तो हम आपको मिलवा रहे हैं लविजा के मम्मी पापा से. उनसे हुई बात चीत को हम यहां नीचे पेश कर रहे हैं. हमने सीधे ही सवाल शुरु किये.
ताऊ : सबसे पहले ये बताईये कि आप मूलत: कहां के हैं?
सैयद : मेरी पैदाईश बिहार के एक छोटे से गाँव में हुई, जो अब झारखण्ड में हैं. स्कूली पढाई वही पूरी की. फिर वालिद साहब का ट्रान्सफर पश्चिम बंगाल के आद्रा डिविजन में हो गया. तो इस तरह किसी एक खास जगह का नाम मैं नहीं बता सकता. वैसे वालिद साहब हैदराबाद से ताल्लुक रखते हैं.
ताऊ : जी, पर आप यहां जयपुर मे कैसे पहुंचे? मतलब आप कोई सरकारी नौकरी मे हैं?
सैयद : जी नही, मैं सकारी नौकरी में नही हूं. असल मे कहानी थोडी लम्बी है.
ताऊ : हां तो बताईये ना. हमारे पाठक भी तो जाने.
सैयद : सन २००० में पढाई पूरी करने के बाद गुडगाँव मैं अपनी बड़ी बहन के पास आया था. मारुती में उन दिनों वैकेंसी थी. जीजा जी ने कहा जाकर इंटरव्यू दे आओ.
ताऊ : फ़िर?
सैयद : फ़िर क्या ताऊजी. बड़े ही अनमने ढंग से इंटरव्यू देने पहुंचा और सेलेक्ट हो गया. फिर कुछ दिन वहां काम किया. कंप्यूटर सॉफ्टवेर विशेषतः वेब डिजाईनिंग में कुछ काम करने का कीडा बचपन से ही था जिसने गुडगाँव पहुँचने के बाद कुलबुलाना शुरू किया.
ताऊ : फ़िर क्या वो नौकरी छोड दी?
सैयद : जी ताऊ जी आप बिल्कुल सही समझे. वो नौकरी छोड़ कर एक सॉफ्टवेर कंपनी ज्वाइन कर ली. पर मन वहां भी नही लगा. फिर ऐसे ही भटकते भटकते गुडगाँव से फरीदाबाद, फिर दिल्ली और फिर जयपुर पहुँच गया.
ताऊ : अच्छा तो आप काफ़ी घूम घामकर जयपुर पहुंचे हैं. अब ये बताईये कि आपके परिवार में कौन कौन है?
(सैयद अपने पिताजी और भाई केसाथ)
सैयद : यहाँ जयपुर में तो बस मैं, मेरी पत्नी और लविज़ा को तो आप जानते ही हैं. आद्रा में माता-पिता, भाई-भाभी, बहनों और भतीजे भातिजियों से भरा पूरा परिवार है.
ताऊ : कुछ अपने माता जी, पिताजी के बारे मे बताईय़े
सैयद : पिताजी रेलवे से सेवानिवृत है और आजकल आद्रा में ही सामाजिक कार्यो में व्यस्त है. माताजी सीधी साधी सबसे प्यार करने वाली और सबका ख्याल रखने वाली गृहणी है.
(सैयद के पिताजी और माताजी)
मेरे पिताजी के आफ़िस के बारे मे आप इस लिंक पर पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.
पिताजी का रेलवे का ऑफिस आद्रा में.
http://www.serailway.gov.in/ADA/default.htm
और आद्रा के बारे मे आप विस्तृत रुप से नीचे के लिंक से पूरी जानकारी ले सकते हैं.
http://en.wikipedia.org/wiki/Adra_(India)
ताऊ : हमने सुना है कि आपकी शादी भी एक बहुत ही खूबसूरत गलती की वजह से हुई है? ( और हमारी इस बात पर सैयद और सबा दोनो एक दूसरे की तरफ़ देख कर मुस्कराने लगे.)
सैयद : अरे ताऊ जी, लगता है आप काफ़ी होम वर्क करके इंटर्व्यु लेते हैं. अब ये अंदर की बात आपको कहां से पता चल गई?
ताऊ : अरे भाई अगर इन बातों का हमको पता नही हो तो फ़िर हम कैसे ताऊ हुये? आप तो बताईये कि इस बात मे कुछ सच्चाई है या यूं ही मजाक है?
सैयद : आपको चाहे जिसने भी दी हो पर आपकी सूचना बिल्कुल सही है. वो वाकया कुछ यूं हुआ था कि उन दिनों हम दोनों एक ही कंपनी में काम करते थे. मैं फरीदाबाद में था और सबा भोपाल में.
ताऊ : एक ही कम्पनी मे काम करने का मतलब आप दोनो एक दुसरे को पहले से ही जानते होंगे?
सैयद : नही ताऊ जी, एक दुसरे को जानने का तो सवाल ही नही ऊठता था. क्योंकि हम दोनो अलग अलग शहरों मे थे.
ताऊ : ये तो कुछ अलग ही बात हो गई? आप पूरी बात बताईये हमारे पाठकों को.
सैयद : हुआ यह था कि एक दिन मैंने एक ओफिसियल मेल गलती से इनकी मेल पर कर दिया. और इन्होने मुझे रिवर्ट किया कि आपने गलती से मेल मुझे कर दिया है.
और फिर बात थैंक्स से आगे बढी और एक दुसरे के बारे में जाना. सौभाग्य से उन्ही दिनों मुझे भोपाल टूर पर जाना पड़ा फिर मुलाकात भी हुई और धीरे धीरे हम एक दुसरे को पसंद करने लगे.
(सैयद और सबा की शादी का चित्र)
ताऊ : हूं तो बात को बढाते हुये आप लोग मिलने जुलने तक पहुंच गये. फ़िर शादी के लिये घर वाले मान गये या लव-मेरिज की?
सैयद : नही नही ३ साल पहले घर वालों कि रजामंदी से हमारी शादी हो गयी.
ताऊ : वाह भई ये तो बडी सुखद गलती हुई आपसे. तो श्रीमती सैयद यानि सबा अब भी सर्विस में हैं या घर ही संभालती है?
सैयद : नहीं, सबा गृहणी के साथ साथ एक बैंक में यहीं जयपुर में कार्यरत है.
ताऊ : और आप कहां काम करते हैं इन दिनों?
सैयद : आजकल मैं एयरटेल में हूँ और बिलिंग एंड क्रेडिट कण्ट्रोल डिपार्टमेन्ट में जयपुर में कार्यरत हूँ.
ताऊ : अच्छा अब ये बताईये कि ब्लागिंग मे कब से हैं ? .
सैयद : ब्लागिंग में, कहीं किसी अखबार में या किसी न्यूज़ चैनल पर ब्लोगिंग के बारें में सुना था. तो मुझे भी ये शौक चर्राया, हम भी पहुँच गए इन्टरनेट पर, जो कि मेरा पसंदीदा टाइमपास है. पर कभी स्थिर नहीं रह पाया. और रहता भी कैसे मैं कोई कवि या लेखक तो हूँ नहीं जो नित नयी बाते लिख सकूं.
ताऊ : और लवी के ब्लॉग का आरम्भ कैसे हुआ?
सैयद : ३० अप्रैल २००८ को लवी का जन्म हुआ फिर सबा (मेरी पत्नी) और लवी जुलाई में जयपुर आ गए. चुकी लवी परिवार में सबसे छोटी है तो सब की लाडली है. वहां घर मे सभी इसको मिस करते थे.
रोज़ नई फरमाईश आती थी की लवी की फोटो भेजो. मैंने पिकासा पर अकाउंट बना रखा था. फिर लगा कि तस्वीरों से जुडी बातें तो एक दिन धुंधली हो जायेगी तो क्यूँ ना तस्वीरों के साथ साथ लवी के बारे में लिखा भी जाए. इसमें भी कभी लिखा, कभी डिलीट कर दिया. पर दिसम्बर से निरंतर लिख रहा हूँ.
ताऊ : और लवी के साथ इस अनुभव के बारे में क्या कहना चाहेंगे
सैयद : अनुभव तो शानदार है. मैं और सबा दोनों ही इस माध्यम से अपना बचपन फिर से जी रहे है. बहुत आनन्द आ रहा है.
ताऊ : ठीक है जी, अब ये बताईये कि कि आप कौन कौन से शौक पालते हैं?
सैयद : कभी कुछ निश्चित नहीं रहा. समय के साथ साथ शौक भी बदलते रहे है. कभी स्केचिंग और पेंटिंग का शौक रहा तो कभी कुछ. आजकल ब्लोगिंग है.
ताऊ : ताऊ पहेली के बारे मे आपके विचार. यानि कैसा लगता है ये सब आयोजन?
सैयद : शानदार, वैसे मैंने अभी नया नया ही आपको ज्वाइन किया है और शायद दो सवालों के ही जवाब दिए है. पर अच्छा है इसी बहाने भारत के नए नए प्रदेशो कि सैर कर लेते है हम. मनोरंजन के साथ साथ महत्वपूर्ण जानकारी भी मिलती हैं.
ताऊ : ताऊ कौन? इस पर क्या कहना चाहेंगे?
सैयद : तो फ़िर आप कौन हैं? जो ईंटर्व्यु कर रहे हैं?
ताऊ : भाई हमें तो खुद नही पता कि ताऊ कौन है?
सैयद : मैं भि खोज मे हुं कि ताऊ कौन है? जैसे ही पता लगेगा बताऊंगा. फ़िलहाल तो समझ ले कि मेरी तरफ़ से भी खोज जारी है.
और हमने इस तरह सैयद, सबा और लवीजा से फ़िर मिलने का वादा करते हुये विदा ली.
आपको कैसा लगा इस खुशमिजाज सैयद परिवार से मिलकर? अवश्य बतलाईयेगा. अगले गुरुवार आपको फ़िर एक सखशियत से रुबरु करवायेंगे. तब तक के लिये अलविदा.
एक जरूरी सूचना : - ताऊ शनीचरी पहेली का प्रकाशन इस सप्ताह से हमेशा सूबह ६ बजकर ३० मिनट पर
किया जायेगा. कृपया नोट करें.
बहुत सुंदर साक्षात्कार है,इसी तरह लोगों से तआर्रुफ कराते रहिए।
ReplyDeleteसैयद जी से मुलाक़ात अच्छी रही ! यह आप बहुत अच्छा काम कर रहे हैं !
ReplyDeleteसय्यद और सबा का साक्षात्कार मजेदार रहा. आभार
ReplyDeleteताऊ अपना भी तो, कुछ परिचय बतलाओ।
ReplyDeleteब्लाग-जगत पर सूरत,अपनी तो दिखलाओ।
तुममें है साहित्य समाया,यह मैं जान गया हूँ।
बन्दर जैसी शैतानी को, मैं पहचान गया हूँ।
मेरे शहर खटीमा में भी, भाई तुम्हारे बसते हैं।
भैया का दर्शन करने को, उनके नैन तरसते हैं।
नन्ही लविजा के पिता सैयद के इस रोचक इंटरव्यू के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ताऊ. बहुत सी जानकारी मिली.
ReplyDeleteसैयद जी का साक्षात्कार और उनके परिवार से रूबरू करने का आभार.....और उनकी बेटी से हम सब पहले ही मिल चुके हैं....बहुत प्यारी और चुलबुली सी है "
ReplyDeleteRegards
बहुत अच्छा लगा सैयद साहब, लवी और उनके परिवार को जानना!!
ReplyDeleteबहुत बेहतरीन सिलसिला है ताऊ यह!!
अच्छे लोग,अच्छा साक्षात्कार्।
ReplyDeleteye atyachaar hai...chhutti ke din aadhe ghante ki neend aur gayi :( bhore bhor uthna padega...taau aapko bhi gajab keeda kaat raha hai, der se kar dete paheli ka prakashan.
ReplyDeletelavija ke papa aur sabhi ghar walon se mil kar bada accha laga.
सुंदर साक्षात्कार है,आपने समय निकाला यह महत्त्वपूर्ण है .ब्लॉग जगत पर इसकी आवश्यकता है .
ReplyDeleteराम राम
ReplyDeleteबहुत अच्छा वार्तालाप रहा आप और सैयद जी के बीच ,पढ़ कर बहुत अच्छा लगा .
रोचक मुलाकत रही लविजा के पापा से।
ReplyDeleteबहुर अनूठा है ये आपका प्रयास ताऊ...
शुभकामनायें
सैयद साहब का parichay .....saakshatkaar बहुत खूब है
ReplyDeletebadhaai
Laviza ka blog to dekha hi tha...sundar sundar photoes ke sath. Syed Ji ka interview bhi achchha laga aur sab ji ke vishay me jaan kar bhi.....!
ReplyDeleteek baat aur ki Masha Alaah Saba ji bahut khoobsurat hai.n...!
एक नितांत अपरिचित व्यक्तित्व के बारे में इतने विस्तार से जानना बहुत ही सुखद अनुभूति है..आपका ये प्रयास वाकई में प्रशंसनीय है...आभार
ReplyDeleteएक पहेली का आयोजन किया जाय "ताऊ कौन हैं?"
ReplyDeleteAchha laga Saiyad ji se mulakat kar ke...
ReplyDeleteBlog jagat ke do sab se nanhey bloggers-Aditya[s/oRanjan ji] aur Lavija[d/oSayyed ji]..dono se mil liye..aur unke parivaar se bhi...yah bahut achcha hua..
ReplyDeleteLavi ke mummy papa aur unke baare mein itni baaten janNe ko milin...Lavi ke DADA Dadi ji se bhi milwa diya aap ne..
bahut hi achchee tasveeren dekhne ko milin...aise hi har baar naye naye bloggers se milwatey rahen...
abhaar,
अच्छा लगा लवी और उनके परिवार को जानना शुक्रिया आपका
ReplyDeletearey waah.. kya khoob interview hai..
ReplyDeletejaankar achha laga syad bhaisahab ko web designing mein ruchi hai..
धन्यवाद ताऊ, मुझे तो यकीन ही नहीं था की इतना सुन्दर रेस्पोंस मिलेगा.
ReplyDeleteमाँ-बाबूजी के बारे में जो लिखा है वो विजिबल नहीं है.
सैयद: पिताजी रेलवे से सेवानिवृत है और आजकल आद्रा में ही सामाजिक कार्यो में व्यस्त है. माताजी सीधी साधी सबसे प्यार करने वाली और सबका ख्याल रखने वाली गृहणी है.
आभार आप सभी का.
नन्ही और प्यारी लविजा को तो जानते थे आज उसके पापा -मम्मी को भी जान गए ।
ReplyDeleteशुक्रिया ताऊ ।
बहुत अच्छा लगा जयपुर के इतने खुशमिजाज परिवार के बारे में जानकर.. परिचय कराने के लिए ताऊजी का शुक्रिया..
ReplyDeleteबहुत अच्छा साक्षात्कार ! ऐसे ही सबका परिचय कराते जाईये | आभार !
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा सैयद साहब, लवी और उनके परिवार को जानना!!
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत खयाल, कि आप सबसे हमें मिलवाते है. हमारा परिवार कितना बडा हो रहा है, ताऊ के झंडे तले...
ReplyDeleteबहुत अच्छे .
ReplyDeleteराम राम
बहुत सुँदर रहा लवीजा बिटीया से मिलना सैयद परिवार हमेशा यूँ ही मुस्कुरता रहे ..
ReplyDelete- लावण्या
बेहतरीन इंटरव्यू! लविजा के मम्मी-पापा से मिलकर घणी खुशी हुई! ताऊ की जय हो!
ReplyDeleteअच्छा लगा सैयद जी और उनके परिवार के बारें जानकर। और हाँ मेल वाली बाद रोचक लगी।
ReplyDeleteसय्यद और सबा जी से मिलना अच्छा लगा. आप का धन्यवाद
ReplyDeleteसबसे सक्रीय ब्लोगर का पुरस्कार जाता है ताऊ को ! अभी इतने दिनों की गुमनामी के बाद आज देखा तो पता चला की सबसे ज्यादा अपठित पोस्ट (२५) आपकी. आजकल लगता है बड़ी फुर्सत है ताऊ को :-)
ReplyDeleteलविजा के पापा सैयद से" मुलाकात पसन्द आई ताऊ! आप इस बहाने घुम आते। मजे है ताऊ के। कभी ताऊ जयपुर घुम आऐ तो कभी रामप्यारी॥॥॥ कभी हमारे तबेले मे आकर हमारे से भी मुकालात करे मेरे ताऊ॥॥
ReplyDeleteसैयद जी के मगलमय जीवन के लिऐ आशिष।
( हे प्रभु यह तेरापन्थ कि इकाई ब्लोग "मुम्बई टाईगर" )