नेताजी जन्सम्पर्क पर निकले
सभास्थल से पहले ही
दस्युओं के हत्थे चढ गये
मुश्कें बांध दी गई
डाकू सरदार के सामने पेश किये गये
नेताजी बुरी तरह हांपे
सरदार की त्योरियां देख कांपे
डाकू सरदार बोला -
अरे डर मत यार
हम तुम एक
हमारे इरादे नेक
जनता की पैदाइश हैं
मुझे नोट दिये
तुझे वोट दिये
तुमको सत्ता
मुझको बंदूक
निशाने दोनों के अचूक
हम खुश अड्डे बदल कर
तुम खुश दल बदल कर
कोई फ़र्क नहीं
जनता को लूटने मे ट्रेंड
युं समझो कि सगे भैया
रास्ते अलग पर
दोनों का लक्ष्य है रुपैया
पुलिस हमेशा आगे पीछे
यानि तुम्हारे आगे
और मेरे पीछे
यहां अपनों के बीच आये हो
कुछ दिन मौज मस्ती करो
कल एक बैंक लूटने का इरादा है
फ़िर ये जगह छोडने का वादा है
आपसे नये अडडे का फ़ीता कटवाना है
उसके बाद आपको
घर भिजवाना है
ऐन चुनाव के समय-एक दिन पूरा उदघाटन के लिए..डाकू भाई, यह तो डकैती है. :)
ReplyDeleteबेहतरीन रचना.
यह है सामयिक कविता -जोरदार ,शुक्रिया !
ReplyDeleteताऊ छा गये आज तो. बिल्कुल सही कहा.
ReplyDeleteअच्छा जनसम्पर्क करवाया नेताजी को.
ReplyDeleteऔर वैसे भी जहर को जहर ही मारता है.
सूंदर सटीक और सामयिक रचना.
तल्ख हकीकत... क्या किया जा सकता है.
ReplyDeleteबहुत जोरदार कविता...आज का सच बयां करती हुई...सीमा जी व्यंग भी कितना बढ़िया लिखती हैं आज पता चला..वाह.
ReplyDeleteनीरज
नये अडडे का फ़ीता कटवाना है,
ReplyDeleteउसके बाद आपको घर भिजवाना है
नेता जी फंस गए मुश्किल में आचार संघिता लागु हो गयी है
चुनाव आयोग जवाब मागने लगेगा , नेता को दबोचने लगेगा .
बहुत अच्छी रचना .
वाह, मजा आ गया।
ReplyDeleteaaj ke mahol pr bilkul fit baithti hai ye kavita...
ReplyDeleteलो जी,कविता के बहाने आपने तो पूर्णत: सच्चाई ही लिख डाली.......बहुत बढिया.....
ReplyDeleteआज आप की लिखी व्यंग्य भरी इस रचना के शीर्षक से लगा था कि आज ताऊ जी हास्य कविता लिखे होंगे.मगर यह तो एक कटाक्ष है.लगता है चुनावों के माहोल का असर है.
ReplyDeleteबेहतरीन रचना.
ReplyDeleteबहुत शानदार!
ReplyDeleteजनता को लूटने मे ट्रेंड युं समझो कि सगे भैया रास्ते अलग पर दोनों का लक्ष्य है रुपैया पुलिस हमेशा आगे पीछे यानि तुम्हारे आगे और मेरे पीछे यहां
ReplyDelete" ha ha ha ha ha ha ha lgtaa hai tahu ji thgi ka trika smjha rhe hai ha ha ha vaise bhi thgi dketi me tau ji kaa koi saani nahi"
regards
मौसेरे भाइयों की कविता बहुत जमी। आगे भी इनके ज्वाइण्ट वेंचर के बारे में बताया जाये।
ReplyDeleteTaau
ReplyDeleteRaam Raam
Neta aur Dako, jordaar kavita hai.
Aap to jo bhi likhte hain chaa jaate hain.
बहुत ही ज़ोरदार व्यंग है !!!!!!!!
ReplyDeleteबेहतरीन जुगलबन्दी के लिए आभार।
ReplyDeleteकाश वो डाकू नेताओं को इलेक्शन भर पकड़ के रख लें...छोड़े ही न, मज़ा आ जायेगा.
ReplyDeleteसीमा गुप्ता जी की कविता और सीमा गुप्ता जी की हा...हा....हा!!!! बात हज़म नहीं हुई:) हाजमोला चाहिए- REGARDS.
ReplyDeleteराम राम
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा ताऊ जी/ सीमा जी
स्नेह,
- लावण्या
JAI RAAM JI KI
ReplyDeleteबिलकुल सच आज के नेता ´कल के मवाली ही तो थे, कोई चोर,कोई डाकू तो कोई जेबकतरा.... सीमा जी आप ने बिलकुल सच लिखा है, ओर बहुत सुंदर ढंग से .
ReplyDeleteधन्यवाद
एक ने पहनी टोपी खादी
ReplyDeleteएक ने खोंसा चाकू
चोर-चोर मौसेरे भाई
एक नेता एक डाकू
भई! ये लोकतन्त्र है...
आदरणीय ताउ जी
ReplyDeleteराम राम
यह आप कहाँ फंस गये थे
और इसमेँ कौन सा रोल निभा रहे थे ,यह ज़रा स्पष्ट नहीँ हो पा रहा है
वाह वाह!
ReplyDeleteएक बात समझ नही पाये कि कविता किस्की सै । ताऊ कि सीमा जी कि या------ पर भाई आम खाणे सै कै पेड गिणने सै । मै नै तो मजै सै मतलब है ।
ReplyDelete