगी.




सोमनाथ दर्शन के उपरांत वेरावल में रात्रि विश्राम किया. अगले दिन सुबह राजकोट के लिये यात्रा शुरू करने से पहले आगे के रास्तों की जानकारी लेते समय होटल के मैनेजर से मालूम हुआ कि एक रास्ता यहां से गीर के जंगलों से होता हुआ राजकोट जाता है. और उसी जंगल में उसने हमें सत्ताधार के बारे में बताया. उसके निर्देशानुसार हमने कार उसी रास्ते पर आगे बढा दी. रास्ता भी ठीक ठाक सा ही था.

रास्ते में आवक जावक कम ही थी, गांव भी छोटे छोटे ही आ रहे थे. सुनसान रास्ता देखकर ताई ने वापस लौट चलने का कहा क्योंकि हमारी कार के अलावा हमको और कोई भी वाहन रास्ते में आता जाता नही मिल रहा था. पर सासन गीर के सरंक्षित जंगलों में एशियाई शेरों को देखने के रोमांच के चलते हमने ताई के मेड-इन-जर्मन की फ़िक्र भी नही की और आगे बढते रहे. थोडा आगे चलकर बेरियर पर इंट्री करवाने के बाद सरंक्षित क्षेत्र में दाखिल हुये. कच्चे पक्के टेढे मेढे रास्तों पर आगे बढते हुये जंगल में रहने वाले जनजाति के उंचे डील डोल के स्त्री पुरूष अपने बडे आकार के दुधारू (गाय भैंस) पशुओं के साथ चलते दिखे. कहीं नीलगाय, चीतल, हिरण, बंदर और बारहासिंहे भी दिखे पर वनराज के दर्शन कहीं नही हुये.


गीर के जंगलों में एशियाई शेर


सौराष्ट्र के दक्षिण-पश्चिम में जूनागढ, भावनगर और अमरेली जिलों मे करीबन 1400 वर्ग किलोमीटर से ज्यादा क्षेत्र में फ़ैले सासन गीर नेशनल पार्क में ही प्रसिद्ध एशियाई शेर पाए जाते हैं. यहां के अलावा एशियाई सिंह केवल दक्षिण अफ्रीका के घास के मैदानों और पथरीले इलाक़ों में ही पाये जाते हैं. गीर नेशनल पार्क का पथरीला और पहाडी क्षेत्र इन एशियाई शेरों का प्राकृतिक आवास है.

इस सुनसान जंगल के बीच से होते हुये हम सत्ताधार की तरफ़ बढ गये. बहुत ही अल्प आबादी और घनघोर जंगल में एक मंदिर नुमा जगह दूर से दिखाई देने लगी जिसके चारों तरफ़ हरियाली और पीछे एक नदी बह रही थी. हालांकि नदी में पानी बहुत कम था फ़िर भी इतने सुनसान और शेरों वाले इलाके में ऐसी जगह देखकर मन प्रफ़ुल्लित हो गया.


सताधार मुख्य मंदिर गेट, गुजरात


मंदिर के अंदर पहुंचे तो और बडा आश्चर्य इंतजार कर रहा था. कुछ व्यक्ति भोजन करने के लिये आग्रह कर रहे थे. हमारे हां ना कहने के पहले ही उन्होने हमें अंदर एक हाल में पहुंचा दिया जहां तीन चार सौ लोग पंगत में जीमने के लिये बैठे थे. बडी बडी पीतल की थालियां लगी हुई थी. हम तो जम गये. पर ताई अपनी आदत के अनुसार उनके रसोई घर में झांकने लगी. हमको भी उसका अनुसरण करना ही था. रसोई में एक छह सात फ़ुट व्यास का तव्वा चढा हुआ था जिसके चारों तरफ़ महिलाये रोटिया बेल कर उस पर डाल रही थी. पता करने पर ,मालूम हुआ कि ये वहां पहुंचने वाली श्रद्धालु महिलायें और पुरूष ही इस काम में हाथ बंटा रहे थे. ताई ने भी थोडी देर सेवा का आनंद लिया और हमने भी खडे रहकर बडे से चिमटे से दो चार रोटीयां सेंक कर अपनी सेवा समर्पित की.

सत्ताधार में बारहों महिना अखंड मुफ़्त भंडारा चलता है. वहां स्वादिष्ट भंडारे का आनंद लिया. एक और विशेष बात यह दिखी की अन्य जगह जहां पत्तल दोनो में भंडारा चलता है वहीं सत्ताधार में पीतल की बडी बडी थालियों मे भोजन परोसा जाता है. भोजन ग्रहण करने के बाद वहां पर सभी लोग अपनी थाली उठाकर उसे धोकर साफ़ करके यथा स्थान रख देते हैं. हमने भी अपनी थाली उठाकर धो कर रखने के बाद मंदिर में दर्शन के लिये गये.


समाधि स्थल (पेड के पीछे), सत्ताधार


वहीं पता चला कि ये गीगा अप्पा/ गीगा बापू की समाधि है जहां श्रद्धालू अपनी आस्था व्यक्त करने पहुंचते हैं. यहां एक गौशाला भी इसी मंदिर के तहत चलाई जाती है जहां गायों की बेहतर तरीके से सेवा की जाती है. अगर आप चाहें तो गौशाला के लिये अपनी इच्छानुसार दान देकर रसीद प्राप्त कर सकते हैं.

सत्ताधार में इतना आनंद आया कि उस होटल मैनेजर को मन ही मन धन्यवाद देना नही भूले. यह जगह जूनागढ से ४५ किलोमीटर, राजकोट से १३५ किलोमीटर और अहमदाबाद से करीबन ३२० किलोमीटर है. जूनागढ वेरावल रेल्वे लाईन पर सत्ताधार रेल्वे स्टेशन भी है. जूनागढ से हर आधे घंटे में बस सर्विस उपलब्ध रहती हैं. नवंबर से मार्च का महिना यहां जाने के लिये उपयुक्त है क्योंकि यहां की गर्मी थोडी सख्त मिजाज है. तो इंतजार किस बात का? आप भी प्लान कर डालिये सत्ताधार घूमने का. अगर किस्मत साथ दे गई तो वनराज सिंह भी आपको दर्शन दे सकते हैं.

मुख्य मंदिर के अलावा शिव मंदिर, भूतबापा मंदिर, लक्ष्मण घाट और गौशाला यहां के मुख्य दर्शनीय स्थल हैं. हमारी अहमदाबाद, राजकोट, द्वारका, सोमनाथ, जूनागढ और वापस राजकोट होते हुये अहमदाबाद की यात्रा के दौरान हमने सत्ताधार में गीगा बप्पा की समाधि के दर्शन किये. (ताऊ के यात्रा वृतांत से)

आईये अब मिलते हैं आज के विजेताओं से :-

आज के प्रथम विजेता हैं श्री सुशील बाकलीवाल


श्री सुशील बाकलीवाल अंक 101


आईये अब बाकी विजेताओं से आपको मिलवाती हूं.

श्री दीपक तिवारी "साहब" अंक 100
इसके अलावा श्री रोनित सरकार जूनागढ और गीर के जंगलों तक तो पहुंच गये पर जगह का सही नाम नही बता पाये अत: उनका नाम विजेताओं में शामिल नही किया जा सकता.

अब उनसे रूबरू करवाती हुं जिन्होनें इस अंक में भाग लेकर हमारा उत्साह वर्धन किया

श्रॊ नीरज बसलियाल
श्री स्मार्ट इंडियन
श्री काजल कुमार
श्री अभिषेक ओझा
डाँ. रूपचंद्र शाश्त्री "मयंक"
श्री राज भाटिया
श्री राकेश कुमार
श्री नरेश सिंह राठौड
सुश्री अंजू
श्री दर्शन लाल बवेजा
डा~म. अरूणा कपूर
श्री संजय @ मो सम कौन?
श्री गगन शर्मा कुछ अलग सा
श्री रोनित सरकार
श्री मकरंद
श्री वृक्षारोपण:एक कदम प्रकृति की ओर
सुश्री निर्मला कपिला
सभी प्रतिभागियों का हार्दिक आभार प्रकट करते हुये रामप्यारी अब आपसे विदा चाहेगी. अगली पहेली के जवाब की पोस्ट में मंगलवार सुबह 4:44 AM पर आपसे फ़िर मुलाकात के वादे के साथ, तब तक के लिये जयराम जी की.


ताऊ पहेली के इस अंक का आयोजन एवम संचालन ताऊ रामपुरिया और रामप्यारी ने किया. अगली पहेली मे अगले शनिवार 1:00 AM से 11:00 PM के मध्य कभी भी आपसे फ़िर मुलाकात होगी तब तक के लिये नमस्कार.


मग्गाबाबा का चिठ्ठाश्रम
मिस.रामप्यारी का ब्लाग
ताऊजी डाट काम
रामप्यारे ट्वीट्स

ताऊ पहेली - 113

प्रिय बहणों और भाईयों, भतिजो और भतीजियों सबको शनिवार सबेरे की घणी राम राम.

ताऊ पहेली के अंक 113 में आपका हार्दिक स्वागत है. नीचे दिखाये गये चित्र को ध्यान से देखिये और बताईये कि यह कौन सी जगह का चित्र हैं? हमेशा की तरह पहेली के जवाब की पोस्ट मंगलवार सुबह 4:44 AM पर प्रकाशित की जायेगी.




ताऊ पहेली का प्रकाशन हर शनिवार 1:00 AM से 11:00 PM के मध्य कभी भी किया जा सकता है. ताऊ पहेली के जवाब देने का समय कल रविवार शाम 6:00 PM तक या अधिकतम कमेंट सुविधा बंद करने तक है.


जरुरी सूचना:-
टिप्पणी मॉडरेशन लागू है. समय सीमा से पूर्व ग़लत या सही दोनों ही तरह के जवाब प्रकाशित किए जा सकते हैं. जरूरी नही कि प्रकाशित किये गये जवाब गलत ही हैं. और रोचकता बनाये रखने के लिये गलत जवाब भी रोके जा सकते हैं. अत: अपना जवाब सोच समझकर देवें.

नोट : किसी भी तरह की विवादास्पद परिस्थितियों मे आयोजकों का फ़ैसला ही अंतिम फ़ैसला होगा.


मग्गाबाबा का चिठ्ठाश्रम
मिस.रामप्यारी का ब्लाग
ताऊजी डाट काम
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"ब्लेक बूट एवार्ड ट्राफ़ी" आफ़ ब्लागर जूतमपैजारियता - 2011

प्रिय बहनों और भाईयों, आज सुबह के न्य़ुज बुलेटिन में मैं ताऊ टीवी का चीफ़ रिपोर्टर रामप्यारे आपका स्वागत करता हूं. आज की सबसे तेज और सनसनीखेज खबर यह है कि ताऊ टीवी द्वारा ब्लागर जूतमपैजारियता लाइफ़ टाईम अचीवमैंट एवार्ड - 2011 होली पर दिया जाना तय हुआ है.



आप से उक्त एवार्ड के लिये नामिनेशन आमंत्रित किये जाते हैं. आप सबसे निवेदन है कि अपनी पसंद के ब्लागर को इसके लिये नामिनेट करें. एक ब्लागर चार नाम नामिनेट कर सकता है. अगर संतोष प्रद नामिनेशन प्राप्त नही हुये तो त्रि-सदस्यीय "ताऊ जूतमपैजारियता समिति" किसी ऐसे ब्लागर को उपरोक्त "ब्लेक बूट एवार्ड" ट्राफ़ी दे देगी जिसने बीते साल चाहे जूतमपैजारियता की हो या ना की हो.

एक बार अवार्ड दिये जाने के बाद यह ट्राफ़ी वापस नही होगी और इसे प्राप्त करने वाला इस अवार्ड को लेने से मना भी नही कर सकेगा. समिती का फ़ैसला हर मामले में अटल रहेगा ना कि किसी सरकारी रवैये जैसा ढुलमुल.

त्रि-सदस्यीय "ताऊ जूतमपैजारियता समिति"
स्वंयं भू आजीवन अध्यक्ष : सर्वश्री ताऊ रामपुरिया
आजीवन प्रधान सचिव : सर्वश्री अरविंद मिश्र
आजीवन प्रधान कोषाध्य्क्ष : सर्वश्री सतीश सक्सेना


विशेष सूचना :- आप सबसे निवेदन है कि अपने अपने प्रतिद्वंदियों को नामिनेट करके अपना खतरा पहले ही दूर कर लें. नामिनेशन के अभाव में समिती के सदस्य आपसी राय मशवरे से "ब्लेक बूट एवार्ड ट्राफ़ी -2011" अपने किसी खास ब्लागर को भी दे सकते हैं. समिती के फ़ैसलों पर जूतमपैजारियता का अधिकार किसी को भी नही होगा. जनता से आये नामिनेशन को भी समिती के सदस्य चाहें तो वीटो कर सकेंगे.

नियति अपनी अपनी

लगता है
जनता की किस्मत
और नेता्जी के घोटालों ने
आपस में मिलकर
कर रखा है एक
अदृष्य, अंतहीन,
अलिखित कोई समझौता!




जैसे जनता की
किस्मत करती है
हमेशा
छल पर छल
और फिर
छलती जाती है
साल दर साल
उसी तरह
नेताजी भी करते हैं
हमेशा
घोटाले पर घोटाला
और फिर एक
महा घोटाला
साल दर साल

किस्मत का छल
जनता की नियति है
घोटाले पर घोटाला
नेताजी की नियति है!



(इस रचना के दुरूस्तीकरण के लिये सुश्री सीमा गुप्ता का हार्दिक आभार!)

ताऊ पहेली - 112 (श्री द्वारकाधीष मंदिर, द्वारका, गुजरात, Dwarkadhis Temple, Dwarka) विजेता : सुश्री अंजू

प्रिय भाईयो और बहणों, भतीजों और भतीजियों आप सबको घणी रामराम ! हम आपकी सेवा में हाजिर हैं ताऊ पहेली अंक - 112 का जवाब लेकर. कल की ताऊ पहेली का सही जवाब है द्वारकाधीष मंदिर द्वारका गुजरात (Dwarikadhis Temple, Dwarka, gujrat.)

पहेली के विषय से संबंधित थोडी सी जानकारी मिस. रामप्यारी आपको दे रही है.


हाय एवरी वन...गुड मार्निंग...मी राम की प्यारी...रामप्यारी.

अब सबसे पहले तो मैं पहेली के विषय में आपको दो शब्द बताऊंगी...दो से ज्यादा भी हो सकते हैं मैं गणित में जरा कमजोर हूं...गिनती आप ही लगा लिजियेगा. और उसके बाद मैं आपको विजेताओं के नाम बताऊंगी.




भारत के पश्चिमी समुद्री किनारे पर बसी है पवित्र द्वारका नगरी. जिसे आज से ५००० साल पहले भगवान श्रीकॄष्ण ने मथुरा छोडने के उपरांत बसाया था. श्रीकृष्ण ने मथुरा में जन्म लिया, बाल्यावस्था गोकुल में रहे तदुपरांत राज उन्होंने द्वारका में किया. वो उस समय के इतने महाप्रतापी राजा थे कि सारे देश के राजा महाराजा उनसे सहायता और सलाह के लिये द्वारका आया करते थे. उस समय की राजनीति के सारे सूत्र उन्हीं के हाथ में थे. यहीं द्वारका से उन्होंने सारे देश के सत्ता सुत्र अपने हाथ में संभाले.


श्री द्वारकाधीष की मुर्ति


यह प्रसिद्ध द्वारकाधीश मंदिर ठीक उसी जगह है जहां कभी भगवान श्री कृष्ण का निजी महल हरि गृह था. भगवान श्री कृष्ण के अनुयाईयों के लिये यह एक एक महान और पवित्र तीर्थ है. मंदिर की पूर्व दिशा में आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित देश की चार पीठों मे से एक शारदा पीठ यहीं है. पवित्र द्वारका नगरी पवित्र सप्तपुरियों में से एक मानी गई है. वर्तमान मंदिर का यह स्वरूप १६ वीं शताब्दी में अस्तित्व में आया. माना जाता है कि इस स्थान पर मुख्य मंदिर का निर्माण भगवान श्रीकृष्ण के प्रपौत्र वज्रनाभ द्वारा करवाया गया. जैसे जैसे समय बीतता गया वैसे वैसे मंदिर का विस्तार कार्य और जीर्णोद्धार होता चला गया.


श्री द्वारकाधीश मंदिर के गर्भगृह में चाँदी के सिंहासन पर भगवान श्रीकृष्ण की श्यामवर्ण की चतुर्भुजी प्रतिमा विराजित है. यहाँ इन्हें 'रणछोड़ जी' के नाम से भी पुकारा जाता है. (वैसे भगवान श्री कृष्ण का रणछोडराय जी के नाम से प्रसिद्ध भव्य मंदिर डाकोर जी गुजरात मे है) यहां भगवान ने हाथों में शंख, चक्र, गदा और कमल धारण किए हुये हैं. अन्य श्री कृष्ण मंदिरों के समान ही यहां भी बेशकीमती अलंकरणों और सुंदर वेशभूषा से सजी प्रतिमा हर भक्त का मन मोहती है. द्वारकाधीश मंदिर के दक्षिण में गोमती धारा पर चक्रतीर्थ घाट है जहां से कुछ ही दूरी पर अरब सागर है जहाँ पर समुद्र नारायण मंदिर है. इसके निकट ही पंचतीर्थ है जहां पाँच कुओं के जल से स्नान करने की परम्परा चली आ रही है. ज्यादातर श्रद्धालु तीर्थयात्री गोमती में स्नान करके ५६ सीढ़ियाँ चढ़ कर स्वर्ग द्वार से मंदिर में दर्शन के लिए जाते हैं.


श्री द्वारकाधीष मंदिर, द्वारका


श्री द्वारकाधीष मंदिर एक परकोटे से घिरा हुआ है जिसमें चारों ओर एक एक द्वार है. इनमें उत्तर का द्वार मोक्ष द्वार एवं दक्षिण का स्वर्ग द्वार कहलाता है. इस आकर्षक निर्माण शैली के सात मंज़िले मंदिर का उच्च शिखर २३५ मीटर ऊँचा है जिसके उच्च शिखर पर क़रीब ८४ फुट लंबाई की बहुरंगी धर्मध्वजा फहराती रहती है. यह ध्वजा संभवत: संसार की सबसे विशालतम ध्वजा है जो पूरे एक थान कपड़े से बनाई जाती है. इस मंदिर के प्रागंण में आप घंटो मंत्रमुग्ध से बै्ठे रह सकते हैं. एक तरफ़ अरब सागर की अथाह जलराशि, ऊपर तेज हवा में फ़हराती ध्वजा और प्रांगण में भजन कीर्तन करते श्रद्धालुजन, तीर्थयात्री, देशी विदेशी पर्यटक एक ऐसा शमां बांधते हैं जैसे सारा संसार भगवान श्री कृष्ण से मिलने दौडा चला आ रहा है.

आईये अब मिलते हैं आज के विजेताओं से :-

इस कठिनतम पहेली को सबसे पहले हल करके आज की प्रथम विजेता बनी हैं सुश्री अंजू... हार्दिक बधाई!

सुश्री अंजू अंक 101


आईये अब बाकी विजेताओं से आपको मिलवाती हूं.

डा. रूपचंद्र शाश्त्री "मयंक"
सुश्री सीमा गुप्ता
श्री दीपक तिवारी "साहब"
श्री रोनित सरकार

अब उनसे रूबरू करवाती हुं जिन्होनें इस अंक में भाग लेकर हमारा उत्साह वर्धन किया

श्री सोमेश सक्सेना
डा. मनोज मिश्र
श्री काजलकुमार
श्री विजयकुमार सप्पात्ति
श्री अंतर सोहिल
डा. अरूणा कपूर
श्री दिगंबर नासवा
श्री चला बिहारी ब्लागर बनने
श्री सैयद
श्री विवेक रस्तोगी
श्री मकरंद
श्री सांड-ए-लखनऊ
श्री भारतीय नागरिक

सभी प्रतिभागियों का हार्दिक आभार प्रकट करते हुये रामप्यारी अब आपसे विदा चाहेगी. अगली पहेली के जवाब की पोस्ट में मंगलवार सुबह 4:44 AM पर आपसे फ़िर मुलाकात के वादे के साथ, तब तक के लिये जयराम जी की.
ताऊ पहेली के इस अंक का आयोजन एवम संचालन ताऊ रामपुरिया और रामप्यारी ने किया. अगली पहेली मे अगले शनिवार 1:00 AM से 11:00 PM के मध्य कभी भी आपसे फ़िर मुलाकात होगी तब तक के लिये नमस्कार.


मग्गाबाबा का चिठ्ठाश्रम
मिस.रामप्यारी का ब्लाग
ताऊजी डाट काम
रामप्यारे ट्वीट्स

मधु चूसे मीठा लगे, भंवरा उडि उडि जाय. जो गन्ने को चूस ले, शूगर से मर जाय

प्रिय भक्तजनों,

इस नश्वर ब्लाग संसार का उद्धार करने के लिये हम आजकल तपस्या में लीन हैं. हमने भक्तों के कल्याण के लिये श्री ताऊ दोहावली की रचना की है. श्री ताऊ दोहावली का गायन करने से समस्त पाप ताप मिट जाते हैं. जो भी श्रद्धापूर्वक इस ताऊ दोहावली का झांझ मंजीरे के साथ गायन करेगा वो इस ब्लाग संसार से तर जायेगा.

श्री ताऊ दोहावली


या टिप्पणी दो रोज की, मत कर या सो हेत
ब्लाग लिखो नित-नियम से, जो पूरन सुख हेत

ब्लागों की सेवा करो, सदा बढावो ज्ञान
सब फ़ंदों को छोरिके, धरो ताऊ का ध्यान

सुर्पणखां मारीच से, बेनामी टिपियाय
इनसे बचने के लिए, बंधन लेओ लगाय

टिप्पणी तो निज पास है, मत देखो चहुँओर
आपनी टिप्पणी आप कर, बन जाओ शिरमौर

टिप्पणी कहीं ना उपजे, ना ये हाट बिकाय
ये तो हैं की-बोर्ड में, दूर कहीं मत जाय

धुआँधार ब्लॉगिंग करी, मिटा न मन का रोग
देगा जैसी टिप्पणी, वैसा ही ले भोग

ब्लागर हैं परमार्थी, जो टिप्पणी बरसाय
परमारथ के कारणै, अपना समय गँवाय

मठाधीष सिर पीटते, चेला मौज उड़ाय
जूते चप्पल खाय के, घर को वापिस आय

जो नहीं टिप्पणी कर सकें, वो ब्लॉगर न कहाय
चिकने, चुपड़े, बेशरम, बेनामी से बन जाय

मठाधीष संग मत करो, ये नहीं नाव तराय
बेनामी, मारीच का, कुनबा सब मर जाय

बेनामी सब होत हैं, आस्तीन के साँप,
भद्दी भाषा को लिखें, करें न पश्चाताप

टिप्पणी एक अमोल है, जो कोइ करतो जाय
सोच समझि और ठोक के, निज की-बोर्ड चलाय

ऐसी टिप्पणी किजिये, जो साहस को देय
सबका मन शीतल करे, ठण्डा-ठण्डा पेय

बेनामी ढिंग राखिये, कसिए खूब लगाम
बिन मेहनत लिक्खे बिना, अपना करता नाम


मधु चूसे मीठा लगे, भंवरा उडि उडि जाय
जो गन्ने को चूस ले, शूगर से मर जाय

भक्तजनों इस सत्र को यहीं समाप्त करते हैं. अगले सत्र में आपसे फ़िर मुलाकात करते हैं. ईश्वर आपका कल्याण करें.

इस दोहावली की रचना श्री ताऊ जी महाराज द्वारा की गई है, एवम माननिया अजीत गुप्ता जी के सुझावानुसार इसमें मात्रा सुधार डाँ. रूपचंद्र जी शाश्त्री द्वारा ता: 8 फ़रवरी 2011 को 2:25 PM पर किया गया. आभार शाश्त्री जी.

ताऊ पहेली - 112

प्रिय बहणों और भाईयों, भतिजो और भतीजियों सबको शनिवार सबेरे की घणी राम राम.

ताऊ पहेली के अंक 112 में आपका हार्दिक स्वागत है. नीचे दिखाये गये चित्र को ध्यान से देखिये और फ़टाफ़ट बताईये कि यह कौन सी जगह का चित्र हैं? हमेशा की तरह पहेली के जवाब की पोस्ट मंगलवार सुबह 4:44 AM पर प्रकाशित की जायेगी.




ताऊ पहेली का प्रकाशन हर शनिवार 1:00 AM से 11:00 PM के मध्य कभी भी किया जा सकता है. ताऊ पहेली के जवाब देने का समय कल रविवार शाम 6:00 PM तक या अधिकतम कमेंट सुविधा बंद करने तक है.


जरुरी सूचना:-
टिप्पणी मॉडरेशन लागू है. समय सीमा से पूर्व ग़लत या सही दोनों ही तरह के जवाब प्रकाशित किए जा सकते हैं. जरूरी नही कि प्रकाशित किये गये जवाब गलत ही हैं. और रोचकता बनाये रखने के लिये गलत जवाब भी रोके जा सकते हैं. अत: अपना जवाब सोच समझकर देवें.

नोट : किसी भी तरह की विवादास्पद परिस्थितियों मे आयोजकों का फ़ैसला ही अंतिम फ़ैसला होगा.


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ताऊ पहेली - 111 (तवांग मठ, अरूणाचल प्रदेश) विजेता : सुश्री अल्पना

प्रिय भाईयो और बहणों, भतीजों और भतीजियों आप सबको घणी रामराम ! हम आपकी सेवा में हाजिर हैं ताऊ पहेली अंक - 111 का जवाब लेकर. कल की ताऊ पहेली का सही जवाब है

पहेली के विषय से संबंधित थोडी सी जानकारी मिस. रामप्यारी आपको दे रही है.


हाय एवरी वन...गुड मार्निंग...मी राम की प्यारी...रामप्यारी.

अब सबसे पहले तो मैं पहेली के विषय में आपको दो शब्द बताऊंगी...दो से ज्यादा भी हो सकते हैं मैं गणित में जरा कमजोर हूं...गिनती आप ही लगा लिजियेगा. और उसके बाद मैं आपको विजेताओं के नाम बताऊंगी.




तवांग अरूणाचल प्रदेश का एक जिला है. अरूणाचल यानि उगते सूर्य का पर्वत भारत का उत्तर पूर्वी राज्य है जिसके दक्षिण में असम पश्चिम में भुटान और उत्तरी सीमाएं तिब्बत से मिलती हैं. इस राज्य की सीमाएं नागालैंड और बर्मा (म्यामार) से भी मिलती हैं. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान चीन के लिये जिस लेडो बर्मा रोड ने सहायक भूमिका निभाई थी उस रोड का एक बडा हिस्सा इस राज्य से होकर गुजरता है. ईटानगर इस राज्य की राजधानी है. यहां असमी और हिंदी भाषा जानी समझी और बोली जाती हैं. कंप्य़ूटर के आगमन के साथ ही अंग्रेजी भी यहां लोकप्रिय हो रही है.


Tawang Monestery, Arunachal pradesh


तवांग मठ (monestery) समुद्र तल से करीब दस हजार फ़ीट की ऊंचाई पर भारत चीन सीमा पर स्थित है. तवांग मठ की स्थापना मेराग लामा लोद्रे ग्यात्सो द्वारा 17 वीं शताब्दी में की गई थी. ल्हासा के बाद बुद्ध की सबसे बडी नौ मीटर ऊंचाई वाली मूर्ति इसी मठ में है. मठ में करीब 600 के लगभग भिक्षु निवास करते हैं. पहले यह नियम रहा है कि जिस के तीन या उससे अधिक बेटे होते थे उसे एक बेटा भिक्षु बनने के लिये मठ को दिया जाता था पर अब ऐसा जरूरी नही रह गया है. भिक्षुणियां कुछ दूर बने बरयमएने गोनपा, तेंगाचुंगएने गोनपा तथा ज्ञानद्रोंगएने गोनपा में निवास करती हैं.


kitchen, Tawang Monestery


आध्यात्मिक माहौल के कारण यहां अपराध की दर बहुत ही नगण्य है. प्रौढ भिक्षुओं की जीवन चर्या ज्यादातर आध्यात्मिक चर्चा में व्यतीत होती है. वहीं छोटे भिक्षुओं को खेलकूद करते भी देखा जा सकता है. तवांग बौद्घ मठ के युवा भिक्षुओं को आधुनिकता से भी कोई परहेज नही है. उन्हें कम्प्यूटर और मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने के साथ साथ फ़र्राटे दार मोटरसाइकिल सवारी करते हुये भी देखा जा सकता है. उनके अनुसार इच्छाओं पर अधिकार पाने के बाद आधुनिकता और आध्यात्मिकता में कोई टकराव नहीं रह जाता और आधुनिकता का उन पर असर नही हो सकता. ये भिक्षु बौद्ध दर्शन और हिंदी अंग्रेजी के ज्ञान के लिये कंप्यूटर का इस्तेमाल कर रहे हैं. मठ में बहुत सारे कंयूटर हैं जो भिक्षुओं को शिक्षा प्रदान करने के लिये लाये गये हैं. मठ में टेलीविजन भी उपलब्ध हैं पर उनका उपयोग केवल सीमीत समय के लिये और सिर्फ़ समाचार देखने सुनने तक सीमीत है.


School & dispensary, Tawang Monestery


मठ में आठवीं तक की शिक्षा दी जाती है तदुपरांत वहां से छात्रों को सारनाथ (बिहार) जाकर ज्ञानार्जन करना पडता है.

वर्तमान दलाई लामा 1959 में तिब्बत छोडते समय तवांग होते हुये गुजरे थे तब इसी मठ में रूके थे तदुपरांत सन 2009 में दलाई लामा यहां पुन: आये थे तब इस प्राचीन मठ में पूजा अर्चना की एवम कुछ अन्य सामाजिक कार्यक्रमों मे हिस्सा लिया.

आईये अब मिलते हैं आज के विजेताओं से :-

आज की प्रथम विजेता हैं सुश्री अल्पना


सुश्री अल्पना अंक 101



आईये अब बाकी विजेताओं से आपको मिलवाती हूं.

श्री रतन सिंह शेखावत अंक 100
श्री समीर लाल "समीर" अंक 99
श्री रोनित सरकार अंक 98

अब उनसे रूबरू करवाती हुं जिन्होनें इस अंक में भाग लेकर हमारा उत्साह वर्धन किया

श्री गजेंद्र सिंह्
श्री दिगंबर नासवा
श्री राज भाटिया
श्री काजल कुमार
श्री भारतीय नागरिक - Indian Citizen
श्री संजय @ मो सम कौन ?
श्री पी.सी.गोदियाल "परचेत"
श्री ललित शर्मा
श्री डॉ. मनोज मिश्र
श्री दर्शन लाल बवेजा
श्री नीरज जाट जी
श्री Vivek Rastogi
सुश्री anju

सभी प्रतिभागियों का हार्दिक आभार प्रकट करते हुये रामप्यारी अब आपसे विदा चाहेगी. अगली पहेली के जवाब की पोस्ट में मंगलवार सुबह 4:44 AM पर आपसे फ़िर मुलाकात के वादे के साथ, तब तक के लिये जयराम जी की.


ताऊ पहेली के इस अंक का आयोजन एवम संचालन ताऊ रामपुरिया और रामप्यारी ने किया. अगली पहेली मे अगले शनिवार 1:00 AM से 11:00 PM के मध्य कभी भी आपसे फ़िर मुलाकात होगी तब तक के लिये नमस्कार.


मग्गाबाबा का चिठ्ठाश्रम
मिस.रामप्यारी का ब्लाग
ताऊजी डाट काम
रामप्यारे ट्वीट्स