परिचयनामा : श्री अभिषेक ओझा

आईये आज हम आपका परिचय करवाते हैं एक ऐसे नौजवान से, जो बलिया के एक छोटे से गांव से ताल्लुक रखता है. जो जीवन के हर फ़ील्ड मे बडी शिद्दत के साथ दखल रखता है. चाहे वो योग हो..गणित हो या बैंकिंग हो? बात करने मे खुशमिजाज….बाल सुलभ हंसी..और एक गरिमामय गंभीरता का मिश्रण. इस छोटे से गांव के नौजवान के कंधों पर दुनिया के विशालतम माने जाने वाले एक स्विस बैंक के रिस्क प्रबंधन का जिम्मा है. सारी दुनियां जिसने नाप डाली है. और अभी चार रोज पहले ही यह साक्षात्कार जब हमे फ़ायनल करना था तब इन महोदय को हमने पकडा न्युयार्क में. तो आईये आज आपको मिलवाते हैं श्री अभिषेक ओझा से.

Hair Style a few days back
श्री अभिषेक ओझा


ताऊ : अभिषेक, आप कहां से हैं?

अभिषेक - पैदा बलिया के एक छोटे ठेठ देहाती गाँव में हुआ. फिर छठी कक्षा तक बचपन वही गुजरा उसके बाद रांची से कानपुर.

ताऊ – पिताजी क्या करते हैं?

अभिषेक : पिताजी शिक्षक हैं

ताऊ – कुछ अपने और अपनी पढाई लिखाई के बारे में बताईये.

अभिषेक - अपने बारे में क्या बताऊ ताऊ, करोडो भारतियों में मैं भी एक सीधा सादा इंसान हूँ. और बचपन से ही पढने में तथाकथित तेज घोषित कर दिया गया और फिर ये बने रहने की लत ऐसी लगी की पढाई-लिखाई से नाता जुड़ गया.

ताऊ – हमने सुना है आप पढने मे बहुत तेज थे?

अभिषेक – हां ताऊजी, जब होश आया तब पीछे मुड़ना संभव नहीं था. ये पढने लिखने की बीमारी घर कर चुकी थी.

IIT Days
IIT के सुनहरे दिन


ताऊ – आजकल क्या कर रहे हैं?

अभिषेक - आजकल पुणे में हूँ. कानपुर की पांच साल की पढाई में दो साल इंजीनियरिंग और बाकी तीन साल गणित के साथ-साथ सांख्यिकी. थोडा बहुत कंप्यूटर साइंस और ढेर सारा वित्त और अर्थशास्त्र पढ़ा. और अब इसी इंटरडिसिप्लिनरी पंचवर्षीय योजना के निवेश का रिटर्न कुछ और दैनिक निवेश के साथ एक इनवेस्टमेंट बैंक से ले रहा हूँ.

ताऊ : बैंक मे क्या करते हैं? और आगे भी पढाई लिखाई चालू है या बंद करदी?

अभिषेक – ( हंसते हुये…) हाल ही में खतरा मेनेजर बना हूं. और अभी दो और पढाईयों में नाम लिखा रखा है. मैंने कहा न ये पढने लिखने की बहुत बुरी लत है.

in hong kong office
श्री अभिषेक हांगकांग आफ़िस मे


ताऊ – हमने सुना है आपने अध्यापन भी शुरु कर दिया है?

अभिषेक – हां ताऊजी, हाल ही में पुणे के एक प्रतिष्ठित संस्थान में विजिटिंग फैकल्टी नियुक्त हुआ हूँ. बस यूँ समझ लिजिये कि एमबीए के हमउम्र लड़के-'लड़कियों' को पढाना है.

ताऊ : अपने जीवन की कोई अविस्मरणीय घटना बतायेंगे?

अभिषेक - एक हो तो बताऊँ ताऊ, अब आपके जितने किस्से तो नहीं पर कई घटनाएं हैं जो अविस्मरनीय हैं. पर कुछ बातें भुलाए नहीं भूलती.

ताऊ – जैसे ?

अभिषेक - जैसे पहली बार जब माँ से अलग रहना पड़ा था, जब स्कूल में प्रिंसिपल ने पकडा था, भाई का उस कच्ची उम्र का भ्रातृप्रेम जिसने संकट में भी साथ नहीं छोडा, दोस्त से कम अंक लाने का अनुरोध, जब फिरंगी लड़की ने हमारी हिंदी समझ ली, वो हमउम्र तथा बड़ों से दोस्ती जिसकी कोई मिसाल नहीं, वो प्रोफेसर साहब का दुबारा अपने घर पर रहने के लिए बुलाना, वो 'लडकियां' जिन्होंने प्रोपोज किया, प्रोफेसर साहब ने जिस दिन अपनी बेटी का रिश्ता दिया, अनेकों हैं... इनमें से कई तो बकलमखुद में आ चुकी हैं.

ताऊ : अच्छा अभिषेक एक बात सच सच बतलाना वो ओरकुट वाली लडकी का क्या वाकया था?

अभिषेक - ताऊजी, हाल फिलहाल में कुछ यूँ हुआ कि एक लड़की ने हमें ऑरकुट पर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजा फिर चैट. पहले तो मुझे लगा कि कोई दोस्त है जो लड़की बन कर मस्ती कर रहा है तो हम भी संभल के टाइम पास ही कर रहे थे.

ताऊ : हां ऐसी मस्ती तो आजकल आम है. बल्कि पुराने बडे बडे साहित्यकार भी एक दूसरे को महिला प्रशंसक बन कर पत्र लिख कर मजे लिया करते थे. पर मैने तो सुना है कि वो सही मे ही लडकी थी?

अभिषेक : हां ताऊजी, ऐसी मस्ती कि घटनाएं तो आम है और हमारी दोस्त मंडली में तो कई ऐसे किस्से हैं. लेकिन एक दिन लगा कि मामला कुछ गड़बड़ है. हुआ यूँ कि मैंने कह दिया कि देखो मैं तो समझता हूँ कि तुम लड़के हो !

ताऊ : अच्छा..फ़िर क्या हुआ?

अभिषेक : तो फ़ौरन उनका कॉल आ गया 'अब बताओ मेरी आवाज सुन के भी तुम्हे शक है क्या?'. हमने कहा - चलो भाई ! मान लिया. अब शक की कोई गुंजाइश नहीं बची.

ताऊ : तो फ़िर आगे क्या हुआ?

अभिषेक : आगे ऐसा हुआ कि यूँ तो हम वीकएंड पर भी व्यस्त रहते हैं पर कुछ वीकएंड खाली भी मिल गए और फिल्म देखना ही होता था तो उनके पसंद की ही देख ली जाती. रूम पार्टनरों की बाईक थी और बहुत दिनों से बाईक नहीं चलाई थी तो उसकी भी प्रैक्टिस होने लगी. और कुछ हो न हो बाईक तो पहले से अच्छी चलाने आ ही गयी.

ताऊ : यानि बात आगे बढने लगी?

अभिषेक - पर मामला ज्यादा दिन चला नहीं और गंभीर हो गया जब हमें पता चला की उन्हें हमसे प्यार हो गया है, कुल ३ हप्ते की दोस्ती !. उन्होंने बाकायदा कैंडल लाईट डिनर करा के प्रोपोज कर दिया... खैर कम से कम ये किस्सा फोन वाले किस्से से तो ठीक था इन्होने तो हमें देखा था, बात भी की थी.

ताऊ : तो इसमे गडबड कहां हो गई? गाडी शुरु होते ही ब्रेक क्युं लग गये?

अभिषेक : ताऊजी ब्रेक इस लिये लग गये कि आखिर... हमारी भी तो कुछ पसंद होनी चाहिए?.

ताऊ : फ़िर आगे क्या हुआ?

अभिषेक : उनको समझाया बुझाया गया. लेकिन एक बात बता दूं ताऊ ऐसे मामलों में समझाना संभवतः संसार का सबसे कठिन काम होता है. दिल के मामले में दिमाग से लोग काम लेने लगें तो फिर बातें थोडी सहज हो.

ताऊ - हमने तो यह भी सुना है कि आपके पास दिल नाम की कोई चीज ही नही है?

अभिषेक - हां ताऊजी, लोग तो कहते हैं कि हमारे पास दिल ही नहीं है ! अब दिमाग है या नहीं ये तो नहीं पता लेकिन मेरे पास दिल होने पे लोगों को डाउट हो चला है. खैर ताऊ एक बात आपको बताना चाहुंगा.

ताऊ : जरुर बताईये, आखिर हम आये किस लिये हैं इतनी दूर?

अभिषेक : ताऊजी, ध्यान देने की बात ये है की भगवान् ने आदमी को दिमाग दिल से ऊपर क्यों दिया? अब वरीयता तो दिमाग को ही मिलनी चाहिए न? खैर अपने केस में तो दिल डोला ही नहीं था. और सामने वाले का दिल इतना डोल गया कि दिमाग चलने का नाम नहीं ले रहा था. किसी तरह कोशिश करके समझाया गया.

ताऊ : क्या अभी भी उनसे बात होती है?

अभिषेक - अभी भी बात होती है. लेकिन कम !



ताऊ : आपके शौक क्या क्या हैं? कुछ बताईये.

अभिषेक - बस थोड़े बहुत किताबें, फिल्में, लैपटॉप पर खिटिर-पिटिर, घूमना-फिरना, तैरना, खाना बनाना, डिग्रियां बटोरना और थोडी बहुत ब्लॉग्गिंग .

ताऊ : आपको सख्त ना पसंद क्या है?

अभिषेक - सख्त नापसंद तो कुछ भी नहीं है ताऊ, कुछ चीजें अच्छी नहीं लगती जैसे 'रिश्तों में राजनीति' और वो लोग जो अपने पद के के चलते इंसान को भूल जाते हैं.

ताऊ – और?

अभिषेक - ज्यादा 'हीरो' बनने वाले लोग भी नापसंद हैं. और हाँ मूढ़ जो अपनी बात के आगे कुछ नहीं सुनते. ये चीजें नापसंद तो हैं पर ऐसे लोगों से घृणा नहीं करता पर उनके लिए दयाभाव रखता हूँ.

ताऊ – अब आपकी पसंद क्या है? इस बारे में भी बताईये.

अभिषेक - पसंद तो बहुत कुछ है ताऊ. मैं अपने आप को बहुत पसंद करता हूँ (हंसते हुये…) और उसके अलावा 'दुनिया की सबसे अच्छी माँ' और दोस्तों के साथ वक्त बिताना. पढना, पढाना, कहानी सुनाना, चर्चाएं करना, फंडे देना. धर्म, गणित, इतिहास, राजनीति, अर्थशास्त्र, दर्शन से जुडी बातें. कुछ बचा क्या ? जो बचा वो सब भी बस बात करने वाला चाहिए.


ताऊ : आप हमारे पाठको से कुछ कहना चाहेंगे?

अभिषेक - देखो ताऊ मैं क्या बताऊँ ? अभी तो मैं सीख रहा हूँ. लेकिन एक बात जो मुझे सही लगती है वो कहना चाहूँगा.

ताऊ – जी बताईये. हम वही तो सुनना चाह रहे हैं.

अभिषेक – ताऊजी, इंटेलिजेंट, धनी और मशहूर होना ये सब अच्छी बातें है पर कई बार शायद लाख कोशिश करके भी संभव नहीं. और अच्छा इंसान होना ऐसी बात है जो कोई भी कोशिश करे तो बन सकता है.

ताऊ – जरा अपनी बात को स्पष्ट करिये.

अभिषेक – ताऊजी देखिये, बस हमेशा अपनी गलतियों को सुधारना है और अपने आपको बदलने के लिए तैयार रखना है. चाहे कोई भी बात किसी ने कही हो अगर वो समय के साथ सही नहीं है तो हमें उससे ऊपर उठ कर सोचने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए.

ताऊ – हां यह तो ठीक है.

अभिषेक - हम लाख कोशिश करें तो भी शायद आइंस्टाइन या रामानुजन नहीं बन सकते लेकिन गांधी बन सकते हैं, जिन्हें आइंस्टाइन ने भी सराहा. तो क्यों न हम अपने आप को और अपने बच्चो को एक अच्छा इंसान बनाने की कोशिश करें... वो करें जो कर पाना संभव है ! क्यों हम उन्हें एक अच्छा इंसान भी नहीं बनने दे रहे !

ताऊ – अच्छा अब आप यह बताईये कि आप बहुत मेधावी छात्र रहे हैं तो स्कूल मे तो आप सबके प्रिय रहे होंगे? इसके बावजूद कभी कुछ गडबड भी हुई क्या?

अभिषेक – एक नही अनेकों गडबड हुई हैं ताऊजी, स्कूल में बातें करने के लिए खूब पकडा जाता. और एक बार प्रिंसिपल ने इसलिए पकड़ लिया क्योंकि मैं ३ घंटे की परीक्षा १५ मिनट में ख़त्म करके जा रहा था.

ताऊ – वो कैसे?

अभिषेक - अब क्या करता बचपन का जोश और निरीक्षक थे कि उन्होंने परीक्षा शुरू होते ही कहना चालु कर दिया इस कमरे में तो कोई तेज लड़का ही नहीं है. बगल की क्लास में से तो बच्चे जाने भी लगे. अब ये मैं कैसे सहन करता ?

ताऊ – हमने सुना है एक बार किसी हिरोईन के चक्कर मे भी पकडे गये थे?

अभिषेक – ( हंसते हुये…) हां वो..असल में एक और बार पकडा गया जब एक नोट बुक पर बनी ममता कुलकर्णी की 'अच्छी' फोटो एक दोस्त को दिखा रहा था.

Sleeping in library
लायब्रेरी मे सोने का आनंद लेते हुये


ताऊ – हमने ये भी सुना है कि आप क्लास मे सोने मे भी बडे माहिर थे?

अभिषेक – हां कॉलेज में सोने में माहिर हो गया. हर मुद्रा और हर क्लास में सोया क्या मजाल की कोई पकड़ ले ! पूरी पुस्तिका में डेट और एक शब्द के अलावा कुछ नहीं होता. बस डेट से पता चल जाता की कौन कौन से लेक्चर हुए हैं और किसी और से फोटो कॉपी कराइ जाती.

ताऊ – पर हमने तो सुना है कि आप एक बार पकडे भी गये थे?

अभिषेक – हां ताऊजी, बस अनुभव एक बार निकल गया जब भरी क्लास में प्रोफेसर साहब ने बोला 'व्हाई आर यू स्लीपिंग इन क्लास? व्हेयर वेयर यू लास्ट नाईट?'

ताऊ – फ़िर?

अभिषेक – फ़िर क्या ताऊजी… मैंने उठ कर कहा 'सॉरी सर, आई वाज वर्किंग लेट ऑन अ प्रोजेक्ट !' पूरी क्लास हंसने लगी और जब प्रोफेसर साहब ने कहा 'ओह ! सो यू वेयर आल्सो स्लीपिंग !' तब बात समझ में आई की मुझे तो कोई पकडा ही नहीं था पर मैं खुद ही खडा हो गया था. कांफिडेंस (हंसते हुये…)

ताऊ – हमने सुना है इसके अलावा और भी बहुत मस्ती की है आपने?

अभिषेक – हां ताऊजी, इसके अलावा फाइनल इयर में जो मस्ती की वो इस जन्म नहीं भूलने वाला. रात रात भर फिल्में, सुबह गंगा किनारे, दिन भर सोना, खूब घूमना और फिर बिंदास नंबर और झकास नौकरी भी मिल गयी.

ताऊ – कुछ आपके गांव के बारे मे बताईये?

अभिषेक – ताऊजी, बलिया में एक गाँव है बस २०-२५ घरों का. बड़ी निराली सोच के लोग होते हैं... ज्ञान भैया की भाषा में अकार्यकुशलता पर प्रीमियम चाहने वाले लोग. दसवी के बाद पढाई लिखाई पर कम ही भरोसा रखते हैं... गरीब इलाका है और लोग सरकार को गाली देने और थोडी बहुत खेती के अलावा संतोष करने में विश्वास रखते हैं. बलिया अब महर्षि भृगु से ज्यादा चंद्रशेखर के नाम से जाना जाता है.

ताऊ : आपका संयुक्त परिवार है, कैसा लगता है आपको आज भी संयुक्त परिवार मे रहकर? जबकि आज सबकुछ न्युक्लियर होगया है?

अभिषेक - जी हाँ और मुझे तो बस फायदे ही फायदे दीखते हैं, मुझे तो बस इतना प्यार मिलता है कि क्या बताऊँ ! जैसे ब्लाग जगत में रामप्यारी को. अब भतीजे भातिजोयों का भी फेवरेट हूँ. जिंदगी बस यही तो है ताऊ. ये रिश्ते ! वो लोग जो आपको इतना चाहते हैं जिन्हें शब्दों में बयां करना संभव नहीं. मेरे लिए तो यही जिंदगी है ताऊ.

in sikkim
श्री अभिषेक सिक्किम में


ताऊ : इंगलिश ब्लागिंग बनाम हिंदी ब्लागिंग? क्या कहेंगे?

अभिषेक – बिल्कुल साफ़ और चकाचक. ! अंग्रेजी को तो सेलेब्रिटी और बड्डे बड्डे लोगों ने भर रखा है जी. वहां आत्मीयता नहीं है.

ताऊ – और हिंदी ब्लागिंग?

अभिषेक - अपनी हिंदी ब्लॉग्गिंग ज्यादा प्रेम पर आधारित है. संयुक्त परिवार कि तरह है ये. एकल परिवार भले बढ़ते दिख जाएँ लेकिन वो मजा कहाँ जो संयुक्त परिवार में है ! एक विशालकाय संयुक्त परिवार है यार... भाई, ताऊ, दादा, दादी डॉक्टर, वकील, इंजीनियर बड़ा संपन्न और खुशहाल है जी !

ताऊ - आप कब से ब्लागिंग मे हैं? आपके अनुभव बताईये? आपका ब्लागिंग मे आना कैसे हुआ?

अभिषेक – जी मैं २००७ से हूँ इधर, उन मस्ती वाले दिनों से, जब सब कुछ करते हुए भी फुर्सत हुआ करती थी.

ताऊ – बलागिंग करना कैसे शुरु हुआ?

अभिषेक - अपनी आदत है एक... लोगों के बारे में ढूंढ़ कर पढना. इसी सिलसिले में एक सीनियर जया झा के बारे में सर्च किया तो पहुच गया उनके हिंदी ब्लॉग पर. अब अंग्रेजी ब्लॉग तो बहुत देखे थे हिंदी देख मन ललच गया.

ताऊ – और आप शुरु होगये?

अभिषेक – जी, तरीके ढूंढे तो हनुमान जी का प्रसाद तख्ती मिला... फिर बड़ी मेहनत से एक श्लोक टाइप कर बाकी अंग्रेजी में पहली पोस्ट की गयी. ५-७ पोस्ट के बाद लगा की छोड़ दिया जाय... 'मोको कहाँ सीकरी सो काम ' टिपण्णी का खाता नहीं खुल पाया था.

ताऊ – ओह…फ़िर?

अभिषेक - फिर गूगल की मदद से नारद का पता चला, उससे जुड़ते है फुरसतिया शुकुल जी महाराज की जीवनदायनी टिपण्णी के साथ, और भी कुछ दिग्गजों की टिपण्णी आई. चिट्ठी वाली पोस्ट पहली बार चिटठा चर्चा में आई और बस तब से हम इधर ही जम गए.

ताऊ - आपका लेखन आप किस दिशा मे पाते हैं?

अभिषेक - लेखन? हम ब्लोग्गर हैं जी, लेखक होने का आरोप हम पर ना लगाया जाय (हंसते हुये..) वैसे कविता और गजल अपने बस की नहीं !

ताऊ - राजनिती मे आप कितनी रुची रखते हैं?

अभिषेक - हाँ जी, रखते तो हैं. पर भरोसा उठता जा रहा है. हम तुलसी बाबा के फैन हैं जी और हमें तो सूराज ही नहीं दिख रहा 'अर्क जबास पात बिनु भयऊ, जस सुराज खल उद्यम गयऊ' ! राजनीति में जो अच्छे लोग हैं उन्हें जनता वोट ही नहीं देती. अब पुणे में ही अरुण भाटिया (http://www.arunbhatiaelect.com/) को कितने वोट मिले?

ताऊ - कुछ अपने स्वभाव के बारे मे अपने मुंह से ही कुछ बताईये?

अभिषेक – ताऊजी, इस प्रश्न का उत्तर देना मुश्किल है आप कहें तो कुछ जानने वालों का नंबर दूं उनसे आप खुद ही पूछ लें. ये तो हमारे दुश्मन ही बता सकते हैं और अभी तक तो कोई नहीं है (हंसते हुये…) जो हैं दोस्त ही हैं.

in America
श्री अभिषेक अमेरिका में


ताऊ – नही, हम आपके मुंह से ही सुनना चाहेंगे?

अभिषेक – ताऊजी, कभी किसी से झगडा हुआ हो. ऐसा याद नहीं. दूसरो को माफ़ करने में और खुद छोटी मोटी बातें सहन करने में भरोसा रखता हूँ. कोई बुरा लगे तो बस इतना सोचता हूँ की अगर मैं भी वैसा ही करुँ तो फिर मेरे और उसमें फर्क ही क्या?

ताऊ – वाह ! बहुत ऊंचे खयालात हैं आपके?

अभिषेक – हां ताऊजी, बाकी लोग तो यही कहते हैं लड़का नहीं हीरा है (हंसते हुये..) बस ताऊ मैं जहाँ जाता हूँ वहीँ घुल मिल जाता हूँ. अपनी नजर में तो बहुत फ्लेक्सिबल इंसान हूँ बाकी तो और लोग ही बता सकते हैं. बाकी आप भी कुछ बताओ हमारे बारे में.

ताऊ – हां बिल्कुल बतायेंगे आपके बारे में. पर पहले हम खुद तो आपको पूरा जानले? इसी कडी मे आपकी अर्धांगिनी के बारे में भी कुछ बता दिजिये? या अभी अकेलेराम ही हैं?

अभिषेक – अरे ताऊजी, आपने बिल्कुल सही ताड लिया. कुछ ताउगिरी लगा के एक अच्छी सी दिला दो तब तो बताऊं उसके बारे में? अब तो आपने भी देख लिया कि लड़का कैसा है? हा हा !

ताऊमतलब आप अभी भी लाईन मे ही लगे है.

अभिषेक - हां ताऊजी, असल में हमें थोडा घर वालों पर ज्यादा भरोसा है मतलब कि अरेंज मैरेज. वैसे घर वालों नेछूट दे रखी है जो पसंद हो बता देना. और हम घर वालों पर छोड़ रखे हैं !

ताऊ - तो फ़िर लड्डू कब तक खिला रहे हैं?

अभिषेक - अभी तो भईया का नंबर है और उसके बाद मामला ऊपर वाले की मर्जी पर है.

ताऊ : और कोई बात जो आप कहना चाह्ते हों?

अभिषेक – ताऊजी, मैंने तो सोच रखा था कि बड़ी सी स्पीच दूंगा ताऊ पहेली जीतने पर. प्रथम तो अब भी नहीं आ पाया और मेरिट लिस्ट में इतना नीचे तो कभी नहीं रहा. फिर भी बहुत ख़ुशी है ! बाकी स्पीच प्रथम आने पर :)

ताऊ – ताऊ के बारे में आप क्या सोचते हैं?

अभिषेक – मेरी नजर में एक अनुभवी इंसान. जिसने दुनिया और जीवन को बड़े करीब से देखा है. जिसकी बातों के आगे बड़े-बड़े संत फेल हैं.

ताऊ – वो कैसे भाई?

अभिषेक - जो इंसान एक साथ मग्गा बाबा, सैम, बीनू फिरंगी, शेर सिंह, हिरामन और रामप्यारी जैसे चरित्रों का संगम है उसके बारे में कुछ कहने की जरुरत है क्या?

श्री अभिषेक स्विटरजरलैंड में.


ताऊ – अक्सर लोग पूछते हैं ताऊ कौन ? आप क्या कहना चाहेंगे?

अभिषेक - ताऊ गोपनीय रहे तो ही अच्छा है. चोरी छुपे हम भी क्लेम कर लिया करेंगे की हम ही ताऊ हैं (हंसते हुये…)

ताऊ : आज खुद ताऊ द्बारा साक्षात्कार लिए जाने पर कैसा महसूस कर रहे हैं?

अभिषेक – ताऊजी, अपने जीवन की एक ट्रेजडी है. वो क्या है की बचपन से इच्छा थी की अखबार में फोटू छपे. और जब अखबार वाला ढूंढ़ते हुए आया तो हम गाँव जाकर गर्मी की छुट्टियों में आम खा रहे थे (हंसते हुये…)

ताऊ – जी..

अभिषेक - अब देखिये, ताऊ की पहली के बारे में सोचे बैठे थे कभी तो जीतेंगे, क्या हुआ अगर आठ बजे मैं उठ नहीं पाता ! और जैसे ही समीरजी मैदान से बाहर निकले हमारा चांस पक्का हो गया. पर क्या करें फर्स्ट नहीं आने का मलाल जीवन में बस एक ताऊ के दर पे ही देखने को मिला.

ताऊ – जी..

अभिषेक - और इस बार भी विजेता नहीं हो पाया. वर्ना तो सोचा था की लम्बा चौडा स्पीच दूंगा की ताऊ की पहेली जीतने के लिए क्या करें ! कितनी जगहें घुमनी पड़ेगी और कितने घंटे सर्फिंग करनी पड़ेगी. पूरी लिस्ट बना रखी थी किसको किस-किसको धन्यवाद कहना है (हंसते हुये…)

ताऊ - बरसात में अगर छप्पर फट जाए तो?

अभिषेक - देखो ताऊ बात ऐसी है कि मैं किसी को कहता हूँ कि मेरी गर्ल फ्रेंड नहीं है तो कोई मानता ही नहीं ! अब आप ही समझाओ इन सब को... पर वो क्या है न कि ब्लॉग जगत तो परिवार है और यहाँ की दुआएं सीधे असर करती हैं. और हमारी इस ट्रेजडी पर जब अनुरागजी दिल से दुआ दे दें तो पूरा तो होना ही था.

ताऊ – जी बिल्कुल.

अभिषेक - और जब ऊपर वाला देता है तो वो तो छप्पर फाड़ के ही. और अब आप ही बताओ मानसून में छप्पर फाड़ के दे तो क्या होगा?

ताऊ – जी बिल्कुल विरोधाभास होगया.

अभिषेक – तो आपने भी मान लिया ना कि विरोधाभास हो गया... पहले कहता था... यार पुणे में इतनी लडकियां हैं और हम है की बरसात में भी हम पर एक छींटा भी नहीं पड़ता. और अब ये हाल है कि बरसाती के साथ-साथ छाता भी लगाना पड़ता है.

ताऊ – मतलब ये कि कि प्रपोजल जोर शोर से आरहे हैं?

अभिषेक – जी, पता नहीं कब कौन प्रोपोज कर दे. अब कितनो का दिल तोडा जाय. अब ट्रेजडी ये है कि मुझे भी तो पसंद आना चाहिए न ! खैर अब भावनाओं कि इज्जत करता हूँ तो इस बारे में और चर्चा नहीं करे तो अच्छा है, आपका ब्लॉग तो सभी पढ़ते हैं मेरा नाम सर्च करते हुए कोई आ गया तो उसे अच्छा नहीं लगेगा.


With Statue of Liberty Maker's statue.



ताऊ : अभिषेक, अगर मैं कहूं कि आप एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं. अध्ययन, अध्यापन, इंवेस्टमैंट बैंकर, अपनी संस्कृति और जडो से आपको जुडे हुये देखकर, अपने वतन से दूर, आज यहां स्टैचू ऑफ़ लिबर्टी के पास इस गार्डन में मैं अपना साक्षात्कार समाप्त करूं. आपसे एक सवाल अवश्य पूछना चाहूंगा.


अभिषेक - अवश्य ताऊजी, पूछिये.


ताऊ - वो कौन सी बात है जो आपसे ये सब करवा लेती है? आप कैसे इतने उर्जावान रहते हैं?

अभिषेक - ताऊजी, मैंने आपको अपनी एक आदत के बारे में बताया था 'लोगों के बारे में पढना'. यही आदत ब्लॉग्गिंग में ले आई थी और मुझे दुनियां मे घूमना और लोगों के बारे उत्सुकता ही इस उर्जा का राज है. इतने उर्जावान लोगों और सखशियतों से मुलाकात हो जाती है कि क्या बताऊं?

ताऊ - जैसे?

अभिषेक - जैसे अभी अभी एक मजेदार वाकया हुआ. मुंबई से फ्रैक्फर्ट आते हुए. मुंबई मैं थोडा पहले पहुच गया था तो लाउंज में बैठा-बैठा ऑनलाइन हो गया. इधर-उधर भटकते एक सज्जन अंकलजी दिखे. उन्हें ऑनलाइन कुछ करना था.

ताऊ - जी बताते जाईये.

अभिषेक - उन्होंने पुछा कि 'और कहाँ जाना है? फ्रैंकफर्ट?' हमने कहा हाँ, फिर वहां से न्यूयार्क. फिर बात चालु हुई क्या करते हो? कहाँ से पढाई की? वगैरह... गणित सुनकर उन्होंने बताया कि वो गणित पढाते हैं.

ताऊ - अच्छा..कौन थे वो सज्जन?

अभिषेक - .फिर उन्होंने बताया कि उनका नाम दीपक जैन है और वो नॉर्थ वेस्टर्न यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं.

ताऊ - अच्छा फ़िर..

अभिषेक - मैंने तपाक से कहा 'सर में तो आपको जानता हूँ'. आपने गुवाहाटी यूनिवर्सिटी से स्टैट्स में पढाई कि थी न? उन्होंने बताया हाँ ये सच है फिर आगे की पढाई के लिए वो अमेरिका चले गए. उन्होंने कहा हाँ आज की छोटी सी दुनिया है ! और ऐसे में लोगों के बारे में जानना आसान है.

ताऊ - इनके बारे मे कुछ विस्तार से बताईये?

अभिषेक - ताऊजी, ये दीपक जैन थे दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित बिजनेस स्कूलों में से एक केल्लोग के डीन ! मेरे लिए तो किसी सेलिब्रिटी से कम नहीं थे. अब बिजनेस की पढाई के बारे में गाइडेंस लेनी हो तो संसार में उनसे अच्छा कौन बता सकता है भला.

ताऊ - वाकई बहुत बडी सखशियत हैं वो..

अभिषेक - जी हां और इतने विनम्र व्यक्ति... अब क्या कहा जाय ! पूरे समय हिंदी में बेटा-बेटा कह कर बात करते रहे और जो मन में सवाल थे उनका भी जवाब दे दिया उन्होंने.

ताऊ - जी बडे लोगों में कुछ तो विशेष गुण रहता ही है.

अभिषेक - इस घटना के बाद तो मैं अपने आपको लकी मानने लग गया. बहुत कुछ सिखा गए वो इस यात्रा में. 'सादा जीवन उच्च विचार' दोनों में ही अव्वल !

एक सवाल ताऊ से :-

अभिषेक - आप सबसे साक्षात्कार में संयुक्त परिवार और राजनीति की चर्चा क्यों करते हैं? मग्गा बाबा जैसे उत्कृष्ट ब्लॉग पर कम (यहाँ कम बाकी ब्लॉग की तुलना में) टिपण्णी आने पर आप क्या कहेंगे?

ताऊ - आपने एक इंवेस्टमैंट बैंकर की आदतानुसार एक सवाल की जगह दो पूछ लिये हैं. खैर...जहां तक संयुक्त परिवार और राजनिती की बात है तो आज ये दोनों ही मजबूरियां बन गई हैं. संयुक्त परिवार अब एकल परिवारों मे तब्दील होरहे हैं. राजनिती मे अच्छे लोग जाना नही चाहते..बस एक जिज्ञासा समझ लिजिये कि लोगों से इस बारे में राय जानी जाये.

दूसरा सवाल आपका मग्गाबाबा के ब्लाग के बारे में है. तो मग्गाबाबा समझ लिजिये दसवीं सीढी है और ताऊ डाट इन पहली सीढी है. तो लोग चल तो पडे हैं..आगे पीछे दसवीं सीढी भी चढ ही जायेंगे. अभी कुछ लोग दसवीं सीढी की अवस्था के हैं वो वहां आते ही हैं.


तो ये थे हमारे आज के मेहमान श्री अभिषेक ओझा..आपको इनसे मिलकर कैसा लगा? अवश्य बतलाईयेगा.


Comments

  1. ताऊ जी बहुत अच्छा लगा अभिषेक जी के बारे में जानकर !
    अभिषेक जी आज से आप भी मेरे प्रेरणा श्रोत बन गए है.

    ReplyDelete
  2. अरे ये अभीषेक जी तो उस्ताद है.. सलाम.. अच्छा लगा.. शुभकामनाऐं

    ReplyDelete
  3. ताऊजी, बडा ही प्रभावित किया अभिषेक जी के साक्षात्कार ने. उनको बहुत शुभकामनाएं और आपका आभार ऐसे ओजस्वी युवक से परिचय करवाने के लिये.

    ReplyDelete
  4. ताऊजी, बडा ही प्रभावित किया अभिषेक जी के साक्षात्कार ने. उनको बहुत शुभकामनाएं और आपका आभार ऐसे ओजस्वी युवक से परिचय करवाने के लिये.

    ReplyDelete
  5. बहुत ही रोचक और प्रभावी साक्षात्कार.

    ReplyDelete
  6. bahut sundar parichay ke liye dhanyavad. abhishek ji ko badhai

    ReplyDelete
  7. बहुत रोचक और आत्म्विश्वासी युवक से मिलना सुंखद लगा. शुभकामनाएं.

    ReplyDelete
  8. बहुत रोचक और आत्म्विश्वासी युवक से मिलना सुंखद लगा. शुभकामनाएं.

    ReplyDelete
  9. अभिशेक जी से परि्चय् बहुत ही बडिया रहा इस प्रतिभावान युवक को मेरा बहुत बहुत आशीर्वाद

    ReplyDelete
  10. अभिशेक जी से परि्चय् बहुत ही बडिया रहा इस प्रतिभावान युवक को मेरा बहुत बहुत आशीर्वाद

    ReplyDelete
  11. अभिशेक जी से परि्चय् बहुत ही बडिया रहा इस प्रतिभावान युवक को मेरा बहुत बहुत आशीर्वाद

    ReplyDelete
  12. काफ़ी मेधावी और इंटरेस्टिंग लगे अभिषेक जी, उनको शुभकामनाएं.

    ReplyDelete
  13. काफ़ी मेधावी और इंटरेस्टिंग लगे अभिषेक जी, उनको शुभकामनाएं.

    ReplyDelete
  14. अभिषेक जी की इतनी सारी बातें जानकर अच्छा लगा। हमें भी इनसे सीखना पडेगा कि बैठे बैठे कैसे सोया जाता है।

    ReplyDelete
  15. अभिषेक से मुलाकात अच्छी लगी

    ReplyDelete
  16. अभिषेक जी बागी बलिया के हैं ,हमे तो पता ही न था .ताऊ जी आपनें हर ढंग से अभिषेक जी से हम लोंगो को मिला दिया ,आपके हम आभारी हैं.

    ReplyDelete
  17. अभिषेक जी बागी बलिया के हैं ,हमे तो पता ही न था .ताऊ जी आपनें हर ढंग से अभिषेक जी से हम लोंगो को मिला दिया ,आपके हम आभारी हैं.

    ReplyDelete
  18. ताऊ जी, आपने खुश कर दिया. अभिषेक को जानना हमारे लिए गर्व का विषय है.

    ReplyDelete
  19. अभिषेक जी से मिल कर अच्छा लगा।

    ReplyDelete
  20. काफी धुरंधर सख्शियत के स्वामी हैं अभिषेक जी । बहुमुखी प्रतिभा के धनी इस व्यक्तित्व से परिचित कराने का आभार ।

    ReplyDelete
  21. बहुमुखी प्रतिभा के धनी अभिषेक जी से मिलना बहुत अच्छा लगा॥ धन्यवाद

    प्रणाम स्वीकार करें

    ReplyDelete
  22. अभिषेक जी के लिखे ने हमेशा प्रभावित किया है ...इनके लिखे से पढ़ कर कई बार गणित जो आज तक समझ नहीं आता से दोस्ती करने की असफल कोशिश भी की है :) आज इनके बारे में बहुत सी नयी बाते जानी ..सोते सोते भी यह बहुत पढ़ गए यह जान कर बहुत अच्छा लगा ..शुक्रिया इतने अच्छे साक्षात्कार के लिए और ढेर सारी शुभकामनाएं उनके आने वाले भविष्य के लिए

    ReplyDelete
  23. इतनी योग्यता और हुनर और उर्जावान व्यक्तित्व के धनी अभिषेक जी को जानना अपने आप में एक गौरव की बात है. आभार ताऊ जी इतनी विस्तृत जानकारी के लिए. अभिषेक जी को भविष्य के लिए शुभकामनाये .

    regards

    ReplyDelete
  24. Abhishek bhai, aapki zindagi kisi film ki bhaanti hamaari aankho ke ssamne ghoom gayee.
    Achchha lagaa aapke baare men jaankar.
    -Zakir Ali ‘Rajnish’
    { Secretary-TSALIIM & SBAI }

    ReplyDelete
  25. अभिषेक के बारे में जानकर बहुत अच्छा लगा. फोन पर अमरीका और पूणे दोनों ही जगह से उनको जाना. मैं तो खैर इस जिनियस का शुरु से ही प्रशंसक हूँ. परसों पता लगा कि न्यूयॉर्क में है, तब से जनाब के फोन नम्बर का इन्तजार कर रहा हूँ, जल्दी ही आता होगा. :)


    मस्त रहा इतना कुछ जानना. आपका आभार ताऊ.

    ReplyDelete
  26. अभिषेक एक प्यरा बच्चा है -जुग जुग जियो माटी के लाल ! ताऊ आपको बहुत शुक्रिया !

    ReplyDelete
  27. अभिषेक ओझा के बारे में थोड़ा सा भी नया जानना बहुत अच्छा लगता है। यहाँ तो बहुत कुछ एक साथ है तो आप खुद सोचें कैसा लगा होगा।

    ReplyDelete
  28. ताऊ आप भी बडे ढूंढ ढूंढ कर और खोद खोद कर सवाल करते हो जो अभिषेक जी जैसे तेज दिमाग से भी काफ़ी कुछ उगलवा लिया.

    ऐसे मेधावी लोगों से मिलना बहुत अच्छा लगता है. अभिषेक जी को बहुत शुभकामनाएं और आपको धन्यवाद. ईश्वर से प्रार्थना है कि उनका जल्दी से विवाह हो और हम भी लड्डू खायें.

    ReplyDelete
  29. ताऊ आप भी बडे ढूंढ ढूंढ कर और खोद खोद कर सवाल करते हो जो अभिषेक जी जैसे तेज दिमाग से भी काफ़ी कुछ उगलवा लिया.

    ऐसे मेधावी लोगों से मिलना बहुत अच्छा लगता है. अभिषेक जी को बहुत शुभकामनाएं और आपको धन्यवाद. ईश्वर से प्रार्थना है कि उनका जल्दी से विवाह हो और हम भी लड्डू खायें.

    ReplyDelete
  30. बेहतरीन। अभिषेक के बारे में पढ़कर बहुत अच्छा लगा। अभिषेक एक बेहतरीन इंसान हैं। गणित जैसे नीरज से लगने वाले विषय को भी बड़ी कलाकारी से रोचक बनाकर पेश करना अभिषेक की खासियत है। उनका बताया हुआ सौंदर्य अनुपात हमको अच्छी तरह से याद हो गया है। दुआ करते हैं कि अभिषेक को उनकी मनचाही घरवाली मिले।

    ReplyDelete
  31. श्री अभिषेक ओझा से मिलकर अच्छा लगा।
    आपकी बात ही दुहरा देता हूँ।

    अभिषेक जी को बहुत शुभकामनाएं और आपको धन्यवाद।
    ईश्वर से प्रार्थना है कि उनका जल्दी से विवाह हो और हम भी लड्डू खायें।

    ReplyDelete
  32. बहुत अच्छा लगा अभिषेक जी के बारे में जानकर !रोचक और प्रभावी साक्षात्कार के लिये आपका आभार

    ReplyDelete
  33. योग्यतम व्यक्ति का साक्षात्कार पढ़वाने के लिए धन्यवाद।
    युवाओं के लिए रॉल-मॉडल हैं अभिषेक।
    चहुमुखी व्यक्तित्व के धनी।

    ReplyDelete
  34. अभिशेख जी को हम खूब समझ गए. आभार.

    ReplyDelete
  35. अभिषेक जी के बारे में जानकर बहुत ही अच्छा लगा। वाकई में बहुमुखी प्रतिभा सम्पन व्यक्तित्व है उनका। शुभकामनाएं........

    ReplyDelete
  36. परिचय का बहुत शुक्रिया !!
    कम उम्र में बड़ी उपलब्धि
    God Bless !!

    ReplyDelete
  37. ताऊ छोरे की जिन्दगी सुफल बना दो,
    दो पाया है जल्दी से इसे चौपाया करा दो

    ReplyDelete
  38. SUKHAD ANUBHAV !

    UMDAA SAKSHAATKAAR..........

    BADHAAI !

    ReplyDelete
  39. गणि‍त के लोग होते ही हैं वि‍द्वान, इसमें अभि‍षेक जी की कोई गलती नहीं है:)

    ताऊ जी का आभार कि‍ इनके बारे में इतनी सारी बातें जानने को मि‍ला।
    अभि‍षेक भाई, स्‍वीस बैंक में एक मेरा भी खाता खुलवा दो, पैसे साल-दो-साल बाद से डालना शुरू करूँगा:)

    ReplyDelete
  40. बहुत अच्छा लगा अभिषेक जी के बारे में जानकर

    ReplyDelete
  41. बहुत-बहुत शुक्रिया ताऊ!
    उनको समझाया बुझाया गया. लेकिन एक बात बता दूं ताऊ ऐसे मामलों में समझाना संभवतः संसार का सबसे कठिन काम होता है. दिल के मामले में दिमाग से लोग काम लेने लगें तो फिर बातें थोडी सहज हो.

    प्रिय अनुज, समझाने बुझाने वाले समझदार को तो कोई नासमझ ही छोड़ना चाहेगा. अरे भाई, बदलो मत ... मगर तौर-तरीका तो बदलो.

    सॉरी सर, आई वाज वर्किंग लेट ऑन अ प्रोजेक्ट !
    तभी कहते हैं:
    सच्चे का बोलबाला, झूठे के मुंह पर ताला
    (अपना है, अब वाह वाह करो)

    ReplyDelete
  42. Abhishke ji ke blog pe to unhe humehsa hi parti thi per aaj unke baare mai itna kuchh jaan ke achha laga...

    ReplyDelete
  43. अभिषेक जी से मिल कर मजा आया.... साधुवाद ताऊ..

    ReplyDelete
  44. अभिषेक तो यार है अपना..

    ReplyDelete
  45. अभिषेक जी से मिलकर और उनके बारे में जानकर बहुत अच्छा लगा ताऊ जी!

    ReplyDelete
  46. ताऊ और हरफनमौला अभिषेक को इतने अच्छे साक्षात्कार के लिए बधाई ..!

    ReplyDelete
  47. अहा...ओझाजी से मिलकर मजा आ गया...
    अभी तक का सबसे धाँसु साक्षात्कार!

    ReplyDelete
  48. अभिशेक जी से परि्चय् बहुत ही Achha laga .......aapka andaaz bhi lajawaab hai taau

    ReplyDelete
  49. जीवन थोड़ा अधिक व्यस्त हो गया है...कंप्यूटर से दूरी बढ़ गई है, अभिषेक ओझा जी का साक्षात्कार पढ़ने में भी लेट हो गया...बहरहाल... मुलाकात अच्छी लगी. प्रभु करे विवाहोपरांत भी इनका लड़कपन बना रहे...

    ReplyDelete

Post a Comment