आप भी लठ्ठासन करते हैं क्या?

ताऊ ने सुबह घूमने जाते समय ताई से पूछा - मेरे साथ मार्निंग वाक् के लिए चल रही हो क्या?

ताई ने आँखे तरेरते हुए पूछा - तुम्हारा मतलब है मैं मोटी हो गई हूँ जो मुझे मार्निंग वाक् के लिए जाना चाहिये?

ताऊ बोला- मेरा वो मतलब नहीं था....तुम्हारी मर्जी...तुम सोवो मैं तो चला सुबह की सैर पर।

ताई फिर भडभड़ाती हुई बोली - नहीं नहीं...तुम मुझे आलसी और निठल्ली समझते हो? आखिर तुम कहना क्या चाहते हो?

ताऊ बोला - तुम बिना बात सुबह सुबह बात का बतंगड बना रही हो...

ताई फिर गुर्राई - तुम्हारा मतलब है की मैं बिना बात झगड़ा करती रहती हूँ और तुम शरीफजादे हो?

ताऊ ने सोचा आज सुबह सुबह किस मधु मक्खी के छाते में हाथ डाल दिया और हाथ जोड़ते हुए बोला- भागवान तुम बात को कहाँ से कहाँ ले जा रही हो? मैंने कब तुम्हें झगड़ालू कहा?

अब तो ताई का गुस्सा सातवें  आसमान पर था वो बोली - तो क्या मैं झूंठ बोल रही हूं?

ताऊ ने झुंझलाते हुए कहा - चलो छोडो अब मैं भी नहीं जाता....

ताई ने पास रखा अपना मेड-इन-जर्मन लठ्ठ उठा लिया और फटकारते हुए बोली - तो यूँ कहो ना की तुमको भी नहीं जाना था.....और इल्ज़ाम ख्वामखा मेरे मथ्थे....

इसके बाद तो ताई ने ताऊ को ऐसे लठ्ठासन करवाए की ताऊ दिन भर हल्दी चूना ही ढूँढता रहा।