"मैं भीख क्यों मांगता"

"मैं भीख क्यों मांगता"


भिखारी के हाथ मे
रोटी देख ललचाये कुत्त्ते
ने पूंछ हिलाई
भिखारी ने हाथ की रोटी
भूखे कुत्ते को जा थमाई

यह मंजर देख रही
अम्माजी ने पूछा
खुद भूखा था फिर रोटी
कुत्ते को क्यों दे डाली
बेजुबान प्राणी बेचारा
और कहां जाएगा,
मुझसे ज्यादा भूखा था ,
कहां से रोटी पायेगा,
मै तो जब हाथ फैलाऊंगा,
कोई ना कोई दे ही जायेगा,
सुन कर चौंक गयी अम्माजी ,
इतनी अक्ल रही जब तुझमे,
भीख काहे को मांगे है,
भिखारी बोला,
अजब जमाना आया है अम्मा,
तरस खाकर रोटी मिल जाती,
काम नहीं मिल पाया है,
काम अगर मिल जाता तो
मैं भीख क्यों मांगता?


(इस रचना के दुरूस्तीकरण के लिये सुश्री सीमा गुप्ता का हार्दिक आभार!)

Comments

  1. बिलकुल सही बात ताऊ जी
    अगर काम मिल मै भीख क्यों मागता

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  2. विचारणीय पोस्ट , सत्य को बयां करती हुई

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  3. सीमा गुप्ता जी की इस कविता की जितनी तारीउ की जाये कम है।
    नायाब है।
    बधाई,
    ताऊ को भी और सीमा गुप्ता जी को भी।

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  4. शोचनीय स्थिति एवं सोचनीय विषय !

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  5. वाह!
    मूरख को तुम राज दियत हो
    पंडित फिरत भिखारी
    संतों करम की गति न्यारी
    (मीराबाई)

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  6. bahut kadwa sach hai jeevan ka.gehre marmik bhav bahut badhai.

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  7. वास्तव में दुखद है और सही स्थिति भी यही है.

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  8. कोनसे ज़माने की बात कर रहे हो ताऊ जी आजकल तो भिखारी भीख मांगने को बिजनेस कहते हैं .

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  9. समाज का सब से बड़ा संकट बेरोजगारी ही है।

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  10. सीमा जी की कविता पढ़वाने के लिए आभार ताऊ !!

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  11. आपने तो इस कविता के माध्यम से वर्तमान की सबसे बडी सच्चाई को ही उजागर कर दिया।।
    बेहतरीन्!!! सीमा जी सहित आपका भी आभार्!!

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  12. बात तो बिल्कुल सही है ताऊ जी लेकिन ज्यादातर भिखारी तो भीख ही सिर्फ इसलिए मांगते है कि कमाना नहीं पड़े हालंकि आज कल भीख मांगने में भी मेहनत पूरी करनी पड़ती है |

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  13. वाह क्या खूब कहा सीमाजी बहुत सटीक अभिवयक्ति है आभार्

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  14. गज़ब कविता !

    मार्मिक !

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  15. वाह बहुत बढ़िया! भीख तो तब मांगी जाती है जब और कोई काम करने के लायक नहीं है!

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  16. पर आज भीख मांगना भी स्वरोजगार मे आगया है.:)

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  17. पर आज भीख मांगना भी स्वरोजगार मे आगया है.:)

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  18. पर आज भीख मांगना भी स्वरोजगार मे आगया है.:)

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  19. भिखारी बोला,
    अजब जमाना आया है अम्मा,
    तरस खाकर रोटी मिल जाती,
    काम नहीं मिल पाया है,

    यह तो हकीकत है.

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  20. भिखारी बोला,
    अजब जमाना आया है अम्मा,
    तरस खाकर रोटी मिल जाती,
    काम नहीं मिल पाया है,

    यह तो हकीकत है.

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  21. भिखारी बोला,
    अजब जमाना आया है अम्मा,
    तरस खाकर रोटी मिल जाती,
    काम नहीं मिल पाया है,

    यह तो हकीकत है.

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  22. दयनिय स्थिति है.

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  23. दयनिय स्थिति है.

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  24. भिखारी बोला,
    अजब जमाना आया है अम्मा,
    तरस खाकर रोटी मिल जाती,
    काम नहीं मिल पाया है,

    काम अगर मिल जाता तो
    मैं भीख क्यों मांगता?
    सीमा जी हमेशा की तरह आज भी आपकी रचना बहुत उम्दा है... आपकी हर रचना में एक शिक्षा दिखाई देती है....
    मीत

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  25. बेहतरीन रचना ।
    आज लोग रोटी तो दे देते पर काम नही ।

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  26. तल्‍ख हकी़कत को कविता के कोमल रूप में पढ़कर अच्‍छा लगा, बेहतरीन रचना के बधाई।

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  27. कविता के माध्यम से लिखा है सार्थक, केवल सत्य ............ अच्छी रचना है ........ रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनायें...........

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  28. बहुत संजीदा रचना...

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  29. बिलकुल सही...मेहनतकश से ज्यादा तरस भिखारिओं पर खाया जाता रहा है ..!!

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  30. yahi sthiti hai aaj ki!
    dukhd aur dayniy!
    bheekh mil jaati hai rozgaar nahin..
    bhaavpoorn kavita.

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