माननिय सज्जनों और देवियो अथवा जो भी आप अपने आपको समझते हों, मैं ताऊ तरही कम गरही कवि सम्मेलन - २०११ का संचालक रामप्यारे आपका स्वागत करता हूं. इस सम्मेलन के लिये हमें उम्मीद से कहीं ज्यादा प्रविष्ठियां प्राप्त हुई हैं. रचनाओं की सुनामी का दवाब इतना ज्यादा है कि मिस रामप्यारी को आन लाईन ही कैट स्केन करना पड रहा है.
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhjcMZdTVaJSmoFumHavgYHH0L6Ts86vKeN2CCMYPN27lEnohMFnRwbRJP91da-z75Je2q90A7nhIbtqLTDvdR78Tgta_b1C4XovdXFkurutwXF4w6U_aZsRzq-No6wi_nJ0DwgUEtsrSnE/s320/garhi3.JPG)
गरही कवि सम्मेलन का संचालन करते हुये श्री रामप्यारे
जैसा कि पहले ही बता दिया गया था कि पहली रेवडी बंदर बांट में ताऊ के हिस्से आई थी सो अब मैं महाकवि और वर्तमान समय के सर्वश्रेष्ठ फ़ांकालोजिस्ट महाविभुति, महाकवि शिरोमणी श्री श्री ४, २०, ००० श्री ताऊ जी महाराज को इस तरही कम गरही कवि सम्मेलन का आगाज करने के लिये आमंत्रित करता हूं. साथ में मिस रामप्यारी से भी निवेदन करूंगा कि वो भी ताऊ के साथ ही बैठकर आन लाईन कैट स्केन की जिम्मेदारी निभाये, जिससे इस गरियाने वाले सम्मेलन की गरिमा बनी रहे. तो आईये श्री महान फ़ांकालोजिस्ट कवि शिरोमणी श्री ताऊ जी महाराज....
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhDoXQWTUfE1zUAaYrXKzm6qWvGuUIxJv-BYlA7T3x6nem83kNxDj6Vk1yeCHPhNt6eDbmy7sxxxTyCsTjBNMSpQ1WuiR7Ku8kpx0-0Y_tiEjtH_rDreFURu5zFNNduFmi2yXTVVCELIsCr/s320/garhi-taau2.JPG)
महाकवि एवम महाविभूति श्री ताऊ जी महाराज एवम आन लाईन कैट स्केन करती रामप्यारी
माननिय बहणों और भाईयों, अपने खेमे के लोगो और विरोधी खेमे के लोगो, तटस्थ होके दूर से तमाशा देखने वाले लोगो और लोगों को उचका कर गलतफ़ैमिली में भरती कराने वाले लोगो, मैं आप सबका हार्दिक स्वागत करता हूं, मुझे इस समारोह की पहली रेवडी देने के लिये मैं इस समारोह के आयोजकों का आभार व्यक्त करता हूं और अब आपके भेजे में मेरी प्रथम रचना को फ़ेंक रहा हूं, जरा प्रेम से झेलियेगा.... मेरी अत्यंत कडुआहट और कर्कश आवाज सुनने की इच्छा हो तो नीचे वाला पाडकास्ट भी सुन सकते हैं.
इस कदर पानी से मिल कर, ऐंठती माचिस की तीली
कितना भी घिस दम लगा लो, पर रही सीली की सीली
कल सुना कुछ और भी जन, ले शपथ पहनेंगे खादी
खौफ का आलम जो बरपा, कर गया वो पेन्ट गीली
जिन्स के संग वो टॉप डाले, आ रही बेटे के संग में
वो जमाना अब नहीं है, जब ओढ़नी दुल्हन की पीली
सातवें माले पर जाकर, एक आशियाना उसने बनाया
घर में गिन कर तीन कमरे, आदतन कहता हवेली.
सीख कर चलना उसी से, चल पड़ा वो दूर इतना
बाप ने ली जब मूंद आँखें, रह गई अम्मा अकेली
बीड़ी मूँह में दाब कर, घिसते हैं माचिस की तीली
घिसते घिसते घिस जायेगी, रहती पर सीली की सीली
भिखमंगे के भाव हैं और दुष्कर्मों के पीर
वोट भीख में मांगते, सबसे बड़े अमीर.
आप सबका आभार मेरी पहली ही रचना को हूट करने के लिये, अब मैं कुछ दोहे फ़ेंक रहा हूं. आशा है आप इन्हें अवश्य हूट करके सम्मान बख्सेंगे.
चिट्ठों की चर्चा करें या करते हुड़दंग...
मौज मनाने के लिए, हैं होली के रंग...
जरा सा रंग लगा लो
जरा सा भंग चढ़ा लो...
जोगिया सा रा रा रा जोगिया सा रा रा रा
होली के दिन दूर रख, अपना कीबोर्डी मृदंग
आ खूब ठुमक कर नाच ले आज हमारे संग
जरा ठुमरी पर नच ले
जरा सा हमसे बच ले
जोगिया सा रा रा रा जोगिया सा रा रा रा
चिट्ठा जैसा आपका, दुर्वासा का बाप,
शीश नवाता जो नहीं, पा जाता है श्राप,
जरा गुस्से को पी ले
यहाँ मस्ती में जी ले
जोगिया सा रा रा रा जोगिया सा रा रा रा
चेले करते चाकरी, मठ का ऐसा खेल,
मठाधीष इंजन बने, चेले बन गये रेल,,,,
धका धक रेल चला दे
हमें भी आज बैठा ले
जोगिया सा रा रा जोगिया सा रा रा
ताऊ की रचना पर जबरदस्त हुटिंग शुरू हो गई, ताऊ श्री गदगद होते हुये आभार व्यक्त करते हुये अपने स्थान दंडाकारण्य की और प्रस्थान कर गये.
और रामप्यारे जी महाराज ने घोषणा करते हुये अगली रेवडी के लिये मिस. समीरा टेढी "समीर" को आमंत्रित किया. तो हमारे अगले कवि हैं मिस. समीरा टेढी "समीर".
(अगले अंक में...)
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgUx0ITWCZR8IimtR6ddMucGvCdAcV_ovhqeoXojpSFyo1aslmXWCxIIW-5vI3hjWPb9p9ghvuKW01QTh7ovykUel0KExEzkn7pfGkOF802aWMrZGgHnPCCjUXdaAIbw44d8t_B25Wtc1C-/s320/taau-dukhiya.JPG)
मग्गाबाबा का चिठ्ठाश्रम
मिस.रामप्यारी का ब्लाग
ताऊजी डाट काम
रामप्यारे ट्वीट्स
जैसा कि पहले ही बता दिया गया था कि पहली रेवडी बंदर बांट में ताऊ के हिस्से आई थी सो अब मैं महाकवि और वर्तमान समय के सर्वश्रेष्ठ फ़ांकालोजिस्ट महाविभुति, महाकवि शिरोमणी श्री श्री ४, २०, ००० श्री ताऊ जी महाराज को इस तरही कम गरही कवि सम्मेलन का आगाज करने के लिये आमंत्रित करता हूं. साथ में मिस रामप्यारी से भी निवेदन करूंगा कि वो भी ताऊ के साथ ही बैठकर आन लाईन कैट स्केन की जिम्मेदारी निभाये, जिससे इस गरियाने वाले सम्मेलन की गरिमा बनी रहे. तो आईये श्री महान फ़ांकालोजिस्ट कवि शिरोमणी श्री ताऊ जी महाराज....
माननिय बहणों और भाईयों, अपने खेमे के लोगो और विरोधी खेमे के लोगो, तटस्थ होके दूर से तमाशा देखने वाले लोगो और लोगों को उचका कर गलतफ़ैमिली में भरती कराने वाले लोगो, मैं आप सबका हार्दिक स्वागत करता हूं, मुझे इस समारोह की पहली रेवडी देने के लिये मैं इस समारोह के आयोजकों का आभार व्यक्त करता हूं और अब आपके भेजे में मेरी प्रथम रचना को फ़ेंक रहा हूं, जरा प्रेम से झेलियेगा.... मेरी अत्यंत कडुआहट और कर्कश आवाज सुनने की इच्छा हो तो नीचे वाला पाडकास्ट भी सुन सकते हैं.
इस कदर पानी से मिल कर, ऐंठती माचिस की तीली
कितना भी घिस दम लगा लो, पर रही सीली की सीली
कल सुना कुछ और भी जन, ले शपथ पहनेंगे खादी
खौफ का आलम जो बरपा, कर गया वो पेन्ट गीली
जिन्स के संग वो टॉप डाले, आ रही बेटे के संग में
वो जमाना अब नहीं है, जब ओढ़नी दुल्हन की पीली
सातवें माले पर जाकर, एक आशियाना उसने बनाया
घर में गिन कर तीन कमरे, आदतन कहता हवेली.
सीख कर चलना उसी से, चल पड़ा वो दूर इतना
बाप ने ली जब मूंद आँखें, रह गई अम्मा अकेली
बीड़ी मूँह में दाब कर, घिसते हैं माचिस की तीली
घिसते घिसते घिस जायेगी, रहती पर सीली की सीली
भिखमंगे के भाव हैं और दुष्कर्मों के पीर
वोट भीख में मांगते, सबसे बड़े अमीर.
आप सबका आभार मेरी पहली ही रचना को हूट करने के लिये, अब मैं कुछ दोहे फ़ेंक रहा हूं. आशा है आप इन्हें अवश्य हूट करके सम्मान बख्सेंगे.
चिट्ठों की चर्चा करें या करते हुड़दंग...
मौज मनाने के लिए, हैं होली के रंग...
जरा सा रंग लगा लो
जरा सा भंग चढ़ा लो...
जोगिया सा रा रा रा जोगिया सा रा रा रा
होली के दिन दूर रख, अपना कीबोर्डी मृदंग
आ खूब ठुमक कर नाच ले आज हमारे संग
जरा ठुमरी पर नच ले
जरा सा हमसे बच ले
जोगिया सा रा रा रा जोगिया सा रा रा रा
चिट्ठा जैसा आपका, दुर्वासा का बाप,
शीश नवाता जो नहीं, पा जाता है श्राप,
जरा गुस्से को पी ले
यहाँ मस्ती में जी ले
जोगिया सा रा रा रा जोगिया सा रा रा रा
चेले करते चाकरी, मठ का ऐसा खेल,
मठाधीष इंजन बने, चेले बन गये रेल,,,,
धका धक रेल चला दे
हमें भी आज बैठा ले
जोगिया सा रा रा जोगिया सा रा रा
ताऊ की रचना पर जबरदस्त हुटिंग शुरू हो गई, ताऊ श्री गदगद होते हुये आभार व्यक्त करते हुये अपने स्थान दंडाकारण्य की और प्रस्थान कर गये.
और रामप्यारे जी महाराज ने घोषणा करते हुये अगली रेवडी के लिये मिस. समीरा टेढी "समीर" को आमंत्रित किया. तो हमारे अगले कवि हैं मिस. समीरा टेढी "समीर".
(अगले अंक में...)
मग्गाबाबा का चिठ्ठाश्रम
मिस.रामप्यारी का ब्लाग
ताऊजी डाट काम
रामप्यारे ट्वीट्स
"जोगिया सा रा रा रा ,जोगिया सा रा रा रा "
ReplyDeleteआखिर होगई न भविष्यवाणी सच ताउश्री.मुझे पता
था , रामप्यारी को चोकलेट तो पहले ही भिजवा दिया था आपने.
हा हा!! अब ऐसी रचनायें होली में सुनाओगे तो हूटिंग से ही गदगद होना पड़ेगा ताऊ.....देखो, मिस समीरा टेढ़ी क्या गुल खिलाती हैं अब!!!
ReplyDeleteमस्त दोहे...
ReplyDeleteवाह वाह ! ताऊ
ReplyDeleteरंग तो जम गया मगर यह रचनाएँ चोरी कहाँ से की ?? ताऊ की तो लगती नहीं.....
आदरणीय ताऊ जी
ReplyDeleteघणी राम राम केवल राम की तरफ से
आज तो मन मोह लिया आपने ..कमाल कर दिया ....यह आवाज सुनकर मुझे ताऊ जी के साक्षात् दर्शन हो गए ..!
ताऊ, कहीं लोग गदा लेकर ही गदगद न हो जायें..
ReplyDelete:)
@ सतीश सक्सेना भाईसाहब एवम अन्य जिसको भी संदेह हो उनके लिये
ReplyDelete1. रचनाएं सौ प्रतिशत शुद्ध और स्वयं श्री ताऊ महाराज द्वारा विरचित हैं. हम चोरी का माल नही छापते.
2. और पाडकास्ट में भी असली ताऊ श्री की ही आवाज है.
3. और फ़ोटो भी स्वयं श्री ताऊ महाराज की ही है.
किसी को किसी भी बात में कोई संदेह नही होना चाहिये.
-आप सबका प्यारे उर्फ़ रामप्यारे
जय हो, होली का पूरा माहौल तैयार हो रहा है।
ReplyDelete@भिखमंगे के भाव हैं और दुष्कर्मों के पीर
ReplyDeleteवोट भीख में मांगते, सबसे बड़े अमीर.
.....वाह क्या लाइन है ताऊ जी.
ReplyDelete@ रामप्यारे ,
हाँ भैया ...
और हम तुम्हारा कर ही क्या सकते हैं ताऊ का हाथ है तुम पर...
समय बलवान तो रामप्यारे पहलवान
झेल रहे हैं और झेलेंगे
:-(
चिट्ठा जैसा आपका, दुर्वासा का बाप,
ReplyDeleteशीश नवाता जो नहीं, पा जाता है श्राप,
ताऊ का नेटवर्क बड़ा तगड़ा है ...मान गए !
मजा आ गया
ReplyDeleteपहली बार ऐसा शानदार पॉडकास्ट सुना है।
रामप्यारे जी धन्यवाद
कविश्री ताऊ को चरण-स्पर्श
मिस समीरा टेढी का इंतजार है :)
ReplyDeleteप्रणाम
भिखमंगे के भाव हैं और दुष्कर्मों के पीर
ReplyDeleteवोट भीख में मांगते, सबसे बड़े अमीर.
वाह ताउजी!..मान गए आपको!
वाह वाह …………होली का रंग जमने लगा है।
ReplyDeletebaap re , taau ji aur raampyaare ji .. ...
ReplyDeletebhai main to ho gaya dang ,
dekh kar holi ka ye rang,
ab mujhe bhi aa gayi hai tarang,
peekar holi ke pahle hi ;
holi ka special "Taau-bhang" !!
jai ho jai ho
JAI HO TAAU JI MAHRAAJ
ReplyDeleteसिर्फ हूटिंग!! बहुत बेइंसाफ़ी है! कुछ पिलपिले टमाटर और अण्डे भी फेंके जाने चाहिये इतने सुंदर काव्य पाठ के लिये!!
ReplyDeleteहा हा हा ! ताऊ खांसी तै ओरिजनल लाग्गे सै ।
ReplyDeleteहा हा हा हा.....छा गये ताऊ :)
ReplyDeleteअरे ताऊ जी कविता पाथ तो गजब का था, लेकिन मुयी खांसी बार बार आ रही थी, अजी इस मुयी का इलाज क्यो नही करा लेते, कल को समीरा टेडी के संग मुशायरे मे भी तो जाना हे ना, इस लिये आज गर्म उबलते हुये पानी मे साडे छै चम्मच पीला नमक डाल कर खुब गरारे करे, पानी खुब गर्म होना चाहिये, फ़िर देखे गला केसे नही खुलता, फ़िर तो आप राम प्यारे से भी अच्छा कविता पाठ करेगे... अपनी मिठ्ठी आवाज मे, ओर ताई लठ्ट ले कर सुर मिलयेगी जहां भी आप बेसुर होंगे.. राम राम मुफ़त की सलाह दे दी आज
ReplyDeleteअरे वाह वाह रामप्यारेजी,
ReplyDeleteताऊ का कविता पाठ तो एकदम स्टेडियम से सीधा प्रसारण !! अब तेरा क्या होगा समीरा टेडी?
"जोगिया सा रा रा रा ,जोगिया सा रा रा रा "
ReplyDeleteअब समीरा टेडी की बारी है.
कवि सम्मलेन की शुरुआत तो बड़ी ज़बरदस्त रही .....
ReplyDeleteचेले करते चाकरी, मठ का ऐसा खेल,
मठाधीष इंजन बने, चेले बन गये रेल,,,,
धका धक रेल चला दे
हमें भी आज बैठा ले
:):) बहुत बढ़िया ...
ताऊ,
ReplyDeleteतेरी माचिस तो चौमासे में भी नहीं सीलने वाली, भतीजे का आसीरबाद है:) होली में उल्टा सीधा सब जायज है, भतीजा ताऊ नै भी आसीरबाद दे सके है, हा हा हा।
ताऊ तेरी हूटिंग करने वालों की हूटिंग हम कर देंगे, चिंता नहीं करनी है।
राम राम।