कोरोना लोक डाऊन और साबुन बनाने का शौक

लोक डाऊन के चलते सभी अपने घरों में बंद हो गये हैं और समय काटना मुश्किल हो गया है. सोशल मिडिया पर भी एक लिमिट के अंदर ही टाईम पास हो सकता है. कुछ लोग अपने पुराने काम निपटा रहे हैं कुछ लोग घर में आपस में ही भिट्टी भिडा रहे हैं जिसका जिक्र आपने सुना ही होगा कि घरेलू हिंसा के मामलों में शिकायते बढी हैं. हमारी समझ से यह खाली दिमाग का काम है.

जिन लोगों ने कुछ शौक पाल रखे हैं उनके लिये यह बढिया समय है. हमारे पास अब भी ज्यादा समय नहीं बचता क्योंकि मैं कैपीटल मार्केट से संबंध रखता हूं तो सोमवार से शुक्रवार शेयर बाजार चालू रहता है तो शाम के चार पांच तो आफ़िस में ही बज जाते है. मेरे लिये अच्छी बात यह है कि मेरा आफ़िस मेरे घर में ही ग्राऊंड फ़्लोर पर है और रेसीडेंस ऊपर है, सो कोई खिट खिट नहीं. अब शाम के 5 या 6 घंटे रोजना बचते हैं और हमेशा की तरह शनिवार रविवार तो है ही.

यूं तो हमारे बहुत सारे शौक हैं और उन्हीं में से एक है डिजाईनर साबुन बनाना. अब आप कहेंगे कि ये क्या बला है? घबराईये नहीं ये भी एक आर्ट है जिसकी कोई लिमिट नहीं है. जैसे एक पेंटर या चित्रकार अपनी कल्पना से कितनी ही पेंटिंग विभिन्न तरह की बना लेता है वैसे ही आप इस प्रोसेस से अनगिनत तरह के साबुन बना सकते हैं. इसमे मजे की बात यह है कि आप अपनी जरूरत के हिसाब से बना कर यूज कर सकते हैं, गिफ़्ट कर सकते हैं और बेच भी सकते हैं.

आजकल हैंड मेड साबुनों की डिमांड काफ़ी बढी है उसका कारण यह है कि ये कम नुक्सान देह हैं और ग्राहक अपनी जरूरत के हिसाब से आर्डर करता है. और उसी हिसाब से जो भी ग्राहक की डिमांड है, उस मुताबिक चीजे यूज करते हुये तैयार कर सकते हैं. इसमें आपने सही चीजे यूज की और परफ़ेक्शन बनाये रखा तो ग्राहक आपके पास बार बार लौट कर आयेगा ही.

अब ये समझ लिजीये कि साबुन किस प्रकार बनाये जाते हैं? आप जो बाजार से रेडीमेड साबुन खरीद कर लाते हैं अपने लिये,  वह ब्रांड एक निश्चित वस्तुओं से तैयार होता है, आप उसमे रदोबदल नहीं कर सकते. मान लिजीये आप एक ब्रांड का प्रयोग करते हैं तो हो सकता है वह ब्रांड गर्मी में आपको अच्छा काम देता है पर सर्दी आते ही उसी ब्रांड से आपकी त्वचा शुष्क होने लगती है. अब फ़िर कोई नया साबुन ढूंढो या मोईश्चराईजर ढूंढो...इसी वजह से साबुन के इतने सारे ब्रांड आप बदल रहते हैं.

यह बाजार में बिकने वाले साबुन CP यानि कोल्ड प्रोसेस से बने होते हैं यानि कास्टिक सोडा और तेलों के मिश्रण से. इनको तैयार होने के बाद कम से कम 30/40 दिन saponification के लिये खुला रखना होता है, और जितने ज्यादा दिन इनका saponification होगा उतना ही कम नुक्सान देह होंगे. सिंपल भाषा में समझाऊं तो  saponification से तात्पर्य यह है कि साबुन तैयार होने के बाद भी काष्टिक सोडा अपनी क्रिया करता रहता है जिसे पूरा होने में एक डेढ महिना लग जाता है.

अब जो हैंडमेड साबुन होते हैं ये hot process कहलाते हैं. इनमे आपको सोप बेस लेना होता है और उसको मेल्ट करके मन चाहे आकार में वापस शेप देना होता है. soap base कई तरह के आते हैं और आसानी से आपके लोकल मार्केट या आन लाईन साईट्स पर मिल जाते हैं. इनमे saponification की प्रक्रिया पहले ही पूरी हो चुकी होती है इसलिये ये त्वचा के लिये हानिकारक नहीं होते.

आईये अब मैंने कल जो फ़ेसबुक पर साबुन की तस्वीरें डाली थी उनको कैसे तैयार किया? इसकी पूरी जानकारी देता हूं. आपमें से कईयों ने इसके बारे में जिज्ञासा जाहिर की थी इसी वजह से यह पोस्ट लिख रहा हूं. और मेरे पास विडियों एडीटर का जुगाड हो गया तो जल्दी ही विडियो भी डाल दूंगा. फ़ेसबुक पर विस्तृत विवरण से नहीं समझाया जा सकता इसलिये ब्लागर पर यह पोस्ट लिख रहा हूं.




यह एक सोप बार तकरीबन 1500 ग्राम का तैयार किया. आईये देखते हैं इसको कैसे बनाया? 

1. सबसे पहले एक मोल्ड लिया. अब सबसे शुरूआती पर्त नीले रंग वाली (goat milk soap base +shea butter soap base+blue soap colour 2 or 3 drops) मेल्ट करके डाल दी. डालते ही इसमे हल्के झाग आते हैं जो फ़िनिश साबुन पर भी  अच्छे नहीं लगते और इस तरह के कई बार में बनाने वाली पर्ते आपस में जुड जायें इसके लिये rubbing alcohol का स्प्रे तुरंत कर दिया. 

2. अब जो सफ़ेद मोटी पर्त दिखाई दे रही है उसकी तैयारी करते हैं. इसमे आपको एक लाल रंग का हार्ट दिखाई दे रहा होगा. यह हार्ट शेप वाले मोल्ड में "हनी ग्लिसरीन सोप बेस" में रेड सोप कलर की कुछ बूंदे डालकर पहले ही तैयार कर रखा था. नीली पर्त पर इस हार्ट शेप वाले बार को रख दिया.
इसके बाद जो मोटी सफ़ेद पर्त दिख रही है उसके लिये (goat milk soap base+cocoa soap base+black berry essential oil सुगंध के लिये + vitamin E oil capsul के 7 कैपसूल) मेल्ट कर लिया.
यहां ध्यान रहे कि इसको नीली पर्त पर डालने के पहले नीली पर्त पर rubbing alcohol का अच्छे से स्प्रे करना है. यही rubbing alcohol इन पर्तों को जोडने का भी काम करेगा वर्ना कटिंग के समय सारी पर्ते अलग अलग हाथ में आ जायेंगी. सफ़ेद की पर्त मोल्ड में डालकर फ़िर rubbing alcohol का स्प्रे करके झाग खत्म कर दिये.

3. अब तीसरी पर्त के लिये यहां (goat milk soap base+purpal soap color+olive oil+black berry essential oil) को मेल्ट करके ऊपर बताये गये अनुसार rubbing alcohol का यूज करते हुये मोल्ड में डाल दिया.

4. अब इसमें आपको आखिरी हरी पर्त दिख रही होगी. इसमे ग्लिसरीन सोप बेस में हरा सोप कलर मिलाकर मेल्ट करके डाल दिया. और इस मोल्ड को रात भर छोड दिया. वैसे यह चार पांच घंटे में ही तैयार हो जाता है.

इसके बाद इसको चाकू से बराबर निशान लगाते हुये काट लिया. तो जो तैयार हुआ वो नीचे देखिये.



अब देखिये कितना सुंदर और एक रिच साबुन हमारे हाथ में आ गया. आज हमने कुछ और बनाये हैं जिनकी तस्वीर नीचे दे रहे हैं. 


यह नीम की प्राकृतिक पत्तियों से बना है.


यह ओटमिल से बना है.


यह कुछ अलग अलग डिजाईन में बने हैं.


यह पिस्ता सोप है.


यह बच्चों के लिये फ़न बाल सोप

coffe soap for exfoliation purpose

super rich girl soap with sweet almond oil


तो, आज की कार्यशाला खत्म, कुछ पूछना हो तो कमेंट में पूछ सकते हैं. आपको बताकर ताऊ को प्रसन्नता  होगी. यदि जुगाड जमा तो विडियो भी बनायेंगे. शेष अगली पोस्ट में.

  
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कोरोना काल और 1965 भारत पाक युद्ध का समय

मेरी इस बात को वो लोग ज्यादा अच्छी तरह समझ पाएंगे जो हमारे जैसे सख्त लोक डाऊन एरियाज में रह रहे हैं।

आज आटा समाप्त हो गया, 3 दिन पहले ही आर्डर लिखवाया था पर अभी तक नहीं आया, शायद शाम तक आ जायेगा। हमारे यहां आटा, दाल, चावल की सप्लाई प्रशासन करवा रहा है बस थोड़ी देर सवेर होती है जो स्थितियों को देखते हुए खराब नहीं कही जा सकती।

आज के हालात में अनायास ही 1965 कि याद आगई जब एक तरफ भारत पाकिस्तान युद्ध का बिगुल बजा हुआ था और दूसरी तरफ महा अकाल पड़ा था।

अमेरिका से PL480 के तहत गेंहू आता था जिसे गेंहूँ कहना भी गेंहूँ का अपमान ही माना जाना चाहिए। रंग ऐसा लाल की रोटी का रंग भी गहरा लाल ही होता था। आटे को लगाकर उसकी लोई को खींचो तो च्युंगम भी शरमा जाए। रोटी तोड़कर मुंह में डालकर चबाओ तो मुंह में ही घूमती रहे। और यह गेंहूँ भी गांव से 10 किलोमीटर दूर से सर पर रख कर लाना पड़ता था।

अभी भी याद है कि हमारे दिवंगत प्रधान मन्त्री स्व. लाल बहादुर शास्त्रीजी ने अनाज बचाने के लिए सभी को एक उपवास रखने की अपील की थी। ज्यादातर लोग सोमवार का उपवास रखते थे पर हम ठहरे ताऊ सो हमने मंगलवार को बजरंग बली का उपवास रखना शुरू कर दिया। हालांकि दस ग्यारह साल के बच्चे थे पर सभी में जज्बा था।

आज भी कोरोना काल में खासकर रेड जोन में रहने वालों से निवेदन है, जहां अभी नार्मल सप्लाई नहीं है, उन सभी से निवेदन है कि अपनी आवश्यकताएं कम करें, यहां आपके पैसे की कोई पूछ नही है वह जेब में ही रखा रह जायेगा। घर में जो भी उपलब्ध है उसी से काम चलाएं और घर में ही बने रहें। यह अंधकार भी छंट जाएगा।

हमारे यहां दूध की कोई दिक्कत नहीं है सो आज ब्रेकफास्ट में दही की लस्सी पी ली। और डिनर में आज खीर बनाकर खाई जाएगी। व्रत भी होगया और खीर भी शाम को मिल ही जाएगी।

दोस्तों, दुख और सुख दोनों अस्थाई हैं, यह तकलीफ का समय है ये भी बीत ही जायेगा। वैसे जिनके घर में छोटे बच्चे हैं उनकी तकलीफ समझी जा सकती है। पर याद रखिये यह तकलीफ 1965 से ज्यादा बड़ी नहीं है। जिन्होंने भी PL480 का गेंहूँ खाया है उनको तो यह पीड़ा कुछ भी नहीं लग रही होगी, थोड़ी बहुत तकलीफ बर्गर पिज़्ज़ा वाली पीढ़ी को अवश्य महसूस हो रही होगी।

घर में रहें, शांत रहे, घर में आपस में सर ना भिड़ाये। फेसबुक व ब्लाग पर भी हंसी मजाक को प्रमुखता दें, स्वस्थ चुहलबाजी आधी तकलीफ कम कर देती है।

प्रेम से रहेंगे तो आनन्द पूर्वक समय निकल जायेगा और सर टकराएंगे तो समय निकलना मुश्किल होगा। मर्जी आपकी, ताऊ का काम आपसे निवेदन करने का था सो कर दिया।

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बाबाश्री ताऊ महाराज द्वारा "क रोना" का शर्तिया ग्यारंटेड ईलाज

भक्तजनो, ह्में मालूम है कि कोरोना काल में आपके कष्ट बहुत बढे हुये हैं. और बाबाश्री तो सदैव से आपके कष्टों का शमन करते आये हैं. इन दिनों काफ़ी भक्तों के समाचार आ रहे हैं कि वो कष्ट में हैं. आपमें से कई "क रोना" से पीडित हैं. कुछ भक्त पत्नियों से पीडित हैं मार खा खा कर मोटू पतलू वाले पतलू जैसी हालात में पहुंच गये हैं.


                                                    मोबाईल पर "क रोना" झाडा देते बाबाश्री

कुछ पति भी पत्नियों पर अत्याचार कर रहे हैं जिसकी वजह से पुलिस भी परेशान है. अब पुलिस लोक डाऊन को मैनेज करे या इन खूसट पतियों की खबर ले? चारों तरफ़ हालत बहुत ही नाजुक और दयनीय हैं.

आपको इन कष्टों से छुटकारा दिलाने के लिये बाबाश्री ताऊ महाराज ने अचूक उपाय खोज निकाले हैं. और कोरोना के लोक डाऊन को देखते हुये आपको बाबाश्री के पास आने की आवश्यकता भी नहीं है बल्कि मोबाईल पर ही आपका ग्यारंटेड इलाज उपलब्ध करवा दिया जायेगा.


इस ईलाज की न्यौछावर फ़ीस बहुत ही मामूली रखी है. आप यह न्यौछावर फ़ीस आन-लाईन "बाबाश्री ताऊ महाराज 420 अपर्माथिक ट्रस्ट"  के अकाऊंट में ट्रांसफ़र करवाये और मिस समीरा टेडी  (Finance Controller) से फ़ोन पर अपाईंटमैंट लेकर फ़ोन करें. आपको ईलाज उपलब्ध करवा दिया जायेगा.

            मर्ज का नाम                                               न्यौछावर फ़ीस
1.   "करो ना" झाडा                                                     रूपये 21,001/  मात्र           

2.  "करो ना" ऊपरी फ़ेंट बचाव                                      रूपये 17,501/   मात्र       

3. "करो ना" आपसी गृह क्लेश                                     रूपये 25,001/= मात्र

4. "करो ना" पतिकूट यंत्र                                              रूपये 27,501/  मात्र                  

5. "क रोना" पत्नी पीडा बचाव यंत्र                              रूपये 31,001/  मात्र

6. "क रोना" घर में मन लगाऊ झाडा                              रूपये 16,501/  मात्र  

7. " क रोना" समस्त असाध्य बाधा पीडा यंत्र                 रूपये 38,501/  मात्र

हमारे सभी ईलाज जांचे हुये और शर्तिया ग्यारंटेड हैं. ईलाज करवाने वाले की जानकारी गुप्त रखी जाती है. ईलाज किसी कारणवश फ़ेल होने की स्थिति में आपका जमा रूपया वापस नहीं करने की हमारी पक्की ग्यारंटी रहेगी.


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अरै सत्यानाशी कोरोना तू ताऊ के घर क्यूंकर आया?

जैसे ही कोरोना के चलते मोदीजी ने लोक डाऊन की घोषणा की, ताऊ की बांछे खिल गई। अब 3 सप्ताह का पूरा आराम, ना जल्दी उठना, ना आफिस जाना और ना ही घर का कोई सामान लेने बाजार जाना... वाह, यह आराम तो पृथ्वी पर शायद वर्तमान काल के मनुष्यों के अलावा किसी ने ही भोगा होगा अब तक। 

ताऊ का दिल बाग बाग हो रहा था तभी ताई की आवाज आई - सुणै सै के?
ताई बोली - ईब कल तैं झाड़ू पौंछे वाली, रोटी बनाने वाली कोई नही आएगी। 
ताऊ बोला - चिंता क्यों करती हो, हम मिल जुलकर घर का सब काम कर लेंगे।



ताई बोली - मुझे मालूम है तुम कितने भले हो। हम अपने अपने काम का बंटवारा कर लेते है। 
ताऊ बोला यह भी ठीक है। बताओ मुझे क्या क्या करना है?

ताई बोली - सुबह उठते ही चाय बनाने का काम तुम्हारा और पीने का काम मेरा। फिर  मंजन ब्रश करके योगा करने का काम मेरा तब तक झाड़ू बुहारी और पौंछा करने का काम तुम्हारा।

ताई काम का यह सब बंटवारा लठ्ठ पास में रखकर ही कर रही थी सो ताऊ चुपचाप हाँ में गर्दन हिलाते हुए बोला - ठीक है और कुछ?

ताई बोली - अभी तो सारे दिन के काम बाकी पड़े हैं...इसके बाद बाथरूम में नहाने का काम मेरा, फिर बाथरूम साफ करने और लत्ते (कपड़े) धोने का काम तुम्हारा।

नहा धोकर भगवान की दिया बत्ती करने का काम मेरा  तब तक रोटी सब्जी बनाने का काम तुम्हारा. 
इसके बाद खाना टेबल पर लगाने का काम तुम्हारा और खाने का काम मेरा.
खाना खाने के बाद आराम करने का काम मेरा तब तक झूंठे बर्तन भांडे साफ़ करने का काम तुम्हारा.

अब तक ताऊ समझ गया था कि मन गया उसका तो लोक डाऊन......

ताई गंगाराम (लठ्ठ) पर हाथ फ़िराते हुये बोली - दोपहर में टीवी देखने और आराम का काम मेरा और तब तक घर के गार्डन की सफ़ाई का काम तुम्हारा. फ़िर शाम को चाय नाश्ता बनाने का काम तुम्हारा और नाश्ता करने और चाय पीने का काम मेरा. इसी तरह रात को खाना बनाने का काम तुम्हारा और खाने का काम मेरा.

ताऊ का सारा उत्साह काफ़ूर हो चुका था. मन ही मन बोला - अरे मोदी जी....ये लोक डाऊन से तो अच्छा था कि ताऊ की घेट्टी (गला) ही दबा देता. इतने काम करके तो वैसे ही कोरोना हो जायेगा.

ताऊ सर पकड कर ताई के पास बैठने लगा तो ताई ने लठ्ठ फ़टकारते हुये कहा - "परै नै मर ले"   (दूर होकर बैठ)....पता नहीं है क्या? मोदीजी ने कहा है कि कम से कम दो मीटर दूर होकर बैठना है...

ताऊ बोला - हो गया सब काम का बंटवारा या कुछ बाकी रह गया? 
ताई लठ्ठ उठाते हुये बोली - ज्यादा बकबास मत कर, यह तो शुकर मना कि तुम्हारे हिस्से मैंने सब सीधे सरल काम ही रखे हैं. अब एक रात का काम बाकी बचा है,  रात को लेटकर टीवी देखने का काम मेरा और मेरे सोने तक पांव दबाने का काम तुम्हारा.

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