सुलग रहा आसमान


सुलग रहा आसमान


रुखी, तपती हुई दुपहरी
चले धूल भरी काली आंधी
चहूं और धूल कण बिखरे
सूखे दिन, और अलसाई रातें
कुछ हताशा कुछ निरशा ,
क्यूँ ये पीडा , कब तक तपना

बावरा मन समझ ना पाए
कब अमृतमयी वर्षा आ बरसे
अभी तो सर पर सुलग रहा
मटमैला ..लाल तपता आसमान
दरवाजों को भडभडाती आंधी
कब आये स्नेहभरी हरयाली
झूम के गाये कोयल काली
इस एक आस में नयन ये तरसे


(इस रचना के दुरूस्तीकरण के लिये सुश्री सीमा गुप्ता का हार्दिक आभार!)

Comments

  1. बावरा मन समझ ना पाए
    कब अमृतमयी वर्षा आ बरसे
    अभी तो सर पर सुलग रहा
    मटमैला ..लाल तपता आसमान
    दरवाजों को भडभडाती आंधी
    कब आये स्नेहभरी हरयाली

    बहुत खूब यही इसी का इन्तजार शायद सबको रहता है ..बहुत अच्छी लगी यह रचना शुक्रिया

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  2. स्नेह की हरियाली पल भर की भी हो तो अगले अनेक दिनों के जीवन के लिए प्राण बन जाती है।

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  3. इन दिनों हमारी नजर तो हर समय इस स्‍नेहभरी बरसात की आस में आसमान ताकते ही रहती है। इतनी सुंदर रचना के लिए आभार। ताउ और सीमा गुप्‍ता जी को राम-राम।
    देसी एडीटर
    खेती-बाड़ी

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  4. नाचती-कुदती सी कविता लगी....खूब.

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  5. कब आये स्नेहभरी हरयाली
    जल्दी आये, ज़रूर आये और दूर तक जाए!

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  6. अभी तो सर पर सुलग रहा
    मटमैला ..लाल तपता आसमान
    दरवाजों को भडभडाती आंधी
    कब आये स्नेहभरी हरयाली

    -सुन्दर रचना!

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  7. सुन्दर रचना ताऊ जी !!!!
    आभार सीमा गुप्ता जी !!

    पंकज

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  8. अभी तो सर पर सुलग रहा
    मटमैला ..लाल तपता आसमान
    दरवाजों को भडभडाती आंधी
    कब आये स्नेहभरी हरयाली।।

    कमाल है! लगता है ये कविता हमारे यहाँ पंजाब के हालात पर लिखी गई है..:)
    बढिया!

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  9. रुखी, तपती हुई दुपहरी
    चले धूल भरी काली आंधी
    चहूं और धूल कण बिखरे
    सूखे दिन, और अलसाई रातें
    कुछ हताशा कुछ निरशा ,
    क्यूँ ये पीडा , कब तक तपना...peedha,tapish.entjaar,sneh..sab kuchh smete hue khoobsurat rachna...

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  10. सुन्दर रचना !

    बधाई स्वीकारें !

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  11. अभी तो सर पर सुलग रहा
    मटमैला ..लाल तपता आसमान
    दरवाजों को भडभडाती आंधी
    कब आये स्नेहभरी हरयाली

    बहुत सुंदरतम रचना है.

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  12. अभी तो सर पर सुलग रहा
    मटमैला ..लाल तपता आसमान
    दरवाजों को भडभडाती आंधी
    कब आये स्नेहभरी हरयाली

    बहुत सुंदरतम रचना है.

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  13. आज के हालात पर आदमी की तमन्ना व्यक्त करती हुई रचना.

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  14. आज के हालात पर आदमी की तमन्ना व्यक्त करती हुई रचना.

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  15. बेहतरीन कविता. इंतजार है हमे भी.

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  16. अभी तो सर पर सुलग रहा
    मटमैला ..लाल तपता आसमान
    दरवाजों को भडभडाती आंधी
    कब आये स्नेहभरी हरयाली

    bahut behtar kavita

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  17. अभी तो सर पर सुलग रहा
    मटमैला ..लाल तपता आसमान
    दरवाजों को भडभडाती आंधी
    कब आये स्नेहभरी हरयाली

    bahut behtar kavita

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  18. सही कहा ताऊजी, ये लाल आसमान का अंधड जाये तो बरसात आये..अब तो बस उसी का इंतजार है.

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  19. सही कहा ताऊजी, ये लाल आसमान का अंधड जाये तो बरसात आये..अब तो बस उसी का इंतजार है.

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  20. सही कहा ताऊजी, ये लाल आसमान का अंधड जाये तो बरसात आये..अब तो बस उसी का इंतजार है.

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  21. "कब आये स्नेहभरी हरयाली
    झूम के गाये कोयल काली
    इस एक आस में नयन ये तरसे"

    सुन्दर रचना के लिए,
    सीमा जी को बधाई,
    ताऊ को आभार!

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  22. सुन्दर रचना

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  23. कब आये स्नेहभरी हरयाली
    झूम के गाये कोयल काली
    इस एक आस में नयन ये तरसे

    परमात्मा जल्दी ही इस आस को पूरी करे। सुंदर रचना।

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  24. बावरा मन समझ ना पाए
    कब अमृतमयी वर्षा आ बरसे.....

    sundar kavita..

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  25. naino ki pyaas mit jaye bas,bahut i sunder rachana badhai.

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  26. अजी तभी तो आसमान आग बरस रहा है , जब सुलगे गा तो बरसात थोडे होगी, गर्मी ही बढेगी ना... लेकिन आप की कविता बहुत अच्छी लगी धन्यवाद

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  27. कब आयेगी हरियाली ..? ..." जिया जब झूमे सावन है " ..!!
    शुभकामनायें ..!!

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  28. यह तो माइरोंग लग रहा है.

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  29. IS AMRETMAYEE VARSHA KA INTEZAAR TO SAB KO RAHTA HAI .... KABHI TO RAAHAT MILEGI TAPTE AASMAAN SE ....... BAHOOT HI SUNDAR RACHNA HAI TAAU .... AAPKO AUR SEEMA JI KO PRANAAM

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