प्यारे श्रोताओं, मैं रामप्यारे ताऊ तरही कम गरही सम्मेलन में आप सबका स्वागत करता हुं. ताऊ गरही मुशायरे में अभी तक आप महाकवि ताऊ जी महाराज और महान कवियित्री मिस समीरा टेढी को सुन चुके हैं. और आज इस सम्मेलन में महान विभुति, सब विधाओं के पारंगत श्री ललित शर्मा अपनी रचना प्रस्तुत कर रहे हैं.
और हमेशा की तरह आन लाईन कैट स्केनिंग का कार्यभार संभाल रही हैं मिस रामप्यारी. और अब मैं आमंत्रित करता हूं आज की रेवडी प्राप्त श्री ललित शर्मा को...जोरदार स्वागत किजिये इस आल राऊडर का... आईये आलराऊंडर ललित जी.... अपनी बिल्कुल ताजी और नई नवेली होली की रचना से इस गरही सम्मेलन की गरिमा बढाकर हम सब को कृतार्थ किजिये..
"रामप्यारे उवाच"
प्रिय श्रोताओं, एक छोटी सी होली रचना इस ताऊ गरही कवि सम्मेलन में पेश कर रहा हूं, रचना अभी अभी फ़ूटी है और बिल्कुल नई नवेली है, उनके श्री मुख से सुनकर जरा जमकर टिप्पणी दिजियेगा.
ताऊ गरही मुशायरे में महाकवि श्री ललित शर्मा एवम आन लाईन कैट-स्केन करती मिस रामप्यारी
आलराऊंडर श्री ललित शर्मा का "गरही कविता पाठ"
जब टेसू जब पलास के रंगों की सजे रंगोली
जब चौपाल में बजे नगाड़े और हँसे हमजोली
जब कोयलिया ने भी अपनी तान सुरीली खोली
तभी समझना यार आ गयी है मस्तानी होली
आँख आँख जब सजे इशारे और बुलावा आये
आँगन आंगन बिखर चांदनी अपना रंग दिखाए
झर झर झर झर मधु रस टपके और अमृत घोली
तभी समझना यार आ गयी है मस्तानी होली
जब खिड़की से वह लटकाए ऊपर चढ़ने डोरी
तुलसीदास की रत्ना जैसी लगती है तब गोरी
देख खुला दरवाजा चोरों की भी नियत डोली
तभी समझना यार आ गयी है मस्तानी होली
जब ऋतुराज ने रंगों वाली बड़ी पिटारी खोली
भांग चढ़ा कर जब वो बोले मीठी मीठी बोली
सारा दिन मदमस्त रहे जब सूझे नई ठिठोली
तभी समझना यार आ गयी है मस्तानी होली
ललित शर्मा
अभनपुर जिला रायपुर छत्तीसगढ
9425515470
ताऊ गरही मुशायरे की अगली रेवडी दी गई है श्री विजयकुमार सप्पात्ति को...
(अगले अंक में)
और हमेशा की तरह आन लाईन कैट स्केनिंग का कार्यभार संभाल रही हैं मिस रामप्यारी. और अब मैं आमंत्रित करता हूं आज की रेवडी प्राप्त श्री ललित शर्मा को...जोरदार स्वागत किजिये इस आल राऊडर का... आईये आलराऊंडर ललित जी.... अपनी बिल्कुल ताजी और नई नवेली होली की रचना से इस गरही सम्मेलन की गरिमा बढाकर हम सब को कृतार्थ किजिये..
प्रिय श्रोताओं, एक छोटी सी होली रचना इस ताऊ गरही कवि सम्मेलन में पेश कर रहा हूं, रचना अभी अभी फ़ूटी है और बिल्कुल नई नवेली है, उनके श्री मुख से सुनकर जरा जमकर टिप्पणी दिजियेगा.
जब टेसू जब पलास के रंगों की सजे रंगोली
जब चौपाल में बजे नगाड़े और हँसे हमजोली
जब कोयलिया ने भी अपनी तान सुरीली खोली
तभी समझना यार आ गयी है मस्तानी होली
आँख आँख जब सजे इशारे और बुलावा आये
आँगन आंगन बिखर चांदनी अपना रंग दिखाए
झर झर झर झर मधु रस टपके और अमृत घोली
तभी समझना यार आ गयी है मस्तानी होली
जब खिड़की से वह लटकाए ऊपर चढ़ने डोरी
तुलसीदास की रत्ना जैसी लगती है तब गोरी
देख खुला दरवाजा चोरों की भी नियत डोली
तभी समझना यार आ गयी है मस्तानी होली
जब ऋतुराज ने रंगों वाली बड़ी पिटारी खोली
भांग चढ़ा कर जब वो बोले मीठी मीठी बोली
सारा दिन मदमस्त रहे जब सूझे नई ठिठोली
तभी समझना यार आ गयी है मस्तानी होली
ललित शर्मा
अभनपुर जिला रायपुर छत्तीसगढ
9425515470
ताऊ गरही मुशायरे की अगली रेवडी दी गई है श्री विजयकुमार सप्पात्ति को...
(अगले अंक में)
होली पर एक सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteबहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
आँख आँख जब सजे इशारे और बुलावा आये
ReplyDeleteआँगन आंगन बिखर चांदनी अपना रंग दिखाए
आदरणीय ताऊ जी
राम राम ..केवल राम की तरफ से
मैं तो कल से ही इन्तजार में था इस महाकवि की रचना सुनने के लिए ....लेकिन आपके सम्मलेन तक आते - आते इनका वेश बदल गया ..पर अच्छा लगा ...इनकी कविता के बारे में क्या कहूँ ....गजब है ..मस्तानी होली का मस्ताने अंदाज में मस्त व्यक्ति ने वर्णन किया है ...आपका आभार
समझ गए यार आ गई मस्तानी होली
ReplyDeleteजब खिड़की से वह लटकाए ऊपर चढ़ने डोरी
ReplyDeleteतुलसीदास की रत्ना जैसी लगती है तब गोरी
देख खुला दरवाजा चोरों की भी नियत डोली
तभी समझना यार आ गयी है मस्तानी होली..
-----------शर्मा जी को हो होली की विशेष शुभकामनायें..
वाह-वाह ताऊ जी बधाई हो बधाई...
ReplyDeleteसुन्दर गीत !
ReplyDeleteकहाँ शनि सब पर चढ़ता है, हमारे कवि उस पर भी चढ़ने को तैयार बैठे हैं।
ReplyDeletelalit ji ke kya kahna ,
ReplyDeletewo to guno ki khaan hai . unse hui mulakaat ko ab tak nahi bhool paaya hoon.
जब टेसू जब पलास के रंगों की सजे रंगोली
जब चौपाल में बजे नगाड़े और हँसे हमजोली
जब कोयलिया ने भी अपनी तान सुरीली खोली
तभी समझना यार आ गयी है मस्तानी होली
kitni sundar panktiyan hai . waah waah ..
phoolo ke saath koyal aur saath me nagaade in sab ka rare combination sirf lalit ji hi kar sakte hai ..
जब खिड़की से वह लटकाए ऊपर चढ़ने डोरी
ReplyDeleteतुलसीदास की रत्ना जैसी लगती है तब गोरी
देख खुला दरवाजा चोरों की भी नियत डोली
तभी समझना यार आ गयी है मस्तानी होली
"ha ha ha ha ha ha ha ha hah khub kmaal kiya hai "
regards
बहुत खूब , होली की शुभकामनाये आपको भी और ललित जी को भी
ReplyDeleteजब ऋतुराज ने रंगों वाली बड़ी पिटारी खोली
ReplyDeleteभांग चढ़ा कर जब वो बोले मीठी मीठी बोली
सारा दिन मदमस्त रहे जब सूझे नई ठिठोली
तभी समझना यार आ गयी है मस्तानी होली
mast..mast holi ki mastee!
ललित जी की जय हो...आनंद सरिता में डुबकियाँ लगवा दी वाह...
ReplyDeleteनीरज
फोटो देख कर तो लग रहा है होली आ ही गयी ..
ReplyDeleteताऊजी की कविता में हुडदंग भरी है होली ,
ReplyDeleteगोरिया के है ठाट बड़े और फूलों की रंगोली,
मस्ताने कॉमेंट भेज कर हम भी खेलें होली ,
तभी समझना यार आ गयी है मस्तानी होली..
आखिर फोलोवर हूँ कुछ तो असर आयेगा ही , tau .in के सभी फोलोवार्स को
HAPPY HOLI .
ये तो वाकई धमाल वाली होली है....
ReplyDeleteआपको और ललित जी को होली की शुभकामनाये.
बहुत ख़ूबसूरत गीत! बेहद पसंद आया!
ReplyDeleteमुकरदम गिरीश बिल्लोरे से सेटिंग हो गई है लगभग, बस १९/२० वाली बात है. जल्दी छूटेगी उड़न तश्तरी...
ReplyDeleteआनन्द आ गया..
जब खिडकी से लटकी डोरी देख रहे हैं..लाईन में आगे राज भाटिया हैं.
बहुत खूब!!
नगाड़ेमयी होली की शुभकामनाएँ.
हम तो ललित और ललिता का अद्भुत मिश्रण देखकर ही समझ गए हैं कि आ गई होली ।
ReplyDeleteमूंछों वाली ललिता देवी
ReplyDeleteअरे राम पुरिया जी यह ताई कहां से पकड लाये मुछो वाली, मुझे तो पटाखा लग रही हे :)
ReplyDeleteरंगीन और मदमस्त.
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